शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

औघड़ मन्त्र सिद्धि


अघोरी मनसाराम की साधना।

अघोरी साधना का नाम सुनकर लोगों के मन में या तो भय व्याप्त होता है या उनके मन में एक नार्किक मलीन साधना के बारे में मानसिक दृष्य चलने लगता है।

ये बात प्रमाणित है कि मनुष्य की समाज में प्रतिष्ठा उसे व्यवहार या संस्कार से नही अपितु उसके धन वैभव से ही होती है सभके जीवन में ईश्वर एक न एक बार समृद्ध होने का अवसर देता है लेकिन कई बार आदमी खुद गलती करता है यो कई बार अपने स्नेही जनों के कारण किसी मुसीबत में पड़ता है।

और भी बहुत सारी धन वैभव प्राप्त करने की साधनायें है जो शास्त्रों में विधिवत रूप से वर्णित है लेकिन ये समय बहुत तीव्रता से चलता है समय कम होने के कारण अक्सर सभी शस्त्रिक साधनायें मर्यादित और विधिवत न होने के कारण फलित ही नही होती।
बहुत सारी मुस्लिम साधनायें भी होती है उनमें बहुत सख़्त नियम और बहुत गहन मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है और कई बार उन साधनाओं को कई कई बार दोहराना पड़ता है जिससे बिना मार्गदर्शन और धैर्य के मनुष्य का अमूल्य समय नष्ट होता है और साधना कभी फलित नही होती।
मेरे जीवन में ऐसे बहुत से साधकों से संपर्क हुआ जिनका जीवन धन के अभाव में या भूत प्रेत बाधा के कारण अंत होने के कगार पर था एक अघोरी साधना जिसका कोई भी साधक आज तक निराश नही हुआ हां कई बार आदमी के परिश्र्म या भावना में ही कोई कमी रह जाती है।

वरना इस साधना से साधक का जीवन अवश्य परिवर्तित होता है और साधक समृद्धि की तरफ अग्रसर होता ही है।

अब कोई बोले कि मुझे रातों रात में करोड़पति बनना है तो वो कोरे झूठ के इलावा कुछ नही होगा। हां साधना करने के बाद आपको आभा मण्डल असमान्य रूप से विकसित हो चुका होता है हां अगर आप साधनाकाल पूरा होने तक प्रतीक्षा नही कर सकते तो ये वही बात होगी कि बिल्ली दही ना जमने दे। उतनी प्रतीक्षा तो करनी ही पड़ेगी ही पड़ेगी।

एक मिंट में जिन्न दो मिनट में परी सिद्ध करने वाले के बारे में क्या बोला जाए। सुनकर ही हंसी आती है कि जो संभव नहीं है झूठ बोलने वाले किस तरह डींगें मारते हैं लेकिन सच सामने आने में समय नही लगता ये बात बिल्कुल सही है ।

असल बात ये है कि अगर आप नए साधक हो तो पहली बार गलती करोगे ही करोगे।  बस उसी चक्कर में बहुत सारे नए साधक उलझ जाते है और एक बार भ्रमित अवश्य होंगे और जब होश आएगा तब बहुत ज्यादा समय बर्बाद हो गया होगा।
अघोरी साधना एक बहुत ही आधिक प्रचंड शक्तिशाली उग्र तामसिक साधना है अघोरी साधना इसको करने से कोई भी इच्छा पूरी ना हो ये हो नही सकता। ये साधना कभी भी व्यर्थ नही जाती।
इस साधना को ग्रहस्ति और त्यागी सभी कर सकते हैं। 

किसी तरह के खाने पीने का कोई परहेज़ नही है।

ये साधना आपको तब करनी चाहिए जब आप के जीवन में रुकावटें खत्म होने का नाम नही लेती एक से एक समस्या आपके जीवन में आती ही रहती है और

धंदे व्यापार में से कोई लाभ नही मिलता।अगर पूरी तरह कंगाली भी आ गयी हो खाने के लाले पड़ गए हों तो ये साधना आपके जीवन को सम्पन्नता को और अग्रसर करती है।

मैं यहाँ पर आपको मनसाराम अघोरी बाबा का एक मन्त्र उसके नियम और विधि देने जा रहा हूं जिसको करने से 50 से ऊपर साधकों का किसी का किसी तरह से फायदा हुआ ही हुआ है।

ये जाने अगर आप बिलकुल नए साधक है तो कुछ चीजों का किसी विद्वान जानकार पता लगा लें कि आपके ग्राम देवी, ग्राम देवता,कुलदेवी,कुलदेवता,इष्ट और पित्र किसी तरह से नाराज तो नही हैं क्या जीवन में कोई भूल या कोई गलती तो नही हुई या किसी का कोई भोग देना तो नही रहता है। या आपके घर में किसी अनजानी शक्ति जिस का आपको पता न हो वास तो नही।

((((ये बातें विशेष तौर पर परीक्षित कर लें फिर ही किसी साधना को शुरू करें।)))

ये अनजान शक्तियां आपका फायदा और नुकसान दोनों तरह का काम कर सकती है।

मनसाराम अघोरी साधना।।

ये साधना 41 दिनों की है।

खाने पीने का कोई परहेज नहीं है अपितु जो भी खाओ 

पीओ पहले अघोरी बाबा को भोग लगाओ।

हां ब्रह्मचर्य व्रत का पालन सख्ती से करें जिनको 

स्वप्नदोष की समस्या है उनको पहले शमशाम की साधना करनी चाहिए क्योंकि जलते हुए मसान के सामने खड़े होने से ये दोष धीरे धीरे समाप्त हो जाता है।

प्रथम दिन साधना को शुरू करने से पहले एक बार अपने इष्ट पित्र को भोग दे दें फिर हाथ में जल लेकर मनोकामना स्मरण करें और संकल्प लें।

सिर पर काला पटका बांधे और कपड़े काले पहनने है।
भोजन जितनी बार भी करो लेकिन पहला ग्रास अघोरी को समर्पित करना होगा।

जिस दिन जाप शुरू करना हो उस दिन शमशान मैं या चौराहे पर जाकर आपको एक बोतल शराब एक मुर्गा पांच लड्डू लौंग इलायची 11 सफेद फूल अघोरी मंसाराम को दें। और वहाँ से थोड़ी सी मिट्टी किसी कागज में डालकर अपने साथ ले लें।

साधना स्थल का चुनाव करने के बाद आपको दक्षिण दिशा छोड़कर किसी भी दिशा में मुँह कर सकते हैं।
भोग में कच्चे या पके हुए मांस मछली का और शराब देना है।

सफेद मिठाई, सफेद फूल,चंदन की अगरबत्तियां लगानी है और गुग्गल की धूनी देनी है ।

साधना काल में एक सरसों के टेलनक दीया जलता रहे।
कंम्बल का आसन लगाएं।

इस साधना को आप श्मशान चौराहे खाली मैदान या घर की खाली छत पर कर सकते है लेकिन भोग आपको श्मशान घाट,किसी चौराहे,किसी पीपल या वट वृक्ष के नीचे ही देना है।

जल पात्र अवश्य अपने पास में रखें जाप के बाद वो जल दूसरे दिन सुबह किसी पेड़ में डाल दें।

जाप रुद्राक्ष की माला से करें जाप से पहले माला सिद्ध कर लें।

जाप माला सिद्ध करने की विधि प्राप्त करने के लिए वीडियो देखें https://youtu.be/8J9wI7ErsbI

31 माला रोज़ जाप करें तो बहुत अद्धभुत होगा आपको ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते में परिणाम मिलने लगेंगे,किसी किसी साधक को ऐसा भी हो सकता है अघोरी वीर परीक्षा लें अक्सर ऐसा नहीं होता
उस अवस्था में साधक को धैर्य से कम लेना चाहिए। 

इस साधना को कभी खाली नहीं छोड़ना चाहिए।

भोग मिट्टी के दो पात्र लेकर एक में शराब दूसरे में मीट डाल दें और एक गांजे की चिलम भेंट करें।

जाप के पहले रक्षा मन्त्र पढ़कर अपना शरीर बांध लें और भोग तैयार कर के अपने सामने रखें और 10 माला जाप के उपरांत किसी निर्जन स्थान पर अघोरी 

अघोरी मनसाराम की आत्मा के आवाह्न के पश्चात प्रदान करें और कपूर प्रज्वलित करें फिर वापिस आकर बाकी बचे 21 माला जाप को सम्पन्न करें। इसी प्रकार से प्रतिदिन करें।

मन्त्र:-
ॐ नमो आदेश गुरु को,मनसाराम मरघट बसे
खप्पर में खावे खीर मेरा कारज सिद्ध करो
तो पूजूँ औघड़वीर। दुहाई ईश्वर गौरां की।
श्री दत्त गुरु की दुहाई,चले मन्त्र औघड़ी बांचा
देखूं औघड़वीर मनसाराम तेरे शब्द का तमाशा।


रक्षा मन्त्र:- एक माला प्रयोग से जाप से पहले आपने गुरु महाराज का नाम लेकर इस मंत्र की जपें और अपने सारे शरीर पर फूंक मार लें।

तल्ले घरती ऊपर आसमान तुमको पूजे सकल जहान काली के पूत जोगी अवधूत काशी के कोतवाल,पिंड राखो प्राण,आर पार की विद्या थामो सारे यन्त्र,मन्त्र,थान,रख्खो गोरख जति की आन, आन शंकर पार्वती जी की आन आन आन माता काली की आन।

शनिवार, 10 जुलाई 2021

ब्रह्मबाधा का उपाय


ब्रह्मबाधा का उपाय ।

ब्रह्म जितना नाम ही खतरनाक है उससे ज्यादा खतरनाक होते है। इसके बारे में बहुत से दावे और बहुत से अपवाद है 
इन्हें ब्रह्म पिशाच या कई कई लोग ब्रह्म राक्षस भी बोलते हैं अब तक इनकी कोई साधना लिखित मौजूद नहीं है इसके विपरीत औझा गुनिया और तांत्रिक लोग इस शक्ति का बहुत अधिक प्रयोग करते है।
वास्तविक रूप से देखा जाए तो ये एक प्रेत योनि की शक्ति है ब्राह्मण कुल में जन्म लेने वाले कुछ लोग गर्भावस्था में ही या जन्म लेकर आकाल मृत्यु को जब प्राप्त होते है वो चाहे किसी भी कारण हो ब्रह्म बन जाते है सामान्यतः इनका वास् पीपल पाकड़ गूलर बरगद या भारी छायादार वृक्ष बनते है।
प्रेत योनि होने के कारण इनकी आसक्ति अपने धन ज़मीन मकान में ही रहती है और जब तक इनको ईश्वरीय कृपा से मोक्ष प्राप्त नही होता तब तक ये अपने वंश कुल गोत्र में रहते है। और छोड़ते नही।
इन्हें अथीथ ब्रह्म,थान ब्रह्म की संज्ञा भी दी जाती है और बहुत से नामों से भी पुकारा जाता है हर 10 में से 8 ओझाओं के पास यह शक्ति चलती है और इसकी विशेषता यह है कि इसका प्रयोग मारन मूठकरणी और सत्यानाशी में किया जाता है।

सभी केसों में ऐसा नहीं होता कई ब्रह्म मनुष्य स्वभाव की ही तरह बहुत सरल और शांत स्वभाव के होते है। प्रेत योनि होने पर भी वे कइयों का भला भी कर देते है कई लोगों को इनकी हाज़िरी आती है और बिगड़े हुए काम बनना आम सी बात होती है किसी सामान्य इष्ट की भांति अच्छे ब्रह्म भी अपने साधक के बिगड़े हुए काम बनाते है और उनकी मनोकामना पूरी करते है बहुत सारे मामलों में पीड़ित जब इनको पूज लेता है तो उसके बाद  उसका कोई भी सांसारिक काम नही रुकता।

इन शक्तियों के भी ईष्ट होते है अधिकतर इनके ईष्ट देव शंकर भगवान हनुमान वीर दुर्गा जी काली जी ही होते है। और अपने इष्ट देव के गुण धर्म के अनुसार ये आपने इष्ट का रूप भी धारण कर सकते हैं।
दुश्मन के मुख से नसिका और गुदा से रक्त चला देना इनके लिए आम बात है। आसानी ये अपने इष्ट देव का रूप धारण कर सकते है और सामने वाले और पीड़ित दोनों को भ्रमित कर देते हैं।
जैसा कि आप को मैंने पहले भी कहा इस शक्ति का प्रयोग मारण विद्या में किया जाता है।
आपने बहुत से किस्से सुने होंगे ये बड़े से बड़े तांत्रिकों को मुख से रक्तवमन करवाकर उनके मिनटों में प्राण निकाल लेते है। ऐसीं बहुत सी घटनाओं का मै खुद साक्षी रहा हूँ।
अभी तकरीबन पाँच साल पुरानी बात है एक शहर में एक जाना माना तान्त्रिक ब्रह्म से पीड़ित लड़की का इलाज कर रहा था तो उस दौरान लड़की को देखकर वह अपने घर वापिस लौटा ही था कि उसे खून की उल्टी हुई और उसने  दो घंटे में ही प्राण त्याग दिये।
मेरे एक जानकार जो कि हरिद्वार में रहते है भी ब्रह्म की चपेट में आ गए थे अकारण ही सीरियस हो गए 4 घंटे का ओप्रेशन हुआ हफ्ते बाद होश में आये अढाई लाख रुपए लग गए। उन्होंने भी ब्रह्म से पीड़ित व्यक्ति का उपचार करने की कोशिश की थी लेकिन उनके गुरु की सतर्कता के कारण बच गए।ये जनवरी 2021 की बात है अगर उनके गुरु सतर्कता प्रयोग नही करते हो शायद वो आज इस दुनिया में ना होते। हालांकि वो खुद बहुत अच्छे और गहरे विद्वान है और उनके 90% केस सफल रहते है।देने वाले ने ज्यादा से ज्यादा 10 या 20 हज़ार रुपये देने थे लेकिन बेचारे मारे जाते इलाज करने वाले सही बोला है किसी ने कि लेकिन सावधानी हटी दुर्घटना घटी।
वास्तविक बात ये होती है कि इलाज करवाने वाला पैसे देकर चला जाता है और कुछ पैसों के चक्कर में आदमी
मृत्यु का आलिंगन करने से नही डरता।
दुश्मन की सत्यानाशी में भेजे जाने वाले मूठ में दर्जनों ब्रह्म डाल कर भेजे जाते है और दुश्मन के परखच्चे उड़ जाते है मूठकरनी को लोग थोड़ा हल्के में ले लेते है हालांकि अगर ये शक्ति किसी को अपनी चपेट में लेले तो तीसरी नस्ल तक बर्बाद हो जाती है। पीढियां निकल जाती है लेकिन इलाज नही हो पाता।
मैं आपको ये सभ कुछ आपका समय बर्बाद करने के लिए या डराने अथवा वहम पैदा करने के लिए नही बता रहा क्योंकि मेरे ब्लॉग वो लोग ही पढ़ते हैं जो कि खुद तंत्र मार्ग से हैं। अगर को नया व्यक्ति भी इन लेखों को पढ़ेगा तो उस के ज्ञान में कुछ न कुछ वृद्धि होगी ही होगी।

आप पाठकों के माध्य्म से इन लुप्तप्राय विद्याओं को संभाल कर रखने का एक बहूत छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ जब हम किसी विषय पर चर्चा करते है तो उस विषय पर हमारे ज्ञान का आदान प्रदान होता है और ज्ञान की वृद्धि होती है।

इस लिए आपका ज्ञान बढ़ाने के लिए खर्च किया थोड़ा सा समय आपको जीवन में आज्ञान के कारण खर्च होने वाले अमूल्य लंबे समय को बचा लेता है

ज्यादातर ब्रह्म की समस्या पुशतैनी मकान जमीन जायदादों में ही रहती है हालांकि अगर ये किसी व्यक्ति को अपना माध्य्म बना कर रोगी कर दें तो जल्दी जल्दी इलाज नही हो पाता उस अवस्था में आपको खुद पंगा नही लेना चाहिए  

धूणी से शांत करें :- जी हां अपने घर में बनी हुई दशाङ्ग धूफ प्रतिदिन रात्रि में सोने से पहले एक बार देने से ब्रह्मबाधा शान्त हो जाती है।

तीन साल लगातार आशुतोष भगवान शिव के अघोरास्त्र के अनुष्ठान और मूल मन्त्र के पुरश्चरण जाप से ये बाधा शांत हो जाती है और फिर ये समस्या सर्वदा के लिए समाप्त हो जाती है।

फिर भी आपको एक छोटा सा टोटका निम्नलिखित दे रहा हूं   ये करें इससे आपको पूरा तो नही लेकिन 50% तक आराम जरूर आएगा।

एक पीली ध्वजा
सवा मीटर सफेद कपड़ा
पांच बूँदी वाले लड्डू
5 ₹ का हनुमान जी वाला सिन्दूर
दो जनेऊ
दो सिगरेट
पांच सफेद फूल
पाँच जायफल
एक पॉव चावल
एक पॉव चने की दाल

अमावस्य वाले दिन सभी सामान को लेकर सफेद कपड़े में बांध दें तांकि पोटली सी बन जाये फिर और रोगी के सिर के ऊपर से 7 बार उल्टा उतार लें अथवा अपने घर के चारों कोनों से स्पर्श कर चुपचाप निर्जन स्थान पर किसी पुराने पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर सभसे पहले पीपल के वृक्ष पर बाबा ब्रह्म के नाम से ध्वजा चढ़ावें फिर कलावा लेकर 7 परिक्रिमा करते हुए कलावा लपेट दें फिर उस पोटली को वह रखकर ब्रह्म बाबा को सच्चे मन से प्रार्थना करें और 

"बोलें कि हे ब्रह्म देव आपको कुछ दक्षिणा और रहने के लिए स्थान दे रहा हूँ यहां निवास करें" 
हाथ जोड़कर परनाम करें और बिना पीछे देखे चुपचाप घर वापिस लौट आए हाथ पांव धोकर घर में प्रवेश करें इस से आपको एक महीने में ही अवश्य लाभ प्राप्त होगा। 
बाकी सभी कुछ परिस्थितियों पर और आपके गुरुदेव के निर्देशन पर निर्भर करता है।













मंगलवार, 6 जुलाई 2021

दरियाई काली की सिद्धि


दरियाई काली की साधना।

सिर्फ काले इल्म की गद्दी वालों के लिए।

ये साधना एक पूर्णतः सक्षम और शक्तिशाली साधना है।इस  काली के साथ जल मसानी जोड़े में काम करती है किसी के ऊपर सवारी बुलानी हो या किसी के उपर किसी तरह का प्रतिबंध लगाना हो ये शक्ति बहुत बेजोड़ है। ये एक पूर्णतः तामसिक साधना है इस बात का विशेष ध्यान रखें।

अगर किसी भी रोगी के उप्पर से कट्टर से कट्टर भूत प्रेत बाधा हो और वो किसी देवता के जाल में ना ना फस रहा हो तो ये शक्ति वहां पर काम करती है और झटके में ही सभी समस्याओं का अंत कर देती है।

कोई कितना भी पक्के से पक्का वशीकरण जो किसी के ऊपर नाज़ायज़ तौर से लगाया गया हो और टूटता ना हो वो भी टूट जाता है किसी आदमी का वशीकरण ना सफल होता हो वो वशीकरण हो जाता है अगर को दुश्मन परेशान करता हो तो इस विद्या से किया गया बंधन दुश्मन की हालत पतली कर देता है।

सट्टे मटके के नम्बर मिलना आम सी बात है और इसका साधक अगर एक बार ये साधना कर लें तो पैसे की कभी कमी नहीं होती ।इसकी साधना सिर्फ रात्रि में कई जाती है।

लेकिन दूसरी हकीकत यह भी है कि साधना अगर कच्ची हो और भगत के शरीर पर पक्की सवारी न हो तो उतारा करने के लिए मुसीबतों का पहाड़ बन सकती है।

सभ से पहले आप गुरु धारण करें फिर गुरु से आज्ञा लेकर ही इस साधना को शुरू करना चाहिए बिना गुरू से आज्ञा और ज्योति प्राप्त किये अगर इस शक्ति की शक्ति को छेड़ लिया जाए तो साधक काम से कम पागल तो हो ही जायेगा।

इस में दरियाई पीर को पहले काले बकरे की बाली देकर मनाना पड़ता है फिर ही ये साधना की जाती है होता ऐसे है कि गुरु अपने शिष्य के सिर पर हाथ रखता है फिर शिष्य गुरु से प्रप्त शब्द का 6 महीने तन मन से भजन करता है छ महीने बाद विशेष रात्रि में गुप्त शमशानिक कृत्य किये जाते है फिर अपनी गद्दी पर वापिस आकर तन्त्र के देवताओं के निमित्त होम बलि दिए जाते हैं ।

तदोउपरांत गुरु शिष्य पर अपने देवता की सवारी यानी कि हाज़िरी छोड़ता है शिष्य के शरीर में हाज़िर होकर देवता गुरु यानी अपने पुजारी से बात चीत यानी वार्तालाप करता है और वचन देता है। उस समय देवता के कहे हुए वचनों के अनुसार ही गुरु अपने शिष्य से देवता की सेवा अर्थात मन्त्र साधना करवाता है।

अगर शिष्य अपने गुरु के कहे हुए वचनों के अनुसार सेवा करता है तो इस बात की बिलकुल कोई आशंका नही रहती की शिष्य  फेल हो जाये। हां ये बात अलग है कि हर शक्ति की एक सीमा और मर्यादा होती है विशेष शक्तियां प्राप्त करने के लिए उनका मूल्य भी विशेष ही देना पड़ता है ये बात सदैव याद रखनी चाहिए।

ये बात मैंने आपको इस लिए बताई की इस एक सर्वमान्य सूत्र है अगर गुरु य्या शिष्य दोनों में से एक भी इस बात और सूत्रों का पालन नही करेगा तो शिष्य की साधना सफल हो ही नही सकती।

जैसे आपको मैंने पहले बताया कि गुरु से शब्द प्राप्त करने के बाद आपको दरियाई पीर की सेवा करनी पड़ती है फिर आप दरियाई काली और जल मसानी की सेवा कर सकते है उसके बिना नही।

दरियाई पीर के लिए दिए जाने वाला भोग मैं आपको बताता हूँ।

विधि :-१ दरियाई पीर के लिये किसी नदी,नहर,दरया, के किनारे सवा हाथ ज़मीन साफ करके वहां पर गाय के गोबर के उपले से बने अंगारे पर शुद्ध देसी घी का होम करें इसके साथ ही वहां पर सरसों के तेल का दिया एक नारियल पानी वाला काली चुनरी चढ़ाकर कलावा लपेट दें, अगरबत्तियां, गुलाब के फूल,सात प्रकार की मिठाई,लौंग,छोटी इलायची, कपूर,गरी गोला,छुहारे,11 बूँदी वाले लड्डू, सेंट ,पान,गांजे की जोड़ा चिलम,काला मुर्गा,देशी शराब,हलवा,पांच मेवा,बतासा। काले मुर्गे की बलि देकर सिर को जल में अर्पित करें बाकी साधक खुद पकाकर खुद ही खाय एक प्याला शराब पीवे फिर जाप पहले दिन का शुरू करे।

यउपरोक्त समान दरियाई पीर को होम करके देना है और काले मुर्गे की बलि देकर शराब की धार नदी,नहर या दरिया के किनारे देना है फिर आपको प्रति दिन जाप करने के बाद एक देसी शराब का पव्वा अगरबत्ती लौंग कपूर,सेंट,पांच देसी गुलाब के फूल एक पाव हलवा दरियाई पीर के नाम से देना जाप समाप्त होने पर देना इक्कीस दिन पूरे होने के बाद काला बकरा बलि दें और शराब का भोग लगा कर साधको में वितरण करें।

उस बकरे के खून से भोजपत्र पर यही मन्त्र लिखकर चांदी के ताबीज़ में पहने और फिर दरियाई काली की साधना करें।

दोनों मन्त्र से दरियाई पीर और दरियाई काली दोनों चलते है । इनको रोकने और चलाने की विधियां अलग अलग है। जो कि इस लेख में वो विस्तृत रूप से बता पाना सम्भव नही है।

दरियाई काली चालीस दिनों की साधना है।

साधना विषयक सभी नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए ये साधना बिल्कुल एकांत स्थान पर जल स्रोत के किनारे पर की जाती है साधना में उपयोग आने वाली हर एक वस्तु पहले ही एकत्र कर लिया जाना चाहिए समय पर सामान ना मिले तो आपके प्राण भी संकट में आ सकते है।

एक कर्मठ और सदविचारी व्यक्ति की इस साधना में सहायक के तौर पर आवश्कता होती है ताकि जाप के समय आपकी सुरक्षा कर सके और आपको कोई रोक टोक ना हो सके और समय पर समान मिल सके। कपड़े सिर्फ काले रंग के प्रयोग करें,कमजोर दिल वाले और ढीले लंगोट के साधक इस साधना को ना ही करें तो ठीक है।नही तो बिना वजह मुसीबत खड़ी होगी।


दरियाई पीर की साधना करने में इस मंत्र का प्रयोग होता है
और साधना कभी खाली नही जाती अगर गुरु की इच्छा न हो तो ये विद्या कभी नही चलती ये एक पूर्ण तामसिक मार्ग है अगर अधूरा ज्ञान हो तो आदमी इस चक्रव्यूह में ऐसे फस जाता है कि कोई चाह कर भी उसे नही निकाल पाता। 

दरियाई पीर का मन्त्र।
ॐ गुरु जी
लंका सो कोट समुद्र सी खाई
दरयाई पीर करो चढ़ाई
लहर लहर चले आठ पहर चले।
दरियाई काली चले।
भैरों हनुमान चले।
जल जोगनी मसानी चले।
लहर लहर लहराती चले।
जल का मसाण चले।
काला कमान चले।
गोराखपा की आन चले।
मेरे गुरु की शक्ति चले।
मेरा बंधा बंधे मेरा छोड़ा छूटे।
चले मन्त्र ईश्वर बाँचा
देखूं दरियाई तेरी आन का तमाशा।

विधि :-२ काली के मन्त्र से उपरोक्त विधि के अनुसार जल स्रोत के किनारे बिल्कुल सुनसान स्थान पर गुप्त तरीके से ये साधना की जाती है ये साधना पूरे 40 दिनों की साधना है और इसमें प्रथम दिन पूजा स्थल का चुनाव करके सवा हाथ ज़मीन साफ करें फिर पीली मिट्टी से उसको लीप दें गाय के गोबर के सूखे हुए कंडो को जलाकर अंगार तयार करें फिर दीया सरसों के तेल का जलाएं और अंगारी पर होम लौंग,बतासे,गुग्गल,देसी घी, की करें, 

देवी को काली ध्वजा,काली चुनरी,काले रंग का सोलह सृंगार हलवा 7 पूरी शराब गुलाब के फूल अगरबत्तियां कपूर छोटी इलायची,7 पीस कलेजी बकरे की 7 प्रकार की मिठाई,7 बतासे,गुलाब का सेंट,7 टुकड़े गरी के,7 छुहारे,सवा मुट्ठी 7 प्रकार के अनाज,एक जोड़ा मीठा पान,7 जायफल ये भोग देकर बची हुई थोड़ी सी शराब पीकर और छोटी इलायची मुँह में रख कर थोड़ा सा कूंच कर फेंक दें फिर जाप प्रारंभ करें।

रक्षा मन्त्र से अपने आपको सुरक्षित कर के ही नित्यप्रति निम्न मंत्र की इक्कीस माला जाप करें । जाप के समय पहले दिन ही कान में आवजें आने लग जातीं है लेकिन उसपर ध्यान न देकर आपको जाप पूरा करना है और ये साधना विशेष रूप से रात्रि 11 बजे से सुबह 3 बजे तक की जा सकती है। साधना काल में आपको बहुत कम भोजन करना है अपको प्रथम दिन जब होम अग्यार करें तो उस में से अग्नि लेकर ही एक सरसों के तेल का दिया लगातार रूप से 40 दिन चलने दें फिर उसी की अग्नि लेकर हवन करें किसी भी रूप में ये शक्ति और इनके दूत आ सकते हैं अतः डरें नही पहले ही सोच विचार करने के बाद इस साधना को शुरू करें। 

रक्षा मन्त्र दरियाई पीर के मंत्र को सिद्ध करने के बाद उसी मन्त्र से दरियाई काली की साधना में साधक की रक्षा होती है।


दरियाई काली का मन्त्र।

ॐ गुरु जी
काली काली महाकाली।
इंद्र की बेटी ब्रह्मा की साली।
जल प्रवेश खप्पर वाली।
लोहे कोट चांदी आर।
काला बकरा मद की धार।
दरियाई काली चलो मार मार।
जल की पूरी फौज चलावे।
देश दुनिया का हाल बतावे।
तो सच्ची दरियाई कहावे।
फलाने के ऊपर की हर अला बला को
बांध खारे समुन्दर में डाल।
ना डाले तो महादेव की लाख दुहाई।
दरियाई पीर की लाख लाख दुहाई।
नौ नाथ चौरासी सिद्धों की आन।
चले मन्त्र ईस्वर बाँचा मेरे गुरु का वचन साँचा।

100% प्रतिशत अनुभव के आधार पर गुरु से प्राप्त ज्ञान को आप से शेयर किया है ताकि इस लुप्तप्राय विद्या का पुनरूत्थान हो सके इस विद्या में मैने अपने पास कुछ बाकी छिपकर नही रखा आप सर्वप्रथम आपने गुरु की तलाश करें और गुरु धारण करें फिर गुरु की आज्ञा से ही इस विद्या की साधना कर के अपने गुरु का नाम रोशन करें और जन कल्याण करें  ईश्वर आपका कल्याण करें मंगलकामना के साथ राम राम:)

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बुधवार, 30 जून 2021

घर में खून के छींटे आना।

घर में खून के छींटे आना।

इस यांत्रिक वैज्ञानिक युग में ये सभ कुछ बेमानी से लगता है ना। मान लीजिये आपके पास बैठे हुए व्यक्ति को हड्डी टूट जाने से  बहुत अधिक पीड़ा और तीव्रवेदना हो रही है आप उस पीड़ित के चीखने चिल्लाने की आवाज़ें सुन सकते हैं लेकिन उसकी पीड़ा का आंकलन अपनी खुद की हड्डी टूटने पर ही होता है ठीक ऐसे ही देखने सुनने में ये सभकुछ चटपटा लगता है लेकिन जिसके साथ ये सभकुछ होता है उसी को पता चलता है इसकी पीड़ा। 
"जा तन लागे सो जाने को जाने पीड़ पराई रे"।

आज जब कि मानव समाज ने इतनी तरक्की कर ली है कि लगता है कि अगले 10 सालों में दुनिया चद्रमा पर जा बसेगी तभ भी कहीं न कहीं ये घटनाएं भी सामने आ जाती है 

वस्तुतः यह समस्या सब को परेशान कर देती है और इसके पीछे 
सिर्फ "तंत्र ही नहीं" बहुत सी क्रिएं काम करती हैं कई बार तन्त्र सिर्फ सूखा सूखा ही बदनाम हो जाता है।

ईर्ष्या, द्वेष ,मनोविकार (मानसिक रोग) घर में होने वाला क्लेश, जमीन जायदाद का विवाद,घर की संरचना घर के लोगों का व्यवहार, और घर में चलने वाले षड्यंत्र,इनका उत्तरदायित्व कम नही होता, अगर यह मान भी लिया जाए कि आपके घर में या आकर दहलीज पर खून के छींटे आ रहे हैं बाल या कपड़े कट जाते है तो 90% केसों में घर के लोग ही सम्मिलित होते हैं। 

कुछ मनोविकार घर के किसी सदस्य को भी हो सकते है , ऐसा बहुत बार देखा गया है। घबराएं नहीं पहले इन सभी की जांच कर लें,कुछ छोटे जानवर छिपकली चूहे इत्यादि अगर आपके घर में हों तो अच्छी तरह से उन्हें घर से हटाकर कीट नाशक का छिड़काव करें।

फिर बारी आती है तंत्र की तंत्र क्षेत्र में सब कुछ संभव है बात होती है अभ्यास की जिन लोगों को मैली विद्या या शमशानी विद्या का अभ्यास होता है या काले जादू का अभ्यास होता है या किसी दुष्ट आत्मा का गंदा खेल। ये काम अपर देवता नही करते ये सिर्फ़ क्षुद्र शक्तियां ही करती है। ऐसा नही देखा गया है कि कोई देवी देवता ये काम करें।
तान्त्रिक या डायन विद्या अथवा मैली विद्या के जानकार अक्सर बहुत महत्वकांक्षी होते है अगर जाने अनजाने किसी तरह उनका अहित हो जाये तो परिणामस्वरूप ऐसा भी हो सकता है।

एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताने जा रहा हु अगर कोई आपका कोई पितृ पूर्वज या कोई शक्ति आपका साथ देती होगी तो ये सभकुछ होने से पहले आपको किसी भी माध्यम से सन्देश अवश्य देगी हां ये बात अलग है आप उस संदेश को समय रहते हुए समझ पाते हैं या नहीं। क्योंकि शक्तियों को इन सभी का पहले ही पता चल जाता है।

मैली विद्या से ऐसे कृत्य आराम से हो जाते है इन सभी का पीड़ित पर या उसके परिवार पर क्या प्रभाव पड़ता हैं इस बात को लेकर सभी लोगों की धारणाएं अलग अलग हो सकती है।

लेकिन ये बात स्पष्ट है कि कबूतर अगर बिल्ली को देखकर अपनी आंखें बंद कर ले तो भी वो बचता नही उस स्तिथि में इस कृत्य के उपरांत छ महीने एक साल में कुछ अनहोनी होने की संभावना बनी रहती है। हालांकि किसी विशेषज्ञ व्यक्ति द्वारा समय रहते अगर समाधान करवा लिया जाए तो कोई कष्ट विशेष नही रहता।

लेकिन समय रहते अगर समाधान नहीं करवाया जाता तो कुछ न कुछ अवांछित घटित होता ही है। ऐसा बहुत बात देखा गया है।

ऐसे समय में आपको धैर्य से काम लेना चाहिए अक्सर अमावस्या चतुर्दशी,पूर्णिमा के दिनों में ये समस्या आम तौर पे अस्थायी रूप से बढ़ जाती है।

लेकिन अगर परिस्थिति वश आप किसी सुयोग्य तांत्रिक ओझा या फिर किसी विद्वान के पास नही जा सकते तो उसके लिए आपको मैं उपाय बता रहा हूँ फिर भी मैं आपको यही कहूंगा कि आप किसी जानकार से इस विषय पर बात अवश्य कर लें।

अगर आपके घर में ये सभी कुछ गठित हो रहा है तो सभ से पहले घर की अच्छी तरह से सफाई करें फिर घर में रहने वाले जानवरो जैसे छिपकली,चूहे ,बिल्ली इत्यादि को निकाल कर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

तदोउपरांत मैली विद्या के काट के लिए दो प्रकार से इलाज किया जाता है पहला सात्विक और दूसरा तामसिक जिस साधक के पास जैसी सिद्धि अथवा जैसा मार्ग होता है वो उसी पद्धति के उपाय करवाता है।

कांटे से कांटा जल्दी निकल जाता है लेकिन बात ये है कि ज़ख्म रह ही जाता है, अर्थात तामसिक विधि से करवाया गया इलाज बहुत अधिक जल्दी असर करने वाला होता है लेकिन इस मार्ग को सर्वप्रथम नही चुनना चाहिए कोशिश की जाए कि सभसे पहले सात्विक मार्ग ही चुना जाए क्योंकि सात्विक मार्ग से आप सामान्य ग्रहथ भी उपाय कर सकते है लेकिन तामसिक मार्ग केवप उसका साधक ही चुन सकता है।

अगर जीवन में ऐसी परिस्थिति आ जाये तो साधारण सात्विक उपाय आपको बता रहा हूँ ये निम्नलिखित दो उपाय बता रहा हु कोई एक कर सकते हैं।

एक पानी वाला नारियल काली चुनरी समेत,
एक सेट 16 श्रृंगार,
4 बूँदी वाले लड्डू
5 बतासे
काली उड़द सबूत
काले तिल
11 छोटी इलायची
21 सबूत टोपीदार लौंग 
काला कपड़ा सवा मीटर
एक सिक्का कोई भी 
7 लोहे की कीलें
7 नींबू बिना दाग के
थोड़ी सी कुमकुम 
थोड़ा सा पीला सिन्दूर
2 सिगरेट
1 देसी अंडा मुर्गी का,
सरसों का तेल
एक मिट्टी का दिया
रूई
माचीस
एक पाव शराब देसी
कोई रद्दी अखबार,अरबी का केला का पत्ता।

जिस दिन ये उतारा करना हो दिन मैं सभी सामान को एकत्र कर लेना चाहिए फिर उस रात्रि में घर के चारों कोनों में से 3 बार उल्टा उतार लें फिर घर के प्रत्येक सदस्य के ऊपर से उलटा 7-7 बार उतारकर श्मशान भूमि में दबा दें उसके ऊपर 4 मुख वाला दिया जला दें ।

फिर बिना कुछ बोले चुपचाप घर वापिस आकर सर्वप्रथम स्नान करके शुद्ध गुग्गल की धूनी दें फिर अपने घर के देवस्थान (घर में बने हुए पूजा स्थान) में जाएं वहां पर एक कलश की स्थापना करें और आपने इष्ट के निमित प्रतिदिन शुद्ध देसी घी का दीपक प्रज्वलित करें। अपने ग्राम देव,कुलदेव,पितृदेव,इष्ट का विशेष चिंतन करें।

और इसी प्रकार 21 या 41 दिनों तक लगातार करें शाम को पूर्वाभिमुख होकर 11 दिनों तक 10 माला प्रतिदिन अघोर मूल मन्त्र का जाप करें दसवां हिस्सा हवन गुग्गल से करें 

इस तांत्रिक उपाय को करते समय ये ध्यान रखें कि प्रयोगकर्ता या किसी भी सदस्य के काला वस्त्र न पहना हो।
इस उपाय से 101%  उपरोक्त प्रकार की समस्याओं का अंत होकर पीड़ित व्यक्ति एवम उसका पूरा परिवार सुखी जीवन प्राप्त करता है।

उसके सभी प्रकार की दैविक विघ्नों का नाश हो जाता है और साधक के घर परिवार पर कुकृत्य करने वाले लोग अपने अंत की तरफ अग्रसरित होते हैं।

((अघोरास्त्र मूल मन्त्र अथवा अघोर मंत्र :-ह्रीं सफुर सफुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोर घोर तर तनरूप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम बन्धय बन्धय घातय घातय हुं फट्ट स्वाहा।:):):)

मन्त्र बहुत ज्यादा प्रभाव शाली है (प्रयास अवश्य करें) लेकिन किसी विशेषज्ञ के दिशानिर्देश में रहकर ही।बेशक किताबों में ज्ञान होता लेकिन उस ज्ञानका पर्सवार्ड गुरु के पास ही होता है।











मंगलवार, 29 जून 2021

माता मैदानन की साधना


सभी आदरणीय साधकसाधिकाओं एवं सभी बुद्धिजीवी और विद्वान जितने भी इस ब्लॉग को मेरे पढ़ रहे हैं उन सभी को मैं प्रणाम करता हूं।

सभी साधक भाई बहनों यह साधना एक इतनी उग्र भयंकर एवं तीव्र साधना है जिसकी शुरुआत तो बहुत सौम्यता से होती है लेकिन बाद में यह शक्ति बहुत उग्र हो जाती है और सिद्ध होने के बाद साधक को किसी भी आए हुए याचक की हर समस्या का निदान करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है यह मंत्र गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत है लेकिन मैं आपको यह प्रसंग वश मंत्र दे रहा हूं सबसे पहले एक बात मैं बताता हूं आप कितनी भी उग्र साधना कीजिए लेकिन उस उग्र साधना को कंट्रोल करने के लिए उस एनर्जी को कंट्रोल करने के लिए आपको शिव की शक्ति या गुरु की शक्ति की आवश्यकता होती है जो साधक अपने गुरु अपने इष्ट एवं अपने मंत्र पर भरोसा रख कर के चलेगा वह अवश्य में सफल होगा लेकिन यह आप कभी न सोचो कि आप इंटरनेट से या किसी पुस्तक से कोई मंत्र और विधि ले लोगे और आप सफल हो जाओगे क्योंकि अगर कोई भी व्यक्ति लोकी कोई बुक ले ले या मेडिकल की कोई बुक ले ले तो भी उसे टीचर की आवश्यकता पढ़नी है और वह मात्र उस पुस्तक को देख कर के व्यवहारिक ज्ञान नहीं सीख सकता क्यों की उस पुस्तक में जिस किसी ने भी कोई भी थ्योरी लिखी होगी तो वह उसके निजी अनुभव होंगे और यह साधना का ऐसा मार्ग है जिसमें सब के साथ एक जैसे अनुभव नहीं होते सब की जीवनी शक्ति अलग होती है एवं सभी का परिवेश अलग होता है संस्कार अलग होते हैं इष्ट देवता अलग होता है कुलदेवता अलग होता है इसीलिए शक्ति सिद्ध होने में कठिन हो जाती है अब आपको मैं इस प्रयोग की विधि और मंत्र देने जा रहा हूं कृपया इस पोस्ट को देखने के बाद इसका व्यवसायीकरण ना करें एवं इसके द्वारा किसी भी व्यक्ति को कष्ट पहुंचाना ऐसा मन में भी ना सोचे यह साधना प्राय अमावस्या से या कृष्ण पक्ष में शुरू की जाती है और इस साधना से पहले खेड़ा पीर एवं ख्वाजा पीर की साधना की जाती है उसके बाद पुरुष साधक इसे 41 दिन और स्त्री साधक इसे 21 दिन के प्रयोग के रूप में साधना कर सकते हैं साधना में बुरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करना है भूमि पर सोना है एक समय खाना है और कम बोलना है साधना के दौरान किसी से झगड़ा लड़ाई झूठ कपट छल फरेब नहीं बोलना और ना ही करना आपको मनसा वाचा और करवाना कर्म से किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना ना ही काम का चिंतन करना है बस सुबह आपने खेड़े पर जाकर के और उन्हें स्नान कराने के उपरांत 5 वाला उनके मंत्र की करनी है

मन्त्र ये है

ॐ नमो आदेष गुरु जी जाग रे जाग 2200 ख्वाज़ा 2300 कुतब शिव गौरां की आन जाग जा दादा भूमिया मेरे गोरख गुरु का रख मान दुहाई तेरी माता की ।

और उसके बाद आपने अपने घर चला जाना है फिर रात्रि में साईं काल को अपने ख्वाजा पीर की कड़ाही और हाजरी तैयार करनी है और वहां जाकर के तीन माला ख्वाजा पीर के कलाम का जाप करना है

कलाम ये है।

बिस्मिल्लाहरेहनेरहीम 2200 ख्वाज़ा पांचों पीर उठ मेरे जिन्दा पीर दुहाई मौला अली की बीबी फात्मा की।दुहाई मेरे उसताद की।

उसके बाद घर आकर के रात्रि में 10:00 बजे से जाप शुरू करना है और 11 माला जाप करना है इसका मंत्र ऐसे हैं

माता गदहे सुल्लखनी मत्थे लायी रखदी मेहन्दड चारों कुंठा झुक रहियां झुक रिहा सारा देश मट जागे मसान जागे जागे थड़े दा पीर मेरी जगाई जाग माता मेरे गुरुआ दी जगाई जाग ऐसे काज सँवारो जैसे जोगी इस्माइल के कार्य सवारे चले मंत्र फुरो वाचा देखा माई मदान वाली महारानी मसानी इल्म का तमाशा।

इस मंत्र को आपने प्रतिदिन 11 माला जपना है और कोई भी वस्त्र पहन सकते हो और अपने सामने माता की तस्वीर रखनी है दीप धूप लगाना है फल फूल पान मिठाई रखनी है यह साधना संपन्न करके आप किसी का कोई काम कर सकते हो और आपको कोई रुकावट नहीं आएगी कोई भी आज तक आपके पास आएगा तो आपको किसी चीज की दिक्कत उसका काम मिनटों में हो जाएगा आपको करना क्या है आपको सुबह उठना है सुबह उठकर आपने नगर खेड़े के मंदिर पर जाना है भूमिया जैसे बोलते हैं और वहां उन को स्नान कराने के उपरांत आपको पांच माला उनका मंत्र जाप करना है उसके बाद आप को घर आ जाना है घर आने के उपरांत फिर आप घर में और कोई काम कर सकते हो लेकिन घर से बाहर नहीं जा सकते आपको फिर शाम को ख्वाजा पीर की हाजिरी तैयार करनी है उस हाजरी में मीठे चावल 4 मुंह वाला दीवा पांच बतासे 5 लोग 5 लाची 5 गुलाब के फूल 5 अगरबत्ती और दो मीठे पान लेने हैं और अगर चाहो तो आप दो पीस बर्फी के ले सकते हो वह आपको चलते पानी जहां पानी चलता हो साहब वहां जाना है और ख्वाजा साहब को हरदास करके आपको यह हाजिरी उनको दे देनी है और वहां बैठकर हाजिरी देने के बाद आपको पांच माला ख्वाजा पीर की जपनी है उसके बाद आप को घर आ जाना है फिर रात्रि में माता की फोटो के सामने बैठकर जहां आपने नारियल रखकर संकल्प किया था वहां आपने बैठकर माता की पूजन करनी है फल फूल पान मिठाई उसमें मुख्यतः यह आपने पूजा 10:00 बजे के करीब शुरू करनी है और आपको पांच बूंदी वाले लड्डू, पांच बतासे,पांच गुलाब के फूल, दो सेंट, 2 मीठे पान ,5-5 लौंग इलायची ,सभी को एक एक काजल का टीका लगाना है धूप दीप और 2 दिए चलेंगे एक देसी घी का और एक सरसों के तेल का आपको वहां बैठकर 11 माला जाप करनी है मां की जो मंत्र पहले दिया गया है उसको करने के बाद आपने यह सारा सामान ले जाना है किसी खाली ग्राउंड में वहां 4 मुंह वाला दिया लगाकर मां को अगरबत्ती लगाने के बाद यह सारा सामान खाली ग्राउंड या चौक में रख देना है और माता को अरदास करके घर वापस चलाना है हाथ पैर धो के घर में घुसने है और फिर आराम से भूमि पर सो जाना है इसी दौरान आपको विचित्र विचित्र अनुभूतियां होंगी क्योंकि यह प्रयोग मेरे चार लोग जो जानकार हैं उन द्वारा किया गया है।

शनिवार, 5 जून 2021

शेषनाग का साबर मन्त्र।

शेषनाग मन्त्र साधना।

कोई भी कोई भी मनोकामना ।
कोई भी रुका हुआ काम ।
गड़े हुए धन के उप्पर से नाग शक्ति का वास हटाना हो या शांत करना हो जो गड़े धन से संबंधित हो उसको इस साधना के द्वारा आप पूरा कर सकते हैं।
इस साधना से आप अपना तीसरा नेत्र भी खोल सकते है।
नाग शक्ति के क्रोध को शांत कर सकते हैं।
अगर भूल वश किसी नाग की हत्या हो गयी हो उसको भी शांत कर सकते है।

इसके अनुष्ठान कर लेने के उपरांत साधक को तीनों कालों का ज्ञान होता है और गड़ा हुआ धन निकालने में सक्षम हो जाता है जब कहीं गड़े हुए धन पर किसी नागशक्ति का पहरा लगा हो तो उस शक्ति के पहरे को हटाने में और शांत करने में सक्षम होगा।

गड़े हुए धन का साधक को इस साधना के संपन्न कर लेने के बाद शेषनाग भगवान द्वारा पताल के नीचे की निधियां सदृश्यमान हो जाती हैं

लेकिन ये बात याद रखें इस मंत्र की साधना की शुरुआत सिर्फ नागपंचमी या शिवरात्रि पर होती है। 

प्रत्येक सोमवार को उपवास करें और एक एक बार मंत्र बोलते हुए शिवलिङ्ग पर सफेद पुष्प अर्पित करें। कुल 108बार।

यह एक गुप्त गुरमुखी और बहुत ज्यादा खतरनाक साधना है।
सभसे पहले अपने गुरु महाराज जी से रक्षा मंत्र लेकर उसे सिद्ध करें फिर ही इस साधना शुरू करें।

मेरा काम वास्तविक रूप में तन्त्र विद्या का प्रचार करना है इस लूप हो रही विद्या का प्रचार होकर सही लोगों तक पहुंचाना ही धेय है 

(( आपके कर्मों का  हिसाब ईश्वर को आपने देना है मेरे कर्मो का मुझे ))
आप जो बीजो गे वही आपको काटना होगा। ये एक अटल सत्य है।
अपने गुरु से बिना परामर्श किए इसे करने की चेष्टा ना करें और अपने हिसाब से इस साधना का तोड़ मरोड़ ना करें। वरना अपने परिणामों के उत्तरदायित्व स्वयं आप होंगे उसमें मेरा या मेरे चैनल का लेश मात्र भी उत्तर दायित्व नहीं होगा क्योंकि इस साधना में बहुत सारे नाग हकीकत में साधक के प्रति आकर्षित होकर आना शुरू हो जाते हैं इसलिए यह साधना सिर्फ धैर्य वाले साहस वाले व्यक्ति ही करें।

इस साधना को शुरू करने से पहले भगवान शिव का पूजन और व्रत 1 वर्ष पहले से ही शुरु कर देना चाहिए शिव के उपासक इस मंत्र से बहुत जल्दी लाभान्वित होते हैं।

आपको इस मंत्र का दस माला जाप प्रतिदिन करना होगा।

जाप माला रुद्राक्ष की हो
दिशा पूर्व।
आसन एवम लाल वस्त्रों का प्रयोग करें।

रात्रि को अपने सामने लकडी के बेजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर उसपर हल्दी मिलाकर कच्चे चावल रखें और उन चावलों की ढेरी पर शिव लिंग स्थापित करें एक लोटे में जल भरकर रख दें।
वहां पर शुद्ध देसी घी का दीपक प्रज्वलित कर धूफ दें।

 गाय के गोबर को जलाकर देशी घी का होम करें

फिर जाप से पहले मिट्टी के किसी पात्र में कच्चा गाय का दूध थोड़ी सी शक्कर और कच्चे चावल मिलाकर मिलाकर रखें ।

एक मुर्गी का अंडा चावल की लाई कुछ खुशबूदार सफेद फूल रखें और जाप करें 

फिर एक टिक्की कपूर पर एक जोड़ा लौंग रख कर जला दें। 
फिर दूध अंडा लाई सफेद फूल घर से बाहर की सांप की बाम्बी किसी निर्जन स्थान पर रख दें और चुपचाप घर में वापिस आकर भूमिपर सो जाएं।
 
सिर्फ एक सप्ताह में आप को स्वप्न में एवम जाप करते हुए अनुभव आने लग जाएंगे। 

इस लिए यह साधना साहसी व्यक्ति को करनी चाहिए वह भी अपने गुरु के मार्गदर्शन में।
बिना मार्गदर्शन के मार्ग से भटक तो जाएंगे ही साथ ही साथ आपको किसी गंभीर संकट से ग्रस्त भी होना पड़ सकता है जीवन की सब कमीयां दूर हो सकती है धन की कमी 100% दूर हो सकती है।

लेकिन बिना मार्गदर्शन के यह साधना कभी ना करें कभी ना करें।


मन्त्र:-ॐ नमो आदेश गुरु को
ओङ्ग सोहं निर्मलजोति
हर गौरां का रूप
शब्द चले सुरति चले
शेषनाग भगवान चले
नव  कुलि अवतार
आया शरण अब तार।
दुहाई माता गौरां पार्वती की।
दुहाई भोलेनाथ की।
सतनमो आदेश आदेश आदेश।


मंगलवार, 25 मई 2021

हिडिम्बा माता द्वारा शत्रु का मारण।

                  

               हिडिम्बा मृत्यु की एक देवी।

○महाभारत के दौरान कौरवों द्वारा लाक्षागृह के दहन के पश्चात सुरंग के रास्ते लाक्षागृह से निकल कर पाण्डव अपनी माता के साथ वन के अन्दर चले गये। कई कोस चलने के कारण भीमसेन को छोड़ कर शेष लोग थकान से बेहाल हो गये और एक वट वृक्ष के नीचे लेट गये। माता कुन्ती प्यास से व्याकुल थीं इसलिये भीमसेन किसी जलाशय या सरोवर की खोज में चले गये। एक जलाशय दृष्टिगत होने पर उन्होंने पहले स्वयं जल पिया और माता तथा भाइयों को जल पिलाने के लिये लौट कर उनके पास आये। वे सभी थकान के कारण गहरी निद्रा में निमग्न हो चुके थे अतः भीम वहाँ पर पहरा देने लगे।

○उस वन में हिडिंब नाम का एक भयानक असुर का निवास था। मानवों का गंध मिलने पर उसने पाण्डवों को पकड़ लाने के लिये अपनी बहन हिडिंबा को भेजा ताकि वह उन्हें अपना आहार बना कर अपनी क्षुधा पूर्ति कर सके। वहाँ पर पहुँचने पर हिडिंबा ने भीमसेन को पहरा देते हुये देखा और उनके सुन्दर मुखारविन्द तथा बलिष्ठ शरीर को देख कर उन पर आसक्त हो गई। उसने अपनी राक्षसी माया से एक अपूर्व लावण्मयी सुन्दरी का रूप बना लिया और भीमसेन के पास जा पहुँची। भीमसेन ने उससे पूछा, "हे सुन्दरी! तुम कौन हो और रात्रि में इस भयानक वन में अकेली क्यों घूम रही हो?" भीम के प्रश्न के उत्तर में हिडिम्बा ने कहा, "हे नरश्रेष्ठ! मैं हिडिम्बा नाम की राक्षसी हूँ। मेरे भाई ने मुझे आप लोगों को पकड़ कर लाने के लिये भेजा है किन्तु मेरा हृदय आप पर आसक्त हो गया है तथा मैं आपको अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती हूँ। मेरा भाई हिडिम्ब बहुत दुष्ट और क्रूर है किन्तु मैं इतना सामर्थ्य रखती हूँ कि आपको उसके चंगुल से बचा कर सुरक्षित स्थान तक पहुँचा सकूँ।"

○इधर अपनी बहन को लौट कर आने में विलम्ब होता देख कर हिडिम्ब उस स्थान में जा पहुँचा जहाँ पर हिडिम्बा भीमसेन से वार्तालाप कर रही थी। हिडिम्बा को भीमसेन के साथ प्रेमालाप करते देखकर वह क्रोधित हो उठा और हिडिम्बा को दण्ड देने के लिये उसकी ओर झपटा। यह देख कर भीम ने उसे रोकते हुये कहा, "रे दुष्ट राक्षस! तुझे स्त्री पर हाथ उठाते लज्जा नहीं आती? यदि तू इतना ही वीर और पराक्रमी है तो मुझसे युद्ध कर।" इतना कह कर भीमसेन ताल ठोंक कर उसके साथ मल्ल युद्ध करने लगे। कुंती तथा अन्य पाण्डव की भी नींद खुल गई। वहाँ पर भीम को एक राक्षस के साथ युद्ध करते तथा एक रूपवती कन्या को खड़ी देख कर कुन्ती ने पूछा, "पुत्री! तुम कौन हो?" हिडिम्बा ने सारी बातें उन्हें बता दी।अर्जुन ने हिडिम्ब को मारने के लिये अपना धनुष उठा लिया किन्तु भीम ने उन्हें बाण छोड़ने से मना करते हुये कहा, "अनुज! तुम बाण मत छोडो़, यह मेरा शिकार है और मेरे ही हाथों मरेगा।" इतना कह कर भीम ने हिडिम्ब को दोनों हाथों से पकड़ कर उठा लिया और उसे हवा में अनेक बार घुमा कर इतनी तीव्रता के साथ भूमि पर पटका कि उसके प्राण-पखेरू उड़ गये।

○हिडिम्ब के मरने पर वे लोग वहाँ से प्रस्थान की तैयारी करने लगे, इस पर हिडिम्बा ने कुन्ती के चरणों में गिर कर प्रार्थना करने लगी, "हे माता! मैंने आपके पुत्र भीम को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया है। आप लोग मुझे कृपा करके स्वीकार कर लीजिये। यदि आप लोगों ने मझे स्वीकार नहीं किया तो मैं इसी क्षण अपने प्राणों का त्याग कर दूँगी।" हिडिम्बा के हृदय में भीम के प्रति प्रबल प्रेम की भावना देख कर युधिष्ठिर बोले, "हिडिम्बे! मैं तुम्हें अपने भाई को सौंपता हूँ किन्तु यह केवल दिन में तुम्हारे साथ रहा करेगा और रात्रि को हम लोगों के साथ रहा करेगा।" हिडिंबा इसके लिये तैयार हो गई और भीमसेन के साथ आनन्दपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगी। एक वर्ष व्यतीत होने पर हिडिम्बा का पुत्र उत्पन्न हुआ। उत्पन्न होते समय उसके सिर पर केश (उत्कच) न होने के कारण उसका नाम घटोत्कच रखा गया। वह अत्यन्त मायावी निकला और जन्म लेते ही बड़ा हो गया।

○हिडिम्बा ने अपने पुत्र को पाण्डवों के पास ले जा कर कहा, "यह आपके भाई की सन्तान है अतः यह आप लोगों की सेवा में रहेगा।" इतना कह कर हिडिम्बा वहाँ से चली गई। घटोत्कच श्रद्धा से पाण्डवों तथा माता कुन्ती के चरणों में प्रणाम कर के बोला, "अब मुझे मेरे योग्य सेवा बतायें।? उसकी बात सुन कर कुन्ती बोली, "तू मेरे वंश का सबसे बड़ा पौत्र है। समय आने पर तुम्हारी सेवा अवश्य ली जायेगी।" इस पर घटोत्कच ने कहा, "आप लोग जब भी मुझे स्मरण करेंगे, मैं आप लोगों की सेवा में उपस्थित हो जाउँगा।" इतना कह कर घटोत्कच वर्तमान उत्तराखंड की ओर चला गया।

○हिडिम्बा देवी काली कामाक्षा की तरह ही तांत्रिको द्वारा पूजी जाती हैं।

○हिडिम्बा देवी का मंदिर मनाली में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह एक प्राचीन गुफा-मन्दिर है जो हिडिम्बी देवी या हिरमा देवी को समर्पित है । जिनका वर्णन महाभारत में भीम की पत्नी के रूप में मिलता है । 

○आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ हिडिम्बा देवी की एक ऐसी साधना जिससे बाद आप कुछ भी करने में सक्षम हो जाएंगे मारण प्रयोग जो काले जादू द्वारा किए जाते हैं व्व सभी अलग अलग देवी देवताओं और मन्त्र यन्त्र तंत्रों द्वारा किया जाते हैं ये कॉपी पेस्ट का जमाना है बहुत भयानक युग है जो साधनायें एक साधक आपने पूरे जीवन के परिश्र्म से हासिल करता है कुछ व्यावसायिक बुद्धि के लोग आते है और आपके लेख चोरी करके ले जाते है गुस्सा आता है फिर दया आती है उनपर गुस्सा उनकी चौर प्रविर्ती पर और दया उनके भाविष्य पर कोई चोरी की हुई अधूरी जानकारी से कैसे उन्नति कर सकता है।
○देवी हिडिम्बा के बारे में आपने जान लिया होगा ऊपर कहानी द्वारा अब बताता हूं साधना वास्तव में हिडिम्बा एक मायावी दानवी थी लेकिन ये सभी सत्य पर चलने वाले लोग थे सच्चे होने के कारण ईश्वर भी इन पर प्रसन्न रहते थे क्योंकि आज के युग में पति अपनी पत्नी और पत्नी अपने पति से कुछ दिन दूर नही रह सकते विचार और परिवेश बहुत गंदा हो गया है वासनाओं से त्रस्त ग्रसित हो गये है। लेकिन वो भी थे जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया जीवन भी और पुत्र पौत्र भी।

        हिडिम्बा एक उग्र तामसिक मृत्यु की देवी।

○किसी भी शत्रु को मार सकती है ये देवी इससे कोई भी नही बच सकता।

○अधूरी और मुफ्त की विद्या बर्बाद कर देती है।

○हृदय रोगों कभी न करें इसे।

○नाथ सम्प्रदाय में प्रचलित है इसकी गुप्त साबर साधना।

○इसकी साधना गुप्त स्थान पर ही होती है।

○दो जीवित बकरे रखने पड़ते हैं पास।

○प्रति मध्यरात्रि को पूजा करके चढ़ानी होती है शराब और मांस।

○आसुरी शक्ति होने के कारण हिडिम्बा एक तामसिक शक्ति है। और ये गलती हो जाने पर साधक को भी उलट देती है।

○बड़े बड़े साधकों की आवाज नही निकलती जब हिडिम्बा सामने आ जाती है।

○अपने घर में पंखे के नीचे बैठकर मोबाइल हाथ में लेकर अपनी गाल बजाने वाले लोग जब वास्तव में किसी शक्ति से सामना होने पर सुन्न हो जाते है। गप्पें हांकने और कहने से कुछ नहीं होता।

○ये साधना पूरे 41 दिनों की है।

○भूमि शयन और पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना होता है।

○तेल साबुन सेंट क्रीम पाऊडर इत्यादि सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग बाल बनाना,कंघी करना नाखून काटना पूरा वर्जित है।

○सिले हुए कपड़े पहनना मना है।

○ अर्द्धपटेश्वरी देवी की तरह इसका प्रयोग भी बहुत खतरनाक होता है और आपका शत्रु बच नहीं सकता।

○ इस प्रयोग को जब भी करना हो सबसे पहले काले रंग के दो बकरे अपने पास बांध लेने चाहिए।
○ इस पर योग का प्रभाव 30 पूरे दिन से दिखना शुरू हो जाता है लेकिन इसको बहुत धैर्य वाला व्यक्ति ही कर सकता है।



            एक सच्ची घटना इसकी साधना 
○एक सच्ची घटना आज मैं आपको बताता हूं। आज से तकरीबन 40-50 साल पहले एक गांव में नाथों का एक मठ था उस मठ से वहां के स्थानीय गांव वाले लोग बहुत बैर और विरोध रखते थे। और वहां के जो सन्त थे उस मठ में वह बहुत परेशान रहने लगे धीरे-धीरे उनका विरोध बढ़ता रहा और मामला हाथापाई और मारपीट  पर आ गया तो वहां का जो संत थे। वह अपने गुरु भाई के पास गये और उसे सभी घटना बताई और अपनी व्यथा बताई और जो उसे समस्या थी। वह सारी बताने के बाद दोनों ने निर्णय किया दोनों ने निर्णय किया कि हिडिम्बा देवी का अनुष्ठान किया जाए और पूरे गांव को ही नष्ट कर दिया जाए ।अब यह अनुष्ठान बहुत उग्र था बहुत सारी सामग्री लगनी थी।
○गांव से कुछ दूर पर ही एक बीहड़ जंगल था उस जंगल में उन्होंने एक कुटिया बनाकर के वह साधना शुरू कर दी जब वह साधना शुरू हुई तो शुरुआत में उनको कोई दिक्कत नहीं आई अनुष्ठान चलता रहा धीरे-धीरे होम बली इत्यादि जितनी भी अनुष्ठान के में प्रयोग होने वाली सामग्री थी उन्होंने पहले ही जुटा ली थी दो बकरे खरीद कर लाए गए और उनको बांध लिया गया कुटिया के पास क्योंकि उनको इस प्रयोग में दो ही बकरे लगाने से पहला प्रयोग के शुरू होने पर दूसरा काम के होने पर धीरे-धीरे प्रयोग समाप्ति की ओर अग्रसर होता गया  जब जब इस प्रयोग के होने में 5 दिन बचे जब बहुत हवा तूफान इत्यादि आने लग गए लेकिन फिर भी उन्होंने अनुष्ठान बंद नहीं किया अनुष्ठान चलता रहा जब तीन ही दिन बचे थे तो देवी के आगे जो चलने वाले हैं गण पूरे अनुष्ठान के घूमने लग गए और बहुत ही तबाही मचाने लगे फिर एक बहुत ही विस्मयकारी घटना घटी ठीक 1 दिन पहले जो अनुष्ठान करने वाले थे उन बाबा की बुद्धि पलट गई तो किसी तरह उनके गुरु भाई ने इस माहौल को संभाला और अनुष्ठान अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर हुआ सामग्री तो उनके पास पूरी थी। जैसे टेलीविजन पर नाटकों में भयानकदृश्य दिखाई जाते हैं सब कुछ वैसा ही उथल-पुथल होने लग गई हवा बड़ी तेज तेजी से चलने लग गई वृक्षों की डालियां टूट टूट कर गिरने लग गई भिन्न भिन्न प्रकार की भयंकर आवाजें मेघ गर्जन  बिजली का गिरना  इत्यादि उत्पात  एकाएक होने लग गए बहुत भयंकर भयंकर आवाज आने लग गई  लेकिन फिर भी वह डटे रहे  उनको अनुष्ठान पूरा करने में उनको बहुत ही ज्यादा परेशानी हो रही थी अगर वह अनुष्ठान छोड़ देते हैं तो वह दोनों मारे जाएंगे यह तो बिल्कुल स्पष्ट था धीरे-धीरे उन्होंने जाप शुरू किया उसके उपरांत उसके उपरांत जब हवा थम गई तूफान थम गया तो एक महा भयंकर स्त्री काले रंग की ऊंचे लंबे कद वाली और खुले बाल जो ताजे काटे हुए शेरों का हार पहने हुए थी एकाएक वहां आ जाने से सब डर गए उन भयंकर आवाजों और वातावरण में हृदय विदारक उन दृश्यों को देख कर के दोनों के दोनों संग रह गए अब जब देवी आई तो उन्होंने पूछा क्यों बुलाया है मुझे बहुत गलती हुई आवाज में बहुत गलती हुई आवाज में देवी ने पूछा क्यों बुलाया है मुझे तो उनकी आवाज न निकली और बुद्धि चकित हो गई भ्रमित हो गई क्योंकि उन्होंने यह प्रयोग पूरे गांव को नष्ट करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया था बुद्धि पलटने से जो प्रधान संत थे जिन्होंने यह अनुष्ठान शुरू किया था एकाएक बोल तू बोल उठे हे देवी अगर तू बहुत शक्तिशाली है तोइस पेड़ की डाली को तोड़ दे एक बहुत भारी और विशाल बहुत पुराने वृक्ष की बहुत मोटी तनी की ओर इशारा करते हुए वे बोले तभी उस स्त्री उस देवी के बहुत 28 28 हंसी की आवाज आई और कुछ ही मिनटों में वह गाली डाली टूट कर वृक्ष से गिर गई नीचे जमीन पर अब उनका कार्य पूरा हो चुका था उन दोनों के ऊपर अब मृत्यु मंडराने लगी उस अमृत रूपी देवी को देखकर उस मृत्यु रूपी देवी को देखकर दोनों की जान सूखने लगी हालांकि यह दोनों ही बहुत मजे हुए और बहुत ही शक्तिशाली बहुत ही जानकार तांत्रिक थे देवी नाथ पंथ के लेकिन अब इन्होंने जो बकरा बंधा हुआ था समय न देखते हुए फटाफट उसकी देवी को बलि दे दी तब जाकर इनकी जान बची यह एक सौ प्रतिशत सच्ची कहानी है इसमें कुछ भी झूठ नहीं वसंत आज भी जब इस बात को याद करते हैं तो इस बात के सत्य प्रमाणित होने का स्पष्ट प्रमाण मिल जाता है इतनी भयंकर होती है यह साधना अगर कोई नया साधक उठकर के मूर्खता बस बोल दे कि मुझे हिडिंबा की साधना करनी है तो यह उसकी आत्महत्या का ही निर्णय होगा यह सिर्फ और सिर्फ उन साधकों के लिए है जिनकी जिंदगी और मौत पर बनाई हो।

दूसरे भाग में इसकी प्रयोग विधि बताई जाएगी

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...