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मंगलवार, 1 नवंबर 2022

माता मैदानन को खुद शांत करें।

 माता मैदानन जोकि जो कि पूरे उत्तर भारत में पूजी जाती हैं ये देवी हर एक घर में पूजी जाती है और सभी की मनोकामना पूरी होती हैं। एक समय की बात है जब सबल सिंह बावरी पीर जंग में मुगलों के साथ लड़ रहे थे तो माता शाम कोर को उन्होंने मुगलों से बचाया और अपने साथ ले आए ।और उसके बाद वह और जंगल में शिकार करने चले गए जब माता मैदानन ने माता शाम कोर को अपनी चुनरी उड़ा दी उतने में बाबा सबल सिंह बावरी वापस लौटे तो क्या देखते हैं माता मैदानन अपनी खटिया पर बैठी हुई है जब माता मैदानन को उन्होंने तीन बार बहन संबोधन किया लेकिन जब देखा तो वह माता श्याम कौर थी तब सबल सिंह बावरी ने यह वचन दिया कि आज के बाद आप मेरी बहन हो और मैं आपकी हर तरह से रक्षा करूंगा। कुछ देर बार बाबा बावड़ी को कुछ दिनों बाद बाहर शिकार पर जाना पड़ा और उतने में मुगल श्याम कौर को ढूंढते ढूंढते वहां पर आ पहुंचे।और माता श्याम कौर को उठाकर के अपहरण करके ले जाने लगे इतने में मैदानन ने अपना इलम चलाया और इल्म से माता श्याम कौरके शीश को धड़ से अलग कर दिया देख कर के मुगल हक़के-बक्के रह गए और कुछ बनता ना देख कर के मुगल भागने लगे उनके धड़ को लेकर के लेकिन शीश उनसे छूट गया जब आगे जाकर कि उन्होंने देखा कि शाम कौर का शीश हमसे छूट गया है तो उन्होंने उनका संस्कार करना उचित समझा उतने से बाबा बावड़ी शिकार करके जब लौटते हैं तो माता मदानन उनको सभी वृतांत बताती है तो बाबा एक श्मशान में काम चांडाल का वेश धारण करके मुगलों के पहले शमशान में जाकर बैठ जाते हैं और इतने में मुगल आते हैं और उन्हें श्मशान में शाम कोर का संस्कार करने को कहते हैं बाबा बावड़ी इतने में बोलते हैं कि रात्रि में शव का अंतिम संस्कार इस धर्म में नहीं किया जाता यह सुनकर के सभी मुगल हक्के बक्के रह गए और धन देकर के बाबा को मनाने की कोशिश करने लगे काम बनता ना देख लो और सोना देने का प्रस्ताव रखा और बावरी पीर ने बोल दिया कि मैं सबका संस्कार कर दूंगा मुगलों के जाने के बाद बाबा बावरी ने मैदानन को बुलाया और माता मदानण ने अपने ईल्म से श्याम कौर का शीश छोड़ दिया । बाबा सबल सिंह बावरी माता मदानण से बहुत खुश हुए और बोले आज के बाद दोनों बहने थी रहोगी बाबा सबल सिंह बावरी ने माता मदानण को माता श्याम कौर की रक्षा करने के लिए भविष्य में रक्षा करने के लिए कहा और समय निकल जाने के बाद जब माता मैदानन की आयु पूरी हुई तो उनका देहांत हो गया अब वहां से नागा गुरु निकल रहे थे तो उन्होंने देखा कि प्रसिद्ध सबल सिंह की बहन का संस्कार हो रहा है जो कि श्मशान क्रिया उनका नित्य प्रति का कार्य था माता मदानण संस्कार हो रहा था तो उन्होंने उनकी चिता जगा ली जब उनको चिता को जगाया गया तो बाबा ने सवाल पूछे तो माता मदान वाली ने उत्तर में जवाब दिया कि मैं कच्चे में पक्के में छिले में मरगत में सूतक में पातक में छोटे के बड़े के नीच का भेद किए बिना सभी कार्य आपके करूंगी लेकिन हे गुरु जो आप देख लेते हो वही भेंट लूंगी तो दोस्तों वह भी बची की होती है।

***********।शांत करने के तरीके ।*****
1.कच्चे दूध में गंगा जल साधारण जल और थोड़े से बतासे और कुछ कच्चे चावल मिला करके माता को सींचने से माता शांत होती हैं ।
2. माता के थानों पर प्रतिदिन झाड़ू लगाने से माता की प्रकोप भी शांत हो जाती है।
3.गुरु गोरखनाथ की पूजा करने से माता का क्रोध शांत हो जाता है ।
4.नगर खेड़ा महाराज की सेवा करने से माता की ग्रुप शांत हो जाती है ।
5.प्रतिदिन कच्ची कड़ाही देने से माता की कॉपी शांत हो जाती है ।
6.घर में प्रातः काल सुबह उठकर के कच्ची लस्सी का छीटा मारने से माता शांत हो जाती है ।
7. 5 या 11 ईंटे लेकरके उनका (वादा गेहना)उठाने से माता शांत हो जाती है।
8.शीतला माता को सींचने से माता मदानण की कृति शांत हो जाती है ।
9.दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाने से माता शांत हो जाती है । 10.देवी भागवत करने से या पढ़ने से घर में माता शांत हो जाती है।
11.दहलीज साफ रखने से माता की कृति शांत हो जाती है 12.उतारा करने से माता शांत हो जाती है ।
*****शीतला माता मैदानन मशानी माता का शांति मन्त्र*****
(माई शीतला गधे सवारी नाल मदानण रानी।,
शीतल हो जा थाना वाली रोज़ चढ़ावां पानी।,
बाबा फरीद दीआन इस्माइल जोगी दी आन।,
आन तेनु तेरे गुरु गोरखनाथ दी।)
अधिक जानकारी के लिए व्हाट्सएप 8194951381 पर संदेश भेज सम्पर्क करें। आपकी पात्रता आपकी सोच पर आधारित होगी।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...