शोका वीर साधना।
○जीवन में कई बार ऐसा समय भी आता है जब हमारे परिवार में किसी सदस्य को भूत प्रेत की बाधा हो जाती है वह समय मनुष्य के लिए आम समय नही होता मनुष्य का जीना हराम हो जाता है। ऐसे समय में मनुष्य अपनी मदद के लिए दर दर भटकता रहता है और कुछ हाथ नहीं लगता थक कर बैठ जाता है और बहुत बार कई-कई साल तक इलाज कराने से और ढेरों पैसा खर्च करने पर भी आराम नहीं आ पाता ।
○मूल कारण ये होता है की कोई भी भगत या ओझा तांत्रिक आपके पारिवारिक सदस्य को आप जितना प्यार नही करता कई बार किसी किसी केस को इस लिए नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है क्योंकि इलाज करने वाले के पास पर्याप्त समय नही होता मैं आपको एक साधना दे रहा हूं यह साधना सात्विक है और इसके साथ साथ शक्तिशाली भी शौका वीर की।
○ मेरे पास ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जिनमें कि अपने परिवारिक सदस्य को ठीक करने के लिए बहुत सारे लोगों को तांत्रिक बनना पड़ा यह विद्या सीखनी पड़ी सिद्धियां करनी पड़ी उनकी वह की गई कोशिश और अथक प्रयास के कारण जिनको कोई हल नहीं कर पाया ऐसे केस भी हल हो गए और उन लोगों ने और लोगों का भी भला किया और अभी भी कर रहे हैं।
○उन लोगों के लिए यहां शोका वीर की साधना मैं आपको देने जा रहा हूं यह साधना 41 दिन की साधना है।
○ इसमें पूर्ण ते ब्रह्माचार्य का पालन करना पड़ता है और भूमि शयन करना पड़ता है बाकी इसमें कोई परहेज नहीं है।
○स्मरण रखने वाली बात यह है इसमें की शोका वीर किस साधना राजा हरिश्चंद्र के जमाने से चली आ रही है और उनको इनकी सिद्धि भी प्राप्त थी।
○ इस साधना की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस मे विघ्न नही आते।
○प्रतिदिन शाम को 7 से 8 इस मंत्र की 5 से 11 माला का जाप करें । सफेद हकीक की माला से ऐसा 21 या 41 दिन तक लगातार करें।
○ये एक सुलेमानी साधना है इस साधना में सिर ढककर ही मन्त्र जप करें और सफाई का विशेष ध्यान रखें कपड़े और आसन सफेद रंग के होगे। हमेशा इतर लगाकर रखें।
○साधना काल में साधक का मुंह पूर्व दिशा की ओर रहेगा सामने लोहबान सुलगता रहेगा और एक दीपक देशी घी का और एक सरसों के तेल का जलता रहेगा। और एक जल का पात्र आवश्यक रखें।
○ये साधना सम्पूर्ण हो जाने के बाद साधक किसी के भी ऊपर के भूत प्रेत बाधा को ठीक कर सकता है। इस साधना को सम्पन्न करने के बाद एक सफेद रंग का गमछा हमेशा अपने पास रखें।
○गुप्त रूप से वीर या उसके दूत साधक के साथ ही रहते है और साधक की मनोकामना पूरी करते है। साधना सही स संपन्न होने पर ये वीर इच्छुक वस्तु भी साधक को लाकर देते हैं।
○ सामान्यतः इस साधना में कोई भी नहीं आता लेकिन फिर भी मेरा अनुरोध है इस साधना को करने से पहले गुरु की आज्ञा प्राप्त करें तब भी इस साधना को शुरू करें सामान्यतः साधक किसी भी साधना को कर दो लेता है लेकिन उसके बाद में होने वाली जटिलताएं साधक को समझ नहीं आती और साधक उस जाल में फस कर रह जाता है और जीवन बर्बाद हो जाता है यदि निर्धारित करेगा कि आपको कौन सी साधना करनी है कौन सी नहीं।
○साधना काल के दौरान किसी का भी झाड़ फूँक न करें और ना ही किसी को कुछ बतावे ।
○प्रतिरात्री हवन कुंड में आग बनाकर काबुली चने के बराबर धूफ की 108 गोलियां बना कर और 216 टोपीदार लौंग अपने पास पहले से ही बनाकर रखे।
पहले 4 माला या 10 माला का जाप करें फिर अंतिम
माला से प्रत्येक बार मन्त्र पढ़ कर जोड़ा लौंग और एक गोली धूफ की कुंड में डाल दें।
○जाप करने से पहले धूफ दीप फल फूल मिठाई का भोग लगाएं फिर ही जाप शुरू करें।
○एक बात मैं आपको और बताता हूँ कि आसन पर बैठने से पहले आसन जाप 7,11 या 21बार जरूर पढ़ लें आसन मन्त्र के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें https://tantarvriksha.blogspot.com/2019/10/blog-post_63.html?m=1
○मन्त्र को अच्छी तरह से याद कर लें फिर ही अनुष्ठान शुरू करें।
मन्त्र:- सौ चक्र की बावड़ी लाल मोतियन का हार।
पद्मनी पानी नीकरी लंका करे निहार।
लंका सी कोट समुद्र सी खाई ।
चलो चौकी रामचंद्र की दुहाई।
कौन कौन वीर चले मस्तान वीर चले शोका वीर सवा हाथ जमीन सोखन्त जल शीतल करे।थल को सोखन्त करे पवन को सोखन्त करें।पानी को सोखन्त करें अग्नि को सोखन्त करें।पलीतनी को भूत प्रेत को पलट करें।
अपने बैरी को सोखन्त करें बताऊँ
परमात्मा का चक्र चले वहाँ नों मदन सोया करें। नही तो अपनी माँ का चूसा दूध हराम करे।शब्द साँचा पिंड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।