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शनिवार, 18 जून 2022

अतिदुर्भाग्य नाश हेतु भैरव मन्त्र

जीवन में बहुत बार ऐसा देखा गया है कि कई लोग सारा जीवन संघर्ष करने में निकाल देते हैं लेकिन उनके जीवन का निष्कर्ष नहीं निकलता और उन्हें निराशा के इलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होता 

ऐसी साधनाएं भी होती हैं जिसको करने से जीवन में से चमत्कारिक रूप से दुर्भाग्य अदृश्य हो जाता है।

प्रयोग करता का जीवन चमत्कारिक रूप से समृद्धि से भर जाता है हर एक वस्तु उसके हस्त गत हो जाती है तो आज मैं आपको ऐसा ही प्रयोग यहां बताने जा रहा हूं यह प्रयोग श्री भैरव नाथ जी का है।

भगवान भोलेनाथ के उपवास को को भी इसका लाभ बहुत शीघ्र ही प्राप्त होता है कितना भी कठिन कार्य क्यों ना हो अगर आपको लगता है कि आपका कैसा भी कठिन कार्य है क्या हो रहा है अथवा कोई व्यक्ति कितना भी दूर भाग्यशाली हो जिसका कभी कोई कार्य ना बनता हो और ना ही बनने की संभावना हो तो मैं आपको साधना बताने जा रहा हूं।
जिसको करने के उपरांत दुर्भाग्यशाली से भी दुर्भाग्यशाली व्यक्ति के तत्काल कार्य करने लग जाते हैं  और उसके किसी कार्य में बाधा नहीं आती।
थोड़ा बहुत खराब समय तो सबके जीवन में आता है यह एक कड़वी सच्चाई है प्रत्येक आदमी के जीवन का कुछ ना कुछ समय परीक्षा की घड़ी का होता है और यह समय निकल भी जाता है 

लेकिन यह समय निकालना कठिन होता है जब आपके लिए सफलता का प्रत्येक मार्ग बंद हो जाए और आप को अंधेरे के अलावा कुछ दिखाई ना दे पर लगेगी जीवन ऐसे ही निकल जाएगा कुछ खास नहीं आने वाला तो ऐसे में इस प्रयोग को अवश्य आजमाएं।

थक हार कर बैठे नहीं भगवान का स्मरण करें और ईश्वर पर सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखते हैं जीत आपके विश्वास की ही होगी

बाबा भैरव भगवान भोलेनाथ के पंचम रुद्रावतार हैं शनि राहु केतु इत्यादि क्रूर ग्रह का बुरा प्रभाव प्रयोग करता के जीवन से हट जाता है अर्थात यह प्रयोग करता के ऊपर से अपना बुरा प्रभाव समाप्त कर देते हैं।

मंत्रों में बहुत विस्फोटक शक्ति होती है यदि लगातार मंत्रोच्चारण किया जाए और ईश्वर पर आपका अटल श्रद्धा विश्वास हो तो प्रकृति भी मजबूर हो जाती है उस कार्य को करने के लिए इस कार्य को चित्त्त में रखकर आप मंत्रोच्चारण करते हैं।

शब्द आदि है शब्द गुरु है शब्द सनातन है आदिकाल से ही शब्द इस सत्ता का शासक रहा है और अंत तक रहेगा शब्द से आदि का सृजन होता है और शब्द में ही सृष्टि का लय हो जाता है

काल पुरुष की आत्मा शब्द है और भौतिक प्रकृति उसकी देह है शरल भाषा में :-शब्द को आप आत्मा समझ लीजिए और प्रकृति को उसकी देह आत्मा के बिना देह मृत होती है अनाहद शब्द  के बिना सृष्टि मृत है।

लकड़ी में अग्नि होती है आवश्यकता होती है घर्षण की उचित क्रिया एवं वातावरण में अग्नि प्रकट हो जाती है उसी तरह मंत्रों में बहुत ज्यादा शक्ति होती है सही तरीके से क्रिया और चिंतन की आवश्यकता होती है। कार्य सिद्ध होने में देर नही लगती।

अगर आपने ये लेख पढ़ा होगा तो आपको वो समझ आ गई होगी जो मैं आपको बताना चाहता हूं आपने इसे धैर्य पूर्वक पढा क्योंकि आप में विवेक है अगर आप में विवेक ना होता तो आप ये लेख न पढ़ रहे होते बुद्धि के आठ गुण होते हैं और विवेक इन सभी गुणों में प्रधान है।

चलिए अब आपको बताता हूं साधना के विषय में

 विधि :

इस मन्त्र की सिद्धि होली दीपावली या ग्रहण काल में करें श्री भैरव बाबा के विषयक सभी नियमों का पालन करते हुए 11 माला जप व दशांश हवन तथा भोगादि देने से सिद्ध होगी ।

फिर प्रयोग के लिए किसी भी शनिवार की रात्रि को सवा मुट्ठी, चावल, हल्दी व मीठा डालकर बनाए। प्रातः रविवार को इन मीठे चावलों को एक सौ बार अभिमन्त्रित कर के छत पर या आंगन में रख दें ।

कुछ समय पश्चात् दो कौवे जब वह मीठा चावल खाने के समय आपस में लड़ेंगे तो उनमें से किसी का पंख गिरेगा। जब पंख गिरे तो उस समय आप उस पंख का उठाकर सुरक्षित रख लें।

फिर इंटरव्यू कारोबार डिलिंग मुकदमेबाज़ी यात्रादि व किसी भी कठिन कार्यों के लिए अपने साथ में ले जाए, तो कार्य सिद्ध होगा। 

यदि पहले रविवार को इस तरह करने से पंख प्राप्त न हो तो पुनः विश्वास पूर्वक किसी अन्य रविवार को प्रयोग कर पंख प्राप्त कर लें।

मन्त्र:-
ॐ ह्रीं महा-काल।
भैरवाय नमः ॥
ॐ ह्रीं महा
विक्राल भैरवाय नमः

श्री झूलेलाल चालीसा।

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