(((जरूरी सूचना और चेतावनी, ये कडा कसीदा इंटरनेट पर नही है ये पहली बार इंटरनेट पर डाल रहा हूँ,बहुत ही कम लोगों पता है इसे मैं अपने पाठकों के लिए व्यक्तिगत रूप से उपयोग के लिए दे रहा हूँ कॉपी पेस्ट करने वाले नक्काल सावधान रहें वरना कानूनी आफत झेलनी पड़ेगी।।)))
○ये कड़ा कसीदा अपने आप में बहुत सारी ज़बरदस्त शक्तियों को समेटे हुए है।
○इस कडा कसीदा को पढ़ने वाले को किसी प्रकार की कोई भी उग्र से उग्र शक्ति सता या परेशान नही कर सकती। उल्टा उस पर अभिचार कर्म करने वाले कि ज़िन्दगी दिक्कतों में आ जाती है और कोई भी देवी देवता पितृ पीर फ़क़ीर उसकी सुनवाई नहीं करता और उसका सवाल बन्द हो जाता है।
○एक तस्बीह इक्कतलिस दिन तक मुक्कर्रर वक़्त और मंज़र पर चलते हुए पानी में पाँव लटकाकर पश्चिम दिशा की और रुख और मुहं करके बैठना है।
○कई तरह के डरावने अनुभव और मंज़र देखने को मिलेंगे जो लोग दिल की बीमारी के मरीज है ये कड़ा उनके लिए नही है।
○थोड़ा भोग अलग देने पर जल मशानी भी सिद्ध हो जाती है।
○नूर से भर जाता है साधक इसको करने के बाद।
○कोई काम मुश्किल नही रहता।
○तंगदस्ती इसको करने के बाद कभी नही होती।
○बंदिश रूहानियत की कितनी भी ज़बरदस्त हो खुलती ही खुलती है।
○हर मुराद पूरी हो जाती है इसको करने से।
○होने वाली घटनाओं का पहले ही महसूस होने लग जाता है।
○जुबान से निकली बात बंदूक की गोली से भी अधिक सटीक हो जाती है।
○इसमें कुछ अंश सुरक्षित रख लिए गये है पूरी विधि प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत रूप से संपर्क करें।
○बिस्मिल्लाह रहमानरहीम,
पीर को सलाम उस्ताद को सलाम,
सलाम तेरी कुदरत नु करदा, कसीदा करो कबूल,
माफ करी मेरे ख़्वाज़े जिंदा जे कोई होवे भुल्ल,
नूरी नूर दिखावे,ख्वाज़ा बेड़ी पर लगावे ख्वाज़ा,
इल्ल बला को मार भगावे,
पौन ख्वाज़ा,
पीर ख्वाज़ा,
ख्वाज़ा ज़िन्दा पीर,
तोड़े कुल्फ़ दे ज़ंज़ीर,
नाम खुदा दी बंदगी,
मुस्तफा दा नूर,
शेर खुदा दा रूप फकीरी,
होजा मेहरबान,बाई ख्वाज़ा दम दम सिमरू,
नूर ख्वाज़ा,
आतश ख्वाज़ा,
खाखी ख्वाज़ा,
ज़िन्दा ख्वाज़ा।
एक ख्वाज़ा-एक सलाम,
दो ख़्वाज़े-दो सलाम,
तिन ख़्वाज़े-तिन सलाम,
चार ख़्वाज़े-चार सलाम,
पंज ख़्वाज़े- पंज सलाम,
पंज नमाजां पंज वक़्त की मौला करो कबूल,
छे ख़्वाज़े छे सलाम,
सत ख़्वाज़े सत सलाम,
अठ ख़्वाज़े अठ सलाम,
नौ ख़्वाज़े नौ सलाम,
दस ख़्वाज़े दस सलाम,
गियारां ख़्वाज़े गियारां सलाम,
बारां ख़्वाज़े बारां सलाम,
तेरह ख़्वाज़े तेरह सलाम,
चौदह ख़्वाज़े चौदह सलाम,
पन्द्रह ख़्वाज़े पंद्रह सलाम,
सोलह ख़्वाज़े सोलह सलाम,
सतारां ख़्वाज़े सतारां सलाम,
अठारह ख़्वाज़े अठारह सलाम,
उन्नीस ख़्वाज़े उन्नीस सलाम,
बीस ख़्वाज़े बीस सलाम,
इक्कीस ख़्वाज़े इक्कीस सलाम,
बाइस ख़्वाज़े एक अज़मेर नु सलाम,
हिन्दवली दा पढो कसीदा होए बेड़ा पार,
इल्ल बलां नु मिट्टी करदे ,
या मेरे ख्वाज़ा पाक,
या मेरे साबिर पाक,
हक्क अल्ला हक्क अली हक्क ख्वाज़ा पीर।
कड़ा कसीदा ख़्वाज़े खिज़र का मुर्शिद पढ़या कन्न।
मारो मार चले मेरा ख्वाज़ा तोड़े सारे बन्न।
इक्क वारी जो पड़दा कलमा बन जांदे सब कम्म।
या ख्वाज़ा मोइनुद्दीन या साबिर अल्लुउदीन।