शनिवार, 9 जनवरी 2021

दाना ए सुलेमानी की सिद्धि

((दाना ए सुलेमानी हासिल करने का अमल))
दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसा अमल बताने जा रहा हूं जो अमल थोड़ा मुश्किल तो है क्योंकि इसकी पढ़ाई लंबी है और परहेजगारी से काम लेना पड़ता है लेकिन इसके बाद जो सिद्धि आपको प्राप्त होती है दुनिया में किसी और अमल या चिल्लाकशी या सिद्धि करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

आज मैं आपको दाना ए सुलेमानी सिद्ध करने का अमल बताने जा रहा हूं हालांकि यह अमल बहुत परहेजगारी का है लेकिन फिर इस से प्राप्त होने वाली शक्ति से आप कुछ भी कर सकते हैं।

ये अमल मुस्लिम धर्म का है खासतौर पर जो लोग मुस्लिम धर्म से हैं और अपनी नमाज को बिना नागा सही तरीके से पढ़ते हैं उनके पास यह अमल यह पढ़ाई जल्दी सिद्ध हो जाती है।

(((आप भविष्य आपके अपने हाथों में होता है आपकी कब्र का अंजाम आपके हाथों में होता है जो जैसा करेगा वैसा ही भरेगा।))

पढ़ाई को कामयाब करने के लिए नमाज और दरूद अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ये अमल पूरे चालीस दिनों का है लेकिन कोई गलती/कमी होने सी सूरत में इस चिल्ले दूसरी और तीसरी बार भी करना पड़ सकता है।

भोजन में( बिना मिर्च मसले ) हल्का खाना और दरिया का पानी पिएं। अपना भोजन खुद तैयार करें। परहेज़गारी आपके पहले चिल्ले को ही कामयाब बना देगी। ऐसा खाना जो आपके मुंह से बदबू पैदा कर दे कच्ची लहसुन प्यार जो प्याज हींग सिगरेट बीड़ी इत्यादि इस साधना काल में भर पूरी तरह वर्जित है।

जब आप के सामने मवक्किल हाज़िर हो और आप दाना के सुलेमानी उससे मांगे तो जब मवक्किल वापिस नही आता तब तक अपने कमरे में से बाहर नही जाना।

इस पढ़ाई के पूरा होने के बाद कोई भी जायज काम आप कर सकते हैं इस से कुछ भी करवा सकते हैं किसी गुमशुदा का पता लगा सकते हैं किसी मरीज के ऊपर से जिन जिन्नात का असर खत्म कर सकते हैं ऊपर की हवा को हटाने में यह बहुत कारगर है।

होने वाली बातों का आपको पहले से ही मुवक्किल के जरिए से पता चल जाता है। और किसी भी मुश्किल से निकलने का हल भी।

यह ऊंचे दर्जे की पढ़ाई है 

ये 41 दिनों की पढ़ाई है 
इस पढ़ाई में पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है इस साधना में कच्चा प्याज लहसुन मुह को दुर्गन्धित करने वाली  चीजें वर्जित है
साधना संबंधित नियमों का पूरी तरह से पालन इसमें करना पड़ता है। अगर आप बीड़ी सिगरेट पीते हैं तो अमल से एक हफ्ता पहले उसे छोड़ दें।
खिलवत अर्थात तन्हाई में ये साधनाएं की जाती है।
सभसे पहले यदि आप को पेट गैस की समस्या है तो पहले उस को ठीक करें। 
पूरी साधना और उसके बाद भी लघुशंका या मूत्रत्याग बैठकर ही करें और मूत्रत्याग करने के बाद इस्तिनज़ा जरूर करें ये आदत आपको पक्के तौर पर बनानी है।

फिर एक तन्हा कमरे का प्रबंध करें। उस कमरे में से फालतू समान निकाल दें। और लीप पोत/चूना इत्यादि करवा दें।

उस कमरे में चटाई बिछा कर पानी को किसी साफ बर्तन में भरकर अपने पास जरूर रखें।

पढ़ाई शुरू करने से पहले इत्र लोबान कोयला इकट्ठा खरीद कर रख ले ताकि आपको साधना में कोई परेशानी ना हो।

पहले दिन आप सफेद मिठाई के ऊपर फातिहा देकर मिठाई बच्चों में बांट दें

जब किसी भी महीने का नया चाँद हो जिसको नौचंदी बोला जाता है बुधवार/बृहस्पतिवार/जुम्मा या शुक्रवार की रात को पांचवीं नमाज के बाद वजू करें।

कोयले सुलघाकर आग तैयार करें और थोड़ा थोड़ा लोबान पढ़ाई के वक्त आग पर डालता जाए जिससे कि खूब सारी खुशबू उठती रहे अपने बदन और कपड़ों पर हिना का इत्र या  ऊद का इत्र जरूर लगाएं सिर को किसी साफ कपड़े से ढक कर पढ़ाई करें।

अल्थी पलथी मार कर पश्चिम की और रुख/मुहं करके बैठ जाएं और सभसे पहले 41 बार आयतल कुर्सी पढ़कर अपने हाथों पर फूंक दें और सीधे हाथ की index finger/अनामिका उंगली/शहादत की उंगली से अपनी चारों ओर हिसार के लिए इशारा करें।

                        ।।आयतल कुर्सी।।
       अल्लाहु ला इला-ह इल्लल्लाहु-वल हय्युल क़य्यूमु 
       ला तअ् खुज़ुहू सि-न तुंव-व ला नौम लहू मा         
       फि़स्समावातिं व मा फ़िल अर्ज़ि मन ज़ल्लज़ी यश्           फ़उ अिन-द-हू इल्ला बिइज़्निही यअ्लमु मा बै-न           ऐदीहिम व मा ख़ल-फ़ हुम व ला युहीतू-न बि शैइम         मिन अिल्मि ही इल्ला बि-मा शा-अ व सि-अ   
       कुर्सि-युहूस्समावाति वल अर्ज़ि व ला यऊदु हू 
       हिफ़्जुहुमा व हुवल अ़लीयुल अज़ीम

               ।।इब्राहीमी दरूद शरीफ।।
      अल्लाहुम्मा सल्लीअला महम्मदिवं व अला आले     
      महम्मदिवं कमा सल्ले त अला आले इब्राहिम व              अला आले इब्राहिम इंनका हमीदुम मज़ीद।
      अल्लाहुम्मा बारिक अला महम्मदिवं व अला आले   
      महम्मदिवं कमा बारिक त अला इब्राहिम व अला 
      आले इब्राहिम इंनका हामीदुम मज़ीद।


फिर आपको एक तस्बीह दरूद शरीफ पहले/अव्वल और अज़ीमत के बाद/आखिर में पढ़ें।

इस अज़ीमत को 1093 बार रोज़ाना पढ़ना है।

((अजीबु या सफ़राईलु बिहक़्क़ या समद या कयूमु या रब्बु।))

इस में आपको 30 दिनों के बाद रूहानी शक्तियों अपने आस पास होना महसूस हो जाएगा। 

एक बात का विशेश बात का जरूर ध्यान रखें पढ़ाई के वक्त मुवक्किल हाजिर होगा और आपसे यह अमल करने का कारण पूछेगा लेकिन आपने उसको जवाब-सवाल किए बिना अपनी पढ़ाई को जारी रखना है पढ़ाई पूरा करने के बाद ही उसे कोई कलाम करें या बातचीत करें।

जब तक आपकी पढ़ाई पूरी ना हो तब तक मवक्किल से कोई बातचीत नहीं करनी है पढ़ाई पूरी होने के बाद चाहे उस मुवक्किल को अपने साथ और रखने की शर्तें तय कर दें या उससे दाना सुलेमानी मांग लें अगर यह मुवक्किल समय से पहले आपके पास हाजिर होता है तो भी आपको 40 दिन की साधना करनी ही करनी है पढ़ाई को बीच में नहीं छोड़ना।

अमल के दौरान जो अनुभव आपको प्राप्त हो उसके विषय में आप किसी को नहीं बता सकते उस अवस्था में आपकी प्राप्त की हुई सभी शक्तियां स्वतः समाप्त हो जाएंगी।

दाना ए सुलेमानी सीधे तौर से हासिल नही होता बल्कि मवक्किल के जरिये से हासिल होता है। यह सफराईलू मुवक्किल दाना ए सुलेमानी का मुहाफिज मुवक्किल है।

जब ये साधना की जाती है तो पहले मवक्किल हाज़िर होता है आपकी मर्जी होती है कि आप मवक्किल को आपने साथ रखना चाहते हैं या उससे सुलेमानी दाना  हासिल करते हैं।

क्योंकि जब मुवक्किल आपके पास आता है तो आपसे पूछता है कि तुमने मुझे अपने पास क्यों बुलाया फिर आप चाहे आप उससे सुलेमानी दाना जिन हासिल करें या उसे ही अपने साथ रख ले शर्त तय होने के बाद आपको शर्त निभाना बहुत जरूरी होता है।

साधना पूरी हो जाने के बाद आप में इतनी ताकत आ जाती है कि कोई भी जिन्न या परी आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता। आप किसी भी मरीज के ऊपर से भूत प्रेत जिन्न चुड़ैल इत्यादि को हटा सकते हैं।

जैसा कि मैंने पहले बताया जब आप इस साधना को मना करने का मन बनाएं तो आप इस साधना को तीन बार करने के लिए तत्पर रहें क्योंकि मवक्किल कई कई बार जल्दी हाजिर नहीं होते।

दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास सफलता का सूत्र है।
इस साधना को करने के लिए उस्ताद /गुरु का होना जरूरी है वरना जान का खतरा भी हो सकता है।









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