गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

झगड़ालू और बेशर्म औरत को ठीक करने का टोटका।

परिवार सदस्यों से निर्मिति होता है ऐसे सदस्य जिनका परस्पर सामंजस्य और मनोवैज्ञानिक रूप से तालमेल बैठता हो जो पारस्परिक आत्मिक स्नेह करते हों उसे ही सही मायने में परिवार कहा जाते तो कोई गलत बात नही होगी।

प्रत्येक पारिवारिक सदस्य का दूसरे सदस्य के प्रति एक लगाव और कर्तव्य होता है लेकिन कई बार परिवार में किसी ऐसे सदस्य का प्रवेश हो जाता है कि पूरे का पूरा घर खराब हो जाता है।

जब किसी अनजाने घर से आपके परिवार का रिश्ता जुड़ता है तो परिवार में एक complex आ जाता है और परिवार में कलह शुरू ये कलह यहीं समाप्त नहीं होता इस स्वार्थी दुनिया में कुछ लोग सिर्फ अपनी महत्वाकांक्षा को ही महत्व देते है जो कि इस बर्बादी की वजह बनता है।

Psychological complexion कोई ऐसा परिवार जो संस्कारित हो यदि उसमें कोई ऐसी पुत्रवधु आ जाये जो परिवार के न तो संस्कारों को माने और न ही अपने उत्तर दायित्व को तो परिवार का बिखरना निश्चित होता है ।

"अपने पेट की भूख तो सभी को लगती है" जो दूसरे का ख्याल न करे ऐसे व्यक्ति का जीना या मरना मायने नहीं रखता है आपको 100% नही तो 50% तो social  होना ही पड़ता है।

एक बात मैं बहुत वर्षों से observe  कर रहा हूं आज से कुछ वर्ष पहले दहेज प्रथा के लिए लालच वश वर पक्ष वधु पक्ष को प्रताड़ित किया करता था जो कि आज भी होता है लेकिन नारी के बचाव के लिए बनाए गए कानून का आज उसी प्रकार दुरुपयोग किया जा रहा है जैसे कि महादेव द्वारा वर प्राप्त असुर वर दान मिलने के बाद उन्मत होकर करते थे।

स्त्री संरक्षण कानून वास्तव में कही किसी हकीकत में प्रताड़ित नारी को बचाते हैं तो कहीं कहीं criminal mind लोगों द्वारा निर्दोष लोगों के प्रताड़ित होने का कारण बन जाते है ऐसी औरते का खुद पति के घर में बसती हैं और न ही तलाक़ देतीं है। 

कई औरतों को मैंने अपनी आंखों से उनके पतियों को धमकाते हुए कई बार देखा है "ना तो तलाक ही दूंगी और ही तुम्हारे साथ रहूँगी"। सारे कोर्ट्स के न्यायाधीश और वकील सभी कुछ जानते हुए भी बेबस हो जाते है क्योंकि भस्मासुर ने शंकर जी के वरदान तो पा ही लिया था। 

आप भी मेरी एक बात याद रखियेगा, "हाथी के दांत जब उसके मुंह से बाहर आ जाएं तो वो वापिस मुँह में नही जाते" 

तो उस समस्या को हल करने के लिए आपको एक सरल और छोटा सा लेकिन बहुत ही ज़बरदस्त टोटका बताने जा रहा हूँ जो कि आपके उजड़ते हुए घर को वापिस बसा देगा

शुक्लपक्ष के प्रथम शनिवार को प्रातःकाल आपको चुपचाप जहाँ लाजवंती,छुई मुई का पौदा लगा हो आपको जाकर उसकी जड़ में थोड़ा पानी दें फिर कलावा बांधे और उसकी जड़ में एक सरसों के तेल का दीया जलाकर उसी पौधे की जड़ में एक रुपया, हल्दी वाले चावल,एक सबूत सुपारी चढ़ाना है और आमंत्रित करने है और बोलना है कि हे लाजवंती मैं आपको निमंत्रण दे रहा हूँ कल आपको मेरे साथ चलकर मेरा काम करना है नही तो मैं क़यामत के दिन तेरा दामनगीर बनूँगा।

दूसरे दिन भोर अर्थात ब्रह्मवेला में आपको उठना है और लाजवंती के पौधे को चुपचाप जड़ से उखाड़कर अपने घर वापिस लौट आना है।

और उसकी जड़ को आपने कूट पीस कर उसकी सात छोटी छोटी सफेद चने के बराबर गोलियां बनाकर एक गोली खाने पीने में एक हफ्ता यानि सात दिन लगातार खिलाएं तो बदतमीज़ से बदतमीज़ और बेशर्म से भी बेशर्म औरत भी कुछ समय में आपन स्वभाव त्याग कर सीधे रास्ते पर आ जाती है।

इस प्रयोग के दौरान एक बात हमेशा याद रखना ये बात सभी को पता है कि राम नाम के इलावा इस जगत में कुछ भी शाश्वत सत्य नही लेक़िन वही राम नाम अंत में सहायक होता है। 

राम सत्य है सभी उसकी महिमा भी जानते है लेकिन उसे कोई नही जपता । ठीक उसी तरह कि जैसे फ्री में मिलने वाली ऑक्सीजन की कीमत कोई नही जानता जीवन का आधार वही है उसकी कीमत तब पता चलती है जब हस्पताल वाले ऑक्सीजन के सिलेंडर का बिल देना पड़ता है।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...