शुक्रवार, 17 दिसंबर 2021

धूद्दा शैतान का सिफ़ली अमल

विशेष :- कोई भी अपने जन्म से बुरा नही हो हालात आदमी को बुरा बनने पर विवश कर देते है और अच्छे व्यक्ति को बुरे हालातों को दूर करने के लिए बुरा भी बनना पड़ जाता है लेकिन आटे में नमक चल जाता है नमक में आटा नही चलता।

आपके द्वारा किये गए बुरे कर्म आपको ही नही अपितू आपकी सन्तान को भी प्रभावित करते है कभी भी किसी को सपने में भी कष्ट ना दें ।

अत्याचार करना यदि गलत है तो सहना उससे भी ज्यादा गलत है अगर आपके साथ भी किसी प्रकार अत्याचार या अन्याय हो रहा है तो इस अमल को करके आपभी अपने शत्रुओं को दंडित कर सकते हैं।

तसख़ीर धूद्दा सिफ़ली

बहुत सारे साधको को अपने काम करवाने के लिए अलग अलग साधनायें और बहुत सारे यन्त्र मन्त्र तन्त्रों की विधियों के अनुसार उनका का सहारा लेना पड़ता है जो कि एक कठिन कार्य होता है लेकिन यहां आपको एक ऐसा अमल दे रहा हूँ जिस से आपको स्तम्भन मारण उच्चाटन विद्वेषण के लिए जीवन में सिर्फ एक बार की गई साधना ही काफी है और किसी साधना की जरूरत नहीं पड़ती।

काले इल्म में धूद्दा सिफुली अरवाह में से एक ताकतवर शक्ति है और उल्टे सीधे काम खूब आसानी से करता है। 

अगर कोई ताकतवर दुश्मन आपको बहुत ज्यादा परेशान कर रहा है और या आपने अपने किसी दुश्मन को तकलीफ़ देना है तो ये बहुत काम करेगा, अगर किसी दुश्मन को बीमार करना वो इसके बाएं हाथ का काम है।

किसी को परेशान करना हो तो उसको ये पल झपकते ही कर देगा।

किसी का बना बनाया काम बिगड़ना हो उसको ये कूछ ही समय में कर देगा।

किसी के घर में आग लगवाना इस से करवाया जा सकता है।

ईंट पत्थर और कंकर फैंकवाना जैसे आमाल को धूद्दा बहुत खुशी से करता है

साधक की मर्ज़ी के मुताबिक दुश्मन को तकलीफ़ देता है और परेशान करता है। 

तमाम बुरे कामों  में शैतान की तरह धूद्दा साधक का मददगार रहता है, मंतर ये है:

“धूद्दा धूदम धूद्दा। धोला हस्से धूद्दा नच्चे। जिथ्थे धूद्दा उत्थे भांभड़ मच्चे।” धूद्दा नच्चे

साधना करने का तरीका

इसको सिद्ध करने का तरीका ये है के किसी एकांत मकान या घर में जहाँ कोई दूसरा ना आए। 

जमीन में एक गढ़ा खोदें जिसकी गेहराई आपकी नाफ़ तक होनी चाहिए। 

गढ़ा तंदूर की तरह का और उतना ही चौड़ा होना चाहिए। 

अब इस के चारों ओर साढ़े तीन  हाथ का फासला छोड़ कर किसी लोहे के चाकू से से सात बारआयतलकुर्सी पढ़कर हिसार लगायें 

साधक खुद इस हिसार से कुछ दूरी पर बाहर गड्ढे की तरफ मुंह करके नीचे दिए गए मंत्र को आधी रात के समय सात सौ(700) बार पढ़ा करें।

इसको सात से ग्यारह रोज़ तक बिना नागा ऐसा ही करें। 

पांचवें रोज़ उस गढ़े से धूल उठना शुरू होगी और बड़ी गंदी बदबू आना शुरू होगी 

अजीबो गरीब किस्म की आवाज़ें भी आना शुरू होंगी। 

कभी गधे, खच्चर और दीगर गंदे जानवरों की आवाजें आयेगी। 

बदबू भी तरह तरह की आएगी। 

सातवें रोज़ से ही ऊपर से इंसानी सिर और गधे पैरों वाला धूदहा सिफूली नज़र आना शुरू होगा कभी कभी किसी साधक को अलग अलग रूप में भी जैसे सिर धड़ इंसानी और पावं खच्चर जैसे होते है।

वो साधक को अपनी शक्लो सूरत ख़ौफ़नाक डरावनी दिखाकर डराया  करेगा। 

गढ़े में बार बार खूब दूलत्ते मारेगा और खूब मिट्टी उड़ेगी। किसी किस्म का ख़ौफ़ ना करें। 

इस अमल में ये सातवे रोज हाज़िर हो जाता है लेकिन इस साधना को लगातार ग्यारह दिन करें और ग्यारहवें रोज़ वादा लेकर दोबारा हाज़िरी का तरीका पूछ लें।

जब आपको इसकी जरूरत होगी ये फौरन हाज़िर होकर आपके बताये गए कामों में मददगार रहेगा। 

ये किसी भी अच्छे और नेक काम से फौरन इंकार कर देगा और उसमें आपकी कोई मदद नही करेगा।

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सोमवार, 13 दिसंबर 2021

झली ख़बीसा की साधना

झली ख़बीसा की साधना


"झली ख़बीसा"मुस्लिम काले जादू में बहुत जबरदस्त ताकतों की मालिक एक ख़बीसा है और औरत के रूप में हाज़िर होती है जो हमज़ाद की तरह काम करती है। 

इससे बड़े से बड़े काम लिए जा सकते हैं क्योंकि ये हमजाद की तरह काम करती है इससे अच्छे और बुरे दोनो तरह के काम लिए जा सकते हैं 

किसी का भी  वशीकरण करना हो या किसी की मोहब्बत तुड़वानी हो किसी के ऊपर इसको लगा देना और अपना मन माना काम करवाना इन कामों को ये आसानी से कर देती है 

इसका अमल/साधना नीचे दिया जा रहा है अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कार्य इसकी साधना द्वारा किए जा सकते हैं। 

अपने साधक के हर काम को आसानी से कर देती है उसे देश विदेश की खबरें लाकर देती है। वह सभी कार्य जो एक हमजाद से लिए जाते हैं वह सभी कार्य करती है


इस अमल/साधना कुछ इस तरह है। 

इसकी साधना या अमल को एक एकांत स्थान पर जहां पर किसी प्रकार की कोई ध्वनि इत्यादि ना आती हो एक कोठरी या कमरे में जो कि पहले से साफ सफाई करके साफ कर दिया गया हो और कमरे के समान को निकाल दिया गया हो।

उस कमरे में साधना के दौरान कोई दूसरा व्यक्ति दाखिल ना हो।

किसी भी महीने की इक्कीस (21) से  लेकर दूसरे महीने की दस ग्यारह (10,11) तक यानी इक्कीस (21) दिन पूरे करने हैं। 

इस अमल में खास बात यह है कि इस अमल में किसी भी प्रकार का सुरक्षा घेरा या हिसार नहीं किया जाता। 

इस अमल को बिलकुल निर्वस्त्र होकर करना है। 

रोज़ाना निश्चित समय पर पढ़ते समय दो दाने बूंदी मिठाई के बायें हाथ में रखें। 

मन्त्र को एक सौ इक्कीस(121) मर्तबा पढ़कर इन दानों पर दम कर दिया करें। एक दाना खुद खा लिया करें दूसरा वहीं साधना स्थल पर रख दिया करें। 

हफ्ते में आपको इसके असर दिखने चालू हो जाएंगे और इक्कीसवें दिन झली हाज़िर हो जाएगी। 

अपनी शर्तें तय करने के बाद जो कुछ कहेंगे, वो उस काम को फौरन पूरा कर देगी।

ईश्वर से जुड़े हुए लोग और सात्विक शक्तियों के साधक इस साधना को न करें क्योंकि इस साधना के दौरान ना तो आपने स्नान करना है ना अपना मुंह धो सकते हैं नाही ब्रश कर सकते हैं 

इस साधना को पूरी तरह से नापाकी में रहकर किया जाता है अगर किसी कारण से किसी भी तरह से कभी स्वप्नदोष इत्यादि होता है तो भी आप स्नान नहीं कर सकते इस साधना के दौरान उनके ब्रम्हचर्य का पालन करें और अपने धैर्य का प्रदर्शन करें ।

नापाकी,नापाकी और नापाकी ही इस साधना की पहली शर्त है

झली एक जबरदस्त नापाक खबीस रूह है एक इंतिहाई नापाक रूह है। 

इस वजह से नापाकी को पसंद करती है। और किससे सबसे ज्यादा वशीकरण में प्रयोग किया जाता है इसलिए जो परहेज नहीं कर सकते और नापाक साधना करना चाहते हैं सिर्फ और सिर्फ वही व्यक्ति इसको करें 

जब झली सिद्ध हो जाए तब उसको सवा सेर सरसों के तेल से बना हुआ हलवा चढ़ा दें। 

जब आप को ज़रूरत होगी तो याद करते ही फौरन हाज़िर होगी। 

हमज़ाद की तरह हर काम पलक झपकने से पहले करती है। किसी पर लगायी भी की जा सकती है। अपने साधक को हर तरह की  ख़बरें भी लाकर देती है।
मन्त्र निम्नलिखित है

"झली झली महा झली। दिनों नाचे। रातों बाल बिखरावंती ते तूँ नंगी। चित जा पट ला। मंगला मंगला मंगला ।”

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                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...