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रविवार, 14 अगस्त 2022

मुखबिर जिन्न

   मुखबिर जिन्न को हाजिर करना।     
 "अगर देख सकोगे तो ही कर सकोगे"

मित्रों तंत्र मंत्र के क्षेत्र में दूर दूर के देश विदेश की खैर खबर मंगवाने के अलग अलग शक्तियों से कार्य करवाया जाता है बहुत से देवी देवता हाज़िरी हाज़िरात और दूसरी शक्तियों को अनुकूल करके ये सभी कार्य करवाये जाते हैं। 

वहीं अगर जिन्नों की बात करें तो ये भी बहुत शक्तिशाली होते है लेकिन जो कहने सुनने में बातें आतीं है और सुनने वालों को जितनी चटपटी लगतीं है हकीकत बहुत विभिन्न होती है।

कोई शक्ति आप के काबू में आकर क्यों आपके लिए काम करेगी क्या वो आपसे रूहानियत या ताकत में कमज़ोर है या आप के द्वारा दिए जाने वाले भोग के बिना भूखा मरे जा था है बहुत बार ये देखा जाता है कि कोई भी साधना शुरू करने से पहले आपको उस साधना के विषय में जितनी जानकारी होनी चाहिये पहले से साधक जल्दबाजी में उतनी जानकारी एकत्र नही करते और दूसरी बात साधना की सफलता आपके हालात आपके सब्र और कोशिश पर आपकी सफलता निर्भर करती है।

अक्सर किसी साधना को जब को साधक पहली बार करता है तो उससे बहुत सारी प्रैक्टिकल गलतियां हो जाती है कोई भी आदमी जो कोई अनजान हो पहली बार किसी कार्य को करेगा यह बात तो तय है कि वह गलती कर बैठेगा और कई बार हालात अनुकूल नहीं होते 

जिस प्रकार एक छोटा से सुराख से बड़ी नाव डूब जाती है उसी तरह साधना के समय एक छोटी सी गलती साधक की पूरी साधना को बरबाद कर देती है 

किसी भी साधना के पहली बार सफल ना होने पर साधक साधना और साधना देने वाले को शक की निगाह से देखने लग जाता है लेकिन सफलता के लिए उसे क्रमशः तीन बार दुहराना चाहिए। 

अपने उस्ताद या गुरु से सबसे पहले उस साधना के विषय में पूरी तरह जानकारी ले ले फिर अपने गुरु उस्ताद के मार्गदर्शन में ही साधना शुरू करें। मानसिक और शारीरिक रूप से तन्मयता से प्रयास करें आपको आपकी साधना में सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

अगर जिन्नों की बात की जाए तो ये बात अपने दिमाग में सही तरीके से बिठा लें कोई भी शक्ति या जिन्न आपसे किसी भी तरह से कम तर या कमज़ोर नही है 

एक विशेष बात यह है बहुत सारे लोग इन चीजों को देख नहीं पाते चाहे वह पुराने साधकों या नहीं साधकों दृष्टि कुछ ही लोगों के पास होती है ये ईश्वर का इंसान को दिया हुआ एक विशेष तोहफा है।

जब आप किसी साधना को शुरू करते हैं तो उस समय यह ऊर्जा सूक्ष्म रूप से प्रकट होती है धीरे धीरे आपकी आभामंडल तथा आप के आसपास के वातावरण के अनुसार आपकी साधना द्वारा बल प्राप्त करके पुष्ट होती है 

फिर एक समय आता है जब यह शक्ति आपके सामने खड़ी हो जाती है तथा साधक द्वारा कहे गए कार्यों को सिद्ध करती हैं 

यह कभी ना सोचिएगा कि जिसने साधना बताई उसने 1 या 2  दिन की साधना बताई और वो 2 दिन में ही हो जाएगी हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है ऐसी साधना उनको पूर्ण रूप से करने के लिए कई बार छह छह महीने भी लग जाते हैं

यदि हो सक तो सात्विक देव को ही अपना इष्ट देव ग्रहण करें अगर किसी भी इष्ट चाहे वो जिन्न हो या भूत ही क्यों न हो अगर आप सच्ची श्रद्धा से उसकी साधना करेंगे तभी आपको सफलता मिलेगी आपकी श्रद्धा एक अबोध बालक की भांति होनी चाहिए 

सावधान ये कोई हँसी या तमाशा करने की चीज़ नहीं है ये आपके उजड़े हुवे जीवन को आबाद कर सकते हैं और दृष्टता करने पर आपके हस्ते खेलते परिवार को बर्बाद भी कर सकते है

जिन्नों के बहुत सारे कबीले और सरदार होते हैं सभी की इंसानो की ही तरह अपनी अपनी खूबियां होती है और शक्तियां प्राप्त होती है और बहुत सारे जिन्न खतरनाक और क्रूर भी होते हैं 

ये जिन्न कई प्रकार के होते है 
जैसे कि 

पाक जिन्न :- ये जिन्न अपने नाम के अनुसार अपनी इबादत में लगे रहते है और अपने साधक के सिर्फ अच्छे कामों में ही मदद करते है 

नापाक जिन्न :- यह जिन्न भी अपने नाम के अनुसार सिर्फ बुराई के कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं अच्छे काम करना इबादत और नेक कामों से इन्हें परहेज होता है और यह साधक के हर बुरे से बुरे काम को कुछ ही समय में सर अंजाम दे देते हैं

सिफली जिन्न :- इस जिनका नाम सिफली जिन्न इसलिए पड़ा क्योंकि जिस इनके जरिए इस दिन को सिद्ध किया जाता है उसे इल्म को सिफली इल्म कहा जाता है यह  कबीले का जिन्न होता है 

शैतानी जिन्न:- शैतानी ईल्म के द्वारा बुरे कामों को अंजाम देने के लिए इस जिन्न को सिद्ध किया जाता है और यह भी सिर्फ उल्टे काम ही करता है साधक के किसी भी अच्छे काम को यह पूरा नहीं करता 

नूरी जिन्न:- पाक जिन्न और नूरी जिन्न में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता सिर्फ अल्फाज़ का फर्क पड़ता है और यह जिन्न भी अपनी इबादत में ही लगे रहते हैं तथा किसी भी बुरे कार्य को नहीं करते 

हाफिज जिन्न:- ये जिन्न साधक के बड़े से बड़े कार्य को चाहे वो अच्छा हो या बुरा कुछ ही समय में पूरा करदेते है पर अपने कौल करार अर्थात अपने वचन के बहुत पक्के होते है 

इफरीत जिन्न:- ये जिन्न लाटरी सट्टा नम्बर देता है और किसी भी भारी से भारी समान को उठा कर कहीं का कहीं पहुंचा देते है इसकी साधना 40 दिनों की और बहुत खतरनाक होती है जब साधना पूरी होने ही वाली होती है तो साधक बेहद ज्यादा बीमार हो जाता है। 

मुरीद जिन्न :- जिन्न सिफली जिन्न की भांति कार्य करते है और अपने साधक की इच्छा अनुसार हर कार्य को करने में शक्षम होते है 

जादूगर जिन्न:- ये बहुत ज्यादा खतरनाक काला जादू करने के माहिर होते है और और आपमे साधक की इच्छा अनुसार हर भले बुरे कार्य को कर देते है

 तालकोश जिन्न :- ये जिन्न बहुत ज्यादा जिद्दी होते है अगर कोई चूक सकधक कर दे तो नुकसान होने में समय नही लगता

यकनातोश जिन्न:- ये अपने क़बीले का सरदार और बहुत मायावी होता है ये अक्सर गुप्त धन की रखवाली करते है और बड़े बड़े अर्थात सनकी आमिलो अर्थात साधको के ही काबू रहते है

इनकी और भी बहुत सारी अलग अलग श्रेणियां है और अपने स्वभाव शैली के अनुसार साधक के कार्य सिद्ध करते है ये तो बात हुई जिन्नों की कुछ मुख्य प्रजातियों की

ठीक उन्ही में से एक मुखबिर जिन्न भी होते है जोकि बहुत ही चमत्कारिक नेक और नरम दिल होते है अपने साधक को दूर दूर देश दुनिया की खबरें देना इनका काम होता है    
हर घटना हर वस्तु की इने जानकारी होती है अमल पूरा हो जाने के बाद इनसे कुछ भी पूछो ये तुरन्त जबाब दे देते है 
और अपने साधक को सही सही खबर बताते है

अगर कोई काम जानकारी इनकी ताकत से बाहर हो तो ये साफ मना कर देते है वरना बोलते ही नहीं वचन बंदी होने के बाद आप इनकी बातो पर आप ऑख बन्द करके विश्वास कर सकते है 

जरूरी नहीं कि नहीं कि ये मुखबिर जिन्न प्रत्यक्ष प्रत्यक्ष हाज़िर हो ये अप्रत्यक्ष रूप से आपके पूरी मदद करते है बहुत बार ये शूक्ष्म तरिके से अपनी ऊर्जा को प्रकट करते है और मानसिक रूप से साधक को विषय वस्तु के बारे में बताते है अथवा यां फिर साधक को सपने के माध्यम से आगाह सकते है अधिकतर ये साधना सफल हो जाती है।

साधना विधि 

ये साधना किसी भी महीने की नौचन्दी जुमेरात को शुरू की जाती है ये साधना है तो एक दिन की परन्तु तीन बार दोहरानी पड़ सकती है।

तीन सफेद कंचे लेकर उनको घर की छत पर उस जगह रखना है जहाँ पर सारा दिन सूर्य का प्रकाश सीधा  उन पर पड़े सूरज डूबने के बाद ही उन्हें उठाकर सफेद मखमल के कपडें पर रखना है

फिर रात्रि में दस बजे से शुरू करके दो बजे तक ही सारी साधना संम्पन्न कर लें 

((साधना करते हुए साधक का मुख रिज़ाल उल गायब का ध्यान रखते हुए निर्धारित की जानी चाहिए जो कि चांद की तारीख से निर्धारित किया जाता है))

विधि ये है कि (2 मीटर )एक हरे रंग की एक चादर लेकर उस पर बैठे 

फिर अपने सामने एक और हरे रंग की और चादर बिछाये उस पर एक सवा तीन इंची चौडा सवा तीन इंची  हरे रंग का मखमल का कपडा बिछाये और उन पर वो तीनो कंचे रखने है।

सबसे पहले मन ही मन अपने गुरु उस्ताद को सलाम करें   फिर उसके बाद हजरत सुलेमान को सलाम करना है फिर दोनो से प्रार्थना करें कि मैं मुखबिर जिन्न साधना कर रहा हू आप उसे मेरे पास भेजने की कृपा करें और मेरी साधना सफल कीजिये

फिर पॉच बार "बिस्मिल्लारहमानरहीम" बोलना है 

उसके बाद 3 बार "अस्लामवालेकुम या मुखबिर जिन्न" बोलना है 

फिर को ज़ोर ज़ोर से 7 बार "हाज़िर हो ऐ जिन्न बादशाह मुखबिर जिन्न" बोलना है 

फिर उसका भोग नज़राना देकर वहाँ लोहबान सुलगाना है ऊद का इत्र चढ़ाना है रूई की गोली बनाकर कन्चे पर इत्र लगाना है 

पांच अगरबत्ती गुलाब वाली लगाकर देसी घी का दिया जलाना है 
5 देसी गुलाब के फूल चढ़ाने है। 
थोड़े मिश्री के दाने,कुछ सफेद मिठाई। 
थोड़ी दूध की बनी सिवाइयॉ।
2 गुजिया और पानी मुखबिर जिन्न को समर्पित करें।

अगर ये साधना तामसिक करनी हो तोआप कीमा कोरमा बिरयानी तीन चार तरह की मांस मीट से बने हुये व्यंजन भोग मे देने है एक जोड़ा सिगरेट भी चढ़ानी है रम या कोई अंग्रेजी शराब चढ़ा दें 

मनट जाप के पहले और बाद में पांच बार दरूद पढें उसके बाद मंत्र का जाप करें  

अगर तामसिक साधना करनी हो तो दरूद पढ़ने की जरूरत नहीं है।

अगर सात्विक साधना कर रहे हैं तसबी से जाप करें
अगर तामसिक करनी हो तो काली हकीक की माला सें मंत्र का जाप करें 

निर्धारित समय पर सात सौ सतेत्तर बार जाप करना है न एक कम न ही एक ज्यादा होना चाहिये।

मुखबिर जिन्न का मंत्र

या गनियू या रकीबू या मुखबिर जिन्न हाजिर शू।

अगर जाप में कुछ भयानक आवाजें सुनाई दें जो कि अक्सर सुनाई देती हैं तो आप बिलकुल न डरें 

फिर दो माला जप हो जाने पर कन्चे रगड़ने की सी आवाजे आयेगी। कई बार किसी के भयंकर हंसने  की आवाजें भी आ सकती है।

पांच माला होने पर कमरे मे एक भयानक चेहरा घूमता दिखाई दे सकता है आपको उससे बिलकुल नहीं डरना है बल्कि ये वही जिन्न है जिसके लिए आप ये साधना कर रहे है जाप पूरा हो जाने पर उस जिन्न से बातचीत करें जब वो बात करें तो होशियारी से उससे वचन मांग लें कि मे जब मैं आपको बुलाऊँ तब हाज़िर होकर मैं जो कुछ आप से पूछुं उसके बारे मे बता देना। जब वो आपको अपनी निशानी और बुलाने का तरीका आपको बता दे फिर जाप पूरा होने के बाद वहीं कमरे में ही सो जाएं।

सुबह वो तीनों कंचे मखमल के कपड़े सहित संभालकर किसी बर्तन में या पात्र में रख लें। 

जब कभी भी जिन्न को बुलाना हो तो उन तीनों कंचों को आपस रगड़ते हुए कुछ देर मंत्र पढ़े तो जिन्न हाजिर होगा और जो पूछोगे बता देगा।

जब आपको कोई विशेष काम की जानकारी लेनी हो तभी इस जिन्न को बुलाना चाहिये जब कहीं बहुत जरूरत हो तब इसका प्रयोग करना चाहिये हर छोटी मोटी बात के लिये मुखबिर जिन्न को नही बुलाना चाहिये।

अगर किसी कारण से जिन्न प्रत्यक्ष नही होता तो उससे मानसिक बाते करनी चाहिये वो सभी जबाब मानसिक दे देगा।

और ये भी कि उन कंचों की डिब्बा को लेकर जो सवाल हो वो कागज पर लिखकर उनके साथ रखकर सिरहाने रखकर सो जाये सपने मे जिन्न सारी जानकारी दे जायेगा।

ये उस आमिल या साधक के ऊपर है कि उसके पास किस तरह से जिन्न आता है और बताता है 

ये साधना मात्र एक दिन की है लेकिन इसका कुछ दिन और जाप किया जायेगा तो परिणाम बहुत बेहतर आता है 

एक महत्वपूर्ण सावधानी ये है कि साधना को पूरी तरह से गुप्त रखें 

सारी सामग्री एक दिन पहले ही लेकर रख लेनी चाहिये 
कंचे एक दिन पहले ही लेकर रख देनी चाहिये और उन्हें सुबह प्रात होते ही धूप में रख देना चाहिये किसी ऐसी जगह पर जहाँ पर सारा दिन धूप रहें 

भोग सामग्री हमेशा ताजा और शुद्ध अर्पित करें तो बेहतर होगा अगर हो सके तो घर पर ही बनाये। 

रक्षा मंत्र :-आयतल कुर्सी कछ कुरान अग्गे पिच्छे तू रहमान  धड़ खुदा रख सिर सुलेमान अली की दुहाई अली की दुहाई अली दुहाई।

इस मंत्र द्वारा शरीर बांध जा सकता है और घेरा भी खींचा जा सकता है।

अगर शरीर बांधना हो तो 101 बार पढ़कर छाती या सीने पर तीन बार फूंक मार लें।

अगर घेरा लगाना हो तो 108 बार पढ़कर बिल्कुल नए नोकीले चाकू पर 3 बार फूक मार दें और उस चाकू द्वारा ज़मीन पर अपने चारों तरफ गोल घेरा खींच ले और उस चाकू को ज़मीन में गाड़ दें जब घेरे से बाहर आना हो तो उसी चाकू से घेरे को तीन जगह से "पोश पोश" बोलकर काट दें  और घेरे से बाहर आ जाएं।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...