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शनिवार, 17 अगस्त 2019

ख्वाज़ा जिंदा पीर की हाजिरी

।।हाज़िरी ख्वाज़ा जिन्दा पीर।।
नमस्कार दोस्तों आज की इस वीडियो का विषय है ख्वाजा जिंदा पीर की हाजिरी सुलेमानी तंत्र में और सुलेमानी साधनाओं में ख्वाज़ा जी की हाजिरी को बहुत बड़ी चीज माना जाता है इस हाजिरी के बिना कोई भी साधक कामयाब नहीं होता सुलेमानी साधनाओं में और किसी पीर फकीर या बुजुर्ग कोई भी सेवा आपने करनी है तो आपको ख्वाजा जिंदा पीर की हाजिरी देनी है यह प्रथा सैकड़ों सालों से चली आ रही है पहले यह हाजिरी कुएं में दी जाती थी या दरिया में दी जाती थी लेकिन अभी नहरों इत्यादि में हाजिरी दी जाती है मूलतः हाजरी साफ़ चलते हुए पानी में ही दी जाती है किसी गंदे नाले में या किसी ऐसे अशुद्ध जल में हाजिरी नहीं दी जाती वैसे तो ख्वाजा के 2200 भेद हैं वस्तुतः ख्वाजा गौसुल आजम पीरों के पीर माने जाते हैं और इनको वरुण देवता जल देवता या झूलेलाल भी बोला जाता है बहुत ही ज्यादा शक्ति के मालिक एक चीज और बता दूं जो ख्वाजा का सेवादार हो तंत्र क्षेत्र में उसका कुछ भी बिगाड़ पाना बहुत कठिन होता है दूसरी बात यह है सभी देवी देवताओं को पानी ख्वाजा साहब से ही मिलता है और इनकी हाज़िरी नौचंदी रविवार की  रात को सुर्यास्त के बाद में डाली जाती है अगर किसी साधक को किसी भी देवता की सिद्धि प्राप्त ना होती हो तो अगर ख्वाज़ा जी की हाज़िरी डाल कर उनसे प्रार्थना करें कि अमुक देवता तक मेरी फरियाद पहुंचा दीजिये तो ख्वाज़ा पीर की और ईष्ट देव की कृपा से अवश्य ही सिद्धि प्राप्त होगी।
हज़ीरिओं के तीन भेद।
○१.कच्ची हाज़िरी।
○२.उतारे की हाजिरी।
○३.पक्की हाज़िरी।

○१.कच्ची हाज़िरी में कच्चा दलिया या चावल में देसी घी और शक्कर मिला लिया जाता है और 2 गुलाब के फूल ईत्तर या सेंट रूई में लगाकर फिर 2,5,7 या 11 लौंग रखकर कलाम बोलते हुए चलते हुए साफ पानी में छोड़ देते है ये कर्म प्रतिदिन शाम या सुबह निश्चित समय और स्थान पर ही किया जाता है। इससे साधक को अभीष्ठ की प्राप्ति होती है।कोई भी काम कितना भी कठिन काम क्यों न हो वो भी बन जाता है।
○२. उतारे की हाजिरी अगर किसी भी व्यक्ति को कोई कट्टर भूत प्रेत या तंत्र बाधा हो उसे दूर करने के लिए उतारे की हाजिरी दी जाती है। उतरे की हाजिरी का मतलब रोगी के सिर के ऊपर से हाज़िरी के सामान को मंतरोच्चारण पूर्वक उतारा जाता है और होम अग्यार करना होता है और फिर समान को जल में छोड़ दिया जाता है।ये क्रम आपको लगातार तीन पांच या सात रविवार को करना होता है जिससे रोगी स्वस्थ हो जाता है और बाधा खत्म हो जाती है।ये क्रिया किसी जानकार से ही करवानी होती है क्योंकि अनजाने व्यक्ति को मंत्रो की सिद्धि और जानकारी नहीं होती।
○३.पक्की हाज़िरी में कच्चे सामान को घर दुकान या मरीज़ के सिर से उतारकर दलिया या चावलों को पकाया जाता जाता है और देसी घी लौंग इलायची का छोका लगाया जाता है। पकने के बाद जल के किनारे जाकर शुद्ध देसी घी का चौमुखा चिराग़ लगाकर होम की जाती है और होम में लौंग इलायची चूरमे के लड्डू,बतासे,बर्फी,पान सिगरेट का जोड़ा इतर और नियाज को होम किया जाता है इसकेबाद आगे दो तरीके से हाज़िरी को जल में छोड़ा जाता है ख्वाजा पीर के नाम से सीधा सामान को जलप्रवाहित कर दिया जाना दुसरे तरीके से एक गत्ते या लकड़ी का बेड़ा या किश्ती बना कर उसमें सभी सामान को रखकर दीपदान इत्यादि करके उस किश्ती या बेड़े को जल में छोड़ना।
○१.हाज़िरी देने का मंत्र:   बिस्मिल्लाहरहमानरहीम,अल्लाह तेरी बंदगी,नबी पाक दा नूर, करो कबूल हाज़िरी मेरी या मेरे आका या मेरे हज़ूर, करो कबूल हाज़िरी मेरी या ख्वाज़ा मेरे हज़ूर करो कबूल हाज़िरी मेरी या ख्वाज़ा मेरे हज़ूर।मदद नबी पाक दी या गफूर या गफूर या गफूर।
○२.मन्त्र:-बिस्मिल्लाह ख्वाज़ा ख़िज़्र जिंदा पीर पिदर मादर दस्तगीर,पंज पीर तेरे मददगीर सिद्धां नाथं दा सरदार कचियाँ पकियाँ कडाहीयां तेरे नाम ।

    
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