गुरुवार, 16 सितंबर 2021

पित्र साधना

दुनिया में ऐसा कोई घर नहीं है जिस घर में पित्र का पूजन ना होता ये एक ऐसी शक्ति है अगर प्रसन्न हो तो खुशियों के ढेर लग जाते हैं अगर नाराज हो जाये तो आदमी का इतना बुरा हाल होता है कि एक समय का भोजन भी नही मिलता आदमी दर दर की ठोकरें खाता है कोई सहारा नहीं बनता चमत्कार जो आप अपने जीवन में होते हुए देखते हैं वह सभी किसी न किसी शक्ति के माध्यम से हमारे जीवन में होते हैं ऐसे ही चमत्कार नहीं होते उनके पीछे शक्तियों का हाथ होता है बिना परिश्र्म किए कुछ नहीं मिलता और बिना शक्तियों के कोई चमत्कार नहीं होता एक दो बार होगा तो हो सकता है कि वह एकमात्र संयोग हो लेकिन बार-बार संयोग नहीं हुआ करते इसीलिए आपको मैं एक ऐसे मंत्र से अवगत कराने जा रहा हूं जिससे आपको आपके पित्र की कृपा प्राप्त होगी एवं आपके जीवन में आर्थिक पक्ष मजबूत हो जाएगा और जीवन उत्थान की तरफ बढ़ेगा यहां इसलिए के रूप में मंत्र ही नहीं अपना आशीर्वाद भी आपको दे रहा हूं


ॐ गुरु जी
पित्तर चले पौन 
तेरे संग कौन-कौन 
चिट्टा काला भैरों चले 
बावनवीर चले 
चौसठ योगिनी चले 
अस्सी मसान चलें 
चौरासी कलवे में चलें 
थड़े का पीर चलें 
काशी का कोतवाल चलें 
कलकत्ते खेड़े की रानी चलें 
शीतला मसानी चले
वीर हनुमान चले
नरसिंह बलवान चले
गुरु गोरख की आन चले
ना चले तो अपनी माता के सेज़ पर पैर धरे।
आन आन आन माता लोना चमारी की आन।

इस मंत्र की सेवा अर्थात साधना 40 दिनों की है 

इसमें आपको घर में एकांत स्थान पर सवा हाथ जमीन गाय के गोबर से लीप कर गोल चौका लगाना है 

चौका लगाने के बाद वहां पर आपको आम की एक पटरी लेकर उस पर सवा मीटर सफेद कपड़ा बिछा देना है 

उस बिछे हुए सफेद कपड़े के ऊपर चावल की एक ढेरी लगानी है 

उस के ऊपर आपको सरसों के तेल का एक दिया जलाना है 

एक अन्य दिया तिल के तेल का चलेगा 

वहां पर पित्र के निमित्त पांच मर्दाना कपड़े और पांच स्त्री के कपड़े मिठाई फल फूल पान 11 कौड़िया 4 पीस मौली के यह सभी भोग सामने धरे खीर पूरी हलवा अपनी शक्ति के अनुसार धरें अगर किसी के पित्तर शराब पीने के शौकीन रहे हों या कुछ खाते पीते रहे हो तो वो समान धरें।

सफेद फूलों की माला भेंट करें गूगल की धूनी दें लौंग और बतासे  का देसी घी से होम करें 

घेरा लगा कर कंबल के आसन पर पूर्वाविमुख होकर 

इस मंत्र का दो माला प्रतिदिन जाप करें।

अंत में यह वस्त्र अपने पास एक साल के लिए संभाल कर रख लें ।इन वस्त्रों को एक बार जहां रख दिया वहीं पड़ा रहने दें छेड़ छाड़ ना करें एक साल बाद ये वस्त्र किसी वृद्ध को भोजन करवा कर दे दें और उसके स्थान पर नये वस्त्र उक्त विधि के अनुसार रख दें आपके पित्तर शूक्ष्म रूप से आपके साथ चलने लगेंगे 

अगर कोई भगत हो और अपने पित्र की पौन अर्थात सवारी लेना चाहें तो उसे भी यही कार्य इसी प्रकार करना होगा।
आपके जीवन में यह साधना करने के बाद हर कार्य का संतोष जनक परिणाम प्राप्त होगा।

श्री झूलेलाल चालीसा।

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