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सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

तंत्र सूत्र भाग 01

                   ***।।तन्त्र सूत्र।।***
आप में से जो भी कोई साधक साधना करके कामयाब होना चाहता है तो उसके लिए यह सूत्र में दे रहा हूँ।
साधक के लिए इन नियमों को पालन करते रहना बहुत ज्यादा जरूरी होता है जो साधक इन नियमों का पालन नहीं करता उसकी साधना कभी भी सफल नहीं होती ।
यह साधना क्षेत्र के ऐसे नियम है कि जो नए और पुराने छोटे और बड़े कोई भी साधक हो उन्हें यह मानने ही पढ़ते हैं आशा करता हूं यह नियम आप पर आपके बहुत काम आएंगेयह  नियम आपकी शक्ति के चिरस्थाई आपके साथ रहने के लिए आपको बताए जा रहे हैं ।
क्योंकि कई बार हम सौभाग्य से किसी शक्ति को प्राप्त तो कर लेते हैं लेकिन वह शक्ति कुछ दिन तक ही हमारे साथ रहती है उसके बाद वह शक्ति हमारा साथ छोड़ देती है तो क्या कारण होते हैं अगर इन नियमों का कोई पालन नहीं करता तो उसकी कोई भी शक्ति बहुत अधिक समय तक नहीं टिक पाती ।
सौभाग्य बस जो एक बार आपको शक्ति प्राप्त हुई है कोई जरूरी नहीं कि वह शक्ति आपको दोबारा हासिल हो । मैंने ऐसे बहुत सारे साधकों को देखा है कि सौभाग्य से कोई सिद्धि उनको प्राप्त हो गई लेकिन दोबारा पूरे जीवन में वह लोग अपने माथे को घिसते रह गए लेकिन उनको वह दोबारा शक्ति प्राप्त नहीं हुई अतः कई भक्तों को तो इस चक्कर में मैंने मरता भी देखा है।
क्योंकि जरूरी नहीं कि कोई दूसरा आदमी आपको मारे साधना का क्षेत्र इतना विशाल है कि इसमें एक से एक बड़ा आदमी भरा पड़ा है जिनके पास आध्यात्मिक और तांत्रिक शक्तियां हैं लेकिन अक्सर जो लोग नियमों को तोड़ देते हैं वह चाहे कितने भी सिद्ध तांत्रिक क्यों ना हो उनकी शक्ति नष्ट हो जाती है ।
कुछ साधक मेरे साथ जुड़े हुए हैं और जिनकी शक्तियां कमजोर पड़ गई या बांध दी गई या अवरोधित कर दी गई है उनको इस बात का विश्लेषण करना चाहिए कि कोई साधना का नियम उनसे टूटा तो नहीं बस यही ध्यान देने वाली बात है ।

○ जैसा कि शास्त्रों में बोला गया है गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा , इसका तात्पर्य यह है आप जिस भी शास्त्र में दीक्षा लो बिना गुरु के आपका प्रकाश आपकी विद्या का प्रकाटय संभव नहीं है इसलिए तंत्र क्षेत्र में या किसी भी कर्मकांड में गुरु और गणेश यह पहले पूजा के अधिकारी होते हैं।
○ सबसे पहले जैसे पिता से पुत्र पैदा होता है वैसे ही गुरु के बिना शिष्य नहीं हो सकता पहला नियम यह है आप गुरु जरूर बनाएं उनसे ज्ञान प्राप्त करें उनसे शक्ति दीक्षा अवश्य प्राप्त करें। उनको गुरु दक्षिणा अवश्य प्रदान करें।
○ जिस ईष्ट की आप साधना करना चाहते हो उसके बारे में पूरी जानकारी आपको पहले ही ले लेनी चाहिए।
○ गुरु आपको जो भी मंत्र बताएं उसके अक्षरों को तोड़ मरोड़ कर कभी भी अपनी बुद्धि लगाने की कोशिश ना करें जैसा शब्द आपको मिला है आपको वैसे ही शब्द की साधना करनी है तभी आपकी साधना सफल होगी।
○ जिस घर में छोटे बच्चे हैं उस घर में कभी भी कोई तामसिक क्रिया नहीं करनी चाहिए और कोशिश करना चाहिए जितने भी तामसिक पर योग्य क्रियाएं हैं वह आपको श्मशान इत्यादि में ही करनी चाहिए और घर में प्रवेश करने से पहले जल को सप्रश कर लेना चाहिए।
○अपनी महत्वाकांक्षाओं को आगे रखते हुए साधक को विशेष साधना प्राप्त करने के लिए गुरु से कभी भी जिद नहीं करनी चाहिए अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास रखें और याद रखें कि जब आपके गुरुदेव कृपा करने पर आएंगे तो आप को सबसिद्धियां आसन पर बैठे ही प्राप्त हो जाएगी।
○ इस चीज का विशेष ध्यान आपको साधना काल में रखना होगा कि चमड़े की वस्तुएं चाहे वह परस हो या बेल्ट हो या जैकेट हो कुछ भी हो उसका प्रयोग वर्जित होता है साधना काल में उन सब का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
○ साधना काल में साधक को खटिया जो बाण से बुनी गई हो उसका प्रयोग वर्जित होता है आप तख्ते का प्रयोग कर सकते हो या फिर पूरे साधना काल के दौरान आपको भूमि पर शयन करना होगा।
○ जितना समय तक आपकी साधना चले उतना समय तक अपने आश्रम के अनुकूल संयम और सदाचार ब्रह्मचर्य का पालन करें।
○ मंत्र इष्ट देव और गुरुदेव तीनों पर पूरा भरोसा रखें और पूरे श्रद्धा से किसी भी अनुष्ठान को करें आप के भाव
       के ऊपर आपकी साधना की सफलता निर्भर करती है।
○ सप्ताह में या महीने में एक बार अपने इष्ट के प्रति निराहार व्रत का पालन अवश्य करें शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से आपके इष्ट का निवास व्रत काल में आपकी देह में होता है उससे आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ेगी और आप शक्तियों की कृपा के पात्र बन जाएंगे।
○ साधना काल में मांस मदिरा का सेवन वर्जित होता है आप कोई भी साधना करो सामान्य तौर पर मांस और मदिरा वर्जित ही होती है कुछ विशेष साधना ओं में ही मास और मदिरा भोग के रूप में देवता को दिया जाता है फिर भी उसका सेवन खुद नहीं किया जाता।
○ अपने गुरुदेव के इलावा किसी और व्यक्ति से साधना से संबंधित कोई भी बात करना वर्जित होती है अगर आप किसी व्यक्ति से अपनी साधना के विषय में कुछ बताते हैं कुछ अनुभव ऐसे होते हैं जो हम लोग भावना बस हो करके बता देते हैं तो वह साधना खंडित मानी जाती है।
○ आप कोई भी अनुष्ठान करें लेकिन बिना गुरु के कोई भी अनुष्ठान कभी नहीं करें यह आपकी सफलता का सूत्र बनेगा।
○ साधना के लिए एकांत स्थान की खोज करें घर में ऐसी जगह पर साधना करें जहां पर बहुत अधिक ध्वनि आपके कानों तक ना पहुंचे वह स्थान शुद्ध होना चाहिए।
○ साधना काल में साधक को अपना भोजन खुद ही तैयार करना चाहिए और किसी के घर का पानी भी साधक यदि प्रयोग करता है तो उसको भोजन दोष लगने की संभावना होती है और उसकी साधना खंडित होने का भय होता है।
○ विशेष बात यह है कि साधना काल में नाखून या बाल कटवाना सेव करवाना क्रीम पाउडर इत्र साबुन सुगंधित तेल इनका प्रयोग वर्जित है।
○ आप कोई भी साधना किसी भी पद्धति से करो किसी भी देवता की करो एक जल का पात्र आपके पास होना परम आवश्यक है।
○ यह बात विशेष तौर पर ध्यान दें आप जितने समय के लिए साधना कर रहे हैं एक दीपक पूरी साधना काल में अखंड ज्योति के रूप में चलेगा और साधना संपन्न होने  तक उसे बुझने नहीं देना।
○ कोई भी साधना करनी हो अगर आपने 40 दिन की साधना करनी है या आपने 21 दिन की साधना करनी है तो पहले दिन जो समय रखा जाएगा उसी समय पर प्रतिदिन आपको 1 मिनट कम करते हुए उस समय पर ही बैठना होगा समय आगे पीछे नहीं होगा।
○ साधना काल में दिशा सामान्यतः पूर्व रहती है बाकी सब उस कर्म के ऊपर निर्भर करता है कि आप कैसी साधना कर रहे हो स्थान समय और दिशा यह तीनों पूरी साधना काल में एक ही रहता है।
○ आप कोई भी साधना करो सबसे पहले आपको अपने घर के देवता और पितरों को मनाना होगा उसके बाद आपको नगर देवता की पूजा देनी होगी फिर आप विशेष देवता की पूजा कर सकते हैं तब जाकर ही आपका अनुष्ठान पूरा होगा।
○ साधक को साधना करने से पहले संकल्प लेना होता
       है किसी भी अनुष्ठान को अधूरा कभी मत छोड़ो या    
       शुरू ही मत करो।
○ अगर किसी साधना में साधक कभी नागा कर देता है तो साधना खंडित मानी जाएगी और दोबारा करनी पड़ेगी।
○ जिस अनुष्ठान को आपने करना है उसके मंत्र को सबसे पहले आपको कंठ करना चाहिए बिना कंठ किए किसी साधना पर बैठ जाना आपके लिए साधना के समय बहुत कष्टकारी हो सकता है।
○ अनुष्ठान के सभी जब जाप करोगे जो जल का पात्र आप वहां रखोगे उसे 24 घंटे में बदल देना है उस जल को किसी पेड़ की जड़ में आप डाल सकते हैं।
○ साधना काल में क्रोध हिंसा गाली गलौज लड़ाई चिंता इत्यादि से आपको बचना होगा क्योंकि जब समुद्र मंथन किया गया था तब केवल अमृत वहां से नहीं निकला था उसके साथ विश भी निकला था उसी प्रकार जब हम आत्ममंथन करके किसी मंत्र की साधना करते हैं तो जरूरी नहीं कि हमें दिव्य शक्ति की प्राप्ति हो वहां से कुछ नकारात्मक शक्तियां शुरुआत में जरूर आती हैं  और ऐसा देखा गया है कि जब आपकी साधना संपन्नता की तरफ जाती है तो बिना बात के गुस्सा आना आम सी बात हो जाती है ऐसे में इसका एक ही इलाज है वह है मौन रहना।
○ साधना में साधक को किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए।
○ जिस देवता की आप साधना करो उसका चित्र या विग्रह कोई मूर्ति या प्रतिमा एक आम की पटिया पर सा कपड़ा बिछाकर उसे फूलों से सुसज्जित करके अवश्य वहां रखना चाहिए।
○ साधना शुरू करने से पहले वास्तु शांति नवग्रह शांति कलश स्थापन और भूत शुद्धि इत्यादि या तो खुद कर ले या किसी विद्वान ब्राह्मण को बुला करके उनसे करवा ले इससे आपकी साधना में सफलता के अवसर बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं।
○ जितने दिन की साधना हो इतने दिन आपको अपने इष्ट के प्रति फल फूल पान मिठाई जल इत्यादि जो भी आपने सामान चढ़ाना है वह सामान ताजा होना चाहिए और 24 घंटे बाद नित्य प्रति उसको बदल देना है जो सामान वहां से चढ़ाया हुआ आप इकट्ठा करोगे उसे जल में प्रवाहित कर देना है।
○ साधना काल में अपने वस्त्र और जूठे बर्तन इत्यादि जितने काम होते हैं वह आपको खुद करने चाहिए।
○ साधना में जब आपको कुछ अनुभव हो तो कभी भी डरना नहीं चाहिए साधक को यही याद रखना चाहिए कि यह  मुझे द्वारा पैदा की गई उर्जा है और इसको मैं ही नियंत्रित कर सकता हूं जैसे भगवान नरसिंह को केवल प्रह्लाद भगत ही वश कर पाए। उन अनुभवों को जाने अनजाने कभी दूसरे आदमी को ना बताएं वरना आपकी साधना वही खंडित हो जाएगी।
○ अपनी किसी भी विशेष क्षमता के ऊपर कभी भी घमंड ना करें क्योंकि ईश्वर अहंकार का नाश खुद करते हैं।
○ हमेशा सज्जन और विद्वान लोगों की संगति करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं प्रतिदिन धार्मिक पुस्तकें और ग्रंथों का अध्ययन करें अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं।
○ जैसा गुरु कहे शमशान की साधना श्मशान में होती है कब्रिस्तान की साधना कब्रिस्तान में होती है घर पर की जाने वाली साधना सौम्य होनी चाहिए उग्र साधना कभी घर पर नहीं करनी चाहिए वरना लक्ष्मी जी रूठ जाती हैं।
○ अपने देवता के प्रति होम अज्ञार नित्य प्रति अवश्य करें। एक समय में केवल एक मंत्र या ईष्ट की ही साधना करें।
○ अपनी दिनचर्या का ज्यादा समय जिस ईष्ट कि आप साधना कर रहे होते हैं उसके मनन में गुजारे।
साधक भाई बहनों अपने अनुभव के आधार पर मैंने यह सब बातें और सूत्र आपको बताएं जो साधना की सफलता के लिए परम आवश्यक हैं इसलिए कृपया एक बार इनका विश्लेषण अवश्य करें ताकि आपकी कोई भी की गई साधना निष्फल ना जाए। जल्दी ही इस वीडियो का में दूसरा हिस्सा आपके लिए बनाऊंगा जिसमें प्रारंभिक मंत्र जो साधना में इस्तेमाल किए जाते हैं जो होम को जगाने के लिए देवता को जगाने के लिए ईष्ट को मनाने के लिए प्रयोग आते हैं वह भी आप सब से साझा करूंगा आशा करता हूं यह वीडियो आपके काम आएगी और आप इससे लाभ उठाएंगे जिसको ज्ञान नहीं है वह नए साधक इससे लाभ उठाएंगे अधिक जानकारी के लिए आप हमारे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर संदेश भेज कर संपर्क कर सकते हैं।

श्री झूलेलाल चालीसा।

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