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शनिवार, 24 अगस्त 2019

माता मैदानन के दर्शन एवं सिद्धि प्राप्त करने की साधना।

माता मैदानन की सिद्धि। प्रिय मित्रो आज मैं आप को एक अति गुप्त मैदानन माता की साधना देने जा रहा हु वैसे तो माता की सिद्धि प्राप्त करने के लिए बहुत सारे अन्य तरीके हैं जैसे माता जी के थान पे जाकर जाप करना होता है जिसमे खाली साधक को हवा रूपी सिद्धि प्राप्त होती है लेकिन माता जी के दर्शन लाभ के जिज्ञासु बहुत सारे साधक है।और ये साधना माता मैदानन की दर्शन कृपा प्राप्त करने के लिए अतिविशिष्ट साधना है बहुत सारे भोग माता को लगाए जाते है लेकिन साधारण सी सामग्री से आपको माता के साधन के लिए ये साधना दे रहा हूँ हर एक साधक के ज्ञान आस्था और भगति एक स्तर होता है ये एक उच्च स्तर की साधना है बिना गुरु के और बिना घेरे के इस साधना को की बुद्धिमानी करने की कोशिश करना आत्महत्या के बराबर होगा। ***।नियम।।*** पहला और सभसे ज्यादा जरूरी नियम है 41 दिनों का अज्ञात वास। साधना के दौरान आपको किसी की भी मृत्यु और जिस घर में किसी का जन्म हुआ हो तो साधक वह नही जाएगा। आपने भोजन को खुद बनाना है और वस्त्र खुद साफ करने है। इसमे समय 41 दिन का लगता है जाप का समय रात्रि 10 से 1 बजे मध्यरात्रि का होता है। आसन लाल रंग का होगा ,वस्त्र भी लाल ही होंगें। माथे पे कुमकुम का टीका लगाना है दाएं कान में रूई में ईत्तर गुलाब,चमेली या मोगरा लगाकर रखना है। सात्विक भोजन करना है और वो भी एक समय साधना काल में एक सरसों तेल का दीया दिन रात जलता रहेगा। साबुन तेल कंघी उस्तरा नही लगाना बिना सिले वस्त्र पहनकर साधना करनी है और साधना के लिए एक गोपनीय कक्ष का प्रबंध पहले से ही कर लें जाप के समय पूजन करें और जाप के समय धूफ इत्यादि का प्रबंध करें दिन में कम से कम 2 घंटे त्राटक करते हुए मन्त्र जाप करें अपने मन में नाकारात्मक विचार ना रखें और पुर्णतया ब्रह्मचर्य का पालन करें भूमि पर ही सयन करें साधना के दौरान किसी भी गर्म तासीर के भोजन का प्रयोग ना करें माता जी के भजन कीर्तन करते हुए ही समय यापन करें। एक एकान्त कमरे में पूर्वाभिमुख होकर एक आम की पटरी पर लाल रंग का वस्त्र बिछा कर माता की फ़ोटो रखकर रक्त पुष्प माला डाले और कलश स्थापना करें फिर एक सरसो के तेल का दीया और एक देशी घी का दीपक प्रज्वलित करें माता का करुण भाव से आवाहन और स्थापन करें सामान्य रूप से पूजन करने के उपरान्त सिद्धि प्राप्त करने के लिए माता जी के सामने संकल्प लें और घेरा लगाकर साधना करें और कोई भी साफ माला 108 दानों वाली लेकर रात्रि में इस निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। उससे पहले गणेश जी और अपने गुरु जी के मंत्र की 5-5 माला जाप करें जितनी भी सामग्री का प्रयोग करें वो सामग्री किसी अन्य देवता की पूजा में प्रयोग ना किया हो। नित्यप्रति गाय के गोबर की आग पर देसी घी गुग्गुल बतासे मिलाकर होम करें। एक लाल ध्वजा,एक नारियल,एक लोटा जल,(एक फूल माला,11लौंग,11 छोटी इलायची,11 गुलाब के फूल ,माता जी का सोलह सिंगार,5 लड्डू,जोड़ा खंमनी,5 बतासे,11 गुलगुले 11 मालपुये,250 मिक्स मिठाई) एक शराब का पव्वा, और थोड़ा सा हलवा,ये सामान प्रतिदिन आपको बदलना है और चढ़ाये हुए सामान को किसी निर्जन उजाड़ में रख देंना है। दूसरे दिन फिर से नया सामान चढ़ाना है बिना घेरा लगाए ये साधना बिल्कुल नहीं करनी। ~~*~~~*~~~*~~~*~~~~*~~~*~~~*~~~ ***।। घेरा मन्त्र।।*** आसन कीलां, बासन कीलां कीलां अपनी काया,जगदा मसाण कीलां अपनी छाया,आयतुल कुर्सी कच्छ कुरान आगे पिछे तु रहमान धड़ राखे खुद सिर राखे सुलेमान दुहाई अलिमौला दी, उपरोक्त मन्त्र को एक माला जाप करके आपने जिस्म पर फूंक मार लें। ~~*~~*~~*~~~~*~~*~~*~~~~*~~~~*~~ फिर निम्न लिखित मन्त्र से लगातार त्राटक करते हुए खुली आँखों से जाप करना है इस से आपको जबरदस्त रूहानी नज़र प्राप्त होगी। ~~~~*~~~~*~~~~*~~~~~*~~~*~~~~*~ ~~~~*~~~~*~~~~*~~~~~*~~~*~~~~*~ माता का सिद्धि मन्त्र:- ॐ नमो आदेश गुरु को,माई मदानण बंगालन पाप छोड़ ,धर्म पर आये, कलकत्ते खेड़े नु मन्नके थान धनेशर नु मन्न के नागे गुरु ने मन्न के मेरी चले चलाये ना चले तां लूना चमारी के नरक कुंड चे गिरे,चले मन्त्र पुरो वांचा देखां माई मदानण बंगालन तेरे काले ईल्म दा तमाशा। *~~~~*~~*~~*~~*~~*~~~~*~~~~*~~~* ~~~~*~~~~*~~~~*~~~~~*~~~*~~~~*~ प्रतिदिन 5,7,9,11,21,31,41,51, माला अपनी सामर्थ्य के अनुसार करें और माँ के न्याय पर पूरा भरोसा रखें। मैने अपनी तरफ से आपको पूरी तरह से समझने का प्रयास किया है फिर अगर समझने में कोई कमी रह गयीं हो तो क्षमा मांगता हूं अधिक जानकारी के लिए आप मेरे व्हाट्सएप नम्बर 8194951381 पे संदेश भेजकर संपर्क कर सकते हैं।आपसे निवेदन है कि कृपया व्हाट्सएप काल वाईस कॉल और वीडियो कॉल ना करें।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...