शनिवार, 9 जनवरी 2021

दाना ए सुलेमानी की सिद्धि

((दाना ए सुलेमानी हासिल करने का अमल))
दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसा अमल बताने जा रहा हूं जो अमल थोड़ा मुश्किल तो है क्योंकि इसकी पढ़ाई लंबी है और परहेजगारी से काम लेना पड़ता है लेकिन इसके बाद जो सिद्धि आपको प्राप्त होती है दुनिया में किसी और अमल या चिल्लाकशी या सिद्धि करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

आज मैं आपको दाना ए सुलेमानी सिद्ध करने का अमल बताने जा रहा हूं हालांकि यह अमल बहुत परहेजगारी का है लेकिन फिर इस से प्राप्त होने वाली शक्ति से आप कुछ भी कर सकते हैं।

ये अमल मुस्लिम धर्म का है खासतौर पर जो लोग मुस्लिम धर्म से हैं और अपनी नमाज को बिना नागा सही तरीके से पढ़ते हैं उनके पास यह अमल यह पढ़ाई जल्दी सिद्ध हो जाती है।

(((आप भविष्य आपके अपने हाथों में होता है आपकी कब्र का अंजाम आपके हाथों में होता है जो जैसा करेगा वैसा ही भरेगा।))

पढ़ाई को कामयाब करने के लिए नमाज और दरूद अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ये अमल पूरे चालीस दिनों का है लेकिन कोई गलती/कमी होने सी सूरत में इस चिल्ले दूसरी और तीसरी बार भी करना पड़ सकता है।

भोजन में( बिना मिर्च मसले ) हल्का खाना और दरिया का पानी पिएं। अपना भोजन खुद तैयार करें। परहेज़गारी आपके पहले चिल्ले को ही कामयाब बना देगी। ऐसा खाना जो आपके मुंह से बदबू पैदा कर दे कच्ची लहसुन प्यार जो प्याज हींग सिगरेट बीड़ी इत्यादि इस साधना काल में भर पूरी तरह वर्जित है।

जब आप के सामने मवक्किल हाज़िर हो और आप दाना के सुलेमानी उससे मांगे तो जब मवक्किल वापिस नही आता तब तक अपने कमरे में से बाहर नही जाना।

इस पढ़ाई के पूरा होने के बाद कोई भी जायज काम आप कर सकते हैं इस से कुछ भी करवा सकते हैं किसी गुमशुदा का पता लगा सकते हैं किसी मरीज के ऊपर से जिन जिन्नात का असर खत्म कर सकते हैं ऊपर की हवा को हटाने में यह बहुत कारगर है।

होने वाली बातों का आपको पहले से ही मुवक्किल के जरिए से पता चल जाता है। और किसी भी मुश्किल से निकलने का हल भी।

यह ऊंचे दर्जे की पढ़ाई है 

ये 41 दिनों की पढ़ाई है 
इस पढ़ाई में पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है इस साधना में कच्चा प्याज लहसुन मुह को दुर्गन्धित करने वाली  चीजें वर्जित है
साधना संबंधित नियमों का पूरी तरह से पालन इसमें करना पड़ता है। अगर आप बीड़ी सिगरेट पीते हैं तो अमल से एक हफ्ता पहले उसे छोड़ दें।
खिलवत अर्थात तन्हाई में ये साधनाएं की जाती है।
सभसे पहले यदि आप को पेट गैस की समस्या है तो पहले उस को ठीक करें। 
पूरी साधना और उसके बाद भी लघुशंका या मूत्रत्याग बैठकर ही करें और मूत्रत्याग करने के बाद इस्तिनज़ा जरूर करें ये आदत आपको पक्के तौर पर बनानी है।

फिर एक तन्हा कमरे का प्रबंध करें। उस कमरे में से फालतू समान निकाल दें। और लीप पोत/चूना इत्यादि करवा दें।

उस कमरे में चटाई बिछा कर पानी को किसी साफ बर्तन में भरकर अपने पास जरूर रखें।

पढ़ाई शुरू करने से पहले इत्र लोबान कोयला इकट्ठा खरीद कर रख ले ताकि आपको साधना में कोई परेशानी ना हो।

पहले दिन आप सफेद मिठाई के ऊपर फातिहा देकर मिठाई बच्चों में बांट दें

जब किसी भी महीने का नया चाँद हो जिसको नौचंदी बोला जाता है बुधवार/बृहस्पतिवार/जुम्मा या शुक्रवार की रात को पांचवीं नमाज के बाद वजू करें।

कोयले सुलघाकर आग तैयार करें और थोड़ा थोड़ा लोबान पढ़ाई के वक्त आग पर डालता जाए जिससे कि खूब सारी खुशबू उठती रहे अपने बदन और कपड़ों पर हिना का इत्र या  ऊद का इत्र जरूर लगाएं सिर को किसी साफ कपड़े से ढक कर पढ़ाई करें।

अल्थी पलथी मार कर पश्चिम की और रुख/मुहं करके बैठ जाएं और सभसे पहले 41 बार आयतल कुर्सी पढ़कर अपने हाथों पर फूंक दें और सीधे हाथ की index finger/अनामिका उंगली/शहादत की उंगली से अपनी चारों ओर हिसार के लिए इशारा करें।

                        ।।आयतल कुर्सी।।
       अल्लाहु ला इला-ह इल्लल्लाहु-वल हय्युल क़य्यूमु 
       ला तअ् खुज़ुहू सि-न तुंव-व ला नौम लहू मा         
       फि़स्समावातिं व मा फ़िल अर्ज़ि मन ज़ल्लज़ी यश्           फ़उ अिन-द-हू इल्ला बिइज़्निही यअ्लमु मा बै-न           ऐदीहिम व मा ख़ल-फ़ हुम व ला युहीतू-न बि शैइम         मिन अिल्मि ही इल्ला बि-मा शा-अ व सि-अ   
       कुर्सि-युहूस्समावाति वल अर्ज़ि व ला यऊदु हू 
       हिफ़्जुहुमा व हुवल अ़लीयुल अज़ीम

               ।।इब्राहीमी दरूद शरीफ।।
      अल्लाहुम्मा सल्लीअला महम्मदिवं व अला आले     
      महम्मदिवं कमा सल्ले त अला आले इब्राहिम व              अला आले इब्राहिम इंनका हमीदुम मज़ीद।
      अल्लाहुम्मा बारिक अला महम्मदिवं व अला आले   
      महम्मदिवं कमा बारिक त अला इब्राहिम व अला 
      आले इब्राहिम इंनका हामीदुम मज़ीद।


फिर आपको एक तस्बीह दरूद शरीफ पहले/अव्वल और अज़ीमत के बाद/आखिर में पढ़ें।

इस अज़ीमत को 1093 बार रोज़ाना पढ़ना है।

((अजीबु या सफ़राईलु बिहक़्क़ या समद या कयूमु या रब्बु।))

इस में आपको 30 दिनों के बाद रूहानी शक्तियों अपने आस पास होना महसूस हो जाएगा। 

एक बात का विशेश बात का जरूर ध्यान रखें पढ़ाई के वक्त मुवक्किल हाजिर होगा और आपसे यह अमल करने का कारण पूछेगा लेकिन आपने उसको जवाब-सवाल किए बिना अपनी पढ़ाई को जारी रखना है पढ़ाई पूरा करने के बाद ही उसे कोई कलाम करें या बातचीत करें।

जब तक आपकी पढ़ाई पूरी ना हो तब तक मवक्किल से कोई बातचीत नहीं करनी है पढ़ाई पूरी होने के बाद चाहे उस मुवक्किल को अपने साथ और रखने की शर्तें तय कर दें या उससे दाना सुलेमानी मांग लें अगर यह मुवक्किल समय से पहले आपके पास हाजिर होता है तो भी आपको 40 दिन की साधना करनी ही करनी है पढ़ाई को बीच में नहीं छोड़ना।

अमल के दौरान जो अनुभव आपको प्राप्त हो उसके विषय में आप किसी को नहीं बता सकते उस अवस्था में आपकी प्राप्त की हुई सभी शक्तियां स्वतः समाप्त हो जाएंगी।

दाना ए सुलेमानी सीधे तौर से हासिल नही होता बल्कि मवक्किल के जरिये से हासिल होता है। यह सफराईलू मुवक्किल दाना ए सुलेमानी का मुहाफिज मुवक्किल है।

जब ये साधना की जाती है तो पहले मवक्किल हाज़िर होता है आपकी मर्जी होती है कि आप मवक्किल को आपने साथ रखना चाहते हैं या उससे सुलेमानी दाना  हासिल करते हैं।

क्योंकि जब मुवक्किल आपके पास आता है तो आपसे पूछता है कि तुमने मुझे अपने पास क्यों बुलाया फिर आप चाहे आप उससे सुलेमानी दाना जिन हासिल करें या उसे ही अपने साथ रख ले शर्त तय होने के बाद आपको शर्त निभाना बहुत जरूरी होता है।

साधना पूरी हो जाने के बाद आप में इतनी ताकत आ जाती है कि कोई भी जिन्न या परी आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता। आप किसी भी मरीज के ऊपर से भूत प्रेत जिन्न चुड़ैल इत्यादि को हटा सकते हैं।

जैसा कि मैंने पहले बताया जब आप इस साधना को मना करने का मन बनाएं तो आप इस साधना को तीन बार करने के लिए तत्पर रहें क्योंकि मवक्किल कई कई बार जल्दी हाजिर नहीं होते।

दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास सफलता का सूत्र है।
इस साधना को करने के लिए उस्ताद /गुरु का होना जरूरी है वरना जान का खतरा भी हो सकता है।









रविवार, 20 दिसंबर 2020

Nagar kheda/dada bhimiya/deeh baba sadhana

Dada Nagar Kheda Sadhana is the most important practice


 Kshetrapal or village deity city deity deh deity is called by many names. When the scriptural Havan is done, the place of the village deity is given to him in the name of the deity.


 Because without his grace, there is no protection from the negative forces of havan / yajna.


 You worship any style of Tantra Mantra, any goddess / deity in any style, you will have to worship the city Kheda village deity in some form or the other without worshiping them, you do not get any kind of accomplishment.


 Dada Nagar Kheda or Bhomiya ji is a boon of milk pot to the devotees and fulfills the wishes of the devotees. Any kind of hindrance in any form in life, if you have come to worship or serve the city Kheda is all away.  She goes.


 In my knowledge, many seekers have received darshans of Nagar Kheda Babaji or Bhomiya ji many times and all the services have been successful. The second special thing is that when you serve Nagar Kheda or Bhomiya ji, after that you will find someone  It is not possible to compete with negative energy. No small or small obstacle can remain in your house or around you or in your body because without their permission any energy / god / goddess / demon in their area or any  Even type of air cannot enter.


 Somewhere in the form of Bhomiya ji, Hanuman ji is the principal deity of the village; sometimes Bhairav ​​ji is somewhere else, some other deity is different village deity.


 Though his mantra is a bit difficult, but simple service is very simple, just as the ritualistic practice of Lord Bholenath is very difficult and simple service is very simple, in the same way, lawful worship of Nagar Kheda is very difficult but simple service can be done by anyone.  And can also benefit from it.

 However, women are prohibited to some extent by worshiping the city.


 In this article I will tell you about both ordinary practice and mantra cultivation.


 Whether you do simple service or do mantric service, you have to sleep on the ground during that sadhana and observe the Brahmacharya fast completely, keep your mind pure and engrossed in contemplation of God during the spiritual period.

 Their service can be started from the first Sunday of the Shukla Paksha of any month.

 Retire before sunrise in the morning and take bath and wear pure clothes.


 In a large vessel, which can range from 1 liter to 5 liters, prepare raw lassi (pure water and Ganga water put some raw milk in it, add a little sweet clean sugar or Betashe or if you don't get it, add a little jaggery to it.  Then add some whole raw rice)


 Water has been prepared to bathe Nagar Kheda Dada Bhomiya. According to your reverence, go to Dada Bhomiya's place before sunrise.

 Take a little incense with you, matchbox, cotton, desi ghee, two small pieces of clay, some white colored flowers, ₹ 5 K Bache.

 First of all, when you reach Dada Bhomiya's place, then give him the bath that you have prepared the above raw lassi (Abhishek water) to the city Kheda Dada Bhomiya Ji with that water.  With full faith / reverence.

 After that, burn lamps of desi ghee there and offer incense and offer flowers and incense.


 Offer your prayers to the city Kheda Dada Bhomiya and after saluting, come quietly to your home, similarly visit his place every day.  You can also light a lamp by going there in the evening every day, you will get fruits very quickly.


 Now we talk about spiritual practice.


 Here I want to make clear to you one thing which is giving to you in the mantra, that is completely correct, it is practical, before that many seekers have attained the proof that they have also attained fulfillment, from which mantra the philosophy and blessings of Nagar Kheda have been received.  Yes, some people may get confused due to the use of some Muslim words in this mantra, but the method by which I have received this mantra, I am telling you this mantra further in the same method if this mantra of faith  If done together, this mantra will definitely work.


 The service for the city camp was 41 days and this mantra that I gave in the video is the self-proven mantra, the mantra is as follows


 "Bismillah Rahman Rahim twenty two hundred Khwaja twenty three hundred Pir Ramchandra Chalve arrows be ready, order my city, Pir Meri Aan Mere Guru, Mere Guru, My Guru Diya Duhai, Guru Gorakhnath, Order Order."


 Choose a secluded and clean place in your house. Keep your face towards the east. Put a gargoyle made of mango wood in front of you and lay a quarter meter red cloth on it and install an urn on it and two lamps one mustard oil  Burn incense, lamp, fruits, flowers, sweets, betasha, 7-long 7-cardamom couple Molli / Kalwa You should apply 5 to 10 garlands daily to Baba according to your ability.


 After bathing Dada Nagar Kheda every morning in the evening, you have to come back home by putting incense lamps etc. and remain silent as you come.



 Until the practice is done, do not shave nails and hair, do not shave, use of cream powder, st etc. is completely forbidden.


 On the third day itself, you will start having strange experiences and darshan of the city Kheda and the white long-bearded elderly in white clothes.


 If, with this sadhana, the presence of the name of Khwaja Khizr Zinda Pir is given daily every evening, and that too before you start chanting, then you get a tremendous power of this sadhana.


 How the raw spot is prepared that whole rice and sugar are mixed, put a little desi ghee on it and rub it with soft hands and put a small pill on it with a small distance of perfume and  This presence is omitted while reciting a river canal river mantra in clear water while walking.


 The same work is done every day at a certain time and place, thus attendance is given to the Khwaja ji who had been present so many years ago;  That the assembly is of a fist, a coin of currency (which can be of any metal) or an iron nail is also inserted.



 Giving attendance, a garland of this mantra or 21-51-11 times can be read this mantra.


 The mantra to present Khwaja ji is as follows: -


 Bismillah rahman rahim khwaja khijar zinda pir hither madar dastagir siddhan nathan da sardar kachiya pakkiyan kadhiyan tere naam diyaan

शनिवार, 12 दिसंबर 2020

नगर खेड़ा दादा भोमिया मंत्र

दादा नगर खेड़ा साधना सबसे सर्वोपरि साधना है 

क्षेत्रपाल या ग्राम देवता नगर देवता डीह देवता इन्हें कई नामों से पुकारा जाता है जब कहीं शास्त्रोक्त हवन किए जाते हैं तो ग्राम देवता का स्थान देवता के नाम से आहुति इनको दी जाती है।

क्योंकि इनकी कृपा के बिना हवन/ यज्ञ की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा नहीं हो सकती।

आप किसी भी शैली के तंत्र मंत्र की, किसी भी शैली से किसी भी देवी/ देवता का पूजन करें आपको किसी ना किसी रूप में नगर खेड़ा ग्राम देवता को पहले पूजना ही पड़ेगा इनको पूजे बिना आपको किसी प्रकार की कोई सिद्धि विशेष प्राप्त नहीं होती।

दादा नगर खेड़ा या भोमिया जी भक्तों को दूध पूत का वरदान देने वाले हैं और भक्तों की मनोवांछित इच्छाओं को पूरा करते हैं किसी भी तरह की रुकावट जीवन में किसी भी रूप में अगर आई हो नगर खेड़ा की साधना या सेवा करने से वह सभी दूर हो जातीं हैं।

मेरी जानकारी में बहुत सारे साधकों को नगर खेड़ा बाबाजी के या भोमिया जी के कई बार दर्शन प्राप्त हो चुके हैं और सभी सेवाएं सफल हुई हैं दूसरी विशेष बात यह है कि जब आप नगर खेड़ा या भोमिया जी की सेवा करते हैं उसके बाद आप को किसी भी नकारात्मक ऊर्जा से टक्कर दे पाना संभव नहीं होता कोई भी छोटी-मोटी या छुद्र बाधा आपके घर में या आपके आस पास या शरीर में नहीं रह सकती क्योंकि इनकी आज्ञा के बिना इनके क्षेत्र में किसी भी ऊर्जा/देवता/देवी/दानव या किसी भी प्रकार की हवा का प्रवेश नहीं हो सकता।

कहीं कहीं भोमिया जी के रूप में हनुमान जी ग्राम के प्रधान देवता होते हैं कहीं-कहीं भैरव जी कहीं-कहीं कोई अन्यान देवता अलग-अलग ग्राम देवता होते हैं।

इनकी मंत्र साधना हालांकि थोड़ी कठिन होती है लेकिन साधारण सेवा बहुत सरल होती है जिस प्रकार भगवान भोलेनाथ की विधानोक्त साधना बहुत कठिन होती है और सरल सेवा बहुत ही सरल उसी प्रकार नगर खेड़ा की विधानोक्त पूजा बहुत कठिन होती है लेकिन साधारण सेवा कोई भी चाहे कर सकता है और उससे लाभ भी उठा सकता है।
हालांकि स्त्रियों को नगर खेड़ा पूजा कुछ हद तक वर्जित होती है।

इस लेख में मैं आपको साधारण साधना और मंत्र साधना दोनों के विषय में बताऊंगा।

चाहे आप सेवा साधारण करें या मांत्रिक सेवा करें आपको उस साधना के समय में भूमि पर शयन करना है और ब्रम्हचर्य व्रत का पूर्णतया पालन करना है अपने मन को शुद्ध रखें और साधना काल में ईश्वर के चिंतन में तल्लीन रहे।
किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से इनकी सेवा प्रारंभ की जा सकती है।
प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व सौंच/स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।

एक बड़े पात्र में जोकि 1 लीटर से 5 लीटर तक का हो सकता है कच्ची लस्सी तैयार करें (शुद्ध जल और गंगाजल उसके अंदर कुछ कच्चा दूध डाल दें थोड़ा सा मीठा साफ चीनी या बताशे या वो भी ना मिले तो थोड़ा सा गुड़ डाल दे उसके उपरांत थोड़े से साबुत कच्चे चावल मिला ले)

नगर खेड़ा दादा भोमिया को स्नान कराने के लिए जल तैयार हो चुका है अपनी श्रद्धा के अनुसार सूर्योदय से पूर्व दादा भोमिया के स्थान पर जाएं।
अपने साथ थोड़ी सी धूप बत्ती, माचिस, रूई, देसी घी, दो मिट्टी के छोटे-छोटे दिए, कुछ सफेद रंग के फूल, ₹ 5 के बताशे अपने साथ ले ले।
सबसे पहले जब आप दादा भोमिया के स्थान पर पहुंचे तो उन्हें जो आपने उपरोक्त कच्ची लस्सी(अभिषेक जल)तैयार किया है उस जल से नगर खेड़ा दादा भोमिया जी को स्नान करवाएं। पूरी आस्था/श्रद्धा के साथ ।
उसके उपरांत देसी घी के दीपक वहां जलाएं धूप लगाकर पुष्प चढ़ाएं और बताशों का भोग लगा दे। 

अपनी प्रार्थना नगर खेड़ा दादा भोमिया से करें और नमस्कार करने के बाद चुपचाप अपने घर आ जाएं इसी प्रकार प्रतिदिन उनके स्थान पर जाएं। आप प्रतिदिन सायंकाल को वहां जाकर दीया भी लगा सकते हैं इससे आपको अति शीघ्र फल की प्राप्ति होगी।

अब बात करते हैं हम मांत्रिक साधना की।

यहां मैं एक चीज आप लोगों से स्पष्ट कर देना चाहता हूं जो मंत्र में आपको दे रहा है वह पूर्णरूपेण सही है प्रायोगिक है इसका पहले कई साधकों ने प्रमाण प्राप्त किया है उनको सिद्धि भी प्राप्त हुई है नगर खेड़ा के दर्शन और आशीर्वाद किस मंत्र से प्राप्त हुआ है हां इस मंत्र में कुछ मुस्लिम शब्दों का प्रयोग होने के कारण कुछ लोगों को भ्रांति उत्पन्न हो सकती है लेकिन जिस पद्धति से मुझे यह मंत्र प्राप्त हुआ है मैं उसी पद्धति में इस मंत्र को आगे आपको बता रहा हूं अगर इस मंत्र को आस्था के साथ किया जाएगा तो यह मंत्र अवश्य ही कार्य करेगा।

नगर खेड़े की सेवा 41 दिन की और यह मंत्र जो मैंने दिया वीडियो में वह स्वयं सिद्ध मंत्र है मंत्र इस प्रकार है

"बिस्मिल्लाह रहमान रहीम बाईस सौ ख्वाज़ा तेईस सौ पीर रामचंद्र चलावे तीर हाजिर हो जा मेरे नगर खेड़े पीर मेरी आन मेरे गुरु मेरे गुरु दी आन दुहाई गुरु गोरखनाथ की आदेश आदेश आदेश।" 

अपने घर की किसी एकांत और साफ-सुथरे स्थान  का चुनाव करें अपना मुंह पूर्व की ओर करें अपने सामने आम की लकड़ी से बनी हुई चौकी रखें  और उस पर  सवा मीटर लाल कपड़ा बिछा दे  उस पर  कलश स्थापित करें  और  दो दीपक  एक सरसों के तेल का एक देशी घी का जलाएं धूप,दीप,फल,फूल,मिठाई,बताशा,7-लोंग 7- इलाइची  जोड़ा मौली/कलावा  यह भोग आप बाबा को प्रतिदिन लगाकर 5 से 10 माला अपनी सामर्थ्य के अनुसार जाप करें।

प्रतिदिन सुबह शाम को दादा नगर खेड़ा को स्नान करवाकर वहां धूप दीप इत्यादि लगा कर वापस घर आ जाना है और आते जाते हुए मौन रहे।
 
जब तक साधना चले तब तक नाखून और बाल नहीं कटवाना शेव नही करना क्रीम पाउडर सेंट इत्यादि का प्रयोग पुर्णतः वर्जित है।

तीसरे दिन ही आपको विचित्र अनुभव एवं नगर खेड़ा के दर्शन होने लग जाएंगे और सफेद वस्त्रो में सफेद लंबी दाढी वाले बुजुर्ग के दर्शन होंगे।

अगर इस साधना के साथ प्रति सायंकाल को ख्वाजा ख़िज़्र जिंदा पीर के नाम की हाजिरी कच्ची प्रतिदिन दी जाए और वह भी जाप शुरू करने से पहले तो इस साधना की एक प्रचंडतम शक्ति आपको प्राप्त होती है।

कच्ची हाजिरी किस प्रकार तैयार की जाती है कि साबुत चावल और शक्कर को मिला लिया जाता है उस पर थोड़ा सा देसी घी डालकर उसे नरम हाथों से मल लिया जाता है और उसके ऊपर थोड़ी दूरी की इत्र लगाकर एक छोटी सी गोली रख दी जाती है और चलते हुए साफ पानी में किसी दरिया नहर नदी मंत्र पढ़ते हुए इस हाजिरी को छोड़ दिया जाता है।

प्रतिदिन यही कार्य निश्चित समय और स्थान पर किया जाता है इस प्रकार हाजिरी दी जाती है आज से बहुत साल पहले जो ख्वाजा जी की हाजिरी दी जाती थी तो वह गेहूं से बने हुए दलिए की हाजिरी दी जाती थी कुछ कुछ क्षेत्रों में इस हाजिरी में जो कि सभा मुट्ठी की होती है मुद्रा का सिक्का (जो कि किसी भी धातु का हो सकता है)या कोई का लोहे का कील भी डाल लिया जाता है।


हाजिरी देते हुए इस मंत्र की एक माला या 21-51-11 बार ये मन्त्र पढ़ा जा सकता है

ख्वाजा जी को हाजिरी देने का मंत्र इस प्रकार है:- 

बिस्मिल्लाह रहमान रहीम ख्वाजा खिजर जिंदा पीर इधर मादर दस्तगीर सिद्धां नाथां दा सरदार कच्चीया पक्कीयाँ कडहियां तेरे नाम।

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

DYOT SIDH BABA BALAK NATH SADHANA

Immortal Siddha Yogi Leela dhari Baba Nath Ji Balak Nath ji, who provides Siddhi Shakti as formation of Baba Bholenath, is famous in the world and he does not need any introduction, who fulfills the wishes of his devotees, the devotees who are full of wealth and cereal.  One who gives the blessing of  wealth worshipped in delhi haryana Punjab and Himachal Pradesh States of india.


Fulfilling all wishes of his devotees.  It is a pure vegetarian (Satvik) deity, the incarnation of Yogi Baba Bholenath.  Normally, they find the offerings of rot (type of cake made by juggry and weat floor on ground) parshad in offerings, in this they rot their langot , coconut, dhawaja (flag) and Baba Nahar Singh ji  who is also worshiped with him, goes to goat.


All the wishes of the devotees are fulfilled by this spiritual practice.

And devotiee can also gets darshan of baba ji.with the blessings of Baba ji, all the tasks which have stopped in life gain momentum.


 Method:-

Especially start this practice on the moons first Sunday of any month.


First of all, install a picture of baba Balak nath or Shivalinga or Baba Balak Nath by laying a one and a quarter meter red cloth on a mango wood in a clean place in seclusion.

Then offer a mala of sented flowers on it, two and a half meters to two meters of orange i.e. two clothes or (Jogia color) (one for Baba Balaknath Ji and one for  Guru Gorakhnath ji) and added pair of yageopvita pair of betel nut, with seasonal fruit flowers and then in the name of Baba Balak Nath  put their one Chimta(extractor made by iron
) khadao ( pair or wooden sleeper) light a lamp of home-grown ghee and put a water pot on red cloth.


 If possible, also burn dhuna  every Sunday.  As long as the dhuna continues, keep sitting there and chanting mantara.offer a couple rot parshad their weight would be according to your financial capacity and then distribute the Prasad to the children.


Offer cow's milk in the name of Baba Balak Nath and Guru Gorakhnath Ji in two containers everyday.  And then divide it into boys.


Follow the rule of Brahmacharya Vrat very strictly during Sadhana.

 Sleep on the ground, cleanse your mind.


Eat pure vegetarian fruits or dairy or take fruit juice tea at the same time.


Do not cut nail hair,don't use soap, scented oil comb, during this practice.


Do the chanting of the mantra which is being given to you five mala daily with the rosary of Rudraksha.


You have to do this for five consecutive Sundays daily ie a quarter of a month.


 The direction of chanting will be east-facing.


On completion of Sadhana, offer one and quarter kilograms rot parshad to Baba Balaknath and one Baba guru gorakh Nath each.


After the completion of spiritual practice, every stopped work of your life moves towards prosperity and there will be no problem in life, there is no shortage of money, the fear of ghost haunts is over, the obstruction of cremation etc. is destroyed.  Baba Balak Nath informs the seeker in advance about any future mishap and its rescue path. This Sadhana has been performed by many sadhus and has never been fruitless.


Big ghosts run away from the phantom sadhak, the sadhak for whom the prayer also prays is done.


If someone has a hindrance of ghosts, then remember Baba Balak Nath and offer sacrification from affected persion to Nahar Singh Veer.


Even after the completion of the experiment, Sadhak should keep chanting this Mantra daily.


mantra:-
om guru ji
dayotasiddh se jogi aaya,
bagali chimata saath mein laaya. 
kanni mudra pair khadaoo  
sant janon ke kaary saaje.
dayotasiddh ke paunaahaari mor savaari baaba baalak naath.
datt guru ka chela, desh duniya mein danka baaje dayaal ho dayaal ho
ek vaqt hajaar savaali meri arji jaye na khaali. 
bajai singi bajai nagaara,
paunaahaar i aap rakhavaala
aadesh aadesh aadesh. 

 


 There are many more secret mantras concerning Baba Balak Nath, slowly through the video, through the blog, I am committed to share all those resources with you.

गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

दयोट सिद्ध बाबा बालक नाथ की साधना।

बाबा भोलेनाथ का साक्षात स्वरूप सिद्धि शक्ति प्रदान करने वालेअमर सिद्ध योगी लीलाधारी बाबा नाथ जी बालक नाथ जी देश दुनिया में प्रसिद्ध है और इन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है भक्तों की मनोकामना को पूरा करने वाले भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करने वाले दूध पूत का वरदान देने वाले। पंजाब और हिमाचल प्रदेश में इनकी साधना बहुत की जाती है।

भक्तों के सभी कार्यों को पूरा करते हैं। यह एक शुद्ध सात्विक देवता है योगीयो के योगी बाबा भोलेनाथ का अवतार । सामान्यता इनको रोट का प्रसाद लगता है चढ़ावे में इनको रोट जनेऊ लंगोट नारियल ध्वजा और बाबा नाहर सिंह जी जो की इनके साथ ही पूजे जाते है उन को बकरा चढ़ता है।

भक्तों की सभी मनोकामनाएं इनकी साधना से पूरी होती हैं।
और बाबा जी के दर्शन प्राप्त होते है। और बाबा जी की कृपा से जीवन में रुके हुए प्रत्येक कार्यों में गति आ जाती है  सभी कार्य निर्विरोध सम्पन्न हो जाते है।

विधि:-
विशेषतया यह साधना किसी भी महीने के जेठे रविवार को शुरू करें।

सबसे पहले एकांत में साफ-सुथरे स्थान पर आम की लकडी के पटरे पर सवा मीटर लाल कपड़ा बिछा कर शिवलिंग या बाबा बालक नाथ का चित्र स्थापित करें।

फिर उसपर फूलों की माला अर्पित करें सवा दो दो मीटर के भगवे यानी जोगिया रंग के दो वस्त्र (एक गुरु गोरखनाथ जी का एक बाबा बालकनाथ जी ) के लिए और जोड़ा जनेऊ जोड़ा सबूत सुपारी,मौसमी फल फूल चढ़ाकर फिर बाबा बालक नाथ के नाम से एक चिमटा और खड़ाऊ स्थापित करें वहां पर देसी घी का दीपक जलाएं और धूफ लगाएं एक जल का पात्र रखें।

अगर हो सके तो प्रति रविवार को धूना भी जलाएं । जब तक धूना चलता रहे तब तक वहीं पर बैठ कर जाप करते रहें। एक जोड़ा रोट अपनी क्षमता के अनुसार वजन का भोग लगाए फिर उस प्रशाद का बालकों में वितरण कर दें।

प्रतिदिन दो पात्रो में गाय का दूध बाबा बालक नाथ और गुरु गोरखनाथ जी के नाम से अर्पित करें। और फिर बालकों में बांट दें।

साधना काल में बहुत कड़ाई से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।
भूमि पर ही सयन करें अपने मन को शुद्ध करें।

भोजन शुद्ध शाकाहारी फलाहार या दुग्धाहार करें या फलों का जूस चाय ले भोजन एक ही समय करें।

साधना में नाखून बाल नही कटवाने साबुन सुगंधित तेल कंघी का प्रयोग ना करें।

जो मंत्र आप को दिया जा रहा है इस मंत्र की पांच माला रुद्राक्ष की माला से जाप प्रतिदिन करें।

ऐसा आपको लगातार पांच रविवार प्रतिदिन यानी सवा महीना करना है।

जाप करने की दिशा पूर्वाभिमुख होगी आसन कंबल का या उन का हो तो उत्तम है।

साधना सम्पन्न होने पर सवा पांच किलो के एक रोट बाबा बालकनाथ और एक बाबा बालक नाथ को अर्पित करें।

सही से साधना संपन्न हो जाने पर आपके जीवन के प्रत्येक रुके हुए कार्य संपन्नता की ओर बढ़ जाते हैं और जीवन में कोई परेशानी नहीं आती धन की कोई कमी नहीं रहती भूत प्रेत का भय समाप्त हो जाता है शमशान इत्यादि की बाधा नष्ट हो जाती है। भविष्य में होने वाली कोई भी दुर्घटना और उसके बचाव का रास्ता बाबा बालक नाथ साधक को पहले ही बता देते हैं यह साधना कई साधुओं द्वारा संपन्न की गई है और कभी निष्फल नहीं हुई जनकल्याण के उद्देश्य से यहां इस साधना को प्रकाशित किया जा रहा है। 

बड़े-बड़े भूत प्रेत साधक से दूर भाग जाते हैं साधक जिसके लिए भी प्रार्थना करता है उस याचक के वह काम संपन्न हो जाते हैं।

अगर किसी को भूत-प्रेत की बाधा हो तो बाबा बालक नाथ को याद करके नाहरसिंह वीर का उतारा कर दें रोगी कुछ ही समय में स्वस्थ हो जाएगा और भूत-प्रेत की बाधा सदा सदा के लिए समाप्त हो जाएगी।

प्रयोग के संपूर्ण होने के बाद भी प्रतिदिन एक माला इस मंत्र का जाप साधकों करते रहना चाहिए।

मंत्र:-
ॐ गुरु जी दयोटसिद्ध से जोगी आया,बगली चिमटा साथ में लाया। कन्नी मुद्रा पर पैर खड़ाऊ  संत जनों के कार्य साजै।दयोटसिद्ध के पौनाहारी मोर सवारी बाबा बालक नाथ।दत्त गुरु का चेला, देश दुनिया में डंका बाजै दयाल हो दयाल हो।एक वक़्त हजार सवाली मेरी अर्जी जाए न खाली। बजै सिंगी बजै नगारा,पौनाहारी आप रखवाला आदेश आदेश आदेश।

बाबा बालक नाथ के विषय में और भी बहुत सारे गुप्त मंत्र हैं धीरे धीरे वीडियो के माध्यम से ब्लॉग के माध्यम से मैं आपसे उन सभी साधनों को सांझा करने के लिए वचनबद हूं।

शनिवार, 7 नवंबर 2020

बंदिश आप पर हो या आप की गद्दी की 100% खुल जाएगी


दोस्तों यद्यपि हाज़िरी सवारी खोलने के लिए बहुत सारे मंत्र प्रयुक्त होते हैं आज मैं आपको यहां पर एक बहुत गुप्त मंत्र बताने जा रहा हूं जिस गुप्त मंत्र का प्रयोग हम लोग खुद गद्दी खोलने के लिए करते हैं और यह अनुष्ठान  मेरे द्वारा किए हुए हैं और इनके अनुष्ठान कभी विफल नहीं जाते यहां मैं उसी गुप्त मंत्र को आपको बताने जा रहा हूं।

धन की कमी हो या सुख सुविधा की ऐश्वर्या प्राप्त करना हो या किसी भी बंदिश को खोलना हो इस मंत्र के द्वारा अवश्य ही सभी बंधन खुल जाते हैं।

3 से 5 हफ्ते के अंदर आप पर या आप की गद्दी पर जो  किसी ने भी बंदिश डाली होगी वह समाप्त हो जाएगी।

जीवन में एक बार इस मंत्र का अनुष्ठान जरूर करें अगर आप लोगों से बहुत निराश हुए हैं क्योंकि खुद का प्रयास करने में और दूसरे के ध्यान देने में बहुत अधिक अंतर होता है।

अब मैं इस मंत्र को आपको बताने जा रहा हूं और साथ ही साथ इसके प्रयोग करने की विधि भी आपको बताने जा रहा हूं।

इस मंत्र का मैं खुद 15 साल से प्रयोग करता रहा हूं कभी विफल नहीं हुआ मेरे जीवन में भी बहुत उतार-चढ़ाव आए लेकिन इन्हीं सब अनुष्ठानों से ईश्वर की कृपा से दिल कल तक मैं किसी पीड़ा से व्यस्त नहीं रहा बुरे समय और उतार-चढ़ाव ने जितना मुझे पीछे गिराया ईश्वर की कृपा और इन अनुष्ठानों से मैं और आगे बढ़ता चला गया।

जब भी आप कभी किसी देवी देवता की पूजा उपासना करते हैं व्रत उपवास करते हैं आपके धीरे-धीरे आपके जो घटने सरस्वती का वास होता है सरस्वती का वास होने के बाद सभी विद्या और सभी आपकी जुबान लगने चालू हो जाती है सभी विद्यालय आपके पास चालू होने शुरू हो जाती है यानी कि चल पड़ती है उनका आशीष लेकिन मैं किसी कारण से किसी भूल चूक होने से सामान्यतः नब्बे परसेंट यही होता है कि जो ज्योति करते हैं यार देखते हैं वह जब किसी का काम करते हैं या कोई उसकी समस्या को हल करते हैं यह किसी रोग का निवारण करते हैं तो अपने देवता को वह सामान नहीं दिलवा पाते हैं क्योंकि सामने वाले को आराम आ जाता है तो उसके बाद कहते की जरूरत बदल जाने के बाद ही आदमी की आंखें और उसकी भाषा शैली सब बदल जाता है इस लाइन में मरीजों को भी थोड़ा झूठ बोलने की आदत होती है  कि देवता को जब उसका भोग नहीं मिलता और भगत की गद्दी वह रुष्ठ होकर बांध देते हैं या बंधन पड़ जाता है
 कई बार खुद भी भगत देवता को तब खुद भी भोग नही दे पाता किसी कारन से स्मृति नहीं रहती किसी भी कारण से जब आप देवता को भोग नहीं दे पाते तो आपकी गद्दी पर बंधन अपने आप आता है 

मैं आपको एक चीज बताता हूं बंधन ऐसे नहीं होता कि एक बार आ गया स्थिर हो गया अपितु बंधन बार-बार आते हैं जब जब वह देवता का भाव आएगा या सवारी आएगी आपके बंधन में कसाव आएगा 

आपका शरीर टूटेगा भारीपन होगा और आपका कोई काम नहीं होगा।जब भी आप दिया बत्ती करोगे झटका लगेगा लेकिन सवारी पूरी तरह से नही आएगी आपका कोई काम नहीं होगा कोई जुबान नहीं आपकी लगेगी।

जब जुबान कहीं किसी काम में लगाओगे तो देवता आपकी जुबान नहीं पकडेगा। आपको तन्मयता से एक ही बार इस काम को करना है 

ताकि बार बार आपको शक्ति ना लगानी पडे क्योंकि मैं एक चीज बताता हूं एक बीप समान देवता की हवा का एक छोटा सा झोंका आपके काम बना भी सकता है और बिगड़े से बिगड़े काम बना सकता है और बने बनाये कामों को बिगाड़ भी सकता है।

इस चीज को थोड़ा स्मृति में रखें गहराइयों को समझने की कोशिश करें आज मैं आपको एक ऐसा गणेश जी का मंत्र बताने जा रहा हूं जो कि गुरमुखी मंत्र है

मंत्र इस प्रकार है:-
ओम नमो आदेश गुरु को,
विघ्न विनायक सिद्धि दाता।
गौरी पुत्र गणेश,
पांच लड्डू सिंदूर।
चार कुंठ की रिद्धि सिद्धि,
लाओ हमारे पास विद्या मेरी मुक्त कराओ।
शिव गौरां कैलाश ,
आदेश आदेश आदेश।।

यह एक स्वयं सिद्ध मंत्र है इसको प्रयोग करने की विधि है कि सबसे पहले इस मंत्र को याद कर ले।
उसके उपरांत शुक्ल पक्ष के किसी मंगलवार को प्रातः काल स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर  गुरु  और गणेश जी का पूजन करें  फिर हाथ में जल लेकर  संकल्प करें।
फिर पूजा के बाद आप जल फल दूध इत्यादि ग्रहण कर सकते हैं इसी प्रकार दिन में गणेश जी का चिंतन करें और शाम को गणेश जी की आरती प्रेम पूर्वक करें उनका पूजन करें 
फिर 5 लड्डू बूंदी वाले,
पांच गुड़ की भेली 
एक जोड़ा जनेऊ 
पीला सिंदूर 
लोंग इलाइची जोकि 5-5  हो 
गुड़हल के फूलों की माला 
पांच फल गणेश जी को अर्पित करें  
और खीर से व्रत तोड़े रुद्राक्ष की माला लेकर गणेश जी के सामने बैठकर पांच माला उपरोक्त मंत्र का जाप करें। और 
फिर प्रतिदिन सुबह शाम  गणेश जी का पूजन करता रहे और नित्य प्रति पांच माला का जाप करता रहे जाप रात्रि के समय में किया जाएगा  

इसी प्रकार यह  क्रम 5 हफ्ते तक चलेगा  5 हफ्ते के बाद  तिल् जौ गूगल और देसी घी मिलाकर आम की लकड़ी पर इसका होम कर दें 108 बार ऐसा करने से आपका यह अनुष्ठान पूरा हो जाएगा 

पूरे अनुष्ठान में आपको भूमि शयन और ब्रह्मचर्यव्रत का पूरी कड़ाई से पालन करना है। 

साधना काल में साधक के घर में मांस मछली शराब अंडा गोश्त किसी भी प्रकार के ऐसी वस्तु का प्रयोग नहीं होना चाहिए जिसके कारण आपको किसी प्रकार का कोई कष्ट आए।

ऐसा करने से साधारण किया 1 से 2 हफ्ते में ही परिणाम मिलने शुरू हो जाते हैं और सभी बंधन टूट जाते हैं। साधक हर बंधन से मुक्त हो जाता है स्वच्छंद और स्वतंत्र हो जाता है।
आपकी सेवा में मैंने प्रत्येक तरह से विस्तृत रूप से इस लेख को रखने की कोशिश की है। किसी प्रकार की कोई कमी रह गई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं।


रविवार, 27 सितंबर 2020

मज़ाक नही है राहु।

ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु को नवग्रहों में छाया ग्रह कहा जाता है। कहीं-कहीं इसे मारक ग्रह भी बोला गया है। 
हालांकि ये कुंडली की स्थिति पर निरभर करता है फिर भी
राहु का साया ऐसा होता जो एक बार किसी पर पड़ जाए तो व्यक्ति को अन्धकार में ला खड़ा करता है।

राहु और केतु का प्रभाव बिल्कुल रहस्यमयी होता है। इसलिए बहुत बार इसका प्रभाव समझ में नहीं आता है। राहु नकारात्मक ग्रह होता है जो हर हाल में व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है।

मानसिक तनाव सनक वहम डिप्रेशन इत्यादि रूप से ये हमारे जीवन को प्रभावित करता है इसकी स्थिति उच्च होने पर ये अचानक धन लाभ करवाता है।

खराब स्तिथि होने पर ये यह किसी भी ग्रह के शुभ प्रभाव को भी छाया की तरह कम कर देता है। 

राहु जीवन के जिस भाग पर प्रभाव डालता है उसमें विचित्र प्रकार की उलझन पैदा करता है। जिससे उबरना जातक के लिए मुश्किल हो जाता है।

राहु प्रभाव के कुछ लक्षण इस प्रकार है।

राहु अपने प्रभाव से व्यक्ति में नकारात्मक उर्जा भर देता है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की सोच समझ, खान-पान, भाषा शैली सब दूषित हो जाते हैं।

इसके अलावा राहु से प्रभावित व्यक्ति की जीवनशैली और दिनचर्या अनियमित हो जाती है।

राहु व्यक्ति के काम और रोजगार ऐसे असर डालता है

राहु के प्रभाव से व्यक्ति अचानक धन कमाने के चक्कर में पड़े रहते हैं।

जुए, लौटरी और सट्टेबाजी के चक्कर में आकंठ डूब जाते हैं।

किसी भी प्रकार के काम में बार-बार बदालव आता रहता है। यानि स्थिरता का अभाव रहता है।

बार बार रोड दुर्घटनाओं का होना परिवार में लगातार मृत्यु होना

राहु के प्रभाव से पारिवारिक जीवन खुशहाल नहीं रहता है।

वैवाहिक जीवन में अक्सर तनाव बना रहता है।

एक से अधिक विवाह की संभावना रहती है।

पारिवारिक संपत्ति या तो नहीं हाथ लगती है अथवा मुकदमा के सामना करना पड़ता है।

संतान उत्पति में विलंब होता है अथवा संतान समस्या का कारण बनता है।

ऐसी गंभीर बीमारी पैदा करता है राहु  स्किन और मुंह के गंभीर रोग होने की संभावना रहती है।

मूत्र रोग से संबंधित बीमरी पैदा होती है। व्यक्ति को कोई बीमारी होने के शक पैदा हो जाती है। 

राहु का प्रभाव होने पर कोई भी बीमारी जल्द पकड़ में नहीं आती है।


राहु के इस प्रभाव को कम करने के लिए कुछ समान्य उपाय:-
○शनिवार के दिन पिंजरे में कैद पक्षियों को आजाद करवाएं।
○गले में तुलसी की माला धारण करना चाहिए।

○घर की छत पर से अथवा दुकान में स्थित अनावश्यक चीजों को तुरंत हटा दें।
○रोज सुबह सूर्योदय के समय जगें और नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद तुलसी के पत्ते का सेवन करना चाहिए।
○नहाने के बाद सफेद चदन अथवा रक्त चंदन या केसर को माथे कंठ और नाभि में लगाना चाहिए।
○खाना खाते समय यह सदैव ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति का पूर्वाभिमुख ही रहे। और ज़मीन पर बैठकर भोजन करें।
○राहु की स्थिति खराब होने पर सिर पर चुटिया रखें।

○नियमित सूर्य देव को जल अर्पित करें।

○सूर्यास्त के पश्चात् राहु के मंत्र 'ॐ रां राहवे नमः' मंत्र जाप की संख्या 108 जाप करें। या 18000 जाप करें या ब्राह्मण से करवाएं।          

○सोमवार के दिन सफेद चंदन शिवलिंग पर अर्पित करें। 

○नीले धागे में चंदन की माला धारण करना चाहिए।

○अपने साथ पीले रंग का रूमाल रखना चाहिए।

○भोजन में दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए।

○प्रतिदिन ब्रहम मुहूर्त में गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।

कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...