शनिवार, 10 जुलाई 2021

ब्रह्मबाधा का उपाय


ब्रह्मबाधा का उपाय ।

ब्रह्म जितना नाम ही खतरनाक है उससे ज्यादा खतरनाक होते है। इसके बारे में बहुत से दावे और बहुत से अपवाद है 
इन्हें ब्रह्म पिशाच या कई कई लोग ब्रह्म राक्षस भी बोलते हैं अब तक इनकी कोई साधना लिखित मौजूद नहीं है इसके विपरीत औझा गुनिया और तांत्रिक लोग इस शक्ति का बहुत अधिक प्रयोग करते है।
वास्तविक रूप से देखा जाए तो ये एक प्रेत योनि की शक्ति है ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाले कुछ लोग गर्भावस्था में ही या जन्म लेकर आकाल मृत्यु को जब प्राप्त होते है वो चाहे किसी भी कारण हो ब्रह्म बन जाते है सामान्यतः इनका वास् पीपल पाकड़ गूलर बरगद या भारी छायादार वृक्ष बनते है।
प्रेत योनि होने के कारण इनकी आसक्ति अपने धन ज़मीन मकान में ही रहती है और जब तक इनको ईश्वरीय कृपा से मोक्ष प्राप्त नही होता तब तक ये अपने वंश कुल गोत्र में रहते है। और छोड़ते नही।
इन्हें अथीथ ब्रह्म,थान ब्रह्म की संज्ञा भी दी जाती है और बहुत से नामों से भी पुकारा जाता है हर 10 में से 8 ओझाओं के पास यह शक्ति चलती है और इसकी विशेषता यह है कि इसका प्रयोग मारन मूठकरणी और सत्यानाशी में किया जाता है।

सभी केसों में ऐसा नहीं होता कई ब्रह्म मनुष्य स्वभाव की ही तरह बहुत सरल और शांत स्वभाव के होते है। प्रेत योनि होने पर भी वे कइयों का भला भी कर देते है कई लोगों को इनकी हाज़िरी आती है और बिगड़े हुए काम बनना आम सी बात होती है किसी सामान्य इष्ट की भांति अच्छे ब्रह्म भी अपने साधक के बिगड़े हुए काम बनाते है और उनकी मनोकामना पूरी करते है बहुत सारे मामलों में पीड़ित जब इनको पूज लेता है तो उसके बाद  उसका कोई भी सांसारिक काम नही रुकता।

इन शक्तियों के भी ईष्ट होते है अधिकतर इनके ईष्ट देव शंकर भगवान हनुमान वीर दुर्गा जी काली जी ही होते है। और अपने इष्ट देव के गुण धर्म के अनुसार ये आपने इष्ट का रूप भी धारण कर सकते हैं।
दुश्मन के मुख से नसिका और गुदा से रक्त चला देना इनके लिए आम बात है। आसानी ये अपने इष्ट देव का रूप धारण कर सकते है और सामने वाले और पीड़ित दोनों को भ्रमित कर देते हैं।
जैसा कि आप को मैंने पहले भी कहा इस शक्ति का प्रयोग मारण विद्या में किया जाता है।
आपने बहुत से किस्से सुने होंगे ये बड़े से बड़े तांत्रिकों को मुख से रक्तवमन करवाकर उनके मिनटों में प्राण निकाल लेते है। ऐसीं बहुत सी घटनाओं का मै खुद साक्षी रहा हूँ।
अभी तकरीबन पाँच साल पुरानी बात है एक शहर में एक जाना माना तान्त्रिक ब्रह्म से पीड़ित लड़की का इलाज कर रहा था तो उस दौरान लड़की को देखकर वह अपने घर वापिस लौटा ही था कि उसे खून की उल्टी हुई और उसने  दो घंटे में ही प्राण त्याग दिये।
मेरे एक जानकार जो कि हरिद्वार में रहते है भी ब्रह्म की चपेट में आ गए थे अकारण ही सीरियस हो गए 4 घंटे का ओप्रेशन हुआ हफ्ते बाद होश में आये अढाई लाख रुपए लग गए। उन्होंने भी ब्रह्म से पीड़ित व्यक्ति का उपचार करने की कोशिश की थी लेकिन उनके गुरु की सतर्कता के कारण बच गए।ये जनवरी 2021 की बात है अगर उनके गुरु सतर्कता प्रयोग नही करते हो शायद वो आज इस दुनिया में ना होते। हालांकि वो खुद बहुत अच्छे और गहरे विद्वान है और उनके 90% केस सफल रहते है।देने वाले ने ज्यादा से ज्यादा 10 या 20 हज़ार रुपये देने थे लेकिन बेचारे मारे जाते इलाज करने वाले सही बोला है किसी ने कि लेकिन सावधानी हटी दुर्घटना घटी।
वास्तविक बात ये होती है कि इलाज करवाने वाला पैसे देकर चला जाता है और कुछ पैसों के चक्कर में आदमी
मृत्यु का आलिंगन करने से नही डरता।
दुश्मन की सत्यानाशी में भेजे जाने वाले मूठ में दर्जनों ब्रह्म डाल कर भेजे जाते है और दुश्मन के परखच्चे उड़ जाते है मूठकरनी को लोग थोड़ा हल्के में ले लेते है हालांकि अगर ये शक्ति किसी को अपनी चपेट में लेले तो तीसरी नस्ल तक बर्बाद हो जाती है। पीढियां निकल जाती है लेकिन इलाज नही हो पाता।
मैं आपको ये सभ कुछ आपका समय बर्बाद करने के लिए या डराने अथवा वहम पैदा करने के लिए नही बता रहा क्योंकि मेरे ब्लॉग वो लोग ही पढ़ते हैं जो कि खुद तंत्र मार्ग से हैं। अगर को नया व्यक्ति भी इन लेखों को पढ़ेगा तो उस के ज्ञान में कुछ न कुछ वृद्धि होगी ही होगी।

आप पाठकों के माध्य्म से इन लुप्तप्राय विद्याओं को संभाल कर रखने का एक बहूत छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ जब हम किसी विषय पर चर्चा करते है तो उस विषय पर हमारे ज्ञान का आदान प्रदान होता है और ज्ञान की वृद्धि होती है।

इस लिए आपका ज्ञान बढ़ाने के लिए खर्च किया थोड़ा सा समय आपको जीवन में आज्ञान के कारण खर्च होने वाले अमूल्य लंबे समय को बचा लेता है

ज्यादातर ब्रह्म की समस्या पुशतैनी मकान जमीन जायदादों में ही रहती है हालांकि अगर ये किसी व्यक्ति को अपना माध्य्म बना कर रोगी कर दें तो जल्दी जल्दी इलाज नही हो पाता उस अवस्था में आपको खुद पंगा नही लेना चाहिए  

धूणी से शांत करें :- जी हां अपने घर में बनी हुई दशाङ्ग धूफ प्रतिदिन रात्रि में सोने से पहले एक बार देने से ब्रह्मबाधा शान्त हो जाती है।

तीन साल लगातार आशुतोष भगवान शिव के अघोरास्त्र के अनुष्ठान और मूल मन्त्र के पुरश्चरण जाप से ये बाधा शांत हो जाती है और फिर ये समस्या सर्वदा के लिए समाप्त हो जाती है।

फिर भी आपको एक छोटा सा टोटका निम्नलिखित दे रहा हूं   ये करें इससे आपको पूरा तो नही लेकिन 50% तक आराम जरूर आएगा।

एक पीली ध्वजा
सवा मीटर सफेद कपड़ा
पांच बूँदी वाले लड्डू
5 ₹ का हनुमान जी वाला सिन्दूर
दो जनेऊ
दो सिगरेट
पांच सफेद फूल
पाँच जायफल
एक पॉव चावल
एक पॉव चने की दाल

अमावस्य वाले दिन सभी सामान को लेकर सफेद कपड़े में बांध दें तांकि पोटली सी बन जाये फिर और रोगी के सिर के ऊपर से 7 बार उल्टा उतार लें अथवा अपने घर के चारों कोनों से स्पर्श कर चुपचाप निर्जन स्थान पर किसी पुराने पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर सभसे पहले पीपल के वृक्ष पर बाबा ब्रह्म के नाम से ध्वजा चढ़ावें फिर कलावा लेकर 7 परिक्रिमा करते हुए कलावा लपेट दें फिर उस पोटली को वह रखकर ब्रह्म बाबा को सच्चे मन से प्रार्थना करें और 

"बोलें कि हे ब्रह्म देव आपको कुछ दक्षिणा और रहने के लिए स्थान दे रहा हूँ यहां निवास करें" 
हाथ जोड़कर परनाम करें और बिना पीछे देखे चुपचाप घर वापिस लौट आए हाथ पांव धोकर घर में प्रवेश करें इस से आपको एक महीने में ही अवश्य लाभ प्राप्त होगा। 
बाकी सभी कुछ परिस्थितियों पर और आपके गुरुदेव के निर्देशन पर निर्भर करता है।













मंगलवार, 6 जुलाई 2021

दरियाई काली की सिद्धि


दरियाई काली की साधना।

सिर्फ काले इल्म की गद्दी वालों के लिए।

ये साधना एक पूर्णतः सक्षम और शक्तिशाली साधना है।इस  काली के साथ जल मसानी जोड़े में काम करती है किसी के ऊपर सवारी बुलानी हो या किसी के उपर किसी तरह का प्रतिबंध लगाना हो ये शक्ति बहुत बेजोड़ है। ये एक पूर्णतः तामसिक साधना है इस बात का विशेष ध्यान रखें।

अगर किसी भी रोगी के उप्पर से कट्टर से कट्टर भूत प्रेत बाधा हो और वो किसी देवता के जाल में ना ना फस रहा हो तो ये शक्ति वहां पर काम करती है और झटके में ही सभी समस्याओं का अंत कर देती है।

कोई कितना भी पक्के से पक्का वशीकरण जो किसी के ऊपर नाज़ायज़ तौर से लगाया गया हो और टूटता ना हो वो भी टूट जाता है किसी आदमी का वशीकरण ना सफल होता हो वो वशीकरण हो जाता है अगर को दुश्मन परेशान करता हो तो इस विद्या से किया गया बंधन दुश्मन की हालत पतली कर देता है।

सट्टे मटके के नम्बर मिलना आम सी बात है और इसका साधक अगर एक बार ये साधना कर लें तो पैसे की कभी कमी नहीं होती ।इसकी साधना सिर्फ रात्रि में कई जाती है।

लेकिन दूसरी हकीकत यह भी है कि साधना अगर कच्ची हो और भगत के शरीर पर पक्की सवारी न हो तो उतारा करने के लिए मुसीबतों का पहाड़ बन सकती है।

सभ से पहले आप गुरु धारण करें फिर गुरु से आज्ञा लेकर ही इस साधना को शुरू करना चाहिए बिना गुरू से आज्ञा और ज्योति प्राप्त किये अगर इस शक्ति की शक्ति को छेड़ लिया जाए तो साधक काम से कम पागल तो हो ही जायेगा।

इस में दरियाई पीर को पहले काले बकरे की बाली देकर मनाना पड़ता है फिर ही ये साधना की जाती है होता ऐसे है कि गुरु अपने शिष्य के सिर पर हाथ रखता है फिर शिष्य गुरु से प्रप्त शब्द का 6 महीने तन मन से भजन करता है छ महीने बाद विशेष रात्रि में गुप्त शमशानिक कृत्य किये जाते है फिर अपनी गद्दी पर वापिस आकर तन्त्र के देवताओं के निमित्त होम बलि दिए जाते हैं ।

तदोउपरांत गुरु शिष्य पर अपने देवता की सवारी यानी कि हाज़िरी छोड़ता है शिष्य के शरीर में हाज़िर होकर देवता गुरु यानी अपने पुजारी से बात चीत यानी वार्तालाप करता है और वचन देता है। उस समय देवता के कहे हुए वचनों के अनुसार ही गुरु अपने शिष्य से देवता की सेवा अर्थात मन्त्र साधना करवाता है।

अगर शिष्य अपने गुरु के कहे हुए वचनों के अनुसार सेवा करता है तो इस बात की बिलकुल कोई आशंका नही रहती की शिष्य  फेल हो जाये। हां ये बात अलग है कि हर शक्ति की एक सीमा और मर्यादा होती है विशेष शक्तियां प्राप्त करने के लिए उनका मूल्य भी विशेष ही देना पड़ता है ये बात सदैव याद रखनी चाहिए।

ये बात मैंने आपको इस लिए बताई की इस एक सर्वमान्य सूत्र है अगर गुरु य्या शिष्य दोनों में से एक भी इस बात और सूत्रों का पालन नही करेगा तो शिष्य की साधना सफल हो ही नही सकती।

जैसे आपको मैंने पहले बताया कि गुरु से शब्द प्राप्त करने के बाद आपको दरियाई पीर की सेवा करनी पड़ती है फिर आप दरियाई काली और जल मसानी की सेवा कर सकते है उसके बिना नही।

दरियाई पीर के लिए दिए जाने वाला भोग मैं आपको बताता हूँ।

विधि :-१ दरियाई पीर के लिये किसी नदी,नहर,दरया, के किनारे सवा हाथ ज़मीन साफ करके वहां पर गाय के गोबर के उपले से बने अंगारे पर शुद्ध देसी घी का होम करें इसके साथ ही वहां पर सरसों के तेल का दिया एक नारियल पानी वाला काली चुनरी चढ़ाकर कलावा लपेट दें, अगरबत्तियां, गुलाब के फूल,सात प्रकार की मिठाई,लौंग,छोटी इलायची, कपूर,गरी गोला,छुहारे,11 बूँदी वाले लड्डू, सेंट ,पान,गांजे की जोड़ा चिलम,काला मुर्गा,देशी शराब,हलवा,पांच मेवा,बतासा। काले मुर्गे की बलि देकर सिर को जल में अर्पित करें बाकी साधक खुद पकाकर खुद ही खाय एक प्याला शराब पीवे फिर जाप पहले दिन का शुरू करे।

यउपरोक्त समान दरियाई पीर को होम करके देना है और काले मुर्गे की बलि देकर शराब की धार नदी,नहर या दरिया के किनारे देना है फिर आपको प्रति दिन जाप करने के बाद एक देसी शराब का पव्वा अगरबत्ती लौंग कपूर,सेंट,पांच देसी गुलाब के फूल एक पाव हलवा दरियाई पीर के नाम से देना जाप समाप्त होने पर देना इक्कीस दिन पूरे होने के बाद काला बकरा बलि दें और शराब का भोग लगा कर साधको में वितरण करें।

उस बकरे के खून से भोजपत्र पर यही मन्त्र लिखकर चांदी के ताबीज़ में पहने और फिर दरियाई काली की साधना करें।

दोनों मन्त्र से दरियाई पीर और दरियाई काली दोनों चलते है । इनको रोकने और चलाने की विधियां अलग अलग है। जो कि इस लेख में वो विस्तृत रूप से बता पाना सम्भव नही है।

दरियाई काली चालीस दिनों की साधना है।

साधना विषयक सभी नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए ये साधना बिल्कुल एकांत स्थान पर जल स्रोत के किनारे पर की जाती है साधना में उपयोग आने वाली हर एक वस्तु पहले ही एकत्र कर लिया जाना चाहिए समय पर सामान ना मिले तो आपके प्राण भी संकट में आ सकते है।

एक कर्मठ और सदविचारी व्यक्ति की इस साधना में सहायक के तौर पर आवश्कता होती है ताकि जाप के समय आपकी सुरक्षा कर सके और आपको कोई रोक टोक ना हो सके और समय पर समान मिल सके। कपड़े सिर्फ काले रंग के प्रयोग करें,कमजोर दिल वाले और ढीले लंगोट के साधक इस साधना को ना ही करें तो ठीक है।नही तो बिना वजह मुसीबत खड़ी होगी।


दरियाई पीर की साधना करने में इस मंत्र का प्रयोग होता है
और साधना कभी खाली नही जाती अगर गुरु की इच्छा न हो तो ये विद्या कभी नही चलती ये एक पूर्ण तामसिक मार्ग है अगर अधूरा ज्ञान हो तो आदमी इस चक्रव्यूह में ऐसे फस जाता है कि कोई चाह कर भी उसे नही निकाल पाता। 

दरियाई पीर का मन्त्र।
ॐ गुरु जी
लंका सो कोट समुद्र सी खाई
दरयाई पीर करो चढ़ाई
लहर लहर चले आठ पहर चले।
दरियाई काली चले।
भैरों हनुमान चले।
जल जोगनी मसानी चले।
लहर लहर लहराती चले।
जल का मसाण चले।
काला कमान चले।
गोराखपा की आन चले।
मेरे गुरु की शक्ति चले।
मेरा बंधा बंधे मेरा छोड़ा छूटे।
चले मन्त्र ईश्वर बाँचा
देखूं दरियाई तेरी आन का तमाशा।

विधि :-२ काली के मन्त्र से उपरोक्त विधि के अनुसार जल स्रोत के किनारे बिल्कुल सुनसान स्थान पर गुप्त तरीके से ये साधना की जाती है ये साधना पूरे 40 दिनों की साधना है और इसमें प्रथम दिन पूजा स्थल का चुनाव करके सवा हाथ ज़मीन साफ करें फिर पीली मिट्टी से उसको लीप दें गाय के गोबर के सूखे हुए कंडो को जलाकर अंगार तयार करें फिर दीया सरसों के तेल का जलाएं और अंगारी पर होम लौंग,बतासे,गुग्गल,देसी घी, की करें, 

देवी को काली ध्वजा,काली चुनरी,काले रंग का सोलह सृंगार हलवा 7 पूरी शराब गुलाब के फूल अगरबत्तियां कपूर छोटी इलायची,7 पीस कलेजी बकरे की 7 प्रकार की मिठाई,7 बतासे,गुलाब का सेंट,7 टुकड़े गरी के,7 छुहारे,सवा मुट्ठी 7 प्रकार के अनाज,एक जोड़ा मीठा पान,7 जायफल ये भोग देकर बची हुई थोड़ी सी शराब पीकर और छोटी इलायची मुँह में रख कर थोड़ा सा कूंच कर फेंक दें फिर जाप प्रारंभ करें।

रक्षा मन्त्र से अपने आपको सुरक्षित कर के ही नित्यप्रति निम्न मंत्र की इक्कीस माला जाप करें । जाप के समय पहले दिन ही कान में आवजें आने लग जातीं है लेकिन उसपर ध्यान न देकर आपको जाप पूरा करना है और ये साधना विशेष रूप से रात्रि 11 बजे से सुबह 3 बजे तक की जा सकती है। साधना काल में आपको बहुत कम भोजन करना है अपको प्रथम दिन जब होम अग्यार करें तो उस में से अग्नि लेकर ही एक सरसों के तेल का दिया लगातार रूप से 40 दिन चलने दें फिर उसी की अग्नि लेकर हवन करें किसी भी रूप में ये शक्ति और इनके दूत आ सकते हैं अतः डरें नही पहले ही सोच विचार करने के बाद इस साधना को शुरू करें। 

रक्षा मन्त्र दरियाई पीर के मंत्र को सिद्ध करने के बाद उसी मन्त्र से दरियाई काली की साधना में साधक की रक्षा होती है।


दरियाई काली का मन्त्र।

ॐ गुरु जी
काली काली महाकाली।
इंद्र की बेटी ब्रह्मा की साली।
जल प्रवेश खप्पर वाली।
लोहे कोट चांदी आर।
काला बकरा मद की धार।
दरियाई काली चलो मार मार।
जल की पूरी फौज चलावे।
देश दुनिया का हाल बतावे।
तो सच्ची दरियाई कहावे।
फलाने के ऊपर की हर अला बला को
बांध खारे समुन्दर में डाल।
ना डाले तो महादेव की लाख दुहाई।
दरियाई पीर की लाख लाख दुहाई।
नौ नाथ चौरासी सिद्धों की आन।
चले मन्त्र ईस्वर बाँचा मेरे गुरु का वचन साँचा।

100% प्रतिशत अनुभव के आधार पर गुरु से प्राप्त ज्ञान को आप से शेयर किया है ताकि इस लुप्तप्राय विद्या का पुनरूत्थान हो सके इस विद्या में मैने अपने पास कुछ बाकी छिपकर नही रखा आप सर्वप्रथम आपने गुरु की तलाश करें और गुरु धारण करें फिर गुरु की आज्ञा से ही इस विद्या की साधना कर के अपने गुरु का नाम रोशन करें और जन कल्याण करें  ईश्वर आपका कल्याण करें मंगलकामना के साथ राम राम:)

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श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...