त्वरिता देवी साधना
।।सभी रुकी हुई साधनओं को गति देना।।
○ साधकों के जीवन में यह समस्या कई बार आती है साधना पथ पर अथक प्रयास करते हुए भी बहुत बार निराशा हाथ लगती है और साधना में फेल हो जाते हैं उनके लिए विशेष तौर पर देवी के इस स्वरुप के साधना करने के विषय में प्रकाश डाला गया है।
○किसी जातक के व्यवसाय गत बाधाएं आ जाना या घरेलू बाधाएं आ जाना व्यवसाय चलते चलते अंत में सब कुछ बंद हो जाना उन विघ्नों के नाश के लिए रामबाण है यह देवी का स्वरूप इसकी साधना के उपरांत कभी भी साधक के मार्ग में विघ्न नहीं आते।
○तंत्र क्षेत्र में बहुत सालों से होने के कारण कई बार कोई कहता है कि गुरुदेव हमारा काम पूरा हो चुका था हमारा काम होने ही वाला था । आखिर में जाकर वह काम फेल हो गया।
○तो बहुत बार ऐसी बातें सुन चुका हूं किसी की चलते-चलते फैक्ट्री बंद हो जाती है या किसी का काम धंधा बहुत सी ऐसी समस्याएं जीवन में आती हैं।
○किसी का व्यापार चलते चलते ठप हो जाता है अध्ययन के बाद पता चलता है कि उनके ऊपर तंत्र की कोई बाधा नहीं है। लेकिन ग्रह जनित है या या स्थान का दोष है तो उन सब का निराकरण करने के लिए सबसे पहले उसका वर्गीकरण करना जरूरी है सबसे पहले आप यह देख ले कि समस्या है कहां पर और जब आपको समस्या का पता चल जाएगा तो इलाज होने में देर नहीं लगता और होता भी है देखिए इस तरह वर्गीकरण किया जाए। तो इसमें
○व्यक्तिगत ,स्थानगत ,ग्रहगत और कई तरह के ऐसे बंधन होते हैं जिससे कि आदमी त्रस्त रहता है। और कई तरह के पूजा विधान करने पर भी उसको कोई मुक्ति नहीं मिलती।
○ कई बार यह पीड़ा ग्रहजनित होती है कई बार वह स्थानजनित होती है। इस पर विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है। अंत में जब आप निष्कर्ष निकाल भी लेते हो तो भी उसके निदान की आवश्यकता होती है।
○ऐसे में विभिन्न प्रकार के प्रयोगों से निदान होता है। यह तरीके विभिन्न प्रकार के विभिन्न पद्धतियों के हो सकते हैं और इनमें समय भी लगता है।
○आज मैं आपको भगवती पारंबाशक्ति के एक ऐसे रूप की साधना के विषय में बताने जा रहा हूं जिसका विवरण पुराणों में भी है लेकिन आज के समय में हम अपने शास्त्रों से विमुख होते जा रहे हैं इसलिए हमें इतना ज्ञान नहीं है केवल इंद्रजाल में या तंत्र शास्त्रों में ही इन मंत्त्रों के विधान और उनका विवरण नहीं है अपितु वेदों और पुराणों में भी इसका पूर्ण विवरण है।
○जब बार-बार काम बिगड़ जाए और बहुत प्रयास करने के बाद भी आपका काम ना बने या अंतिम समय में आकर काम बिगड़ जाए तो उसके ऊपर गहन अध्ययन करने की और विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है जिससे कि आप उसका निदान कर सको।
○जीवन में एक बार यदि देवी के इस रूप की पूजा की जाए और पुरुश्चरण पूरा कर लिया जाए तो आपके रुके हुए काम तुरंत बनने चालू हो जाते हैं। और आपको समस्याओं से पूर्णरूपेण छुटकारा मिल जाता है ।
○अगर आप देवी के किसी अन्य रूप को भी पूजते हैं तो भी अगर एक बार त्वरिता भगवती के अनुष्ठान को जीवन में एक बार सम्पन्न कर ले तो जिन दूसरे रूपों में जिसको आप देवी को पूज रहे हैं । वह भी आप पर कृपा बरसाने लग जाते हैं
○इनके रूपों के भी दो भेद हैं त्वरिता और अपर त्वरिता आज आपके लिए यहां त्वरिता देवी की साधना के विषय में और उनका मंत्र और उस मंत्र की विधि उसके फल को मैं आपसे कहता हूं।
○पहला मन्त्र:-ॐ ह्रीं हुं खेचछे क्षः स्त्रीं हूं क्षे ह्रीं फट्।
○दूसरा मन्त्र:-ॐ ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं त्वरिता देव्यै हूं हूं हूं श्रीं ह्रीं क्लीं ॐ छू
○ उपरोक्त के दोनों मंत्रो की पुरश्चरण की संख्या सवा लाख मंत्र है और दसवां हिसा हवन करना होगा।
○ यह जाप अगर आपको थोड़ा मुश्किल लगे तो आप किसी विद्वान ब्राह्मण से भी इस प्पुरश्चरण को करवा सकते हैं
○आप यह साधना किसी भी अमावस्या से आरम्भ कर सकते हैं।
○साधक रात्रि 8:30 के पश्चात स्नान कर लाल वस्त्र धारण करे।
○उत्तराभिमुख होकर करनी होती है ये साधना।
○ सामने बाजोट रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछा दे।
○उस पर किसी ताम्र पात्र को स्थापित करे। उस पात्र में देवी के यन्त्र को स्थापित करे.अब सर्वप्रथम यन्त्र पर ५ लाल पुष्प अर्पित करे ,पुष्प अर्पित करने के पश्चात,तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करे,तथा कवच के समक्ष गुड़ का नैवेद्य अर्पित करे ।
○अब माँ त्वरिता का स्मरण कर संकल्प ले की अपने जीवन को गति देने हेतु तथा हर रुके कार्य को पूर्ण करने हेतु मैं यह साधना कर रहा हूँ माँ त्वरिता मुझ पर कृपा करे तथा मेरे जीवन को त्वरित रूप से सही दिशा प्रदान करे।
○इसके पश्चात साधक रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र की ११ माला जाप करे।
○इस साधना में अपने पास कुछ अक्षत रखे। प्रत्येक माला के पश्चात सर पर से थोड़े अक्षत घुमाकर एक कटोरी में डाल दे,यह कटोरी भी बाजोट पर ही रखनी है।इस प्रकार प्रत्येक माला के पश्चात अक्षत घुमाकर अर्पित करने है। जब ११ माला संपन्न हो जाये तो माँ से पुनः प्रार्थना करे।
○ये साधना आपको आठ दिनों तक करनी है.साथ ही नित्य जो अक्षत है एकत्रित करते जाना है। और साधना समाप्ति के पश्चात किसी को दान कर देना है । भोग में जो गुड़ अर्पित किया गया है.वो नित्य गाय को खिला देना है ।
○इस प्रकार साधक यह साधना करे। बाद में यन्त्र को पुनः सुरक्षित रख ले यह अन्य साधनाओं में काम आएगा।
○इस साधना के प्रभाव से आपके कार्य और साधनाओं को तीव्र गति मिल जाएगी तथा जो काम बार बार अटक जाते है वे पूर्ण होंगे साथ ही, साधक को माँ की कृपा प्राप्त होगी।