बुधवार, 25 मार्च 2020

दुर्गा चौतीसा मन्त्र यंत्र साधना

                
                 मां दुर्गा की साधना।
जिसमें आपकी श्रद्धा के अनुसार भगवती के आप को दर्शन भी प्राप्त हो सकते हैं 
((इस समय में भारतवर्ष में एक ला इलाज बीमारी जो कि छुआछूत से फैल रही है कोरोना दस्तक दे चुकी है और इसका इलाज अभी तक वैज्ञानिकों द्वारा अभी तक खोजा नहीं जा सका।
 इसलिए आपका दायित्व है कि अपने अपने घर पर रहे अपने लिए अपने परिवार के लिए समाज के लिए और पूरे भारतवर्ष के लिए अपने घरों में रहे।
जो जिज्ञासु जन हैं उनके लिए ये एक अवसर है कि एकांत में बैठकर साधना करें समाज के कल्याण के हित को ध्यान में रखकर क्योंकि आपके भी कुछ फर्ज हैं समाज के प्रति जिनका निर्वाहन आपको करना होगा या फिर अगर आप इसका निर्वाहन आज नहीं करते हो तो इंसान की नस्ल का वजूद मिट जाएगा।))

○इस मंत्र के द्वारा आप जनकल्याण तथा परोपकार भी कर सकते है। साधक इस मंत्र के द्वारा किसी भी बाधाग्रस्त व्यक्ति जैसे भूत- प्रेत बाधा, आर्थिक बाधा, बुरी नजर दोष, शारीरिक या मानसिक बाधा इत्यादि को आसानी से मिटा सकता है।
○इस मंत्र से साधक सम्मोहन, वशीकरण, स्तम्भन, उच्चाटन, विद्वेषण इत्यादि प्रयोग भी सफलता पूर्वक सम्पन्न कर सकता है और उनका तोड़ भी कर सकता है।

○ इस साधना को पूर्ण से संपन्न कर लेने के बाद आपके जीवन और घर परिवार से दरिद्रता हमेशा के लिए चली जाएगी। लेकिन शर्त ये है कि आप मन्त्र का आजीवन 108 बार जाप प्रतिदिन करते रहे।

○साधना को 21 दिन या 41 दिन किया जा सकता है ।

○साधना काल में मांस मछली शराब अंडा तामसिक भोजन का प्रयोग वर्जित है।

○धूप दीप फल फूल जो भी उपलब्ध हो श्रद्धा से चढ़ा देने से आपको पूर्ण फल ही प्राप्त होगा क्योंकि "भक्ति का मूल होता है भाव"।

○प्रतिदिन रात्रिकाल को इस मंत्र की 21 या 51 माला रुद्राक्ष की माला या जो भी माला उपलब्ध हो उस पर आपको करनी है।

○ साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें और भूमि  पर ही सोना चाहिए।

○वस्त्र और आसन साफ-सुथरे और आरामदायक होने चाहिए ताकि मंत्र जपते हुए आपको कोई कठिनाई न हो शोरगुल और भीड़भाड़ से दूर रहें ताकि आपके ध्यान  लगाने में कोई कठिनाई ना हो।

○अपने घर की व्यवस्था ऐसे करें कि आपके घर में धार्मिक वातावरण बना रहे तो आपको अभीष्ट फल प्राप्त होने से कोई रोक नहीं सकता आप जिस भी धर्म से जुड़े हुए हैं उस धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखें और इमो का पालन करें आपको अवश्यमेव लाभ होगा।

○ अनुष्ठान और मंत्रों से उन्हीं भक्तों को लाभ होता है जिनकी सच्ची श्रद्धा विश्वास भक्ति से जुड़ी होती है।

○ सबसे पहले गुरुवार गणेश का चिंतन और पूजन करें उसके बाद अभीष्ट मंत्र की साधना की तरफ बढ़े।

○ इस साधना में भगवती दुर्गा के मंत्र की साधना के साथ साथ यंत्र भी सिद्ध होता है।

○ सातो सती शारदा।।बारह वर्ष कुमार।
        एक माई परमेश्वरी।। चौदह भुवन द्वार।
        दिव्य पक्ष की निर्मली।। तेरह देवी-देव।
        अष्ट भुजी परमेश्वरी।। ग्यारह रुद्र कर सेव।
        सोलह कला संपूर्णा।।तिरलोकी वश करे ।
        दश अवतारा उतरी ।। पांचों रक्षा करें।
        नव नाथ षट्‌-दर्शनी।पन्द्रह तिथि जान।।
        चार युग सुमर के। कर पूर्ण कल्याण।।

         
         ।। चौतीसा यन्त्र इस प्रकार होगा।।।

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        | 07   |    12     |      01  |    14 |
        | ------+-----------+----------+--------|
        |02    |    13    |      08   |    11 |
        |--------+---------+-----------+--------|
        |16     |    03    |     10   |    05 |
        |--------+---------+-----------+--------|
        | 09    |  06     |      15   |    04 |
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○ यंत्र भरने का तारीका इस प्रकार है पहले स्नान इत्यादि से निवर्त होकर साफ भोज पत्र पर 16 खानों का के एक यंत्र का निर्माण करें फिर जैसा मन्त्र में आएगा सातों सती शारदा बोलकर जिस कोष्ठक में 7 अंक लिखा है फिर 12 वर्ष कुमार बोलकर उक्त कोष्ठक के दाहिनी तरफ वाले कोष्ठक मैं 12 का अंक भरें फिर मन्त्र अनुसार क्रमशः अंक भरते हुए 16 कोष्ठकों का यंत्र बन जायेगा।यंत्र के नीचे धारक का नाम लिखे।

○ यंत्र के तैयार हो जाने के बाद यंत्र का षोडशोपचार पूजन करें इस यंत्र में भरे जाने वाले या किसी भी यंत्र में भरे जाने वाले अंक 1 से लेकर के 9 तक जो भरे जाते हैं सभी नवदुर्गा का स्वरूप होते हैं इसलिए यंत्र के प्रति सच्ची श्रद्धा रखें।

○ कुछ जरूरी नियम मैं यहां पर लिखूंगा नहीं किंतु आप को उन मौलिक नियमों का पालन करना होगा तभी इस यंत्र का लाभ आपको मिलेगा सबसे पहले जब आप यंत्र का निर्माण करें सच्ची श्रद्धा से निर्माण करें अष्टगंध की स्याही बनाकर जो कि खुद तैयार की जाए और अनार की कलम से शब्द भोजपत्र या भोजपत्र ना मिलने के अभाव में आप कागज पर जो कि साफ सुथरा हो इस यंत्र का निर्माण कर सकते हैं साथ ही अगर उपरोक्त सामग्री आपके पास उपयुक्त ना हो तो आप लाल रंग की कलम से जिसमें लाल स्याही का प्रयोग होता हो इस यंत्र का निर्माण कागज के ऊपर कर सकते हैं लेकिन यंत्र बनाते हुए यंत्र बनाते हुए नाभि के स्तर से ऊंचा रखा जाए यही यंत्र निर्माण की मर्यादा है।

○यंत्र या मन्त्र के अनुष्ठान से पूर्व सर्व यंत्र मन्त्र तंत्र उत्कीलन स्तोत्र का पाठ कर लिया जाए लिंक नीचे दिया गया है।http://tantarvriksha.blogspot.com/2020/03/blog-post.html

○यंत्र का निर्माण हमेशा एकांत में करें और इसका प्रयोग हमेशा गुप्त रखें तब इस यंत्र के निर्माण से आपको लाभ होगा यंत्र निर्माण के बाद यंत्र के नीचे आवश्यक रूप से धारण करता का नाम अवश्य लिखें और उसे सोने,चांदी या तांबे के ताबीज में मड़वा कर पहनना चाहिए।
○ इस यंत्र को धारण करने वाले यंत्र को धारण करने के बाद आप किसी सौंच वाले स्थान पर ना जाएं जहां किसी शिशु का जन्म हुआ हो या किसी की मृत्यु हुई हो तो वहां 40 दिन तक आप नहीं जा सकते  उसके बाद यदि आपको जाना बहुत आवश्यक हो तो यंत्र को उतारकर किसी अनाज में रख देना चाहिए उसके उपरांत जब आप घर पर आए तो फिर गूगल की धूनी देकर और स्नान करके उस यंत्र को पुनः धारण कर ले।

○यंत्र निर्माण के समय जब आप 16 कोष्टक वाले इस यंत्र का निर्माण करें तब प्रत्येक अंक भरने से पहले पूरे मंत्र का उच्चारण करें और प्रतिदिन 108 यंत्रों का निर्माण करें फिर उनको आटे में भरकर गोलियां बना लें आप 108 गोलियों को मछलियों के लिए जल में प्रवाहित कर दें ऐसा क्रम से आपको 21 दिन या 41 दिन करना है लेकिन मैं आपको 41 दिन करने की ही सलाह दूंगा क्योंकि इससे आपका एक चिल्ला पूरा हो जाता है।

○ साधना काल में आप शुद्ध और सात्विक भोजन का ही आहार करें और राग द्वेष इत्यादि से दूर रहें गुरु और देवी की कृपा के बिना इस यंत्र का सिद्ध होना असंभव है इसलिए सबसे पहले यत्न पूर्वक गुरु को दक्षिणा देकर उनसे इस अनुष्ठान के पूरे होने का आशीर्वाद ले ले तभी आपकी यह साधना सफल होगी।

○उपरोक्त मन्त्र अपने आप में यंत्र निर्माण के रहस्य समेटे हुए है। आपके एक बार सिद्ध कर लेने के बाद आप इसके प्रयोग से दूसरे लोगों को भी लाभ करवा सकते है।

○यन्त्र का निर्माण स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर शुद्ध भोजपत्र पर करना चाहिए।

○ यदि आपने अभी तक गुरु धारण नहीं किया है तो आप किसी विद्वान को अपना गुरु धारण करें और उससे अनुमति मिल जाने के बाद ही आप इस यंत्र का प्रयोग ना करें वरना इष्ट की जगह अनिष्ट होने में नहीं लगता।

○बिना गुरु आज्ञा के इस यंत्र का निर्माण करने वाले किसी भी साधक को होने वाले किसी प्रकार के अनिष्ट या कष्ट का उत्तरदायित्व मेरा नहीं होगा इसलिए सर्वप्रथम अपने गुरु से आज्ञा प्राप्त करें
        
                            इति शुभमस्तु


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