गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

माता धूतनी मसानी की साधना।

*******💐।।धूतनी मसानी माता का मंत्र।।💐********
जैसे कि आप को पता है ये मसानी सबसे अधिक तेज गति से चलने वाली और सबसे जल्दी खुश होने वाली माता है इनका स्थान हरियाणा राज्य के पाथरी गाँव में है और पूरे क्षेत्र से लोग अपनी सुख देने और माता के दर्शनों के लिए यहां आते है।
○जिनके कुल में ये देवी चलती हैं अगर वो इस मसानी देवी को पूज लें तो किसी चीज़ की कमी नहीं रहती और हर मनोकामना पूरी होती है
○लेकिन अगर पूजा न हो तो ये अप्रसन्न होकर कुल का नाश कर देती हैं।
○लेकिन इस देवी से अधिक जल्दी कोई देवी खुश नहीं होती।
○ये देवी साक्षात भगत के काम और मनोकामना पूरी करती हैं।
○यहां पर आज आपको धूतनी मसानी माता का मंतर मैं  बता रहा हूं ।
○उम्मीद है इसका व्यवसायीकरण नहीं होगा।और आप सभी इसका जन कल्याण में लाभ उठाएंगे।
○महात्मा के दिए हुए यह 8 मंत्रों में से दूसरा मंत्र है जो की
○किसी भी महीने में जब कृष्ण पक्ष आये तो पहले बुधवार को आपने ये साधना शुरू कर सकते है।
○एक साधारण विधि यहां में दे रहा हूँ।
○घर में जहाँ माता का थान बना हो या किसी एकान्त कमरे में ये प्रयोग किया जा सकता है।
○पूर्व दिशा की ओर मुंह करके आपको ये अनुष्ठान करना है।
○काले कंम्बल के आसन का प्रयोग करें।और काले रंग के वस्त्र धारण करें।
○आपमे सामने एक सरसों के तेल का दीया जलाएं और धूफ लगाएं।
○भोग में एक अखबार के टुकड़े या पत्तल या डिस्पोजल की थाली में एक जोड़ा बूंदी वाले लड्डू, एक जोड़ा खम्मनि,जोड़ा सुपारी,एक नारियल पानी वाला काली चुनरी लपेटकर,पाँच बतासे कज्जल का टीका लगाकर,पाँच लौंग,पाँच छोटी इलायची ,अपने सामने रखना है।
○फिर रुद्राक्ष की माला से 5 माला निम्लिखित जाप करना है।
○जाप के बाद आपको एक जोड़ा लड्डू बूंदी वाले खाली मैदान में रखने हैं।
○और सो जाना है।
○इस मंत्र से हर इल्म की काट होती है।
○इसे सिद्ध करने के लिए दो विधियां हैं।
○एक 21 दिन की है एक 42 दिन की है।
○इस साधना में आपको प्रातः काल मसानी माता के थान पर जाना है और वहां उनको दो बतासे डालकर कच्ची लस्सी के स्नान करवाना है।
○उसके बाद जिनको माता जी से कोई मनोकामना मांगनी है उन्हें नारियल पर चुनरी लाल रंग की माता को चढ़ानी है।
○अगर आपने उनके दर्शन या सिद्धि ऐसे कोई कर्म करना है तो आपको नारियल पर काले रंग की चुनरी माता को चढ़ानी होगी और इस मंत्र का अनुष्ठान वहां पर जो मैंने समान वीडियो में बताया है कि पान, पतासे, लड्डू, बर्फी,लोंग, इलायची,फुल,धूप, दीप ,नारियल, कलावा यह सभी समान माता को चढ़ाने के बाद वहां पूर्व की तरफ मुंह करके आपने बैठ जाना है।
○आसन लगाकर वही थानों के पर जाकर आपने सुबह माता को मीठी कच्ची लस्सी से स्नान करवाना है फिर एक से दो घंटा जाप करना है।
○रात को जा कर के फिर वहां दिए जलाकर सरसों के तेल के दीए को जला कर वहां अपने बैठ जाना है फिर आपने इस मंत्र का एक से डेढ़ घंटा 2 घंटे जितना बन पड़े जाप करना है यह मंत्र बहुत चमत्कारी मंत्र है।

   *****💐।।माता धूतनी मसानी का मन्त्र।।💐*****

माई मशानी कल्लर वसदी, नागे गुरु धियावे, जदों बुलवां जिथे मन्ना झट्ट हाजर हो जावे ,भूत को,बेताल को,कलवे को,प्रेत को,जिन्न को,ख़बीस को,मडी को ,मसाण को,घोरी को,कचील को,छड्डी को ,छुड़ाई को,भेजी को,लगाई को,मोहनी को,माया को,छाया को,छलेडे को,यन्त्र को मन्त्र को,ढाईये को सिफ़ली को,काले को, खाखी को,बादी को,
आबी को,आतिश को,किये को कराए को,पढ़े को लिखाय   को ,काट-काटके मैली माता के हाथ में देकर कील ना लगाव  तो गुरु घाती कहाये।लूना चमारी के कुंड में चार जुग सड़े, दुहाई धर्म दे राजे रामचन्द्र दी,दुहाई नगर खेड़े दी दुहाई  
                   लक्ष्मण ते गोरख यति दी।।
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मैंने अपनी तरफ से कोई कमी नही छोड़ी आपको समझाने की अगर फिर भी कोई चीज़ समझ नहीं आयी तो आप मेरे व्हाट्सएप 8194951381 पर व्हाट्सएप द्वारा संदेश भेज कर संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

बुधवार, 16 अक्टूबर 2019

।। हैदर शेख पीर साधना।

                     ।। हैदर शेख पीर साधना।
○आज आप सभी साधक भाई बहनों के लिए मैं लेकर आया हूं  बाबा सदरुद्दीन रह0 जिनको हैदर शेख पीर के नाम से पूरे उत्तर भारत में माना जाता है।
○आपका रोज़ा मुबारक पंजाब के मलेरकोटला शहर जो कि मौजूदा समय में संगरूर जिले में पड़ता है।
○आपको मलेरकोटला वाले पीर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि आप आज़ादी से पहले मलेरकोटला रियासत के बज़ुर्गों में से एक हुए हैं।
○ पीर बाबा सदरुद्दीन जो कि एक पहुंचे हुए बुजुर्ग हुए थे अपने समय के बहुत माने हुवे फ़क़ीर थे।
○आपके पूर्वज मैजूदा अफगानिस्तान से बहुत पहले ही हिन्दोस्तान में आकर बस गये थे और आज भी आपके मुबारक रोज़ा शरीफ के मुजाविर आपके वंसज ही है।जो आपके रोज़ा मुबारक की देखभाल कर रहे हैं।
○वैसे तो आप के विषय में बहुत सारी बातें या किस्से प्रसिद्ध है लेकिन एक किस्सा बहुत प्रसिद्ध है जिसमें आपने मरे हुए घोड़े को जिसको आप काट कर लंगर में डाल चुके थे उस घोड़े को जिंदा करने का किस्सा बहुत मशहूर है।
○आपके बारे में ये मशहूर है कि आपको बहुत बड़ी रूहानी शक्ति प्राप्त थी।
○आपकी दरगाह के विषय में भी ऐसा किसा मशहूर है कि आपकी मज़ार दीवार एक ही रात में अनजान शक्तियों ने बनाई थी।ऐसी कहावत आपके बारे में प्रसिद्ध है।
○आपका नाम पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है और दूर दूर  से लोव लोग यहाँ तक कि विदेशों से भी लोग यहां आपके रोज़े की जियारत करने आते हैं ।
○आप सबकी मुरादे पूरी करते हैं और सबकी झोलिया भरने वाले हैं।यहां लोग रविवार और बृहस्पतिवार को बहुत अधिक संख्या में माथा टेकने और जियारत के लिए आते हैं।
○ऐसा भी माना जाता है कि आप को पांच पीरों बाबा भैरों माता मसानी की अति निकटता प्राप्त थी।आपके विषय में यह बात बहुत मशहूर है कि आप भांग के बहुत शौकीन थे और आज भी आपको लोग भांग चढ़ाते है
○आपके रोज़ा शरीफ पर बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों और सभी जातियों के लोग एक साथ सलाम करते है और आपके रोज़े का द्वार दिन रात खुला हुआ रहता है।
○गुरु शिष्य परंपरा में चल रहा एक और मंत्र आपके साथ साझा करने जा रहा हूं ।ये एक गुप्त मन्त्र था और सिर्फ गुरु अपने शिष्य को ही देता था।
○यह मंत्र और साधना जागृत है कृपया अपने उस्ताद या गुरु के निर्देशन या विशेषज्ञ व्यक्ति की सलाह से ही करें यह साधना बहुत दुर्लभ है ।
○आज से पहले किसी ने इस को लिपिबद्ध करके डाला नहीं है। इसमें बाबा जी के दर्शन और कृपा दोनों प्राप्त होते हैं।
○साधक को 41 दिन तक ब्रह्मचर्य और संयम से रहना होगा।
○मांस शराब अंडा प्याज लहसुन और सभी ऐसी चीज़ों से परहेज़ करना है।
○घर के एकान्त कमरे में जिस कमरे की पहले से ही साफ सफाई कर दी गयी हो।
○पश्चिम दिशा की और मुँह करके दोजानु या पालथी मारकर बैठकर ये साधना करनी है।
○अपने सामने एक आम का पटरा रखकर उसके ऊपर हरे रंग का स्वामीटर कपड़ा बिछाकर दो कच्चे चावलों की ढेरियों पर दो मिट्टी के दिये सरसों का तेल डालकर चलाने है और अगरबत्ती जलाएं।एक साफ जल का पात्र आपने सामने रखें।
○आपका आसन कुछ इस तरह का होगा कि नीचे काले रंग का कंबल बिछाकर उसपर हरे रंग का नया कपड़ा बिछाना है।
○नए साधक आने मन को केंद्रीत करने के लिए पीर बाबा हैदर शेख की तस्वीर बाज़ार से जो मिलजाए आपमे सामने रख सकते हैं।
○साधना काल के दौरान साधक को पूरे इककतालीस दिनों तक भूमि पर ही शयन करना होगा ।
○प्रतिदिन बाबा को भोग लगाकर नित्य होम भी करना है दूसरे दिन ये सभी सामान उठाकर जल में प्रवाहित कर देना है।
○वह बाबा के दर्शन और आशीर्वाद दोनों को प्राप्त कर सकते हैं यह पीर बहुत दयालु पीर है बहुत ही कम समय में यह साधक के ऊपर प्रसन्न हो जाते हैं और उनके सभी अभीष्ठ कार्यो को पूरा कर देते हैं दर्शन होने पर आपको बाबा जी मज़ार पे जियारत करनी होगी।
○41 दिनों की साधना है ये पाक साफ होकर करनी है।
○जाप करते हुए लगातार लोहबान सुलगता रहना चाहिए 
       इस का प्रबंध पहले ही कर लें।
○ग्यारह देसी गुलाब के फूल एक जोड़ा इतर चढ़ाना, जोड़ा मीठे पान,कलावे का एक जोड़ा , जोड़ा सबूत सुपारी और मीठे चावल, गुलगुले का भोग देना है।
○कोयले कि आग पर सरसों के तेल और बतासे से होम अग्यार करनी है।
○प्रतिदिन काले हक़ीक़ की माला से 5 माला रोज़ाना जपना है।
○ज़मीन पे सोना है।
○किसी पुराने सरींह ((शिरीष)) के पेड़ की जड़ में भांग और शरदई चढ़ानी है।
○जब बाबा जी के दर्शन हो जाएं तो उनकी दरगाह पे जाकर माथा टेकना है।
○सेवा खत्म होने पर आपको बाबा के रोज़े पर जाकर अपनी खुशी से और चद्दर और बकरा चढ़ाना है।
○बाबा सदरुद्दीन रह0 बहुत पहुंचे हुए बजुर्ग पीर है और साधक पर खुश हो कर उसे भूत भाविष्य वर्तमान बताते है।
○ सवारी आने पर बहुत बड़े बड़े काम साधक के सिद्ध होते है मुरादें पूरी एव मनो वांछित कार्यों में सफलता मिलती है।
○इस साधना में पाक साफ होकर दरूद शरीफ को एक हज़ार बार अगर पढ़ लिया करें तो उससे आपकी रूहानी ताकत बढ़ेगी।
                     ।।इब्राहीमी दरूद शरीफ।।
      अल्लाहुम्मा सल्लीअला महम्मदिवं व अला आले     
      महम्मदिवं कमा सल्ले त अला आले इब्राहिम व अला  
      आले इब्राहिम इंनका हमीदुम मज़ीद।
      अल्लाहुम्मा बारिक अला महम्मदिवं व अला आले   
      महम्मदिवं कमा बारिक त अला इब्राहिम व अला
      आले इब्राहिम इंनका हामीदुम मज़ीद।
                               ***💐***
                      ।।कलाम पीर बाबा की।।
      बिस्मिल्लाहरहमाननिरहीम,मौला अली दी बंदगी ,
      पंज पीरां दा नूर,अली अली नैरा लाके आजा मेरे हजूर।
      नियाज़ गुलगुले देवां तेनु, देवां भंग पियाला।पीरां विचों
      पीर देखेया हैदर शेख निराला।माई मशानी भैरो बाबा ,
      वसदे पंजे पीर। दर्शन दे बाबा हैदर शेख पीर। चले मन्त्र   
      फुरो वांचा,देखा मिएं राने हैदर शेख पीर देखां तेरी    
      कलाम दा तमाशा।दुहाई मौला अली दी,दुहाई तेरे पीर
      दी।
                                ***💐***
○अपनी तरफ से मैने समझने की कोई कसर नहीं छोड़ी अगर आपको अधिक जानकारी चाहिए तो इसके लिए हमारे व्हाट्सएप 8194951381 पे संदेश भेजकऱ संपर्क किया जा सकता है।

।। सेवादार /पितृ को सिद्ध करने की कलाम।।

।। सेवादार /पितृ को सिद्ध करने की कलाम।।
साधक भाई बहनों आज मैं आपको पित्र सिद्ध करने का या रूठे हुए पितरों को मनाने के लिए एक साधना देने जा रहा हूं और यह मंत्र बहुत कम लोगों को पता है सिर्फ ऐसे विद्वान लोग हैं जिनको पता है उनकी भी गिनती उंगलियों पर की जा सकती है इस मंत्र के अनुष्ठान से धनधान्य की वर्षा होती है आर और संतान बाधा में अगर कोई दिक्कत है तो वह भी दूर हो जाती है कारोबार अगर पित्र की के क्रोध यासिर आपसे  रुका हुआ है तो वह भी चल पड़ता है  और रुका हुआ पैसा भी मिल जाता है  अगर कोई लंबे समय से बीमार है  कोई कारोबार आपका बना हुआ है या कोई फैक्ट्री आपका बार-बार नुकसान करती है या कोई मशीनरी आपका बार-बार नुकसान करती है  तो वह भी इससे सही हो जाता है  वह तेज वैसे तो पित्र संहिता  का पाठ गायत्री का पाठ  गीताजी का पाठ  नारायण बलि  श्रीमद् भागवत  ऐसे बहुत से लोग प्रचलित बड़े बड़े इंसान  अनुष्ठान पड़े हुए हैं जिनको करने से  रुका हुआ काम और पित्र बाबा निवृत हो जाती है  लेकिन
○अगर किसी के पास धन का अभाव हो तो वह कैसे इतने बड़े-बड़े काम कामों को करवा सकता है  तो इसलिए  साबर विधि से सरल तरीके से अपने पितरों को  खुश करने का तरीका मैं आपके लिए लाया हूं  इससे से रुका अगर आपका कोई भी काम होगा तो वह कुछ ही दिनों के भीतर आपको सकारात्मक प्रभाव दिखने लग जाएगा।
○ कुछ हमारे जिज्ञासु भाई बहन हैं जो चाहते हैं कि उनके पास उनके पुत्र और गधी के सेवादार को सिद्ध करने की कोई विधि हो तो मैं उनको सरल शब्दों में सविधान समझा देता हूं की अगर इस अनुष्ठान को आप 41 दिन तक कर लोगे और अंतिम दिन अमावस का पड़े और उस दिन आप होम और हवन करो तो आपको कुछ ही दिनों में परिणाम मिलने चालू हो जाएंगे।
○किसी भी महीने में आपकी साधना को कर सकते हैं  लेकिन आपको  इंतजार करना होगा  कृष्ण पक्ष का  जब कृष्ण पक्ष शुरू हो प्रतिपदा से लेकर  आपको यह जप करना है लगातार पित्र को खुश करने के लिए आपको यह 15 दिन यानी एक पूरा कृष्ण पक्ष अमावस्या तक जाप करना है  और पित्र की सिद्धि प्राप्त करने के लिए आपको इसे लगातार 41 दिन  करना होगा ।
○अगर  आप यह केवल पितरों को खुश करने के लिए कर रहे हैं के लिए यह कर रहे हैं तो पूरे कृष्णपक्ष की प्रतिरात्रि में होम अग्यार करना है।
○मन्त्र का जाप 11 माला रात्रि को 10:30 बजे के बाद करना है।
○ रुद्राक्ष की माला से की माला से ही यह जाप होगा  और वह  जाप माला गोमुखी में रहनी चाहिए नंगी माला से जाप करना वर्जित है।
○सफेद रंग के वस्त्र धारण करें सफेद वस्तुएं पितरों को अति प्रिय होती हैं इसलिए नैवेद्य भी सफेद रंग का होना चाहिए  और पुष्प इत्यादि जो सामग्री हो कोशिश करें वह सफेद रंग के ही हो।
○और इसी मंत्र से आपको क्रम से जब इस पूजा का अंतिम दिन होगा तो 108 बार जौं, तिल, खीर, देसी घी हवन सामग्री,मिलाकर हवन करना है और पूर्णाहुति में  अगर आपके घर में कलेश या पैसे की कमी है या किसी अदृश्य आत्मा का साया आपको महसूस होता है या कारोबार में बंदिश है तो फैक्ट्री कारखाने या घर के चारों कोने स्पर्श कराकर अंत में पूर्णाहुति में उस नारियल को डालना है।
○ इसी क्रम से अगर इस बाधा द्वारा कोई रोगी किसीअज्ञात रोग से ग्रसित हो गया है और बहुत दिनों तक दवाई कराने पर कोई आराम नहीं आ रहा या रोग का कोई आपको पता नहीं लग रहा है तो आप अंत में उस हवन में इस विधि द्वारा मरीज के सिरसे सात बार उल्टा उतार कर एक सूखा नारियल जिसे हवन गोला कहा जाता है। पूर्णाहुति के समय उसे हवन में डालना चाहिए।
○ देशी घी का होम अग्यार को प्रतिदिन करना है इससे पित्र खुश हो कर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष दर्शन देते है लेकिन जब पित्र या सेवादार आये उल्टे सीधे सवालों की बजाए वचन लेना चाहिए।
○ये पित्र को खुश करने का एक गुप्त मन्त्र है। और इसकी जानकारी नामात्र लोगों को है।
○ जो साधक भाई बहन गद्दी लगाते हैं या किसी देवता की चौकी लगाते हैं  अगर पित्र बाधा द्वारा उनकी गद्दी बंधी हुई है तो इस साधना से बंधी हुई गद्दी खुलकर सभी रुके हुए काम पूरे होते है ।
○ये जाप या तो सूर्य उदय से पहले या रात्रि 10 के बाद करना होगा, घर के किसी भी शांत कोने में एकांत में यह ऐसे कमरे में जिसमें शोरगुल ना हो उस कमरे में इसका जाप करना है।
○ब्राह्मण को वस्त्र भोजन कराकर तृप्त करना चाहिए। आचार्य का धारण करना भूमि पर सोना कम खाना  और मौन धारण करना चाहिए वह साधक के लिए बहुत उत्तम दिनचर्या होती है।
○ अपनी नित्य प्रति दिन चर्या में अधिक से अधिक वेदों शास्त्रों और धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें और अपने मन को सकारात्मक विचारों से भर कर रखें।
○ अपने गुरु इष्ट देव और मंत्रों पर पूरा भरोसा रखें क्योंकि विश्वास पर दुनिया टिकी हुई है आपकी की गई कोई भी पूजा निरर्थक नहीं जाती यह आपको अपने दिमाग में डालना पड़ेगा।
○ पितर के मंत्र को जाप करने से पहले 31 बार आपने जिस मंत्र से होम डालनी है वह मंत्र भी मैं यहां दे रहा हूं।
                     ।।होम जगाने का मंत्र।।
मन्त्र:-बाबा आदम सिर जंतर ले माई, नारसिंग वीर तेरी करू बड़ाई सिंग तड़ापो ऐके डार जागे होम जागे अग्यार जागे खेड़ापति रखवाला जागे करुआ जागे भरुआ जागे बीर मसाण जागे बाबा अघोरी जिन विद्या फटकारी जागे तन्त्र मन्त्र और यन्त्र अली अली मौला मुर्तज़ा अली मुश्किल कुशा अली अनी अनभली आवे न पास आवे सो चली जाए मौजे मुज़फ्फर की गली या खुली अल्लाह फकीरों की गली"।
इसका प्रतिदिन 1 माला जाप करना है और जल का पात्र अपने पास रखना है फिर जाप के अंत में वो जल पी लेना है।
○ इसके बाद आपको पित्र देवता के मंत्र की 11 माला रुद्राक्ष की माला से जाप करनी हैं। पित्र देव को खुश करने का मंत्र इस प्रकार है ।

                     ।।पितर देवता का मंत्र।।
○ॐ नमो आदेश गुरु को, सेवादार पौण वंजारा।        रोज़ करूं होम अग्यारा, चिट्टा वस्त्र चिट्टा वेश।        फूल बतासा (*******) तेरी भेंट। ।                         गद्दी वाले का जै कारा,करदे बेड़ा पार हमारा।चल नगर खेड़े नु मन्न के चल ,ख़्वाज़े पीर नु मन्न के चल ,नै नाथां चुरसी सिद्धां नु मन्न के चल,गुरु गोरखनाथ नु मन्न के चल, माई काली नु मन्न के चल। मई मदानण दे बेड़े नु मन्न के चल,गुरु उस्ताद नु मन्न के चल,हनुमान ते भैरों बाबे नु मन्न के चल,चौसठ जोगनियाँ नु मन्न के चल,
जे ना चल्ले आन भोले पार्वती दी चले मन्त्र फुरो बादशाह देखां सेवादार तेरे इल्म का तमाशा।
(*****)
( जिसकी गद्दी में अगर मांस शराब का भोग चढ़ता है तो  वह कहेंगे कि मुर्गा बोतल तेरी भेंट)


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।। उग्र शामशानिक बैताल साधना

              ।। उग्र शामशानिक बैताल साधना।।
○इस साधना के संपन्न होने के बाद संसार का कोई ऐसा काम नहीं है मृत्यु के इलावा जो कि साधक बैताल से ना करवा सके बैताल साधक को किसी भी व्यक्ति के भूत भविष्य वर्तमान और मनोभावों को बता सकता है।होने वाली घटनाओं का साधक पहले से ज्ञान हो जाता है पूर्व में हुई पहले की घटना को भी साधक इस साधना द्वारा बेताल से जान सकता है ।
○किसी भी इच्छित पदार्थ को उठाकर साधक के पास ला सकता है। चाहे वह कितना भी भारी हो कोई भी फल बिना मौसम का कोई भी फूल यह बैताल साधक को लाकर दे सकता है। कोई भी खबर लाकर साधक को बेताल दे सकता है चाहे वह विदेश की ही क्यों ना हो।
○जो ज्योतिषी का काम करते हैं उनके लिए यह साधना बहुत उत्तम है क्योंकि इसमें किसी भी प्रश्नों के उत्तर और सटीक भविष्यवाणी साधक कर सकता है।
○साधक जनों के लिए इस दीपावली के पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं  इस दीपावली के पर्व पर मैं एक साधना डालने जा रहा हूं।
○यह साधना बहुत ही उग्र बहुत ही डरावनी और  खतरनाक है ।इसको करने वाला साधक सबसे पहले ब्रह्माचर्य पालन करने वाला साहसी और निडर जो साधक हो वही इसे कर सकता है कमजोर दिल वाला इसे करने की कोशिश न कभी ना करें क्योंकि कमजोर दिल वाला आदमी जब बेताल उनके सामने आएगा तो वहां से उठकर भागने वाला नहीं होना चाहिए। वरना साधक के प्राण जाने का भय रहता है।या कम से कम पागल तो हो ही जाता है ।
○अक्सर कई साधकों को ही है शिकायत रहती है कि उनकी कोई साधना सफल नहीं हुई इसका एक गुप्त भेद मेंआपको बताता हूं जिस साधक के घर का देवता पितर सही नहीं होगा उसको कभी सिद्धि प्राप्त नहीं होगी यह गुप्त भेद है इसके लिए पहले अपने देवता पितृ को मना लिया जाना चाहिए।
○ इसमें देखने वाली एक विशेष बात यह होती है कि साधक जिनकी कुछ नजर खुली होती है तीसरी आंख जिसे बोला जाता सामान्य भाषा में उनको तो यह आत्मएं बहुत जल्दी दर्शन दे देती हैं लेकिन जिस की तीसरी आंख या बात नहीं आंख या रूहानी आंख ना खुली हो या किसी द्वारा बंधित कर दी गई हो उनको सिद्धि तो होती है लेकिन उनको खुद पता नहीं चलता कि उनका कुछ भला हुआ है या नहीं।
○ ग्राम देवता कोई मामूली देवता नहीं होता सारे इलाके का मालिक होता है इसलिए  ग्राम देवता  की पूजा पहले करनी चाहिए और उन्हें आप जो भी भोग भेंट चढ़ा सके जो भी आप चढ़ा सको भेंट चढ़ानी चाहिए। और ग्राम देवता की अनुमति प्राप्त करें।
○ कुल देवता/देवी जिस कुल और गोत्र में आप पैदा हुए हो उसके देवता को मनाये बिना सिद्धि प्राप्त कर लेना असंभव होता है इसलिए साधनाओं के विभिन्न विभिन्न आयामों के ऊपर देखना पड़ता है कि कहीं से भी आपके असफलता का अवसर ना रहे तो ही साधना सफल हो पाती है।
○ ऐसे में साधना करने से पहले किसी जानकारों विद्वान आदमी से चलाता लेनी चाहिए क्योंकि सादा कई बार एक ही गलती को अनजाने में कई बार करता रहता है और उस गलती को दोहराने के चक्कर में उसकी साधना असफल होती रहती है।
○गुरु की अनुमति जब आप गुरु का नहीं मना पाओगे तो भी आपको कोई सिद्धि प्राप्त नहीं होगी क्योंकि गुरु ऐसी चीज होती है कि आपकी साधना से अगर कोई नकारात्मक ऊर्जा निकलती है तो गुरु से संभालता है। गुरु का ऋण कोई भी नहीं दे सकता अपने जीवन में सालों के अनुभव को बिना किसी स्वार्थ के आपके जीवन की सभी कमियों को पूरा करने के लिए ज्ञान देते हैं और ऐसी युक्तियां बताते हैं जिससे आपकी सभी सांसारिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो तो इस बात पर विशेष ध्यान दें कि गुरु को गुरु दक्षिणा देकर के अवश्य संतुष्ट किया जाए।
○ साधना विषय के सभी नियमों को मानते हुए ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए इस प्रयोग को करना चाहिए ताकि सफलता प्राप्त हो।
○यह साधना पूर्णतया शमशानिक और तामसिक साधना है और यह पूरी तरह तामसिक क्रिया प्रधान साधना है। जी ने साधकों को कभी भी किसी साधना में सफलता नहीं मिली अगर वह इसे पूरी विधि से कर लेते हैं तो उन्हें भी सफलता मिलने के शत-प्रतिशत गैरेंटी है।
○ यह साधना कभी फेल नहीं जाती और इस साधना को करने के लिए कोई बहुत लंबी चौड़ी है जटिल प्रक्रिया नहीं है अपितु इसमें तीन से चार मंत्रों का जो प्रयोग होता है वह भी आपको इसी प्रयोग में मैं दूंगा।
○ रविवार या मंगलवार को पंचांग में शुभ मुहूर्त देखकर के गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद आपको श्मशान जाना है और जलती हुई चिता के पांव की तरफ खड़ा हो जाना है और नमस्कार करना है फिर 7 बार प्रदक्षिणा करनी है और बेताल को निमंत्रण के लिए पांच बूंदी वाले लड्डू ,सात लौंग ,सात छोटी इलायची, एक कलावे का जोड़ा, एक पव्वा शराब देशी का, एक जोड़ा सबूत सुपारी,कच्चे चावल जिनमें हल्दी लगी हो, यह बेताल के आवाहन के लिए चिता के पास सिरहाने की ओर रखना है।
○ फिर बेताल का आवाहन करना है और साधना के लिए आपको जलती हुई चिता में से एक अस्थि नमस्कार पूर्वक अपने साथ  लेकर  पहले उसे शराब से स्नान कराना है फिर  एक जोड़ा  भुनी हुई मछली  जिनका  आकार  छोटी उंगली जैसा हो एक डोने में रख देना है और और शराब का छींटा उस धोने पर और शव के ऊपर मार देना  बेताल के भोग के लिए वही छोड़ देना है ।
○ पहले दिन जब आप शव की अस्थि ले करके आओगे तो जो मछली और शराब का भोग है आपको जहां से आप अस्थि ग्रहण करोगे वहां देना होगा दूसरे दिन से वह भोग जाप के उपरांत आपको श्मशान में ही किसी पीपल या वट वृक्ष के नीचे देना है।
○फिर अस्थि एक साफ लाल कपड़े में लपेटकर ऊपर से कलावा बांधते हुए बंधन मंत्र से उस अस्थि को बांधना है फिर उस अस्थि को साथ लेकर आपको भगवान शिव के मंदिर में जाना है।
○आधी रात में भगवान शिव के मंदिर में जाकर सबसे पहले भगवान शिव को प्रणाम करके विधिवत उनकी पूजा करनी चाहिए फिर गणेश पूजन उसके बाद गुरु मंत्र की पांच माला आपको जाप करना चाहिए ।
○उसके उपरांत मंदिर में ही किसी एकांत कोने में आसन बिछाकर उस अस्थि को अपने आसन के नीचे रख लेना है और उस आसन पर बैठने से पहले आपको रक्षा मंत्र से एक खुला घेरा लगाना है ।
○आसन पर बैठने से पहले सिद्ध आसन मंत्र से जो कि हमारी पहली वीडियो में दिया जा चुका है इक्कीस बार जाप करना है  फिर आसन को नमस्कार करके उस पर बैठना है।
○ दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की माला लेकर जो की माला गोमुखी में होनी चाहिए नंगी माला से जाप करना वर्जित है  और इन प्रयोगों में माला केवल संस्कारित होनी चाहिए ।
○वहां बैठकर एक ही बैठक में  आपको 51 माला वेताल के मंत्र का जाप करना है।
○ इस साधना में जो वस्त्र होंगे वह बिना सिले हुए वस्त्र होंगे और वह भी वस्त्र आपके काले रंग के होने चाहिए एक छोटे वस्त्र से सिर भी ढक कर रखना चाहिए।
○ बिना तिलक के यह साधना कभी नहीं करनी चाहिए इसलिए घर से निकलते हुए पहले कुमकुम का तिलक लगाएं।
○ श्मशान में प्रतिदिन आपको दो भुनी हुई छोटी मछली जिस पर  नमक और हल्दी लगानी है और थोड़ी सी शराब किसी भी पात्र में रखकर शमशान में पीपल का पेड़ हो या वट का पेड़ हो उसके नीचे रख देनी है और बेताल के लिए दीपक जलाना है। यह दीपक तिल के तेल का होना चाहिए।
○ जाप करने के बाद वह अस्थि उठाकर जिस पेड़ के नीचे आप दीपक लगाते हैं नित्य प्रति श्मशान में उसके ऊपर ही कहीं सुरक्षित रख देनी है फिर बेताल को भोग देना है इस प्रकार यह क्रम चलेगा दूसरे दिन वही से अस्थि को उठाकर भगवान भोलेनाथ के मंदिर में जाना है और आपको जाप करना है जाप के उपरांत वापस लौटते हुए जब आप शमशान जाओगे तो आपको उस स्त्री को रखें बेताल के निमित्त भोग दे देना है।
○ आमतौर पर दूसरे से तीसरे दिन बेताल आपसे संपर्क करने की कोशिश करने लग जाता है  भयानक रूप से से और हाहाकार मचा देता है उस अवस्था में साधक को डरना नहीं चाहिए जब तक वह मंत्रों से सुरक्षित है उसकी साधना से उत्पन्न हुई नकारात्मक ऊर्जा उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकती।
○पहले दिन साधक को सपने में बेताल आकर मिलेगा लेकिन वह अपने वास्तविक रूप में नहीं होगा वह उग्र रूप में बयानाक जानवरों भयानक आकृति या किसी ऐसे भी भयानक रूप में आपको सपने में दिखाई देगा और ऐसे ऐसे डरावने सपने दिखाएगा जिससे साधक पहले ही दिन सारी साधना छोड़ कर भाग जाए।
○ यही काम लगातार इक्कतालीस दिन तक चलेगा और इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के रूप बनाकर के पक्षी पक्षी पशु पक्षियों के रूप बनाकर और विचित्र रूप से बैताल साधक को डराने की कोशिश करेगा और यह पूरा प्रयास करेगा कि साधक की साधना भंग हो जाए।
○ इस क्रिया के अंत में जो अंतिम सप्ताह होगा अपनी तरफ से बेताल डराने की पूरी कोशिश करेगा अगर साधक नहीं डरेगा तो अंतिम दिन बैताल उग्र रूप को या भयानक रूप को त्याग कर साधक के सामने सौम्य रूप में प्रकट होगा।
○ और साधक से वचन मांगने को कहेगा यह एक ऐसा अवसर होता है कि आपकी सारी साधना का फल उन्हीं कुछ पलों के ऊपर निर्भर करता है अगर साधक भयभीत हो गया और वचन नहीं मांगे तो बेताल चला जाएगा और दोबारा नहीं आएगा।
○ इस साधना में सफल होने के लिए गुरु कृपा के अलावा मनुष्य को साहसी निडर कर्म शील होना चाहिए क्योंकि यह  रात्रि की साधना है और इसमें दूसरे व्यक्ति को साथ में लेकर नहीं जा सकते।
○ ये एक उग्र और तामसिक साधना है इसलिए इस साधना के साथ उस समय में कोई और साधना नहीं की जा सकती।
○ जिस दिन आप बैताल साधना के लिए अस्थि लेने के लिए जाएं उससे पहले आपको एक दिन पहले आपको कच्चे चावल हल्दी लगाकर ₹11 यह शमशान में निमंत्रण के लिए रख कर आने पड़ेंगे।
○साधना में सफलता प्राप्त करने के बाद किसी प्रकार का अहंकार मन में ना लाये और दूसरों पर हवा करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रदर्शन न करें वरना आपकी सिद्धि नष्ट हो जाएगी।
○ सिद्धि प्राप्त होने के बाद बैताल से कोई भी नाजायज काम ना करवाएं वरना आपको लेने के देने पड़ सकते हैं और आप किसी बड़े संकट में पड़ सकते हैं।
○ सिद्धि प्राप्त होने के बाद उस अस्थि को साधक सदा के लिए अपने पास सुरक्षित करके संभाल के रख ले।

○ आसन मंत्र प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक के ऊपर क्लिक करें।https://youtu.be/7767vPjXjDY
○ रक्षा मंत्र प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक के ऊपर क्लिक करें।https://youtu.be/2Qb8thqI_7Y

    ।।शमशान की शक्तियों को जगाने का मंत्र।।

   जाग जाग मां काली मरघट की तू रखवाली ।
   उठ जाग काले भैरव जाग मुर्दे में लगी आग।
   ढाई घड़ी में धूनी धूखाये सब कोई जागे तेरे    
                         जगाए।। 
   दोहाई गुरू गोरखनाथ की बंगाल खंड की         
                         कामरु      
               कामाक्षा देवी की आन।

                   ।।बेताल का मंत्र।।
         हम हुम्म  सुनसान सोख्ता मसान   
               नाचे भूत जागे शैतान।
आपको इस साधना को करने के लिए अनुमति प्राप्त करनी होगी बिना आज्ञा इस प्रयोग को करने वाले व्यक्ति के लाभ हानि का उत्तरदायित्व हमारा नहीं होगा।
○अधिक जानकारी के लिए आपको हमारे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर व्हाट्सएप द्वारा ही संदेश भेज कर संपर्क स्थापित करना होगा आप लोगों से कर बंद निवेदन है कृपया बार-बार कॉल ना करें बिना आज्ञा व्हाट्सएप वीडियो या वॉइस कॉल ना करें।

कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...