सभी आदरणीय साधकसाधिकाओं एवं सभी बुद्धिजीवी और विद्वान जितने भी इस ब्लॉग को मेरे पढ़ रहे हैं उन सभी को मैं प्रणाम करता हूं।
सभी साधक भाई बहनों यह साधना एक इतनी उग्र भयंकर एवं तीव्र साधना है जिसकी शुरुआत तो बहुत सौम्यता से होती है लेकिन बाद में यह शक्ति बहुत उग्र हो जाती है और सिद्ध होने के बाद साधक को किसी भी आए हुए याचक की हर समस्या का निदान करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है यह मंत्र गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत है लेकिन मैं आपको यह प्रसंग वश मंत्र दे रहा हूं सबसे पहले एक बात मैं बताता हूं आप कितनी भी उग्र साधना कीजिए लेकिन उस उग्र साधना को कंट्रोल करने के लिए उस एनर्जी को कंट्रोल करने के लिए आपको शिव की शक्ति या गुरु की शक्ति की आवश्यकता होती है जो साधक अपने गुरु अपने इष्ट एवं अपने मंत्र पर भरोसा रख कर के चलेगा वह अवश्य में सफल होगा लेकिन यह आप कभी न सोचो कि आप इंटरनेट से या किसी पुस्तक से कोई मंत्र और विधि ले लोगे और आप सफल हो जाओगे क्योंकि अगर कोई भी व्यक्ति लोकी कोई बुक ले ले या मेडिकल की कोई बुक ले ले तो भी उसे टीचर की आवश्यकता पढ़नी है और वह मात्र उस पुस्तक को देख कर के व्यवहारिक ज्ञान नहीं सीख सकता क्यों की उस पुस्तक में जिस किसी ने भी कोई भी थ्योरी लिखी होगी तो वह उसके निजी अनुभव होंगे और यह साधना का ऐसा मार्ग है जिसमें सब के साथ एक जैसे अनुभव नहीं होते सब की जीवनी शक्ति अलग होती है एवं सभी का परिवेश अलग होता है संस्कार अलग होते हैं इष्ट देवता अलग होता है कुलदेवता अलग होता है इसीलिए शक्ति सिद्ध होने में कठिन हो जाती है अब आपको मैं इस प्रयोग की विधि और मंत्र देने जा रहा हूं कृपया इस पोस्ट को देखने के बाद इसका व्यवसायीकरण ना करें एवं इसके द्वारा किसी भी व्यक्ति को कष्ट पहुंचाना ऐसा मन में भी ना सोचे यह साधना प्राय अमावस्या से या कृष्ण पक्ष में शुरू की जाती है और इस साधना से पहले खेड़ा पीर एवं ख्वाजा पीर की साधना की जाती है उसके बाद पुरुष साधक इसे 41 दिन और स्त्री साधक इसे 21 दिन के प्रयोग के रूप में साधना कर सकते हैं साधना में बुरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करना है भूमि पर सोना है एक समय खाना है और कम बोलना है साधना के दौरान किसी से झगड़ा लड़ाई झूठ कपट छल फरेब नहीं बोलना और ना ही करना आपको मनसा वाचा और करवाना कर्म से किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना ना ही काम का चिंतन करना है बस सुबह आपने खेड़े पर जाकर के और उन्हें स्नान कराने के उपरांत 5 वाला उनके मंत्र की करनी है
मन्त्र ये है
ॐ नमो आदेष गुरु जी जाग रे जाग 2200 ख्वाज़ा 2300 कुतब शिव गौरां की आन जाग जा दादा भूमिया मेरे गोरख गुरु का रख मान दुहाई तेरी माता की ।
और उसके बाद आपने अपने घर चला जाना है फिर रात्रि में साईं काल को अपने ख्वाजा पीर की कड़ाही और हाजरी तैयार करनी है और वहां जाकर के तीन माला ख्वाजा पीर के कलाम का जाप करना है
कलाम ये है।
बिस्मिल्लाहरेहनेरहीम 2200 ख्वाज़ा पांचों पीर उठ मेरे जिन्दा पीर दुहाई मौला अली की बीबी फात्मा की।दुहाई मेरे उसताद की।
उसके बाद घर आकर के रात्रि में 10:00 बजे से जाप शुरू करना है और 11 माला जाप करना है इसका मंत्र ऐसे हैं
माता गदहे सुल्लखनी मत्थे लायी रखदी मेहन्दड चारों कुंठा झुक रहियां झुक रिहा सारा देश मट जागे मसान जागे जागे थड़े दा पीर मेरी जगाई जाग माता मेरे गुरुआ दी जगाई जाग ऐसे काज सँवारो जैसे जोगी इस्माइल के कार्य सवारे चले मंत्र फुरो वाचा देखा माई मदान वाली महारानी मसानी इल्म का तमाशा।
इस मंत्र को आपने प्रतिदिन 11 माला जपना है और कोई भी वस्त्र पहन सकते हो और अपने सामने माता की तस्वीर रखनी है दीप धूप लगाना है फल फूल पान मिठाई रखनी है यह साधना संपन्न करके आप किसी का कोई काम कर सकते हो और आपको कोई रुकावट नहीं आएगी कोई भी आज तक आपके पास आएगा तो आपको किसी चीज की दिक्कत उसका काम मिनटों में हो जाएगा आपको करना क्या है आपको सुबह उठना है सुबह उठकर आपने नगर खेड़े के मंदिर पर जाना है भूमिया जैसे बोलते हैं और वहां उन को स्नान कराने के उपरांत आपको पांच माला उनका मंत्र जाप करना है उसके बाद आप को घर आ जाना है घर आने के उपरांत फिर आप घर में और कोई काम कर सकते हो लेकिन घर से बाहर नहीं जा सकते आपको फिर शाम को ख्वाजा पीर की हाजिरी तैयार करनी है उस हाजरी में मीठे चावल 4 मुंह वाला दीवा पांच बतासे 5 लोग 5 लाची 5 गुलाब के फूल 5 अगरबत्ती और दो मीठे पान लेने हैं और अगर चाहो तो आप दो पीस बर्फी के ले सकते हो वह आपको चलते पानी जहां पानी चलता हो साहब वहां जाना है और ख्वाजा साहब को हरदास करके आपको यह हाजिरी उनको दे देनी है और वहां बैठकर हाजिरी देने के बाद आपको पांच माला ख्वाजा पीर की जपनी है उसके बाद आप को घर आ जाना है फिर रात्रि में माता की फोटो के सामने बैठकर जहां आपने नारियल रखकर संकल्प किया था वहां आपने बैठकर माता की पूजन करनी है फल फूल पान मिठाई उसमें मुख्यतः यह आपने पूजा 10:00 बजे के करीब शुरू करनी है और आपको पांच बूंदी वाले लड्डू, पांच बतासे,पांच गुलाब के फूल, दो सेंट, 2 मीठे पान ,5-5 लौंग इलायची ,सभी को एक एक काजल का टीका लगाना है धूप दीप और 2 दिए चलेंगे एक देसी घी का और एक सरसों के तेल का आपको वहां बैठकर 11 माला जाप करनी है मां की जो मंत्र पहले दिया गया है उसको करने के बाद आपने यह सारा सामान ले जाना है किसी खाली ग्राउंड में वहां 4 मुंह वाला दिया लगाकर मां को अगरबत्ती लगाने के बाद यह सारा सामान खाली ग्राउंड या चौक में रख देना है और माता को अरदास करके घर वापस चलाना है हाथ पैर धो के घर में घुसने है और फिर आराम से भूमि पर सो जाना है इसी दौरान आपको विचित्र विचित्र अनुभूतियां होंगी क्योंकि यह प्रयोग मेरे चार लोग जो जानकार हैं उन द्वारा किया गया है।
मंगलवार, 29 जून 2021
माता मैदानन की साधना
शनिवार, 5 जून 2021
शेषनाग का साबर मन्त्र।
शेषनाग मन्त्र साधना।
कोई भी कोई भी मनोकामना ।
कोई भी रुका हुआ काम ।
गड़े हुए धन के उप्पर से नाग शक्ति का वास हटाना हो या शांत करना हो जो गड़े धन से संबंधित हो उसको इस साधना के द्वारा आप पूरा कर सकते हैं।
इस साधना से आप अपना तीसरा नेत्र भी खोल सकते है।
नाग शक्ति के क्रोध को शांत कर सकते हैं।
अगर भूल वश किसी नाग की हत्या हो गयी हो उसको भी शांत कर सकते है।
इसके अनुष्ठान कर लेने के उपरांत साधक को तीनों कालों का ज्ञान होता है और गड़ा हुआ धन निकालने में सक्षम हो जाता है जब कहीं गड़े हुए धन पर किसी नागशक्ति का पहरा लगा हो तो उस शक्ति के पहरे को हटाने में और शांत करने में सक्षम होगा।
गड़े हुए धन का साधक को इस साधना के संपन्न कर लेने के बाद शेषनाग भगवान द्वारा पताल के नीचे की निधियां सदृश्यमान हो जाती हैं
लेकिन ये बात याद रखें इस मंत्र की साधना की शुरुआत सिर्फ नागपंचमी या शिवरात्रि पर होती है।
प्रत्येक सोमवार को उपवास करें और एक एक बार मंत्र बोलते हुए शिवलिङ्ग पर सफेद पुष्प अर्पित करें। कुल 108बार।
यह एक गुप्त गुरमुखी और बहुत ज्यादा खतरनाक साधना है।
सभसे पहले अपने गुरु महाराज जी से रक्षा मंत्र लेकर उसे सिद्ध करें फिर ही इस साधना शुरू करें।
मेरा काम वास्तविक रूप में तन्त्र विद्या का प्रचार करना है इस लूप हो रही विद्या का प्रचार होकर सही लोगों तक पहुंचाना ही धेय है
(( आपके कर्मों का हिसाब ईश्वर को आपने देना है मेरे कर्मो का मुझे ))
आप जो बीजो गे वही आपको काटना होगा। ये एक अटल सत्य है।
अपने गुरु से बिना परामर्श किए इसे करने की चेष्टा ना करें और अपने हिसाब से इस साधना का तोड़ मरोड़ ना करें। वरना अपने परिणामों के उत्तरदायित्व स्वयं आप होंगे उसमें मेरा या मेरे चैनल का लेश मात्र भी उत्तर दायित्व नहीं होगा क्योंकि इस साधना में बहुत सारे नाग हकीकत में साधक के प्रति आकर्षित होकर आना शुरू हो जाते हैं इसलिए यह साधना सिर्फ धैर्य वाले साहस वाले व्यक्ति ही करें।
इस साधना को शुरू करने से पहले भगवान शिव का पूजन और व्रत 1 वर्ष पहले से ही शुरु कर देना चाहिए शिव के उपासक इस मंत्र से बहुत जल्दी लाभान्वित होते हैं।
आपको इस मंत्र का दस माला जाप प्रतिदिन करना होगा।
जाप माला रुद्राक्ष की हो
दिशा पूर्व।
आसन एवम लाल वस्त्रों का प्रयोग करें।
रात्रि को अपने सामने लकडी के बेजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर उसपर हल्दी मिलाकर कच्चे चावल रखें और उन चावलों की ढेरी पर शिव लिंग स्थापित करें एक लोटे में जल भरकर रख दें।
वहां पर शुद्ध देसी घी का दीपक प्रज्वलित कर धूफ दें।
गाय के गोबर को जलाकर देशी घी का होम करें
फिर जाप से पहले मिट्टी के किसी पात्र में कच्चा गाय का दूध थोड़ी सी शक्कर और कच्चे चावल मिलाकर मिलाकर रखें ।
एक मुर्गी का अंडा चावल की लाई कुछ खुशबूदार सफेद फूल रखें और जाप करें
फिर एक टिक्की कपूर पर एक जोड़ा लौंग रख कर जला दें।
फिर दूध अंडा लाई सफेद फूल घर से बाहर की सांप की बाम्बी किसी निर्जन स्थान पर रख दें और चुपचाप घर में वापिस आकर भूमिपर सो जाएं।
सिर्फ एक सप्ताह में आप को स्वप्न में एवम जाप करते हुए अनुभव आने लग जाएंगे।
इस लिए यह साधना साहसी व्यक्ति को करनी चाहिए वह भी अपने गुरु के मार्गदर्शन में।
बिना मार्गदर्शन के मार्ग से भटक तो जाएंगे ही साथ ही साथ आपको किसी गंभीर संकट से ग्रस्त भी होना पड़ सकता है जीवन की सब कमीयां दूर हो सकती है धन की कमी 100% दूर हो सकती है।
लेकिन बिना मार्गदर्शन के यह साधना कभी ना करें कभी ना करें।
मन्त्र:-ॐ नमो आदेश गुरु को
ओङ्ग सोहं निर्मलजोति
हर गौरां का रूप
शब्द चले सुरति चले
शेषनाग भगवान चले
नव कुलि अवतार
आया शरण अब तार।
दुहाई माता गौरां पार्वती की।
दुहाई भोलेनाथ की।
सतनमो आदेश आदेश आदेश।
मंगलवार, 25 मई 2021
हिडिम्बा माता द्वारा शत्रु का मारण।
हिडिम्बा मृत्यु की एक देवी।
○महाभारत के दौरान कौरवों द्वारा लाक्षागृह के दहन के पश्चात सुरंग के रास्ते लाक्षागृह से निकल कर पाण्डव अपनी माता के साथ वन के अन्दर चले गये। कई कोस चलने के कारण भीमसेन को छोड़ कर शेष लोग थकान से बेहाल हो गये और एक वट वृक्ष के नीचे लेट गये। माता कुन्ती प्यास से व्याकुल थीं इसलिये भीमसेन किसी जलाशय या सरोवर की खोज में चले गये। एक जलाशय दृष्टिगत होने पर उन्होंने पहले स्वयं जल पिया और माता तथा भाइयों को जल पिलाने के लिये लौट कर उनके पास आये। वे सभी थकान के कारण गहरी निद्रा में निमग्न हो चुके थे अतः भीम वहाँ पर पहरा देने लगे।
○उस वन में हिडिंब नाम का एक भयानक असुर का निवास था। मानवों का गंध मिलने पर उसने पाण्डवों को पकड़ लाने के लिये अपनी बहन हिडिंबा को भेजा ताकि वह उन्हें अपना आहार बना कर अपनी क्षुधा पूर्ति कर सके। वहाँ पर पहुँचने पर हिडिंबा ने भीमसेन को पहरा देते हुये देखा और उनके सुन्दर मुखारविन्द तथा बलिष्ठ शरीर को देख कर उन पर आसक्त हो गई। उसने अपनी राक्षसी माया से एक अपूर्व लावण्मयी सुन्दरी का रूप बना लिया और भीमसेन के पास जा पहुँची। भीमसेन ने उससे पूछा, "हे सुन्दरी! तुम कौन हो और रात्रि में इस भयानक वन में अकेली क्यों घूम रही हो?" भीम के प्रश्न के उत्तर में हिडिम्बा ने कहा, "हे नरश्रेष्ठ! मैं हिडिम्बा नाम की राक्षसी हूँ। मेरे भाई ने मुझे आप लोगों को पकड़ कर लाने के लिये भेजा है किन्तु मेरा हृदय आप पर आसक्त हो गया है तथा मैं आपको अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती हूँ। मेरा भाई हिडिम्ब बहुत दुष्ट और क्रूर है किन्तु मैं इतना सामर्थ्य रखती हूँ कि आपको उसके चंगुल से बचा कर सुरक्षित स्थान तक पहुँचा सकूँ।"
○इधर अपनी बहन को लौट कर आने में विलम्ब होता देख कर हिडिम्ब उस स्थान में जा पहुँचा जहाँ पर हिडिम्बा भीमसेन से वार्तालाप कर रही थी। हिडिम्बा को भीमसेन के साथ प्रेमालाप करते देखकर वह क्रोधित हो उठा और हिडिम्बा को दण्ड देने के लिये उसकी ओर झपटा। यह देख कर भीम ने उसे रोकते हुये कहा, "रे दुष्ट राक्षस! तुझे स्त्री पर हाथ उठाते लज्जा नहीं आती? यदि तू इतना ही वीर और पराक्रमी है तो मुझसे युद्ध कर।" इतना कह कर भीमसेन ताल ठोंक कर उसके साथ मल्ल युद्ध करने लगे। कुंती तथा अन्य पाण्डव की भी नींद खुल गई। वहाँ पर भीम को एक राक्षस के साथ युद्ध करते तथा एक रूपवती कन्या को खड़ी देख कर कुन्ती ने पूछा, "पुत्री! तुम कौन हो?" हिडिम्बा ने सारी बातें उन्हें बता दी।अर्जुन ने हिडिम्ब को मारने के लिये अपना धनुष उठा लिया किन्तु भीम ने उन्हें बाण छोड़ने से मना करते हुये कहा, "अनुज! तुम बाण मत छोडो़, यह मेरा शिकार है और मेरे ही हाथों मरेगा।" इतना कह कर भीम ने हिडिम्ब को दोनों हाथों से पकड़ कर उठा लिया और उसे हवा में अनेक बार घुमा कर इतनी तीव्रता के साथ भूमि पर पटका कि उसके प्राण-पखेरू उड़ गये।
○हिडिम्ब के मरने पर वे लोग वहाँ से प्रस्थान की तैयारी करने लगे, इस पर हिडिम्बा ने कुन्ती के चरणों में गिर कर प्रार्थना करने लगी, "हे माता! मैंने आपके पुत्र भीम को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया है। आप लोग मुझे कृपा करके स्वीकार कर लीजिये। यदि आप लोगों ने मझे स्वीकार नहीं किया तो मैं इसी क्षण अपने प्राणों का त्याग कर दूँगी।" हिडिम्बा के हृदय में भीम के प्रति प्रबल प्रेम की भावना देख कर युधिष्ठिर बोले, "हिडिम्बे! मैं तुम्हें अपने भाई को सौंपता हूँ किन्तु यह केवल दिन में तुम्हारे साथ रहा करेगा और रात्रि को हम लोगों के साथ रहा करेगा।" हिडिंबा इसके लिये तैयार हो गई और भीमसेन के साथ आनन्दपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगी। एक वर्ष व्यतीत होने पर हिडिम्बा का पुत्र उत्पन्न हुआ। उत्पन्न होते समय उसके सिर पर केश (उत्कच) न होने के कारण उसका नाम घटोत्कच रखा गया। वह अत्यन्त मायावी निकला और जन्म लेते ही बड़ा हो गया।
○हिडिम्बा ने अपने पुत्र को पाण्डवों के पास ले जा कर कहा, "यह आपके भाई की सन्तान है अतः यह आप लोगों की सेवा में रहेगा।" इतना कह कर हिडिम्बा वहाँ से चली गई। घटोत्कच श्रद्धा से पाण्डवों तथा माता कुन्ती के चरणों में प्रणाम कर के बोला, "अब मुझे मेरे योग्य सेवा बतायें।? उसकी बात सुन कर कुन्ती बोली, "तू मेरे वंश का सबसे बड़ा पौत्र है। समय आने पर तुम्हारी सेवा अवश्य ली जायेगी।" इस पर घटोत्कच ने कहा, "आप लोग जब भी मुझे स्मरण करेंगे, मैं आप लोगों की सेवा में उपस्थित हो जाउँगा।" इतना कह कर घटोत्कच वर्तमान उत्तराखंड की ओर चला गया।
○हिडिम्बा देवी काली कामाक्षा की तरह ही तांत्रिको द्वारा पूजी जाती हैं।
○हिडिम्बा देवी का मंदिर मनाली में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह एक प्राचीन गुफा-मन्दिर है जो हिडिम्बी देवी या हिरमा देवी को समर्पित है । जिनका वर्णन महाभारत में भीम की पत्नी के रूप में मिलता है ।
○आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ हिडिम्बा देवी की एक ऐसी साधना जिससे बाद आप कुछ भी करने में सक्षम हो जाएंगे मारण प्रयोग जो काले जादू द्वारा किए जाते हैं व्व सभी अलग अलग देवी देवताओं और मन्त्र यन्त्र तंत्रों द्वारा किया जाते हैं ये कॉपी पेस्ट का जमाना है बहुत भयानक युग है जो साधनायें एक साधक आपने पूरे जीवन के परिश्र्म से हासिल करता है कुछ व्यावसायिक बुद्धि के लोग आते है और आपके लेख चोरी करके ले जाते है गुस्सा आता है फिर दया आती है उनपर गुस्सा उनकी चौर प्रविर्ती पर और दया उनके भाविष्य पर कोई चोरी की हुई अधूरी जानकारी से कैसे उन्नति कर सकता है।
○देवी हिडिम्बा के बारे में आपने जान लिया होगा ऊपर कहानी द्वारा अब बताता हूं साधना वास्तव में हिडिम्बा एक मायावी दानवी थी लेकिन ये सभी सत्य पर चलने वाले लोग थे सच्चे होने के कारण ईश्वर भी इन पर प्रसन्न रहते थे क्योंकि आज के युग में पति अपनी पत्नी और पत्नी अपने पति से कुछ दिन दूर नही रह सकते विचार और परिवेश बहुत गंदा हो गया है वासनाओं से त्रस्त ग्रसित हो गये है। लेकिन वो भी थे जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया जीवन भी और पुत्र पौत्र भी।
हिडिम्बा एक उग्र तामसिक मृत्यु की देवी।
○किसी भी शत्रु को मार सकती है ये देवी इससे कोई भी नही बच सकता।
○अधूरी और मुफ्त की विद्या बर्बाद कर देती है।
○हृदय रोगों कभी न करें इसे।
○नाथ सम्प्रदाय में प्रचलित है इसकी गुप्त साबर साधना।
○इसकी साधना गुप्त स्थान पर ही होती है।
○दो जीवित बकरे रखने पड़ते हैं पास।
○प्रति मध्यरात्रि को पूजा करके चढ़ानी होती है शराब और मांस।
○आसुरी शक्ति होने के कारण हिडिम्बा एक तामसिक शक्ति है। और ये गलती हो जाने पर साधक को भी उलट देती है।
○बड़े बड़े साधकों की आवाज नही निकलती जब हिडिम्बा सामने आ जाती है।
○अपने घर में पंखे के नीचे बैठकर मोबाइल हाथ में लेकर अपनी गाल बजाने वाले लोग जब वास्तव में किसी शक्ति से सामना होने पर सुन्न हो जाते है। गप्पें हांकने और कहने से कुछ नहीं होता।
○ये साधना पूरे 41 दिनों की है।
○भूमि शयन और पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना होता है।
○तेल साबुन सेंट क्रीम पाऊडर इत्यादि सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग बाल बनाना,कंघी करना नाखून काटना पूरा वर्जित है।
○सिले हुए कपड़े पहनना मना है।
○ अर्द्धपटेश्वरी देवी की तरह इसका प्रयोग भी बहुत खतरनाक होता है और आपका शत्रु बच नहीं सकता।
○ इस प्रयोग को जब भी करना हो सबसे पहले काले रंग के दो बकरे अपने पास बांध लेने चाहिए।
○ इस पर योग का प्रभाव 30 पूरे दिन से दिखना शुरू हो जाता है लेकिन इसको बहुत धैर्य वाला व्यक्ति ही कर सकता है।
एक सच्ची घटना इसकी साधना
○एक सच्ची घटना आज मैं आपको बताता हूं। आज से तकरीबन 40-50 साल पहले एक गांव में नाथों का एक मठ था उस मठ से वहां के स्थानीय गांव वाले लोग बहुत बैर और विरोध रखते थे। और वहां के जो सन्त थे उस मठ में वह बहुत परेशान रहने लगे धीरे-धीरे उनका विरोध बढ़ता रहा और मामला हाथापाई और मारपीट पर आ गया तो वहां का जो संत थे। वह अपने गुरु भाई के पास गये और उसे सभी घटना बताई और अपनी व्यथा बताई और जो उसे समस्या थी। वह सारी बताने के बाद दोनों ने निर्णय किया दोनों ने निर्णय किया कि हिडिम्बा देवी का अनुष्ठान किया जाए और पूरे गांव को ही नष्ट कर दिया जाए ।अब यह अनुष्ठान बहुत उग्र था बहुत सारी सामग्री लगनी थी।
○गांव से कुछ दूर पर ही एक बीहड़ जंगल था उस जंगल में उन्होंने एक कुटिया बनाकर के वह साधना शुरू कर दी जब वह साधना शुरू हुई तो शुरुआत में उनको कोई दिक्कत नहीं आई अनुष्ठान चलता रहा धीरे-धीरे होम बली इत्यादि जितनी भी अनुष्ठान के में प्रयोग होने वाली सामग्री थी उन्होंने पहले ही जुटा ली थी दो बकरे खरीद कर लाए गए और उनको बांध लिया गया कुटिया के पास क्योंकि उनको इस प्रयोग में दो ही बकरे लगाने से पहला प्रयोग के शुरू होने पर दूसरा काम के होने पर धीरे-धीरे प्रयोग समाप्ति की ओर अग्रसर होता गया जब जब इस प्रयोग के होने में 5 दिन बचे जब बहुत हवा तूफान इत्यादि आने लग गए लेकिन फिर भी उन्होंने अनुष्ठान बंद नहीं किया अनुष्ठान चलता रहा जब तीन ही दिन बचे थे तो देवी के आगे जो चलने वाले हैं गण पूरे अनुष्ठान के घूमने लग गए और बहुत ही तबाही मचाने लगे फिर एक बहुत ही विस्मयकारी घटना घटी ठीक 1 दिन पहले जो अनुष्ठान करने वाले थे उन बाबा की बुद्धि पलट गई तो किसी तरह उनके गुरु भाई ने इस माहौल को संभाला और अनुष्ठान अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर हुआ सामग्री तो उनके पास पूरी थी। जैसे टेलीविजन पर नाटकों में भयानकदृश्य दिखाई जाते हैं सब कुछ वैसा ही उथल-पुथल होने लग गई हवा बड़ी तेज तेजी से चलने लग गई वृक्षों की डालियां टूट टूट कर गिरने लग गई भिन्न भिन्न प्रकार की भयंकर आवाजें मेघ गर्जन बिजली का गिरना इत्यादि उत्पात एकाएक होने लग गए बहुत भयंकर भयंकर आवाज आने लग गई लेकिन फिर भी वह डटे रहे उनको अनुष्ठान पूरा करने में उनको बहुत ही ज्यादा परेशानी हो रही थी अगर वह अनुष्ठान छोड़ देते हैं तो वह दोनों मारे जाएंगे यह तो बिल्कुल स्पष्ट था धीरे-धीरे उन्होंने जाप शुरू किया उसके उपरांत उसके उपरांत जब हवा थम गई तूफान थम गया तो एक महा भयंकर स्त्री काले रंग की ऊंचे लंबे कद वाली और खुले बाल जो ताजे काटे हुए शेरों का हार पहने हुए थी एकाएक वहां आ जाने से सब डर गए उन भयंकर आवाजों और वातावरण में हृदय विदारक उन दृश्यों को देख कर के दोनों के दोनों संग रह गए अब जब देवी आई तो उन्होंने पूछा क्यों बुलाया है मुझे बहुत गलती हुई आवाज में बहुत गलती हुई आवाज में देवी ने पूछा क्यों बुलाया है मुझे तो उनकी आवाज न निकली और बुद्धि चकित हो गई भ्रमित हो गई क्योंकि उन्होंने यह प्रयोग पूरे गांव को नष्ट करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया था बुद्धि पलटने से जो प्रधान संत थे जिन्होंने यह अनुष्ठान शुरू किया था एकाएक बोल तू बोल उठे हे देवी अगर तू बहुत शक्तिशाली है तोइस पेड़ की डाली को तोड़ दे एक बहुत भारी और विशाल बहुत पुराने वृक्ष की बहुत मोटी तनी की ओर इशारा करते हुए वे बोले तभी उस स्त्री उस देवी के बहुत 28 28 हंसी की आवाज आई और कुछ ही मिनटों में वह गाली डाली टूट कर वृक्ष से गिर गई नीचे जमीन पर अब उनका कार्य पूरा हो चुका था उन दोनों के ऊपर अब मृत्यु मंडराने लगी उस अमृत रूपी देवी को देखकर उस मृत्यु रूपी देवी को देखकर दोनों की जान सूखने लगी हालांकि यह दोनों ही बहुत मजे हुए और बहुत ही शक्तिशाली बहुत ही जानकार तांत्रिक थे देवी नाथ पंथ के लेकिन अब इन्होंने जो बकरा बंधा हुआ था समय न देखते हुए फटाफट उसकी देवी को बलि दे दी तब जाकर इनकी जान बची यह एक सौ प्रतिशत सच्ची कहानी है इसमें कुछ भी झूठ नहीं वसंत आज भी जब इस बात को याद करते हैं तो इस बात के सत्य प्रमाणित होने का स्पष्ट प्रमाण मिल जाता है इतनी भयंकर होती है यह साधना अगर कोई नया साधक उठकर के मूर्खता बस बोल दे कि मुझे हिडिंबा की साधना करनी है तो यह उसकी आत्महत्या का ही निर्णय होगा यह सिर्फ और सिर्फ उन साधकों के लिए है जिनकी जिंदगी और मौत पर बनाई हो।
दूसरे भाग में इसकी प्रयोग विधि बताई जाएगी
शनिवार, 22 मई 2021
पितरों का झूंड लगाना।
पितरों का झूंड लगाना।
मनुष्य जाति का जीवन वनस्पति के बिना संभव नहीं है प्राणिजगत का आधार ही पेड़ पौदे और वनस्पति है यद्यपि वनस्पति प्राणियों के भोजन का आधार है तथापि वनस्पति खाद्य औषधि और तन्त्र विद्या के लिए विशेष तौर पर प्रयोग की जाती है।
धार्मिक महत्व को देखा जाए तो भी वनस्पतियों का विशेष महत्व है बिना वनस्पतियों के कुछ भी संभव नहीं हो सकता।
आज मैं आपको पितृदोष के निवारण के लिए एक ऐसा प्रयोग बताने जा रहा हूँ जो कि अगर श्रद्धा और विश्वास से किया जाए तो मनुष्य की फूटी किस्मत को बदलने में सक्षम है।
भौतिक सुखों की कमी मुख्यतः पितृ दोष के अंतर्गत ही आती है किसी की भौतिक परिस्थितियों को देखकर जातक के पितृ दोष का सरलता से अंदाजा लगाया जा सकता है। जरूरत होती है तुज़रबे कि।
सामान्यतः बहुत अधिक खर्चे वाले प्रयोग करवाने से पहले एक बार ये उपाय इस विषय के किसी जानकार से सलाह लेकर श्रद्धा पूर्वक करें जीवन में धन की कमी का मुख्य कारण पितृदोष ही माना जाता है उसके निवारण हेतु यह प्रयोग उपयोग में लाएं।
सभसे पहले आपको मैं ये स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं कि इस प्रयोग का यहा पर संक्षिप्त रूप से वर्णन किया जा रहा है।
इस प्रयोग के करने से अपार स्थिर धन आपके जीवन में आने के योग बनते है और जीवन पितरों की कृपादृष्टि से समृद्धि की ओर अग्रसर होता है।
ये पितृ शांति का उपाय सरल प्रभावी और परंपरागत रूप प्रयोग होता है।
सरकण्डा नामक फूस,( जिससे झुग्गी-झोपड़ी इत्यादि बनती हैं) जी हां सरकण्डे का प्रयोग होता है इस प्रयोग में इस प्रयोग को झूंड लगवाना बोला जाता है।
सभसे पहले प्रयोग वाले दिन स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर कच्ची लस्सी धूफ दीप डीह/भोमिया/नगर खेड़े के स्थान पर जाकर उनके ऊपर कलावा लपेटकर धूफ दीप प्रज्वलित कर पित्रों के लिए प्रार्थना की जाती है ताकि प्रयोग निर्विघ्न हो सके ये सारा काम चुपचाप किया जाता है उसके उपरांत सूर्यास्त होने के बाद गांव खेड़े की हद से बाहर जाकर सरकण्डे के फूस का झाड़ देखकर वहाँ धूफ दीप प्रज्वलित कर के योग्य भेंट पुजारी देकर उसे खूब सारे पानी से सींचे और न्योता दें और बोलें कि कल सुबह मैं मेरे रुष्ट पितृ पूर्वजों की शांति के लिए आपको आपने साथ अपने घर लेकर जाऊँगा कृपया तैयार रहें इतना बोलकर प्रणाम करें घर वापिस प्रस्थान करें फिर आपको दूसरे दिन भोर में ही जाकर सावधानी पूर्वक उखाड़ लें और अपने घर में कोई साफ सुथरा कोना देखकर रोपित करें और फिर उसमें पितृ देवों का आव्हान पूजन करें तथा प्रतिदिन सुबह कच्ची लस्सी से सिंचाई करें इस 41 दिन यानी सवा महीना करें ।
मांस मदिरा इत्यादि के सेवन से पूर्णतया बचे रहें।
जब आपकी से2आ पूरी हो जाये तब कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को या अमावस्या अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार ब्राह्मण को भोजन दान दक्षिणा देकर विदा करें।
सोमवार, 3 मई 2021
vanish your badluck
your goodfortune comes
Having boundations in your business if you have a so many troubles in your life you have so many debit in your life having a hurdles in your working so this is very effective spell so many time every has we have use this spell this spell is very important and powerful spell, if done properly,
You will get results within 24 hours.
material :-
One leaf of taro root or casteroil plant's leaf.
7 jaggery + flour + mustard oil pudding maalpua.(this is bread makes by the batter of weatflour +juggry+water,then put some musterd oil in pan,put some amount of batter then change side by side frying it you have to make 7 in number.
Some cooked sweet rice.,
7 flowers of madar (āka).(Calotropis's flowers)
7 marigold flowers,
7 red proof chili with sticks,
7 red bangles.
1 ribbon black,
One four mouth's lamp maked with weat flour,
mustard oil will be used to burn lamp as fuel
11 incense sticks.
1 Kalaava.(red cotton thred)
7 cloves.,
7 cardimum small.
7 betel nuts.
7 piece of mix sweets
1 piece of raw coal.,
1 box of kaajal,
Yellow vermilion of 5 ₹.,
1 handful of black Urad.
One matchbox
Cotten
Where to do ?
Location: - In the empty ground, by making a sign of raw rice on the ground or facing east on the square. To do.
When to do?
Ans.Time: - to be done from 7pm to 11:45 pm.
How to do this spell?
Ans.All the stuff has to be collected silently, it has to be used silently, do not make a lot of noise and do not talk to anyone unnecessarily, you have to go quietly.
After taking all this, quietly go to road Cross (+) if you're not interested to go road cross you have to perform this spell in open ground first you have to make cross ❌ on the ground by raw rice then go decorate all the items on the leaf,light the lamp in the middle and now put 11 incense sticks and burn at there and put 7 ticks dots on the puha with Yellow vermilion (Sindoor).
Looking forward Sunshine faced, you have to say,
"O my misfortune, I am leaving you. Don't follow me."
(Hey mere durbhagya ab se main tumhe yahin chodkar jaa rha hu ab mera peecha mat krna.)
It is innuf with this you have to leave from there and no matter how much voice comes or not, you do not have to look back and wash your hands then enter to the home.
रविवार, 2 मई 2021
ways to clam down anger of mata maidanan
***********. Ways to calm down. *****
1. Ganges water in raw milk mixed with ordinary water and a little bit of water and mixed with some raw rice, watering the statue of (thaan) type of small temple makes the mata calm down.
2. By applying a broom daily on the dieaty's tample, the wrath of the mother also calms down.
3. Worshiping Guru Gorakhnath calms the anger of the dieaty mata maidanan.
4.service or worshipping of Nagar Kheda Maharaj also helps to calm the anger of mata maidanan.
5. Offering of kachi kdahi mixture of wear flour+juggry+water Mother gets pacified by giving in raw pan every day.
6. Waking up in the morning to take of devi and watering kachi lassi makes the mother calm.
7. Taking 5 briks+(rupees 11) and lifting them (promise wise), to sacrifice or offering some the mother calms down.
8. Watering Mata Sitala pacifies Mata Madanan's work.
9. Mata calms down by reciting Durga Saptashati.
10. By doing devi Bhagwat or reading, the mother becomes calm at home.
11. Keeping the threshold clean makes the mother's work calm. 12. Responding makes the mother calm.
शनिवार, 16 जनवरी 2021
भैरव साधना द्वारा दड़ा सत्ता प्राप्ति।
****।।अंक साधना।।****
आज के जीवन में धन की महिमा उतनी ही है जितनी समुद्र के लिए जल की। सभी के जीवन में अच्छा और बुरा समय आता है। जीवन में यह याद रखना चाहिए कि धन कमाने के लिए उल्टे सीधे तरीके नहीं आजमाने चाहिए।
क्योंकि जुआ सट्टा लाटरी इत्यादि की जब आदमी को लत लग जाती है तो आदमी को बर्बाद होने में देर नहीं लगती। लेकिन जीवन में कुछ समय ऐसा भी आ जाता है कि आदमी बेतहाशा रूप से कर्जे में फंस जाए। कोई बीमार हो जाए किसी की बीमारी पर बहुत ज्यादा पैसा लगा दिया जाए। तो घर तक बिकने की नौबत आ जाती है। उन सभी मित्रों के प्रति अपने मन में में संवेदना रखते हुए। आपको एक साधना बताने जा रहा हूं इस साधना का प्रयोग कभी भी खाली नहीं जाता।
आकस्मिक धन प्राप्ति या यकायक पैसा प्राप्त कर लेना राहु ग्रह के अधीन होता है और बहुत सारा कर्जा हो जाना मंगल ग्रह के खराब होने की पूरी पूरी निशानी होती है इसलिए अपनी कुंडली का विश्लेषण अपने ज्योतिषी से करवाएं और उसके संबंधित सभी उपाय पूरे करें क्योंकि जब आप एकदम से धन प्राप्त करने के लिए कोई साधना करेंगे तो राहु ग्रह के नीच या विपरीत होने के कारण आपको धन की प्राप्ति नहीं होगी इसलिए इस साधना को करने से पहले अपने राहु ग्रह को एक बार ज्योतिषी से मिल कर के उसके विषय में पूरी जानकारी और उपाय कर लेनी चाहिए।
राहु को शुभ करने के लिए कुत्तों की सेवा की जानी चाहिए शनि ग्रह बृहस्पति ग्रह के उपाय करने चाहिए और मंगल यदि आपका कमजोर है या नीच है या दोषपूर्ण है या विपरीत है तो उसके भी आपको उपाय करने चाहिए मांस शराब इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए भोजन कभी भी बिस्तर पर बैठकर ना करें किसी को गाली ना बके इससे आपका राहु ग्रह कमजोर होगा और धन प्राप्ति के योग कम हो जाएंगे।
मंत्र साधना लेने से पहले गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करें और उसको यथा योग्य सम्मान और यथाशक्ति दक्षिणा दें ताकि उनकी जो शक्तियां हैं वह भी आप पर कृपा करें।
।।साधना।
○किसी भी शुभ महूर्त से ये साधना शुरू करें। इस साधना के लिए घर में एकांत स्थान का चुनाव करें साधना के दौरान आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहेगा।
○ साधना से पहले घर के किसी एकांत स्थान पर जहां ना तो बहुत लोगों का आना जाना हो और ना ही जहां पर शोर-शराबा हो वहां पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आपको अपने सामने एक आम के लकड़ी से बने हुए पटरी के ऊपर सवा मीटर लाल कपड़ा बिछा देना है उस लाल कपड़े के ऊपर आपने भैरव जी की तस्वीर रखनी है और वहां कलश स्थापना करनी है उसको पत्र धूप दीप भैरव जी को समर्पित करना है।
○ये यह साधना पूरे 40 दिन की है। लेकिन आपको ये साधना 2-3 दिन अधिक ही करनी चाहिए।
○पूरे 40 दिन साधक को पूर्णतयः ब्रह्मचर्य और सयंम धारण करना होगा।
○साधना काल में साधक को अपना खाना खुद बनाना होगा। अपने कपड़े बर्तन को खुद ही साफ करना होंगे।
○साधना स्थल पर साधक आपने आगे दाएं हाथ को दीपक जलाए और अपने बायें तरफ जल का पात्र अवश्य रखें।
○साधना को गुप्त रूप से करें उसके बारे में किसी भी व्यक्ति से चर्चा न करें।
○जिस कक्ष में साधना करें उसमें साधना काल में आप के इलावा कोई और ना जाये।
○जाप का समय वो होना चाहिये जब कोई भी घर का सदस्य हल्ला गुल्ला न करे।
○अपने क्रोध लोभ मोह और काम विकार से दूर रहें।साधना काल में किसी से गली गलौज ना करें।
○भोजन शुद्ध सात्विक ही करें।
○जाप के समय धूफ दीप प्रज्वलित कर के बैठें।
○मन्त्र को पहले याद कर लें फिर रुद्राक्ष की माला से जाप करें।
○जाप से पहले गणेश गुरु एवं भगवान शिव का ध्यान करें।
○सरस्वती मन्त्र :- ॐ गुरु जी सुर बिन मिले ना सुरस्ती, गुरु बिन मिले ना ज्ञान, उठो माई सरस्वती। दीपक बत्ती बालो, तन मन ला के करो ध्यान,रक्षा करेंगे श्री नाथ भगवान।सिर पर पंजा गुरु उस्ताद का साबत रख ध्यान, आदेश आदेश आदेश।
उपरोक्त मन्त्र का जाप करना है 2 माला प्रतिदिन।
फिर दूसरे मन्त्र का 5 माला जाप करना है।
○ॐ गुरु जी काला भैरो कपले केश ,कन्नी मुंद्रा भगवा वेश,जिथे सिमरां जिथे याद करां भैरों जति हाज़िर खड़ा काला भैरों चिट्टा भैरों,भैरो चिटमचिट्टा खोल घड़ा, दे दड़ा ,चले मन्त्र फुरो वांचा देखूं भैरोंनाथ जति तेरे इल्म का तमाशा।
उपरोक्त मन्त्र को जिस प्रकार लिखा गया है उसी
प्रकार ही बोलना है।
देवता सामने आने पर जब तक जाप समाप्त ना हो
देवता से बिलकुल भी नही बोलना ।जाप पूरा होने
के बाद आप देवता को प्रणाम कर के
जो वर चाहे मांग सकते हैं।
**।।साधना के फल।।**
○ये साधना साधक के आज्ञा चक्र को जाग्रत करती है।
○भविष्य में होने वाली घटनाओं का साधक को पहले से ही ज्ञान हो जाता है।
○प्रतिदिन पांच मीठी रोटियां कुत्तों को अवश्य खिलाएं
○इस साधना में साधक को दड़ा सट्टा लॉटरी के नंबर प्राप्त होते है।
○साधना पूरा होने से पहले सट्टा लगाना य्य किसी को बताना मना है।
○अगर साधक अपनी साधना के अनुभव किसी से बताता है तो साधक की सिद्धि खंडित हो जाती है।फिर वापिस साधना करनी पड़ती है।
○सट्टे से प्राप्त धन के 50% धन को किसी अच्छे काम में लगा देना चाहिए।
○सिद्धि प्राप्त होने के बाद भी साधक को 5 माला प्रतिदिन नियम पूर्वक निर्धारित समय और स्थान पर जप करना चाहिए।
○होली दीपावली या किसी भी पर्व पर यत्नपूर्वक जाप करके होम एवं देवता को भेंट देनी चाहिए।
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