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शनिवार, 12 दिसंबर 2020

नगर खेड़ा दादा भोमिया मंत्र

दादा नगर खेड़ा साधना सबसे सर्वोपरि साधना है 

क्षेत्रपाल या ग्राम देवता नगर देवता डीह देवता इन्हें कई नामों से पुकारा जाता है जब कहीं शास्त्रोक्त हवन किए जाते हैं तो ग्राम देवता का स्थान देवता के नाम से आहुति इनको दी जाती है।

क्योंकि इनकी कृपा के बिना हवन/ यज्ञ की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा नहीं हो सकती।

आप किसी भी शैली के तंत्र मंत्र की, किसी भी शैली से किसी भी देवी/ देवता का पूजन करें आपको किसी ना किसी रूप में नगर खेड़ा ग्राम देवता को पहले पूजना ही पड़ेगा इनको पूजे बिना आपको किसी प्रकार की कोई सिद्धि विशेष प्राप्त नहीं होती।

दादा नगर खेड़ा या भोमिया जी भक्तों को दूध पूत का वरदान देने वाले हैं और भक्तों की मनोवांछित इच्छाओं को पूरा करते हैं किसी भी तरह की रुकावट जीवन में किसी भी रूप में अगर आई हो नगर खेड़ा की साधना या सेवा करने से वह सभी दूर हो जातीं हैं।

मेरी जानकारी में बहुत सारे साधकों को नगर खेड़ा बाबाजी के या भोमिया जी के कई बार दर्शन प्राप्त हो चुके हैं और सभी सेवाएं सफल हुई हैं दूसरी विशेष बात यह है कि जब आप नगर खेड़ा या भोमिया जी की सेवा करते हैं उसके बाद आप को किसी भी नकारात्मक ऊर्जा से टक्कर दे पाना संभव नहीं होता कोई भी छोटी-मोटी या छुद्र बाधा आपके घर में या आपके आस पास या शरीर में नहीं रह सकती क्योंकि इनकी आज्ञा के बिना इनके क्षेत्र में किसी भी ऊर्जा/देवता/देवी/दानव या किसी भी प्रकार की हवा का प्रवेश नहीं हो सकता।

कहीं कहीं भोमिया जी के रूप में हनुमान जी ग्राम के प्रधान देवता होते हैं कहीं-कहीं भैरव जी कहीं-कहीं कोई अन्यान देवता अलग-अलग ग्राम देवता होते हैं।

इनकी मंत्र साधना हालांकि थोड़ी कठिन होती है लेकिन साधारण सेवा बहुत सरल होती है जिस प्रकार भगवान भोलेनाथ की विधानोक्त साधना बहुत कठिन होती है और सरल सेवा बहुत ही सरल उसी प्रकार नगर खेड़ा की विधानोक्त पूजा बहुत कठिन होती है लेकिन साधारण सेवा कोई भी चाहे कर सकता है और उससे लाभ भी उठा सकता है।
हालांकि स्त्रियों को नगर खेड़ा पूजा कुछ हद तक वर्जित होती है।

इस लेख में मैं आपको साधारण साधना और मंत्र साधना दोनों के विषय में बताऊंगा।

चाहे आप सेवा साधारण करें या मांत्रिक सेवा करें आपको उस साधना के समय में भूमि पर शयन करना है और ब्रम्हचर्य व्रत का पूर्णतया पालन करना है अपने मन को शुद्ध रखें और साधना काल में ईश्वर के चिंतन में तल्लीन रहे।
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से इनकी सेवा प्रारंभ की जा सकती है।
प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व सौंच/स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।

एक बड़े पात्र में जोकि 1 लीटर से 5 लीटर तक का हो सकता है कच्ची लस्सी तैयार करें (शुद्ध जल और गंगाजल उसके अंदर कुछ कच्चा दूध डाल दें थोड़ा सा मीठा साफ चीनी या बताशे या वो भी ना मिले तो थोड़ा सा गुड़ डाल दे उसके उपरांत थोड़े से साबुत कच्चे चावल मिला ले)

नगर खेड़ा दादा भोमिया को स्नान कराने के लिए जल तैयार हो चुका है अपनी श्रद्धा के अनुसार सूर्योदय से पूर्व दादा भोमिया के स्थान पर जाएं।
अपने साथ थोड़ी सी धूप बत्ती, माचिस, रूई, देसी घी, दो मिट्टी के छोटे-छोटे दिए, कुछ सफेद रंग के फूल, ₹ 5 के बताशे अपने साथ ले ले।
सबसे पहले जब आप दादा भोमिया के स्थान पर पहुंचे तो उन्हें जो आपने उपरोक्त कच्ची लस्सी(अभिषेक जल)तैयार किया है उस जल से नगर खेड़ा दादा भोमिया जी को स्नान करवाएं। पूरी आस्था/श्रद्धा के साथ ।
उसके उपरांत देसी घी के दीपक वहां जलाएं धूप लगाकर पुष्प चढ़ाएं और बताशों का भोग लगा दे। 

अपनी प्रार्थना नगर खेड़ा दादा भोमिया से करें और नमस्कार करने के बाद चुपचाप अपने घर आ जाएं इसी प्रकार प्रतिदिन उनके स्थान पर जाएं। आप प्रतिदिन सायंकाल को वहां जाकर दीया भी लगा सकते हैं इससे आपको अति शीघ्र फल की प्राप्ति होगी।

अब बात करते हैं हम मांत्रिक साधना की।

यहां मैं एक चीज आप लोगों से स्पष्ट कर देना चाहता हूं जो मंत्र में आपको दे रहा है वह पूर्णरूपेण सही है प्रायोगिक है इसका पहले कई साधकों ने प्रमाण प्राप्त किया है उनको सिद्धि भी प्राप्त हुई है नगर खेड़ा के दर्शन और आशीर्वाद किस मंत्र से प्राप्त हुआ है हां इस मंत्र में कुछ मुस्लिम शब्दों का प्रयोग होने के कारण कुछ लोगों को भ्रांति उत्पन्न हो सकती है लेकिन जिस पद्धति से मुझे यह मंत्र प्राप्त हुआ है मैं उसी पद्धति में इस मंत्र को आगे आपको बता रहा हूं अगर इस मंत्र को आस्था के साथ किया जाएगा तो यह मंत्र अवश्य ही कार्य करेगा।

नगर खेड़े की सेवा 41 दिन की और यह मंत्र जो मैंने दिया वीडियो में वह स्वयं सिद्ध मंत्र है मंत्र इस प्रकार है

"बिस्मिल्लाह रहमान रहीम बाईस सौ ख्वाज़ा तेईस सौ पीर रामचंद्र चलावे तीर हाजिर हो जा मेरे नगर खेड़े पीर मेरी आन मेरे गुरु मेरे गुरु दी आन दुहाई गुरु गोरखनाथ की आदेश आदेश आदेश।" 

अपने घर की किसी एकांत और साफ-सुथरे स्थान  का चुनाव करें अपना मुंह पूर्व की ओर करें अपने सामने आम की लकड़ी से बनी हुई चौकी रखें  और उस पर  सवा मीटर लाल कपड़ा बिछा दे  उस पर  कलश स्थापित करें  और  दो दीपक  एक सरसों के तेल का एक देशी घी का जलाएं धूप,दीप,फल,फूल,मिठाई,बताशा,7-लोंग 7- इलाइची  जोड़ा मौली/कलावा  यह भोग आप बाबा को प्रतिदिन लगाकर 5 से 10 माला अपनी सामर्थ्य के अनुसार जाप करें।

प्रतिदिन सुबह शाम को दादा नगर खेड़ा को स्नान करवाकर वहां धूप दीप इत्यादि लगा कर वापस घर आ जाना है और आते जाते हुए मौन रहे।
 
जब तक साधना चले तब तक नाखून और बाल नहीं कटवाना शेव नही करना क्रीम पाउडर सेंट इत्यादि का प्रयोग पुर्णतः वर्जित है।

तीसरे दिन ही आपको विचित्र अनुभव एवं नगर खेड़ा के दर्शन होने लग जाएंगे और सफेद वस्त्रो में सफेद लंबी दाढी वाले बुजुर्ग के दर्शन होंगे।

अगर इस साधना के साथ प्रति सायंकाल को ख्वाजा ख़िज़्र जिंदा पीर के नाम की हाजिरी कच्ची प्रतिदिन दी जाए और वह भी जाप शुरू करने से पहले तो इस साधना की एक प्रचंडतम शक्ति आपको प्राप्त होती है।

कच्ची हाजिरी किस प्रकार तैयार की जाती है कि साबुत चावल और शक्कर को मिला लिया जाता है उस पर थोड़ा सा देसी घी डालकर उसे नरम हाथों से मल लिया जाता है और उसके ऊपर थोड़ी दूरी की इत्र लगाकर एक छोटी सी गोली रख दी जाती है और चलते हुए साफ पानी में किसी दरिया नहर नदी मंत्र पढ़ते हुए इस हाजिरी को छोड़ दिया जाता है।

प्रतिदिन यही कार्य निश्चित समय और स्थान पर किया जाता है इस प्रकार हाजिरी दी जाती है आज से बहुत साल पहले जो ख्वाजा जी की हाजिरी दी जाती थी तो वह गेहूं से बने हुए दलिए की हाजिरी दी जाती थी कुछ कुछ क्षेत्रों में इस हाजिरी में जो कि सभा मुट्ठी की होती है मुद्रा का सिक्का (जो कि किसी भी धातु का हो सकता है)या कोई का लोहे का कील भी डाल लिया जाता है।


हाजिरी देते हुए इस मंत्र की एक माला या 21-51-11 बार ये मन्त्र पढ़ा जा सकता है

ख्वाजा जी को हाजिरी देने का मंत्र इस प्रकार है:- 

बिस्मिल्लाह रहमान रहीम ख्वाजा खिजर जिंदा पीर इधर मादर दस्तगीर सिद्धां नाथां दा सरदार कच्चीया पक्कीयाँ कडहियां तेरे नाम।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...