पूर्वांचल में सातों बहिन देवियों का नाम बहुत ही गर्व से लिया जाता है तथा शक्ति की पूजा सर्वाधिक की जाती है वहीं एक वस्तु बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण होती है कि भगति में बहुत अधिक पढ़ा लिखा होना जरूरी नहीं होता ये तो पराकाष्ठा होती है स्नेह और समर्पण की और व्यहार परिपक्वता की समर्पण की भावना साधक को भक्ति के चरम पर ले जाती है और व्यवहार परिपक्व होने पर साधक बुरे से बुरे समय में भी मार नहीं खाता ये दो गुण ही भगति का आधार बनते हैं और साधक को पार लगा देते हैं।
मुख्यतः काली और शीतला की पूजा अधिक क जाती है
और जिनके घरों में माता चमरिया भवानी पूर्वी भवानी फूलमती भवानी कोढिन माता आकाश कामनी माता परमेश्वरी माता सायर के स्वरूप में पूजा बहुतायत में की जाती है उसमें से कोई ना कोई देवी किसी ना किसी घर की पूजयमान होती हैं।
प्रत्येक देवी में अपनी अपनी शक्ति और अपने अपने गुण होते हैं धनधान्य बढ़ाने वाली ऐसी देवियां मां आदिशक्ति दुर्गा का ही सभी स्वरूप हैं हां इनमें गुण का अंतर हो सकता है देवी का स्वरूप वही होता है भगत अपनी श्रद्धा के अनुसार इनको सात्विक तामसिक भोग लगाते हैं जैसा जिसके घर में जो देवी पूज्य मान है वैसा ही उनको भोग लगाया जाता है।
यह शक्तियां क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग स्वरूप में पूजी जाती हैं चित्र के हिसाब से ही इनके नाम और इनका भोग और पूजन विधान बदल जाता है साल की शक्ति और भक्ति के अनुसार उसकी श्रद्धा के अनुसार उसके कार्य भी यह देवियां करती हैं।
यदि साधक का अपने इष्ट के प्रति दृढ़ विश्वास और सच्ची श्रद्धा हो तो कार्य अपने आप होने लग जाते हैं हां इन चीजों को साधने में समय अवश्य लगता है यह शक्ति के स्वरूप हैं अपरशक्ति होने के कारण साधक को इसे साधने में ज्यादा समय लगना आम सी बात है।
यहाँ मैं आपको फूलमती माता का एक ऐसा मंत्र बता रहा हूँ जो कि परीक्षित है और काम करता है आपके थोड़े से परिश्र्म की आवश्यकता होगी ये मंत्र आपको अवश्य लाभ देगा।
इस मन्त्र की साधना पूर्ण विधिविधान पूर्वक सच्चे मन से नवरात्रि में करे
फूलमती माता की इस साधना में जो सामग्री लगती है वो नीचे बता दी गई है
इस में मुख्य बात ये होती है कि घर के किसी भी शांत स्थान पर ज़मीन पे सवा हाथ का गोल चौंक लगाकर उसपर देवी के लिए 21 छोटे छोटे दीपक धरें फिर वहां गाय के उपले की आग पर देसी घी और गुड़ की अगियारी प्रतिदिन करें
निम्न मंत्र को एक एक माला बार शुबह शाम को जप करें
सात प्रकार की मिठाई और अनार या अड़हुल के फूल,सृंगार ,अत्तर, नारियल लपसी(हलवा) पूरी ,नौ दिनों में अंतिम दिन चढ़ा देने चाहिए
नित्य सबूत पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर दो जायफल और एक हरा नीबू काटकर उसपर कुमकुम लगाकर उसे देवी के आगे रखें।
प्रतिदिन पहिले देवी का फल फूल पान मिठाई चन्दन चावल धूफ दीप नैवैद्य से माता की पूजा करे
उसके बाद फुलमती माता का मंत्र का जप करे
गाँव के पच्छिम पीपरा के गाछ।
तापर ठाड़े करो सिंगार।
बत्तीस हाथ फूलमती भवानी ।
बांध बांध पर गुण बांध।
बांध भैंसासुर भूत मसाण।
बांधो टोनही।
बांधो गुनिया।
बांध डाकिनी।
बांध स्यारी।
बांधो ब्रह्म पिशाच।
माया तेरी गुण अपार।
आन गुण छुड़ाओ।
आपन गुण लगाओ।
दुहाई ईश्वर भोलेनाथ की।
दुहाई माता सातों बहिन भवानी की।
दुहाई हनुमन्त वीर की।
दुहाई नरसिंग वीर की।
दुहाई बाबा भैरों की।
आपका कल्याण हो 🙌