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मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

सुलेमानी शेढो श्याम कौर मोहिनी।



सुलेमानी श्याम कौर मोहिनी।

ॐ नमो आदेश गुरु को।
तेल तू तां महा तेल।
श्याम कौर शेढो मोहिनी।
दिखादे आपने इल्म का खेल, 
राजा मोहीं परजा मोहीं 
सकल........ दी बाईस सौ ख़्वाज़े मोहीं
....................मोहीं।
ठोकर मारे मुँह जले।
बैठी है बैठी की लियाई।
खड़ी है खड़ी को बुलाई।
पैरीं पा दे बेड़ी।
हत्थीं घात जंजीर .......
हाज़िर कर मां शेढो श्याम कौर 
दिखादे आपके इल्म का खेल।
दुहाई बाबे सबल सिंह की।
दुहाई नागे गुरुओं की।
दुहाई बाबे अस्तबली पीर की।
दुहाई पीर फ़रीद की।

(इस मंत्र के कुछ अंश गुप्त रखे गए है )

उपरोक्त मंत्र एक गुरमुखी मंत्र है और इसके अंश सुरक्षित रखे गए हैं।

इस प्रकार के जितने भी गुरमुखी मंत्र होते हैं उनके अक्षरों के साथ छेड़छाड़ करने से मंत्र शक्ति हीन हो जाते हैं और कभी काम नहीं करते।

साधक को जीवन में सफल होना हो तो ऐसे गुप्त मंत्रों की जोकि गुरु प्रदत्त हो जीवन में एक बार धैर्य के साथ साधना कर लेनी चाहिए।

इसमें माता श्याम कौर शेढो के दर्शन प्राप्त होते हैं और फिर साधक के पास वशीकरण करने और तोड़ने की शक्ति आ जाती है।

आप कहीं भी हो साध्य कहीं भी हो, कैसा भी काम हो कोर्ट कचहरी का, या कैसा भी कोई भी काम हो इस मंत्र को सिद्ध कर लेने के बाद नहीं रुकता और फौरन हो जाता है।

 मेरे अपने जीवन में भी इस मंत्र के बहुत उत्तम अनुभव हैं और कई बार प्रयोग करने के बाद जीवन में कभी भी निराशा हाथ नहीं लगी।

इस साधना में साधक को एकांत कमरे से 40 दिन के बाद ही बाहर आना है या रात्रि में ही निकलना है और किसी दूसरे व्यक्ति का मुंह नहीं देखना तो साधक को मां शाम कौर के दर्शन प्राप्त होते हैं।

दूसरा तरीका इस मंत्र को सिद्ध करने का यह है जो साधक भाई बहन इतनी बंदिश बर्दाश्त नहीं कर सकते उनके लिए अलग उपाय बताता हूं इस मंत्र को मध्यरात्रि में एकांत स्थान पर 10 माला जाप करें उसके बाद देवी के निमित्त होम भोग इत्यादि प्रदान करने पर इस देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है इसे क्रमशः 41 दिन तक करना होता है।

भोग में लड्डू बर्फी पेड़ा चमेली के फूल या गुलाब के फूल सेंट सोलह सिंगार पानी वाला नारियल लौंग सुपारी कलावा और मीठे पान का विशेष महत्व है।

जब साधक शुरू में इस साधना को प्रारंभ करता है तो उसको दूसरे तीसरे दिन ही इसके विशेष प्रभाव और लक्षण स्पष्ट होने लग जाते हैं भिन्न भिन्न प्रकार की ताकतें अपने आपको महसूस करवाती हैं साधक के ओतप्रोत विभिन्न शक्तियों का संचरण होने लग जाता है और वह एक मार्मिक पल होता है।

 मेरे कहने का तात्पर्य यह है जब भी आप इस अनुष्ठान को स्टार्ट करते हैं यहां आरंभ करते हैं तो इसमें अनुभव बहुत होते हैं सपने मैं और वास्तविकता में जाप काल के दौरान भिन्न भिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं।

साधक को अपने इंद्रिय सुख का त्याग करना पड़ता है त्यागी और संयमी साधक ही इस देवी का आशीर्वाद पा सकता है भोगी विलासी प्रवृत्ति का आदमी इसे ना करें तो अच्छी बात है क्योंकि उसका पतन होना इस साधना से तय होता है।

इस देवी का नाम ही बहुत है इसकी सेवा 41 दिन की होती है और वह भी एक बंद कमरे में।

एक बड़ा सा मटका लेकर उसने सात प्रकार के फलों के पांच पांच पत्ते, सात प्रकार के फूल, और साथ ही सात नलों/नदियों का पानी और सर्व औषधि युक्त जल से स्नान करके अर्ध रात्रि में ही जाप किया जाता है।

जाप के स्थान पर जहां आप अनुष्ठान करेंगे पूर्वाभिमुख लाल ऊनी या लाल कंबल का आसन लगाना चाहिए।

आपके सामने अखंड तिल्ली के तेल का दीपक जलता रहना चाहिए और साथ ही सरसों के तेल का दिया वह भी जाप के दौरान चलता रहना चाहिए।

पर्यावरण को सुगंधित रखें धूप अगरबत्ती इत्यादि  चलते रहने चाहिए  सिगरेट बीड़ी इत्यादि के नशे को पूर्णतया त्याग दें।

सुगंधित फूलों का पूजा में प्रयोग करें हिंसा क्रोध लोभ इत्यादि का परित्याग करें।

यथासंभव प्रयोग को गुप्त रूप में करें और किसी से भी इसका व्याख्यान ना करें, कोई भी अनुभव किसी से साझा ना करें। चाहे वह अनुभव कोई अच्छा अनुभव हो या भयंकर अनुभव हो।

अगर आपको भयंकर अनुभव आए तो थोड़ा सरसों का तेल और थोड़ी काली तिल्ली लेकर अपने सिर के ऊपर से 7 बार उल्टा उतार कर भगवान शंकर की पिंडी  पर समर्पित कर दें।

भयंकर अनुभव या भयंकर छवियां दिखना इस बात की ओर इशारा है कि आप का प्रयोग सफल हो रहा है अतः डरे ना इस प्रयोग को पूरा करें।

जिस दिन यह प्रयोग आप शुरू करें उसी दिन आप समझ ले कि आप 40 दिन के लिए अमृत हो यानी कि कहीं भी खुशी गमीं में आप जा नहीं सकते।

इसमें कमजोर हृदय वाले मनुष्य जिनको हृदयाघात की शिकायत हो उनका पाठ करना सही नहीं रहता।

जिनके शरीर का बाल कम हो जिसके मन का बल कम हो या किसी भी बीमारी से ग्रसित हो या जल्दी ही डर जाने वाले मनुष्य को कभी भी यह अनुष्ठान नहीं करना चाहिए।

इसमें माता श्याम कौर शेडो के नाम से लगातार व्रत रखे जाते हैं।

जिन वस्तुओं का उपयोग साधना काल में होता है उन वस्तुओं को जहां पूरा होने के बाद उतार कर एक कीली में टांग दिया जाता है और फिर दूसरे वस्त्र पहन लिए जाते हैं।

इस प्रयोग को पूरा नहीं दिया जा रहा।

पूरा प्रयोग लेने के लिए मेरे ईमेल drvijaykumarshastri@gmail.com पर संपर्क करें।





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