आप सब का स्वागत करता हूं तंत्र तन्त्र वृक्षा ब्लॉग्स्पॉट में
आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ एक ऐसी साधना जिसको जीवन में केवल एक बार सही तरीके से सम्पन्न कर लेने के बाद साधक वीर की कृपा प्राप्त कर लेता है और किसी भी भूत प्रेत ग्रसित मरीज़ का इलाज कर सकता है।
किसी शक्तिशाली से शक्तिशाली भूत प्रेत बाधा को हटाना काटना छांटना बांधना उतारना खींचना इत्यादि कार्य कर सकता है।
यही नहीं तंत्र क्षेत्र में आने वाले नये साधकों की जुबान वांचा लगने लग जाती है और धीरे धीरे उनकी बोली जाने वाली हर बात सच होने लग जाती है।
अगर किसी ज्ञात अज्ञात व्यक्ति को यदि कोई ऊपरी समस्या है तो साधक को पहली मुलाकात में या पीड़ित व्यक्ति का नाम लेते ही साधक को सभ कुछ समझ आने लग जाता है इस साधना से साधक की मानसिक शक्ति का इस प्रकार से विकास हो जाता है की कोई भी आलौकिक घटना साधक से छुपी नहीं रहती।
ये सभी ऐसे गुण है जो साधना के समय साधक के अंदर खुद ही सहज रूप से विकसित हो जाते हैं।
जो सात चक्र मनुष्य की सूक्ष्मणा के अन्दर है वो खुलकर सक्रिय हो जाये है ये सभी कुछ एक दिन में संभव नहीं है सभी क्रियाएं किसी के तीव्र और किसी किसी के भीतर मन्द गति से होती हैं सभी के एक समान नही होती।
साधना काल में प्रतिदिन अपने चक्रों को खोलने एवम सक्रिय करने का अभ्यास करें इसकी शुरुआत केवल और केवल मूलाधार चक्र से ही करें । और उसका निरंतर अभ्यास करें।
यदि आप मेरी बातों को ध्यान पूर्वक और ठंडे दिमाग से पड़ेंगे और इस पर अमल करेंगे तो आप की साधना बेकार नहीं जाएगी।
आपके गुर के माध्यम से आपको अलौकिक शक्ति का एक ऐसा चैंनल मिलता है जो आपको ईश्वरीय शक्ति के मूल स्रोत परब्रह्म परमात्मा से जोड़ता है जिस प्रकार आपके मोबाइल फोन का सिम आपको नेटवर्क से जोड़ता है इस लिए कोई भी साधना बिना गुरु के मार्गदर्शन के कदापि नहीं करनी चाहिए।
एक विशेष बात और है कि सच्चे गुरु का ये सपना होता है कि उसका शिष्य उससे अधिक काबिल और शक्तिशाली बने एक पिता आपने पुत्र के प्रति जो स्नेह अपने ह्रदय में रखता है ये वो पिता और परमपिता परमात्मा ही जानता है
इसलिए अपने गुरू देव के प्रति सच्ची श्रद्धा का भाव रखें याद रखो आपका भाव बदल जायेगा तो भगवान भी बदल जायेगा।
ये साधना जो आपको में बताने जा रहा हूँ हो सकता है कि इसे आपने देखा या पढा हो लेकिन इसके गुण अवगुण तत्वों को समझने के लिए इस साधना का अनुभव करना बहुत ही ज्यादा आवश्यक है । जिस दृष्टिकोण से मैं आपको ये साधना बताने जा रहा हूँ यो दृष्टिकोण अन्य लोगों से भिन्न है।
(नीति शास्त्र में आया है
यदि अंधे मनुष्य के सामने हज़ार दीपक भी प्रज्वलित कर दें उसे अंधेरा ही दिखेगा।)
अज्ञानी होने से ज्यादा खतरनाक अल्प ज्ञानी होना है क्योंकि अल्प ज्ञानी अपने आपको देवगुरु बृहस्पति से कम नहीं मानता।
इस साधना को 21 दिन का बताया जाता है लेकिन अगर इस साधना को 43 दिनों तक लगातार नियमपूर्वक किया जाए तो किसी प्रभाव बहुत ज्यादा ज़बरदस्त होता है जब 1994 में इस साधना को मैने किया था तो 21 दिनों की ही साधना की थी लेकिन प्रभाव सीमित था
लेकिन जब अपने उस्ताद से बात की तो फिर उनके कहने पर इस साधना को मै ने सवा महीना नियमित रूप से किया जिस का प्रभाव ये है आप खुद अंदाज लगा सकते हो ये ब्लॉग मैं जून 2022 में लिख रहा हूँ और आज भी इस देव की कृपादृष्टि मुझ पर है।
इस दौरान अनेकों लोगों का सफल इलाज भी किया इनकी कृपा से सभ कुछ मिला।इस शक्ति का प्रभाव इतना ज्यादा है कि बड़े से बड़े देवता को भी उतार सकता है।
तंत्र का शांति एवं रोग निवृत्ति के हेतु प्रयोग सर्वोत्तम है इसके इलावा दुसरो को कष्ट और हानि पहुँचाना अपने कर्म भ्रष्ट करने के सिवाय कुछ भी नही। जिसका फल देर सवेर करता को भुगतना पड़ेगा ही पड़ेगा।
अब बात करते है साधना के विषय में इस वीर का नाम है सोहा वीर निसंदेह इस वीर के साथ हनुमान जी की उग्र शक्ति ही कार्य करती है अतः ये स्पष्ट है कि यदि इस शक्ति का उपासक हनुमान हनुमानजी का भगत हो तो ये शक्ति और भी अधिक ताकत से जागृत होती है
इस साधना में यही दिक्कत है कि आपको इसे करने से एक महीने पहले से ही नित्य सुंदरकांड का पाठ और गोंद कतीरा का प्रतिदिन सेवन करना शुरू कर देना चाहिए वरना इस वीर की मोहिनी स्त्री रूप बनाकर साधक का लंगोट खराब कर देती है जिससे साधना खंडित हो जाने का भय रहता है।
अगर आप किसी ऐसे स्थान पर साधना कर रहे हो जहाँ पर किसी जच्चा की मृत्यु हुई हो तो आपको सभ से पहले उस जगह की शुद्धि करनी होगी।
पित्र के प्रेत की बाधा से अक्सर इस साधना के असफल हो जाने का भय रहता है इस लिए इस तरह की समस्याओं का पहले ही निवारण कर लें।
साधना में प्रयोग होने वाली सामग्रियां पहले से ही उचित मात्रा में खरीद लें।
यह साधना सभा महीने की है
साधक को इस साधना के दौरान भूमि पर ही सोना है
ब्रह्मचर्य का पूर्ण तरह पालन करना है
केश इत्यादि नही कटवाने
सफेद वस्त्र धारण करने है
भोजन शुद्ध सात्विक लेना है
साधना के दौरान की किसी भी मरीज का कोई इलाज नहीं करना ।
अपना भोजन खुद तैयार करना है।
किसी से अपनी सेवा नही करवानी।
विशेष रूप से नित्य प्रति ॐ मन्त्र सहित त्राटक और ध्यान करें।
ज्यादा शोर शराबे से दूर रहें।
माला रुद्राक्ष की या सफेद हकीक की 108 दाने वाली होनी चाहिये
वस्त्र सूती सफेद रंग के हों
मन्त्र जाप करते समय सिर ढककर रखें।
विधि
किसी भी मास की शुक्ल पक्ष के प्रथम ब्रहस्पतिवार से किसी इकांत स्थान पर पूर्वाभिमुख होकर अपने सामने एक चतुर कोन अग्नि कुंड का निर्माण करें
उस कुंड के ईशान कोण में एक लोहे का चिमटा गाड़ दें कुंड के पूर्व में धूफ दीप प्रज्वलित करें कुछ मिठाई का भोग और एक जल का पात्र धरें और उस में गाय के उपले जलाकर अंगारे बना लें।
फिर अपने आसन की चारों तरफ रक्षा मंत्र पढ़ते हुए गोलाकार घेरा लगाएं या निम्न रक्षा मंत्र को 108 बार पढ़ते हुए आपने शरीर पर फूंक मार लें।
धूफ की एक 108 चने बराबर गोलियां बना लें 108 जोड़ी सबूत लौंग यानी 216 लौंग ले लें
4 माला मन्त्र बिना आहुति के जाप करें और फिर पांचवीं माला के प्रत्येक मन्त्र पर एक गोली धूफ की और 2 लौंग अग्नि कुंड में दाल दें।
समय समय पर अग्नि कुंड में पिसा हुआ लोहबान एक दो चुटकी भर डालते रहें ताकि लगातार लोहबान का धुआं चलता रहे। यही क्रम आपको बिना नागा लगातार 43 दिनों तक करना है ।
10 दिनों के उपरांत इस शक्ति का प्रभाव समझ आने लग जाता है साधना काल के दौरान साधक को अपने आसपास
आलौकिक ऊर्जा का अनुभव होने लग जाता है।
धीरे धीरे ये शक्ति आपके कुंडलिनी चक्रों को सक्रिय कर देती है। प्रयोग के अंतिम दिनों में वीर क्षणिक तौर पर किसी न किसी रूप में आपके सामने आएगा ही आएगा।
फिर जब ये शक्ति आपके आस पास आयेगी तो सिर्फ आपको ही इसका पता होगा आपके बिना बताये कोई भी बड़े से बड़ा तांत्रिक इस को नही खोज पायेगा ।
कुछ समय आपको कठिन मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन आपके पास आये हुए मरीज अपने कष्टों से छुटकारा पाएंगे तब आपको बहुत आनन्द प्राप्त होगा।
इस साधना को करते हुए मुझे जो अनुभव प्राप्त हुए मैंने वह अनुभव आप लोगों से साझा कर दिए ताकि किसी नए साधक को प्रत्येक आयाम से इस साधना के विषय में जानकारी मिले यह एक शक्तिशाली साधना है इसको करने के बाद आपकी शक्ति इस प्रकार विकसित हो जाएगी आप जहां भी रहोगे वहां के लोग आपकी शक्ति द्वारा सुरक्षित रहेंगे।
मन्त्र
ॐ सोहं चक्र की बाबड़ी गल मोतियन का हार ।
पदमनी पानी नीकरी लंका करे सिगार।
लंका सी कोट समुद्र सी खाई ।
चलो चौकी राजा राम चन्द्र की आई।
कौन कौन वीर चले हनुमान वीर चले
शोका वीर सबा हाथ जमीन सोखत करें।
जल को सोखन्त करें
पवन को सोखन्त करें।
पानी को सोखन्त करें
अग्नि को सोखन्त करें।
पलीतनी की भूत-प्रेत को पलीद करें ।
बैरी को सोखन्त करें
परमात्मा का चक्र चले
वह नौ पवन सोखन्त करें।
नहीं तो मां का चुसे दूध हराम करें।
शब्द सांचा पिंड कांचा चलो मंत्र ईश्वरी वाचा ।
प्रयोग करने से पहले इस मंत्र को पूरी तरह से याद करने अक्षर त्रुटि नहीं होनी चाहिए उच्चारण शुद्ध होना चाहिए
अब आपको बताने जा रहा हूं रक्षा मंत्र जो इस साधना के दौरान इस्तेमाल किया जाता है
स्वयं सिद्ध मंत्र है जो आपको देने जा रहा हूं इस को याद करके 108 बार होम जाप करने से आपके अनुकूल हो जायेगा।
ॐ नमः वज्र का कोठा ।
जिसमें पिंड हमारा पेठा ।
ईश्वर कुञ्जी ।
ब्रह्म का ताला ।
मेरे आठों यामों का
यती हनुमन्त रखवाला।
यह मंत्र पूर्णतया प्रभावी हैं और सक्रिय हैं जरूरत होती है साधना करने की अपने गुरु के मार्गदर्शन में ईश्वर आपका कल्याण करें मेरे पास जो इस साधना के विषय में अनुभव था वह मैंने आप लोगों से साझा किया
शुभकामनाएं 🙌