मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

peace of goddess sheetla

Peace of Sheetla Mata.

Aadesh namo aadesh. 
indr ki pooji ..... indr maavai, 
krshn ki pooji krshn maavai,
baith dvaare maalee gaavai, 
neemdar pe jhoola jhoolo. 
dukh santaap mitaavai, 
duhaee teree naam kee. 
sheetal ban ja sheetal maayya,
Meri Aan gurudev ki aan. 
aan maan karataar ki. 
duhaee …………………….
 


Some parts of this mantra has been keeped safe.

Keep following all the rules related to Sitalamata.


 It is a big mistake to consider Sheetla's defect as simple defect or just smallpox.


But due to the wrath of Sheetla, the victim suffers in various ways. Many kinds of indirect problems also come in the life of the victim.


Along with the disease, there is a lot of discord in the house and lack of money and until no exact treatment is found, then torture is received in many cases, in many cases it is not known whether the person is suffering from shitla or not.


Many times a mistake has been made but Sheetal ji lives in secret and nobody pays attention to it.


In the house where the meat, fish, egg, etc. are consumed after the release of Sheetla, in that house, the goddess wakes up angry and wrath.


Good disposition transforms into bad disposition and there is discord in the house for twenty-four hours and at the moment there is no trouble.


The normal condition of the house becomes abnormal, the quiet environment is transformed into turbulence.


Cows buffalo die repeatedly in the house, even after consuming lakhs of animals, they do not understand their disease, animals do not get saved no matter how many medicines they get.


On the one hand, big businesses get dusty.


Sudden family deaths occur in the house.


Normally fruit flower trees also stop giving their fruit.  The crop does not normally shrub.


The best machinery also starts deteriorating once.


Time and again the wall clock and hand clock start to deteriorate due to no reason.


Electrical appliances suddenly start burning rotting one after the other.


As of now, there is no such system that can tell you that in such a time you will get rest.  This thing is very noticeable.  Cleanliness can be delayed according to faith and karma.


This is a very unusual and effective mantra. There is a special mantra for brushing smallpox. It is a very effective mantra.


First of all, on a Tuesday of Shukla Paksha, in good Muhurta, according to reverence to Shitla Mata give fruits, flowers, paan, betel nut, sweets, dish, squirt, incense, home argh, chant ten garlands remember that day you have to keep fast.  In this fast only sweet and cold food is to be served at night.


Then for the remaining ten consecutive days, chant each and every garland continuously.  After chanting 51 times, use home-grown ghee for home mother.


Do not apply soap oil, cream powder, st scented liquor or razor on your body during this practice.


This is an eleven day service.  In this, some times goddess should be starts coming in divotee's body


Everyday, go to the place of  mother and offer raw lassi (unboiled milk diluted in water it shall be 1:10)  And a handful of gram lentils should be soaked in the water whole night and then offered in the morning on the second day.


The day you have to complete the service, make a dumpling with a quarter of a kilo of wheat flour at night and soak a gram of lentils.  On the next morning, give it to the place of Mata ji.


Go to Mata ji's place (sthan) before sunrise on the last day and do a clean cleaning.


Put the mother's place (sthan)with raw lassi and light the light, yes if you get some flowers then it will be better.

After that, burn cow dung cake / kande / goetha made from cow dung to make ember.  Then, near the place of Mata ji, place one and a quarter hands on the ground with cow dung.  Place the ember in the middle of it and keep a vessel of water near it.


Then burn the mustard oil lamp near it, then home the mustard oil on it, as soon as the fire enters, take off the reverse water from the clockwise direction seven times, then put that water somewhere else.  , Sesame, camphor and h can also use Malpue and Dumpling.


While chanting 107 times, give one sacrifice on each mantra and give the last sacrifice of whole piace of dried coconut.


 You can also worship seven girls on the last day.


This mantra will be proved, then whenever a patient comes to you suffering from Sheetla, this mantra works in many ways.


Twenty-one times read the mantra and brush it with a neem tree.


You can also make a taaga, but it should be a thread of blue raw cotton. A seven-knot thread, which is recited after reciting the mantra seven times over each knot, is very effective.


After reading 51 times, the patient gets relief from that poison.


Cleanliness should be specially taken care of completely.


You should consult a scholar in this matter.


After the practice of the above mantra, you too will be able to convince the mother.


 There is a great need to avoid eating and drinking in such a patient, and in the behavior


 By the way, from the medical point of view of the doctor, this enteritis is called.  In such a situation, if the disease is more, then you should consult a doctor.



 For more information, you can contact my email drvijaykumarshastri@gmail.com.

शीतला माता की शांति।

शीतला माता की शांति।

ॐ नमो आदेश।
इंद्र की पूजी.....इंद्र मनावै,  
कृष्ण की पूजी कृष्ण मनावै,
बैठ द्वारे       माली  गावै, 
नीमडार पे    झूला झूलो।
दुख सन्ताप मिटावै, 
दुहाई तेरे नाम की।
शीतल हो जा शीतल मईया । 
मेरी आन   गुरुदेव की आन। 
आन मान         करतार की।
दुहाई ......................…की।

।। इस मंत्र के कुछ अंग सुरक्षित रख लिए गये है।।

।।शीतलामाता से संबंधित सभी नियमों का पालन करते रहें।।

शीतला के दोष को साधारण दोष समझ लेना या सिर्फ चेचक समझ लेना बहुत बड़ी भूल है। 

अपितु शीतला के कोप होने पर विभिन्न प्रकार से पीड़ित को कष्ट मिलते है।कई प्रकार के अप्रत्यक्ष रूप से कष्ट भी पीड़ित के जीवन में आ जाते हैं।

रोग के साथ साथ घर में कलह का वास और धन की कमी बहुत अधिक हो जाती है और जब तक कोई सटीक इलाज नहीं मिलता तब तक बाहत यातनायें मिलती है बहुत सारे मामलों में तो सालों तक यही पता नही चलता कि जातक शीतल से पीड़ित है या नही।

कई बार कोई गलती हो जा ने पर  शीतल  जी गुप्त रूप से वास करती है और किसी का इस तरफ ध्यान ही नहीं जाता।

जिस घर में शीतला निकलने के उपरांत मांस मछली शराब अंडा इत्यादि पदार्थों का सेवन होता है उस घर पर माताजी रुष्ट होकर कोप कर देती हैं।

सुमति कुमति में परिवर्तित हो जाती है और घर में चौबीस घंटे कलह रहती है पल में बिना बात के क्लेश हो जाता है। 

घर की सामान्य स्थिति असामान्य हो जाती है शांत वातावरण अशांति में परिवर्तित हो जाता है।

घर में पाले हुये गाय भैंस बार-बार मर जाते है लाख जतन करने पर भी उनका रोग समझ नहीं आता  पशु बच नहीं पाते चाहे कितनी भी दवा करा लो।

एका एक चलते हुए बड़े से बड़े कारोबार धूल धूसरित हो जाते है।

घर में अचानक पारिवारिक सदस्यों की एक के बाद एक मौतें होने लग जाती है।

सामान्य रूप से फल फूलों के वृक्ष भी अपना फल फूल देना बंद कर देते हैं। फसल सामान्य रूप से झाड़ नही देती।

बढ़िया से बढ़िया मशीनरी भी एका एक बार बार बिगड़ने लग जाती है।

बार बार घर की दीवाल घड़ी और हाथ घड़ी बिना कारण से खराब/बन्ध होने लगती हैं।

बिजली के उपकरण अचानक से एक के बाद एक सड़ने जलने लग जाते है।

अभी तक कोई ऐसा तंत्र नहीं है जो कि आपको यह बता दे कि इतने समय में आपको आराम आ जाएगा। यह चीज बहुत ध्यान देने वाली है । साफ सफाई श्रद्धा और कर्म के अनुसार फल मिलने में देरी हो सकती है।

यह बहुत आसाधारण और प्रभावशाली मंत्र है चेचक का झाड़ा लगाने के लिए विशेष मंत्र है।बहुत प्रभावशाली मंत्र है ।

सबसे पहले शुक्ल पक्ष के किसी मंगलवार को अच्छे मुहूर्त में शीतला माता को श्रद्धा अनुसार फल, फूल, पान,सुपारी, मिठाई, पकवान, धार, धूप, होम अर्घ दें दस माला जाप करें याद रखें उसदिन आपको उपवास रखना होगा। इस उपवास में केवल रात्रि को मीठा और ठंडा भोजन करना है। 

फिर बाकी दस दिन लगातार एक-एक माला जाप नित्यप्रति करें। जाप के बाद 51 बार देसी घी से होम माता जी के लिए करें ।

इस साधना दौरान अपनी देह पर साबुन तेल क्रीम पाउडर सेंट सुगंधित द्रव्य या उस्तरा नही लगाना।

ये ग्यारह दिन की सेवा है। इसमें प्रायः कई बार भगत के सिर पर माता का भाव भी आने लग जाता है।

प्रतिदिन कच्ची लस्सी माता के स्थान पर जाकर चढ़ानी है। और एक मुठी चने की दाल रात में भिगोकर रखनी है फिर दूसरे दिन सुबह चढ़ानी है।

जिस दिन सेवा पूरी करनी हो एक दिन पहले रात्रि में सवा किलो गेहूं के आटे से गुलगुले माल पुए बना ले और पाव भर चने की दाल भिगोकर रख दें। दूसरे दिन सुबह ये माता जी के स्थान पर चड़ा दें।

अंतिम दिन सुबह सूर्योदय से पहले माता जी के स्थान पर जाकर बढ़िया से साफ सफाई करें।

माता जी के स्थान को कच्ची लस्सी से स्तान करवाकर दिया बत्ती जलाएं हां अगर कुछ फूल मिल जाएं तो और अच्छा रहेगा। 

उसके उपरांत गाय के गोबर से बने उपले/कंडे/गोइठा को जलाकर अंगार बना लें। फिर माता जी के स्थान के पास ही सवा हाथ जमीन पर गोल चौंका गाय के गोबर से लगा दें। उसके मध्य में अंगार रखकर और उसके पास ही जल का एक पात्र रखें। 

फिर सरसों के तेल का दीया पास में जला दें फिर उसपर सरसों के तेल का होम करें अग्नि प्रवेश होते ही सात बार घड़ी की दिशा से उल्टा जल उतारें फिर उस जल को कहीं अलग डाल दें आप होम में हवन सामग्री,लौंग, बतासे,जौं, तिल,कपूर और ज मालपुए और गुलगुले भी प्रयोग कर सकते है।

107 बार मंत्रोउच्चारण करते हुए प्रत्येक मन्त्र पर एक आहुति दे और अंतिम आहुति सूखे नारियल की दें।

आप अंतिम दिन सात कन्याओं का पूजन भी कर सकते है।

यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा फिर जब भी कोई रोगी शीतला से पीड़ित आपके पास आए तो यह मंत्र कई प्रकार से काम करता है।

इक्कीस बार मन्त्र पढ़कर नीम की डाली से झाड़ दें।

आप तागा भी बना सकते हो लेकिन वह नीले रंग का कच्चे सूत का धागा होना चाहिए सात गांठ वाला ऐसा तागा जिसकी एक एक गांठ के ऊपर सात सात बार मंत्र पढ़कर फूंका गया हो बहुत प्रभावशाली होता है।

भभूत 51 बार पढ़कर देने पर उस भभूत से भी रोगी को आराम आ जाता है। 

साफ सफाई का विशेष तौर पर पूर्ण रूपेन ध्यान रखना चाहिए।

इस विषय में आपको किसी विद्वान से परामर्श लेना चाहिए।

उपरोक्त मन्त्र की साधना के बाद आप भी माता जी को मना लेने में सक्षम हो जाएंगे।

ऐसे रोगी के खाने पीने में और आचरण विचरण में और कहां पान में बहुत परहेज की आवश्यकता होती है 

वैसे तो चिकित्सक से चिकित्सा की दृष्टि से यह आंत्रशोथ बोला जाता है । ऐसे में अगर रोग अधिक हो तो आपको चिकित्सक से परामर्श आवश्य लेना चाहिए।


अधिक जानकारी के लिए आप मेरे email drvijaykumarshastri@gmail.com पे संपर्क कर सकते हैं।



कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...