गुरुवार, 12 दिसंबर 2019

दृष्टि पिसाच सिद्धि


सामान्य तौर पर सिद्ध साधको द्वारा भूत भविष्य वर्तमान जानने के लिए कर्ण पिशाचिनी की सिद्धि प्राप्ति के लिए साधना कि जाती है लेकिन बहुत सी और भी शक्तियों की या योग की साधना द्वारा ये सभी कुछ संभव है।उसी श्रेणी में वर्तली देवी की साधना शहज़ाद साधना हमज़ाद साधना हाज़िरात की साधनायें बहुत सी साधनायें है उन्हीं में से एक साधना है जिस तरह कर्णपिशाचिनी साधक के सभी प्रश्नो के उत्तर कान में बोल कर देती है उसी तरह ये पिसाच साधक के सभी प्रश्नों के उत्तर में दृश्य दिख देता है

******।(दृष्टि पिसाच की साधना)।*******
कोट कोट पे खेले डाल डाल पर झूले ताल ताल को सुखाये भूत भविष्य को बताए तीर पे तीर चलाये चलाये के पूर्व जन्म को ना बताये तो दृष्टि पिसाच ना कहाये बंद खुली आँखन से बताये सही गाँव संवत जाट धर्म गैल को नेत्रन से न बताये तो अपनी माँ की सैय्या तोड़े वा के चीर पे चोट करे आन कालिका की बंदगी महाकाल शंकर की मेरी भगती गुरु की शक्ति मन्त्र साँचा फूलो मन्त्र ईश्वरी वांचा।।

*******।विधि।******

चंद्र या सूर्य ग्रहण से 10 रोज पहले पाकड़ के पेड़ या बरगद के पेड़ के नीचे जाकर गुरु गणेश शिव जी की पूजा करें और प्रतिदिन एक हज़ार की संख्या में जाप करना शुरू कर दें फिर जब ग्रहण वाला दिन आये तो आपको उपवास रखना होगा और प्रतिदिन की भांति उसी पाकड़ के पेड़ के नीचे जाकर विधि पूर्वक बैठ कर साथ में कोई शस्त्र रख ले और उसदिन लगातार 51 माला जाप करें अनुभव के लिए तैयार रहें सामने आने पर उससे वचन ले लें।पूर्णत्या ब्रह्मचारी रहें गाय और कुत्ते की सेवा करें भूमिशयन और ईष्ट की तरफ ही ध्यान केंद्रित करें । झूठ कपट क्रोध हिंसा काम की तरफ ध्यान नहीं दे साधना काल में एक समय रात्रि को ही सात्विक भोजन जोकि खुद तैयार किया गया हो वही ग्रहण करें।ये साधना सिर्फ गुरु निर्देशन में ही करें।बिना गुरु के अगर कोई बुद्धि मान ये साधना करेगा तो अपने आशुभ फल का उसका स्वय ही उत्तरदायी होगा।
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