शनिवार, 29 जून 2019

दर्शन प्राप्ति हेतु काली मन्त्र

*****।दर्शन प्राप्ति हेतु काली मन्त्र।****
आज एक मंत्र मैं आपको देने जा रहा हूं जो मंत्र महाकाली की साधना का मंत्र है और अब तक यह काली मन्त्र आज तक गुप्त मंत्र ही था इस मंत्र का अनुष्ठान 41 दिनों का है और इसमें मां के साक्षात दर्शन होते हैं (आपकी आस्था संकल्प भाव भक्ति के अनुसार)
अभी कुछ दिनों में गुप्त नवरात्रि आ रहे हैं अगर आप इस अनुष्ठान को इस गुप्त नवरात्रि से करें जोकि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 3 जुलाई 2019 को है  गुप्त नवरात्रि शुरू हो रहे हैं तो बहुत उत्तम रहेगा इस मन्त्र की साधना करें और उसका लाभ उठाएं दोस्तों यह साबर मंत्र की साधना है और यह साबर मंत्र बहुत जबरदस्त होते हैं और गुरु द्वारा प्रदान है इस मंत्र को आज आपसे मैं आपलोगों से साझा कर रहा हूं मुझे उम्मीद है इस शक्ति को प्राप्त हो जाने के उपरांत कोई भी व्यक्ति किसी की हानि नहीं करेगा इसी आशा के साथ ये मन्त्र आपको दे रहा हूँ।

                   ****।मंत्र नोट करे।****
ॐ काली काली महाकाली इंद्र की बेटी ब्रह्मा की साली दोनों हाथ बजावे ताली चाम की गठरी हाड़ की माला भयानक रूप महाविक्राला अति श्याम वर्णी नयन रक्तेश्वरी तू ही है तू ही है आप परमेश्वरी काम क्रांति कालका आई सुच्ची कड़ाही भोग लगाई गुरु की शक्ति ।आदेश नौ नाथ चौरासी सिद्धों को।।
                         *****।विधि।***
41 दिनों तक एकान्त वास में रहते हुए।सबसे पहले एक आम के पटरे पर काला आसन बिछाकर भगवती काली की मूर्ति स्थापित करें और प्रतिष्ठा के बाद सामान्य पूजन करें।
पूजा में फल,फूल,पान,मिठाई, लौंग,इलायची,एक जोड़ा कलावा(मौली),हलवा,अनार का फल,धूफ गुग्गल की, दीपक देसी घी का शराब देसी एक बोतल,सुपारी।
फूल अड़हुल के लें।कपूर की ज्योति से आरती करें प्रातः काल और सायं काल करें साधना काल में अखण्ड दीपक जला कर रखें ऐसा प्रबंध करें।प्रतिदिन भैरव मन्त्र द्वारा जाप के उपरांत भैरव को दही और उर्द के बड़े की बलि दें।
इस मंत्र की 11 माला प्रतिदिन आपको जाप करनी है जाप काली हकीककी माला से और साधना विषयक सभीनियमो
का पालन करते हुए सम्पन्न करें।साधना काल में सिर्फ काले रंग के बिना सिले हुए वस्त्र धारण करने है और काले रंग का आसन होगा। सभी नियमों के साथ में एक बात का बहुत ध्यान रखना होगा कि अपने *वस्त्र*बर्तन* आप ही साफ करें अपने *भोजन खुद ही तैयार करें* एक समय भोजन करें भूमि स्यान करें। सामान्यतः इस साधना में एक बार ही दर्शन प्राप्ति हो जाती।जब मन्त्र जाप करें तो घेरे में बैठकर ही जपें।

                        ***।रक्षा मन्त्र।***
ॐ नमो आदेश गुरु का धरती माता धरती पिता धरती धरे ना धीर बाजे सिंगी बजे तरतरी आया गोरखनाथ मीन का पूत मूँज का छढ़ा लोहे का कड़ा यति हनुमंत हमारे पिंड पीछे खड़ा शब्द सच्चा पिंड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरों वांचा ।।

इस मंत्र से आपको घेरा लगाना है नायें चाक़ू पर 101 बार पढ़ कर दम करें और उस चाक़ू से घेरा लगाएं।और जाप करते हुए किसी भी हालत में घेरे से बाहर नही निकलना ये याद रखिए वरना गंभीर हालात हो सकते है।
अधिक जानकारी के लिए हमारे व्हाट्सएप 8194951381 पर संदेश भेजकर संपर्क करें।

सोमवार, 24 जून 2019

भूत प्रेत बाधा नाशक काली साबर मन्त्र

**(भूत प्रेत बाधा नाशक काली साबर मन्त्र)***

ॐ काली काली महाकाली नर की बेटी ब्रह्मा की साली काली हाँको निशिराती, हाय हाय रे ओझा मति पर करो, हमतो देवी आद कुमारी बरिया बाँधो असुर संघरो,
हाथ हाथ करो गोरे वैरी, हार खाये गूदाधड़कावे गूदा के पौनार बहावै,जाग जाग रे कालिका के पूत भैरो अवधूत,बरिया बांध मुर्दा बांध,बांध के बंसार कर दे ऊने बांध-ऊने बांध माई धीया डायन बांध बायें पुते ओझा बांध छुरी बांध कतार बांध जर्नल बांध सर्नल बांध हनुमन्त वीर चौकी बांध जाग जाग रे हरिया हरताल बामत लोकेश्वरी देवी गाही ऊंची पोखरी नीची पानी तहां बसे कामाक्षा रानी नैना इन्द्र पूजे लात मोर कहका काली कहां जाऊ ता पर गन छुड़ाऊं आपन गुन लगाऊं आपन गुन लेके इन्द्र लेके कैलाश जाऊँ बाइस मुस्का बांध के लाऊँ साबर मन्त्र भूत पराऐ दुहाई कालीकामाक्षा देवी के होवा सहाय।।
                    ******(प्रयोग 1)******
साधारण भाषा में यह मंत्र असाधारण कार्य करता है और भक्तों को सभी मनोवांछित फलों को प्रदान करने वाला यह एक गुप्त शाबर मंत्र है जो कि भगवती कालिका से संबंधित है और यह मंत्र भूत प्रेत इत्यादि भगाने के लिए बहुत सक्षम है इस मंत्र को सिद्ध करने की विधि इस प्रकार है कि किसी भी रवि मंगल वाले दिन किसी भी अमावस्या वाले दिन किसी पर्व के ऊपर होली दशहरा दीपावली के ऊपर आपको उपवास रखते हुए 508 बार जाप करना है और होम देनी है जौ तिल और देसी घी की तो यह मंत्र आपको सिद्ध हो जाएगा फिर इस मंत्र द्वारा 11 बार पढ़ कर के मोरपंख द्वरा झाड़ा लगा देने से भूत प्रेत ग्रसित व्यक्ति को आराम आ जाएगा नींबू पर यह 21 बार मंत्र पढ़कर 7 बार मरीज के सिर से उल्टा उतार काटकर वह नींबू काली माता को अर्पित करने से मरीज को भूत प्रेत इत्यादि बाधा से उसी समय छुटकारा मिल जाता है।
जब मरीज ठीक हो जाए तो काली माता के नाम से ₹21 का प्रसाद,या हलवा ,फूल और नारियल दो मीठे पान सात लड्डू और दो पीस बर्फी सात लौंग और सात इलायची यह माता काली के मंदिर में जा कर के समर्पित करने हैं।
                   ******(प्रयोग 2)******
जिस स्त्री को संतान ना होती हो और बहुत समय निकल गया हो जहां चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं और उनसे आराम ना आता हो तो इस मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके 7 तरह के अलग अलग वृक्षों के पत्ते एक मटके में डालकर  उससे जल को 1008 बार इस मंत्र से अभिमंत्रित करना है और उस स्त्री को जाकर के चौक पर स्नान करवा देना है यह करते हुए आपको कोई टोके नहीं कोई देखे नहीं और स्त्री के वस्त्र वहीं पर उतरवाकर के सुभाष वस्त्र पहना देने हैं इससे उसके संतान होने की संभावनाएं शत-प्रतिशत हो जाएंगी और सभी बाधाओं का नाश होगा फिर यही पानी उसको अभिमंत्रित करके देना है और इसी मंत्र द्वारा बंद करके ताजा उसको कमर में बांधने के लिए देना है यह सब क्रियाएं जटिल और लंबी हैं इसलिए इन क्रियाओं के लिए आपको हमसे या अपने गुरु जी से संपर्क करना होगा और उनके पूर्ण निर्देशन और मार्गदर्शन में ही इन मंत्रों का अनुष्ठान करें यह साधारण से लगने वाले मंत्र बहुत ही प्रभावी होते हैं क्योंकि हम इनको व्यावहारिक रूप से अपने कामकाज में इस्तेमाल करते हैं और इन मंत्रों के द्वारा ही सभी को ठीक किया करते हैं लेकिन विद्या के प्रसार के लिए मैं आपको यह मंत्र दे रहा हूं कृपया इन मंत्रों द्वारा कोई व्यवसाय करने की ना सोचे अन्यथा उस की संतान और संपत्ति सब नष्ट हो जाएगी धन्यवाद प्रणाम अधिक जानकारी के लिए आप हमारे व्हाट्सएप 8194951381 पर संदेश भेजकर संपर्क कर सकते हैं।

बांधी हुई गद्दी को खोलना और अभिचार पलटना।

किसी भी तांत्रिक शक्ति द्वारा किसी भी सात्विक शक्ति को रोक देना आम सी बात है किंतु यह एक गंभीर विषय है किसी के ऊपर चौकी बिठाना भेज देना तांत्रिक वर्ग में आम सी बात है लेकिन सामान्य जन को इसके बारे में पता नहीं होता और किसी के और किसी के ऊपर कोई तांत्रिक यदि अभिचारण करता है तो उसके कुछ सामान्य लक्षण होते हैं उनल क्षणो के आधार पर ये स्पष्ट हो जाता है है कि किसी व्यक्ति द्वारा तंत्र प्रयोग हुआ है।
ये लक्षण जैसे बदन से या घर से कभी कभी मुर्दे या मल मूत्र जैसी दुर्गन्ध का आना।
घर में लगा हुआ कोई वृक्ष पेड़ एकदम अचानक से सूख जाना।
एक ही सपने का बार बार आना वो भी अलग अलग व्यक्तियों को।
घर में मरी हुई मधुमखी का मिलना ।
खून के छींटे घर या आंगन मुख्य द्वार पर मिलना।
बिना किसी बीमारी के बीमार रहना और चिकित्सकों को रोग का पता ना चलना।
कलेजा सिर पेट कंधे लगातार औषधि लेने के बाद भी भारी रहना ।
काम करते हुए आलस्य का आना ,लगातार दो दो दिनों तक सोना ।
सपने में किसी मृत या पितृ का लगातार दिखाई देना ।
काम पर जाने से घबराहट होना।
बेवजह चिड़चिड़ापन होना
बारबार दर्पण का या काँच का टूटना।
ये कुछ सामान्य लक्षण हैं जिनसें  आपके ऊपर किये गये
बायें कान में लगातार सीटी बम्ब या पटाखे के चलने की या हवा के झोंके जैसे महसूस होना।
बार बार दुर्घटना का होना ।
दुकान फेक्ट्री कारोबार में अचानक बिना वजह नुकसान या
घाटा पड़ जाना।
इन सामान्य लक्षणों से अभिचार का पता लगता है। लेकिन कई बार ये परिस्थिति होती है कि जो हमारी मूर्खता से उत्पन्न होती है । कभी किसी देवता या देवी को मनोती मान कर भूल जाते हैं।वो सभी की समझ में आता है लेकिन तांत्रिक अभिचार भूत प्रेत दानव यक्ष पिशाच मसान के द्वारा के द्वारा किसी भी व्यक्ति की जो भौतिक समृद्धि है उसको तांत्रिक अभिचार से परेशान किया जा सकता है । सामान्य जन तांत्रिक दांवपेच नहीं जानते जो दांव पेच नहीं जानते तो उनका फसना आम सी बात है पिछली वीडियो में मैंने चार मंत्र जो बताए थे इस वीडियो में मंत्र और उनके अनुष्ठान की विधि आपको बता रहा हूं
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मन्त्र:-१. गुरु सठ सठ गुरु नीर गुरु शंकर गुरु साहब गुरु लक्ष्मी गुरु तंत्र गुरु जंतर गुरु मंत्र ,गुरु बिन साथ दिया ना देय, गुरु मनाऊं बड़े भक्त सेवा चुके सिंग्गी पूरे रण भावन हने दसों द्वार, डट पढ़े पर गुरु को सुमरो, पाय लागू करतार महावीर की खोपड़ी नाहर सिंह का चोला, मंत्र काट जंतर काट,फेर फ़ंद जो भी हो सब इसी वक्त खोल दें ,अड़सठ योगिनी दोहाई गुरु गोरखनाथ बंगाल खंड कामरु कामाक्षा देवी की आन।।
प्रातः काल उठकर के इस मंत्र का सुबह 108 बार अपने समक्ष पानी का एक लोटा या गिलास लेकर के इस मंत्र का जाप करते हुए जाप के उपरांत उस पानी को पी लेना है 41 दिन तक ऐसा करने से आपके सभी बंधनों से आप निवृत हो जाओगे।
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ये सभी तांत्रिक शक्तियों को जाग्रत करने का मंत्र है।

मन्त्र:-२.बाबा आदम सिर जंतर ले माई, नारसिंग वीर तेरी करू बड़ाई सिंग तड़ापो ऐके डार जागे होम जागे अग्यार जागे खेड़ापति रखवाला जागे करुआ जागे भरुआ जागे बीर मसाण जागे बाबा अघोरी जिन विद्या फटकारी जागे तन्त्र मन्त्र और यन्त्र अली अली मौला मुर्तज़ा अली मुश्किल कुशा अनी अनभली आवे न पास आवे सो चली जाए मौजे मुज़फ्फर की गली या खुली अल्लाह फकीरों की गली"।
41 दिन रोज़ इसका प्रतिदिन 1 माला जाप करना है और जल का पात्र अपने पास रखना है फिर जाप के अंत में वो जल पी लेना है।
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और इससे सभी तांत्रिक मंत्रों का प्रतिकार संभव है सबसे पहले जो मंत्र है किसी भी किए कराए को उसी पर वापस भेजने का मंत्र है
मन्त्र:- ३.एक ठो सरसों सोलह राई मोरो पटवल की रोज़ाई
खाए-खाए पड़े भार जो करे सो मरे उल्टी विद्या ताहि पर पड़े शब्द सांचा पिंड काचा हनुमान का मंत्र साँचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा ।।
यह इसके बारे में कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है किसी ने अगर कुछ कर दिया तो उसके अनुष्ठान करने से जो है वह सभी बाधाएं पलट जाती हैं इसको सिद्ध नही करना पड़ता किसी भी अच्छे दिन वाले दिन शुभ मुहूर्त में स्नान इत्यादि से 1008 की संख्या में जप करना है या प्रतिदिन 108 बार जपना है और उसके बाद यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा फिर अपने विचार ग्रस्त रोगी के सिर के ऊपर से सात बार और हाथ में लेकर के मंत्र पढ़ते हुए 21 बार बोल कर के राई और नमक को फूक देना है और उसको रोगी अभिचारग्रस्त के ऊपर से 7 बार उल्टा उतारने के बाद आग में डाल देना है तांत्रिक शक्तियों का प्रतिकार हो जाता है।
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अब मैं आपको बताता चौथा मन्त्र बताता हूँ।
मन्त्र :-४.उलटनी नारसिंग पलटनी काया,नारसिंग मोहे काहे ना बुलाया मरघट की मिट्टी गौरठ की छाया, साँकल चूड़ा लोहे का कर चूड़ा का मोल मारू तेरे गुरु को आगे धरे ना पाये, ना गुरु मेरा ना गुरु तेरा नारसिंग की पीपल सीतलन मुँह दाग,आओ नारसिंग देखें,उल्टा गिरे पछाड़ लोन चमारिन खेले धम्मारि मध और माँस की करू बयारी रूपे की रापी सोने की आर मारू पसली फट जाए करेज दुहाई लोन चमारिन की गुरु गोरखनाथ बंगाल खण्ड कामरू कमाक्षा देवी की आन।
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अपने आप में एक बहुत अधिक तीव्र गति से चलने वाला और बहुत ही जल्दी परिणाम देने वाला बंगाली तांत्रिक मंत्र है जो साधक इन मंत्रों की साधना करते हैं उनकी गद्दी को कभी भी किसी प्रकार से किसी भी क्रिया से रोका नहीं जा सकता इसमें मुख्यत है नींबू के प्रयोग से ही साधक अपने ऊपर किए गए प्रत्येक अभिचार का नाश कर सकता है उसी से उतार कर के शत्रु के ऊपर वापस पलट सकता है और यह मंत्र अनुभूत हैं वह भी कई वर्षों से उम्मीद है मेरी आपकोकाम देंगे।
लेकिन हां एक बात कहना चाहूंगा गुरु के सानिध्य में बहुत वर्षों तक सिखा गया हुनर या तजुर्बा 1 दिन में या एक वीडियो से नहीं समझा जा सकता आपके पास यदि ये मंतर हो भी तो भी आपको गुरु द्वारा सिखाये गये दांवपेच की आवश्यकता होगी तो आप हमारे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर संपर्क कर सकते हैं।

शीतला माता क्रोध शान्ति

****(((शीतला माता को शांत करने के उपाय)))*****


जिस घर में शीतला माता का प्रकोप हो उस घर में निम्न लिखित उपाय करने से माता शांत को जाती है।
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(((आवश्यक)))विषय को समझने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
मैं कोई बहुत बड़ा विद्वान या कोई भयंकर साधु नहीं जो मेरे अनुभव में आया उस ज्ञान को आधार बनाकर आपसे ये बातें सांझा कर रहा हु आशा है मेरे इस प्रयास से आपकी कुछ तो मदद होगी।

चेचक, शीतला,विस्फोटक ज्वर,मोतिझारा,आंत्रज्वर,बुखार के इलावा बहुत सारे और नामों से जाने वाली समस्या है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ये आमतौर पर पानी की अशुद्धि से होने वाला रोग है।धार्मिक रूप से रोग हिन्दू देवी शीतला माता से जुड़ा है जो कि आपने भक्त के रोग दूर करने की शक्ति रखती है मंद-मंद ज्वर और कभी तीव्र ज्वर इसमे होता है ये कोई नयी बात नही जीवन काल में प्रत्येक मनुष्य को ये समस्या एक बार तो आती ही है।अगर किसी को शीतला निकले और बुखार के साथ दाने भी निकलें तो ये अच्छी बात है दवा और परहेज करने के बाद रोगी पूर्णतया स्वस्थ हो जाता है परंतु कई बार ये लक्षण अलग होते है दाने नही दिखाई देते और इस रोग को पहचानना कठिन हो जाता है।परिणामस्वरूप रोग का उचित उपचार नही होता।
आज से कुछ दशक पहले जो बुद्धिमान गृहणियां होती थी इसके लक्षणों को पहचान कर उसका घर में ही उपचार एवम इलाज कर लेती थीं। आज जमाना फ़ास्ट फ़ूड का है ।किसी भी घर की कोई मर्यादा नही बची परहेज आदमी तब करते हैं जब ये मामला बहुत अधिक बिगड़ जाता है कई लोगों को तो दस दस साल के बाद भी पता नही लगता अपने तजुर्बे से बताता हूं मेरे सामने सैकड़ो मामले आये अधिकतर तो ठीक होगये लेकिन कुछ मामले ठीक नही हुए अब मैं आपको बताता हूं कि वो मामले ठीक क्यों नहीं हुए कलयुग ने (बल्कि लोगों ने खुद) लोगों की जीवनशैली को उनकी बौद्धिक क्षमता को नष्ट कर दिया है कि लोग परहेजगारी से काम नही लेते। मांस मदिरा गरिष्ट चटपटा तला भुना हुआ भोजन इस रोग में किसी प्रकार से भी उचित नही लेकिन लोग नही हटते।तो ये तो स्प्ष्ट है कि जब घर में किसी को शीतला का निकासन हो उसे उबला हुआ सुपाच्य और हल्का खाना देना चाहिए।ना कि गरिष्ट और तामसिक ।

ऐसा भोजन शीतला माता के रोगी के लिए श्राप से कम नहीं है मिर्च मसाले वाला तला हुआ भुना हुआ गरिष्ठ और तामसिक भोजन शीतला ग्रस्त रोगी के लिए बहुत ही भयानक होता है इसमें ऐसी चीजें की जो बहुत ठंडी और बहुत गर्म हो से परहेज करना चाहिए अधिकतर लोगों में तो दाने होने के बाद आराम आ जाता है और माता दाने दिखने के बाद या दर्शन देने के बाद वापस हो जाती है लेकिन कई एक रोगी जिनके परिवार का माहौल ऐसा नहीं होता कि जहां माता शीतला के प्रति उचित सदाचारी व्यवहार नही होता तो रुष्ट होकर के रोगी के ऊपर कोप कर देती हैं  पिछले 30 वर्षों में मैंने अनुभव किया है एक बहुत भयानक भूत और पिशाच की तरह ग्रस्त व्यक्ति की तरह उस रोगी के हालात हो जाते हैं और देखने वाले लोग जो ओझा तांत्रिक विद्या गुनिया होते हैं उनको यह चीज समझ नहीं आती।
और इस चीज को समझने के लिए इस देवी को समझने
के लिए बहुत ही ज्यादा तजुर्बा और मां के आशीर्वाद की जरूरत होती है सामान्यत है मैं देखता हूं कि जो शीतला ग्रस्त रोगी हैं उन्हें माता मदानन माता समझ लिया जाता है और शीतला के निमित्त जब पाठ पूजा और उचित व्यवहार नहीं होता तो वह समस्या और बढ़ती जाती है इसके रोगियों में प्राय लक्षण देखने को मिल जाते हैं रोगी छोटी-छोटी बात पर खींझने लग जाता है मंद-मंद बुखार रहता है हाथ पांव में दाह या जलन होती है आग से निकलना प्रतीत होता है शरीर में ऐठन रहेगी और शरीर में दर्द रहेगा स्मृति में कमी आ जाती है और रोगी का बल नष्ट हो जाता है घर में दारिद्रता का वातावरण हो जाता है और क्लेश रहने के  कारण ऐसे घर बहुत उजड़ते हुए मैंने देखे हैं।

इस स्तुति रूपी मन्त्र से बहुत आराम मिलता है।
शीतला त्वं जगतमाता शीतला त्वं जगतपिता शीतला त्वं जगन्नधात्रि शीतलाये नमो नमः।
इसका लगातार जाप करना चाहिए और सभी नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए।
इस माता को अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ जोड़ देना हाला की अभी भी शोध एवं विचार का विषय है।यहाँ ये याद रखना चाहिए कि शीतला एक अपर देवता है एवं देवताओं के भी वंदनीय है।
ये पूर्णतया शुद्व एव सात्विक देवता है।इस लिए जब किसी को आपके घर में देवी का निकासन हो पूर्णतः शुद्ध एवम सात्विक विचार रखें और शुद्ध एवं सात्विक भोजन करें।
हिंसा काम क्लेश आदिक विचारों से दूर रहें।
शीतला माता सामानतः आढाई घंटे,आधईदिन या एक हफ्ता ग्यारह दिन और अगर बहुत बिगड़ जाए तो 21 दिनों में शांत होजाती है लेकिन अगर परहेज़ ना हो तो फिर पूरी ज़िंदगी भी लोगों को इस समस्या से परेशान होते हुए देखा है।
देवी की आराधना में ही मन की ततपरता सदैव रखें।
बांस के झाड़ू से आंगण नही बुहारना ।कपड़े से साफ करें।
दाल सब्ज़ी को तड़का/छोका नही लगाना चाहिए।
खाने में हल्दी का प्रयोग वर्जित है।
पीट पीट कर या साबुन तेल सुगन्धि युक्त पदार्थों का प्रयोग नही करना चाहिए।
मांस शराब लहसुन प्याज उर्दी मसूर ये सभी चीजें नही खानी चाहिये।याद रखें घर में कोई भी आदमी शराब मांस खाकर नही आना चाहिए।
रोगी के पास ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनि वाद्य यंत्र नही बजाना चाहिये।
नीम के पत्ते बिस्तर के नीचे खूब सारे रखें ।
मरीज़ की खटिया के नीचे एक पात्र में पानी भरकर अड़हुल दो फूल डाल कर रात को रखें और फिर सुबह उसे किसी नीम के पेड़ की जड़ में डाल दें।
भूमि पर शयन करें।
ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।
गुग्गल की देसी घी और बतासा मिलाकर होम दें।
देवी भागवत अथवा दुर्गा सप्तशती दुर्गा नामावली दुर्गाशतनाम दुर्गा चालीसा शीतला चालिसा का पाठ करें।
खिचड़ी का प्रयोग करें या दही चावल का भोजन करें।
जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो सोमवार या शुक्रवार की शाम को चूल्हे को लीप पोतकर गुलगुले,पुए(गुड़ आटा तेल से)पूड़े बनाएं धूफ दीप लौंग इलायची पान फूल माता को अपनी सामर्थ्य के अनुसार चने की दाल भिगो कर दूसरे दिन  सुबह भोर में ही माता को कच्ची लस्सी से स्नान करवाकर चढ़ा दें और माता से शांत होने और अपने स्थान पर ही रहने की प्रार्थना करें।
अगर रोग का ज्यादा प्रकोप हो तो 11₹,सवा किलो गेहूं का आटा,एक नमक की थैली,एक बांस वाला झाड़ू रोगी के ऊपर से 7 बार उतारकर किसी ऊंची जगह पर श्री शीतला माता के नाम से रख दें। ये एक सामान्य परामर्श है इसको करने से पहले विशेषज्ञ से एक बार परामर्श कर लें।
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श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...