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गुरुवार, 23 नवंबर 2023

बगलामुखी देवी मंत्र के नुकसान

           माता बगलामुखी मन्त्र के नुकसान।
आद्य शक्ति भगवती माता बगलामुखी देवी सनातन धर्म में एक प्रमुख पूजनीय देवी हैं, दसमहाविद्या तन्त्र के अंतर्गत दुश्मनों को हराने और अपने भक्तों को नुकसान से बचाने के लिए उनकी पूजा की जाती है। 

माँ बगलामुखी या पीताम्बरा देवी के रूप मे भी जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । दस महाविद्याओं में से एक हैं – महान ज्ञान देवी। बंगलामुखी देवी की पूजा प्राचीन काल से चली आ रही है, और उन्हें शक्ति या दिव्य स्त्री ऊर्जा का एक उग्र रूप माना जाता है।

वैसे यदि हम बंगलामुखी नाम की बात करें तो इसका मतलब होता है , दुश्मनों को दूर भगाने वाली और नकारात्मकता को नष्ट करने वाली देवी । 

उनकी प्रतिमा एक हाथ में गदा पकड़े हुए और दूसरे के साथ एक राक्षस रूपी शत्रु की जीभ खींचती है, यह दर्शाता है कि वह नकारात्मक भाषण को दबा सकती है। उसे अक्सर खोपड़ियों से बने सिंहासन पर बैठे हुए भी चित्रित किया जाता है, जो मृत्यु पर विजय के प्रतीक के रूप मे देखा जा सकता है।

बगलामुखी के मंत्र का प्रयोग आमतौर पर शत्रु जैसी समस्याओं के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे कि आपको शत्रु काफी अधिक परेशान कर रहे हैं। तो बगलामुखी विधान का प्रयोग किया जाता है।

यदि आप बगलामुखी साधना करना चाहते हैं , तो आपको पहले ही बतादें कि यह एक प्रकार की उग्र देवी होती है। इसलिए बिना गुरू के आपको इनकी साधना नहीं करनी चाहिए । यदि आप बिना गुरू के साधना करते हैं तो आपको भयंकर नुकसान हो सकते है। बगलामुखी मंत्र के नुकसान के बारे मे इस लेख में हम आपको यहां पर बताने वाले हैं।

जब हम बिना गुरू को धारण किये हुए कोई भी बगलामुखी की साधना करते हैं , तो वह साधना बिगड़ जाती है। और खास कर उग्र शक्तियों की साधना आप बिना जानकार के करते हैं तो इसके भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं। बगलामुखी मंत्र के नुकसान प्रत्यक्षीकरण नहीं होता है 

बगलामुखी मंत्र के नुकसान 
 यदि आप बिना गुरू के या बिना किसी तरीके के बगलामुखी की साधना करते हैं , तो सबसे पहली बात आप देवी को देख नहीं सकते हैं। और देख नहीं सकते हैं , तो फिर आपको पता ही नहीं चलता है , कि आपने देवी की साधना की है या फिर किसी और की साधना की है। तो आपको यदि देवी सिद्ध हो गई है , तो फिर आपको दिखना चाहिए । लेकिन ऐसा नहीं होता है।

चुड़ैले इत्यादि सिद्ध हो सकती हैं
वैसे यदि आप सही तरह से बगलामुखी की साधना करते हैं ,तो कोई समस्या नहीं होगी । परंतु कई बार क्या होता है , कि जब आप मंत्र की उर्जा पैदा करते हैं , तो इसकी वजह से आस पास की जो नगेटिव उर्जा होती है , वह आपकी ओर आकर्षित हो जाती है। और उसकी वजह से चुड़ैलें इत्यादि सिद्ध हो जाती हैं। और यह आपकी पूरी व्यवस्था को बरबाद कर देती हैं। आप तो जानते ही हैं कि ये किसी का भला क्या कर सकती हैं।

और एक बार यदि आपके पीछे कोई ऐसी निम्न स्तरीय शक्ति लग जाती है , तो फिर उस से आपका पीछा छूटाना काफी अधिक क​ठिन हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसलिए सोच और समझ कर ही साधना करें ।

बगलामुखी साधना के नुकसान आप मनोविक्षिप्त अर्थात पागल हो सकते हैं यदि आप बगलामुखी की साधना करते हैं और कोई और शक्ति उसकी जगह पर आ जाती है। तो इसका असर आपके दिमाग पर सीधा पड़ता है। और यह शक्ति आपके दिमाग को घूमा देती है। और आपको पता नहीं चल पाता है कि आप के साथ क्या हो रहा है।

और एक बार आपके दिमाग के उपर असर हो जाता है तो आप पागल हो सकते हैं।बहुत समय पहले चंडीगढ़ से एक लड़के का केस आया था, जोकि इसी तरह की साधना कर रहा था । उसको देवी तो सिद्ध हुई नहीं लेकिन एक निम्नस्तरीय शक्ति सिद्ध हो गई और उसकी वजह से उसको काफी परेशानी हुई ।

बहुत अधिक गर्मी का महसूस होना और भ्रम का होना 
दोस्तों यदि आप बगलामुखी की साधना करते हैं , तो आपको बहुत अधिक गर्मी लग सकती है। और आपको अचानक से आपको ठंड लग सकती है। ऐसा एहसास हो सकता है , कि आप सारे कपड़े उतारकर फेंक दें । 

इसके अलावा आपको यह भी एहसास हो सकता है , कि आपके कमरे के अंदर कोई चल रहा है। इस तरह के अजीब अजीब अनुभव हो सकते हैं। और अधिकतर यह सब चीजें भूत प्रेत की वजह से हो सकता है। उस समय ये आपको पता नहीं चलेगा ।

हमेशा ये याद रखें देवी किसी का बुरा नहीं करती है। मगर देवी के नाम पर जब आप साधना के अंदर कमी करते हैं तो कुछ डाकिनी शाकिनी इत्यादि निम्नस्तरीय शक्तियां आ सकती हैं। और वह आपकी मंत्र उर्जा को चुरा लेंगी । और यह उस उर्जा का प्रयोग करने लग जाएंगी । ताकि यह खुद उस उर्जा की मदद से काफी ताकतवर हो जाएं ।

आपको यह पता भी नहीं चलेगा कि आपके साथ क्या हो सकता है? इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।

इसके अलावा यदि आप देवी बगलामुखी साधना करते हैं। और उसके अंदर गलती करते हैं , तो एक यह नुकसान भी हो सकता है , कि क्षुद्र शक्तियां आपकी उर्जा को चुरा लेंगी । इसके अलावा वे कई बार साधक की मौत का भी कारण बन सकती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसलिए आपको जो कोई भी साधना करनी है , सब कुछ सोच समझकर ही करना होगा । नहीं तो नुकसान होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है।

असल मे इस तरह की साधना करने से क्षुद्र शक्तियां आपके पीछे लग जाएंगी । और वे आपको एहसास ही नहीं होने देंगी कि वे क्षुद्र शक्तियां हैं या फिर देवी हैं ? आपको लगेगा कि देवी है। लेकिन देवी कभी किसी के पीछे नहीं घूमती है। और इसी चक्कर मे आप अपने प्राण गवा सकते हैं। इसलिए कोई भी साधना सोच समझकर ही करें । इसलिए साधना करने से पहले आपको चीजों के बारे मे ठीक तरह से जान लेना चाहिए ।

 जब आप किसी देवी या देवता का मंत्र का जाप करते हैं , तो उसकी वजह से क्षुद्र शक्तियां female lower energy आपकी तरफ आकर्षित हो जाती हैं। और उसके बाद वे आपके साथ संबंध भी बना सकती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि ऐसा होगा तो आपको पता चलेगा कि आप काफी अधिक कमजोर महसूस करेंगे । और आपको लगेगा कि आपके साथ रात मे कोई दुष्कर्म कर रहा था ।

और यह जो समस्याएं होती हैं वे अक्सर तब होती हैं , जब आप किसी बिना गुरू के साधना करने बैठ जाते हैं। तो इस बात को आपको अच्छी तरह से समझ लेना है। और आपको गुरू के बताए मार्ग पर चलकर ही साधना करनी होगी ।

 यदि आप बगलामुखी की साधना सही तरह से नहीं करते हैं तो इसका नुकसान होना तय होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आप बिजनेस कर रहे हैं या फिर कोई काम कर रहे हैं , तो उस काम के अंदर आपको अचानक घाटा होना हो जाएगा । और आपको इसके बारे मे कुछ भी पता ही नहीं चल पाएगा । तो यह सब नुकसान इस साधना से हो सकते है।

दोस्तों यदि आप बगलामुखी की साधना करते हैं , तो इसका एक नुकसान यह भी होता है। इसकी इसकी वजह से आस पास की जो बुरी शक्तियां होती हैं , वे आपके उपर आक्रमण कर देती हैं। और वे आपको हमेशा परेशान करती रहती हैं। और जब आदमी काफी अधिक परेशान हो जाता है , तो फिर वह solution के लिए भागता है। आप इस बात को समझ सकते हैं , तो चीजों को सोच समझकर ही करें ।

दूसरी अन्य निम्न स्तरीय और शुद्र शक्तियों की साधनाओं में साधक को प्रत्यक्षीकरण नही होता बगलामुखी माता के मंत्र अनुष्ठान के बाद साधक के आस पास बहुत प्रचंड ऊर्जा का संचरण होता रहता है जिसके कारण अगर साधक कभी किसी अन्य भूत प्रेत जिन्न बेताल की साधना करता है तो उस में साधक को कभी  प्रत्यक्षीकरण नही हो पाता।

बगलामुखी साधना के बारे मे संक्षिप्त जानकारी।

​ सतयुग के अंदर एक बार समुद्र के अंदर काफी भीषण तूफान उठा तो फिर भगवान विष्णू ने तप करने की ठानी ।उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ था । 

इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।आपको बतादें कि बगलामुखी के वस्त्र और पूजन सामग्री पीले रंग की होती है , और इसके अंदर साधना के लिए हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है।

अब हम आपको यहां पर बताने वाले हैं कि बगलामुखी की साधना किस तरह से की जाती है । और इसके बारे मे विस्तार से बताएंगे ।

इसके लिए आपको पीले वस्त्र को धारण करना होगा । बाल भी नहीं कटवाना होगा । मंत्र के जप रात्रि के 10 से प्रात: 4 बजे के बीच करें। और दीपक की बाती को हल्दी के रंग से रंगकर सूखा लेना होगा । उसके बाद साधना के अंदर कौनसा मंत्र best होता है ।

 इसके बारे मे आप अपने गुरू से परामर्श करें ।

साधना में जरूरी श्री बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है।और इसको चांदी के पात्र या फिर तांबे के पात्र पर अंकित करवाया जाना चाहिए ।

 इसकी सही साधना के बारे मे अपने गुरू से परामर्श करें । और आपका गुरू आपको जो निर्देश देता है। आपको उसका पालन करना चाहिए । 

प्रभावशाली मंत्र मां बगलामुखी विनियोग मंत्र के बारे मे जानकारी

अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। 
श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। 
स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।

ॐ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

आवाहन
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

ध्यान
सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

मंत्र
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।

आपको बतादें कि मां बगलामुखी के मंत्र का आपको ठीक तरह से जाप करना चाहिए । और यदि आप ठीक तरह से नहीं करते हैं , तो आपके लिए नुकसान हो सकता है। आप इस मंत्र को 5 लाख बार जाप करें । 

ऐसा करने से मंत्र सिद्ध हो जाएगा ।

बगलामुखी देवी की साधना के फायदे
इस लेख में हम आपको संक्षिप्त रूप में बगलामुखी देवी की साधना के फायदे के बारे मे बताने वाले हैं। यदि आप यह साधना करते हैं । तो इसके कई सारे फायदे आपको मिलते हैं। जिनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं बगलामुखी साधना के फायदे ।

बगलामुखी की साधना से जातक के जीवन मे समृद्धि आती है।
यदि आपके घर के अंदर धन की काफी अधिक कमी है , तो आप यह उपाय कर सकते हैं। 

लेकिन हमेशा याद रखें कि यदि आप गलत तरीके से साधना करते हैं । तो इसकी वजह से बड़ा नुकसान भी हो सकता है। 

आपकी मनोकामना पूर्ण होती है।

यदि आप बगलामुखी साधना को करते हैं जिसकी वजह से आपकी मनोकामना पूर्ण होती है। यदि आप अपने मन मे कोई इच्छा लिए बैठें हैं तो उसके पूरे होने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं। यह एक तरह से काफी अच्छी साधना है।

नौकरी और व्यापार से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं।

दोस्तों आपको बतादें कि यदि आप बगलामुखी देवी की साधना करते हैं , तो इसका एक बड़ा फायदा यह भी होता है । कि यह आपकी नौकरी और व्यापार से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं। यदि आपका नौकरी या फिर काम अच्छा नहीं चल रहा है , तो इस साधना से सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी और आपका बिजनेस भी काफी तेजी से ग्रो होता है। कुल मिलाकर यह आपके काम के लिए काफी बेहतर साधना होती है। आप इस बात को समझ सकते हैं।

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023

श्री बगलामुखी मन्त्र प्रयोग।

बगलामुखी मन्त्र प्रयोग।
माता की आराधना युद्ध, वाद-विवाद मुकदमें में सफलता, शत्रुओं का नाश, मारण, मोहन, उच्चाटन, स्तम्भन, देवस्तम्भन, आकर्षण कलह, शत्रुस्तभन, रोगनाश, कार्यसिद्धि, वशीकरण, व्यापार में बाधा निवारण, दुकान बाधना, कोख बाधना, शत्रु वाणी रोधक आदि कार्यों की बाधा दूर करने और बाधा पैदा करने दोनों में की जाती है। साधक अपनी इच्छानुसार माता को प्रसन्न करके इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।

क्योंकि देखा जाता है कि लोग अपनी विफलता से दुखी नहीं, बल्कि दूसरों की सफलता से अधिक दुखी हैं। ऐसे में उन लोगों को सफलता देने के लिए माताओं में माता बगलामुखी मानव कल्याण के लिये कलियुग में प्रत्यक्ष फल प्रदान करती रही हैं। आज इन्हीं माता, जो दुष्टों का संहार करती हैं। अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना और शुभ समय का संर करती हैं। ऐसी माता के बारे में मैं अपनी अल्प बुद्धि से आपकी प्रसन्नता के लिए इनकी सेवा आराधना पर कुछ कहने का साहस कर रहा हूं। 

मुझे पूर्ण विश्वास है कि मैं माता बगलामुखी की जो बातें आपसे कह रहा हूं अगर आप उसका तनिक भी अनुसरण करते हैं तो माता आप पर कृपा जरूर करेंगी, लेकिन पाठक भाइयों ध्यान रहे। इनकी साधना अथवा प्रार्थना में आपकी श्रद्धा और विश्वास असीम हो तभी मां की शुभ दृष्टि आप पर पड़ेगी।

इनकी आराधना करके आप जीवन में जो चाहें जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं। सामान्यत: आजकल इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं। इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, वरन उसे मनमाना कष्ट पहुंच सकता है। 

जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि माता श्रद्धा और विश्वास से आराधना (साधना) करने पर अवश्य प्रसन्न होंगी, लेकिन ध्यान रहे इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य परमावश्यक है।

गृहस्थों  के लिये माता की आराधना का सरल उपाय बता रहा हूं। आप इसे करके शीघ्र फल प्राप्त कर सकते हैं। माता  का अनुष्ठान (साधना) आरम्भ करने बैठे तो सर्वप्रथम शुभ मुर्हूत, शुभ दिन, शुभ तथा एकांत स्थान, स्वच्छ वस्त्र पहनकर आम की लकड़ी से निर्मित जिस पर पीला रंग किया जा सकता है उसपर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर माता की की प्रतिमा चित्र अथवा यन्त्र स्थापित करें नये ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत चित्त, भोले भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ कर सकते हैं। 

अगर आप अति निर्धन हो तो केवल पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की 108 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन कम्बल, कुशा या मृगचर्य जो भी हो उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

माता बगलामुखी की आराधना के लिये जब सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर बैठें (उत्तर मुख) तो दो बातों का ध्यान रखें, पहला तो यह कि सिद्धासन या पद्मासन हो, जप करते समय विशेष बात का ध्यान रखें कि पैर के तलुओं और गुह्य स्थानों को न छुएं शरीर गला तथा आपके सिर सम स्थित होना चाहिए। जाप करते समय माला को गोमुखी में रखकर ही जाप करें अथवा गोमुखी के अभाव में आप पीले रंग के वस्त्र का प्रयोग माला ढांकने में इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसके पश्चात गंगाजल से छिड़काव कर (स्वयं पर) यह मंत्र पढें :- अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपिवा, य: स्मरेत, पुण्डरी काक्षं स बाह्य अभ्यांतर: शुचि:। 

उसके बाद इस मंत्र से दाहिने हाथ से आचमन करें :-ऊं केशवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, ऊं माधवाय नम:। अन्त में ऊं हृषीकेशाय नम: कहके हाथ धो लेना चाहिये।

इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हुए तीन बार प्राणायाम करें। चोटी बांधे और तिलक लगायें। 

अब पूजा दीप प्रज्जवलित करें। फिर विघ्नविनाशक गणपति का ध्यान करें। 

मंत्र शुद्ध पढऩा चाहिये। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा। इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखें। 

अब आप गणेश जी के बाद सभी देवी-देवादि कुल, वास्तु, नवग्रह और ईष्ट देवी-देवतादि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए कष्ट का निवारण कर शत्रुओं का संहार करने वाली बगलामुखी का विनियोग मंत्र दाहिने हाथ में जल लेकर पढ़ें-

ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप्छन्द: बगलामुखी देवता, ह्लींबीजम् स्वाहा शक्ति: ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग: 

(जल नीचे गिरा दें)। 

फिर माता का ध्यान करें, 
याद रहे सारी पूजा में हल्दी और पीला पुष्प अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

ध्यान-
मध्ये सुधाब्धिमणि मण्डप रत्न वेद्यां,
सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम,
पीताम्बरा भरण माल्य विभूषिताड्गीं
देवीं भजामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम
जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं,
वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम,
गदाभिघातेन च दक्षिणेन,
पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि॥

अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर उपरोक्त ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करें। उसके बाद यह मंत्र जाप करें। साधक ध्यान दें, अगर पूजा मैं विस्तार से कहूंगा तो आप भ्रमित हो सकते हैं। परंतु श्रद्धा-विश्वास से इतना ही करेंगे जितना कहा जा रहा है तो भी उतना ही लाभ मिलेगा। जैसे विष्णुसहस्र नाम का पाठ करने से जो फल मिलता है वही ऊं नमोऽभगवते वासुदेवाय से, यहां मैं इसलिये इसका जिक्र कर रहा हूं ताकि आपके मन में कोई संशय न रहे। राम कहना भी उतना ही फल देगा। अत: थोड़े मंत्रो के दिये जाने से कोई संशय न करें। अब जिसका आपको इंतजार था उन माता बगलामुखी के मंत्र को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। 

मंत्र है :- ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा। 

इस मंत्र का जाप पीली हल्दी की गांठ की माता से करें। आप चाहें तो इसी मंत्र से माता की पंचौपचार या  षोड्शोपचार विधि से पूजा भी कर सकते हैं। 

इस अनुष्ठान के दौरान आपको कम से कम पांच बातें पूजा में अवश्य ध्यान रखनी है-

1. ब्रह्मचर्य, 
2. शुद्घ और स्वच्छ आसन 
3. गणेश नमस्कार और घी का दीपक 
4. ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण 
5. पीले वस्त्र पहनना,हल्दी की माला से जाप करना। 

आप कहेंगे मैं बार-बार यही सावधानी बता रहा हूं। तो मैं कहूंगा इससे गलती करोगे तो माता शायद ही क्षमा करें। इसलिये जो आपके वश में है, उसमें आप फेल न हों। बाकी का काम मां पर छोड़ दें। इतनी सी बातें आपकी कामयाबी के लिये काफी हैं।

अधिकारियों को वश में करने अथवा शत्रुओं द्वारा अपने पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए यह अनुष्ठान पर्याप्त है। 

इस प्रकार आपको इस मंत्र का एक लाख पच्चीस हज़ार जाप करना है और उसका दसवां हिसा हवन हवन का दसवां तर्पण तर्पण का दशांश मार्जन ब्राह्मण भोजन करवाकर इस अनुष्ठान को संपन्न करना चाहिए।

पुरश्चरण के उपरांत निम्न प्रयोग इच्छा की पूर्ति के लिए किअए जा सकते हैं।

अगर इस को भगवान शिव के मन्दिर में बैठकर सवा लाख जाप फिर दशांश हवन करें तो सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं। 

तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती हैै और दरिद्रता दूर भागती है। 

गूगल और तिल से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है। अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए। अनुभूत प्रयोग कुछ इस प्रकार है। 

मधु, शहद, चीनी, दूर्वा, गुरुच और धान के लावा से हवन करने से समस्त रोग शान्त हो जाते हैं। 

गिद्ध और कौए के पंख को सरसों के तेल में मिलाकर चिता पर हवन करने से शत्रु तबाह हो जाते हैं। 

मधु घी, शक्कर और नमक से हवन आकर्षण (वशीकरण) के लिए प्रयोग कर सकते हैं। 

अत: आप स्वयं के कल्याण के लिए माता की आराधना कर लाभ उठा सकते हैं। 

यहां संक्षिप्त विधि इसलिये दी गई है कि सामान्य प्राणी भी माता की आराधना कर लाभान्वित हो सकें। 

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...