ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु को नवग्रहों में छाया ग्रह कहा जाता है। कहीं-कहीं इसे मारक ग्रह भी बोला गया है।
हालांकि ये कुंडली की स्थिति पर निरभर करता है फिर भी
राहु का साया ऐसा होता जो एक बार किसी पर पड़ जाए तो व्यक्ति को अन्धकार में ला खड़ा करता है।
राहु और केतु का प्रभाव बिल्कुल रहस्यमयी होता है। इसलिए बहुत बार इसका प्रभाव समझ में नहीं आता है। राहु नकारात्मक ग्रह होता है जो हर हाल में व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है।
मानसिक तनाव सनक वहम डिप्रेशन इत्यादि रूप से ये हमारे जीवन को प्रभावित करता है इसकी स्थिति उच्च होने पर ये अचानक धन लाभ करवाता है।
खराब स्तिथि होने पर ये यह किसी भी ग्रह के शुभ प्रभाव को भी छाया की तरह कम कर देता है।
राहु जीवन के जिस भाग पर प्रभाव डालता है उसमें विचित्र प्रकार की उलझन पैदा करता है। जिससे उबरना जातक के लिए मुश्किल हो जाता है।
राहु प्रभाव के कुछ लक्षण इस प्रकार है।
राहु अपने प्रभाव से व्यक्ति में नकारात्मक उर्जा भर देता है। जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की सोच समझ, खान-पान, भाषा शैली सब दूषित हो जाते हैं।
इसके अलावा राहु से प्रभावित व्यक्ति की जीवनशैली और दिनचर्या अनियमित हो जाती है।
राहु व्यक्ति के काम और रोजगार ऐसे असर डालता है
राहु के प्रभाव से व्यक्ति अचानक धन कमाने के चक्कर में पड़े रहते हैं।
जुए, लौटरी और सट्टेबाजी के चक्कर में आकंठ डूब जाते हैं।
किसी भी प्रकार के काम में बार-बार बदालव आता रहता है। यानि स्थिरता का अभाव रहता है।
बार बार रोड दुर्घटनाओं का होना परिवार में लगातार मृत्यु होना
राहु के प्रभाव से पारिवारिक जीवन खुशहाल नहीं रहता है।
वैवाहिक जीवन में अक्सर तनाव बना रहता है।
एक से अधिक विवाह की संभावना रहती है।
पारिवारिक संपत्ति या तो नहीं हाथ लगती है अथवा मुकदमा के सामना करना पड़ता है।
संतान उत्पति में विलंब होता है अथवा संतान समस्या का कारण बनता है।
ऐसी गंभीर बीमारी पैदा करता है राहु स्किन और मुंह के गंभीर रोग होने की संभावना रहती है।
मूत्र रोग से संबंधित बीमरी पैदा होती है। व्यक्ति को कोई बीमारी होने के शक पैदा हो जाती है।
राहु का प्रभाव होने पर कोई भी बीमारी जल्द पकड़ में नहीं आती है।
राहु के इस प्रभाव को कम करने के लिए कुछ समान्य उपाय:-
○शनिवार के दिन पिंजरे में कैद पक्षियों को आजाद करवाएं।
○गले में तुलसी की माला धारण करना चाहिए।
○घर की छत पर से अथवा दुकान में स्थित अनावश्यक चीजों को तुरंत हटा दें।
○रोज सुबह सूर्योदय के समय जगें और नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद तुलसी के पत्ते का सेवन करना चाहिए।
○नहाने के बाद सफेद चदन अथवा रक्त चंदन या केसर को माथे कंठ और नाभि में लगाना चाहिए।
○खाना खाते समय यह सदैव ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति का पूर्वाभिमुख ही रहे। और ज़मीन पर बैठकर भोजन करें।
○राहु की स्थिति खराब होने पर सिर पर चुटिया रखें।
○नियमित सूर्य देव को जल अर्पित करें।
○सूर्यास्त के पश्चात् राहु के मंत्र 'ॐ रां राहवे नमः' मंत्र जाप की संख्या 108 जाप करें। या 18000 जाप करें या ब्राह्मण से करवाएं।
○सोमवार के दिन सफेद चंदन शिवलिंग पर अर्पित करें।
○नीले धागे में चंदन की माला धारण करना चाहिए।
○अपने साथ पीले रंग का रूमाल रखना चाहिए।
○भोजन में दूध और दूध से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए।
○प्रतिदिन ब्रहम मुहूर्त में गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।