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शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

।।आकाश कामिनी की सिद्धि।।

।।आकाश कामिनी की सिद्धि।।
आकाश कामिनी आकाश मोहिनी आकाश भवानी इस नाम को आप साधकों ने शायद कम ही सुना होगा।आपके ज्ञान के लिए बतादूँ ये देवी वर्ग की शक्ति है बहुत ही ज्यादा खतरनाक और शक्तिशाली देवी है ये इनकी साधना बहुत ही गुप्त ये देवी आकाश में ही वास करती है और इसका भोग भी आकाश में ही देना होता है। मेरे साधनाकाल के लंबे अनुभव में मुझे इस देवी नही मील किस्मत से उत्तरप्रदेश के रहने वाले एक सज्जन पुरुष के माध्यम से उनके एक ओझा मित्र से मुलाकात करने का अवसर मिला तो पता चला कि उनको माता आकाश भवानी का आशीर्वाद प्राप्त है और माता उनके द्वारा हर प्रार्थना को कुछ ही समय में पूरा कर देतीं है।तो मेरे मन में उन साधकों के विषय में विचार आया जिनके पास आकाश कामिनी का मंत्र नही है उनमें से कुछ सज्जनो की इष्ट या कुलदेवी ही आकाश कामिनी है मेरे पास एक मंत्र माता का पड़ा हुआ था उससे मैंने पांच सात बार काम भी लिया लेकिन अधिक नही।
विधि और मन्त्र पहले वाली वीडियो में नही था लेकिन अपनी कमी को सुधारते हुए मैं आपको एक मंत्र और उसकी विधि इस वीडियो में डाल रहा हु दीवाली से 11 दिन पहले ही इसका जाप शुरू कर दें इस देवी का रूप अद्भुत मनोहारी है लेकिन इनकी शक्ति बहुत भयंकर  इस मंत्र की पांच माला रोज़ाना जाप रुद्राक्ष की माला से करना है और इसका भोग बहुत ही अद्भुत तरीके से दिया जाता है पहले बांस की तीन खपच्चियों या लकड़ी से एक तिपाये का निर्माण किया जाता है फिर उस तिपाये पर एक मिट्टी का कोसा टिकाया जाता है उसमें गाय के गोबर की आग जलाकर (हवन सामग्री+पांच मेवा+शक्कर मिलाकर) हवन 108 आहुति इसी मन्त्र से देना होता है आकाश कामिनी माता का दीपक भी उपरोक्तानुसार ही जलाया जाता है और
पक्की धार पहले डीह देवता फिर काली माई को और फिर आकाश कामिनी माई को दी जाती है यहां एक चीज़ स्पष्ट कर देता हूं कि धार क्या होती है दुर्गा सप्तसती में देवी के निमित होम बलि और अर्घ इन तीन चीज़ों का विशेष महत्व है।अर्घ को देवी के प्रति उसी प्रकार से समर्पित किया जाता है जिस प्रकार सूर्यनारायण को अर्घ दिया जाता है। उस अर्घ को ही धार या ढ़रकोणा क्षेत्रीय भाषा में बोला जाता है फिर ये अर्घ भी दो प्रकार का होता है।
1.कच्ची धार ।
2.पक्की धार।
कच्ची धार :-एक लोटे में साफ जल में कुछ गंगा जल मिलाकर सबूत कच्चे चावल,गुड़ या शक्कर,2,5,7 या 9 लौंग,दो फूल अड़हुल के या गुड़हल के ना मिले को गुलाब या कनेर भी चलेगा। इसको आपने कार्य के निमित देवता के नाम पर अर्पित करने सी अद्भुत एक ताबड़तोड़ फल की प्राप्ति होती है।
पक्की धार:-देवता के निमित्त विशेष फल की प्राप्ति के लिए
पांच मेवा को जौकुट करके कच्ची हल्दी की जौकुट करके एक लोटा बढ़िया साफ तरीके से माँज कर गंगाजल मिश्रित जल से भरना है फिर पांच मेवा और हल्दी थोडासा सिन्दूर,गुड़ शक्कर या चीनी,अक्षत 2, 5, 7 या 9 लौंग और अंत में जोड़ा अड़हुल अथवा गुड़हल के फूल डाल कर अर्घ देवता के प्रति समर्पित करना है अगर रोगी है तो रोगी के सिर के ऊपर से उतारकर देवता को सच्चे मन से याद करते हुवे समर्पित करना है। यह तो था धार देने का तरीका अब इस मंत्र के बारे में बात करते हैं जोकि अकाश कामनी माता की साधना का मंत्र है इस साधना को करने वाले साधक के ऊपर माता आकाश कामनी की कृपा होती है अगर किसी साधक की कुलदेवी या इष्ट देवी आकाश कामनी माता है तो उसके ऊपर विशेष कृपा होती है देवी की और सभी कार्यों को माता निर्विघ्न संपन्न करती है अपने कार्य के निमित्त जब साधक माता को याचना करेगा तो उसके कार्यों की पूर्ति होगी यह एक अद्भुत गुप्त और असाधारण साधना है।
यह आकाश कामनी माता का गुप्त मंत्र है और शक्तिशाली मंत्र है इतना शक्तिशाली कि इसको 108 बार करने से ही इसकी शक्ति का पता चलने लग जाता है यह मुझे अकाश कामिनी माता के एक साधक से मिला है जोकि उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं और उनके पास अकाश कामिनी माता साक्षात रहती हैं और उनके सभी कार्यों को पूरा करते हैं आकाश कामनी माता की यह लक्षण होते हैं कि जब इन का आवाहन किया जाता है। इस साधना के कुछ नियम में आपसे बता रहा हूं उन नियमों को ध्यान में रखते हुए दिवाली से 11 दिन पूर्व से यह साधना शुरू की जानी चाहिए आर माता का भोग बांस की खपचीयों द्वारा बनाए गए त्रिपाई के ऊपर टिकाए हुए मिट्टी के कोसे में आग जलाकर ही देनी चाहिए।
उसी प्रकार वैसे ही टिपाई पर्कोसा रखकर उसने देसी घी का दीपक माताजी के निमित्त आपको देना है।
लोंग इलायची सुपारी जायफल कपूर नींबू जो कुछ भी आपको माता को भेंट चढ़ा नहीं है वह उसने तिपाई पर ही दी जाएगी।
5 माला प्रतिदिन जाप के बाद 108 आहुति इस मंत्र से देकर पूजा सम्पन्न करें।
पीला रंग का आसन वस्त्र ।
पूर्व की ओर मुख ।
रुद्राक्ष की माला।
ब्रह्मचर्य का व्रत धारण करना क्योंकि इस साधना में साधक खुद ही द्रवित होता है उससे बचने के लिए माता के चरणों का ध्यान करें।
और माता के चरणों में ध्यान रखना।
आपको सिद्धि दिलवाएगा ।
जब तक यह साधना करें इस साधना के विषय में किसी को भी कुछ ना बताएं ।
सिर्फ गुरु आज्ञा से ही यह साधना करें।
इसकी देवी रुष्ट होने पर साधक के प्राण तक ले लेती है। इसलिए बिना गुरु की आज्ञा के या बिना गुरु के अनुमति के इस साधना को ना करें।
प्रतिदिन पहले डीह, फिर काली माई ,फिर आकाश कामनी, के निमित्त आपको प्रतिदिन सुबह-शाम अर्घ देना है।

**।।आकाश कामिनी का मंत्र।।**
ॐ नमो कंस के हाथ से छूट भवानी।।जा आकाश विराजे,
दसों दिशा को बांध भवानी।।नमो आकाश कामिनी,
अष्टभुजी तेरा स्वरूप ।।सरर से आये सट्ट से जाये,
देश-विदेश की खबर बताये।भगत जनों के काज बनाये
ना आये माता तो सातों डाली शीलता की आन,
माता बिंध्याचलवासिनी माता काली की आन,
लोना चमारी की विद्या फुरै छू। कनक कामिनी फूलों का हार,आकाश कामिनी करे शिंगार। तन मोहे मन मोह मोहे सारा देश,सात जात की विद्या मोहे। सभ जन को ना मोहे आकाश कामिनी तो दुहाई माता काली की चौसठ योगिनीयों की आन,लोना चमारी की विद्या फुरै छू।
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