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बुधवार, 5 जून 2019

वीरों की जंजीर का मन्त्र

बिस्मिल्लारहमनरहीम-लाइल्लाह-इल्लाह हज़रत वीर की सल्तनत को सलाम।वीर आज़म ज़ेर जाल मशवल करें।तेरी जंजीर से कौन कौन वीर बावन भैरों चलें चौसठ योगिनी चलें।देव चलें विशेष हनुमान की हांक चले नाहर सिंह की धाक चले नहीं चले तो हज़रत सुलेमान के तख्त की दुहाई। एक लाख अस्सी हजार पीर पैगम्बरों की दुहाई। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति चलो मन्त्र ईश्वरो वांचा।
सभसे पहले एक जन शून्य स्थान पर एक साफ सुथरे कमरे का इंतज़ाम करें जिस में साधना के दिनों में आप के इलावा कोई ना जाता हो फिर इस मंत्र की अपने सामने लोहबान सुलगाकर सफेद रंग के साफ सुथरे कपड़े पहनकर ,ऊद का इत्र लगा कर,पहले हिसार बांध कर आसन मुसल्ला या नई चटाई बिछाकर वज्रासन में बैठकर ग्यारह माला सुबह और ग्यारह माला रात को करना है माला सुलेमानी हक़ीक़ की होगी जिस का रंग हरा या सफेद होगा और उसमें 101 दाने हो।सामान्यतः इसमें 3रे दिन से ही वीर अपनी शक्तियों से साधक को डराता है और ये वीर साधना में सभसे ज्यादा खतरनाक एव शक्तिशाली प्रयोग है बिना गुरु के साधक प्राणहीन या पागल भी हो सकता है इस लिए इस साधना को बिना गुरु आज्ञा के करना मना है।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...