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बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

भूत सिद्धि कच्चा कलवा

भूत की सिद्धि।
आत्मा को काबू में करने के लिए बहुत सारी साधनाएं हैं शूद्र योनि के प्राणियों की जो साधनाये की जाती हैं 

जिससे साधक अपने मनोवांछित कार्य संपन्न करवा सकता है और ऐसी चीजें जो देखने में असंभव से प्रतीत होती हैं उसे वास्तविक रूप से संपन्न करवा सकता है सालों का काम पलक झपकते ही हो जाता है 

धीरे-धीरे यह जो विद्या अथवा जानकारी दम तोड़ रही है तो इसलिए जानकारों का यह कर्तव्य बन जाता है कि ऐसी साधनाएं जो कि समाप्त होती जा रही हैं उनको प्रकाश में लाया जाए।

भूत प्रेत डाकिनी शाकिनी खबीस खबीस और ऐसे निम्न श्रेणी की आत्माएं जिनकी साधना करने में साधक को बहुत अधिक परहेज करने की आवश्यकता नहीं होती और इन साधनों के बहुत ज्यादा नियम भी नहीं हुआ करते इसलिए यह साधनाएं वर्तमान के समय में बहुत अधिक प्रचलित हो रही हैं 

देश काल के अनुसार साधक अपने परिश्रम और विश्वास के अनुरूप इन साधनों से लाभ प्राप्त कर सकता है लेकिन ऐसी साधनाएं जिनमें 100% सफलता साधक के गुरु के मार्गदर्शन पर निर्भर करती हैं।

अगर यहां कोई साधना कम समय में बताई गई है और साधक को थोड़ा अधिक समय लग रहा है तो धैर्य बनाकर रखना चाहिए क्योंकि पर आएं ऐसा देखा गया है कि जिस साधना को 21 दिन की बताया जाता है साधक की मानसिक और शारीरिक आध्यात्मिक ऊर्जा के कम होने के कारण अधिक समय भी लग सकता है ऐसी साधना ही कई बार 2 या 3 महीने भी ले सकती है यदि उस समय साधक के पास गुरुद्वारा प्राप्त मार्गदर्शन नहीं होगा साधक अच्छी खासी समस्या में फंस सकता है और उसके जीवन का बहुत सारा समय बर्बाद हो सकता है उसे आर्थिक शारीरिक और मानसिक कष्ट प्राप्त हो सकता है इसीलिए गुरु के मार्गदर्शन में ही ऐसी साधनायें करें

आज एक ऐसी साधना यहां प्रकाश में लाने जा रहा हूं जोकि साधना ओं में पहले पायदान की साधना है यानी अगर कोई ऐसा साधक जिसको अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त है एवं वह साधक साहसी है और व्यवहारिक है तो यह साधना ऐसे साधक के लिए बहुत लाभदायक हो सकती है।

ऐसे साधक जिनके अंदर धैर्य की कमी हो और बहुत जल्दबाजी वाले उनको यह साधना नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनको इसके कोई परिणाम प्राप्त नहीं होंगे सूखी लकड़ी में आग होती है दिखाई नहीं देती परस्पर दो लकड़ियों को लेकर यदि घर्षण किया जाए तो निश्चित एवं पर्याप्त समय के बाद उनमें आग उत्पन्न हो जाती है।

यह साधना हालांकि सिफ़ली है लेकिन परहेज कम होने के कारण इससे बहुत अच्छा लाभ उठाया जा सकता है हालांकि इसके करने में समय भी बहुत कम लगता है लेकिन कई बार साधक की गलती के हिसाब से इसको तो से तीसरी बार दोहराना पड़ सकता है तब भी बहुत अधिक समय नहीं लगता।

इस साधना का समय मात्र 7 दिन का है 

यह साधना कृष्ण पक्ष में बुधवार को की जाती है।

इस साधना में प्रतिदिन दिए जाने वाला भोग सवा पाव बर्फी खुशबूदार फूल सेंट अगरबत्ती और गुलाब जामुन दो पीस आपने घेरे के अंदर ही रखने हैं जाप संपन्न होने के उपरांत आपको वह पानी और यह भोग मदार की जड़ में ही रख देने हैं।

इसके लिए आपको ऐसा स्थान चुनना चाहिए जो कि वीराने में हो और पास ही कोई कब्रिस्तान हो वहां कोई पुराना मदार का पेड़ होना चाहिए

इस साधना को करते समय इसके विषय में किसी को ना बताएं वरना यह साधना पूरी तरह से बेकार हो जाएगी।

इस साधना की पहली और बड़ी जरूरी शर्त यह है की जब इस साधना को करें किसी उस्ताद या गुरु की इजाजत के बिना ना करें वरना आपको हर बार नाकामी हासिल होगी।

प्रातः काल सौंच जाने के बाद में जो पानी बच जाए उसे आपने संभाल कर रख लेना है। किसी काले कपड़े से उसको ढक कर रखना है ताकि उसपर सूर्य की रोशनी बिल्कुल ना पड़े।

इस साधना में नहाने धोने यहां बहुत साफ सुथरा रहने की आवश्यकता नहीं है हां लेकिन आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ेगा।

रात्रि में 10:00 बजे आपने निश्चित स्थान पर जाना है   पहले आपको अपना हिसार करना है और पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करके मदार के पेड़ की जड़ के पास बैठ जाना है।

जो पानी आपने प्रातः काल बचाया था उस पानी को भी अपने साथ ले जाना है उसके बाद काले हकीक की माला से तीन माला निम्नलिखित जाप आपने करना है जाप के उपरांत वह पानी आपने मदार की जड़ में डाल देना है और चुपचाप बिना पीछे देखे घर वापस आ जाना है चाहे कोई कितनी भी आवाज पड़े कितनी भी भयंकर शक्ल आपको दिखाई दे आपने डरना नहीं है अगर आप डर जाओगे तो आपका मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा।

इस साधना के दौरान आपको बहुत ही शांत रहना है और अपने धैर्य का परिचय देना है उपरोक्त बताए के अनुसार आपको 7 दिन तक यह साधना नित्य रात्रि को बिना नागा बिना स्थान का परिवर्तन किए हुए एक ही समय पर लगातार करनी है वस्त्र कोई भी पहन सकते हैं आसन कोई भी प्रयोग किया जा सकता है। साधना के तीसरे दिन छोटे-छोटे शैतान बच्चों के लड़ने झगड़ने की खेलने चिल्लाने की आवाजें आनी शुरू हो जाती हैं उसके उपरांत जैसे-जैसे आप साधना में आगे बढ़ जाते हैं यह चीजें और भी अधिक डरावना रूप धारण कर लेती हैं 

यदि साधक विचलित नहीं हुआ तो यह साधक को पांचवें दिन डराने की कोशिश करता है छठे दिन भी ऐसे ही होता है सातवें दिन कुछ समय दौरान कराने के उपरांत यह बालक जो कि वास्तविक रूप से भूत होता है एक काले 12 से 17 साल के लड़के के रूप में सामने आ जाता है और साधक को धमकाने की कोशिश करता है लेकिन यदि साधक निडर हो और धैर्यवान हो तो ही सही रहता है क्योंकि यह आते ही भोजन मांगता है 

आपको उस समय ना तो धीरे से बाहर निकलना है और ना ही जा पूरा होने तक इस से बातचीत करनी है चाहे कितना ही चिल्लाये उसके उपरांत यह मजबूर हो जाता है साधक को वचन देने के लिए और कायदे से आराम से बात करता है।
जब यह वचन देने के लिए तैयार हो जाए तब साधक को बड़ा सोच समझकर इसके साथ वचन बंदी कर लेनी चाहिए और इससे निशानी लेनी चाहिए इस को बुलाने का तरीका काम करवाने का तरीका काम करवाने के एवज में दिए जाने वाला भोग उसको देने का तरीका यह सब पहले दिन ही पूछ लेना चाहिए वचन लेने के उपरांत यह गायब हो जाएगा।

साधक को ही इसके होने की समझ रहेगी दूसरा इसको नहीं समझ पाएगा चाहे कोई कितना भी बड़ा तांत्रिक क्यों ना हो 

यह चीज हमेशा याद रखिए गा यदि आप इससे कोई अनुचित कार्य करवाते हैं तो वह करवाया गया अनुचित कार्य का दण्ड कभी ना कभी जीवन में आपको या आपके अपनों को भोगना ही पड़ेगा

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किसी भी कार्य को जो कि बड़े से बड़ा भी हो इस साधना के संपन्न होने के बाद आप कुछ ही समय में संपन्न कर सकते हैं
दो शत्रुओं में जबरदस्त झगड़ा करवाना और झगड़े को समाप्त करवाना।
इसके जरिए किसी का वशीकरण करना 
किसी के व्यापारिक स्थल या कार्य  को  खोलना या बांधना
अपने जीवन में धन की कमी को पूरा करना लाटरी सट्टा मटका के अंक प्राप्त करना
हालांकि इस साधना के संपन्न होने के बाद आप भूत प्रेत बाधा ग्रसित रोगी का इलाज कर सकते हैं लेकिन इसके साधक को ये नही करना चाहिए क्योंकि इसके बाद साधक को शारीरिक रूप से कष्ट प्राप्त होने लग जाते हैं। और कुछ समय बीतने के बाद साधक की सिद्धि नष्ट हो जाती है।

इस साधना में प्रयुक्त होने वाला मन्त्र निम्लिखित दिया गया है:-
कबरां चिट्मचिट्टिया           विच खेडन बाल।
मैं बालां नु आख्या       करो किरपा किर्पाल।।
मेरे वैरियां दे कोठे ढाह के आओ जिन्दरे मार।
जे भूत तुसां सच दे,           सच देवो दिखा ।।
चले मन्त्र फुरो बांचा। देखां पीर उस्ताद तेरे इल्म दा तमाशा।।

इस साधना में प्रयोग होने वाला कवच आपको व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने के उपरांत मिलेगा।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...