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गुरुवार, 2 जनवरी 2020

तीसरी आँख को खोलने की साधना।

    
  *।।। तीसरी आँख खोलने का अनुष्ठान ।।।*

○तीसरी आंख को खोलने का एक नायाब और आजमाया हुआ अनुष्ठान में आपको बताने जा रहा हूं साधना के क्षेत्र में यह बहुत ही कीमती अमल है। इसका प्रयोग कभी भी खाली नहीं जाता सादर की अध्यात्मिक शक्ति के आधार पर किसी की तीन, किसी की दस, किसी की पन्द्रह, यह किसी भी कम आध्यात्मिक शक्ति वाले साधक की भी तीसरी आंख ज्यादा से ज्यादा 21 दिन में इससे खुल जाती है।

○आपने इष्ट मंत्र और देवता पर पूरा विश्वास रखें अपने गुरु पर पूरा विश्वास रखें और फिर ही इस प्रयोग को करें इस प्रयोग के लिए गुरु की आज्ञा लेनी परम आवश्यक है बिना गुरु की आज्ञा को आज्ञा से यह करने वाले को गंभीर परिणामों को भुगतना पड़ सकता है उसके लिए हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा।

○अपने गुरुदेव को उचित दक्षिणा देकर संतुष्ट करें फिर ये अनुष्ठान संपन्न करें।

○ यह प्रयोग 21 दिन का है प्रति मध्यरात्रि  2:00 बजे से शुरू करके इस अनुष्ठान को प्रतिरात्रि डेढ़ घंटा किया जाना चाहिए।

○मध्य रात्रि में स्नान के उपरांत स्वच्छ वस्त्र पहन कर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आपको किसी भी सुलभ आसन में बैठ जाना है रीड की हड्डी को सीधा रखते हुए बैठना है मन को शांत करते हुए आंखों को बंद कर लेना है तीसरा नेत्र तब खुलता है जब दोनों नेत्र बंद हो जाते हैं तब तीसरे नेत्र का प्रकाश होता है।

○साफ़ रुई से आपको दो गोलियां (swab)तैयार करनी है जिनमें पिसी हुई काली मिर्च का छिड़काव करना है और हल्का सा पानी मिलाकर जो गोलियां तैयार कर लेनी है दोनों को दोनों कानों में रख लेना है।

○ अब भगवती महामाया का ध्यान करके रुद्राक्ष की  
        माला से आपको ,
       "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ॐ ग्लौं हुँ क्लीं जूं सः    
        ज्वालय-ज्वालय, ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल ऐं ह्रीं 
        क्लीं चामुंडायै विच्चे ज्वल हं सं लं षं फट् स्वाहा"।
        मन्त्र का प्रतिरात्रि 1100 बार जाप करना है।

○ इस मंत्र के लाभ स्वरूप आपको आपके जीवन में घटित होने वाली हर घटना का पहले से ही ज्ञान होना शुरू हो जाता है तथा साधक जिस-जिस वस्तु का चिंतन करता है उसके विषय में सब कुछ जानकारी होने लग जाती है और कोई भी चीज साधक से छिपी नहीं रहती।

○ जाप करते हुए अपने नेत्रों को बंद रखना है और मन को शांत रखकर भगवती के चरणों में समर्पित कर देना है ऐसा करने से आपका तीसरा नेत्र  शीघ्र ही खुल जाएगा और साधक को जीवन में घटित होने वाली किसी भी घटना का और उसके उपाय का पूर्व में ही ज्ञान हो जाएगा।

○साधक के सामने दाएं तरफ दीपक देसी घी का जलता रहना चाहिए साधक के बाई तरफ जल का एक पात्र अवश्य रहना चाहिए।

○साधना करते हुए साधक का समय और स्थान एक ही होना चाहिए तथा उसमें पूरे 21 दिन में कोई भी परिवर्तन नहीं करना चाहिए साधक को संयम से नियम पूर्वक देना चाहिए भूमि पर शयन कम खाना और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए।

○इस साधना से प्राप्त हुई शक्ति को अवरोधित कर पाना कठिन है और इससे जो ज्ञान प्राप्त होता है वह किसी भी पैशाचिक शक्ति से बहुत ही ज्यादा अधिक है। तथा पिशाच इत्यादि सिद्ध कर लेने पर साधक फस जाता है लेकिन इसमें साधक फंसता नहीं है। और साधक को कोई दोष भी नहीं लगता।

○अंत में साधक को नवार्ण मन्त्र से उत्तम औषधियों द्वारा हवन भी करना चाहिए।

○इस साधना से प्राप्त हुई किसी भी शक्ति का प्रकाट्य साधना काल के दौरान नहीं करना चाहिए। और ना ही किसी को बताना चाहिए इसमें साधना काल के दौरान भगवती महामाया आदिशक्ति अलग-अलग रूपों में साधक को दर्शन देती है।

○इस साधना काल में किसी प्रकार के घेरे या सुरक्षा चक्र की आवश्यकता नहीं होती साधना की सफलता के लिए नित्य प्रति दान इत्यादि करना चाहिए।

○ इस साधना काल इस साधना के बाद साधक तीनों कालों का ज्ञाता हो जाता है और भगवती साधक को तीनों कालों का ज्ञान देतीं हैं।

○ देवी संबंधित यह साधना कोई पैसाचिक साधना नहीं है और कोई दोष भी नहीं लगता तो फिर पैसाचिक साधना करने की क्या आवश्यकता है जब देवी के आशीर्वाद से ही आपके सबको काम हो सकते हैं तो कोई भी नीच योनि के देवता की साधना करने की आवश्यकता नहीं है हां शास्त्र मर्यादा के अनुसार आपको देवी या देवता की साधना करने में कुछ समय अवश्य लग सकता है।

○इस साधना में आसन और वस्त्र यदि लाल रंग के हो तो बहुत उत्तम माने जाते हैं।

○इस साधना को करने से पहले सामान्य विधि द्वारा गणेश गुरू और क्षेत्रपाल का पूजन कर लेना चाहिए तथा उनके निमित्त कुछ बली भोग भी दे देना चाहिए।

○यह साधना अब तक गुप्त साधना थी और उत्तम साधकों द्वारा इस साधना को किया गया और इसके परिणाम सकारात्मक निकले कभी भी यह साधना निष्फल नहीं गई इसलिए श्रद्धा और भाव से इस साधना को करने वाले को अभीष्ट की अवश्य ही प्राप्ति होगी।

○ अधिक जानकारी के लिए हमारे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर व्हाट्सएप द्वारा सुबह 11 बजे से दोपहर1 बजे तक संदेश भेजकर संपर्क किया जा सकता है।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...