नमस्कार दोस्तों आप सब के लिए एक बार फिर में उपस्थित हुआ है काले इल्म के अंतर्गत आने वाले ख्वाजा साहब जिद पीर की साधना के सिद्ध कलाम को लेकर दोस्तों इस कलाम के विषय में अधिक कहना ठीक नहीं है एक कलाम 100 काम।
इस कलाम से बहुत सारे काम लिए जा सकते हैं जैसे किसी का काम धंधा नहीं चल रहा तो काम धंधा चल पड़ेगा नौकरी नहीं मिल रही तो नौकरी मिल जाएगी शादी नहीं हो रही तो शादी हो जाएगी कोई बंदिश है बंदिश खुल जाएगी रूहानियत बन्द है तो रूवानियत खुल जाएगी ऐसे बहुत सारे काम जो एक सामान्य जीवन में बहुत कठिन प्रतीत होते हैं इससे आसानी से हो जाएंगे इससे कंगाल से कंगाल आदमी के दिन बदल जाते हैं बात होती है विश्वास की। "मानो देव नहीं तो पत्थर"जैसे कि आप सभी जानते हैं।
प्रयोग से तांत्रिक बाधाओं का नाश होकर जीवन वापस समृद्धि की ओर चला जाता है और जटिल से जटिल तंत्र बाधाओं का निवारण हो जाता है यह विधि मेरे द्वारा अनेकों बार आजमाई हुई है और कार्य सिद्ध करने वाली है।
बहुत जल्दी सभी तांत्रिक बाधाओं का इस विधि द्वारा प्रतिकार हो जाता है और यह मेरी आंखों से कई बार देखा हुआ है बाधा कितनी भी जटिल से जटिल हो उस बाधा को हटने में टाइम नहीं लगता और साधक जो कि अपने पास गुप्त विद्या ए रखे हुए हैं इन विधियों से बड़ी जटिल से जटिल विकट से विकट समस्याओं का अंत कर देते हैं तंत्र का मूल आस्था है इस बात को सदैव याद रखें।
मन्त्र।
बिस्मिल्लाह रहमान रहीम।
जल तू जलाल तू
पंजे वक्त नाल तू
आई बला टाल तू
कुदरत तू
कमाल तू
खवाजा पीर दस्तगीर
पंज पीर
पूरी नदी बहावे नीर
ख्वाजा जिंदा पीर
तोड़े लोहे की जंजीर
बाईस सौ ख्वाजा
तेईस सौ पीर
ख्वाजा लहर पहर
चार घड़ी एक पहर
दौला दरियाई
पीहन गई पका लियाई
करो मेरी हाजरी आप कबूल
या ख्वाजा जिंदा पीर
मंत्र की प्रतिदिन पांच माला आपको करनी है जिन लोगों को ख्वाजा जिंदा पीर का दर्शन करना है यह मंत्र समाज की सेवा में में ब्लॉग सपोट पर डाल रहा हूं।
ताकि जन कल्याण हो और ऐसी प्राचीन विज्ञान लुप्त ना हो।
इस् ईल्म का लाभ प्राप्त करने के लिए आपको नौचंदी रविवार यानी शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से लगातार प्रत्येक रविवार ख्वाजा जिंदा पीर की हाजिरी पक्की हाजिरी देनी होती है जिसमें दलिया या मीठे चावल आपको उनकी नजराने में देने होते हैं।
अर्थात आपने पहली हाजिरी नौचंदी रविवार को देने हैं शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार इसका निश्चित समय और स्थान निश्चित होता है उसको आप बाद में परिवर्तित नहीं कर सकते इसीलिए समय और स्थान का चुनाव सोच समझ कर करें और साधना शुरू करने से पहले विचार करने पूर्णतया मन बनाने के बाद ही इस साधना को शुरू करें बीच में ना छोड़े नुकसान तो कुछ नहीं होता लेकिन ईल्म में रुकावट आ जाती है ।
जो लोग या जो मेरे भाई चाहते हैं कि ख्वाजा साहब उनको दर्शन दें और वे ख्वाजा साहब का आशीर्वाद प्राप्त करें तो उनके लिए साधना सर्वोत्तम है इससे अच्छी साधना उनके लिए कोई भी और नहीं है।
आपको प्रति रविवार ख्वाजा जी को गुड में बने हुए दलिया या मीठे चावल की हाजिरी देनी है।
प्रतिदिन उसी जगह पर उसी समय कच्ची हाजिरी देते रहना है सव मुट्ठी दलिया + शक्कर या चावल + शक्कर साथ में रुई पर थोड़ा सा इत्तर लगाकर, ख्वाजा साहब को याद करते हुए 11 बार इस कलाम को बोलते हुए चलते हुए जल में अर्पित करना है ।
प्रत्येक रविवार को गुड़ का दलिया मीठे चावल बनाने हैं एक 4 मुंह वाला देसी घी का चिराग़ और पांच बतासे, पांच लड्डू बूंदी वाले,सात अगरबत्ती,एक जोड़ा लौंग, एक जोड़ा इलायची,एक जोड़ा कलावा,पांच गुलाब के फूल,एक जोड़ा सिगरेट, सेंट(इत्तर) ख्वाजा साहब को किनारे पर देसी घी की होम देकर चढ़ा दें और पके हुए चावल या दलिए थोड़ा सा अग्नि में होम देने के बाद को तीन पांच या सात बार में अर्पित कर देना है अर्थात जल में छोड़ देना है।
इसी तरह यह सिलसिला चलेगा लगातार 21 रविवार फिर 22 वें रविवार आपको एक बड़ा मिठाई का डब्बा लेना है और उसे नाव का आकार देना है उसमें रंग बिरंगे छोटे छोटे झंडे लगाएं फिर उसमें मीठे चावल, सात प्रकार की मिठाई,पांच मेवा, गुलाब के फूल,लौंग, इलाइची, कलावा, गुलाब का इत्र,एक जोड़ा सिगरेट, देसी घी का चार मुख वाला दिया, 11 रुपये, और 1 दो या 5 माला जाप करते हुए उस नाव को ख्वाजा साहब से अभीष्ट प्राप्ति हेतु प्रार्थना करते हुए चलते हुए पानी में कमर तक खड़ा होना है और उसे पानी में छोड़ देना है।