आज हर साधक वास्तविक और प्रमाणिक तंत्र मंत्र की साधनाओं की तलाश करता है हर आदमी को आगे बढ़ने के लिए किसी किसी शक्ति की सहायता की आवश्यकता होती है जिसको कभी नाकारा नही जा सकता ऐसी विधि जो अचूक हो भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए आदि काल से ही तंत्र एक बहुत उत्तम माध्यम रहा है भौतिक संसार के हर कठिन से कठिन कार्य को तंत्र मंत्र की युक्ति से कुछ ही समय में आसानी से सिद्ध किया जा सकता है
उचित कार्य में यदि तांत्रिक क्रियाओं का सहारा लिया जाए और बिना किसी प्राणी को कष्ट दिए अपने कार्य को सिद्ध कर लिया जाए तो कोई बुरी बात नही है कई बार वशीकरण एक दवा का काम कर जाता है जो आपसी पारिवारिक संघर्ष से सदस्यों को बचा देता है कम मात्रा में ज़हर भी दवा बन जाता है और अधिक मात्रा में जीवन रक्षक दवा भी प्राणघातक होती है
आपके कर्म आपने खुद के हाथों में ही होते हैं यानि आपका भविष्य आपके कर्मों पर पूरी तरह से निर्भर करता है
आज आपको एक ऐसे प्रयोग से अवगत करवाने जा रहा हूँ जो कि सिर्फ एक दिन में ही सिद्ध हो जाता है और इसके परिणाम कई बार प्राप्त किये गए हैं
बेशक बहुत सी पुस्तकों में यह प्रयोग दिया गया है लेकिन इसके बारे में वही साधक आपको जिसने इस प्रयोग को किया होगा इस प्रयोग में काजल तैयार किया जाता है और कई बार इसके सफलता पूर्वक परिणाम भी प्राप्त किये है
किसी भी पर्व काल को सभसे पहले अपामार्ग को एक सुपारी पैसा कुछ अक्षत और हल्दी से निमंत्रण दे दें फिर उसी रात्रि में इस मन्त्र को जपते हुए चुपचाप उस अपामार्ग' की टहनी तोड़ लाएं और घर के एकांत में सवा हाथ जमीन पर गाय के गोबर से गोल चौंका लगाए फिर उस टहनी पर रुई लपेट कर दीये में जलाएँ। उसके साथ एक जलपात्र रखें
11 फूल अड़हुल या गुलाब के धरें धूफ सुलगाएँ सेंट बतासा लौंग इलायची 7 प्रकार की मिठाई एक जोड़ा जनेऊ धरें तिल, सरसों के तेल में चमेली के तेल मिलाकर मिट्टी के दिये में जलाकर इसका काजल तैयार कर लें। जब तक काजल बनता रहे, मंत्र का जाप करते साधक के वस्त्र और आसान लाल होगें जबकि माला रुद्राक्ष की होगी जब तक दिया जलता रहेगा जाप करते रहें।
प्रयोग
जब भी आवश्यकता हो सात बार इस मन्त्र का जाप करके
इस काजल को नेत्रों में आंजें। इस प्रयोग से पूरा का
गाँव या शहर ही साधक के अनुकूलित हो जाता है।
मन्त्र :-
नमः पद्मनी ।
अञ्जन मेरा नाम ।
इस नगरी में बैठके मोहूं सगरा गाम ।
मोहु पनघट को पनिहार ।
इस नगर को छत्तीस मोहूं पवन बयार ।
जो कोई मार मार करन्ता आवे ।
ताही नरसिंह वीर बायां पग के अंगूठा ।
तले गेर आवे ।
राज करन्ता राजा मोहूं ।
गद्दी बैठा बनिया मोहूं ।
मेरी भक्ति गुरू की शक्ति ।
फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा ।