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मंगलवार, 15 अक्तूबर 2019

सिद्धासन का मंत्र

          

    

              ।।सिद्ध आसन का मन्त्र।।
साधक भाई बहनों को मेरा सादर नमस्कार आज आपके लिए लाया हूं एक आसन मंत्र जो साधना क्षेत्र में नए साधक आये हैं जिनका कोई अभी तक गुरु नहीं है ऐसे नए साधक यह चीज जान लें कि बिना आसन मंत्र के किसी भी साधना में सिद्धि प्राप्त नहीं होती इसलिए सबसे पहले साधक  को आसन मंत्र की सिद्धि करनी चाहिए ।
○ जब भी आप तंत्र क्षेत्र में प्रवेश करें तो तो सबसे पहले गुरु बनाएं और गुरु दीक्षा प्राप्त करें ।
○ कम से कम छ महीने गुरु मंत्र की आराधना करें ।
○ अपने इष्ट के प्रति उपवास रखें इससे आपके शरीर में आध्यात्मिक ऊर्जा दौड़ने लग जाएगी।
○आपको सिद्धियां प्राप्त करने में कोई विशेष कठिनता नहीं आएगी 
○यह आसन मन्त्र बहुत प्राचीन और स्वयं सिद्ध आसन मंत्र है इनका प्रयोग  प्राचीन काल से ही  होता आ रहा है।
○ जब आप इन मंत्रों का जाप करने के बाद अपने आसन पर बैठगे हुए तो शुद्र शक्तियां और भूत प्रेत यहां तक कि छोटे-मोटे देवता भी आपके किसी भी काम में बाधा नहीं डालें डालेंगे।
○ वैसे तो यह आसन का जाप मंत्र स्वयं सिद्ध है लेकिन फिर भी होली दीपावली और ग्रहण काल में इसकी एक माला कर ली जाए तो यह बहुत शक्तिशाली हो जाता है।
○ शास्त्रों में भी आसन के मंत्र का जिक्र आता है लेकिन यह गुरमुखी मंत्र है और इसका प्रभाव तत्काल से हो जाता है।
○ साधक को जब इस मंत्र का अनुष्ठान लगातार करने की आदत पड़ जाएगी यानी साधक जब भी बैठे तो इस मंत्र से आसन को नमस्कार कर के बैठे तो आसन पर बैठने के बाद उसकी आभा और छवि कुछ और ही हो जाएगी और साधन साधक की आत्मा और शरीर दैविक शक्तियों से भर जाएगा।
○ यह बात याद रखना यह कोई किताबी मंत्र नहीं है गुरु से प्राप्त मंत्र है और इसका प्रभाव तत्क्षण होता है।
○ विभिन्न विभिन्न साधना में अलग-अलग तरह के आसनों का प्रयोग किया जाता है कुछ साधनाएं  मृगछाला पर की जाती हैं  लेकिन काले कंबल का आसन सर्वदा उचित और अच्छा रहता है।
○साधना से उत्पन्न किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का आपके शरीर के ऊपर को प्रभाव नहीं होगा।
○मैं आपको एक आसान मंत्र बताने जा रहा हूं इसको समय मिलने पर याद कर ले और जब भी आप कोई साधना करने लगे उससे पहले आसन बिछाते हुए और आसन पर  बैठने से पहले 11 बार किस मंत्र का जाप करें।
                    ।। आसन का मन्त्र ।।१।।
सत् नमो आदेश गुरूजी को आदेश।
आसन ब्रह्मा आसन इन्द्र,
आसन बैठे गुरु गोविन्द ,
आसन बैठे जपिये जाप,
कोटि जन्म के उतरें पाप,
आसन बैठे सिंघासन बैठे,
बैठे गुर की छाया पांच तत्ले,
आसन पर बैठे गुरु ने शब्द बताया,
जो  जाने आसन जाप उसका मुख देखे उतरे पाप,
जो ना जाने आसन का जाप उसका मुख देखे लागे पाप,
कहो संतों हम गुरु के दास,
इतना आसन जाप पूर्ण भया,
सत की गद्दी बैठ गुरुगोरख जी कहा,
गुरूजी को आदेश आदेश।।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...