मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

peace of goddess sheetla

Peace of Sheetla Mata.

Aadesh namo aadesh. 
indr ki pooji ..... indr maavai, 
krshn ki pooji krshn maavai,
baith dvaare maalee gaavai, 
neemdar pe jhoola jhoolo. 
dukh santaap mitaavai, 
duhaee teree naam kee. 
sheetal ban ja sheetal maayya,
Meri Aan gurudev ki aan. 
aan maan karataar ki. 
duhaee …………………….
 


Some parts of this mantra has been keeped safe.

Keep following all the rules related to Sitalamata.


 It is a big mistake to consider Sheetla's defect as simple defect or just smallpox.


But due to the wrath of Sheetla, the victim suffers in various ways. Many kinds of indirect problems also come in the life of the victim.


Along with the disease, there is a lot of discord in the house and lack of money and until no exact treatment is found, then torture is received in many cases, in many cases it is not known whether the person is suffering from shitla or not.


Many times a mistake has been made but Sheetal ji lives in secret and nobody pays attention to it.


In the house where the meat, fish, egg, etc. are consumed after the release of Sheetla, in that house, the goddess wakes up angry and wrath.


Good disposition transforms into bad disposition and there is discord in the house for twenty-four hours and at the moment there is no trouble.


The normal condition of the house becomes abnormal, the quiet environment is transformed into turbulence.


Cows buffalo die repeatedly in the house, even after consuming lakhs of animals, they do not understand their disease, animals do not get saved no matter how many medicines they get.


On the one hand, big businesses get dusty.


Sudden family deaths occur in the house.


Normally fruit flower trees also stop giving their fruit.  The crop does not normally shrub.


The best machinery also starts deteriorating once.


Time and again the wall clock and hand clock start to deteriorate due to no reason.


Electrical appliances suddenly start burning rotting one after the other.


As of now, there is no such system that can tell you that in such a time you will get rest.  This thing is very noticeable.  Cleanliness can be delayed according to faith and karma.


This is a very unusual and effective mantra. There is a special mantra for brushing smallpox. It is a very effective mantra.


First of all, on a Tuesday of Shukla Paksha, in good Muhurta, according to reverence to Shitla Mata give fruits, flowers, paan, betel nut, sweets, dish, squirt, incense, home argh, chant ten garlands remember that day you have to keep fast.  In this fast only sweet and cold food is to be served at night.


Then for the remaining ten consecutive days, chant each and every garland continuously.  After chanting 51 times, use home-grown ghee for home mother.


Do not apply soap oil, cream powder, st scented liquor or razor on your body during this practice.


This is an eleven day service.  In this, some times goddess should be starts coming in divotee's body


Everyday, go to the place of  mother and offer raw lassi (unboiled milk diluted in water it shall be 1:10)  And a handful of gram lentils should be soaked in the water whole night and then offered in the morning on the second day.


The day you have to complete the service, make a dumpling with a quarter of a kilo of wheat flour at night and soak a gram of lentils.  On the next morning, give it to the place of Mata ji.


Go to Mata ji's place (sthan) before sunrise on the last day and do a clean cleaning.


Put the mother's place (sthan)with raw lassi and light the light, yes if you get some flowers then it will be better.

After that, burn cow dung cake / kande / goetha made from cow dung to make ember.  Then, near the place of Mata ji, place one and a quarter hands on the ground with cow dung.  Place the ember in the middle of it and keep a vessel of water near it.


Then burn the mustard oil lamp near it, then home the mustard oil on it, as soon as the fire enters, take off the reverse water from the clockwise direction seven times, then put that water somewhere else.  , Sesame, camphor and h can also use Malpue and Dumpling.


While chanting 107 times, give one sacrifice on each mantra and give the last sacrifice of whole piace of dried coconut.


 You can also worship seven girls on the last day.


This mantra will be proved, then whenever a patient comes to you suffering from Sheetla, this mantra works in many ways.


Twenty-one times read the mantra and brush it with a neem tree.


You can also make a taaga, but it should be a thread of blue raw cotton. A seven-knot thread, which is recited after reciting the mantra seven times over each knot, is very effective.


After reading 51 times, the patient gets relief from that poison.


Cleanliness should be specially taken care of completely.


You should consult a scholar in this matter.


After the practice of the above mantra, you too will be able to convince the mother.


 There is a great need to avoid eating and drinking in such a patient, and in the behavior


 By the way, from the medical point of view of the doctor, this enteritis is called.  In such a situation, if the disease is more, then you should consult a doctor.



 For more information, you can contact my email drvijaykumarshastri@gmail.com.

शीतला माता की शांति।

शीतला माता की शांति।

ॐ नमो आदेश।
इंद्र की पूजी.....इंद्र मनावै,  
कृष्ण की पूजी कृष्ण मनावै,
बैठ द्वारे       माली  गावै, 
नीमडार पे    झूला झूलो।
दुख सन्ताप मिटावै, 
दुहाई तेरे नाम की।
शीतल हो जा शीतल मईया । 
मेरी आन   गुरुदेव की आन। 
आन मान         करतार की।
दुहाई ......................…की।

।। इस मंत्र के कुछ अंग सुरक्षित रख लिए गये है।।

।।शीतलामाता से संबंधित सभी नियमों का पालन करते रहें।।

शीतला के दोष को साधारण दोष समझ लेना या सिर्फ चेचक समझ लेना बहुत बड़ी भूल है। 

अपितु शीतला के कोप होने पर विभिन्न प्रकार से पीड़ित को कष्ट मिलते है।कई प्रकार के अप्रत्यक्ष रूप से कष्ट भी पीड़ित के जीवन में आ जाते हैं।

रोग के साथ साथ घर में कलह का वास और धन की कमी बहुत अधिक हो जाती है और जब तक कोई सटीक इलाज नहीं मिलता तब तक बाहत यातनायें मिलती है बहुत सारे मामलों में तो सालों तक यही पता नही चलता कि जातक शीतल से पीड़ित है या नही।

कई बार कोई गलती हो जा ने पर  शीतल  जी गुप्त रूप से वास करती है और किसी का इस तरफ ध्यान ही नहीं जाता।

जिस घर में शीतला निकलने के उपरांत मांस मछली शराब अंडा इत्यादि पदार्थों का सेवन होता है उस घर पर माताजी रुष्ट होकर कोप कर देती हैं।

सुमति कुमति में परिवर्तित हो जाती है और घर में चौबीस घंटे कलह रहती है पल में बिना बात के क्लेश हो जाता है। 

घर की सामान्य स्थिति असामान्य हो जाती है शांत वातावरण अशांति में परिवर्तित हो जाता है।

घर में पाले हुये गाय भैंस बार-बार मर जाते है लाख जतन करने पर भी उनका रोग समझ नहीं आता  पशु बच नहीं पाते चाहे कितनी भी दवा करा लो।

एका एक चलते हुए बड़े से बड़े कारोबार धूल धूसरित हो जाते है।

घर में अचानक पारिवारिक सदस्यों की एक के बाद एक मौतें होने लग जाती है।

सामान्य रूप से फल फूलों के वृक्ष भी अपना फल फूल देना बंद कर देते हैं। फसल सामान्य रूप से झाड़ नही देती।

बढ़िया से बढ़िया मशीनरी भी एका एक बार बार बिगड़ने लग जाती है।

बार बार घर की दीवाल घड़ी और हाथ घड़ी बिना कारण से खराब/बन्ध होने लगती हैं।

बिजली के उपकरण अचानक से एक के बाद एक सड़ने जलने लग जाते है।

अभी तक कोई ऐसा तंत्र नहीं है जो कि आपको यह बता दे कि इतने समय में आपको आराम आ जाएगा। यह चीज बहुत ध्यान देने वाली है । साफ सफाई श्रद्धा और कर्म के अनुसार फल मिलने में देरी हो सकती है।

यह बहुत आसाधारण और प्रभावशाली मंत्र है चेचक का झाड़ा लगाने के लिए विशेष मंत्र है।बहुत प्रभावशाली मंत्र है ।

सबसे पहले शुक्ल पक्ष के किसी मंगलवार को अच्छे मुहूर्त में शीतला माता को श्रद्धा अनुसार फल, फूल, पान,सुपारी, मिठाई, पकवान, धार, धूप, होम अर्घ दें दस माला जाप करें याद रखें उसदिन आपको उपवास रखना होगा। इस उपवास में केवल रात्रि को मीठा और ठंडा भोजन करना है। 

फिर बाकी दस दिन लगातार एक-एक माला जाप नित्यप्रति करें। जाप के बाद 51 बार देसी घी से होम माता जी के लिए करें ।

इस साधना दौरान अपनी देह पर साबुन तेल क्रीम पाउडर सेंट सुगंधित द्रव्य या उस्तरा नही लगाना।

ये ग्यारह दिन की सेवा है। इसमें प्रायः कई बार भगत के सिर पर माता का भाव भी आने लग जाता है।

प्रतिदिन कच्ची लस्सी माता के स्थान पर जाकर चढ़ानी है। और एक मुठी चने की दाल रात में भिगोकर रखनी है फिर दूसरे दिन सुबह चढ़ानी है।

जिस दिन सेवा पूरी करनी हो एक दिन पहले रात्रि में सवा किलो गेहूं के आटे से गुलगुले माल पुए बना ले और पाव भर चने की दाल भिगोकर रख दें। दूसरे दिन सुबह ये माता जी के स्थान पर चड़ा दें।

अंतिम दिन सुबह सूर्योदय से पहले माता जी के स्थान पर जाकर बढ़िया से साफ सफाई करें।

माता जी के स्थान को कच्ची लस्सी से स्तान करवाकर दिया बत्ती जलाएं हां अगर कुछ फूल मिल जाएं तो और अच्छा रहेगा। 

उसके उपरांत गाय के गोबर से बने उपले/कंडे/गोइठा को जलाकर अंगार बना लें। फिर माता जी के स्थान के पास ही सवा हाथ जमीन पर गोल चौंका गाय के गोबर से लगा दें। उसके मध्य में अंगार रखकर और उसके पास ही जल का एक पात्र रखें। 

फिर सरसों के तेल का दीया पास में जला दें फिर उसपर सरसों के तेल का होम करें अग्नि प्रवेश होते ही सात बार घड़ी की दिशा से उल्टा जल उतारें फिर उस जल को कहीं अलग डाल दें आप होम में हवन सामग्री,लौंग, बतासे,जौं, तिल,कपूर और ज मालपुए और गुलगुले भी प्रयोग कर सकते है।

107 बार मंत्रोउच्चारण करते हुए प्रत्येक मन्त्र पर एक आहुति दे और अंतिम आहुति सूखे नारियल की दें।

आप अंतिम दिन सात कन्याओं का पूजन भी कर सकते है।

यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा फिर जब भी कोई रोगी शीतला से पीड़ित आपके पास आए तो यह मंत्र कई प्रकार से काम करता है।

इक्कीस बार मन्त्र पढ़कर नीम की डाली से झाड़ दें।

आप तागा भी बना सकते हो लेकिन वह नीले रंग का कच्चे सूत का धागा होना चाहिए सात गांठ वाला ऐसा तागा जिसकी एक एक गांठ के ऊपर सात सात बार मंत्र पढ़कर फूंका गया हो बहुत प्रभावशाली होता है।

भभूत 51 बार पढ़कर देने पर उस भभूत से भी रोगी को आराम आ जाता है। 

साफ सफाई का विशेष तौर पर पूर्ण रूपेन ध्यान रखना चाहिए।

इस विषय में आपको किसी विद्वान से परामर्श लेना चाहिए।

उपरोक्त मन्त्र की साधना के बाद आप भी माता जी को मना लेने में सक्षम हो जाएंगे।

ऐसे रोगी के खाने पीने में और आचरण विचरण में और कहां पान में बहुत परहेज की आवश्यकता होती है 

वैसे तो चिकित्सक से चिकित्सा की दृष्टि से यह आंत्रशोथ बोला जाता है । ऐसे में अगर रोग अधिक हो तो आपको चिकित्सक से परामर्श आवश्य लेना चाहिए।


अधिक जानकारी के लिए आप मेरे email drvijaykumarshastri@gmail.com पे संपर्क कर सकते हैं।



गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

Sidh Aasan Mantra

       
         The mantra of Siddha Aasan.
 
My regards and greetings to the siblings, today I have brought for you a Aasan mantra, who have come to the field of meditation, new sadhaks who do not have a guru yet, such new sadhaks should know that without any posture mantra, 

there is no attainment in any spiritual practice.  

Therefore first of all the sadhak should complete the Asana Mantra.

Whenever you enter the Tantra region, then first of all make Guru and get Guru Diksha.
 
Worship Guru Mantra for at least six months.
 
Keep fasting for your favorite, this will start running spiritual energy in your body.

You will not face any difficulty in achieving achievements.

This asana mantra is very ancient and self-perfected asana mantra, it has been used since ancient times.
 
When you are sitting on your seat after chanting these mantras, the Shudra powers and ghosts, even the petty gods, will not interfere with any of your work.

Although the chanting mantra of this Asan mantra  is self-proven, but even if a garland is done during Holi, Deepawali and Eclipse period, it becomes very powerful.

Asana mantra is also mentioned in the scriptures, but it is Gurmukhi mantra and its effect is immediate.

When the sadhak gets in the habit of continuously performing the ritual of this mantra, that is, whenever the seeker sits and salutes the posture with this mantra, then after sitting on the posture, his aura and image will be different and means the soul of the seeker and  The body will be filled with divine powers.
 
Remember this is not a bookish mantra, it is a mantra received from the Guru and its effect is immediate.

Different types of rugs are used in various different practices. 

Some sadhanas are performed on the mrigchala, but the black blanket posture is always appropriate and good.

Any negative energy generated by spiritual practice will not affect your body and mind.

I am going to tell you an easy mantra, remember it when you get time and whenever you start doing some meditation, before reciting the mantra 11 times before laying the posture and sitting on the pedestal.

Mantra is herein below:-
Sat namo aadesh guruji ko aadesh. 
Aasan brahma aasan indr, 
Aasan baithe guru govind, 
aasan baithe japiye jaap,  
koti janm ke utare paap, 
Aasan baithe singhaasan baithe, 
baithe gur kee chhaaya paanch talle, 
aasan par baithe guru ne shabd bataaya, 
jo jaane aasan jaap usaka mukh dekhe utare paap, 
jo na jaane aasan ka jaap usaka mukh dekhege laagey paap, 
kaho santo ham guru ke daas, 
Krega so bharaga bhagaton ki raksha gorakh jatee karega.
itana aasan jaap poorn bhaya, 
sat ki gaddi baith gurugorakh jee ne kaha, gurooji ko aadesh aadesh aadesh ..






 ...  

मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

Sulemani Shaam kaur Shedo Sadhana

(Parts of this mantra are kept secret)

om namo aadesh guru ko.
tel too taan maha tel. 
shyaam kaur shedho mohini. 
dikhaade aapane ilm ka khel, 
raaja mohi paraja mohi sakal ........ dee 
baees sau khvaaze mo .................... moheen. Thokar maare munh jale. 
baithee hai baithee kee liyaee. 
khadee hai bua ko bulai. 
paireen pa de bedee. 
hattheenko janjeer ....... 
hazir kar maan shedho shyaam kaur dikhaade aapake ilm ka khel. 
duhaee baabe sabal singh ki. 
duhaee naage guruon ki. 
duhaee baabe astabalee peer ki. 
duhai peer fareed kee.


 The above mantra is a Gurmukhi mantra and portions of it are preserved.

 All the Gurmukhi mantras of this type are tampered with by their letters and the spells become inferior and never work.

 If a seeker is to be successful in life, then such secret mantras that are given by the Guru should be practiced with patience once in life.

 In this, one gets the vision of Mata Shyam Kaur Sheedho and then the seeker has the power to captivate and break.

 Wherever you are, wherever you are, no matter what the job is of the court, or whatever work you do, it does not stop immediately after perfecting this mantra.

  I have very good experiences of this mantra in my own life too, and after using it many times, there was never any disappointment in life.

 In this sadhana, the seeker has to come out of the secluded room only after 40 days or leave at night and if he does not see the face of any other person, then the seeker gets darshan of the mother Sham Kaur.

 The second way to prove this mantra is to tell different remedies for those who are not able to tolerate such restrictions, seekers, siblings, chant 10 mantras of this Mantra at a lonely place at midnight, after this, on providing home enjoyment etc. for the Goddess.  Devi's blessings are obtained, it has to be done for 41 days respectively.

 Ladoo Barfi Peda jasmine flowers or rose flowers St. Sixteen Singar water coconut cloves betel nut and sweet paan have special significance in Bhog.

 When the seeker starts this cultivation in the beginning, then on the second day itself, its special effects and symptoms start to become evident. Different types of strengths make themselves felt. The seeker starts transmitting different powers and he becomes a  There is a touching moment.

  What I mean to say is that whenever you start this ritual you start here, then there are many experiences in it, in dreams and in reality there are different types of experiences during the Jap period.

 The seeker has to renounce his sense of pleasure, only the seeker and the restrained seeker can get the blessings of this goddess, if a man of luxuriant instinct does not do it then it is a good thing because his fall is decided by this practice.

 The name of this goddess is very much, it is served for 41 days and that too in a closed room.

 Taking a large pot, he has five leaves of seven kinds of fruits, seven kinds of flowers, as well as bathing in seven nalas / rivers with water and water containing all medicines, and is chanted at midnight.

 At the place of chanting, where you will perform the ritual, a red woolen or red blanket posture should be applied.

 A lamp of unbroken spleen oil should be kept burning in front of you and at the same time a lamp given to mustard oil should also go on during chanting.

 Keep the environment fragrant, incense sticks, etc. should be kept running, and give up cigarette bidi etc. completely.

 Use fragrant flowers in worship and abandon violence, anger, greed etc.

 Do the experiment as secretly as possible and do not lecture it to anyone, do not share any experience with anyone.  Whether that experience is a good experience or a terrible experience.

 If you have a terrible experience, take a little mustard oil and a little black spleen off the top of your head 7 times and surrender it to Lord Shankar's Pindi.

 Fearful experience or showing terrible images is a sign that your experiment is being successful, so do not be afraid to complete this experiment.

 The day you start this experiment, on the same day you should understand that you are the elixir for 40 days, that is, you cannot go anywhere in happiness.

 In this, it is not right to read people with weak heart who have complained of heart attack.

 Those who have less body hair, less power of mind or suffer from any disease, or a person who is scared soon, should never perform this ritual.

 In this, fasts are kept in the name of Mata Shyam Kaur Shedo.

 The items which are used in the cultivation period, where after completion, those items are taken off and hung in a nail and then the other clothes are worn.

 This experiment is not being completed.

 To take complete experiment, contact me on my email drvijaykumarshastri@gmail.com.

सुलेमानी शेढो श्याम कौर मोहिनी।



सुलेमानी श्याम कौर मोहिनी।

ॐ नमो आदेश गुरु को।
तेल तू तां महा तेल।
श्याम कौर शेढो मोहिनी।
दिखादे आपने इल्म का खेल, 
राजा मोहीं परजा मोहीं 
सकल........ दी बाईस सौ ख़्वाज़े मोहीं
....................मोहीं।
ठोकर मारे मुँह जले।
बैठी है बैठी की लियाई।
खड़ी है खड़ी को बुलाई।
पैरीं पा दे बेड़ी।
हत्थीं घात जंजीर .......
हाज़िर कर मां शेढो श्याम कौर 
दिखादे आपके इल्म का खेल।
दुहाई बाबे सबल सिंह की।
दुहाई नागे गुरुओं की।
दुहाई बाबे अस्तबली पीर की।
दुहाई पीर फ़रीद की।

(इस मंत्र के कुछ अंश गुप्त रखे गए है )

उपरोक्त मंत्र एक गुरमुखी मंत्र है और इसके अंश सुरक्षित रखे गए हैं।

इस प्रकार के जितने भी गुरमुखी मंत्र होते हैं उनके अक्षरों के साथ छेड़छाड़ करने से मंत्र शक्ति हीन हो जाते हैं और कभी काम नहीं करते।

साधक को जीवन में सफल होना हो तो ऐसे गुप्त मंत्रों की जोकि गुरु प्रदत्त हो जीवन में एक बार धैर्य के साथ साधना कर लेनी चाहिए।

इसमें माता श्याम कौर शेढो के दर्शन प्राप्त होते हैं और फिर साधक के पास वशीकरण करने और तोड़ने की शक्ति आ जाती है।

आप कहीं भी हो साध्य कहीं भी हो, कैसा भी काम हो कोर्ट कचहरी का, या कैसा भी कोई भी काम हो इस मंत्र को सिद्ध कर लेने के बाद नहीं रुकता और फौरन हो जाता है।

 मेरे अपने जीवन में भी इस मंत्र के बहुत उत्तम अनुभव हैं और कई बार प्रयोग करने के बाद जीवन में कभी भी निराशा हाथ नहीं लगी।

इस साधना में साधक को एकांत कमरे से 40 दिन के बाद ही बाहर आना है या रात्रि में ही निकलना है और किसी दूसरे व्यक्ति का मुंह नहीं देखना तो साधक को मां शाम कौर के दर्शन प्राप्त होते हैं।

दूसरा तरीका इस मंत्र को सिद्ध करने का यह है जो साधक भाई बहन इतनी बंदिश बर्दाश्त नहीं कर सकते उनके लिए अलग उपाय बताता हूं इस मंत्र को मध्यरात्रि में एकांत स्थान पर 10 माला जाप करें उसके बाद देवी के निमित्त होम भोग इत्यादि प्रदान करने पर इस देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है इसे क्रमशः 41 दिन तक करना होता है।

भोग में लड्डू बर्फी पेड़ा चमेली के फूल या गुलाब के फूल सेंट सोलह सिंगार पानी वाला नारियल लौंग सुपारी कलावा और मीठे पान का विशेष महत्व है।

जब साधक शुरू में इस साधना को प्रारंभ करता है तो उसको दूसरे तीसरे दिन ही इसके विशेष प्रभाव और लक्षण स्पष्ट होने लग जाते हैं भिन्न भिन्न प्रकार की ताकतें अपने आपको महसूस करवाती हैं साधक के ओतप्रोत विभिन्न शक्तियों का संचरण होने लग जाता है और वह एक मार्मिक पल होता है।

 मेरे कहने का तात्पर्य यह है जब भी आप इस अनुष्ठान को स्टार्ट करते हैं यहां आरंभ करते हैं तो इसमें अनुभव बहुत होते हैं सपने मैं और वास्तविकता में जाप काल के दौरान भिन्न भिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं।

साधक को अपने इंद्रिय सुख का त्याग करना पड़ता है त्यागी और संयमी साधक ही इस देवी का आशीर्वाद पा सकता है भोगी विलासी प्रवृत्ति का आदमी इसे ना करें तो अच्छी बात है क्योंकि उसका पतन होना इस साधना से तय होता है।

इस देवी का नाम ही बहुत है इसकी सेवा 41 दिन की होती है और वह भी एक बंद कमरे में।

एक बड़ा सा मटका लेकर उसने सात प्रकार के फलों के पांच पांच पत्ते, सात प्रकार के फूल, और साथ ही सात नलों/नदियों का पानी और सर्व औषधि युक्त जल से स्नान करके अर्ध रात्रि में ही जाप किया जाता है।

जाप के स्थान पर जहां आप अनुष्ठान करेंगे पूर्वाभिमुख लाल ऊनी या लाल कंबल का आसन लगाना चाहिए।

आपके सामने अखंड तिल्ली के तेल का दीपक जलता रहना चाहिए और साथ ही सरसों के तेल का दिया वह भी जाप के दौरान चलता रहना चाहिए।

पर्यावरण को सुगंधित रखें धूप अगरबत्ती इत्यादि  चलते रहने चाहिए  सिगरेट बीड़ी इत्यादि के नशे को पूर्णतया त्याग दें।

सुगंधित फूलों का पूजा में प्रयोग करें हिंसा क्रोध लोभ इत्यादि का परित्याग करें।

यथासंभव प्रयोग को गुप्त रूप में करें और किसी से भी इसका व्याख्यान ना करें, कोई भी अनुभव किसी से साझा ना करें। चाहे वह अनुभव कोई अच्छा अनुभव हो या भयंकर अनुभव हो।

अगर आपको भयंकर अनुभव आए तो थोड़ा सरसों का तेल और थोड़ी काली तिल्ली लेकर अपने सिर के ऊपर से 7 बार उल्टा उतार कर भगवान शंकर की पिंडी  पर समर्पित कर दें।

भयंकर अनुभव या भयंकर छवियां दिखना इस बात की ओर इशारा है कि आप का प्रयोग सफल हो रहा है अतः डरे ना इस प्रयोग को पूरा करें।

जिस दिन यह प्रयोग आप शुरू करें उसी दिन आप समझ ले कि आप 40 दिन के लिए अमृत हो यानी कि कहीं भी खुशी गमीं में आप जा नहीं सकते।

इसमें कमजोर हृदय वाले मनुष्य जिनको हृदयाघात की शिकायत हो उनका पाठ करना सही नहीं रहता।

जिनके शरीर का बाल कम हो जिसके मन का बल कम हो या किसी भी बीमारी से ग्रसित हो या जल्दी ही डर जाने वाले मनुष्य को कभी भी यह अनुष्ठान नहीं करना चाहिए।

इसमें माता श्याम कौर शेडो के नाम से लगातार व्रत रखे जाते हैं।

जिन वस्तुओं का उपयोग साधना काल में होता है उन वस्तुओं को जहां पूरा होने के बाद उतार कर एक कीली में टांग दिया जाता है और फिर दूसरे वस्त्र पहन लिए जाते हैं।

इस प्रयोग को पूरा नहीं दिया जा रहा।

पूरा प्रयोग लेने के लिए मेरे ईमेल drvijaykumarshastri@gmail.com पर संपर्क करें।





रविवार, 19 अप्रैल 2020

Speed ​​up all stalled means.


            
          
          Speed ​​up all stalled means.

○ This problem comes many times in the life of the seekers, even after relentless efforts on the spiritual path, many times frustration is felt and they fail in cultivation, especially for them, this aspect of the Goddess has been highlighted in the form of spiritual practice.  is.

○Occupational obstacles or domestic hurdles of a person come to a halt due to occupation and in the end everything is a panacea for destroying those obstacles. This is the form of the Goddess, after its practice, there is no obstacle in the path of a seeker.

○ Due to being in the Tantra field for many years, many times someone says that Gurudev our work was complete, our work was going to be done.  Eventually, that work failed.

○  So many times I have heard such things, due to some, the factory is closed or some other business, such problems come to life.

○  Somebody's business gets stalled due to running, after study it is found that there is no system constraint on them.  But if the planet is born or there is a defect of the place, then to solve them all, first of all it is necessary to classify it. First of all, you should see where the problem is and when you will know the problem, then there is no delay in getting treatment.  Looks and seems to be done, classify in this way.  So in

○ There are personal, local, planetary and many other types of bonds that make a person suffer.  And even after performing many types of worship laws, he does not get liberation.

○ Sometimes this pain is planetary, sometimes it is localized.  It needs to be analyzed.  In the end, even when you conclude, it still needs to be diagnosed.

○ Such a diagnosis is made by different types of experiments.  These methods can be of different types and also take time.

○ Today I am going to tell you about the practice of a form of Bhagwati Parambashakti, which is also mentioned in the Puranas, but in today's time we are becoming alienated from our scriptures, so we do not have that much knowledge only in Indrajal or Tantra.  The scriptures and the details of these mantras are not only in the scriptures, but the Vedas and Puranas also have a complete description of this.

○ When the work goes wrong again and again, even after a lot of effort, your work is not made or in the last minute, the work is disturbed, then it needs to be studied deeply and analyzed so that you can diagnose it.

○ Once in life, if this form of Goddess is worshiped and purification is completed, then your stalled work starts to be made immediately.  And you get rid of problems completely.
 

○Even if you worship any other form of the Goddess, even if once you complete the ritual of Tavrita Bhagwati once in life, then the other forms in which you are worshiping the Goddess.  They also show favor on you

○ There are also two distinctions of their forms: Tverita and Upper tverita. I tell you here today about the cultivation of the Goddess Tevarita and her mantra and the method of that mantra.

○frist mantra: -Om hreen hun khechachhe ksh: streen kshe hreen phat.

○second manyata:-Om hreen kleen hreen shreen tvarita devyai hoon shreen hreen kleen kl om choo.

○The number of priests of both the above mentioned mantras is 1.25 lakh mantras and the tenth part of the fire has to be done.

○ If you find this chant a little difficult, then you can get this purification done by a learned Brahmin as well.

○ You can start this practice with any new moon.

○  Sadhak should take bath after 8:30 pm and wear red clothes.

○  This practice has to be done with utmost orientation.

○ Place a red cloth in front of the bazot.

○ Install a copper vessel on it.  In that vessel, install the goddess's device. Now first offer 5 red flowers on the machine, after offering the flowers, light a lamp of sesame oil, and offer jaggery in front of the armor.

○ Now remembering my mother's speed and taking a pledge that to speed up my life and to complete every stalled work, I am doing this work, mother's skin, please grace me and give my life the right direction quickly.

○ After this, the seeker should chant  11 mala of the following mantra with Rudraksha Mala.

○Keep something intact with you in this practice.  After each garland, rotate it slightly in a bowl and put it in a bowl, keep this bowl on the bajot itself, thus after each garland, you have to rotate it freely and offer it.  When 11 garlands are completed, then pray to mother again.

○You have to do this sadhana for eight days, and you have to collect the daily which is intact.  And after finishing the practice, donate it to someone.  The jaggery that is offered in bhoga is to be fed to the cow every day.

○ This is how the seeker should do this sadhana.  Later, keep the device safe again and it will work in other practices.

○ Due to the effect of this Sadhana, your work and practices will get faster pace and the work which gets stuck again and again will be completed and at the same time, the seeker will get the blessings of the mother.


○ This problem comes many times in the life of the seekers, even after relentless efforts on the spiritual path, many times frustration is felt and they fail in cultivation, especially for them, this aspect of the Goddess has been highlighted in the form of spiritual practice.  is.

○Occupational obstacles or domestic hurdles of a person come to a halt due to occupation and in the end everything is a panacea for destroying those obstacles. This is the form of the Goddess, after its practice, there is no obstacle in the path of a seeker.

○ Due to being in the Tantra field for many years, many times someone says that Gurudev our work was complete, our work was going to be done.  Eventually, that work failed.

○  So many times I have heard such things, due to some, the factory is closed or some other business, such problems come to life.

○  Somebody's business gets stalled due to running, after study it is found that there is no system constraint on them.  But if the planet is born or there is a defect of the place, then to solve them all, first of all it is necessary to classify it. First of all, you should see where the problem is and when you will know the problem, then there is no delay in getting treatment.  Looks and seems to be done, classify in this way.  So in

○ There are personal, local, planetary and many other types of bonds that make a person suffer.  And even after performing many types of worship laws, he does not get liberation.

○ Sometimes this pain is planetary, sometimes it is localized.  It needs to be analyzed.  In the end, even when you conclude, it still needs to be diagnosed.

○ Such a diagnosis is made by different types of experiments.  These methods can be of different types and also take time.

○ Today I am going to tell you about the practice of a form of Bhagwati Parambashakti, which is also mentioned in the Puranas, but in today's time we are becoming alienated from our scriptures, so we do not have that much knowledge only in Indrajal or Tantra.  The scriptures and the details of these mantras are not only in the scriptures, but the Vedas and Puranas also have a complete description of this.

○ When the work goes wrong again and again, even after a lot of effort, your work is not made or in the last minute, the work is disturbed, then it needs to be studied deeply and analyzed so that you can diagnose it.

○ Once in life, if this form of Goddess is worshiped and purification is completed, then your stalled work starts to be made immediately.  And you get rid of problems completely.
 

○Even if you worship any other form of the Goddess, even if once you complete the ritual of Tavrita Bhagwati once in life, then the other forms in which you are worshiping the Goddess.  They also show favor on you

○ There are also two distinctions of their forms: Tverita and Upper tverita. I tell you here today about the cultivation of the Goddess Tevarita and her mantra and the method of that mantra.

○frist mantra: -Om hreen hun khechachhe ksh: streen kshe hreen phat.

○second manyata:-Om hreen kleen hreen shreen tvarita devyai hoon shreen hreen kleen kl om choo.

○The number of priests of both the above mentioned mantras is 1.25 lakh mantras and the tenth part of the fire has to be done.

○ If you find this chant a little difficult, then you can get this purification done by a learned Brahmin as well.

○ You can start this practice with any new moon.

○  Sadhak should take bath after 8:30 pm and wear red clothes.

○  This practice has to be done with utmost orientation.

○ Place a red cloth in front of the bazot.

○ Install a copper vessel on it.  In that vessel, install the goddess's device. Now first offer 5 red flowers on the machine, after offering the flowers, light a lamp of sesame oil, and offer jaggery in front of the armor.

○ Now remembering my mother's speed and taking a pledge that to speed up my life and to complete every stalled work, I am doing this work, mother's skin, please grace me and give my life the right direction quickly.

○ After this, the seeker should chant  11 mala of the following mantra with Rudraksha Mala.

○Keep something intact with you in this practice.  After each garland, rotate it slightly in a bowl and put it in a bowl, keep this bowl on the bajot itself, thus after each garland, you have to rotate it freely and offer it.  When 11 garlands are completed, then pray to mother again.

○You have to do this sadhana for eight days, and you have to collect the daily which is intact.  And after finishing the practice, donate it to someone.  The jaggery that is offered in bhoga is to be fed to the cow every day.

○ This is how the seeker should do this sadhana.  Later, keep the device safe again and it will work in other practices.

○ Due to the effect of this Sadhana, your work and practices will get faster pace and the work which gets stuck again and again will be completed and at the same time, the seeker will get the blessings of the mother.

त्वारिता देवी साधना।

                        
                     त्वरिता देवी साधना 

           ।।सभी रुकी हुई साधनओं को गति देना।।

○ साधकों के जीवन में यह समस्या कई बार आती है साधना पथ पर अथक प्रयास करते हुए भी बहुत बार निराशा हाथ लगती है और साधना में फेल हो जाते हैं उनके लिए विशेष तौर पर देवी के इस स्वरुप के साधना करने के विषय में प्रकाश डाला गया है।

○किसी जातक के व्यवसाय गत बाधाएं आ जाना या घरेलू बाधाएं आ जाना व्यवसाय चलते चलते  अंत में सब कुछ बंद हो जाना उन विघ्नों के नाश के लिए रामबाण है यह देवी का स्वरूप इसकी साधना के उपरांत कभी भी साधक के मार्ग में विघ्न नहीं आते।

○तंत्र क्षेत्र में बहुत सालों से होने के कारण कई बार कोई  कहता है कि गुरुदेव हमारा काम पूरा हो चुका था हमारा  काम होने ही वाला था । आखिर में जाकर वह काम फेल हो गया। 

○तो बहुत बार ऐसी बातें सुन चुका हूं किसी की चलते-चलते फैक्ट्री बंद हो जाती है या किसी का काम धंधा बहुत सी ऐसी समस्याएं जीवन में आती हैं।

○किसी का व्यापार चलते चलते  ठप हो जाता है  अध्ययन के बाद पता चलता है कि उनके ऊपर तंत्र की कोई बाधा नहीं है। लेकिन ग्रह जनित है या या स्थान का दोष है तो उन सब का निराकरण करने के लिए सबसे पहले उसका वर्गीकरण करना जरूरी है सबसे पहले आप यह देख ले कि समस्या है कहां पर और जब आपको समस्या का पता चल जाएगा तो इलाज होने में देर नहीं लगता और होता भी है देखिए इस तरह वर्गीकरण किया जाए। तो इसमें 

○व्यक्तिगत ,स्थानगत ,ग्रहगत और कई तरह के ऐसे बंधन होते हैं  जिससे कि  आदमी त्रस्त रहता है। और कई तरह के पूजा विधान करने पर भी उसको कोई मुक्ति नहीं मिलती।
○ कई बार यह पीड़ा ग्रहजनित होती है  कई बार वह स्थानजनित होती है। इस पर विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है। अंत में जब आप निष्कर्ष निकाल भी लेते हो  तो भी उसके निदान की आवश्यकता होती है।
○ऐसे में विभिन्न प्रकार के प्रयोगों से  निदान होता है। यह तरीके विभिन्न प्रकार के विभिन्न पद्धतियों के हो सकते हैं और इनमें समय भी लगता है।
○आज मैं आपको भगवती पारंबाशक्ति के एक ऐसे रूप की साधना के विषय में बताने जा रहा हूं जिसका विवरण पुराणों में भी है लेकिन आज के समय में हम अपने शास्त्रों से विमुख होते जा रहे हैं इसलिए हमें इतना ज्ञान नहीं है केवल इंद्रजाल में या तंत्र शास्त्रों में ही इन मंत्त्रों के विधान और उनका विवरण नहीं है अपितु वेदों और पुराणों में भी इसका पूर्ण विवरण है।

○जब बार-बार काम बिगड़ जाए और बहुत प्रयास करने के बाद भी आपका काम ना बने या अंतिम समय में आकर काम बिगड़ जाए तो उसके ऊपर गहन अध्ययन करने की और विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है जिससे कि आप उसका निदान कर सको।

○जीवन में एक बार यदि देवी के इस रूप की पूजा की जाए और पुरुश्चरण पूरा कर लिया जाए तो आपके रुके हुए काम तुरंत बनने चालू हो जाते हैं। और आपको समस्याओं से  पूर्णरूपेण  छुटकारा मिल जाता है ।
 
○अगर आप देवी के किसी अन्य रूप को भी पूजते हैं तो भी अगर एक बार त्वरिता भगवती के अनुष्ठान को जीवन में एक बार  सम्पन्न कर ले तो जिन दूसरे रूपों में जिसको आप देवी को पूज रहे हैं । वह भी आप पर कृपा बरसाने लग जाते हैं 

○इनके रूपों के भी दो भेद हैं त्वरिता और अपर त्वरिता आज आपके लिए यहां त्वरिता देवी की साधना के विषय में और उनका मंत्र और उस मंत्र की विधि उसके फल को मैं आपसे कहता हूं।

○पहला मन्त्र:-ॐ ह्रीं हुं खेचछे क्षः स्त्रीं हूं क्षे ह्रीं फट्।

○दूसरा मन्त्र:-ॐ ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं त्वरिता देव्यै हूं हूं हूं श्रीं ह्रीं क्लीं ॐ छू 

○ उपरोक्त के  दोनों मंत्रो की पुरश्चरण की संख्या सवा लाख मंत्र है और दसवां हिसा हवन करना होगा।

○ यह जाप अगर आपको थोड़ा मुश्किल लगे तो आप किसी विद्वान ब्राह्मण से भी इस प्पुरश्चरण को करवा सकते हैं

○आप यह साधना किसी भी अमावस्या से आरम्भ कर सकते हैं।

○साधक रात्रि 8:30 के पश्चात स्नान कर लाल वस्त्र धारण करे। 

○उत्तराभिमुख होकर करनी होती है ये साधना।

○ सामने बाजोट रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछा दे।

○उस पर किसी ताम्र पात्र को स्थापित करे। उस पात्र में देवी के यन्त्र को स्थापित करे.अब सर्वप्रथम यन्त्र पर ५ लाल पुष्प अर्पित करे ,पुष्प अर्पित  करने के पश्चात,तिल के तेल  का दीपक प्रज्वलित करे,तथा कवच के समक्ष गुड़ का नैवेद्य अर्पित करे ।

○अब माँ त्वरिता  का स्मरण कर संकल्प ले की अपने जीवन को गति देने हेतु तथा हर रुके कार्य को पूर्ण करने हेतु मैं यह साधना कर रहा हूँ माँ त्वरिता मुझ पर कृपा करे तथा मेरे जीवन को त्वरित रूप से सही दिशा प्रदान करे।

○इसके पश्चात साधक रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र की ११ माला जाप करे।

○इस साधना में अपने पास कुछ अक्षत रखे। प्रत्येक माला के पश्चात सर पर से थोड़े अक्षत घुमाकर एक कटोरी में डाल दे,यह कटोरी भी बाजोट पर ही रखनी है।इस प्रकार प्रत्येक माला के पश्चात अक्षत घुमाकर अर्पित करने है। जब ११ माला संपन्न हो जाये तो माँ से पुनः प्रार्थना करे। 

○ये साधना आपको आठ दिनों तक करनी है.साथ ही नित्य जो अक्षत है एकत्रित करते जाना है। और साधना समाप्ति के पश्चात किसी को दान कर देना है । भोग में जो गुड़ अर्पित किया गया है.वो नित्य गाय को खिला देना है ।

○इस प्रकार साधक यह साधना करे। बाद में यन्त्र को पुनः सुरक्षित रख ले यह अन्य साधनाओं में काम आएगा। 

○इस साधना के प्रभाव से आपके कार्य और साधनाओं को तीव्र गति मिल जाएगी तथा जो काम बार बार अटक जाते है वे पूर्ण होंगे साथ ही, साधक को माँ की कृपा प्राप्त होगी।

कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...