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रविवार, 16 अक्तूबर 2022

बिल्ली की ज़ेर का प्रयोग।।


।। मार्जारी तन्त्र ।। 

Specific Elimantel spell of cat's naval cord *

मार्जरी अर्थात बिल्ली सिंह परिवार का जीव है। केवल छोटा आकार का अन्तर इसे सिंह से पृथक करता है, अन्यथा यह सर्वांग में सिंह का लघु संस्करण है। प्रवृत्ति से हिसंक होकर भी यह जन्तु पालतू बन जाता है।

जबकि सिंह की स्वच्छन्दता और प्रचण्ड हिँसा भावना का दमन नहीं किया जा सकता। मार्जारी अर्थात बिल्ली की दो श्रेणियां होती है एक पालतू और दूसरी जंगली। जंगली बिल्ली को वन-बिलार कहा जाता हैं। यह आकार में पालतू बिल्ली से बड़ी होती है। 

जब कि घरों में घूमने वाली बिल्लियां छोटी होती है बन-बिलार को पालतू नहीं बनाया जा सकता, किन्तु घरों में घूमने वाली बिल्लियां पालतू हो जाती हैं। यह जीव काले रंग का होता है किन्तु सफेद, धारीदार, नारंगी, चितकबरी रंग की बिल्लियां भी देखी जाती हैं।

घरों में घूमने वाली मादा बिल्ली भी लक्ष्मी की कृपा कराने में सहायक होती है,विशेष रूप से काली बिल्ली की ज़ेर बहुत आधी यानी 100% कार्य करने में शक्षम होती है यह तन्त्र-प्रयोग दुर्लभ और कम ज्ञात होने के कारण सर्व साधारण के लिए बहुत ज्यादा लाभकर नहीं हो पाता। वैसे यदि कोई व्यक्ति इस माजरी-तन्त्र का प्रयोग करे तो निश्चित रूप से जातक के जीवन को लाभान्वित करता है।

गाय, भैंस, बकरी की तरह लगभग सभी चौपाए मादा पशुओं के पेट से, प्रसव के पश्चात झिल्ली जैसी एक वस्तु निकलती है। वस्तुतः इसी झिल्ली में गर्भस्थ बच्चा आवरित रहता है। बच्चे के जन्म के समय वह भी बच्चे के साथ बाहर आ जाती है। यह पॉलीथिन की थैली की तरह पारदर्शी, लिजलिजी, रक्त और पानी के मिश्रण से तर और देखने में घृणित होती है। सामान्यतः इसे आंवर या नाल और ज़ेर कहते हैं। 

इस नाल को तान्त्रिक साधना में बहुत महत्व प्राप्त है। सभी प्रकार की नाल का उपयोग बन्ध्यत्व ग्रस्त अथवा मृतवत्सा स्त्रियों के लिए परम हितकर माना गया है वो एक अलग तंत्र  प्रयोग है जिसकी बात फिर कभी की जाएगी वैसे, अन्य पशुओं की नाल के भी विविध उपयोग होते हैं। विषय विस्तार न हो, इसलिए यहां केवल मार्जारी (बिल्ली) की नाल का ही तान्त्रिक प्रयोग लिखा जा रहा है। जिन्हें सुलभ हो, इसका उपयोग कर लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है।

प्रयोग इस प्रकार है-पालतू बिल्ली पर निगाह रखें। जब उसका प्रसव काल निकट हो, उसके लिए रहने और खाने की ऐसी व्यवस्था करें कि वह आपके कमरे में ही बनी रहे। यह कुछ कठिन कार्य नहीं है, प्रेमपूर्वक पालतू बनाई गई बिल्लियां तो मालिक की कुर्सी, बिस्तर अथवा गोद में बैठी रहती हैं। उस पर बराबर निगाह रखें। जिस समय वह बच्चों को जन्म दे रही हो, सावधानी से उसकी रखवाली करें। बच्चों के जन्म के तुरन्त बाद ही उसके पेट से नाल (झिल्ली) निकलती है, प्रायः बिल्ली उसे खा जाती है। विरले ही उसे प्राप्त कर सकते हैं।

उपाय - जैसे ही बिल्ली के पेट से नाल बाहर आए, उस पर कोई बड़ा कपड़ा, कम्बल, टाट ,चादर अथवा धान की भूसी उसपर फेंक दें। आशय यह है कि उसे ढक दें। ढ़क जाने पर बिल्ली उस तुरन्त खा नही सकेगी। चूंकि प्रसव पीड़ा के कारण वह कुछ शिथिल भी रहती है, इसलिए तेजी से झपट भी नहीं सकती। जैसे भी हो, प्रसव के बाद उसकी नाल को उठा लेना चाहिए। 

फिर उसे धूप में सुखाकर उपयोगी बनाया जा सकता है। धूप में सुखाते समय भी सावधानी रखें। नहीं तो चील-कौए उसको उठाकर ले जाएंगे। तेज धूप में दो-तीन दिनों तक रखने से वह चमड़े की तरह सूख जाएगी। 

सूख जाने पर उसके चौकोर टुकड़े कर लें और उन पर हल्दी लगाकर रख दें। हल्दी का चूर्ण अथवा लेप कुछ भी लगाया जा सकता है। यदि लेप लगाया है, तो उसे फिर से सुखा लेना चाहिए। इस प्रकार हल्दी लगाया हुआ बिल्ली की नाल का टुकड़ा लक्ष्मी तन्त्र का अचूक घटक होता है।

तन्त्र साधना के लिए किसी शुभ मूहूर्त में, स्नान-पूजा करके शुद्ध स्थान पर बैठ जाए और हल्दी लगा हुआ नाल का एक सूखा हुआ टुकड़ा बाएं हाथ में लेकर मुट्ठी बन्द कर लें और लक्ष्मी, रुपया, सोना, चांदी अथवा किसी आभूषण का ध्यान करते हुए अपने सामने किसी लकड़ी की पटरी पर लाल कपड़ा बिछा कर उसपर रखकर इसकी धूफ डीप फल फूल पान मिठाई अक्षत हल्दी कुमकुम सिन्दूर गंध चंदन से पूजा करें 

इस नाल को जाग्रत करने के लिए सभी के अपने अपने अलग तरीके हैं एक मन्त्र यहाँ दे रहा हूँ। उसके बाद चंदन की माला से 5 माला 

यह मन्त्र जपें:- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं परा परमेश्वरि धन लक्ष्मी ममवांछित धनं देहि देहि स्वाहा।' 

इसके पश्चात उसे माथे से लगाकर अपने सन्दूक, अलमारी,पूजन स्थान, तिजोरी अथवा बैग जहां भी रुपये-पैसे, जैवर रखते हों, इसे वहीं रख दें। 

कुछ ही समय बाद आश्चर्यजनक रूप से श्री सम्पत्ति की वृद्धि होने लगती है। इस नाल-तन्त्र का प्रभाव विशेष रूप से धातु-लाभ (सोना-चांदी की प्राप्ति) कराता है।

यदि किसी के पास ऐसी नाल हो, तो वह उसका एक टुकड़ा किसी अन्य व्यक्ति को देकर उसे भी समृद्धि का मार्ग बना सकता है। 

तान्त्रिक सिद्धियाँ और मार्जरी तन्त्र:-
 जो साधक तंत्र के क्षेत्र में अभी नए है और एक सफल तांत्रिक बनना चाहते हैं जो चाहते हैं कि उनकी कोई साधना फेल न जाये तो निम्नलिखित कार्य करें। 

बरसेगा अकस्मात धन आपके जीवन में:-
किसी भी त्यौहार या पर्व पर उत्तम मुहूर्त देखकर स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर घर के किसी एकांत स्थान पर आम की लकड़ी से बनी हुई पटरी पर लाल वस्त्र बिछाकर पूर्वाभिमुख होकर बैठे और उस पर माता मातंगी का चित्र अथवा यन्त्र स्थापित करें और  वहां पर एक टुकड़ा चौकोर बिल्ली की नाल का काट कर रखें उसपर हल्दी और अक्षत चढ़ाकर चांदी के ताबीज़ /यन्त्र में भर लें रखें फिर उस पर देवी का आवाहन तथा स्थापन करें और तदन्तर धूफ दीप प्रज्वलित कर सामान्य पूजन करें पूजन कार्य में लाल रंग के फूलों का और पूजन सामग्री का प्रयोग करें लाल वस्त्र पहने और लाल ही आसन का प्रयोग करें जाप माला लाल चंदन अथवा मूंगे लाल हक़ीक़ अथवा कुमकुम की 108 दाने वाली होनी चाहिए ।

फिर शांत चित्त होकर 110 माला निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। 
"उच्छिष्ट चांडालिनी मातंगी सर्ववशंकरि नमः स्वाहा।"

यकीन मानिए इसके उपरांत या यंत्र दैवीय ऊर्जा से संपन्न हो जाएगा इसके धारण करने के उपरांत साधक जो जो कार्य करेगा जिस जिस साधना के लिए बैठेगा वह सभी कार्य साधक बड़ी आसानी से सफलता पूर्वक सिद्ध कर लेगा। जिन साधनाओं को करने में साधकों को बहुत कठिनाई आती है उन साधनाओं को यन्त्र धारण करने के बाद आप आसानी से ही सम्पन्न कर लेंगे। आपको बड़े-बड़े स्तोत्र पाठ इत्यादि आसानी से कंठ हो जाएंगे आप कभी विद्या को भूलोगे नहीं और सभी कुछ कंठ होगा सभी स्त्री पुरूष आप की तरफ आकर्षित हो जाएंगे अज्ञात स्रोतों से धनलाभ आपको आकस्मिक रूप से होने लगेगा।

बहुत जल्द उत्तम वर प्राप्ति:-
बिल्ली की ज़ेर का प्रयोग इतना जबरदस्त है लेकिन बहुत सारे भाई बहन इसके पूर्ण प्रयोग से वाकिफ नही हैं हालांकि इसके बहुत सारे लाभदायक प्रयोग है जोकि कभी असफल नही होते। उक्त प्रयोग की ही तरह ये प्रयोग तब किया जाता है जब किसी लड़के अथवा लड़की का रिश्ता न आता हो या शादी ना होती हो तो ये बहुत लाभकारक होता है और कभी भी फेल नही होता हालांकि अपनी पालतू बिल्ली की खुद हासिल की हुई ज़ेर के प्रयोग कभी असफल नही होते लेकिन बाजार में मिलने वाली बिल्ली की ज़ेर के असली होने में संदेह रहता है इसके परिणाम भी कोई प्रमाणित नही होते अब बात करते है इस प्रयोग की किसी शुभ मुहूर्त में स्नान इत्यादि से निवर्त होकर पूर्वाभिमुख बैठकर अपने सामने आम की लकड़ी के पटड़े पर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर माता मातंगी का यन्त्र अथवा चित्र स्थापित करें उसके सामने काली बिल्ली की ज़ेर का एक चौकोर टुकड़ा काट लें और फिर धूफ दीप प्रज्वलित कर लाल रंग के पूजन द्रव्य द्वारा पूजा करे उसके उपरांत उसे चांदी के एक यंत्र में भर लें 
तथा निम्नलिखित मन्त्र का 11000 जाप करें 
"उच्छिष्ट चांडालिनी मातंगी सर्ववशंकरि नमः स्वाहा।"

फिर जिस लड़की या लड़के की शादी ना होती हो उसे पहना दें बहुत जल्दी आपको इसका परिणाम देखने को मिल जाएगा।

नौकरी मिलने और कारोबार चलने के लिए:-
जिस किसी व्यक्ति को नौकरी ना मिलती हो या जिसका कारोबार ठप्प पड़ गया हो वो भी उक्त विधि द्वारा लाल पूजन पदार्थों से देवी माता मातंगी का पूजन करके एक टुकड़ा बिल्ली की ज़ेर का चांदी के यंत्र में डाल कर कंठ में धारण करे तो नौकरी की इच्छा रखने वाले को नौकरी और ठप्प व्यापार वाले व्यक्ति का अतिशीघ्र ही भाग्योदय हो कर उत्तम आजीविका की प्राप्ति होती है। 

पदौन्नति के लिए के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है इसके इलावा जिस पति पत्नी में आपस में किसी गलतफहमी के चलते मनमोटाव हो गया हो या आपस से कुत्ते बिल्ली की तरह लड़ाई झगड़ा होता हो तो उक्त विधि के अनुसार मातंगी मंत्र का जाप करते हुए दो यन्त्रो का निर्माण करने के बाद दोनों को धारण करवाना चाहिए झगड़ा होना बंद हो जाएगा।

वशीकरण करे अचूक :- उक्त विधि के अनुसार ही पूजन करने के अनुसार एक चांदी की डिब्बी में हनुमान जी वाला सिन्दूर लेकर अपने सामने रखें और 11000 मंत्र का जाप करें तो ये सिन्दूर मन्त्र के प्रभाव से दैवीय शक्ति से संपन्न हो जाएगा ।

 साक्षात्कार के समय :- ललाट पर तिलक लगाकर व्यक्ति विशेष का ध्यान करते हुए उसके सामने जाएं अथवा सभा के मध्य जाएं सम्मोहन होगा और सभी साधक के वशीभूत हो जाएंगे।

परीक्षा में पास होने के लिए:-जो कोई विद्यार्थी परीक्षा में बार बार फेल हो जाता हो और तन्मयता से पढ़ाई करता हो लेकिन उसके उपरांत भी परीक्षा में असफल रह जाता हो तो उपरोक्त विधियों की ही तरह पूजन करें तथा बिल्ली की नाल के चौकोर टुकड़े पर ऐं बीज अनार की कलम द्वारा कुमकुम से लिखें फिर पूजन और जाप के उपरांत चांदी के यन्त्र में भरकर बच्चे के गले में डाल दें 100% निसंदेह परीक्षार्थी का परिश्रम खाली नही जाएगा।  
तकरीबन तकरीबन 20 से 30 प्रकार से ये बिल्ली की ज़ेर प्रयोग में लायी जाती है यहां तक कि कुछ एक सिद्धियों को प्राप्त करने में भी इसका प्रयोग होता है जैसे कि हाज़िरात में भी होता है कुछ दो चार उपाय आपको मैने ऊपर बताये हैं बाकी फिर कभी आपको बताऊंगा। आशा करता हूँ कि आपको ये जानकारी आपके जीवन में कहीं न कहीं मददगार साबित होगी 

ये बात विशेष रूप से याद रखें कि यदि इन प्रयोगों को करने के बाद आप प्रयास नही करते तो इन सभी वस्तुओं का कोई प्रभाव नही होता इस लिए जिस कार्य के निम्मित आप कोई भी तांत्रिक उपाय करो उसके साथ साथ आपको भौतिक प्रयास भी करने पड़ते हैं यदि कोई ये सोचे कि घर में बैठकर खाली तांत्रिक उपाय करें लेकिन खुद प्रयास न करे तो कोई लाभ नही मिलेगा

🙌 माता आदि शक्ति की कृपा आप पर रहे मेरी शुभ कामनाएं आपका कल्याण हो।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...