रविवार, 19 सितंबर 2021

पित्र दोष कारण लक्षण और सामान्य उपाय

सितंबर 2021 में 21 तारीक से पित्र पक्ष प्रारंभ होने जा रहे हैं।
(पितृ पक्ष)
15 दिनों का एक पक्ष होता है दो पक्षों से महीना और सामान्यतः 12 महीनों के एक वर्ष होता है 
इसमें क्रमशः एक से लेकर पंद्रह  तिथियां होते हैं पूरे साल में यही 15 तिथियां  बार-बार आती रहती हैं
इसीलिए जो कोई मृतक जिस तिथि को मृत्यु को प्राप्त हो उसी तिथि को उसका श्राद्ध होता है।
इस प्रकार इन पंद्रह तिथियों में पूरे वर्षभर में होने वाले ददेहावसानों का श्राद्ध इन पंद्रह दिनों में ही किया जाता है।

भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में खास तौर पर गरूड़ पुराण में  मृत्यु और पुर्नजन्म की व्याख्या बहुत ही विस्तृत रूप से बताई गई है।

जिसके अनुसार मृत्यु के बाद केवल अधिभौतिक देह नष्ट होती है,लेकिन आत्मा अमर रहती है। जो मृत्यु के बाद फिर से जीवन चक्र में और जन्म लेती है जिसे पुर्नजन्म कहा जाता है। 

हमारे शास्त्रों में जीवित लोगों के साथ-साथ मृत व्यक्तियों को भी भोजन और तर्पण के जरिए मुक्ति दिलाने के बारे में बताया गया है। 

आज हम आपको पितृदोष के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में बताते हैं जिससे आप इसके असर से समय रहते ही बच सकें या कम कर सकें। 

प्रेत दोष से कैसे बनता है पितृ दोष ?
पितृदोष क्या होता है ?

दरअसल अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए या किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो  वो प्रेत बनता है  

उस मनुष्य की आत्मा मुक्ति के लिए विधिवत नारायण बलि करवानी चाहिए ताकि जो आकाल मृत्यु वाले मनुष्य की नारायण बलि नहीं करवाते वो व्यक्ति प्रेत बनता है 

उक्त व्यक्ति से जुड़े परिवार की कई पीढ़ियों को तक प्रेत पीड़ा की वजह से पितृदोष का दंश झेलना पड़ता है। और हर प्रकार से  कारोबार में नुकसान होता रहता है और वंश वृद्धि में भी रूकावट ,परिवार में अशांति होती है इसके लक्षणों से मुक्ति के लिए जीवन भर उपाय करने की जरूरत होती है।

पितृ दोष के पैदा होने वाले कुछ लक्षण आपको बता रहा हूँ
 
1. संतान न होना, संतान हो तो विकलांग, मंदबुद्धि या चरित्रहीन अथवा होकर मर जाना।

2. नौकरी, व्यापार में हानि, बरकत न हो बार बार नुकसान होना ।

3. परिवार में एकता न होना, लड़ाई झगड़े हर समय बनी रहना  अशांति रहना ।

4. घर के सदस्यों में एक या अधिक लोगों का अस्वस्थ होना, इलाज करवाने पर ठीक न होना।

5. घर के युवक-यु‍वतियों का विवाह न होना या विवाह में विलंब होना।

6. अपनों के जरिए धोखा मिलना।

7. दुर्घटनादि होना, उनकी पुनरावृ‍त्ति होना।

8. मांगलिक कार्यों में विघ्न होना।

9. परिवार के सदस्यों में किसी को मानसिक-बाधा होना इ‍त्यादि।

10. घर में हमेशा तनाव और कलेश रहना।

अगर आपको अपने घर में कुछ ऐसे ही लक्षण दिखाई दें तो की विद्वान ब्राह्मण से मिलकर उपाय अवश्य करवाएं

पितृ दोष लगने के कुछ सामान्य कारण आपको बता रहा हूँ

1.पितरों का विधिवत् संस्कार, श्राद्ध न होना।

2. पितरों की विस्मृति या अपमान।

3. धर्म विरुद्ध आचरण।

4. वृक्ष, फल लदे, पीपल, वट इत्यादि कटवाना।

5. नाग की हत्या करना, कराना या उसकी मृत्यु का कारण बनना।
6. गौहत्या या गौ का अपमान करना।

7. नदी, कूप,तड़ाग या पवित्र स्थान पर मल-मूत्र विसर्जन।

8. कुल देवता,देवी, इत्यादि का अपमान करना।

9. पवि‍त्र स्थल पर गलत कार्य करना।


पितृ दोष निवारण के उपाय :-

1.पितरो के लिए सवा लाख पितृ गायत्री मंत्र जप, श्रीमद्वभागवत का मुल पाठ तर्पण ओर पितरो के लिए  पिडं दान  करे योग्य ब्राह्मण से करवाऐ !

2. अगर किसी के घर में प्रेत बाधा हो तो नारायण बलि और त्रिपिंडी  करवाने से वो प्रेत जीव अकाल मृत्यु प्रेत योनि  से छुट जाता है और भगवान नारायण के द्वारा मोक्ष  को पाता है 

3.यदि व अपने परिवार से प्रेत से मुक्ति करके पित्रो में मिलाया जाता है सपिंडी करके  उसके बाद उस परिवार की सभी प्रेत बाधाएँ खतम हो जाती हैं आगे जीवन में सुख  शांति ओर तरकी का रास्ता साफ हो जाता है।

1. श्राद्ध पक्ष में  पितृ तर्पण अवश्य करें।

2. पंचमी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा को पितरों के निमित्त दान इत्यादि करें।

3. घर में भगवत गीता पाठ विशेषकर 11वें अध्याय का पाठ नित्य करें।

4. पीपल की पूजा, उसमें मीठा , गंगाजल जल ,दूध ओर  दीपक नित्य लगाएं। परिक्रमा करें।

5. हनुमान बाहुक का पाठ, रुद्राभिषेक, देवी पाठ नित्य करें।

6. श्रीमद् भागवत के मूल पाठ घर में श्राद्धपक्ष में  या ब्रहम गायत्री या पितृ गायत्री का सवा लाख पाठ  सुविधानुसार करवाएं।

7. गाय को हरा चारा, पक्षियों को सप्त धान्य, कुत्तों को रोटी, चींटियों को चारा नित्य डालें।

8. ब्राह्मण-भोज करवाएं।

9. सूर्य को नियमित रूप से तांबे के पात्र से जल चढ़ाएं

श्री झूलेलाल चालीसा।

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