शनिवार, 22 अक्तूबर 2022

काजल मोहिनी।

।। काजल मोहिनी ।।
काजल मोहिनी यह मोहिनी प्रयोग बहुत ज्यादा जबरदस्त है और और जबरदस्त है पुराने स्वतंत्र पर बहुत भरोसा करते हैं काजल का मोहिनी के रूप में प्रयोग अक्सर किया जाता है और पुराने साधक इस मंत्र और प्रयोग पर बहुत अधिक भरोसा करते है।

जिससे कि वे कठिन से कठिन और ना होने वाले काम को भी कर लेते थे अक्सर अमावस या दीपावली की रात्रि को ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी काजल तैयार किया जाता है जो छोटे-छोटे बच्चों को नजर उतारने के लिए लगाया जाता है लेकिन गुणिया और तांत्रिक लोग इस काजल को मोहिनी मंत्र द्वारा सिद्ध कर लेते है।

इस प्रयोग में अपामार्ग नामक एक एक जड़ी की टहनी का इस्तेमाल किया जाता है जिसको अपामार्ग बोला जाता है।और ये अक्सर खाली जगह उजाड़ खेत खलिहानो खाली प्लाटों या जंगलों में आपको मिल जायेगी।

इसका प्रयोग सर्वदा खाली नहीं जाता और पूरे का पूरा गांव समाज ही प्रयोग करता के वशीकरण हो जाता है वशीभूत हो जाता है उसका कहना मानने लग जाता है और उसकी मान जान बहुत बढ़ जाती है प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है एवं जिस किसी स्त्री पुरुष के ऊपर कर देता है तन मन से उसी का हो जाता है और उसकी सेवा करता है मेरा यहां इस प्रयोग को नाजायज इस्तेमाल के लिए देने का कोई मन नहीं है हालांकि आप जैसा कर्म करोगे वैसा ही भरोगे क्योंकि उदित आदमी का ही मान सम्मान होना चाहिए जिसमें वैसे क्षमता हो।
इसको प्रयोग करने का तरीका ऐसा है कि प्रयोग करने से 1 दिन पूर्व आपको रात्रि में एक सरसों के तेल का दिया ,एक सुपारी, एक पान का पत्ता,एक 1 रुपये का सिक्का,थोड़े से कच्चे चावल जिनको हल्दी से रंगा गया हो और 1 जनेऊ आपको अपामार्ग के पौधे के पास जाकर।
           इस जड़ी को ध्यान से पहचान लें।
सभ से पहले उसे निमंत्रण देना है और बोलना है कि " हे देव मैं आपको निमंत्रण देने आया हूं और मैं आपसे वशीकरण हेतु काजल तैयार करूँग कल मैं आपको लेने आऊंगा आपको मेरे साथ चलने के लिए तैयार रहना है" इतना कह कर के यह सभी समान उसकी जड़ में रख देना है और वहाँ सरसों के तेल का दिया जला देना है और चुपचाप वापस अपने घर आ जाना है 

उसके उपरांत दूसरे दिन आपको यानी दीपावली की रात्रि निर्वस्त्र होकर या  सिर्फ किसी कपड़े को अपनी कमर पर लपेट कर चुपचाप जाना है और उस पौधे की 7 बार परिक्रमा करनी है फिर उसे जड़ से उखाड़ कर अपने घर चुपचाप बिना पीछे मुड़े देख या देखें ले आना है।
अब इस मन्त्र को जपते हुए अपामार्ग की टहनी को तोड़ कर उस पर रुई लपेट कर उसकी बत्ती बना लेनी है फिर दीये में जलाएँ उस दिये में आप किसी भी तेल का प्रयोग कर सकते हैं। 

फिर काजल पारने की विधि से इसका काजल एकत्र कर लें। जब तक काजल बनता रहे आप सामने बैठकर मंत्र का जाप करते रहें ।फिर जब कभी भी आपको किसी के वशीकरण करने की जरूरत हो तो सात बार इस मन्त्र का जाप करके काजल को नेत्रों में आंजें । 
इस प्रयोग से पूरे का पूरा गाँव समाज साधक या प्रयोग करता के वशीभूत हो जाता है ।

।। मन्त्र।।
ॐ नमः पद्मणी ।
अञ्जन मेरा नाम ।
 इस नगरी में बैठके मोह सगरा गाम । 
 राज करन्ता राजा मोहु । 
 फर्श पे बैठा बनिया मोहु । 
 मोहु पनघट की पनिहार ।
 इस नगर को छत्तीस मोहूं पचन बयार । 
 जो कोई मार मार करन्ता आवे । 
 ताही नरसिंह वीर बायां पग के अंगूठा । 
 तले घर गेर आवे । 
 मेरी भक्ति गुरु की शक्ति । 
 फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।।

मेरी शुभकामनाएं और बहुत बहुत आशीर्वाद आपका कल्याण हो 🙌

100% गरेन्टेड सिन्दूर वशीकरण सिद्धि।


।। सिन्दूर वशीकरण मंत्र सिद्धि।।

मन्त्र :-
ॐ नमो आदेश गुरु का । 
सिंदूर की माया । 
सिन्दूर नाम तेरी पत्ती । 
कामाख्या सिर पर तेरी उत्पत्ती । 
सिन्दूर पढि मैं लगाऊ' बिन्दी । 
वश "अमुक" होके रहे निर्बुद्धी । 
महादेव की शक्ति । गुरु की भक्ति । 
न वशी हो तो कामरू कामाख्या की दुहाई । 
आदेश हाड़ी दासी चण्डी का । 
"अमुक" का मन लाओ निकाल । 
नहीं तो महादेव पिता का वाम पद जाये लाग।
आदेश । आदेश ।  आदेश ।

दीपावली के दिन सूर्य ग्रहण काल में स्नान इत्यादि से निवर्त होकर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें और अपने घर के किसी एकांत स्थान पर अथवा घर के मंदिर में बैठकर ईष्ट देव को धूफ दीप नैवैद्य समर्पित करें अपने सामने जल का एक पात्र भी रखें तथा अपने सामने ही एक चाँदी की डिब्बी ( ये चांदी की डिब्बी आप पहले ही खरीद कर रख लें)में हनुमान जी वाला पीला सिन्दूर रखकर इस मन्त्र को एक सौ आठ बार यानी एक माला जाप करके सिन्दूर पर 7 बार फूंक मार दें आपका वशीकरण सिंदूर तैयार हो चुका है 

फिर प्रयोग करें। इस अद्भुत शक्ति से सम्पन्न वशीकरण सिंदूर की बिन्दी लगाने से अभिलाषित स्त्री पुरूष को देखते ही वशीभूत हो जायेगा। सिद्ध करने के बाद  इस मन्त्र का प्रयोग स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है ।

सभ कुछ साधक के बौद्धिकता पर निर्भर करता है बहुत गजब का मन्त्र है सेल्स एग्जेक्युटिवस के बहुत काम का है अगर आप को साधक है दूसरों का इलाज करते और लोग आपके पास इलाज करवाने आते है तो आपके लिए ये मन्त्र और भी लाभदायक सिद्ध होगा।

मन्त्र तो किताबों में मिल जाते है लेकिन उनको चलाने की तरकीब और technical knowledge और support आपको किसी गुरु के सानिध्य में ही प्राप्त होगी इसके लिए आपको थोड़ा सा समय देना पडेगा और इसको पूरी तन्मयता से करना होगा ग्रहण और दीपावली के पर्व का समय बहुत निकट है।

अगर ये सिंदूर आप किसी दूसरे के लिए तैयार कर रहे हैं तो आपको विशेष रूप से ध्यान रखना है कि जिस लाइन में सिंदूर पढ़ " मैं" लगाऊं बिंदी आया है तो आपको वहाँ उस व्यक्ति का नाम लेना है जिसके लिए आप सिंदूर तैयार कर रहे हैं और " अमुक" के स्थान पर आपको उस व्यक्ति का नाम लेना है जिसका वशीकरण आपको करना है।

कुछ साधक मैने ऐसे भी देखे है जो कि इस मंत्र के जाप से  अपने पास आने वाली उनके बिगड़े हुए पतियों को सुधारने के लिए स्त्रियों को ये सिंदूर लगाने के लिए देते है। और उनका काम 100% होता है वो स्त्रियां इस सिन्दूर से अपनी मांग नित्य प्रति भरती है और कुछ ही दिनों में बिगड़े हुए पति फालतू इधर उधर मुँह मारना बन्द कारके सीधे सीधे रास्ते पर आ जाते हैं।

अगर कोई पति इस सिन्दूर को प्रयोग करे तो उसकी पत्नी और अगर कोई पत्नी इस प्रयोग करें तो उसका पति उससे स्नेह करने लगेगा और उसके बिना सांस भी नही लेगा। लेक़िन अगर आपकी वाणी व्यवहार ठीक नही है तो ये सिन्दूर से कुछ नहीं होगा बल्कि आपको यदि संसार को बदलना है तो सभसे पहने आपने आपको बदलो अगर आप अपने आप को नही बदल सकते तो दूसरे को क्या बदलोगे।

मेरे पास जो कुछ जानकारी और अनुभव था उसमें से कुछ मैन आपसे सांझा किया उम्मीद है कि ये प्रयोग आपके जीवन को नई दिशा देगा।

शुभ आशीर्वाद 🙌 आपका कल्याण हो।

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2022

दीपावली की विशेष साधना हनुमान कृपा।

हनुमान जी की सिद्धि।।


दीपावली के शुभ पर्व पर आपके लिए तंत्र वृक्षा यूट्यूब चैनल की भेंट आपको सभ को पता है ही कि दीपावली दिनांक 24-10-2022 को है और सूर्य ग्रहण भी है उस दिन सभी साधक अपनी अपनी रूचि क्षमता और ज्ञान के अनुसार साधनाएं करने में तत्पर रहेंगे उसी उपलक्ष्यमें आपके लिए छोटी सी भेंट आप के लिए लाए हैं।

एक ऐसी साधना जो आपके Defence को बहुत अधिक शक्तिशाली कर देगी और किसी भी तांत्रिक प्रयोग से आप और आपका परिवार सुरक्षित रहेगा।

आपके ऊपर हनुमान जी की कृपादृष्टि हो जाएगी बहुत अधिक साधक नार्किक और तामसिक साधनाओं मैं लगे होंगे जिसका की लक्ष होता है शत्रु की बर्बादी आज तो आप प्रबल है हो सकता है आप अपने शत्रु को बिल्कुल बर्बाद कर दें या मार ही मुकायें लेकिन  आज आप उसे मरोगे कल जब वही करमा आपकी तरफ लौटेगा तो निश्चय है कि आप भी मरोगे जो बांट रहे हो वही पाओगे।

याद रखना आप अपना जीवन और मृत्यु दोनों को खराब कर दोगे जब क्रोध शांत होगा तो पछताना पड़ेगा।

किसी दूसरे का जीवन बर्बाद करने से बहुत अच्छा है कि अपना जीवन सुधार लो। इस साधना से आपके जीवन में नई प्राण शक्ति का संचार होगा और आपके पित्र देव भी प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देंगे।

इस मन्त्र का अनुष्ठान किसी पर्व होली दीपावली ग्रहण  जेठा मंगलवार अथवा जेठ शनिवार से प्रारम्भ करें।

साधना के प्रथम दिन मंदिर जाकर हनुमानजी को
एक पानी वाला नारियल
फल,
2 मीठे पान,
फूल,
लौंग,
इलायची,
सेंट,
सिन्दूर का चोला,
जनेऊ,
खड़ाऊँ,
लंगोट,
दो लड्डू बूंदी वाले और ध्वजा चढ़ावें । साधना काल में लाल वस्त्र धारण करें लाल आसन पर । लाल हक़ीक़, लाल चन्दन,रुद्राक्ष, मूंगा, या कुमकुम की माला से पूर्वाभिमुख होकर जाप करें।
सदा पवित्र रहें भूमि पर शयनं करें।
शनिवार को चने तथा गुड़ का वितरण करें।
इस मन्त्र की दस मालायें प्रतिदिन जपें ।
इसके बाद प्रत्येक मंगलवार को लगातार 13 मंगलवार व्रत रखें।

अगर ये साधना आप दीपावली पर कर रहे हैं तो 11 माला करें अगर आप इसको दीपावली के बाद में किसी शुभ मुहूर्त में करेंगे तो 10 माला रोज़ाना जाप करें लगातार 40 दिन साधना करें


मन्त्र :
ॐ हनुमान महावीर पहलवान ।
तूं वर्ष बारहा का वीर जवान।
हाथ में लड्डूओं का जोड़ा मुख में पान।
बोलो जय जय सीता जय जय राम।
आओ आओ वीर बजरंगी हनुमान ।
न आओ तो दुहाई महादेव गौरा पार्वती की ।
शब्द साँचा । पिण्ड काँचा ।
फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।

प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हनुमान जी दर्शन देंगे ।
अभीष्ट मनोरथ पूरे हो जाएंगे । मन में भाव द्वारा हनुमानजी आपसे भोग मांगेंगे तो आपको उन्हें भोग देना है।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

झगड़ालू और बेशर्म औरत को ठीक करने का टोटका।

परिवार सदस्यों से निर्मिति होता है ऐसे सदस्य जिनका परस्पर सामंजस्य और मनोवैज्ञानिक रूप से तालमेल बैठता हो जो पारस्परिक आत्मिक स्नेह करते हों उसे ही सही मायने में परिवार कहा जाते तो कोई गलत बात नही होगी।

प्रत्येक पारिवारिक सदस्य का दूसरे सदस्य के प्रति एक लगाव और कर्तव्य होता है लेकिन कई बार परिवार में किसी ऐसे सदस्य का प्रवेश हो जाता है कि पूरे का पूरा घर खराब हो जाता है।

जब किसी अनजाने घर से आपके परिवार का रिश्ता जुड़ता है तो परिवार में एक complex आ जाता है और परिवार में कलह शुरू ये कलह यहीं समाप्त नहीं होता इस स्वार्थी दुनिया में कुछ लोग सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षा को ही महत्व देते है जो कि इस बर्बादी की वजह बनता है।

Psychological complexion कोई ऐसा परिवार जो संस्कारित हो यदि उसमें कोई ऐसी पुत्रवधु आ जाये जो परिवार के न तो संस्कारों को माने और न ही अपने उत्तर दायित्व को तो परिवार का बिखरना निश्चित होता है ।

"अपने पेट की भूख तो सभी को लगती है" जो दूसरे का ख्याल न करे ऐसे व्यक्ति का जीना या मरना मायने नहीं रखता है आपको 100% नही तो 50% तो social  होना ही पड़ता है।

एक बात मैं बहुत वर्षों से observe  कर रहा हूं आज से कुछ वर्ष पहले दहेज प्रथा के लिए लालच वश वर पक्ष वधु पक्ष को प्रताड़ित किया करता था जो कि आज भी होता है लेकिन नारी के बचाव के लिए बनाए गए कानून का आज उसी प्रकार दुरुपयोग किया जा रहा है जैसे कि महादेव द्वारा वर प्राप्त असुर वर दान मिलने के बाद उन्मत होकर करते थे।

स्त्री संरक्षण कानून वास्तव में कही किसी हकीकत में प्रताड़ित नारी को बचाते हैं तो कहीं कहीं criminal mind लोगों द्वारा निर्दोष लोगों के प्रताड़ित होने का कारण बन जाते है ऐसी औरते का खुद पति के घर में बसती हैं और न ही तलाक़ देतीं है। 

कई औरतों को मैंने अपनी आंखों से उनके पतियों को धमकाते हुए कई बार देखा है "ना तो तलाक ही दूंगी और ही तुम्हारे साथ रहूँगी"। सारे कोर्ट्स के न्यायाधीश और वकील सभी कुछ जानते हुए भी बेबस हो जाते है क्योंकि भस्मासुर ने शंकर जी के वरदान तो पा ही लिया था। 

आप भी मेरी एक बात याद रखियेगा, "हाथी के दांत जब उसके मुंह से बाहर आ जाएं तो वो वापिस मुँह में नही जाते" 

तो उस समस्या को हल करने के लिए आपको एक सरल और छोटा सा लेकिन बहुत ही ज़बरदस्त टोटका बताने जा रहा हूँ जो कि आपके उजड़ते हुए घर को वापिस बसा देगा

शुक्लपक्ष के प्रथम शनिवार को प्रातःकाल आपको चुपचाप जहाँ लाजवंती,छुई मुई का पौदा लगा हो आपको जाकर उसकी जड़ में थोड़ा पानी दें फिर कलावा बांधे और उसकी जड़ में एक सरसों के तेल का दीया जलाकर उसी पौधे की जड़ में एक रुपया, हल्दी वाले चावल,एक सबूत सुपारी चढ़ाना है और आमंत्रित करने है और बोलना है कि हे लाजवंती मैं आपको निमंत्रण दे रहा हूँ कल आपको मेरे साथ चलकर मेरा काम करना है नही तो मैं क़यामत के दिन तेरा दामनगीर बनूँगा।

दूसरे दिन भोर अर्थात ब्रह्मवेला में आपको उठना है और लाजवंती के पौधे को चुपचाप जड़ से उखाड़कर अपने घर वापिस लौट आना है।

और उसकी जड़ को आपने कूट पीस कर उसकी सात छोटी छोटी सफेद चने के बराबर गोलियां बनाकर एक गोली खाने पीने में एक हफ्ता यानि सात दिन लगातार खिलाएं तो बदतमीज़ से बदतमीज़ और बेशर्म से भी बेशर्म औरत भी कुछ समय में आपन स्वभाव त्याग कर सीधे रास्ते पर आ जाती है।

इस प्रयोग के दौरान एक बात हमेशा याद रखना ये बात सभी को पता है कि राम नाम के इलावा इस जगत में कुछ भी शाश्वत सत्य नही लेक़िन वही राम नाम अंत में सहायक होता है। 

राम सत्य है सभी उसकी महिमा भी जानते है लेकिन उसे कोई नही जपता । ठीक उसी तरह कि जैसे फ्री में मिलने वाली ऑक्सीजन की कीमत कोई नही जानता जीवन का आधार वही है उसकी कीमत तब पता चलती है जब हस्पताल वाले ऑक्सीजन के सिलेंडर का बिल देना पड़ता है।

बुधवार, 19 अक्तूबर 2022

जुआ जीतने का यन्त्र

जुआ खेलना सामाजिक रूप से एक विकृति मानी जाती है क्योंकि बोला जाता है "जुआ किसी का न हुआ" इसकी यदि आदत लग जाये तो आदमी के कपड़े तक बिक जाते हैं। इसलिए जुआ एक बार खेलो या बार बार एक अभिशाप ही है। मैं इसका व्यक्तिगत रूप से बिल्कुल समर्थन नहीं करता 

मुझे कई महीनों से बहुत सारे सज्जन इसके लिए आग्रह कर रहे है तो इसलिए इस यंत्र की साधना दे रहा हूँ।

"गोपनीयता सफलता का मूल सूत्र है"

इस लिए प्रयोग को हमेशा गुप्त ही रखें।

दीवाली के दिन शुभ महूर्त में स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर 
अपने घर के देवस्थान या एकांत स्थान में  पूर्वाभिमुख होकर पहले देव पूजन करके धूफ दीप प्रज्वलित कर नैवैद्य इत्यादि समर्पित करें।

अपने सामने यन्त्र को किसी पटरी या चौंकी पर रखकर ही बनाएं ।

यन्त्र को बनाते समय बिल्कुल मौन धारण करें। और मन ही मन में दुर्गा नवार्ण मन्त्र पढ़ते रहें।


यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगंध की स्याही से अनार की कलम द्वारा बनाया जाएगा। सभसे पहले चित्र में दिए गए अनुसार 16 कोष्ठक वाला एक यन्त्र बना कर उसमें बढ़ते क्रम से अंक भरें इसी प्रकार सभी यंत्रों का निर्माण करें।

एक ही बैठक में 108 यंत्रों का निर्माण किया जाएगा और सभी को गेहूं के आटे की गोलियों मैं भरकर चुपचाप जल में प्रवाहित करें। 

और वापिस लौट कर एक यन्त्र और तैयार करें उसे सोने,चांदी या तांबे के यंत्र में भरकर उसपर लक्ष्मी जी का पूजन करें और लाल सूत्र में डालकर अपनी बायीं भुजा में धारण करें।

और पहनकर जब जुआ खेलने जाओगे तो निःसंदेह जीतोगे।

क्रिया पूरी होने तक मौन रहें।
यन्त्र धारण करने के बारे में किसी को भी नही बताना चाहिए वरना प्रयोग व्यर्थ चला जायेगा।





सोमवार, 17 अक्तूबर 2022

सैय्यद बिरहना पीर सम्पूर्ण सिद्धि


।। बिरगहना पीर साधना की साधना ।।


एक ऐसी शक्ति जो साए की तरह आपके साथ रहेगी और जो आपके प्रत्येक काम में  आपका साथ देगी आपको हर मुश्किल का हल मिलेगा आपको बुरे से बुरे समय से निकाल देगी।जो साधक दृढ़ संकल्प वाले हैं जल्दी से हार नही मानते और जो इस साधना को पूरा कर लेंगे उनका हर इक काम ये शक्ति बनाएगी आपके पास कौन आ रहा है कहाँ से आ रहा है उसकी समस्या क्या है उस समस्या का हल क्या है। 

हमेशा,सच्चे साथी की तरह साथ रहने वाले बिरगहना पीर की साधना अत्यन्त सरल है। पन्द्रह दिन की यह साधना करके, साधक, बलिष्ठ देव के समान पीर से कुछ भी काम करा सकता है। 

जिन साथ में गांव के हृदय में सच्ची श्रद्धा और विश्वास है उन्हीं के जीवन में चमत्कार होते हैं और यह चमत्कार लगातार होते रहते हैं आज जितने भी सफल साधक हैं इन्हीं सभी साधनाओं के कारण ही सफल है यह बात अलग है कि जब तक आप अपनी साधना को गोपनीय रखते हैं इतनी देर आप कामयाब रहते हैं और जब आप अपनी गोपनीयता को भंग कर देते हैं उसके साथ ही साथ आप की सिद्धि भी क्षय हो जाती है 

कई साधक इस साधना को 1 दिवसीय साधना भी बताते है हालांकि अगर कोई नया साधक इस साधना के लिए बैठे और उसको सफलता ना मिले तो मन में बहुत निराश होती है इस लिए ये सच जरूर समझ लीजिए कि ये साधना पूरे पंद्रह दिनों की है। एक दिन की समझ कर इसको करने की भूल ना करें।

जिस दिन ये साधना शुरू करनी हो उस दिन होली, दीपावली  दसहरा सूर्य ग्रहण होना चाहिए फिर लगा तार इस साधना को करना चाहिए। कोई भी साधना करो किसी भी ईष्ट की छोटी सी छोटी साधना भी करो लेकिन उससे पहले अपनी सुरक्षा का प्रबंध अवश्य करें क्योंकि जिस स्थान पर आप साधना कर रहे है उस स्थान पर शक्तियों का वास होता है ये जरूरी नहीं कि वो शक्तियां सौम्य हों वे शक्तियां हिंसक भी हो सकती है इस लिए जब भी साधना करें अपने शरीर को मंत्रो द्वारा बांध लें टंकी कोई भी शक्ति आपको कष्ट न पहुंचा सके।

रक्षा मन्त्र:-आयतल कुर्सी कच्छ कुरान अग्गे पिच्छे तू रहमान धड़ रखे खुद सिर रखे सुलेमान अली की दुहाई अली की दुहाई अली की दुहाई।

उक्त मंत्र को 108 बार जपने के बाद अपनी छाती पर 3 बार फूंक मार लें। आपका शरीर बंध जाएगा और कोई भी अज्ञात शक्ति आपको कोई नुकसान नही पहुंच सकेगी।

फिर सिद्धि मंत्र बिरहना पीर का जाप करें

मंत्र:- पीर बिरगहना धुं धुं करे ।
सवा सेर सवा तोसा खाय । 
अस्सी कोस धावा करे।।
 सात सौ कुतल आगे चले ।
 सात सौ कूतल पीछे चले ।।
 छप्पन सौ छुरी चले ।
 बावन सौ वीर चले ।।
 जिसमें गढ़ गजनी का पीर चले ।
 औरों की धंजा उखाड़ता चले ।।
 अपनी धजा टेकता चले ।
 सोते को जगाता चले बैठे को उठाता चले ।।
 हाथों में हथकड़ी गेरे। 
 पैरों में बेड़ी गेरे ।।
 हलाल माही खाये। 
 दिठ करें माही पीठ करे।।
  पहलवान नवी कूं याद करे ॐ ठः ठः ठः स्वाहा ।

साधना विधि- किसी ग्रहणकाल या होली की रात से ही, 
यह साधना प्रारम्भ की जा सकती और इसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। 

साधक एकान्त स्थान या एकान्त कमरे में ज़मीन पर स्वा हाथ चिकनी मिट्टी से गोल चौंका लगाये और स्वच्छ कपड़े पहन कर, किसी भी साफ सुथरे आसन पर साधना करें। 
अपने पास साफ पानी का पात्र,चमेली के सेंट, चमेली की अगरबत्ती, चमेली के फूल, हलवा व चमेली की फूलमाला भी रखें। लकड़ी के कोयले पर लोहबान का दखना जाप काल के दौरान चल ता रहेगा।
साधक का मुंह पक्षिम दिशा की और रहे पूरी साधना काल तक, मन्त्र जाप काल के दौरान तेल का दीपक जलाकर रखना अनिवार्य है। 

एक बार मंत्र बोल कर, अपने आसन के सामने, दीपक के पास, चमेली का एक फूल छोड़कर (रखकर) पूजन करें। दीपक की लौ-को हलवे का भोग लगाएं। 

पांच माला काले हकीक की माला से प्रतिदिन जाप करें 15 दिन। 

हर-माला जाप के बाद हलवे का भोग लगावे तथा चमेली का फूल चढ़ावे । बाद में माला को भी दीपक के सामने, अन्य फूलों के पास रख दें। 

इस प्रकार लगातार, बिना नागा के बिरगहना पीर की साधना करता रहे। 

साधना के अन्तिम दिन यानि, पंद्रहवें दिन पीर सशरीर प्रकट होकर साधक के सामने आये तो साधक को चाहिए कि वह बिना किसी भय के, पीर को चमेली की फूल माला पहना देवे तथा उसके हाथों में हलवा (कड़ाह-प्रसाद) भी दे दे। और वचनबंदी कर लें बुलाने का तरीका और कोई निशानी मांग ले  फिर उसी समय से बिरगहना पीर जीवन भर साधक का हम साया बन कर रहेगा।

साधना के नियमः- साधना में, ब्रह्मचर्य का पालन, शुद्धता, गुप्तता, निरन्तरता अनिवार्य है। 

इस साधना को सिर्फ और सिर्फ होली की रात्रि या ग्रहण काल में ही प्रारम्भ किया जा सकता है। अपनी मन-मर्जी से कभी भी नहीं । 

बाकी आगे साधक की मर्ज़ी होती है की वो अपनी समझ बूझ से पीर से आगे क्या और कैसे काम लेता है। 

रविवार, 16 अक्तूबर 2022

बिल्ली की ज़ेर का प्रयोग।।


।। मार्जारी तन्त्र ।। 

Specific Elimantel spell of cat's naval cord *

मार्जरी अर्थात बिल्ली सिंह परिवार का जीव है। केवल छोटा आकार का अन्तर इसे सिंह से पृथक करता है, अन्यथा यह सर्वांग में सिंह का लघु संस्करण है। प्रवृत्ति से हिसंक होकर भी यह जन्तु पालतू बन जाता है।

जबकि सिंह की स्वच्छन्दता और प्रचण्ड हिँसा भावना का दमन नहीं किया जा सकता। मार्जारी अर्थात बिल्ली की दो श्रेणियां होती है एक पालतू और दूसरी जंगली। जंगली बिल्ली को वन-बिलार कहा जाता हैं। यह आकार में पालतू बिल्ली से बड़ी होती है। 

जब कि घरों में घूमने वाली बिल्लियां छोटी होती है बन-बिलार को पालतू नहीं बनाया जा सकता, किन्तु घरों में घूमने वाली बिल्लियां पालतू हो जाती हैं। यह जीव काले रंग का होता है किन्तु सफेद, धारीदार, नारंगी, चितकबरी रंग की बिल्लियां भी देखी जाती हैं।

घरों में घूमने वाली मादा बिल्ली भी लक्ष्मी की कृपा कराने में सहायक होती है,विशेष रूप से काली बिल्ली की ज़ेर बहुत आधी यानी 100% कार्य करने में शक्षम होती है यह तन्त्र-प्रयोग दुर्लभ और कम ज्ञात होने के कारण सर्व साधारण के लिए बहुत ज्यादा लाभकर नहीं हो पाता। वैसे यदि कोई व्यक्ति इस माजरी-तन्त्र का प्रयोग करे तो निश्चित रूप से जातक के जीवन को लाभान्वित करता है।

गाय, भैंस, बकरी की तरह लगभग सभी चौपाए मादा पशुओं के पेट से, प्रसव के पश्चात झिल्ली जैसी एक वस्तु निकलती है। वस्तुतः इसी झिल्ली में गर्भस्थ बच्चा आवरित रहता है। बच्चे के जन्म के समय वह भी बच्चे के साथ बाहर आ जाती है। यह पॉलीथिन की थैली की तरह पारदर्शी, लिजलिजी, रक्त और पानी के मिश्रण से तर और देखने में घृणित होती है। सामान्यतः इसे आंवर या नाल और ज़ेर कहते हैं। 

इस नाल को तान्त्रिक साधना में बहुत महत्व प्राप्त है। सभी प्रकार की नाल का उपयोग बन्ध्यत्व ग्रस्त अथवा मृतवत्सा स्त्रियों के लिए परम हितकर माना गया है वो एक अलग तंत्र  प्रयोग है जिसकी बात फिर कभी की जाएगी वैसे, अन्य पशुओं की नाल के भी विविध उपयोग होते हैं। विषय विस्तार न हो, इसलिए यहां केवल मार्जारी (बिल्ली) की नाल का ही तान्त्रिक प्रयोग लिखा जा रहा है। जिन्हें सुलभ हो, इसका उपयोग कर लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकता है।

प्रयोग इस प्रकार है-पालतू बिल्ली पर निगाह रखें। जब उसका प्रसव काल निकट हो, उसके लिए रहने और खाने की ऐसी व्यवस्था करें कि वह आपके कमरे में ही बनी रहे। यह कुछ कठिन कार्य नहीं है, प्रेमपूर्वक पालतू बनाई गई बिल्लियां तो मालिक की कुर्सी, बिस्तर अथवा गोद में बैठी रहती हैं। उस पर बराबर निगाह रखें। जिस समय वह बच्चों को जन्म दे रही हो, सावधानी से उसकी रखवाली करें। बच्चों के जन्म के तुरन्त बाद ही उसके पेट से नाल (झिल्ली) निकलती है, प्रायः बिल्ली उसे खा जाती है। विरले ही उसे प्राप्त कर सकते हैं।

उपाय - जैसे ही बिल्ली के पेट से नाल बाहर आए, उस पर कोई बड़ा कपड़ा, कम्बल, टाट ,चादर अथवा धान की भूसी उसपर फेंक दें। आशय यह है कि उसे ढक दें। ढ़क जाने पर बिल्ली उस तुरन्त खा नही सकेगी। चूंकि प्रसव पीड़ा के कारण वह कुछ शिथिल भी रहती है, इसलिए तेजी से झपट भी नहीं सकती। जैसे भी हो, प्रसव के बाद उसकी नाल को उठा लेना चाहिए। 

फिर उसे धूप में सुखाकर उपयोगी बनाया जा सकता है। धूप में सुखाते समय भी सावधानी रखें। नहीं तो चील-कौए उसको उठाकर ले जाएंगे। तेज धूप में दो-तीन दिनों तक रखने से वह चमड़े की तरह सूख जाएगी। 

सूख जाने पर उसके चौकोर टुकड़े कर लें और उन पर हल्दी लगाकर रख दें। हल्दी का चूर्ण अथवा लेप कुछ भी लगाया जा सकता है। यदि लेप लगाया है, तो उसे फिर से सुखा लेना चाहिए। इस प्रकार हल्दी लगाया हुआ बिल्ली की नाल का टुकड़ा लक्ष्मी तन्त्र का अचूक घटक होता है।

तन्त्र साधना के लिए किसी शुभ मूहूर्त में, स्नान-पूजा करके शुद्ध स्थान पर बैठ जाए और हल्दी लगा हुआ नाल का एक सूखा हुआ टुकड़ा बाएं हाथ में लेकर मुट्ठी बन्द कर लें और लक्ष्मी, रुपया, सोना, चांदी अथवा किसी आभूषण का ध्यान करते हुए अपने सामने किसी लकड़ी की पटरी पर लाल कपड़ा बिछा कर उसपर रखकर इसकी धूफ डीप फल फूल पान मिठाई अक्षत हल्दी कुमकुम सिन्दूर गंध चंदन से पूजा करें 

इस नाल को जाग्रत करने के लिए सभी के अपने अपने अलग तरीके हैं एक मन्त्र यहाँ दे रहा हूँ। उसके बाद चंदन की माला से 5 माला 

यह मन्त्र जपें:- 'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं परा परमेश्वरि धन लक्ष्मी ममवांछित धनं देहि देहि स्वाहा।' 

इसके पश्चात उसे माथे से लगाकर अपने सन्दूक, अलमारी,पूजन स्थान, तिजोरी अथवा बैग जहां भी रुपये-पैसे, जैवर रखते हों, इसे वहीं रख दें। 

कुछ ही समय बाद आश्चर्यजनक रूप से श्री सम्पत्ति की वृद्धि होने लगती है। इस नाल-तन्त्र का प्रभाव विशेष रूप से धातु-लाभ (सोना-चांदी की प्राप्ति) कराता है।

यदि किसी के पास ऐसी नाल हो, तो वह उसका एक टुकड़ा किसी अन्य व्यक्ति को देकर उसे भी समृद्धि का मार्ग बना सकता है। 

तान्त्रिक सिद्धियाँ और मार्जरी तन्त्र:-
 जो साधक तंत्र के क्षेत्र में अभी नए है और एक सफल तांत्रिक बनना चाहते हैं जो चाहते हैं कि उनकी कोई साधना फेल न जाये तो निम्नलिखित कार्य करें। 

बरसेगा अकस्मात धन आपके जीवन में:-
किसी भी त्यौहार या पर्व पर उत्तम मुहूर्त देखकर स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर घर के किसी एकांत स्थान पर आम की लकड़ी से बनी हुई पटरी पर लाल वस्त्र बिछाकर पूर्वाभिमुख होकर बैठे और उस पर माता मातंगी का चित्र अथवा यन्त्र स्थापित करें और  वहां पर एक टुकड़ा चौकोर बिल्ली की नाल का काट कर रखें उसपर हल्दी और अक्षत चढ़ाकर चांदी के ताबीज़ /यन्त्र में भर लें रखें फिर उस पर देवी का आवाहन तथा स्थापन करें और तदन्तर धूफ दीप प्रज्वलित कर सामान्य पूजन करें पूजन कार्य में लाल रंग के फूलों का और पूजन सामग्री का प्रयोग करें लाल वस्त्र पहने और लाल ही आसन का प्रयोग करें जाप माला लाल चंदन अथवा मूंगे लाल हक़ीक़ अथवा कुमकुम की 108 दाने वाली होनी चाहिए ।

फिर शांत चित्त होकर 110 माला निम्नलिखित मंत्र का जाप करें। 
"उच्छिष्ट चांडालिनी मातंगी सर्ववशंकरि नमः स्वाहा।"

यकीन मानिए इसके उपरांत या यंत्र दैवीय ऊर्जा से संपन्न हो जाएगा इसके धारण करने के उपरांत साधक जो जो कार्य करेगा जिस जिस साधना के लिए बैठेगा वह सभी कार्य साधक बड़ी आसानी से सफलता पूर्वक सिद्ध कर लेगा। जिन साधनाओं को करने में साधकों को बहुत कठिनाई आती है उन साधनाओं को यन्त्र धारण करने के बाद आप आसानी से ही सम्पन्न कर लेंगे। आपको बड़े-बड़े स्तोत्र पाठ इत्यादि आसानी से कंठ हो जाएंगे आप कभी विद्या को भूलोगे नहीं और सभी कुछ कंठ होगा सभी स्त्री पुरूष आप की तरफ आकर्षित हो जाएंगे अज्ञात स्रोतों से धनलाभ आपको आकस्मिक रूप से होने लगेगा।

बहुत जल्द उत्तम वर प्राप्ति:-
बिल्ली की ज़ेर का प्रयोग इतना जबरदस्त है लेकिन बहुत सारे भाई बहन इसके पूर्ण प्रयोग से वाकिफ नही हैं हालांकि इसके बहुत सारे लाभदायक प्रयोग है जोकि कभी असफल नही होते। उक्त प्रयोग की ही तरह ये प्रयोग तब किया जाता है जब किसी लड़के अथवा लड़की का रिश्ता न आता हो या शादी ना होती हो तो ये बहुत लाभकारक होता है और कभी भी फेल नही होता हालांकि अपनी पालतू बिल्ली की खुद हासिल की हुई ज़ेर के प्रयोग कभी असफल नही होते लेकिन बाजार में मिलने वाली बिल्ली की ज़ेर के असली होने में संदेह रहता है इसके परिणाम भी कोई प्रमाणित नही होते अब बात करते है इस प्रयोग की किसी शुभ मुहूर्त में स्नान इत्यादि से निवर्त होकर पूर्वाभिमुख बैठकर अपने सामने आम की लकड़ी के पटड़े पर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर माता मातंगी का यन्त्र अथवा चित्र स्थापित करें उसके सामने काली बिल्ली की ज़ेर का एक चौकोर टुकड़ा काट लें और फिर धूफ दीप प्रज्वलित कर लाल रंग के पूजन द्रव्य द्वारा पूजा करे उसके उपरांत उसे चांदी के एक यंत्र में भर लें 
तथा निम्नलिखित मन्त्र का 11000 जाप करें 
"उच्छिष्ट चांडालिनी मातंगी सर्ववशंकरि नमः स्वाहा।"

फिर जिस लड़की या लड़के की शादी ना होती हो उसे पहना दें बहुत जल्दी आपको इसका परिणाम देखने को मिल जाएगा।

नौकरी मिलने और कारोबार चलने के लिए:-
जिस किसी व्यक्ति को नौकरी ना मिलती हो या जिसका कारोबार ठप्प पड़ गया हो वो भी उक्त विधि द्वारा लाल पूजन पदार्थों से देवी माता मातंगी का पूजन करके एक टुकड़ा बिल्ली की ज़ेर का चांदी के यंत्र में डाल कर कंठ में धारण करे तो नौकरी की इच्छा रखने वाले को नौकरी और ठप्प व्यापार वाले व्यक्ति का अतिशीघ्र ही भाग्योदय हो कर उत्तम आजीविका की प्राप्ति होती है। 

पदौन्नति के लिए के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है इसके इलावा जिस पति पत्नी में आपस में किसी गलतफहमी के चलते मनमोटाव हो गया हो या आपस से कुत्ते बिल्ली की तरह लड़ाई झगड़ा होता हो तो उक्त विधि के अनुसार मातंगी मंत्र का जाप करते हुए दो यन्त्रो का निर्माण करने के बाद दोनों को धारण करवाना चाहिए झगड़ा होना बंद हो जाएगा।

वशीकरण करे अचूक :- उक्त विधि के अनुसार ही पूजन करने के अनुसार एक चांदी की डिब्बी में हनुमान जी वाला सिन्दूर लेकर अपने सामने रखें और 11000 मंत्र का जाप करें तो ये सिन्दूर मन्त्र के प्रभाव से दैवीय शक्ति से संपन्न हो जाएगा ।

 साक्षात्कार के समय :- ललाट पर तिलक लगाकर व्यक्ति विशेष का ध्यान करते हुए उसके सामने जाएं अथवा सभा के मध्य जाएं सम्मोहन होगा और सभी साधक के वशीभूत हो जाएंगे।

परीक्षा में पास होने के लिए:-जो कोई विद्यार्थी परीक्षा में बार बार फेल हो जाता हो और तन्मयता से पढ़ाई करता हो लेकिन उसके उपरांत भी परीक्षा में असफल रह जाता हो तो उपरोक्त विधियों की ही तरह पूजन करें तथा बिल्ली की नाल के चौकोर टुकड़े पर ऐं बीज अनार की कलम द्वारा कुमकुम से लिखें फिर पूजन और जाप के उपरांत चांदी के यन्त्र में भरकर बच्चे के गले में डाल दें 100% निसंदेह परीक्षार्थी का परिश्रम खाली नही जाएगा।  
तकरीबन तकरीबन 20 से 30 प्रकार से ये बिल्ली की ज़ेर प्रयोग में लायी जाती है यहां तक कि कुछ एक सिद्धियों को प्राप्त करने में भी इसका प्रयोग होता है जैसे कि हाज़िरात में भी होता है कुछ दो चार उपाय आपको मैने ऊपर बताये हैं बाकी फिर कभी आपको बताऊंगा। आशा करता हूँ कि आपको ये जानकारी आपके जीवन में कहीं न कहीं मददगार साबित होगी 

ये बात विशेष रूप से याद रखें कि यदि इन प्रयोगों को करने के बाद आप प्रयास नही करते तो इन सभी वस्तुओं का कोई प्रभाव नही होता इस लिए जिस कार्य के निम्मित आप कोई भी तांत्रिक उपाय करो उसके साथ साथ आपको भौतिक प्रयास भी करने पड़ते हैं यदि कोई ये सोचे कि घर में बैठकर खाली तांत्रिक उपाय करें लेकिन खुद प्रयास न करे तो कोई लाभ नही मिलेगा

🙌 माता आदि शक्ति की कृपा आप पर रहे मेरी शुभ कामनाएं आपका कल्याण हो।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...