गुरुवार, 6 जून 2019

सर्व यन्त्र मन्त्र तंत्रोत्कीलन।

*******।।सर्व यन्त्र मन्त्र तंत्रोत्कीलन।*******
पर्वतीउवाच:
देवेश परमानंद भक्तानांभयप्रद,आगमा निगमसचैव बीजं बीजोदयस्था।।१।।
समुदायेंन बीजानां मंत्रो मंत्रस्य संहिता।
ऋशिछ्दादिकम भेदो वैदिकं यामलादिकम।।२।।
धर्मोअधर्मस्था ज्ञानं विज्ञानं च विकल्पनम।
निर्विकल्प विभागेनं तथा छठकर्म सिद्धये।३।।
भुक्ति मुक्ति प्रकारश्च सर्व प्राप्तं प्रसादत:।
कीलणं सार्वमंत्रनां शंसयद ह्रदये वच :।।४।।
इति श्रुत्वा शिवानाथ: पर्वत्या वचनम शुभम।
उवाच परया प्रीत्या मंत्रोतकील्कन शिवाम।।५।।
शिवोवाच।
वरानने ही सर्वस्य व्यक्ताव्यक्ततस्य वस्तुनः।
साक्षीभूय त्वमेवासि जगतस्तु मनोस्थता।।६।।
त्वया पृष्ठटँ वरारोहे तद्व्यामुत्कीलनम।
उद्दीपनम ही मन्त्रस्य सर्वस्योत्कीलन भवेत।७।।
पूरा तव मया भद्रे स्मकर्षण वश्यजा।
मंत्रणा कीलिता सिद्धि: शर्वे ते सप्तकोटिय:।।८।।
तवानुग्रह प्रीतत्वातसिद्धिस्तेषां फलप्रदा।
येनोपायेन भवति तं स्तोत्रं कथ्यामहम।।९।।
श्रुणु भद्रेअत्र सतत मवाभ्याखिलं जगत।
तस्य सिद्धिभवेतिष्ठ मया येषां प्रभावकम।।१०।।
अन्नं पान्नं हि सौभाग्यं दत्तं तुभ्यं मया शिवे।
संजीवन्नं च मन्त्रनां तथा दत्यूं परनर्ध्रुवं।।११।।
यस्य स्मरण मात्रेण पाठेन जपतोअपि वा।
अकीला अखिला मंत्रा सत्यं सत्यं ना संशय।।१२।।
ॐ अस्य श्री सर्व यन्त्र तन्त्र मन्त्रणामउत्कीलन मंत्र स्तोत्रस्य मूल प्रकृति ऋषियेजगतीछन्द: निरंजनो देवता कलीं बीज,ह्रीं शक्ति , ह्रः लौ कीलकम , सप्तकोटि यंत्र मंत्र तंत्र कीलकानाम संजीवन सिद्धिार्थे जपे विनियोग:।
ॐ मूल प्रकृति ऋषिये नमः सिरषि।
ॐ जगतीचछन्दसे नमः मुखे।
ॐ निरंजन देवतायै नमः हृदि।
ॐ क्लीं बीजाय नमःगुह्ये।
ॐ ह्रीं शक्तिये नमः पादयो:।
ॐ ह्रः लौं कीलकाय नमः सर्वांगये।
करन्यास।*****
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ ह्रीं अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ ह्रैं तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ ह्रो कनास्तिकाभ्यां नमः।
ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
ॐ ह्रां हृदयाय नमः।
ॐ ह्रीं शिरषे स्वाहा।
ॐ ह्रूं शिखायै वौषट।
ॐ ह्रैं कवचाय हूं।
ॐ ह्रो नेत्रत्रयाय फ़ट।
ॐ ब्रह्मा स्वरूपम च  निरंजन तं ज्योति: प्रकाशमनिशं महतो महानन्तम करुणायरूपमतिबोधकरं प्रसन्नाननं दिव्यं स्मरामि सततं मनुजावनाय।।१।। एवं ध्यात्वा स्मरेनित्यं तस्य सिद्धि अस्तु सर्वदा,वांछित फलमाप्नोति मन्त्रसंजीवनं ध्रुवम।।२।।
मन्त्र:-ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं सर्व मन्त्र-यन्त्र-तंत्रादिनाम उत्कीलणं कुरु कुरु स्वाहा।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रां षट पंचक्षरणंउत्कीलय उत्कीलय स्वाहा।।
ॐ जूं सर्व मन्त्र तंत्र यंत्राणां संजीवन्नं कुरु कुरु स्वाहा।।
ॐ ह्रीं जूं अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋ लृ लृ एं ऐं ओं औं अं आ: कं खं गं घं ङ चं छं जं झं ञ टँ ठं डं ढं नं तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं हं क्षं मात्राक्षरणां सर्वम उत्कीलणं कुरु स्वाहा।
ॐ सोहं हं सो हं (११ बार), ॐ जूं सों हं हंसः ॐ ॐ(११ बार), ॐ हं जूं हं सं गं (११ बार),सोहं हं सो यं (११ बार),लं(११ बार), ॐ (११ बार),यं (११ बार),ॐ ह्रीं जूं सर्व मन्त्र तन्त्र यंत्रास्तोत्र कवचादिनां सनजीवय संजीवन्नं कुरु कुरु स्वाहा।। ॐ सो हं हं स: जूं संजीवणं स्वाहा।।
ॐ ह्रीं मंत्राक्षराणं उत्कीलय उत्कीलणं कुरू कुरु स्वाहा।
ॐ ॐ प्रणवरूपाय अं आं परमरूपिने।
इं ईं शक्तिस्वरूपाय उं ऊं तेजोमयाय च।१।
ऋ ऋ रंजित दीपताये लृ लृ स्थूल स्वरूपिणे।
एं ऐं वांचा विलासाय ओं औं अं आ: शिवाय च।२।।
कं खं कामलनेत्राये गं घँ गरुड़गामिने ।
ङ चं श्री चंद्र भालाय छं जं जयकराये ते।३।।
झं टँ ठं जय कर्त्रे डं ढं णं तं पराय च।
थं दं धं नं नामस्तसमे पं फं यंत्रमयाय च।।४।।
बं भं मं बलवीर्याये यं रं लं यशसे नमः।
वं शं षं बहुवादाये सं हं लं क्षं स्वरूपिनेे।।५।।
दिशामादित्य रूपाये तेजसे रूप धारिने।
अनन्ताय अनन्ताय नमस्तसमे नमो नमः।।६।।
मातृकाया: प्रकाशाय तुभ्यं तस्मे नमो नमः।
प्राणेशाय क्षीणदाये सं संजीव नमो नमः।।७।।
निरंजनस्य   देवस्य नामकर्म     विधानत:।
त्वया ध्यातँ च शक्तया च तेन संजायते जगत।।८।।
स्तुतःमचिरं ध्यात्वा मयाया ध्वंस हेतवे।
संतुष्ट आ भार्गवाया हैं यशस्वी जायते ही स:।।९।।
ब्राह्मणं चेत्यन्ति विविध सुर नरांस्त्रपयंती प्रमोदाद।
ध्यानेनोद्देपयन्ती निगम जप मनुं षटपदं प्रेरयंती।
सर्वां न देवान जयंती दितिसुतदमनी सापह्नकार मूर्ति-
स्तुभ्यं तस्मै च जाप्यं स्मररचितमनुं मोशय शाप जालात।।१०।।
इदं श्री त्रिपुरास्तोत्रं पठेद भक्त्या तू यो नर:।
सर्वान कामनाप्नोति सर्वशापाद विमुच्येत।।
।।इति श्री सर्व यन्त्र मन्त्र तंत्रोत्कीलनँ सम्पूर्णम।।



बुधवार, 5 जून 2019

अघोरी मन्त्र


अघोरी की आत्मा को प्रसन्न करने एवं उससे सहायता प्राप्त करने हेतु साधना बता रहा हूँ , इस साधना को आप घर पर भी कर सकते है  और आपने उपर आई हुई उग्र मसाण या प्रेत बाधा का निराकरण कर सकते हैं इसके बिना निराकरण संभव नहीं है।

मैंने ऐसे बहुत सारे साधक देखे हैं जो बड़ी-बड़ी साधना ए करने के बाद निराश हो जाते हैं और लंबे चौड़े विधान कर कर के परेशान हो चुके होते हैं जिनके पास पैसा नहीं होता इतना पैसा नहीं होता कि वह देवता को भोग दे सकें और ऐसे साधक भी देखे हैं जिनको पूरी विधि पता ना होने के कारण उनके कई बड़े-बड़े प्रयोग फेल हो जाते हैं ।

मेरे पास ऐसे बहुत सारे लोगों ने संपर्क किया है जो पहले बहुत अमीर होते थे और किसी तंत्र बाधा के कारण किया किसी गलती के कारण वह बिल्कुल दरिद्र हो गए और इतना भी ना रहा कि दो वक्त की रोटी नसीब वैसे साधक भी इस प्रयोग को करने से सुखी हो गये क्योंकि तंत्र शक्तियों में मसान एक ऐसी शक्ति है कि जिस में गर्माइश बहुत अधिक होती है ये आपकी दैविक आभा को बिल्कुल खत्म कर देता है और पीड़ित को बहुत अधित मानसिक वेदना का अनुभव होता है  जिसका प्रयोग यदि किसी के ऊपर एक बार हो जाए तो वह जल्दी-जल्दी हटता नहीं है उसकी काट सिर्फ अघोरी होता है अघोरी के बिना उसकी काट नहीं लगती।

आज तक जिस साधक को भी ये साधना करवाई गई है वो उक्त बाधाओ से मुक्त होकर सुखी जीवन यापन कर रहे हैं।

साबर मंत्र -
" आडू देश से चला अघोरी , हाथ लिये मुर्दे की झोली , खड़ा होए बुलाय लाव , सोता हो जागे लाव ,तुझे अपने गुरु अपनों की दुहाई , बाबा मनसा राम की दुहाई ,मेरी आन मेरे गुरु की आन ईश्वर गौरां महादेव पार्वती की दुहाई दुहाई काली माता की
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"(ये मन्त्र पूरा है लेकिन इसकी पूरी विधि लेने के लिए सम्पर्क करें बिना गुरु के साधना को करने यदि आपको कोई जानी या माली नुकसान पहुुँचता है तो उस में मेरे या मेरे चैंनल लेेख का कोई उत्तरदायित्व नही होगा।)


इसका प्रयोग विधान -

उक्त मंत्र का कृष्ण पक्ष मंगलवार या शनिवार की मध्यरात्रि के समय , लाल या काले आसन पर बैठ कर नित्य ही ११ माला का जप करे ।

अपने सम्मुख अघोरी आत्मा हेतु एक मिट्टी के कुलहड़ में गुड़ का शर्बत , श्वेत फूलो की माला , मिठाई -नमकीन आदि रखे ।

यदि आप इस साधना को तामसिक तरीके से करना चाहते हैं तो आप इसके भोग में परिवर्तन कर सकते हैं तामसिक भोग में मांस मदिरा का प्रयोग होगा और तामसिक साधना शमशान घाट में सम्पन्न होगी।

गूगल की धुप और शुद्ध सरसों के तेल का दीया जाप के दौरान प्रज्वलित रखे ।

जब जप पूर्ण हो जाये तो ये सभी सामग्री किसी चौराहे पर या किसी पीपल के पेड के नीचे चुपचाप से रख आये और हाथ-पैर धोकर सो जाये । 7वें दिन नहीं जाना है ।

तब किसी अघोरी की आत्मा आएगी और सामग्री न देने का कारण अत्यंत उग्र स्वर में पूछेगी ...घबराए नहीं और उत्तर भी नहीं देना और जो पूर्व दिन की बची सामग्री है उसे रख दें ।
न ही किसी भी प्रकार का प्रश्न करें न ही किसी प्रश्न का उत्तर दें ।
अब जप के पश्चात् जो सामग्री वर्तमान दिन ...यानि 8वें दिन की है ...फिर से चौराहे पर या पीपल के पेड के नीचे रख आये ।
यह साधना 11 दिन की है एवं 11वें दिन अघोरी की आत्मा आएगी और सौम्य भाषा -शब्दों में वार्ता करगी ।
उससे अपनी बुद्धि के अनुसार वचन ले लीजिये ,ये आत्मा साधक के अभिष्टों को पूर्ण करेगी ।
जब भी किसी कुल्हड़ में देसी शराब और नमकीन -मिठाई अघोरी के नाम से अर्पित करोगे तो वो सम्मुख आकर साधक की समस्या का निवारण भी करेगी ।
इस साधना के प्रभाव से अघोरी की आत्मा साधक के आस-पास ही रहेगी तथा उसे सुरक्षा भी प्रदान करेगी ।

लखदाता पीर साधना

        *******।लखदाता पीर की कलाम।******


●सभी साधक भाई बहनों के लिए एक कलाम लखदाता पीर की जिनको सखी सरवर सुल्तान बोला जाता है और इनका प्रमुख पूज्य स्थान रोजा शरीफ पाकिस्तान के निगाह नामक स्थान पर है उस की तर्ज पर ही हिमाचल प्रदेश में भी इनका स्थान है और पूरे भारत क्या विदेशों से लोग यहां जियारत करने पहुंचते हैं और ऐसी कोई मुराद नहीं कीजिए जो इनकी साधना और इनकी सेवा सेना प्राप्त हो हर जायज मनोकामना इनके दर से पूरी होती है इसी क्रम में मैं आपके लिए लखदाता पीर लालू बरिसल कार की साधना दे कर आया हूं यह एक उग्र और चमत्कारी साधना है लेकिन कभी भी किसी भी साधना को अधूरे में ना छोड़े।

●ये साधना पूरे 43 दिनों की है।
●इस साधन में मांस मछली शराब इत्यादि पूरी तरह से वर्जित है।
●प्रतिदिन स्नान करने के उपरांत साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके आपको सरसों के पांच दिए अपने सामने जलाने हैं ।
●इस साधना को करते समय आपका मुख पश्चिम की तरफ होगा।
● प्रसाद में आप 5 चूरमे के लड्डू,5 बूंदी वाले लड्डू,7 बतासे,थोड़े से मीठे चावल ,7 लोंग,7 इलाइची सेंट ,2 मीठे पान यह सब रखना है।
●एक चमेली के फूल की माला  या देशी गुलाब के 11 फूल वहां पर जरूर रखें
●इस मंत्र का काले हक़ीक़ की माला से 11 माला जाप करना है।
●इस साधना में प्रतिदिन देसी घी से होम करना है।
●शुद्ध मन से 43 दिनों तक आपने यह जाप करना है।
●ब्रह्मचर्य पालन करते हुए आपको यह जप करना है।
●अपना खाना खुद बनाना है किसी के हाथ के बने हुए भोजन को स्वीकार नहीं करना है।
●अपने झूठे बर्तन और पहने हुए कपड़े खुद ही धोने है।
● सबसे पहले साधना जब आप शुरू करोगे आपको एक अलग कमरे इंतजाम करना और उस कमरे में सिर्फ साधना काल में जाएं ।
● उस कमरे में साधक के इलावा कोई और जाना नहीं चाहिए उसके पहले अंदर बढ़िया से लिपाई पुताई करा कर उसको साफ कर दिया जाए।
●वहां पर कोई भी जैसे स्त्री या पुरुष मलिन अवस्था में प्रवेश ना करे जब आप यह साधना संपन्न कर ले।
●उसके बाद जेष्ठ अषाढ़ के महीने में आपको एक रोट  सवा 5 किलो का लगवाना होगा ।
●गर्मियों में जेठ आषाढ़ के महीने में होते हैं इसमें साधना करने का विशेष महत्व होता है।
● साधना कक्ष में आपको हफ्ते में ही बाबा के आसपास होने के अनुभव होने लग जाएंगे ।
●जब पीर बाबा आपके सामने आये तो उनसे कोई फालतू बात न करें और आपने जाप में लगे रहें जप बाबा आपको बुलाएं तब ही बात करें।
●आपने पास साधना काल में एक जल का पात्र जरूर रखें।

●बिस्मिल्लारेहमानरहीम जल तू जलाल तू कुदरत तू कमाल तू ,हर वेले नाल तू,मुश्किल पई वंगारिया सखियां द सुल्तान तू,मुश्किल पई इंसान ते,मेरे काज संवार तू,चले मन्त्र फुरो बादशाह, देखा बाबा लखदाते तेरे इल्म द तमाशा।।

●अपनी तरफ से मैंने समझाने की पूरी तरह कोशिस की है अगर आपको फिर भी कुछ समझ में नही आया तो हमारे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर व्हाट्सएप संदेश भेज करके संपर्क कर सकते हैं।गुरु के सानिध्य में
● यह साधना करनी चाहिए बिना गुरु के ये साधना नही करनी चाहिए।

पीर हैदर शेख साधना

"बिस्मिल्लाहरहमाननिरहीम,नबीअली दी बंदगी , पंज पीरां दा नूर,अली अली नैरा लाके आजा मेरे हजूर।नियाज़ गुलगुले देवां तेनु देवां भंग पियाला।पीरां विचों पीर देखेया हैदर शेख  निराला।माई मशानी भैरो बाबा ,चलदे पंजे पीर। दर्शन दे बाबा हैदर शेख पीर। चले मन्त्र फुरो ,चल हैदर शेख पीर देखां तेरे इल्म दा तमाशा।दुहाई मौला अली दी,दुहाई तेरे पीर दी।"

41 दिनों की साधना है ये पाक साफ होकर करनी है और लोहबान सुलगाना है 5 दीये सरषों के तेल के जलेन है। इतर चढ़ाना 2 मीठे पान और मीठे चावल एव गुलगुले का माथा टेकना सरसों के तेल की होम बतासे से अग्यार करनी है प्रतिदिन हक़ीक़ की माला से 5 माला रोज़ाना जपना है और ज़मीन पे सोना है सरींह ((शिरीष)) के पेड़ की जड़ में शरदाई चढ़ानी है।जब बाबा जी के दर्शन हो जाएं तो उनकी दरगाह पे जाकर माथा टेकना है और चद्दर और बकरा चढ़ाना है।
ये बहुत पहुंचे हुए पीर है साधक पर खुश हो कर उसे भूत भाविष्य वर्तमान बताते है और सवारी आने पर बहुत बड़े बड़े काम साधक के सिद्ध होते है मुरादें पूरी एव मनोवांछित कार्यों में सफलता मिलती है।

सुलेमानी जिन्न साधना

जिन सुलेमानी साधना को करने लिए संकल्प लेकर पूरी तरह से तैयार हो जाएँ. जिन साधना को नौचंदी शुक्रवार से शुरू करना चाहिए. इस साधना को पुरे 21 दिन तक करना चाहिए. इस साधना को अपने गाँव या शहर से बाहर ही करना चाहिए. इस साधना को शुरू करने से पहले अपनी सुरक्षा कर लेना ज़रूरी है. इसके लिए आप ऊपर इस लेख में दिए गए सुलेमानी रक्षा मंत्र जा जाप करके अपने चारों ओर एक घेरा बना लें. रक्षा मन्त्र को आप 11 बार पढ़ें. आप गोले की बीच पश्चिम की ओर मुख करके खड़े हो जाएँ तथा अपने हाथ में एक करबा करेला लें और उसके भीतर हींग भर दें. अब अपने गुरु का ध्यान करके और आज्ञा लें. अब आप जिन साधना के मन्त्र का जाप एक घंटे तक करें.

ये मन्त्र इस प्रकार है – “ऐन उल हक ये जेतान!”

मंत्र का जप पूरा होने पर हींग भरे हुए करेले को पश्चिम दिशा की तरफ फैक दें और घर आकर हाथ पैर और मुंह धो लें. ये प्रयोग लगातार 21 दिन तक इसी विधि का प्रयोग करते हुए करें. आपकी साधना जप पूर्ण होगी तब जिन आपके सामने प्रकट हो जायेगा. जिन इस तरह प्रकट होकर साधना करने वाले साधक से सवाल पूछता है. इसलिय साधक को सोच विचारकर सही जवाब देना होगा. गलत जवाब देने पर जिन की शक्तियों का लाभ नही लिया जा सकता और वह वापिस चला जाता है. जब आप के जवाब सही होते हैं तो जिन ‘आफरीन आफरीन’ 3 बार कहता है और आपसे वरदान मांगने के लिये कहता है. अब आप जिन से आपकी कोई भी मन की मुराद पूरी करवा सकते हैं.
आप जिन से धन दौलत मांग सकते हैं या फिर आप किसी सुंदरी को भी मांग सकते हैं. जिन आपकी हर कामना की पूर्ति करेगा. जिन को नेक बंदे बहुत पसंद है इसलिए अगर आपको धन दौलत मिलती है तो आप गरीबों में दान करके जिन को प्रसन्न कर सकते हैं. इस साधना को करते समय प्याज लहसुन आदि के सेवन से दूर रहें.

साधनाओं में रक्षा

सुलेमानी साधना में सुलेमानी रक्षा साधना के प्रयोग से साधक को हर तरह की बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है. अगर किसी व्यक्ति के जीवन में ऐसा संकट आ गया हो कि उसे उसका कोई भी समाधान नज़र नही आ रहा है तो उसे सुलेमानी रक्षा साधना का प्रयोग ज़रूर करना चाहिए. कभी-कभी जीवन में ऐसी घड़ी आती है कि इन्सान पूरी तरह से निराश और हताश हो जाता है. ऐसी कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए सुलेमान रक्षा साधना से अद्भुत लाभ प्राप्त होता है. सुलेमानी रक्षा साधना साधक को बीमारियों से भी बचाती है. सुलेमानी रक्षा साधना से साधक के लिए एक कवच निर्मित हो जाता है इसलिए साधक को न तो कोई नकारात्मक शक्ति प्रभावित कर सकती और न ही उसके भीतर की आध्यात्मिक शक्ति कमज़ोर होती है. आप सुलेमानी रक्षा विधि को यहाँ दिए गए निर्देशों के अनुसार कर सकते हैं.
सुलेमानी साधना विधि:
इस सुलेमानी रक्षा विधि को 11 दिन तक करना चाहिए. इसे करने के लिए शाम को किसी कमरे में आसन लगाकर बैठ जाएँ. अब अपने सामने एक दीया या अगबत्ती लगा दें. आप किसी नदी पर दीपदान करके या किसी दरगाह पर दीया रखकर भी इस विधि को शुरू कर सकते हैं. जब ये साधना पूर्ण जाए तब दरगाह पर हरे रंग की चादर चढ़ाएं तथा पीले रंग की कोई मिठाई, लड्डू आदि का प्रसाद बांटें. इस साधना को करते समय आप सुलेमानी रक्षा मंत्र का 108 बार उच्चारण करें. रक्षा मंत्र इस प्रकार है-

“बिस्मिल्लाह आयतुल कुर्सी कक्ष कुरान,आगे पीछे तू    रहमान,धड राखे ख़ुदा सिर राखे सुलेमान!”

ये बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है. इसका जाप करने से साधक को अभेद्य रक्षा का वरदान मिल जाता है और वह हर तरह से संकट से मुक्त हो जाता है. सुलेमानी साधना में जिन साधना करने के भी कई लाभ हैं. कुछ लोग जिन की साधना का नाम सुनकर ही भयभीत हो जाते हैं. लेकिन जिस भी व्यक्ति को जिन साधना करनी है उसे जिन से डरने की कोई ज़रूरत नही है. यह भी ख़ुदा की ताकतों का एक रूप है जिसका विधि के अनुसार साधना करके प्रसन्न किया जा सकता है और अपने कार्यों को सिद्ध किया जा सकता है. जिन की ताकतों का प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति आपने शत्रु को समाप्त कर सकता है और अपने जीवन को हर तरह से सुरक्षित और संपन्न कर सकता है.

साधनाओं में रक्षा


सुलेमानी साधना में सुलेमानी रक्षा साधना के प्रयोग से साधक को हर तरह की बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है. अगर किसी व्यक्ति के जीवन में ऐसा संकट आ गया हो कि उसे उसका कोई भी समाधान नज़र नही आ रहा है तो उसे सुलेमानी रक्षा साधना का प्रयोग ज़रूर करना चाहिए. कभी-कभी जीवन में ऐसी घड़ी आती है कि इन्सान पूरी तरह से निराश और हताश हो जाता है. ऐसी कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए सुलेमान रक्षा साधना से अद्भुत लाभ प्राप्त होता है. सुलेमानी रक्षा साधना साधक को बीमारियों से भी बचाती है. सुलेमानी रक्षा साधना से साधक के लिए एक कवच निर्मित हो जाता है इसलिए साधक को न तो कोई नकारात्मक शक्ति प्रभावित कर सकती और न ही उसके भीतर की आध्यात्मिक शक्ति कमज़ोर होती है. आप सुलेमानी रक्षा विधि को यहाँ दिए गए निर्देशों के अनुसार कर सकते हैं.
सुलेमानी साधना विधि:
इस सुलेमानी रक्षा विधि को 11 दिन तक करना चाहिए. इसे करने के लिए शाम को किसी कमरे में आसन लगाकर बैठ जाएँ. अब अपने सामने एक दीया या अगबत्ती लगा दें. आप किसी नदी पर दीपदान करके या किसी दरगाह पर दीया रखकर भी इस विधि को शुरू कर सकते हैं. जब ये साधना पूर्ण जाए तब दरगाह पर हरे रंग की चादर चढ़ाएं तथा पीले रंग की कोई मिठाई, लड्डू आदि का प्रसाद बांटें. इस साधना को करते समय आप सुलेमानी रक्षा मंत्र का 108 बार उच्चारण करें. रक्षा मंत्र इस प्रकार है-

“बिस्मिल्लाह आयतुल कुर्सी कक्ष कुरान,आगे पीछे तू    रहमान,धड राखे ख़ुदा सिर राखे सुलेमान!”

ये बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है. इसका जाप करने से साधक को अभेद्य रक्षा का वरदान मिल जाता है और वह हर तरह से संकट से मुक्त हो जाता है. सुलेमानी साधना में जिन साधना करने के भी कई लाभ हैं. कुछ लोग जिन की साधना का नाम सुनकर ही भयभीत हो जाते हैं. लेकिन जिस भी व्यक्ति को जिन साधना करनी है उसे जिन से डरने की कोई ज़रूरत नही है. यह भी ख़ुदा की ताकतों का एक रूप है जिसका विधि के अनुसार साधना करके प्रसन्न किया जा सकता है और अपने कार्यों को सिद्ध किया जा सकता है. जिन की ताकतों का प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति आपने शत्रु को समाप्त कर सकता है और अपने जीवन को हर तरह से सुरक्षित और संपन्न कर सकता है.

साधनाओं में रक्षा

सुलेमानी साधना में सुलेमानी रक्षा साधना के प्रयोग से साधक को हर तरह की बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है. अगर किसी व्यक्ति के जीवन में ऐसा संकट आ गया हो कि उसे उसका कोई भी समाधान नज़र नही आ रहा है तो उसे सुलेमानी रक्षा साधना का प्रयोग ज़रूर करना चाहिए. कभी-कभी जीवन में ऐसी घड़ी आती है कि इन्सान पूरी तरह से निराश और हताश हो जाता है. ऐसी कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए सुलेमान रक्षा साधना से अद्भुत लाभ प्राप्त होता है. सुलेमानी रक्षा साधना साधक को बीमारियों से भी बचाती है. सुलेमानी रक्षा साधना से साधक के लिए एक कवच निर्मित हो जाता है इसलिए साधक को न तो कोई नकारात्मक शक्ति प्रभावित कर सकती और न ही उसके भीतर की आध्यात्मिक शक्ति कमज़ोर होती है. आप सुलेमानी रक्षा विधि को यहाँ दिए गए निर्देशों के अनुसार कर सकते हैं.
सुलेमानी साधना विधि:
इस सुलेमानी रक्षा विधि को 11 दिन तक करना चाहिए. इसे करने के लिए शाम को किसी कमरे में आसन लगाकर बैठ जाएँ. अब अपने सामने एक दीया या अगबत्ती लगा दें. आप किसी नदी पर दीपदान करके या किसी दरगाह पर दीया रखकर भी इस विधि को शुरू कर सकते हैं. जब ये साधना पूर्ण जाए तब दरगाह पर हरे रंग की चादर चढ़ाएं तथा पीले रंग की कोई मिठाई, लड्डू आदि का प्रसाद बांटें. इस साधना को करते समय आप सुलेमानी रक्षा मंत्र का 108 बार उच्चारण करें. रक्षा मंत्र इस प्रकार है-

“बिस्मिल्लाह आयतुल कुर्सी कक्ष कुरान,आगे पीछे तू    रहमान,धड राखे ख़ुदा सिर राखे सुलेमान!”

ये बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है. इसका जाप करने से साधक को अभेद्य रक्षा का वरदान मिल जाता है और वह हर तरह से संकट से मुक्त हो जाता है. सुलेमानी साधना में जिन साधना करने के भी कई लाभ हैं. कुछ लोग जिन की साधना का नाम सुनकर ही भयभीत हो जाते हैं. लेकिन जिस भी व्यक्ति को जिन साधना करनी है उसे जिन से डरने की कोई ज़रूरत नही है. यह भी ख़ुदा की ताकतों का एक रूप है जिसका विधि के अनुसार साधना करके प्रसन्न किया जा सकता है और अपने कार्यों को सिद्ध किया जा सकता है. जिन की ताकतों का प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति आपने शत्रु को समाप्त कर सकता है और अपने जीवन को हर तरह से सुरक्षित और संपन्न कर सकता है.

सुलेमानी साधना शाबर मंत्र


आप सब की सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूं मैं एक घेरा मंत्र क्योंकि घेरा इतना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है किसी भी साधना के लिए कि साधक के प्राणों को बचाने के लिए कवच का काम करत है  कोई भी आप घेरा कड़ा या रक्षा मंत्र लगाते हो तो उसकी जकात पहले से निकाल लो और किसी विद्वान गुरु या किसी उस्ताद के सानिध्य में ही इसका जकात दो इसकी ज़कात देने के बाद आपका हिसार काम करने शुरू कर देगा  हिंदू और मुस्लिम तंत्रों में दोनों तरह से हिसार और कड़े लगाए जाते हैं  और खास समय के ऊपर उसे दोबारा जपना पड़ता है ताकि साधना का असर बरकरार रहे  प्रस्तुत कर रहा हूं आपके लिए एक हिसार का मंत्र इससे आप अपने बदन पर दम या हाथ फेर कर रक्षा कर सकते हैं और अगर जरूरत पड़े तो चाकू के ऊपर आप 21 बार  पढ़कर के फूक मार दे 11 बार तो उस जग्गू से यदि कड़ा बना दिया जाए तो वह पढ़ा भी बहुत मजबूत रहता है ये बहुत ज्यादा शक्तिशाली घेरा है और कभी ख़ता नही करता मैंने इस घेरे को सैकड़ो बार आज़माया है और हर बार बेमिशाल पाया ये घेरा लगाकर कोई भी साधना करो चाहे वो कितनी भी उर्ग साधना क्यों ना हो अगर अल्ल्लाह ने चाहा तो आपकी पूरी हिफाज़त होगी।
"बिस्मिल्लारहमनरहीम या हलीमु, या करीमु, या हाफिजु ,या नासिरु ,या नसीरु, या रकीबु ,या वकीलु या अल्लाहु या अल्लाहु ,बिहक़्क़ काफ हा या एन स्वाद ता मीम एन सीन काफ हिसार कर्दम बिहक़्क़ ला इल्लाह इल्ललहु घेरा कर्दम खुदरा बनाम महोम्मद रसूलल्लाह।"
इसको 21 बार पढ़ कर हाथों पर दम् कर लें फिर पूरे शरीर पर हाथ फेरें।

भभूत का मन्त्र

   

    

  ****भभूत का मंत्र।**
ओम नमो आदेश गुरु को ,सामा तू आर बांध, सामा चारों कोना बांध, सामा के संग सामा को जला दिया, सामा तू भूत बांध ,सामा तो पिशाच बांध, सामा तू दानव बांध ,सामा तू ड़ाकिन बांध ,सामा तो चुड़ैल बांध ,सामा तू वेताल बांध,सामा तू संसार बांधा,समा तू आसमान बांध,दोहाई कामरु कामाक्षा नैना योगिनी की।।शब्द साँचा पिंड काँच चलो मन्त्र ईश्वरों वांचा।


जैसे साधु लोग संत समाज में धूनी जलाते हैं और या फिर  गृहस्ती ने यह भभूत बनानी हो तो जो अगरबत्ती की भभूत होती है उसे कपड़े से छानकर रविवार या मंगलवार को अपने देवता के सानिध्य में बैठकर के इस मंत्र का लगातार जाप करते हुए और जब भी किसी को देनी है तो 108 मंत्र का जाप करके बहुत दे देनी है फिर इस भभूत का कमाल देखिए इस बहुत से बच्चे जो रोते हैं जिनको गंदे डरावने सपने आते हैं और जिनके काम नहीं बनते और जो परेशान रहते हैं किसी को बिना वजह के शारीरिक कष्ट रहता मानसिक कष्ट रहता है या दुकान नहीं चलती तो उस पर तो इसको यदि प्रयोग करेंगे तो इस को पानी में मिलाकर प्रयोग कभी नहीं करना सूखा ही इसको प्रयोग करें जहां इसको छिड़क दोगे आप का देवता का वास हो जाएगा और सभी कार्य चल पड़ेंगे यह छोटे से लेकर के बड़े कार्य सभी करने में सक्षम है ये भभूत सभी साधुओ के द्वारा इस्तेमाल की जाती है यह एक राख नहीं होती बल्कि आपकी आस्था होती है और वह आस्था बहुत मूल्यवान होती है मैंने लगातार 30 वर्षों से इसका प्रयोग किया है और कभी विफल नहीं गया जिसकी जैसी श्रद्धा होती है उसका वैसा ही कल्याण हो जाता है हां इसे पैसे ना ले किसी से वरना इस मंत्र का असर चला जाएगा याचक के ठीक होने के उपरांत देवता के निमित्त परशाद चढ़ाना आवश्यक होता है । अधिक जानकारी के लिए मेरे  व्हाट्सएप 8194 9 51381 के ऊपर संदेश भेज करके संपर्क किया जा सकता है

चुड़ैल सिद्धि

ये साधना बहुत रोमांचकारी है इसे 11 रातो तक रात ठीक 12 बजे करने का समय होता है और इस साधना को एकांत में सम्पन्न किया जाता है। 

इसके लिए इकन सथान पर एक सुनसान कोटरी या कमरे का प्रबंध करें जिसमे कोई आता जाता ना हो और इसके लिए मध्य रखती एकांत कोठरी में एक पलंग रखे  फिर पहले सफेद रंग के कपड़े पहन सर पर जालीदार टोपी पहनकर मगरीब की ओर मुख कर जाए नमाज  मुसअल्ला बिछाकर बैठना है अपना मज़बूत हिसार करें और रोजाना 11 माला 101 दाने वाली फेरे । 

शर्त ये है कि अपना हिसार पक्का होना चाहिए और खुला घेरा 5 फीट तक दायरे का होना चाहिए जिसके अंदर भोग का सारा सामान रखना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उसको दे सकें बिना वचन आपको घेरे से बाहर नहीं आना है वो आपको डराएगी और तरह तरह से भयभीत करेगी लेकिन आपको सिरफ़ और सिर्फ अपने जाप की तरफ ध्यान रखना है और एकाग्रचित्त रहना है तांकि आप अपना जाप संपन्न कर सकें।

जब वो आपके सामने आए तो उससे उसे बुलाने का तरीका,बुलाने पर आने का वचन और कोई निशानी मांग लें हर एक उल्टा सीधा काम करती है और वचन नही तोड़ती।एक बार वचन दे दे तो हर काम को अंजाम देगी।

ये चुड़ैल का इस्लामी मंतर है:-
जग मगनी बर मगनी ।
इसे पढ़ना है
आपको दौरान पढ़ाई अपने सामने एक आईना आदमी के कद्द का राखना है और जब रोज अमल की पड़ाई पूरी करें तो उसे बाद उस आईने को कपड़े से ढक दें। कुछ रोज पढाई के बाद आप देखेगे की दीना खातून नाम की चुड़ैल सफेद वस्त्र पहने बुढ़िया के रूप में दिखाई देगी अमल की अवधि पूरी ना होने तक उससे बातचीत ना करें ना ही उसके सवालों का जवाब दे।

सुबह तक हिसार से बाहर भी ना निकले सुबह रक्षा हिसार को तीन जगह से काट कर बाहर आवे

जिन्न की साधना


यह साधना आपको 3 दिन तक करनी है जब भी आप इस साधना को करने के लिए घर निकले तो अपने साथ सारा सामान साथ ले ले और घर से बाहर जाते हुए अपने मुंह में लहसुन और प्याज लेकर के चबाना है  और जिस जगह पर आपने यह अमल करना है वह या तो श्मशान या कब्रिस्तान या कोई उजाड़ स्थान होना चाहिए ।
सबसे पहले वहां जाकर आपको नए चाकू पर रक्षा मंत्र 41 बार पढ़ कर 21 बार फूंक मारने है खुला घेरा लगाना है और समान सभी अंदर रखना है।
फिर आपको अपना शरीर बांधना है "आयतल कुर्सी कक्ष कुरान आगे पीछे तू रहमान पर रखे खुदा से रखे सुलेमान" इस मंत्र से अपने शरीर का बंधन करना है 108 बार इसको पढ़कर अपने शरीर पर फूक मारने है।
फिर आपने जो हरा कपड़ा लिया है उसका आसन बिछाना है और उसके ऊपर पश्चिम को मुंह करके खड़ा हो जाना है फिर आपने  फिर आपने बोलना है
"बिस्मिल्लाह रहमान रहीम मोहम्मद साहब को सलाम जिन्नों के बादशाह को सलाम हाफिजी जिन को सलाम मेरे गुरु को सलाम"
इसे 21 बार पढ़कर के चारों दिशाओं में फूंक मार देनी है और इत्तर मजमुआ चारों ओर छिड़क देना है जी।
फिर आपने जिन का आकर्षण मंत्र या हाफिज या हाफिज आप ने 21 बार जोर जोर से पुकारना है और चारों तरफ फूंक मारने है।फिर हाथ में गुलाब जामुन ले लेने हैं जी और चीनी की चाशनी मिला करके उसको एक डिस्पोजल कटोरी में डाल लेना है और हाफिज जिनको 11 बार आवाज लगानी है कि यह हाफिज दिन मैं तुम्हारे लिए तोहफा लेकर आया हूं इसे कबूल करो और मुझे दर्शन लोग मेरे दोस्त बन जाओ। और उस गुलाब जामुनो को आपने अपने दाएं साइड सामने कोयले के साथ जहां कोयला सुलग रहा होगा वही रखने है और गुलाब जामुन के ऊपर इत्र का छठा मारकर उन्हें भी सेंड की शीशी को भी उसके साथ ही रख देना है जी उसके बाद आसन पर बैठ कर के फिर से हाफिज जिनका आवाहन करना है जी और आपको और वज्रासन लगा करके आपको कर नमो शालाखिन जल नमो शालाखिन को लगातार 2 घंटा पहले दिन करना है जी पढ़ना है जी। और जो सामग्री आपको भेजी गई है 5 मिनट बाद एक चुटकी सामग्री कोयला पर चलते हुए कोईलो के ऊपर डालना हैं एक गिलास या मिट्टी के बर्तन में पानी का अपने पास रखना है जी और वापस आते हुए जब वहां से गिरा आप निकलोगे गिरे में से घेरे को क्रॉस करके काट कर निकलना है आपने खाली आसन और चाकू ले रहा है बाकी सब समान वहीं छोड़ देना है जी।

भूत प्रेत को मरीज के सिर पर बुलाना

******।मरीज पर भूत प्रेत को बुलाने का मंत्र।****
स्वेत घोड़ा, स्वेत पलांग ते खेले बाबा रहमान, बाबा रहमान तुर्किन के पूत,बांधे फिरे नौवासी भूत,नौ को बांध पांच को वश कर तीन को पकड बुलाओ,भागो भूत ना जाने पाये, हाथ हथकड़ी पाँय बेड़ी गले तौक डलाय की यदि इसी वक्त,खेल ना खिलाय तो माता तुर्किन का पुत ना कहाये, माता तुर्किन का दूध पीना हराम।
**************************************************
ये साधना अकेले ना करें और गुरु गुरु आज्ञा या परामर्श के ना करें फिर पहले आप इस मंत्र को याद करना होगा और फिर इसकी ज़कात करनी होगी ५ माला रोज़ाना इक्कतालीस दिनों तक लोहबान सुलगाकर साफ कपड़े पहनकर और सिर को ढक । एकांत में बैठकर फिर जीवन भर इसका आनंद लें होली दिवाली या ग्रहण विशेय पर इसकी पांच माला जपते रहो। फिर अगर किसी पर कोई कट्टर भूत प्रेत लगा हो जो मुँह से ना बोलता हो और आप उसे बुलाना चाहते है तो थोड़ी सी राई और अपने पैर की मिट्टी इक्कतालीस बार पढ़ कर उस के मारें और मन्त्र जाप दृढ़ता से पढ़ता रहे तो ऊपरी हवा मजबूर होकर मरीज़ के अंग पर आ जाएगी और सभी कुछ की उसने मरीज को कब,क्यों और कैसे पकड़ा,और कैसे जाएगा या नही जाएगा इत्यादि।फिर या तो उसे भगादें अन्यथा उसे मरीज से उतार कर कही किसी पेड़ आदि पर बांध दें।और पक्के वचन ले लें।

वीरों की जंजीर का मन्त्र

बिस्मिल्लारहमनरहीम-लाइल्लाह-इल्लाह हज़रत वीर की सल्तनत को सलाम।वीर आज़म ज़ेर जाल मशवल करें।तेरी जंजीर से कौन कौन वीर बावन भैरों चलें चौसठ योगिनी चलें।देव चलें विशेष हनुमान की हांक चले नाहर सिंह की धाक चले नहीं चले तो हज़रत सुलेमान के तख्त की दुहाई। एक लाख अस्सी हजार पीर पैगम्बरों की दुहाई। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति चलो मन्त्र ईश्वरो वांचा।
सभसे पहले एक जन शून्य स्थान पर एक साफ सुथरे कमरे का इंतज़ाम करें जिस में साधना के दिनों में आप के इलावा कोई ना जाता हो फिर इस मंत्र की अपने सामने लोहबान सुलगाकर सफेद रंग के साफ सुथरे कपड़े पहनकर ,ऊद का इत्र लगा कर,पहले हिसार बांध कर आसन मुसल्ला या नई चटाई बिछाकर वज्रासन में बैठकर ग्यारह माला सुबह और ग्यारह माला रात को करना है माला सुलेमानी हक़ीक़ की होगी जिस का रंग हरा या सफेद होगा और उसमें 101 दाने हो।सामान्यतः इसमें 3रे दिन से ही वीर अपनी शक्तियों से साधक को डराता है और ये वीर साधना में सभसे ज्यादा खतरनाक एव शक्तिशाली प्रयोग है बिना गुरु के साधक प्राणहीन या पागल भी हो सकता है इस लिए इस साधना को बिना गुरु आज्ञा के करना मना है।

सबल सिंह बावरी पीर का मन्त्र।

 

  *******।सबल सिंह बावरी साधना।*******
हरि ॐ जाग जाग रवेना जिस पे सिंह राजा की सवारी ,
बग्गा जोड़ा बग्गी माड़ी जिसपे चले बग्गी सितार छत्ती देवी देवता पानी भरे बाबा सबल सिंह जी तेरे दरबार,बावड़ी पीर के बार मारो, धाड़ो धाड़ करके कौन चले बाबा सबल सिंह बावड़ी पीर चले।सभ को पकड़ के मारकंडे के हाथ में दें पताल लोक में कील करें ना करें तो पिता हेमराजे माता कपूरी लाज बख्शीश कर चले मन्त्र फुरो वांचा देखा सबल सिंह बावड़ी पीर तेरे इल्म का तमाशा।।
जी ये साधना एक तामसिक प्रभाव युक्त साधना है और इस सामान्यतः बाबा जी के दर्शन होना आम् सी बात है।
ये प्रयोग 21 दिनों का प्रयोग है और एकांत में बैठकर एक दीपक देसी घी का और एक सरसो के तेल का दिया धूफ,फूल,जोड़ा सिगरेट,एक शराब का पव्वा,11 बतासे,7 लौंग,7 इलायची,एक मीठा पान,हलवा,2 बूंदी वाले लड्डु,एक जोड़ा मौली,इतर रखना है और जाप कम से कम 5 माला अधिक जितना हो सके करना है स्थान व समय प्रतिदिन एक ही रहेगा जाप पूरा होने के बाद होम डालें।सभी साधना विषयक नियमो का पालन करते हुये ये साधना करनी है।
******टिप्पणी*****
((ये देवता मुख्यतः तामसिक देवता है वैष्णो गद्दी में विशेष ध्यान रखें ।और इसकी साधना में एक सफेद मुर्गा और देशी शराब ही होम देना ही पड़ता है और वो घर से बाहर भी दिया जा सकता है)))

सेवदार का मन्त्र, पित्र सेवादार का मन्त्र


ॐ नमो आदेश गुरु को सेवादार पौण वंजारा।रोज़ करूं होम अग्यारा, चिट्टा वस्त्र चिट्टा वेश। फूल बतासा ((जिसके गद्दी में शराब मुर्गा देते हों वो बोले "बोतल मुर्गा ")))तेरी भेंट,गद्दी वाले का जै कारा,करदे बेड़ा पार हमारा,चल नगर खेड़े नु मन्न के चल ,ख़्वाज़े पीर नु मन्न के चल ,नै नाथां चुरसी सिद्धां नु मन्न के चल,गुरु गोरखनाथ नु मन्न के चल,माई काली नु मन्न के चल ,माई मदानण दे बेड़े नु मन्न के चल, गुरु उस्ताद नु मन्न के चल,हनुमान ते भैरों बाबे नु मन्न के चल,64जोगनियाँ नु मन्न के चल,जे ना चल्ले भोले पार्वती दी ,चले मन्त्र फुरो बादशाह देखां सेवादार तेरे इल्म का तमाशा।

कृष्णपक्ष की प्रतिरात्रि में आप ये जाप 1 तिथि से लेकर अमावस्या तिथि तक जाप करके होम अग्यार करना है जी
फिर आपको ये मन्त्र का जाप और देशी घी का होम अग्यार पूर्णिमा को करना है इससे पित्र खुश हो कर प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष दर्शन देते है लेकिन जब पित्र या सेवादार आये उल्टे सीधे सवालों की बजाए वचन लेना चाहिए।ये पित्र को खुश करने का एक गुप्त मन्त्र है जी।इस साधना से बंधी हुई गद्दी खुलकर सभी रुके हुए काम पूरे हो है जी।ये जाप या तो सूर्य उदय से पहले या रात्रि 10 के बाद करना होगा,ब्राह्मण को वस्त्र भोजन कराकर तृप्त करना चाहिए। आचार्य का धारण करना भूमि पर सोना कम खाना कम बोलना इस सेवा को जो एक बार कर लेगा पितर देवता या नहीं सेवादार की सिद्धि उसे प्राप्त हो जाएगी इस साधना को आप 41 दिन भी कर सकते हैं और आपको पुत्र की जो दर्शन है वह अवश्य प्राप्त होंगे। इसके साथ साथ ही पितृदोष भी उतर जाता है।

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।मोहिनी मंत्र।

        

          *******।मोहिनी मंत्र।********
****"(मोहिनी मोहिनी  मैं करा मोहिनी  मेरा नाम | राजा  मोहा प्रजा  मोहा मोहा शहर ग्राम ||त्रिंजन बैठी नार मोहा चोंके बैठी को |सत्तर बहतर जिस गली मैं जावा सौ मित्र सौ वैरी को ||
वाजे मन्त्र फुरे वाचा |देखा  महा मोहिनी  तेरे इल्म का तमाशा) "||*** 
             **********|साधना विधि********
इसे लाल वस्त्र धारण कर करना चाहिए |,आसन कुषा का या कम्बल का ले सकते हैं | दिशा उतर रहेगी |मन्त्र जाप गयारह  माला करना है | इसके लिए लाल चन्दन या काले हकीक  की माला इस्तेमाल कर सकते हैं | तेल का दीपक साधना काल में जलता रहेगा जब तक आप मन्त्र जाप करते हैं | दीपक में तिल का तेल इस्तेमाल करें तो ज्यादा उचित है |  सोलह किस्म का सिंगार ले आयें | उसे बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर उसपर रख दें और सात किस्म की मिठाई भी रख दें | इसके  अलावा छोटी इलायची और एक शीशी  इतर पास रखें और एक मीठा पान का बीड़ा रख दें |साधना के बाद छोटी इलायची और इतर को छोड़कर शेष सामग्री किसी निर्जन स्थान पर उसी लाल वस्त्र में बांधकर छोड़ दें अथवा नदी में प्रवाहित कर दें |
वशीकरण के लिए एक इलायची ७ बार यह मन्त्र पढ़ किसी को खिला दें |जब आप किसी अधिकारी से मिलने जा रहे हों जो आपका कार्य नहीं कर रहा तो थोडा इतर लगाकर  चले जाएँ | वो आपकी बात जरुर सुनेगा | इसे २१ दिन करना है और मन शुद्ध रखें | सारी सामग्री लाल वस्त्र पर रखकर  उसमें तेल का दिया किसी पात्र में रख कर  लगा दें  और मन्त्र जाप शुरू करने से पहले गणेश पूजन, गुरु और श्री भैरव पूजन अनिवार्य है | उस दिये पर एक मिटटी के पात्र पर थोडा घी लगाकर दिये से थोड़ा ऊँचा रख सकते हैं काजल उतारने के लिए | उस काजल से तीव्र  सम्मोहन होता है | उसे आँखों में लगाकर जिसे  जिसके सामने जाएंगे वो वशीकृत होगा साधना करते वक़्त ख्याल रखें , कई बार मोहिनी भयानक रूप में सामने आ जाती है | जिसके काले वस्त्र होते हैं और रंग काला होता है | होठों पर ढेर सारी सुर्खी लगी होती है | आंखे बिजली की तरह चमक रही होती हैं | ऐसी हालत में डरे न , नहीं तो मेहनत बेकार हो जाती है | और ना ही उसकी आंखो में देखने का प्रयत्न करें , नहीं तो आप सम्मोहित हो जायेंगे और साधना रुक जाएगी | बहुत धैर्य से काम लें | जब तक वो वर मांगने को न कहे तब तक बोले नहीं , सिर्फ अपने मंत्र जप पर ध्यान दें | जब आपका वचन हो जाए तो उसे कहें कि जब भी मैं आपको याद कर इस मंत्र का जप कर जिसे सम्मोहित करना चाहूं कर सकूं,  आप ऐसा वर दें | इससे सम्मोहन की शक्ति आपको दे देगी | उसे श्रृंगार, मिठाई, पान आदि प्रदान करें | वो खुश होकर आपको सकल सम्मोहन का वचन दे देगी अगर ऐसा न भी हो तो भी मंत्र सिद्ध हो जाता है और कार्य करने लगता है | ऐसा सिर्फ इसलिए लिखा है कि मेरा ऐसा अनुभव है | जो मैं समझता हूँ किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है | पर अक्सर मंत्र सिद्ध हो जाता है और कार्य करने लगता है | साधना के बाद आप इसके प्रयोग की पुष्टि कर सकते हैं | भूल कर भी गलत कार्यों में इसका इस्तेमाल न करें | इसका कई बार उल्टा परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है |
इस साधना को मोहिनी मन्त्र नाम से जाना जाता है | इसका प्रयोग  कभी विफल नहीं जाता !इससे जहाँ अपने उच्च अधिकारी को अपने अनुकूल बना सकते हैं | वहीँ अपने आस पास के वातावरण को अपने विरोधी होने से  रोक सकते हैं | अपनी झगड़ालू पत्नी या पति को भी अपने वश में  कर उसे अनुकूलता दे सकते हैं | कई लोग इस प्रयोग का गलत इस्तेमाल कर लेते हैं |सिर्फ आवश्यकता पड़ने पर ही यह प्रयोग करें ।इसे सद्कार्य हेतु इस्तेमाल करें नहीं तो शक्ति कई बार विपरीत स्थिति भी पैदा कर देती है | यह घर से भी भागे हुये व्यक्ति को बुला लेता है | ऐसा परखा हुआ है | इसलिए  इसे इस्तेमाल करने से पहले पुनः  सोच विचार कर लें | इस का प्रयोग  अति  शक्तिशाली है | इससे अपने प्रतिदुंदियों को अपने अनुकूल कर मनचाहा कार्य संपन्न करा  सकते हैं |        

घेरा मन्त्र

आप सब की सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूं मैं एक घेरा मंत्र क्योंकि घेरा इतना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है किसी भी साधना के लिए कि साधक के प्राणों को बचाने के लिए कवच का काम करत है  कोई भी आप घेरा कड़ा या रक्षा मंत्र लगाते हो तो उसकी जकात पहले से निकाल लो और किसी विद्वान गुरु या किसी उस्ताद के सानिध्य में ही इसका जकात दो इसकी ज़कात देने के बाद आपका हिसार काम करने शुरू कर देगा  हिंदू और मुस्लिम तंत्रों में दोनों तरह से हिसार और कड़े लगाए जाते हैं  और खास समय के ऊपर उसे दोबारा जपना पड़ता है ताकि साधना का असर बरकरार रहे  प्रस्तुत कर रहा हूं आपके लिए एक हिसार का मंत्र इससे आप अपने बदन पर दम या हाथ फेर कर रक्षा कर सकते हैं और अगर जरूरत पड़े तो चाकू के ऊपर आप 21 बार  पढ़कर के फूक मार दे 11 बार तो उस जग्गू से यदि कड़ा बना दिया जाए तो वह पढ़ा भी बहुत मजबूत रहता है ये बहुत ज्यादा शक्तिशाली घेरा है और कभी ख़ता नही करता मैंने इस घेरे को सैकड़ो बार आज़माया है और हर बार बेमिशाल पाया ये घेरा लगाकर कोई भी साधना करो चाहे वो कितनी भी उर्ग साधना क्यों ना हो अगर अल्ल्लाह ने चाहा तो आपकी पूरी हिफाज़त होगी।
"बिस्मिल्लारहमनरहीम या हलीमु, या करीमु, या हाफिजु ,या नासिरु ,या नसीरु, या रकीबु ,या वकीलु या अल्लाहु या अल्लाहु ,बिहक़्क़ काफ हा या एन स्वाद ता मीम एन सीन काफ हिसार कर्दम बिहक़्क़ ला इल्लाह इल्ललहु घेरा कर्दम खुदरा बनाम महोम्मद रसूलल्लाह।"
इसको 21 बार पढ़ कर हाथों पर दम् कर लें फिर पूरे शरीर पर हाथ फेरें।

हनुमान की हाजिरी तंत्र की वापिसी के लिए।

    हनुमान की हाजिरी तंत्र की वापिसी के लिए।
*" ॐ नमो आदेश गुरु का आसन मारू सिंघासन मारू,
मारू नौ लाख तीर तोहि मारू तेरे गुरु को मारू जईये कौन दिशा कौन दुआरा,उड़ंत गढ़ंत जोगनी मारू त्रेसठ कलुआ चौसठ वीर, पलट मशान उल्टी खटिया मरघट को जाय,उलट बाण पलट मूठ मारू ,जे करे ते मरे उलट बिद्या ताहि के सिर पढ़े वीर हनुमान की आन "।
मंगलवार रात्रि 11 बजे को स्नान आदि से निवर्त होकर
एकांत में हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने जल,फूल ,फल,पान ,मिठाई से सामान्य पूजन करें उसके बाद एक साफ पीपल के पत्ते पर जै सियाराम कुमकुम, लाल चंदन या सिंदूर से लिखकर उसपे दो बूंदी वाले लड्डू सिन्दूर लगाकर रखने है और एक जोड़ा सबूत लौंग का रखना है फिर 108 बार अगर क्षमता हो अधिक 5 माला भी कर सकते है।जाप के उपरांत ये समान लेकर उजाड़ में जाकर रखना है जी और कपूर की एक टिकिया भी जलानी है साथ में
ये किर्या आपको प्रति मंगलवार को ३ बार करनी है जी।
और साधना में हनुमानजी की साधना विषयक सभी नियमो को मानते हुए २१ दिनो तक इस पाठ को लगातार प्रतिदिन करना लेकिन सिर्फ प्रतेक मंगलवार को आपने ये सामान देना है ।इस प्रकार से ये मन्त्र आपको सिद्ध हो जाएगा सिद्ध होने के बाद आपको जब भी आपको किसी के ऊपर से उतारा करना हो तो काले तिल,काली सरसों, काली राई इन तीनो को मिलाकर इक्कीस बार पड़ क्कर फूक मारना है और रोगी या अभिचार ग्रसित व्यक्ति के ऊपर से ७ बार उल्टा उतारा कर अग्नि में झोंक दें सभी अभिचारण एव बाधाएं इस से नष्ट हो जाएगी।
इस साधना को शुरू करने से पहले अपने गुरु उस्ताद की आज्ञा ले लें और अधिक जानकारी के लिए हमारे व्हाट्सएप 8194951381 के ऊपर संदेश भेज कर सम्पर्क किया जा सकता है।

माता शीतला माता मैदानन की शान्ति

**********माता मैदानन को खुद शांत करें।********
माता मैदानन जोकि जो कि पूरे उत्तर भारत में पूजी जाती हैं ये देवी हर एक घर में पूजी जाती है और सभी की मनोकामना पूरी होती हैं। एक समय की बात है  जब सबल सिंह बावरी पीर  जंग में मुगलों के साथ लड़ रहे थे  तो माता शाम कोर को  उन्होंने मुगलों से बचाया और अपने साथ ले आए ।और उसके बाद वह और जंगल में शिकार करने चले गए जब माता मैदानन ने माता शाम कोर को अपनी चुनरी उड़ा दी उतने में बाबा सबल सिंह बावरी  वापस लौटे तो क्या देखते हैं  माता मैदानन अपनी खटिया पर  बैठी हुई है  जब माता मैदानन को उन्होंने तीन बार बहन संबोधन किया लेकिन जब देखा तो वह माता श्याम कौर थी तब सबल सिंह बावरी ने यह वचन दिया कि आज के बाद आप मेरी बहन हो और मैं आपकी हर तरह से रक्षा करूंगा। कुछ देर बार बाबा बावड़ी को कुछ दिनों बाद  बाहर शिकार पर जाना पड़ा और  उतने में मुगल श्याम कौर को ढूंढते ढूंढते वहां पर आ पहुंचे।और माता श्याम कौर को उठाकर के अपहरण करके ले जाने लगे  इतने में मैदानन ने अपना इलम चलाया और इल्म से माता श्याम कौरके शीश को धड़ से अलग कर दिया  देख कर के मुगल हक़के-बक्के रह गए  और  कुछ बनता ना देख कर के मुगल भागने लगे उनके धड़ को लेकर के लेकिन शीश उनसे छूट गया  जब आगे जाकर कि उन्होंने देखा कि शाम कौर का शीश हमसे छूट गया है तो उन्होंने उनका संस्कार करना उचित समझा  उतने से  बाबा बावड़ी शिकार करके जब लौटते हैं तो माता मदानन उनको सभी वृतांत बताती है  तो बाबा एक श्मशान में काम चांडाल का वेश धारण करके मुगलों के पहले शमशान में जाकर बैठ जाते हैं  और इतने में मुगल आते हैं और उन्हें श्मशान में शाम कोर का संस्कार करने को कहते हैं बाबा बावड़ी इतने में बोलते हैं कि रात्रि में  शव का अंतिम संस्कार इस धर्म में नहीं किया जाता यह सुनकर के  सभी मुगल हक्के बक्के रह गए और धन देकर के बाबा को मनाने की कोशिश करने लगे  काम बनता ना देख लो और सोना देने का प्रस्ताव रखा और बावरी पीर ने बोल दिया कि मैं सबका संस्कार कर दूंगा  मुगलों के जाने के बाद  बाबा बावरी ने मैदानन को बुलाया और माता मदानण ने अपने ईल्म से श्याम कौर का शीश छोड़ दिया । बाबा सबल सिंह बावरी  माता मदानण से बहुत खुश हुए और बोले आज के बाद दोनों बहने थी रहोगी बाबा सबल सिंह बावरी ने माता मदानण को माता श्याम कौर की रक्षा करने के लिए भविष्य में रक्षा करने के लिए कहा और समय निकल जाने के बाद  जब माता मैदानन की आयु पूरी हुई  तो उनका देहांत हो गया अब वहां से नागा गुरु निकल रहे थे तो उन्होंने देखा कि प्रसिद्ध सबल सिंह की बहन का संस्कार हो रहा है  जो कि श्मशान क्रिया उनका नित्य प्रति का कार्य था  माता मदानण संस्कार हो रहा था तो उन्होंने उनकी चिता जगा ली जब उनको चिता को जगाया गया तो बाबा ने सवाल पूछे  तो माता मदान वाली ने उत्तर में जवाब दिया  कि मैं कच्चे में पक्के में  छिले में मरगत में सूतक में पातक में छोटे के बड़े के नीच का भेद किए बिना सभी कार्य आपके करूंगी लेकिन हे गुरु जो आप देख लेते हो वही भेंट लूंगी तो दोस्तों वह भी बची की होती है।
***********।शांत करने के तरीके ।*****
1.कच्चे दूध में गंगा जल साधारण जल और थोड़े से बतासे मिला करके  माता को सींचने से माता शांत होती हैं ।
2. माता के थानों पर प्रतिदिन झाड़ू लगाने से माता की प्रकोप भी शांत हो जाती है।
3.गुरु गोरखनाथ की पूजा करने से माता का क्रोध शांत हो जाता है ।
4.नगर खेड़ा महाराज की सेवा करने से माता की ग्रुप शांत हो            जाती है ।
5.प्रतिदिन कच्ची कड़ाही देने से माता की कॉपी शांत हो जाती है ।
6.घर में प्रातः काल सुबह उठकर के कच्ची लस्सी का छीटा मारने से माता शांत हो जाती है ।
7. 5 या 11 ईंटे लेकरके उनका (वादा ,गेहना) उठाने से माता शांत हो जाती है।
8.शीतला माता को सींचने से माता मदानण की कृति शांत हो जाती है ।
9.दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाने से माता शांत हो जाती है । 10.देवी भागवत करने से या पढ़ने से घर में माता शांत हो जाती है।
11.दहलीज साफ रखने से माता की कृति शांत हो जाती है  12.उतारा करने से माता शांत हो जाती है ।
*****शीतला माता मैदानन मशानी माता का शांति मन्त्र*****
(माई शीतला गधे  सवारी नाल मदानण रानी।,
शीतल हो जा थाना वाली रोज़ चढ़ावां पानी।,
बाबा फरीद दीआन इस्माइल जोगी दी आन।,
आन तेनु तेरे गुरु गोरखनाथ दी।)
माता को जल चढ़ा कर ये मन्त्र का 15 मिनट या आधा घंटा जाप करना है जी
अधिक जानकारी के लिए व्हाट्सएप 8194951381 पर संदेश भेज सम्पर्क करें। आपकी पात्रता आपकी सोच पर आधारित होगी।

तागे का मंत्र

सबसे पहले इस मंत्र को  कंठ करना होगा  फिर एक हजार की संख्या में होली दिवाली रवि मंगल किसी विशेष योग में सूर्य और चंद्र ग्रहण में आपको इस को सिद्ध करना होगा एक हजार आठ बार पढ़ कर आपको होम देना होगा  और  जब तक आप जॉब करोगे आपको उपवास रखना होगा  अपने देवता के निमित्त फिर जब भी कोई मंत्र सिद्ध हो जाएगा  और जागृत होने के बाद आप किसी को डागा बनाकर दे सकते हैं   जब कोई बंदा बहुत परेशान हो या बीमार रहना शुरू कर दे तो एक तागा लेकर के लाल रंग का उसके ऊपर इस मंत्र को पढ़ पढ़ के फूंक मारें प्रत्येक गांठ के ऊपर आपने 21 बार यह मंत्र पढ़ना है 7 गांठें हो जाएंगी तो तागा कंप्लीट हो जाएगा आपका यह बड़ी सरल साधना है हनुमान जी को भाव बताशा अगरबत्ती और एक नारियल चढ़ा देना बंदे के सिर के ऊपर से उतार के अता का पहना देना था का काम करेगा और उसकी रक्षा होगी ।
बिस्मिल्लाह रहमान रहीम आयतल कुर्सी कक्ष कुरान आगे पीछे तू रहमान सिर रखे खुद धड़ रखे सुलेमान लाइल्लाह का कोट इलल्लाह की खाई हजरत मुहम्मद रसूलल्लाह की दुहाई नजर को बाँधू डाकन बाँधू भूत को बाँधू जिन्न को बाँधू जोगनी डेरा सभ बला को बाँधू बाहक़्क़ या बुद्धू मदद मेरे पीर की शब्द सांचा पिंड काचा फुरो मंत्र ईश्वरों वाचा।
जब भी किसी को ताजा बना कर दें तो 21₹ या 51₹ का प्रसाद लेकर के और अगरबत्ती का एक पैकेट लेकर के किसी भी पीर की मजार के ऊपर अगरबत्ती लगा दे और प्रसाद बांट दें यह तागा काम करेगा तागा डालने से पहले रोगी के ऊपर से कोई भी जैसे नारियल या सब्जी वाला पेठा उतार कर के बाहर सुनसान स्थान पर रखना जरूरी होता है ताकि उसके शरीर के ऊपर कोई हवा ना रह जाए अगर उसकी शरिर में हवा रहेगी तो बीच में बन्ध जाएगी और रोगी को अधिक कष्ट देगा।

कलवा पौन

 

          

 *****कलवा पौन की साधना*****
ये साधना एक अत्यंत उग्र एव भयंकर साधना है आज तक इंटरनेट पर इनका कोई मन्त्र मौजूद नहीं है कियुकि जिन भगतों के पास इनके मन्त्र या कोई जानकारी है वो इसे सांझा नही करना चाहते एव उनतक पहुंचना अति कठिन है।वो सभी आपने आप में ही रहते है।
     ये मन्त्र एव साधना मैं आपके लिए बहुत मुश्किल से लेकर आया हूं एव उम्मीद है कि आपके ये साधना काम आएगी।
*******((((चेतावनी कृपया ध्यान दें)))******** ये मन्त्र एक पक्की गद्दी के भगत की कृपा से प्राप्त हुआ है बिना गुरु या विद्वान के निर्देश से वही लोग इसका प्रयोग करें जिनके इन बाबा की पूजा घर में होती हो।इस मन्त्र को आजमाने की नीयत से य्य परखने की नीयत से ना किया जाए एव बिना आज्ञा के प्रयोग करने वाला आपने जानी या माली नुकसान का खुद जिमेदार होगा भविष्य में मेरे या मेरे चैंनल का कोई भी किसी भी प्रकार का उत्तरदायित्व नही होगा।
41 दिनों की साधना एकांत स्थान पर या गद्दी पर नियमपूर्वक किया जाए ।शराब एवम सूअर की कलेजी पान बतासा लड्डू सरसो के तेल का दिया और धूफ लगाना 2 सिगरेट या हुक्का ,7 फूल ,7 फल, 2 सुपारी, 7लौंग,7 छोटी इलायची,जनेउ का जोड़ा,पूरी हलवे का भोग प्रति दिन चढ़ाना है।प्रतिदिन होम(अग्यार)करनी है।इस साधना में साधना विषयक सभी नियमों का पालन करते हुए प्रतिदिन कम से कम 11 माला का जाप रोज़ाना करना है। एवं चढ़ाया हुआ सामान दूसरे दिन जलप्रवाह करना है। और अपनी गददी की मर्यादा के अनुसार ही सारे काम करें। इसमें ज्यादातर दूसरे दिन ही अनुभव मिल जाते है।कई बार पौन सवारी आ जाती है इसलिए बिना गुरु आज्ञा से नही करना चाहिए।इस साधना के सफल होजाने पर साधक के समान कोई नही होता सभी अच्छे एव बुरे काम बाबा कलवा पूरे करता है।पूरी जानकारी के लिए व्हाट्सएप 8194951381 पर संदेश भेज कर संपर्क किया जा सकता है।कृपया धैर्यवान व्यक्ति ही सम्पर्क करें ।

मन्त्र:-ॐ नमो आदेश गुरु को,काला कलवा मध की धार,
कलवा पौन चले ललकार, पल में दुश्मन मुक़ाए,जहाँ बुलाऊँ वहीँ पे आये,जहाँ मैं भेजूँ वहीं को जाए,सवा पहर में धुना चलाये , जलती लकड़ी चिता की राख। मेरा चलाया चले ,
मेरे गुरु का चलाया चले,मेरे रोकया रुके ,मेरे गुरु का रोकया रुके,इतना कारज ना करें । गुरुगोरख नाथ की आन,बाबे ईस्माइल जोगी की आन, दुहाई सैय्यद कमाल खान की। दुहाई लोना चमारी की,ना करे तो गुरघाती कहलाये।। आदेश आदेश आदेश।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...