मंगलवार, 25 मई 2021

हिडिम्बा माता द्वारा शत्रु का मारण।

                  

               हिडिम्बा मृत्यु की एक देवी।

○महाभारत के दौरान कौरवों द्वारा लाक्षागृह के दहन के पश्चात सुरंग के रास्ते लाक्षागृह से निकल कर पाण्डव अपनी माता के साथ वन के अन्दर चले गये। कई कोस चलने के कारण भीमसेन को छोड़ कर शेष लोग थकान से बेहाल हो गये और एक वट वृक्ष के नीचे लेट गये। माता कुन्ती प्यास से व्याकुल थीं इसलिये भीमसेन किसी जलाशय या सरोवर की खोज में चले गये। एक जलाशय दृष्टिगत होने पर उन्होंने पहले स्वयं जल पिया और माता तथा भाइयों को जल पिलाने के लिये लौट कर उनके पास आये। वे सभी थकान के कारण गहरी निद्रा में निमग्न हो चुके थे अतः भीम वहाँ पर पहरा देने लगे।

○उस वन में हिडिंब नाम का एक भयानक असुर का निवास था। मानवों का गंध मिलने पर उसने पाण्डवों को पकड़ लाने के लिये अपनी बहन हिडिंबा को भेजा ताकि वह उन्हें अपना आहार बना कर अपनी क्षुधा पूर्ति कर सके। वहाँ पर पहुँचने पर हिडिंबा ने भीमसेन को पहरा देते हुये देखा और उनके सुन्दर मुखारविन्द तथा बलिष्ठ शरीर को देख कर उन पर आसक्त हो गई। उसने अपनी राक्षसी माया से एक अपूर्व लावण्मयी सुन्दरी का रूप बना लिया और भीमसेन के पास जा पहुँची। भीमसेन ने उससे पूछा, "हे सुन्दरी! तुम कौन हो और रात्रि में इस भयानक वन में अकेली क्यों घूम रही हो?" भीम के प्रश्न के उत्तर में हिडिम्बा ने कहा, "हे नरश्रेष्ठ! मैं हिडिम्बा नाम की राक्षसी हूँ। मेरे भाई ने मुझे आप लोगों को पकड़ कर लाने के लिये भेजा है किन्तु मेरा हृदय आप पर आसक्त हो गया है तथा मैं आपको अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती हूँ। मेरा भाई हिडिम्ब बहुत दुष्ट और क्रूर है किन्तु मैं इतना सामर्थ्य रखती हूँ कि आपको उसके चंगुल से बचा कर सुरक्षित स्थान तक पहुँचा सकूँ।"

○इधर अपनी बहन को लौट कर आने में विलम्ब होता देख कर हिडिम्ब उस स्थान में जा पहुँचा जहाँ पर हिडिम्बा भीमसेन से वार्तालाप कर रही थी। हिडिम्बा को भीमसेन के साथ प्रेमालाप करते देखकर वह क्रोधित हो उठा और हिडिम्बा को दण्ड देने के लिये उसकी ओर झपटा। यह देख कर भीम ने उसे रोकते हुये कहा, "रे दुष्ट राक्षस! तुझे स्त्री पर हाथ उठाते लज्जा नहीं आती? यदि तू इतना ही वीर और पराक्रमी है तो मुझसे युद्ध कर।" इतना कह कर भीमसेन ताल ठोंक कर उसके साथ मल्ल युद्ध करने लगे। कुंती तथा अन्य पाण्डव की भी नींद खुल गई। वहाँ पर भीम को एक राक्षस के साथ युद्ध करते तथा एक रूपवती कन्या को खड़ी देख कर कुन्ती ने पूछा, "पुत्री! तुम कौन हो?" हिडिम्बा ने सारी बातें उन्हें बता दी।अर्जुन ने हिडिम्ब को मारने के लिये अपना धनुष उठा लिया किन्तु भीम ने उन्हें बाण छोड़ने से मना करते हुये कहा, "अनुज! तुम बाण मत छोडो़, यह मेरा शिकार है और मेरे ही हाथों मरेगा।" इतना कह कर भीम ने हिडिम्ब को दोनों हाथों से पकड़ कर उठा लिया और उसे हवा में अनेक बार घुमा कर इतनी तीव्रता के साथ भूमि पर पटका कि उसके प्राण-पखेरू उड़ गये।

○हिडिम्ब के मरने पर वे लोग वहाँ से प्रस्थान की तैयारी करने लगे, इस पर हिडिम्बा ने कुन्ती के चरणों में गिर कर प्रार्थना करने लगी, "हे माता! मैंने आपके पुत्र भीम को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया है। आप लोग मुझे कृपा करके स्वीकार कर लीजिये। यदि आप लोगों ने मझे स्वीकार नहीं किया तो मैं इसी क्षण अपने प्राणों का त्याग कर दूँगी।" हिडिम्बा के हृदय में भीम के प्रति प्रबल प्रेम की भावना देख कर युधिष्ठिर बोले, "हिडिम्बे! मैं तुम्हें अपने भाई को सौंपता हूँ किन्तु यह केवल दिन में तुम्हारे साथ रहा करेगा और रात्रि को हम लोगों के साथ रहा करेगा।" हिडिंबा इसके लिये तैयार हो गई और भीमसेन के साथ आनन्दपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगी। एक वर्ष व्यतीत होने पर हिडिम्बा का पुत्र उत्पन्न हुआ। उत्पन्न होते समय उसके सिर पर केश (उत्कच) न होने के कारण उसका नाम घटोत्कच रखा गया। वह अत्यन्त मायावी निकला और जन्म लेते ही बड़ा हो गया।

○हिडिम्बा ने अपने पुत्र को पाण्डवों के पास ले जा कर कहा, "यह आपके भाई की सन्तान है अतः यह आप लोगों की सेवा में रहेगा।" इतना कह कर हिडिम्बा वहाँ से चली गई। घटोत्कच श्रद्धा से पाण्डवों तथा माता कुन्ती के चरणों में प्रणाम कर के बोला, "अब मुझे मेरे योग्य सेवा बतायें।? उसकी बात सुन कर कुन्ती बोली, "तू मेरे वंश का सबसे बड़ा पौत्र है। समय आने पर तुम्हारी सेवा अवश्य ली जायेगी।" इस पर घटोत्कच ने कहा, "आप लोग जब भी मुझे स्मरण करेंगे, मैं आप लोगों की सेवा में उपस्थित हो जाउँगा।" इतना कह कर घटोत्कच वर्तमान उत्तराखंड की ओर चला गया।

○हिडिम्बा देवी काली कामाक्षा की तरह ही तांत्रिको द्वारा पूजी जाती हैं।

○हिडिम्बा देवी का मंदिर मनाली में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह एक प्राचीन गुफा-मन्दिर है जो हिडिम्बी देवी या हिरमा देवी को समर्पित है । जिनका वर्णन महाभारत में भीम की पत्नी के रूप में मिलता है । 

○आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ हिडिम्बा देवी की एक ऐसी साधना जिससे बाद आप कुछ भी करने में सक्षम हो जाएंगे मारण प्रयोग जो काले जादू द्वारा किए जाते हैं व्व सभी अलग अलग देवी देवताओं और मन्त्र यन्त्र तंत्रों द्वारा किया जाते हैं ये कॉपी पेस्ट का जमाना है बहुत भयानक युग है जो साधनायें एक साधक आपने पूरे जीवन के परिश्र्म से हासिल करता है कुछ व्यावसायिक बुद्धि के लोग आते है और आपके लेख चोरी करके ले जाते है गुस्सा आता है फिर दया आती है उनपर गुस्सा उनकी चौर प्रविर्ती पर और दया उनके भाविष्य पर कोई चोरी की हुई अधूरी जानकारी से कैसे उन्नति कर सकता है।
○देवी हिडिम्बा के बारे में आपने जान लिया होगा ऊपर कहानी द्वारा अब बताता हूं साधना वास्तव में हिडिम्बा एक मायावी दानवी थी लेकिन ये सभी सत्य पर चलने वाले लोग थे सच्चे होने के कारण ईश्वर भी इन पर प्रसन्न रहते थे क्योंकि आज के युग में पति अपनी पत्नी और पत्नी अपने पति से कुछ दिन दूर नही रह सकते विचार और परिवेश बहुत गंदा हो गया है वासनाओं से त्रस्त ग्रसित हो गये है। लेकिन वो भी थे जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया जीवन भी और पुत्र पौत्र भी।

        हिडिम्बा एक उग्र तामसिक मृत्यु की देवी।

○किसी भी शत्रु को मार सकती है ये देवी इससे कोई भी नही बच सकता।

○अधूरी और मुफ्त की विद्या बर्बाद कर देती है।

○हृदय रोगों कभी न करें इसे।

○नाथ सम्प्रदाय में प्रचलित है इसकी गुप्त साबर साधना।

○इसकी साधना गुप्त स्थान पर ही होती है।

○दो जीवित बकरे रखने पड़ते हैं पास।

○प्रति मध्यरात्रि को पूजा करके चढ़ानी होती है शराब और मांस।

○आसुरी शक्ति होने के कारण हिडिम्बा एक तामसिक शक्ति है। और ये गलती हो जाने पर साधक को भी उलट देती है।

○बड़े बड़े साधकों की आवाज नही निकलती जब हिडिम्बा सामने आ जाती है।

○अपने घर में पंखे के नीचे बैठकर मोबाइल हाथ में लेकर अपनी गाल बजाने वाले लोग जब वास्तव में किसी शक्ति से सामना होने पर सुन्न हो जाते है। गप्पें हांकने और कहने से कुछ नहीं होता।

○ये साधना पूरे 41 दिनों की है।

○भूमि शयन और पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना होता है।

○तेल साबुन सेंट क्रीम पाऊडर इत्यादि सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग बाल बनाना,कंघी करना नाखून काटना पूरा वर्जित है।

○सिले हुए कपड़े पहनना मना है।

○ अर्द्धपटेश्वरी देवी की तरह इसका प्रयोग भी बहुत खतरनाक होता है और आपका शत्रु बच नहीं सकता।

○ इस प्रयोग को जब भी करना हो सबसे पहले काले रंग के दो बकरे अपने पास बांध लेने चाहिए।
○ इस पर योग का प्रभाव 30 पूरे दिन से दिखना शुरू हो जाता है लेकिन इसको बहुत धैर्य वाला व्यक्ति ही कर सकता है।



            एक सच्ची घटना इसकी साधना 
○एक सच्ची घटना आज मैं आपको बताता हूं। आज से तकरीबन 40-50 साल पहले एक गांव में नाथों का एक मठ था उस मठ से वहां के स्थानीय गांव वाले लोग बहुत बैर और विरोध रखते थे। और वहां के जो सन्त थे उस मठ में वह बहुत परेशान रहने लगे धीरे-धीरे उनका विरोध बढ़ता रहा और मामला हाथापाई और मारपीट  पर आ गया तो वहां का जो संत थे। वह अपने गुरु भाई के पास गये और उसे सभी घटना बताई और अपनी व्यथा बताई और जो उसे समस्या थी। वह सारी बताने के बाद दोनों ने निर्णय किया दोनों ने निर्णय किया कि हिडिम्बा देवी का अनुष्ठान किया जाए और पूरे गांव को ही नष्ट कर दिया जाए ।अब यह अनुष्ठान बहुत उग्र था बहुत सारी सामग्री लगनी थी।
○गांव से कुछ दूर पर ही एक बीहड़ जंगल था उस जंगल में उन्होंने एक कुटिया बनाकर के वह साधना शुरू कर दी जब वह साधना शुरू हुई तो शुरुआत में उनको कोई दिक्कत नहीं आई अनुष्ठान चलता रहा धीरे-धीरे होम बली इत्यादि जितनी भी अनुष्ठान के में प्रयोग होने वाली सामग्री थी उन्होंने पहले ही जुटा ली थी दो बकरे खरीद कर लाए गए और उनको बांध लिया गया कुटिया के पास क्योंकि उनको इस प्रयोग में दो ही बकरे लगाने से पहला प्रयोग के शुरू होने पर दूसरा काम के होने पर धीरे-धीरे प्रयोग समाप्ति की ओर अग्रसर होता गया  जब जब इस प्रयोग के होने में 5 दिन बचे जब बहुत हवा तूफान इत्यादि आने लग गए लेकिन फिर भी उन्होंने अनुष्ठान बंद नहीं किया अनुष्ठान चलता रहा जब तीन ही दिन बचे थे तो देवी के आगे जो चलने वाले हैं गण पूरे अनुष्ठान के घूमने लग गए और बहुत ही तबाही मचाने लगे फिर एक बहुत ही विस्मयकारी घटना घटी ठीक 1 दिन पहले जो अनुष्ठान करने वाले थे उन बाबा की बुद्धि पलट गई तो किसी तरह उनके गुरु भाई ने इस माहौल को संभाला और अनुष्ठान अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर हुआ सामग्री तो उनके पास पूरी थी। जैसे टेलीविजन पर नाटकों में भयानकदृश्य दिखाई जाते हैं सब कुछ वैसा ही उथल-पुथल होने लग गई हवा बड़ी तेज तेजी से चलने लग गई वृक्षों की डालियां टूट टूट कर गिरने लग गई भिन्न भिन्न प्रकार की भयंकर आवाजें मेघ गर्जन  बिजली का गिरना  इत्यादि उत्पात  एकाएक होने लग गए बहुत भयंकर भयंकर आवाज आने लग गई  लेकिन फिर भी वह डटे रहे  उनको अनुष्ठान पूरा करने में उनको बहुत ही ज्यादा परेशानी हो रही थी अगर वह अनुष्ठान छोड़ देते हैं तो वह दोनों मारे जाएंगे यह तो बिल्कुल स्पष्ट था धीरे-धीरे उन्होंने जाप शुरू किया उसके उपरांत उसके उपरांत जब हवा थम गई तूफान थम गया तो एक महा भयंकर स्त्री काले रंग की ऊंचे लंबे कद वाली और खुले बाल जो ताजे काटे हुए शेरों का हार पहने हुए थी एकाएक वहां आ जाने से सब डर गए उन भयंकर आवाजों और वातावरण में हृदय विदारक उन दृश्यों को देख कर के दोनों के दोनों संग रह गए अब जब देवी आई तो उन्होंने पूछा क्यों बुलाया है मुझे बहुत गलती हुई आवाज में बहुत गलती हुई आवाज में देवी ने पूछा क्यों बुलाया है मुझे तो उनकी आवाज न निकली और बुद्धि चकित हो गई भ्रमित हो गई क्योंकि उन्होंने यह प्रयोग पूरे गांव को नष्ट करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया था बुद्धि पलटने से जो प्रधान संत थे जिन्होंने यह अनुष्ठान शुरू किया था एकाएक बोल तू बोल उठे हे देवी अगर तू बहुत शक्तिशाली है तोइस पेड़ की डाली को तोड़ दे एक बहुत भारी और विशाल बहुत पुराने वृक्ष की बहुत मोटी तनी की ओर इशारा करते हुए वे बोले तभी उस स्त्री उस देवी के बहुत 28 28 हंसी की आवाज आई और कुछ ही मिनटों में वह गाली डाली टूट कर वृक्ष से गिर गई नीचे जमीन पर अब उनका कार्य पूरा हो चुका था उन दोनों के ऊपर अब मृत्यु मंडराने लगी उस अमृत रूपी देवी को देखकर उस मृत्यु रूपी देवी को देखकर दोनों की जान सूखने लगी हालांकि यह दोनों ही बहुत मजे हुए और बहुत ही शक्तिशाली बहुत ही जानकार तांत्रिक थे देवी नाथ पंथ के लेकिन अब इन्होंने जो बकरा बंधा हुआ था समय न देखते हुए फटाफट उसकी देवी को बलि दे दी तब जाकर इनकी जान बची यह एक सौ प्रतिशत सच्ची कहानी है इसमें कुछ भी झूठ नहीं वसंत आज भी जब इस बात को याद करते हैं तो इस बात के सत्य प्रमाणित होने का स्पष्ट प्रमाण मिल जाता है इतनी भयंकर होती है यह साधना अगर कोई नया साधक उठकर के मूर्खता बस बोल दे कि मुझे हिडिंबा की साधना करनी है तो यह उसकी आत्महत्या का ही निर्णय होगा यह सिर्फ और सिर्फ उन साधकों के लिए है जिनकी जिंदगी और मौत पर बनाई हो।

दूसरे भाग में इसकी प्रयोग विधि बताई जाएगी

शनिवार, 22 मई 2021

पितरों का झूंड लगाना।

पितरों का झूंड लगाना।

मनुष्य जाति का जीवन वनस्पति के बिना संभव नहीं है प्राणिजगत का आधार ही पेड़ पौदे और वनस्पति है यद्यपि वनस्पति प्राणियों के भोजन का आधार है तथापि वनस्पति खाद्य औषधि और तन्त्र विद्या के लिए विशेष तौर पर प्रयोग की जाती है।

धार्मिक महत्व को देखा जाए तो भी वनस्पतियों का विशेष महत्व है बिना वनस्पतियों के कुछ भी संभव नहीं हो सकता।

आज मैं आपको पितृदोष के निवारण के लिए एक ऐसा प्रयोग बताने जा रहा हूँ जो कि अगर श्रद्धा और विश्वास से किया जाए तो मनुष्य की फूटी किस्मत को बदलने में सक्षम है।

भौतिक सुखों की कमी मुख्यतः पितृ दोष के अंतर्गत ही आती है किसी की भौतिक परिस्थितियों को देखकर जातक के पितृ दोष का सरलता से अंदाजा लगाया जा सकता है। जरूरत होती है तुज़रबे कि।

सामान्यतः बहुत अधिक खर्चे वाले प्रयोग करवाने से पहले एक बार ये उपाय इस विषय के किसी जानकार से सलाह लेकर श्रद्धा पूर्वक करें जीवन में धन की कमी का मुख्य कारण पितृदोष ही माना जाता है उसके निवारण हेतु यह प्रयोग उपयोग में लाएं।

सभसे पहले आपको मैं ये स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं कि इस प्रयोग का यहा पर संक्षिप्त रूप से वर्णन किया जा रहा है।

इस प्रयोग के करने से अपार स्थिर धन आपके जीवन में आने के योग बनते है और जीवन पितरों की कृपादृष्टि से समृद्धि की ओर अग्रसर होता है।

ये पितृ शांति का उपाय सरल प्रभावी और परंपरागत रूप प्रयोग होता है।

सरकण्डा नामक फूस,( जिससे झुग्गी-झोपड़ी इत्यादि बनती हैं)  जी हां सरकण्डे का प्रयोग होता है इस प्रयोग में इस प्रयोग को झूंड लगवाना बोला जाता है।

सभसे पहले प्रयोग वाले दिन स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर कच्ची लस्सी धूफ दीप डीह/भोमिया/नगर खेड़े के स्थान पर जाकर उनके ऊपर कलावा लपेटकर धूफ दीप प्रज्वलित कर पित्रों के लिए प्रार्थना की जाती है ताकि प्रयोग निर्विघ्न हो सके ये सारा काम चुपचाप किया जाता है उसके उपरांत सूर्यास्त होने के बाद गांव खेड़े की हद से बाहर जाकर सरकण्डे के फूस का झाड़ देखकर वहाँ धूफ दीप प्रज्वलित कर के योग्य भेंट पुजारी देकर उसे खूब सारे पानी से सींचे और न्योता दें और बोलें कि कल सुबह मैं मेरे रुष्ट पितृ पूर्वजों की शांति के लिए आपको आपने साथ अपने घर  लेकर जाऊँगा कृपया तैयार रहें इतना बोलकर प्रणाम करें घर वापिस प्रस्थान करें फिर आपको दूसरे दिन भोर में ही जाकर सावधानी पूर्वक उखाड़ लें और अपने घर में कोई साफ सुथरा कोना देखकर रोपित करें और फिर उसमें पितृ देवों का आव्हान  पूजन करें तथा प्रतिदिन सुबह कच्ची लस्सी से सिंचाई करें इस 41 दिन यानी सवा महीना करें ।
मांस मदिरा इत्यादि के सेवन से पूर्णतया बचे रहें।
जब आपकी से2आ पूरी हो जाये तब कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को या अमावस्या अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार ब्राह्मण को भोजन दान दक्षिणा देकर विदा करें।

सोमवार, 3 मई 2021

vanish your badluck

        
         your goodfortune comes

Having boundations in your business if you have a so many troubles in your life you have so many debit in your life having a hurdles in your working so this is very effective spell so many time every has we have use this spell this spell is very important and powerful spell, if done properly, 
You will get results within 24 hours.
 
material :-
One leaf of  taro root  or casteroil plant's leaf.
7 jaggery + flour + mustard oil pudding maalpua.(this is bread  makes by the batter of weatflour +juggry+water,then put some musterd oil in pan,put some amount of batter then change side by side frying it you have to make 7 in number. 
 Some cooked sweet rice.,
 7 flowers of madar (āka).(Calotropis's flowers)
 7 marigold flowers,
 7 red proof chili with sticks,
 7 red bangles.
 1 ribbon black,
 One four mouth's lamp maked with weat flour,
mustard oil will be used to burn lamp as fuel
 11 incense sticks.
 1 Kalaava.(red cotton thred)
 7 cloves.,
 7 cardimum small.
 7 betel nuts.
 7 piece of  mix sweets
 1 piece of raw coal.,
 1 box of kaajal,
    Yellow vermilion of 5 ₹.,
  1 handful of black Urad.
     One matchbox
     Cotten

Where to do ?
Location: - In the empty ground, by making a sign of raw rice on the ground or facing east on the square.  To do.

When to do?
Ans.Time: - to be done from 7pm to 11:45 pm.

 How to do this spell?
Ans.All the stuff has to be collected silently, it has to be used silently, do not make a lot of noise and do not talk to anyone unnecessarily, you have to go quietly.

 After taking all this, quietly go to road Cross (+) if you're not interested to go road cross you have to perform this spell in open ground first you have to make cross ❌ on the ground by raw rice then go  decorate all the items on the leaf,light the lamp in the middle and now put 11 incense sticks and burn at there and put 7 ticks dots on the puha with Yellow vermilion (Sindoor).

Looking forward Sunshine faced, you have to say,

 "O my misfortune, I am leaving you. Don't follow me."

(Hey mere durbhagya ab se main tumhe yahin chodkar jaa rha hu ab mera peecha mat krna.)

It is innuf with this you have to leave from there and no matter how much voice comes or not, you do not have to look back and wash your hands then enter to the home.

रविवार, 2 मई 2021

ways to clam down anger of mata maidanan

***********. Ways to calm down. *****
 1. Ganges water in raw milk mixed with ordinary water and a little bit of water and mixed with some raw rice, watering the statue of (thaan) type of small temple makes the mata calm down.
 
2. By applying a broom daily on the dieaty's  tample, the wrath of the mother also calms down.
 3. Worshiping Guru Gorakhnath calms the anger of the dieaty mata maidanan.
 4.service or worshipping of Nagar Kheda Maharaj  also helps  to calm the anger of mata maidanan.
 5. Offering of kachi kdahi mixture of wear flour+juggry+water  Mother gets pacified by giving in raw pan every day.
 6. Waking up in the morning to take of devi and  watering kachi lassi makes the mother calm.
 7. Taking 5 briks+(rupees 11) and lifting them (promise wise), to sacrifice or offering some the mother calms down.

 8. Watering Mata Sitala pacifies Mata Madanan's work.

 9. Mata calms down by reciting Durga Saptashati.  

10. By doing devi Bhagwat or reading, the mother becomes calm at home.
 
11. Keeping the threshold clean makes the mother's work calm. 12. Responding makes the mother calm.

शनिवार, 16 जनवरी 2021

भैरव साधना द्वारा दड़ा सत्ता प्राप्ति।

                  
             ****।।अंक साधना।।****

आज के जीवन में धन की महिमा उतनी ही है जितनी समुद्र के लिए जल की। सभी के जीवन में अच्छा और बुरा समय आता है। जीवन में यह याद रखना चाहिए कि धन कमाने के लिए उल्टे सीधे तरीके नहीं आजमाने चाहिए। 
क्योंकि जुआ सट्टा लाटरी इत्यादि की जब आदमी को लत लग जाती है तो आदमी को बर्बाद होने में देर नहीं लगती। लेकिन जीवन में कुछ समय ऐसा भी आ जाता है कि आदमी बेतहाशा रूप से कर्जे में फंस जाए। कोई बीमार हो जाए किसी की बीमारी पर बहुत ज्यादा पैसा लगा दिया जाए। तो घर तक बिकने की नौबत आ जाती है। उन सभी मित्रों के प्रति अपने मन में में संवेदना रखते हुए। आपको एक साधना बताने जा रहा हूं इस साधना का प्रयोग कभी भी खाली नहीं जाता।

आकस्मिक धन प्राप्ति या यकायक पैसा प्राप्त कर लेना राहु ग्रह के अधीन होता है और बहुत सारा कर्जा हो जाना मंगल ग्रह के खराब होने की पूरी पूरी निशानी होती है इसलिए अपनी कुंडली का विश्लेषण अपने ज्योतिषी से करवाएं और उसके संबंधित सभी उपाय पूरे करें क्योंकि जब आप एकदम से धन प्राप्त करने के लिए कोई साधना करेंगे तो राहु ग्रह के नीच या विपरीत होने के कारण आपको धन की प्राप्ति नहीं होगी इसलिए इस साधना को करने से पहले अपने राहु ग्रह को एक बार ज्योतिषी से मिल कर के उसके विषय में पूरी जानकारी और उपाय कर लेनी चाहिए।

राहु को शुभ करने के लिए कुत्तों की सेवा की जानी चाहिए शनि ग्रह बृहस्पति ग्रह के उपाय करने चाहिए और मंगल यदि आपका कमजोर है या नीच है या दोषपूर्ण है या विपरीत है तो उसके भी आपको उपाय करने चाहिए मांस शराब इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए भोजन कभी भी बिस्तर पर बैठकर ना करें किसी को गाली ना बके इससे आपका राहु ग्रह कमजोर होगा और धन प्राप्ति के योग कम हो जाएंगे।

मंत्र साधना लेने से पहले गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करें और उसको यथा योग्य सम्मान और यथाशक्ति दक्षिणा दें ताकि उनकी जो शक्तियां हैं वह भी आप पर कृपा करें।
                              ।।साधना।

○किसी भी शुभ महूर्त से ये साधना शुरू करें। इस साधना के लिए घर में एकांत स्थान का चुनाव करें साधना के दौरान आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहेगा।
○ साधना से पहले घर के किसी एकांत स्थान पर जहां ना तो बहुत लोगों का आना जाना हो और ना ही जहां पर शोर-शराबा हो वहां पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आपको अपने सामने एक आम के लकड़ी से बने हुए पटरी के ऊपर सवा मीटर लाल कपड़ा बिछा देना है उस लाल कपड़े के ऊपर आपने भैरव जी की तस्वीर रखनी है और वहां कलश स्थापना करनी है उसको पत्र धूप दीप भैरव जी को समर्पित करना है।
○ये यह साधना पूरे 40 दिन की है। लेकिन आपको ये साधना 2-3 दिन अधिक ही करनी चाहिए।

○पूरे 40 दिन साधक को पूर्णतयः ब्रह्मचर्य और सयंम धारण करना होगा।

○साधना काल में साधक को अपना खाना खुद बनाना होगा। अपने कपड़े बर्तन को खुद ही साफ करना होंगे।
○साधना स्थल पर साधक आपने आगे दाएं हाथ को दीपक जलाए और अपने बायें तरफ जल का पात्र अवश्य रखें।
○साधना को गुप्त रूप से करें उसके बारे में किसी भी व्यक्ति से चर्चा न करें।
○जिस कक्ष में साधना करें उसमें साधना काल में आप के इलावा कोई और ना जाये।
○जाप का समय वो होना चाहिये जब कोई भी घर का सदस्य हल्ला गुल्ला न करे।
○अपने क्रोध लोभ मोह और काम विकार से दूर रहें।साधना काल में  किसी से गली गलौज ना करें।
○भोजन शुद्ध सात्विक ही करें।
○जाप के समय धूफ दीप प्रज्वलित कर के बैठें।
○मन्त्र को पहले याद कर लें फिर रुद्राक्ष की माला से जाप करें।
○जाप से पहले गणेश गुरु एवं भगवान शिव का ध्यान करें।

○सरस्वती मन्त्र :- ॐ गुरु जी सुर बिन मिले ना सुरस्ती, गुरु बिन मिले ना ज्ञान, उठो माई सरस्वती। दीपक बत्ती बालो, तन मन ला के करो ध्यान,रक्षा करेंगे श्री नाथ भगवान।सिर पर पंजा गुरु उस्ताद का साबत रख ध्यान, आदेश आदेश आदेश।
       
       उपरोक्त मन्त्र का जाप करना है 2 माला प्रतिदिन। 
       फिर दूसरे मन्त्र का 5 माला जाप करना है।

ॐ गुरु जी काला भैरो कपले केश ,कन्नी मुंद्रा भगवा वेश,जिथे सिमरां जिथे याद करां भैरों जति हाज़िर खड़ा काला भैरों चिट्टा भैरों,भैरो चिटमचिट्टा खोल घड़ा, दे दड़ा ,चले मन्त्र फुरो वांचा देखूं भैरोंनाथ जति तेरे इल्म का तमाशा। 
      
       उपरोक्त मन्त्र को जिस प्रकार लिखा गया है उसी
       प्रकार ही बोलना है।
       
       देवता सामने आने पर जब तक जाप समाप्त ना हो     
       देवता से बिलकुल भी नही बोलना ।जाप पूरा होने 
       के बाद आप देवता को प्रणाम कर के    
       जो वर चाहे मांग सकते हैं।

           **।।साधना के फल।।**

○ये साधना साधक के आज्ञा चक्र को जाग्रत करती है।

○भविष्य में होने वाली घटनाओं का साधक को पहले से ही ज्ञान हो जाता है।
○प्रतिदिन पांच मीठी रोटियां कुत्तों को अवश्य खिलाएं

○इस साधना में साधक को दड़ा सट्टा लॉटरी के नंबर प्राप्त होते है।
○साधना पूरा होने से पहले सट्टा लगाना य्य किसी को बताना मना है।
○अगर साधक अपनी साधना के अनुभव किसी से बताता है तो साधक की सिद्धि खंडित हो जाती है।फिर वापिस साधना करनी पड़ती है।
○सट्टे से प्राप्त धन के 50% धन को किसी अच्छे काम में लगा देना चाहिए।
○सिद्धि प्राप्त होने के बाद भी साधक को 5 माला प्रतिदिन नियम पूर्वक निर्धारित समय और स्थान पर जप करना चाहिए।
○होली दीपावली या किसी भी पर्व पर यत्नपूर्वक जाप करके होम एवं देवता को भेंट देनी चाहिए।

      

 

शनिवार, 9 जनवरी 2021

दाना ए सुलेमानी की सिद्धि

((दाना ए सुलेमानी हासिल करने का अमल))
दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसा अमल बताने जा रहा हूं जो अमल थोड़ा मुश्किल तो है क्योंकि इसकी पढ़ाई लंबी है और परहेजगारी से काम लेना पड़ता है लेकिन इसके बाद जो सिद्धि आपको प्राप्त होती है दुनिया में किसी और अमल या चिल्लाकशी या सिद्धि करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

आज मैं आपको दाना ए सुलेमानी सिद्ध करने का अमल बताने जा रहा हूं हालांकि यह अमल बहुत परहेजगारी का है लेकिन फिर इस से प्राप्त होने वाली शक्ति से आप कुछ भी कर सकते हैं।

ये अमल मुस्लिम धर्म का है खासतौर पर जो लोग मुस्लिम धर्म से हैं और अपनी नमाज को बिना नागा सही तरीके से पढ़ते हैं उनके पास यह अमल यह पढ़ाई जल्दी सिद्ध हो जाती है।

(((आप भविष्य आपके अपने हाथों में होता है आपकी कब्र का अंजाम आपके हाथों में होता है जो जैसा करेगा वैसा ही भरेगा।))

पढ़ाई को कामयाब करने के लिए नमाज और दरूद अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ये अमल पूरे चालीस दिनों का है लेकिन कोई गलती/कमी होने सी सूरत में इस चिल्ले दूसरी और तीसरी बार भी करना पड़ सकता है।

भोजन में( बिना मिर्च मसले ) हल्का खाना और दरिया का पानी पिएं। अपना भोजन खुद तैयार करें। परहेज़गारी आपके पहले चिल्ले को ही कामयाब बना देगी। ऐसा खाना जो आपके मुंह से बदबू पैदा कर दे कच्ची लहसुन प्यार जो प्याज हींग सिगरेट बीड़ी इत्यादि इस साधना काल में भर पूरी तरह वर्जित है।

जब आप के सामने मवक्किल हाज़िर हो और आप दाना के सुलेमानी उससे मांगे तो जब मवक्किल वापिस नही आता तब तक अपने कमरे में से बाहर नही जाना।

इस पढ़ाई के पूरा होने के बाद कोई भी जायज काम आप कर सकते हैं इस से कुछ भी करवा सकते हैं किसी गुमशुदा का पता लगा सकते हैं किसी मरीज के ऊपर से जिन जिन्नात का असर खत्म कर सकते हैं ऊपर की हवा को हटाने में यह बहुत कारगर है।

होने वाली बातों का आपको पहले से ही मुवक्किल के जरिए से पता चल जाता है। और किसी भी मुश्किल से निकलने का हल भी।

यह ऊंचे दर्जे की पढ़ाई है 

ये 41 दिनों की पढ़ाई है 
इस पढ़ाई में पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है इस साधना में कच्चा प्याज लहसुन मुह को दुर्गन्धित करने वाली  चीजें वर्जित है
साधना संबंधित नियमों का पूरी तरह से पालन इसमें करना पड़ता है। अगर आप बीड़ी सिगरेट पीते हैं तो अमल से एक हफ्ता पहले उसे छोड़ दें।
खिलवत अर्थात तन्हाई में ये साधनाएं की जाती है।
सभसे पहले यदि आप को पेट गैस की समस्या है तो पहले उस को ठीक करें। 
पूरी साधना और उसके बाद भी लघुशंका या मूत्रत्याग बैठकर ही करें और मूत्रत्याग करने के बाद इस्तिनज़ा जरूर करें ये आदत आपको पक्के तौर पर बनानी है।

फिर एक तन्हा कमरे का प्रबंध करें। उस कमरे में से फालतू समान निकाल दें। और लीप पोत/चूना इत्यादि करवा दें।

उस कमरे में चटाई बिछा कर पानी को किसी साफ बर्तन में भरकर अपने पास जरूर रखें।

पढ़ाई शुरू करने से पहले इत्र लोबान कोयला इकट्ठा खरीद कर रख ले ताकि आपको साधना में कोई परेशानी ना हो।

पहले दिन आप सफेद मिठाई के ऊपर फातिहा देकर मिठाई बच्चों में बांट दें

जब किसी भी महीने का नया चाँद हो जिसको नौचंदी बोला जाता है बुधवार/बृहस्पतिवार/जुम्मा या शुक्रवार की रात को पांचवीं नमाज के बाद वजू करें।

कोयले सुलघाकर आग तैयार करें और थोड़ा थोड़ा लोबान पढ़ाई के वक्त आग पर डालता जाए जिससे कि खूब सारी खुशबू उठती रहे अपने बदन और कपड़ों पर हिना का इत्र या  ऊद का इत्र जरूर लगाएं सिर को किसी साफ कपड़े से ढक कर पढ़ाई करें।

अल्थी पलथी मार कर पश्चिम की और रुख/मुहं करके बैठ जाएं और सभसे पहले 41 बार आयतल कुर्सी पढ़कर अपने हाथों पर फूंक दें और सीधे हाथ की index finger/अनामिका उंगली/शहादत की उंगली से अपनी चारों ओर हिसार के लिए इशारा करें।

                        ।।आयतल कुर्सी।।
       अल्लाहु ला इला-ह इल्लल्लाहु-वल हय्युल क़य्यूमु 
       ला तअ् खुज़ुहू सि-न तुंव-व ला नौम लहू मा         
       फि़स्समावातिं व मा फ़िल अर्ज़ि मन ज़ल्लज़ी यश्           फ़उ अिन-द-हू इल्ला बिइज़्निही यअ्लमु मा बै-न           ऐदीहिम व मा ख़ल-फ़ हुम व ला युहीतू-न बि शैइम         मिन अिल्मि ही इल्ला बि-मा शा-अ व सि-अ   
       कुर्सि-युहूस्समावाति वल अर्ज़ि व ला यऊदु हू 
       हिफ़्जुहुमा व हुवल अ़लीयुल अज़ीम

               ।।इब्राहीमी दरूद शरीफ।।
      अल्लाहुम्मा सल्लीअला महम्मदिवं व अला आले     
      महम्मदिवं कमा सल्ले त अला आले इब्राहिम व              अला आले इब्राहिम इंनका हमीदुम मज़ीद।
      अल्लाहुम्मा बारिक अला महम्मदिवं व अला आले   
      महम्मदिवं कमा बारिक त अला इब्राहिम व अला 
      आले इब्राहिम इंनका हामीदुम मज़ीद।


फिर आपको एक तस्बीह दरूद शरीफ पहले/अव्वल और अज़ीमत के बाद/आखिर में पढ़ें।

इस अज़ीमत को 1093 बार रोज़ाना पढ़ना है।

((अजीबु या सफ़राईलु बिहक़्क़ या समद या कयूमु या रब्बु।))

इस में आपको 30 दिनों के बाद रूहानी शक्तियों अपने आस पास होना महसूस हो जाएगा। 

एक बात का विशेश बात का जरूर ध्यान रखें पढ़ाई के वक्त मुवक्किल हाजिर होगा और आपसे यह अमल करने का कारण पूछेगा लेकिन आपने उसको जवाब-सवाल किए बिना अपनी पढ़ाई को जारी रखना है पढ़ाई पूरा करने के बाद ही उसे कोई कलाम करें या बातचीत करें।

जब तक आपकी पढ़ाई पूरी ना हो तब तक मवक्किल से कोई बातचीत नहीं करनी है पढ़ाई पूरी होने के बाद चाहे उस मुवक्किल को अपने साथ और रखने की शर्तें तय कर दें या उससे दाना सुलेमानी मांग लें अगर यह मुवक्किल समय से पहले आपके पास हाजिर होता है तो भी आपको 40 दिन की साधना करनी ही करनी है पढ़ाई को बीच में नहीं छोड़ना।

अमल के दौरान जो अनुभव आपको प्राप्त हो उसके विषय में आप किसी को नहीं बता सकते उस अवस्था में आपकी प्राप्त की हुई सभी शक्तियां स्वतः समाप्त हो जाएंगी।

दाना ए सुलेमानी सीधे तौर से हासिल नही होता बल्कि मवक्किल के जरिये से हासिल होता है। यह सफराईलू मुवक्किल दाना ए सुलेमानी का मुहाफिज मुवक्किल है।

जब ये साधना की जाती है तो पहले मवक्किल हाज़िर होता है आपकी मर्जी होती है कि आप मवक्किल को आपने साथ रखना चाहते हैं या उससे सुलेमानी दाना  हासिल करते हैं।

क्योंकि जब मुवक्किल आपके पास आता है तो आपसे पूछता है कि तुमने मुझे अपने पास क्यों बुलाया फिर आप चाहे आप उससे सुलेमानी दाना जिन हासिल करें या उसे ही अपने साथ रख ले शर्त तय होने के बाद आपको शर्त निभाना बहुत जरूरी होता है।

साधना पूरी हो जाने के बाद आप में इतनी ताकत आ जाती है कि कोई भी जिन्न या परी आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता। आप किसी भी मरीज के ऊपर से भूत प्रेत जिन्न चुड़ैल इत्यादि को हटा सकते हैं।

जैसा कि मैंने पहले बताया जब आप इस साधना को मना करने का मन बनाएं तो आप इस साधना को तीन बार करने के लिए तत्पर रहें क्योंकि मवक्किल कई कई बार जल्दी हाजिर नहीं होते।

दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास सफलता का सूत्र है।
इस साधना को करने के लिए उस्ताद /गुरु का होना जरूरी है वरना जान का खतरा भी हो सकता है।









रविवार, 20 दिसंबर 2020

Nagar kheda/dada bhimiya/deeh baba sadhana

Dada Nagar Kheda Sadhana is the most important practice


 Kshetrapal or village deity city deity deh deity is called by many names. When the scriptural Havan is done, the place of the village deity is given to him in the name of the deity.


 Because without his grace, there is no protection from the negative forces of havan / yajna.


 You worship any style of Tantra Mantra, any goddess / deity in any style, you will have to worship the city Kheda village deity in some form or the other without worshiping them, you do not get any kind of accomplishment.


 Dada Nagar Kheda or Bhomiya ji is a boon of milk pot to the devotees and fulfills the wishes of the devotees. Any kind of hindrance in any form in life, if you have come to worship or serve the city Kheda is all away.  She goes.


 In my knowledge, many seekers have received darshans of Nagar Kheda Babaji or Bhomiya ji many times and all the services have been successful. The second special thing is that when you serve Nagar Kheda or Bhomiya ji, after that you will find someone  It is not possible to compete with negative energy. No small or small obstacle can remain in your house or around you or in your body because without their permission any energy / god / goddess / demon in their area or any  Even type of air cannot enter.


 Somewhere in the form of Bhomiya ji, Hanuman ji is the principal deity of the village; sometimes Bhairav ​​ji is somewhere else, some other deity is different village deity.


 Though his mantra is a bit difficult, but simple service is very simple, just as the ritualistic practice of Lord Bholenath is very difficult and simple service is very simple, in the same way, lawful worship of Nagar Kheda is very difficult but simple service can be done by anyone.  And can also benefit from it.

 However, women are prohibited to some extent by worshiping the city.


 In this article I will tell you about both ordinary practice and mantra cultivation.


 Whether you do simple service or do mantric service, you have to sleep on the ground during that sadhana and observe the Brahmacharya fast completely, keep your mind pure and engrossed in contemplation of God during the spiritual period.

 Their service can be started from the first Sunday of the Shukla Paksha of any month.

 Retire before sunrise in the morning and take bath and wear pure clothes.


 In a large vessel, which can range from 1 liter to 5 liters, prepare raw lassi (pure water and Ganga water put some raw milk in it, add a little sweet clean sugar or Betashe or if you don't get it, add a little jaggery to it.  Then add some whole raw rice)


 Water has been prepared to bathe Nagar Kheda Dada Bhomiya. According to your reverence, go to Dada Bhomiya's place before sunrise.

 Take a little incense with you, matchbox, cotton, desi ghee, two small pieces of clay, some white colored flowers, ₹ 5 K Bache.

 First of all, when you reach Dada Bhomiya's place, then give him the bath that you have prepared the above raw lassi (Abhishek water) to the city Kheda Dada Bhomiya Ji with that water.  With full faith / reverence.

 After that, burn lamps of desi ghee there and offer incense and offer flowers and incense.


 Offer your prayers to the city Kheda Dada Bhomiya and after saluting, come quietly to your home, similarly visit his place every day.  You can also light a lamp by going there in the evening every day, you will get fruits very quickly.


 Now we talk about spiritual practice.


 Here I want to make clear to you one thing which is giving to you in the mantra, that is completely correct, it is practical, before that many seekers have attained the proof that they have also attained fulfillment, from which mantra the philosophy and blessings of Nagar Kheda have been received.  Yes, some people may get confused due to the use of some Muslim words in this mantra, but the method by which I have received this mantra, I am telling you this mantra further in the same method if this mantra of faith  If done together, this mantra will definitely work.


 The service for the city camp was 41 days and this mantra that I gave in the video is the self-proven mantra, the mantra is as follows


 "Bismillah Rahman Rahim twenty two hundred Khwaja twenty three hundred Pir Ramchandra Chalve arrows be ready, order my city, Pir Meri Aan Mere Guru, Mere Guru, My Guru Diya Duhai, Guru Gorakhnath, Order Order."


 Choose a secluded and clean place in your house. Keep your face towards the east. Put a gargoyle made of mango wood in front of you and lay a quarter meter red cloth on it and install an urn on it and two lamps one mustard oil  Burn incense, lamp, fruits, flowers, sweets, betasha, 7-long 7-cardamom couple Molli / Kalwa You should apply 5 to 10 garlands daily to Baba according to your ability.


 After bathing Dada Nagar Kheda every morning in the evening, you have to come back home by putting incense lamps etc. and remain silent as you come.



 Until the practice is done, do not shave nails and hair, do not shave, use of cream powder, st etc. is completely forbidden.


 On the third day itself, you will start having strange experiences and darshan of the city Kheda and the white long-bearded elderly in white clothes.


 If, with this sadhana, the presence of the name of Khwaja Khizr Zinda Pir is given daily every evening, and that too before you start chanting, then you get a tremendous power of this sadhana.


 How the raw spot is prepared that whole rice and sugar are mixed, put a little desi ghee on it and rub it with soft hands and put a small pill on it with a small distance of perfume and  This presence is omitted while reciting a river canal river mantra in clear water while walking.


 The same work is done every day at a certain time and place, thus attendance is given to the Khwaja ji who had been present so many years ago;  That the assembly is of a fist, a coin of currency (which can be of any metal) or an iron nail is also inserted.



 Giving attendance, a garland of this mantra or 21-51-11 times can be read this mantra.


 The mantra to present Khwaja ji is as follows: -


 Bismillah rahman rahim khwaja khijar zinda pir hither madar dastagir siddhan nathan da sardar kachiya pakkiyan kadhiyan tere naam diyaan

कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...