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मंगलवार, 6 जुलाई 2021

दरियाई काली की सिद्धि


दरियाई काली की साधना।

सिर्फ काले इल्म की गद्दी वालों के लिए।

ये साधना एक पूर्णतः सक्षम और शक्तिशाली साधना है।इस  काली के साथ जल मसानी जोड़े में काम करती है किसी के ऊपर सवारी बुलानी हो या किसी के उपर किसी तरह का प्रतिबंध लगाना हो ये शक्ति बहुत बेजोड़ है। ये एक पूर्णतः तामसिक साधना है इस बात का विशेष ध्यान रखें।

अगर किसी भी रोगी के उप्पर से कट्टर से कट्टर भूत प्रेत बाधा हो और वो किसी देवता के जाल में ना ना फस रहा हो तो ये शक्ति वहां पर काम करती है और झटके में ही सभी समस्याओं का अंत कर देती है।

कोई कितना भी पक्के से पक्का वशीकरण जो किसी के ऊपर नाज़ायज़ तौर से लगाया गया हो और टूटता ना हो वो भी टूट जाता है किसी आदमी का वशीकरण ना सफल होता हो वो वशीकरण हो जाता है अगर को दुश्मन परेशान करता हो तो इस विद्या से किया गया बंधन दुश्मन की हालत पतली कर देता है।

सट्टे मटके के नम्बर मिलना आम सी बात है और इसका साधक अगर एक बार ये साधना कर लें तो पैसे की कभी कमी नहीं होती ।इसकी साधना सिर्फ रात्रि में कई जाती है।

लेकिन दूसरी हकीकत यह भी है कि साधना अगर कच्ची हो और भगत के शरीर पर पक्की सवारी न हो तो उतारा करने के लिए मुसीबतों का पहाड़ बन सकती है।

सभ से पहले आप गुरु धारण करें फिर गुरु से आज्ञा लेकर ही इस साधना को शुरू करना चाहिए बिना गुरू से आज्ञा और ज्योति प्राप्त किये अगर इस शक्ति की शक्ति को छेड़ लिया जाए तो साधक काम से कम पागल तो हो ही जायेगा।

इस में दरियाई पीर को पहले काले बकरे की बाली देकर मनाना पड़ता है फिर ही ये साधना की जाती है होता ऐसे है कि गुरु अपने शिष्य के सिर पर हाथ रखता है फिर शिष्य गुरु से प्रप्त शब्द का 6 महीने तन मन से भजन करता है छ महीने बाद विशेष रात्रि में गुप्त शमशानिक कृत्य किये जाते है फिर अपनी गद्दी पर वापिस आकर तन्त्र के देवताओं के निमित्त होम बलि दिए जाते हैं ।

तदोउपरांत गुरु शिष्य पर अपने देवता की सवारी यानी कि हाज़िरी छोड़ता है शिष्य के शरीर में हाज़िर होकर देवता गुरु यानी अपने पुजारी से बात चीत यानी वार्तालाप करता है और वचन देता है। उस समय देवता के कहे हुए वचनों के अनुसार ही गुरु अपने शिष्य से देवता की सेवा अर्थात मन्त्र साधना करवाता है।

अगर शिष्य अपने गुरु के कहे हुए वचनों के अनुसार सेवा करता है तो इस बात की बिलकुल कोई आशंका नही रहती की शिष्य  फेल हो जाये। हां ये बात अलग है कि हर शक्ति की एक सीमा और मर्यादा होती है विशेष शक्तियां प्राप्त करने के लिए उनका मूल्य भी विशेष ही देना पड़ता है ये बात सदैव याद रखनी चाहिए।

ये बात मैंने आपको इस लिए बताई की इस एक सर्वमान्य सूत्र है अगर गुरु य्या शिष्य दोनों में से एक भी इस बात और सूत्रों का पालन नही करेगा तो शिष्य की साधना सफल हो ही नही सकती।

जैसे आपको मैंने पहले बताया कि गुरु से शब्द प्राप्त करने के बाद आपको दरियाई पीर की सेवा करनी पड़ती है फिर आप दरियाई काली और जल मसानी की सेवा कर सकते है उसके बिना नही।

दरियाई पीर के लिए दिए जाने वाला भोग मैं आपको बताता हूँ।

विधि :-१ दरियाई पीर के लिये किसी नदी,नहर,दरया, के किनारे सवा हाथ ज़मीन साफ करके वहां पर गाय के गोबर के उपले से बने अंगारे पर शुद्ध देसी घी का होम करें इसके साथ ही वहां पर सरसों के तेल का दिया एक नारियल पानी वाला काली चुनरी चढ़ाकर कलावा लपेट दें, अगरबत्तियां, गुलाब के फूल,सात प्रकार की मिठाई,लौंग,छोटी इलायची, कपूर,गरी गोला,छुहारे,11 बूँदी वाले लड्डू, सेंट ,पान,गांजे की जोड़ा चिलम,काला मुर्गा,देशी शराब,हलवा,पांच मेवा,बतासा। काले मुर्गे की बलि देकर सिर को जल में अर्पित करें बाकी साधक खुद पकाकर खुद ही खाय एक प्याला शराब पीवे फिर जाप पहले दिन का शुरू करे।

यउपरोक्त समान दरियाई पीर को होम करके देना है और काले मुर्गे की बलि देकर शराब की धार नदी,नहर या दरिया के किनारे देना है फिर आपको प्रति दिन जाप करने के बाद एक देसी शराब का पव्वा अगरबत्ती लौंग कपूर,सेंट,पांच देसी गुलाब के फूल एक पाव हलवा दरियाई पीर के नाम से देना जाप समाप्त होने पर देना इक्कीस दिन पूरे होने के बाद काला बकरा बलि दें और शराब का भोग लगा कर साधको में वितरण करें।

उस बकरे के खून से भोजपत्र पर यही मन्त्र लिखकर चांदी के ताबीज़ में पहने और फिर दरियाई काली की साधना करें।

दोनों मन्त्र से दरियाई पीर और दरियाई काली दोनों चलते है । इनको रोकने और चलाने की विधियां अलग अलग है। जो कि इस लेख में वो विस्तृत रूप से बता पाना सम्भव नही है।

दरियाई काली चालीस दिनों की साधना है।

साधना विषयक सभी नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए ये साधना बिल्कुल एकांत स्थान पर जल स्रोत के किनारे पर की जाती है साधना में उपयोग आने वाली हर एक वस्तु पहले ही एकत्र कर लिया जाना चाहिए समय पर सामान ना मिले तो आपके प्राण भी संकट में आ सकते है।

एक कर्मठ और सदविचारी व्यक्ति की इस साधना में सहायक के तौर पर आवश्कता होती है ताकि जाप के समय आपकी सुरक्षा कर सके और आपको कोई रोक टोक ना हो सके और समय पर समान मिल सके। कपड़े सिर्फ काले रंग के प्रयोग करें,कमजोर दिल वाले और ढीले लंगोट के साधक इस साधना को ना ही करें तो ठीक है।नही तो बिना वजह मुसीबत खड़ी होगी।


दरियाई पीर की साधना करने में इस मंत्र का प्रयोग होता है
और साधना कभी खाली नही जाती अगर गुरु की इच्छा न हो तो ये विद्या कभी नही चलती ये एक पूर्ण तामसिक मार्ग है अगर अधूरा ज्ञान हो तो आदमी इस चक्रव्यूह में ऐसे फस जाता है कि कोई चाह कर भी उसे नही निकाल पाता। 

दरियाई पीर का मन्त्र।
ॐ गुरु जी
लंका सो कोट समुद्र सी खाई
दरयाई पीर करो चढ़ाई
लहर लहर चले आठ पहर चले।
दरियाई काली चले।
भैरों हनुमान चले।
जल जोगनी मसानी चले।
लहर लहर लहराती चले।
जल का मसाण चले।
काला कमान चले।
गोराखपा की आन चले।
मेरे गुरु की शक्ति चले।
मेरा बंधा बंधे मेरा छोड़ा छूटे।
चले मन्त्र ईश्वर बाँचा
देखूं दरियाई तेरी आन का तमाशा।

विधि :-२ काली के मन्त्र से उपरोक्त विधि के अनुसार जल स्रोत के किनारे बिल्कुल सुनसान स्थान पर गुप्त तरीके से ये साधना की जाती है ये साधना पूरे 40 दिनों की साधना है और इसमें प्रथम दिन पूजा स्थल का चुनाव करके सवा हाथ ज़मीन साफ करें फिर पीली मिट्टी से उसको लीप दें गाय के गोबर के सूखे हुए कंडो को जलाकर अंगार तयार करें फिर दीया सरसों के तेल का जलाएं और अंगारी पर होम लौंग,बतासे,गुग्गल,देसी घी, की करें, 

देवी को काली ध्वजा,काली चुनरी,काले रंग का सोलह सृंगार हलवा 7 पूरी शराब गुलाब के फूल अगरबत्तियां कपूर छोटी इलायची,7 पीस कलेजी बकरे की 7 प्रकार की मिठाई,7 बतासे,गुलाब का सेंट,7 टुकड़े गरी के,7 छुहारे,सवा मुट्ठी 7 प्रकार के अनाज,एक जोड़ा मीठा पान,7 जायफल ये भोग देकर बची हुई थोड़ी सी शराब पीकर और छोटी इलायची मुँह में रख कर थोड़ा सा कूंच कर फेंक दें फिर जाप प्रारंभ करें।

रक्षा मन्त्र से अपने आपको सुरक्षित कर के ही नित्यप्रति निम्न मंत्र की इक्कीस माला जाप करें । जाप के समय पहले दिन ही कान में आवजें आने लग जातीं है लेकिन उसपर ध्यान न देकर आपको जाप पूरा करना है और ये साधना विशेष रूप से रात्रि 11 बजे से सुबह 3 बजे तक की जा सकती है। साधना काल में आपको बहुत कम भोजन करना है अपको प्रथम दिन जब होम अग्यार करें तो उस में से अग्नि लेकर ही एक सरसों के तेल का दिया लगातार रूप से 40 दिन चलने दें फिर उसी की अग्नि लेकर हवन करें किसी भी रूप में ये शक्ति और इनके दूत आ सकते हैं अतः डरें नही पहले ही सोच विचार करने के बाद इस साधना को शुरू करें। 

रक्षा मन्त्र दरियाई पीर के मंत्र को सिद्ध करने के बाद उसी मन्त्र से दरियाई काली की साधना में साधक की रक्षा होती है।


दरियाई काली का मन्त्र।

ॐ गुरु जी
काली काली महाकाली।
इंद्र की बेटी ब्रह्मा की साली।
जल प्रवेश खप्पर वाली।
लोहे कोट चांदी आर।
काला बकरा मद की धार।
दरियाई काली चलो मार मार।
जल की पूरी फौज चलावे।
देश दुनिया का हाल बतावे।
तो सच्ची दरियाई कहावे।
फलाने के ऊपर की हर अला बला को
बांध खारे समुन्दर में डाल।
ना डाले तो महादेव की लाख दुहाई।
दरियाई पीर की लाख लाख दुहाई।
नौ नाथ चौरासी सिद्धों की आन।
चले मन्त्र ईस्वर बाँचा मेरे गुरु का वचन साँचा।

100% प्रतिशत अनुभव के आधार पर गुरु से प्राप्त ज्ञान को आप से शेयर किया है ताकि इस लुप्तप्राय विद्या का पुनरूत्थान हो सके इस विद्या में मैने अपने पास कुछ बाकी छिपकर नही रखा आप सर्वप्रथम आपने गुरु की तलाश करें और गुरु धारण करें फिर गुरु की आज्ञा से ही इस विद्या की साधना कर के अपने गुरु का नाम रोशन करें और जन कल्याण करें  ईश्वर आपका कल्याण करें मंगलकामना के साथ राम राम:)

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