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गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

मैदानन सिद्धि

             (((।।मैदानण माता की सिद्धि।।)))


               ।।माता के बारे में कुछ विवरण।।

जिन 360 मसानिया का पूजन भिन्न-भिन्न रूपों से भिन्न-भिन्न नामों से अलग-अलग समुदायों में पूरे भारत में किया जाता उनमें से सबसे प्रमुख मसानी माता मदानण मैदान वाली माता के नाम से प्रसिद्ध है।समानत: इनका पूजन पंजाब हरियाणा राजस्थान दिल्ली उत्तर प्रदेश में ज्यादा होता है और यह एक प्रचंड शक्ति है इसके पूजन से भक्तों को तंत्र के छठ कर्म में दक्षता हासिल होती है।
माता मदानण के जन्म कथा अगर देखी जाए तो इनके पिता का नाम हेमराज माता का नाम कपूरी था और पांच बावरियों  कि यह सगी बहन है  अपने भक्तों को मनोभिलाषित वर प्रदान करती हैं। देवी माता शीतला की संगिनी और प्रमुख गणदेवी हैं और चारों वर्णों द्वारा पूजित हैं। जिस पर यह खुश हो जाए कुछ ही काल में वह मनुष्य धन और शक्ति से संपन्न हो जाता है।
यह शक्ति अपने भक्तों पर बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाती है और उसके सभी  मनोभिलाषीत कार्यों की पूर्ति करती हैं।

(यह माता मदानन कि वाम-मर्गीय साधना है दक्षिण मार्गी है साधक इसे ना करें।)

○यह साधना 40 दिन की साधना है।

○इसे पूर्ण ब्रह्मचर्य के साथ किया जाता है।

○ प्रतिदिन प्रातः काल उठकर माता के थान पर जाकर सोलह सृंगार ,एक मुट्ठी उबले हुए अनाज, दो लड्डू , पांच बतासे,सात लौंग,सात छोटी इलाइची,सात देसी गुलाब के ताज़े फूल,इत्र, हल्दी,दूब,धूफ,दीप,एक जोड़ा खंमनी/कलावा,चढ़ाया जाता है।

○ देवी के निमित्त रात्रि काल में जाप समाप्त होने के बाद एक देसी शराब का पव्वा घर से बाहर जाकर धार के रूप में दिया जाना चाहिए।

○ कच्चे दूध में पानी मिलाकर कच्ची लस्सी बनाए उसमें दो बतासे मिलाकर बने जल से स्नान करवाया जाता है।

○ यह सामान प्रतिदिन माता को सुबह चढ़ाया जाता है फिर धूप दीप लगाकर वहां बैठ कर पांच माला जाप किया जाता है।

○ मंगलवार को माता मदानन के नाम का व्रत धारण किया जाता है।

○ घर के किसी भी कांत कोने में एक साथ कमरे में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके अपने सामने लकड़ी की एक पटिया पर लाल कपड़ा सवा मीटर बिछाकर चावलों की एक ढेरी लगा कर उस पर दीपक स्थापित करना है। पास ही में एक दूसरी चावल की ढेरी लगाकर उस पर सरसों के तेल का एक दिया जलाना है। पूरी साधना में यह दीपक अखंड जलेगा।

○अपने सामने ही दीपक के बिल्कुल पीछे दीवार के साथ माता मैदान की कोई भी प्रतिमा या चित्र स्थापित कर सकते हैं उस चित्र को फूलमाला अर्पित करें।

○ फिर रक्षा मंत्र से घेरा लगाकर पूजा की सामग्री उस घेरे में रख लेनी है।

○ आसन मंत्र को इक्कीस बार पढ़ना है फिर आसन को नमस्कार करके उस आसन पर बैठना है।

○ वह आसन लाल रंग का होना चाहिए और आपके वस्त्र भी लाल ही होने चाहिए

○गणेश जी का ध्यान करने के उपरांत  और गुरु पूजन करके आपको  माता जी के मंत्र का 16 माला जाप करना है ।

○ जाप के समय साधक के सामने गूगल की धूनी चलती रहे।

○ कुछ ही दिनों में साधक को देवी शक्ति के आसपास होने का आभास हो जाएगा।

○ बिना घेरा लगाए यह साधना ना करें क्योंकि इसमें जब देवी शक्ति आती है तो साधक को ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई दुर्बल स्त्री एक बहुत ही ज्यादा तेज दौड़ने वाले गधे के ऊपर बैठकर उसकी तरफ आ रही है तो उसमें ऐसा होता है कि साधक के डर के उठकर भागने की आशंका रहती है।

○ साधक को अपने माथे पर सिंदूर का टीका और कान में इत्र लगाकर रखना पड़ता है। कान में सरसराहट सिटी बंब या पटाखा घुटने जैसी आवाज आम सी बात है इन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

○ 15 दिन की साधना के बाद साधक को विचित्र से अनुभूतियां होने लगते हैं और अति भयंकर स्थितियां साधक के सामने आती हैं इसमें साधक को बुखार आने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है।

○ शारीरिक रूप से अक्षम होने पर भी साधक का लगातार साधना करना सिद्धि दिलवा देता है और भगवती भयंकर रूपों  को त्याग कर शांत रूप में  साधक के सामने आते हैं।

○ ऐसी कोई मनोकामना नहीं जो इस साधना से पूरी ना हो भगवती के आशीष से हर एक मनोकामना और इच्छा की पूर्ति होती है।

○ इस साधना को कभी भी अधूरा नहीं छोड़ा जाता इसलिए साधना करने से पहले पूर्णतः निर्णय ले ले।

○ साधना काल में जिस घर में मृत्यु हुई हो या जिस घर में बच्चा पैदा हुआ हो उस घर में जाना वर्जित है।

○ कंघी करना खुशबूदार तेल साबुन लगाना नाखूनों को तराशना और सेव करना इस साधना में वर्जित है।

○ साधना काल में जमीन पर सोना चाहिए शुद्ध और सात्विक भोजन करना चाहिए मांस मदिरा शराब अंडा इत्यादि चीजों से परहेज करना चाहिए।

○रक्षा मन्त्र:-ओम नमो आदेश गुरु को।अजरी बांधु बजरी बाँधू बाँधू दसई द्वार। आन पड़ी हनुमान की रक्षा राम की कार।पहली चौकी गज गणपति जी की।दूजी चौकी विकट वीर हनुमान।तीसरी चौकी भूमिया भैरव।चौथी नरसिंह की आन । जो इन्हीं चौकी को लांघे ,तुरंत ही धूल भस्म हो जावे, दुश्मन बैरी जो कोई करें, उल्टा वाही पर उल्टा पडे, मंत्र सांचा पिंड काचा,फुरो मंत्र गोरख वाचा।।

○माता मैदानन का मंत्र :-माता गधे सुलखनी मत्थे लाई रखदी मेहन्दड़, चारो कुंठा झुक रहियां झुक रिहा सारा देश, मट्ट जागे मसान जागे जागे थड़े दा पीर,मेरी जगाई जाग माता मेरे गुरुआं दी जगाई जाग, ऐसे काज समारो जैसे गुरु के काज सवारे, चले मंतर पुरो वाचा देखूं माई मदानन तेरे इल्म का तमाशा।

○।। आसन का मन्त्र ।।१।।
        सत् नमो आदेश गुरूजी को आदेश।
        आसन ब्रह्मा आसन इन्द्र,
        आसन बैठे गुरु गोविन्द ,
        आसन बैठे जपिये जाप,
        कोटि जन्म के उतरें पाप,
        आसन बैठे सिंघासन बैठे,
        बैठे गुर की छाया पांच तत्ले,
        आसन पर बैठे गुरु ने शब्द बताया,
        जो  जाने आसन जाप उसका मुख देखे उतरे पाप,
        जो ना जाने आसन का जाप उसका मुख देखे                लागे पाप, कहो संतो हम गुरु के दास,इतना                  आसन  जाप पूर्ण भया,सत की गद्दी बैठ                       गुरुगोरख जी कहा गुरूजी को आदेश आदेश।।

○ इस साधना में मैंने जानकारी देने में कोई कमी नहीं छोड़ी और किसी भी तत्व को छिपाकर नहीं रखा अगर फिर भी आपकी समझ में ना आए तो आप प्रातः 11:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक मेरे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 पर संदेश भेजकर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं।
○ माता मदानन का चालीसा प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक के ऊपर क्लिक करें
     
     
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शनिवार, 24 अगस्त 2019

माता मैदानन के दर्शन एवं सिद्धि प्राप्त करने की साधना।

माता मैदानन की सिद्धि। प्रिय मित्रो आज मैं आप को एक अति गुप्त मैदानन माता की साधना देने जा रहा हु वैसे तो माता की सिद्धि प्राप्त करने के लिए बहुत सारे अन्य तरीके हैं जैसे माता जी के थान पे जाकर जाप करना होता है जिसमे खाली साधक को हवा रूपी सिद्धि प्राप्त होती है लेकिन माता जी के दर्शन लाभ के जिज्ञासु बहुत सारे साधक है।और ये साधना माता मैदानन की दर्शन कृपा प्राप्त करने के लिए अतिविशिष्ट साधना है बहुत सारे भोग माता को लगाए जाते है लेकिन साधारण सी सामग्री से आपको माता के साधन के लिए ये साधना दे रहा हूँ हर एक साधक के ज्ञान आस्था और भगति एक स्तर होता है ये एक उच्च स्तर की साधना है बिना गुरु के और बिना घेरे के इस साधना को की बुद्धिमानी करने की कोशिश करना आत्महत्या के बराबर होगा। ***।नियम।।*** पहला और सभसे ज्यादा जरूरी नियम है 41 दिनों का अज्ञात वास। साधना के दौरान आपको किसी की भी मृत्यु और जिस घर में किसी का जन्म हुआ हो तो साधक वह नही जाएगा। आपने भोजन को खुद बनाना है और वस्त्र खुद साफ करने है। इसमे समय 41 दिन का लगता है जाप का समय रात्रि 10 से 1 बजे मध्यरात्रि का होता है। आसन लाल रंग का होगा ,वस्त्र भी लाल ही होंगें। माथे पे कुमकुम का टीका लगाना है दाएं कान में रूई में ईत्तर गुलाब,चमेली या मोगरा लगाकर रखना है। सात्विक भोजन करना है और वो भी एक समय साधना काल में एक सरसों तेल का दीया दिन रात जलता रहेगा। साबुन तेल कंघी उस्तरा नही लगाना बिना सिले वस्त्र पहनकर साधना करनी है और साधना के लिए एक गोपनीय कक्ष का प्रबंध पहले से ही कर लें जाप के समय पूजन करें और जाप के समय धूफ इत्यादि का प्रबंध करें दिन में कम से कम 2 घंटे त्राटक करते हुए मन्त्र जाप करें अपने मन में नाकारात्मक विचार ना रखें और पुर्णतया ब्रह्मचर्य का पालन करें भूमि पर ही सयन करें साधना के दौरान किसी भी गर्म तासीर के भोजन का प्रयोग ना करें माता जी के भजन कीर्तन करते हुए ही समय यापन करें। एक एकान्त कमरे में पूर्वाभिमुख होकर एक आम की पटरी पर लाल रंग का वस्त्र बिछा कर माता की फ़ोटो रखकर रक्त पुष्प माला डाले और कलश स्थापना करें फिर एक सरसो के तेल का दीया और एक देशी घी का दीपक प्रज्वलित करें माता का करुण भाव से आवाहन और स्थापन करें सामान्य रूप से पूजन करने के उपरान्त सिद्धि प्राप्त करने के लिए माता जी के सामने संकल्प लें और घेरा लगाकर साधना करें और कोई भी साफ माला 108 दानों वाली लेकर रात्रि में इस निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। उससे पहले गणेश जी और अपने गुरु जी के मंत्र की 5-5 माला जाप करें जितनी भी सामग्री का प्रयोग करें वो सामग्री किसी अन्य देवता की पूजा में प्रयोग ना किया हो। नित्यप्रति गाय के गोबर की आग पर देसी घी गुग्गुल बतासे मिलाकर होम करें। एक लाल ध्वजा,एक नारियल,एक लोटा जल,(एक फूल माला,11लौंग,11 छोटी इलायची,11 गुलाब के फूल ,माता जी का सोलह सिंगार,5 लड्डू,जोड़ा खंमनी,5 बतासे,11 गुलगुले 11 मालपुये,250 मिक्स मिठाई) एक शराब का पव्वा, और थोड़ा सा हलवा,ये सामान प्रतिदिन आपको बदलना है और चढ़ाये हुए सामान को किसी निर्जन उजाड़ में रख देंना है। दूसरे दिन फिर से नया सामान चढ़ाना है बिना घेरा लगाए ये साधना बिल्कुल नहीं करनी। ~~*~~~*~~~*~~~*~~~~*~~~*~~~*~~~ ***।। घेरा मन्त्र।।*** आसन कीलां, बासन कीलां कीलां अपनी काया,जगदा मसाण कीलां अपनी छाया,आयतुल कुर्सी कच्छ कुरान आगे पिछे तु रहमान धड़ राखे खुद सिर राखे सुलेमान दुहाई अलिमौला दी, उपरोक्त मन्त्र को एक माला जाप करके आपने जिस्म पर फूंक मार लें। ~~*~~*~~*~~~~*~~*~~*~~~~*~~~~*~~ फिर निम्न लिखित मन्त्र से लगातार त्राटक करते हुए खुली आँखों से जाप करना है इस से आपको जबरदस्त रूहानी नज़र प्राप्त होगी। ~~~~*~~~~*~~~~*~~~~~*~~~*~~~~*~ ~~~~*~~~~*~~~~*~~~~~*~~~*~~~~*~ माता का सिद्धि मन्त्र:- ॐ नमो आदेश गुरु को,माई मदानण बंगालन पाप छोड़ ,धर्म पर आये, कलकत्ते खेड़े नु मन्नके थान धनेशर नु मन्न के नागे गुरु ने मन्न के मेरी चले चलाये ना चले तां लूना चमारी के नरक कुंड चे गिरे,चले मन्त्र पुरो वांचा देखां माई मदानण बंगालन तेरे काले ईल्म दा तमाशा। *~~~~*~~*~~*~~*~~*~~~~*~~~~*~~~* ~~~~*~~~~*~~~~*~~~~~*~~~*~~~~*~ प्रतिदिन 5,7,9,11,21,31,41,51, माला अपनी सामर्थ्य के अनुसार करें और माँ के न्याय पर पूरा भरोसा रखें। मैने अपनी तरफ से आपको पूरी तरह से समझने का प्रयास किया है फिर अगर समझने में कोई कमी रह गयीं हो तो क्षमा मांगता हूं अधिक जानकारी के लिए आप मेरे व्हाट्सएप नम्बर 8194951381 पे संदेश भेजकर संपर्क कर सकते हैं।आपसे निवेदन है कि कृपया व्हाट्सएप काल वाईस कॉल और वीडियो कॉल ना करें।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...