गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

माता मैदानन चालीसा।

               ।। माता मदानण का चालीसा ।।
                             ।। दोहा।।

चालीसा मैं शुरू करूं               करूँ    ज्ञान की बात ।
जल में थल में अगन गगन में          बस रही मेरी मात।।

                           ।।चौपाई।।

श्री गणेश को सिमर कर।। सरस्वती का ध्यान लगाऊं।
तीन लोक की जननी माता महामाया तेरे गुण को गाऊं।।१।।

आदिशक्ति जग की दाती हम सभ तेरा ध्यान लगावे।
नाम तेरा जपने से माता सब संकट पल में कट जावे।।२।।

नमो मैदानन तू महामाया जग जननि ये  खेल रचाया।
जोकोई ध्यावे सच्ची श्रद्धा से आया दूधपूत फल पाया।।३।।

पाप बढ़े जब जब धरती पर धर्म नाश हो जाए भवानी।
तब अवतार नया से लेकर धरती पर तू आए कल्यानी।।४।।

हैं अवतार अनेक जगत में मेरी बुद्धि समझ ना पाए।
तू ही लक्ष्मी  तू ही      दुर्गा  तू ही काली  वेश बनाए।।५।।

समय पड़ा जब पाप बढ़ा फिर ले अवतार तू आये।
भिन्न-भिन्न रूपों में मैया जग की नैया पार लगाए।।६।।

तू ही शीतला तू ही कल्याणी तू ही उमा रमा ब्रह्माणी।
कहीं जोतज्वाला की बनगई और तू कहीं बनी मसानी ।।७।।

धन्य मदानन माता मेरी तेरी महिमा किसी ना जानी ।
हे जगदाती कृपा करदो तेरी महिमा किसी न जानी।।८।।

कही बिराजे बने शीतलामसानी  कहीं मैदानन माता।
जरग कुराली गुड़गांव में कोई कल्लर कोट  मनाता।९।।

शेख फरीद शिष्या तू           तेरे नागे गुरु अवधूत।
धन्य धन्य मदानन माता तू तो भांझन को देती पूत।।१०।।

मात कपूरी की लाडली पिता हेमराज की प्यारी।
दो लडुअन पर खुश हो जाए तेरी महिमा न्यारी।।११।।

जय जग की दाती चार दिशा में तेरे नाम का परचा।
जै जैकार मेरी भोली माता बस तेरे नाम का चर्चा।।१२।।

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे वो पाप मुक्त हो जाये
संकट पड़े जब कोई भगत पर झटपट आप बचाये।।१३।।

कर्जा दुख और बीमारी तेरे भगत के पास ना आए।
हे जगजननी तू जगदंबा  हम सभी तेरा गुण गाए।।१४।।

जिनके वंश की तू कुलदेवी मां वंश को सदा बढ़ाएं।
भूल करे जो भक्त तुम्हारा तुमसे दंड कठिन वो पाए।।१५।।

पूत कपूत करत है गलती फिर फिर तुम्हें मनाएं।
धन्य धन्य मेरी मात मैदानन  तू तो मान ही जाये।।१६।।

कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मैया लगता मेला भारी।
सभ कोई तुमको शीश झुकाते नर होवे या नारी।।१७।।

लड्डू बर्फी पान बताशा लोंग सुपारी भेंट तुम्हारी।
पुत्र हुए पर थान लगावे सन्त भगत को देय पुजारी।।१८।।

जो कोई व्रत करे तुम्हारा मंगलवार करे    अग्यारा।
नाम तेरे को जपे भवानी कभी ना पावे वह परेशानी।।१९।।

रूप अनेक धरे तू देवी      वेद भी तेरा पार ना पाए।
भिन्न-भिन्न रूपों से माते सब कोई तेरा ध्यान लगावे।।२०।।

भिन्न भिन्न है रूप तुम्हारे     भिन्न-भिन्न सब नाम।
धन्य धन्य मेरी माई मदानन   पल में बनते काम     ।।२१।।

नागे गुरु से विद्या पाई   जग का भला करो महामाई।
जो कोई ध्यान तुम्हरो लावे  इच्छित फल को वो पावे।।२२।।

शीतला माँ     के संग विराजे द्वार तेरे पर मृदंग बाजे।
सन्त      भगत  तेरे लाडले          तू है सब की माता ।२३।।

नित्यप्रति जो शीश झुकावे मीठाजल जो तुम्हे चढ़ावे।
उसके सभ संकट कट जाते रोग कष्ट ना उसे सताते।२४।

जिसपे  संकट भारी आवे दो लड्डुओं का भोग चढ़ावे ।
फौरन ही संकट कट जावे  भक्त तेरा सदा सुख पावे।।।२५।।

लाल ध्वजा मंदिर पर सोहे ताको देख भक्तन मन मोहे।
श्रद्धासे माँ खुश होजाती भगत की जै जैकार कराती।।२६।।

मात मेरी की महिमा न्यारी    पल में काटे संकट भारी ।
श्रद्धाभाव से जोकोई गाता अक्षय दूधपूत फल पाता।।२७।।

संत मुनी नर-नारी आवे ~~~~मंदिर तेरे जोत जलावे ।
विद्या बुद्धि बल और शक्ति    सब कोई तेरे दर से पावे।।२८।।

दे वरदान निर्धन को माता      तू धनपति कुबेर बनाती।
तेरे दर जो शीश झुकावे   उसकी बिगडी भी बनजाती।।२९।।

बुद्धिहीन विद्या को पावे             अंधा देखे गूंगा गावे।
रूपहीन की बात सुनाऊं क्या-क्या तेरी महिमा गांऊ।।३०।

निरबंसी का बंस  चलादे    पत्थर पर भी फूल उगादे।
धन्यधन्य मेरी मातमदानन तेराभगत महिमा को गावे ।।३१।।

पाठ तेरा जो पड़े सुनावे नित्य प्रति तेरी ज्योत लगावे।
उस पर कृपा करो भवानी तुम समान नहीं कोऊ दानी।।३२।।

तेरे नवरात्र चैत्र में आते श्रावण गुप्त फिर अश्वनी मासा।
माघ गुप्त फिर आए अम्बे सब जग तेरे गुण को गाता।।३३।

हम तेरे बच्चे तू जग जननी माता सबका करो कल्याण।
तेरे दर पर सिर को रखा हे जग जननी रखना मेरा मान।।३४।

कितने दानव मार गिराए भक्त संत तेरी महिमा गाये।
अपरंपार तेरी ज्योति भवानी तेरी हो रही  जै जैकार।।३५।

धन्य धन्य मेरी मात मैदानन सब के बेड़े पर लगाती ।
गर्दभवाहन जब-जब बैठो    भगत को दर्श दिखाती।।३६

तू ही नव दुर्गा तुहि शीतला तू ही ज्वाला रूप दिखाती।
कहीं बने कोमल माँ लक्ष्मी   धन वैभव तुहि ले आती।।३७।।

तू रक्तेश्वरी तू ही बसन्ती        तुहि मसानी रूप बनाती ।
पाठ करें जो तेरा चालीसा उसको कष्ट से आन बचाती।।३८।।

धन्य-धन्य जी मेरी मात मैदानन  जो तेरी कृपा रहे स्वाई।
खेतरपाल मनाऊं मात।           मैं   हल्दी दूब चढाऊँ ।।३९।।

तू जल थल रही समाई जगजननि    तेरी प्रेरणा आई।
तेरा ही बल पाकर मात जी    तेरा चालीसा मैंने गाया।।४०।।

जो कोई ये चालीसा पढ़े              प्रेम भाव के साथ ।
उसकी सब पीड़ा हरे।           मेरी मात मैदानन आप।।४१।।

























नौगजा पीर की साधना।

 

           

 ।।   नौ ग़ज़ा पीर  साधना।।
दिल्ली हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश  चारों राज्यों में नौ गजा पीर बड़े जाने-माने फकीर है और एक ऊंचा दर्जा रखते हैं। इनके बहुत जगह पर स्थान है उनमें सहारनपुर और शाहबाद के दो स्थान प्रमुख हैं।इनका नाम सैय्यद इब्राहिम बताया जाता है।
इनका नाम नौ गजा होना इसलिए बताया जाता है कि उनका कद नौ गज का था।
इनके घर से जल्दी जल्दी कोई सवाली खाली नहीं जाता चाहे वह बंद कारोबार हो या औलाद का ना होना यहां पर सिर्फ दरगाह पर आप सच्ची नियत से चले जाएं तो भी आप का काम होना पक्का है ।
बात सिर्फ आपकी सच्ची नियत की होती है आपका कोई भी काम यह रुकने नहीं देते और इनकी हवा इतनी जबरदस्त होती है कि सामने भूत बेताल या शैतान किसी भी तरह की चीज इनको रोक नहीं पाती।
○जो साधना मैं आपके लिए लेकर आया हूं यह साधना पहले परीक्षित साधना है और इसमें बाबा जी के दर्शन होने आम सी बात है वस्तुतः यह एक सुलेमानी साधना है।
○इस साधना में साधक को बाबा नौ गजा पीर दर्शन जरूर देते हैं और दस से पंद्रह दिनों में अनुभव होते हैं ।
○लेकिन परहेज को पूरी कड़ाई से मानना पड़ेगा एकांत में आप को एक साफ सुथरे कमरे का इंतजाम करना है। उसकी लिपाई पुताई करनी है साधना काल में उस समय में उस कमरे में  आपके सिवा कोई दूसरा आदमी या स्त्री नहीं आनी चाहिए।
○वहां साफ सुथरे हरे वस्त्र पहनकर हरा आसन लगाकर वज्रा आसन में बैठकर काले हक़ीक़ की माला से 21 माला रोज करनी है अपने सिर को ढककर रखना है।
○फिर पश्चिम की और मुह करके एक लकड़ी की तख्ती पर हरा कपड़ा बिछाकर 2 चावलों की ढेरियां लगाकर उनपर दो चिराग एक देसी घी और एक सरषों के तेल का चलाना है ।
○हिना या ऊद के इत्तर का प्रयोग करना है और 15 दिनों तक खूब इत्तर लगाकर रखना पड़ेगा।
○लोबान की धूनी देनी है अगरबत्ती लगा के रखना है और एक जल का पात्र, 1 पान मीठा,2 सिगरेट,पांच बताशा, चूरमा के लड्डू सेंट ,पाँच बूंदी वाले लड्डु ,5 या 11 गुलाब के फूल लौंग इलायची ,खमनी(कलावा या मौली) का जोड़ा 5 सुपारी और मीठे चावलों का परशाद ,एक हरे रंग की पीर की चद्दर, यह सब कुछ रखना पड़ेगा।
○मैदानन को को बाहर एक जोड़ा बूंदी वाले लड्डू सात लौंग सात छोटी इलायची जोड़ा खमनी जोड़ा सबूत सुपारी के साथ चौकी पर देने है।
○उसके बाद ही यह साधना शुरू करनी है। फिर एक जोड़ा बूंदी वाले लड्डू भैरव जी को नमस्कार करके किसी भी आवारा कुत्ते को देकर साधना पूरी होने के लिए प्राथना करनी है।
○फिर पीर बाबा के मंत्र का जाप करना है 21 माला रोज़ाना।
○ इस साधना में अगर आप दरूदे इब्राहिम ई या दरूदे गौसिया दोनों में से कोई भी दरूद अगर 500 बार पढ़ लेते हैं तो आपकी शक्ति और बढ़ जाएगी।
○ वैसे तो इस साधना में रक्षा मंत्र की आवश्यकता नहीं है फिर भी जब रूहानी शक्ति उठती है तो सूत्र शक्तियां साधना को खंडित करने के लिए अलग तरह से विघ्न खड़े करने शुरु कर देती हैं इसलिए आप रक्षा मंत्रसे घेरा जरूर लगाएं।

○मन्त्र:-ओम नमो आदेश गुरु को।अजरी बांधु बजरी बाँधू बाँधू दसई द्वार। आन पड़ी हनुमान की रक्षा राम की कार।पहली चौकी गज गणपति जी की।दूजी चौकी विकट वीर हनुमान।तीसरी चौकी भूमिया भैरव।चौथी नरसिंह की आन । जो इन्हीं चौकी को लांघे ,तुरंत ही धूल भस्म हो जावे, दुश्मन बैरी जो कोई करें, उल्टा वाही पर उल्टा पडे, मंत्र सांचा पिंड काचा,फुरो मंत्र गोरख वाचा।।


बिस्मिल्लारहमनरहीम ,घेरे पर घेरा तेइस सो पीर, संग में चले नौगजा पीर सैय्यद इब्राहिम, सैय्यद इब्राहिम नौगजा पीर कहाँ से आया मक़्क़ा मदीना से आया,सट्टे की घड़िया बांदता आये,दुश्मन की नाड़ियां बांधता आये,अपनी विद्या चलाता आये,भक्त के बुलाया चौकी चलाये,अस्सी कोसां दी खबर लिआये,बंद दरवाजेयां नु खोलदा आये,बन्नी नज़र नु खोलदा आये,भक्त दी बंदी खोलदा आये,अली-अली बोलदा आये,जे ना आये अपनी माँ दा दुध हराम करें, नौगजा पीर ना कहाये।पाकपट्टन के बाबा फरीद दी दुहाई,मौला अली दी दुहाई। तेरे  पीर दी दुहाई,पीराने पीर दी दुहाई,हाजर हो मेरे पीर बादशाह नौगजा पीर। सलाम सलाम सलाम।****

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

।धनदा लक्ष्मी स्तोत्रं।

                     ।।धनदा लक्ष्मी स्तोत्र।।
○यह स्तोत्र व्यवहारिक रूप से आजमाया हुआ है और दरिद्र नाश करने के लिए इससे बड़ा कोई दिव्यास्त्र नहीं है अगर आपको लक्ष्मी की जरूरत है तो आपको लक्ष्मी की ही उपासना की हो करनी होगी।

○आज के समय में जहां मनुष्य अपनी अभिलाषा पूरी करने के लिए तंत्र-मंत्र और ना जाने कैसी कैसी से साधनाओं से उल्टे सीधे तरीके से लक्ष्मी को आकृष्ट करने की कोशिश करता है।

○फिर भी वह प्रयास सफल नहीं होते अब आपके लिए हम कुछ शास्त्रिक साधनायें ला रहे हैं ताकि आप उनसे कुछ लाभ प्राप्त कर सके और हकीकत में आपको उसका कुछ लाभ हो।

○ यह धनदा लक्ष्मी स्तोत्र रुद्रयामल तंत्र में वर्णित है और ग्यारह हजार बार स्तोत्र पढ़ने से इसका पुरश्चरण हो जाता है उसका मूल पाठ में आपको दे रहा हूं।

○इसको प्रतिदिन 108 बार पढ़ना उचित है और इससे प्राप्त लक्ष्मी चिरस्थाई होती है ऐसा इस स्तोत्र का प्रभाव है।

○ अगर किसी व्यवसाई को बहुत हद तक कोई घाटा पड़ जाए और इतना घाटा पड़ जाएगी उसे दो समय का खाना भी सरलता से उपलब्ध ना हो तो मां लक्ष्मी की उपासना करते हुए ।

○वह इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करें उसके सभी अभीष्ट कुछ दिनों के भीतर भीतर उसको प्राप्त होने लग जाएंगे।

○ यह साधना है उन लोगों के लिए है जो शिष्ट शालीन और सबवे हैं और उग्र साधना ही नहीं कर सकते जिनके घर में देवता वैष्णव है और वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हुए जो लोग हैं।

○ एक सकारात्मक शक्ति एक सात्विक शक्ति एक पाराशक्ति उसकी साधना कर कर आप अपने अभीष्ट को पूरा कर सकते हैं वह भी किसी को हानि पहुंचाई बिना बिना किसी तामसिक रिया के।

○ मूल्य स्तोत्र एक बार सही से याद कर लेना और उसे कंठ कर लेना कंठ करने के बाद फिर आपको इतना समय नहीं लगेगा क्योंकि अभ्यास करने में समय जरूर लगता है लेकिन जब वह अभ्यास आपके काम आता है तो उससे ज्यादा खुशी वाली कोई बात नहीं होती।

○ इस साधना में किसी भी तरह के मांस मछली शराब अंडा आया तामसिक भोजन का सर्वथा त्याग करना पड़ता है और फलस्वरूप उसे चिरस्थित लक्ष्मी की प्राप्त होती है।

○ हिंसा क्रोध अनर्गल बातें ब्लॉक गाली बकना यह सब बातों से बहुत अधिक परहेज रखना होता है सादर को अरमान लक्ष्मी की नित्य प्रति पूजा करनी होती है।

○महालक्ष्मी को अपना आराध्य मानकर आपको सप्ताह में एक बार बुधवार या शुक्रवार को उनके प्रति व्रत रखना होता है असाधारण ही रहता है और भोजन शुद्ध सात्विक यही इस स्तोत्र की आवश्यकता होती है।

○ प्रतिदिन प्रातः काल स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर के मां लक्ष्मी की साधारण रूप से पूजा करें पूजन में कमल के फूल की आवश्यकता होती है अगर कमल का फूल आपके पास उपलब्ध ना हो तो आप कोई भी अन्य फूल चढ़ा सकते हैं जैसे गुलाब या गेंदा इत्यादि।

○फिर जो भी आपके पास आसन उपलब्ध हो  या कंम्बल का आसन कुशा का आसन किसी रेशमी वस्त्र का आसन या सूती वस्त्र का आसन कोई भी हो पूर्वा विमुख होकर इस स्तोत्र का पाठ करना है।

○ फिर वही सामान्य आसन पर बैठकर पहले गणेश जी का ध्यान करे फिर गुरु और कुलदेवता का ध्यान करें फिर मां लक्ष्मी का आवाहन कर पूजन उपरांत सौ बार स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करें यह शत प्रतिशत प्रमाणित साधना है और शास्त्रिक साधना है यह कभी खाली नहीं जाती।

○ इस स्तोत्र का ग्यारह हजार जाप करने के बाद यह स्तोत्र आपके जीवन में सदा के लिए सिद्ध हो जाएगा फिर नित्य प्रति प्रातः स्नान के उपरांत इसको ग्यारह इक्कीस या इक्कीयावन बार ही पढ़ने से आपको चिर स्थिर लक्ष्मी की ज्ञात अज्ञात साधनों द्वारा अप्रत्याशित रूप से धन की प्राप्त होने लग जाएगी।

                       **धनदा लक्ष्मी स्तोत्र***
○धनदे धनपे देवि, दान शीले दयाकरे।
       त्वं प्रसीद महेशानि, प्रार्थयामह्यम।।1।।

○धरामर प्रिये पुण्ये,धन्ये धनद-पूजिते।
       सुधनं धार्मिकं देहि,यजमानाय स्त्वरम।।2।।

○रम्ये रुद्रप्रियआपर्णे,रमा रूपे रतिप्रिये।
       शिखासख्यमनोमूर्ते! प्रसीद प्रणतेमयी।।3।।

○आरक्त-चरनाम्मभोजे,सिद्धि-सर्वार्थदायिनी।
       दिव्याम्बरधरे दिव्ये,दिव्यमालानुशोभिते।।4।।

○समस्त गुणसंपन्ने सर्वलक्षण लक्षिते।।
       शरच्चचंद्रमुखेनीले नील नीरजलोचने।।5।।

○चंचरीक-चमू-चारु-श्रीहार-कुटिलालके।
       दिव्ये दिव्यवरे  श्रीदे,कलकण्ठरवामृये।।6।।

○हासावलोकनिर्दिव्यैभक्तिचिंतापहारिके।
       रूप-लावण्य-तारुण्य-कारूणयगुंबभाजने।।7।।

○ क्वणत-कंकण-मंजीरे,रसलीलाSSकराम्बुजे।
       रुद्र-व्यक्क्त   महातत्वे   धर्माधारे धरालये।।8।।

○प्रयच्छ ममगृहे देवि, धनं धर्मेंक-साधनम।
       मात्सत्वं वाSविलम्बेन, ददस्व जगदम्बिके।।9।।

○कृपाब्धे करूणागारे प्रार्थये चाशु सिद्वये।
       वसुधे  वसुधारूपे      वसु-वासव-वंदिते।।10।।

○प्रार्थिते च धनं देहि          वरदे वरदा भव।।
       ब्रह्मणा ब्रह्मनैः पूज्या,त्वया च शंकरो यथा।।11।।

○श्रीकरे    शंकरे श्रीदे प्रसीद मयि किंकरे।
       स्तोत्रं दारिद्रय-कष्टार्त, शमनं सुधन-प्रदम।।12।।

○पार्वतीश प्रसादेन शुरेश किंकरे स्थितम।
       मह्यं प्रयच्छ मात्सत्वं त्वामहं शरनं गतः।।13।।

                 ।इति श्री धनदा लक्ष्मी स्तोत्रं।

○चिर स्थिर लक्ष्मी को अपने घर में प्रतिष्ठित करने के लिए इससे बेहतर और कोई स्तोत्र नहीं है।

○इसके पाठ से धन लाभ दरिद्रता नाश सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

○श्री भगवती धनदा लक्ष्मी कामधेनु स्वरूप हैं और सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली हैं।

○ लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा करना अत्यंत स्वाभाविक है किंतु पर्याय देखा जाता है कि उसके लिए उपासना मे श्रम नहीं किया जाता।

○जिस प्रकार उद्योग को करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है उसी प्रकार उपासना में भी पूरी तरह से श्रम होना चाहिए ।

○कलयुग में सिद्ध मंत्रों के जाप और सूत्रों के पाठ से सामान्य लाभ तो तत्काल प्राप्त हो जाता है इसलिए साधक को निराश ना हो करके निरंतर साधना करते रहना चाहिए।

○ इस स्तोत्र के प्रभाव से साधक के कुल में लक्ष्मी जी स्थिर रूप में स्थित हो जाती हैं। और कभी भी साधक के कुल को छोड़कर नहीं जाती।

○बहने जो घर में बरकत ना होने से परेशान हैं आर और घर में सारा दिन रहती हैं तुलसी पूजन एकादशी का व्रत और इस स्तोत्र के पाठ से चिर स्थित लक्ष्मी को अपने घर में स्थित कर सकती हैं।

○सद्यः धन की प्राप्ति के लिए यह स्तोत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है किसी शिव मंदिर में किसी केले के बगीचे में बिल्व वृक्ष के नीचे या देवी मंदिर में या वहां पर अगर जगह नहीं मिलती तो भी आप अपने घर के एकांत कोने में या प्रांगण में यह साधना कर सकते हैं।

○लेकिन इस साधना को करने के लिए विशेष बात यह है कि इसको सुबह प्रातः काल मे स्नान के उपरांत तुरंत ही कर लिया जाए।

○इस साधना के प्रभाव से सिर्फ 15 दिन में ज्ञात अज्ञात साधनों से आकस्मिक रूप से धन लाभ होने लगता है।

○अपनी तरफ से मैंने इस लेख/वीडियो में पूरी जानकारी डालने की कोशिश की है लेकिन फिर भी अगर कुछ समझ ना आए तो आप मेरे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर व्हाट्सएप संदेश भेज कर दोपहर 11:00 बजे से 1:00 बजे तक संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं।

सिद्धि ख़्वाजा जिन्दा पीर

                  ।।ख्वाज़ा पीर साधना।।


                   पूरी जानकारी के लिए इस लेख को कृपया पूरा पढ़ें और अपने धैर्य का परिचय दें।

○सुलेमानी साधना में यह साधना सर्वोपरि साधना है और उच्च कोटि की साधना मानी जाती है वैसे तो ख्वाज़ाओं की संख्या बाईस सौ मानी जाती है।

○लेकिन हज़रत ख्वाज़ा मोहियोदीन रह0 को ख्वाज़ा जिंदा पीर या झूले लाल की संघ्या भी दी जाती है।

○ इस साधना के सफल होने के साथ जब साधक को ख्वाजा पीर की सिद्धि प्राप्त होती है उसके साथ-साथ जल मसानी भी उनके साथ साथ प्रसन्न हो जाती है जल मसानी साधक के सारे कार्य करने लगती है।

○जिस साधक ने ख्वाजा पीर की साधना कर ली यह समझ लो कि वह सुलेमानी साधनाओं का बादशाह बन जाता है। उसे कोई भी तांत्रिक किसी भी तंत्र मंत्र से कष्ट नही पहुंचा सकता।

○इस साधना के बाद साधक द्वारा किसी भी याचक की असाध्य बीमारी को ठीक कर सकता है।

○तीनों कालों का ज्ञान हो जाना, बड़े से बड़ा रुका हुआ काम हाजिरी डालते ही बन जाना, आम सी बात है और यह साधना कभी भी खाली नहीं जाती।

○यह साधना प्राय यह साधना कुएं के किनारे की जाती थी दरिया के किनारे या तालाब के किनारे की जाती थी लेकिन ये साधना किसी नहर के किनारे या बारह महीने चलने वाले साफ पानी के किनारे भी की जा सकती है।

○ इस जल के देवता को सर्वोच्च देवता होने अधिकार प्राप्त है क्योंकि आप जो भी पाठ पूजा करें उसकी शुरुआत और अंत पानी से ही होता है और हम कोई भी कार्य करते हैं तो अंत में जल पर ही वह कार्य खत्म होता है।

○ जिसके ऊपर ख्वाजा खुश हो जाए जो अपनी साधना से और भक्ति से उन्हें मना ले दूसरे देवता भी उस पर अपने आप खुश हो जाते हैं अगर वह साधक दूसरे देवता के निमित्त ख्वाजा जी को अर्जी लगा दे तो वह देवता पल में हाजिर हो जाता है।

○ लेकिन यह साधना बहुत ही कड़ी साधना है और यह वही साधक कर सकते हैं जोकि बहुत निष्ठावान और धैर्यवान है जल्दी बाजी वाले साधक इस साधना को नहीं कर सकते।

○ जल्दी बाजी वाले लोग साधना को साधना नहीं एक एग्रीमेंट मानते हैं और सिर्फ टाइम पूरा करने के लिए कोई काम करते हैं असल में ईष्ट के साथ आपके मन का मिल जाना और खुश होकर के इष्ट का आना एक बहुत अच्छा संकेत होता है कि आपके जीवन में बहुत कुछ अच्छा होने वाला है लेकिन जल्दी बाजी वाले लोग सिर्फ समय पूरा करने के साथ अपने आपको अपने गुरु को अपने मंत्र को और अपने इष्ट को कोसते रहते हैं।

○ मैंने एक साल पहले किसी साधक से यह साधना करवाई थी वह थोड़ा जल्दी बाजी वाला साधक था धैर्य की कमी थी ।साधना संपन्न होने ही वाली थी तो उसका धैर्य जवाब दे गया और साधना छोड़ दी लेकिन उस साधना का फल उस साधक को डेढ़ महीने बाद प्राप्त हुआ पहले तो वह साधक मुझसे कुछ नाराज हो चुका था लेकिन जब उनके सपनें में पीर साहब आए तो उसका सारे के सारा गुस्सा धरा रह गया।

○ जबतक साधक की बातिनी आंख नहीं खुली होती और साधक साधना करने में लग जाता है वह साधना तो करता है लेकिन जब ईष्ट का आगमन होता है उससे दिखाई नहीं देता तो इसलिए साधक यह मान बैठता है कि उसकी साधना फेल हो गई सबसे पहले अपने गुरु की सेवा करें ईष्ट की सेवा करें और अपने शरीर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होने दे।

○अपने गुरु से प्राप्त ज्ञान द्वारा कुंडलिनी साधना शुरू करें जब कुंडलिनी साधना संपन्न हो जाए और मूलाधार से लेकर आज्ञा चक्र खुल जाए तब कोई साधना करें यह मेरी शत-प्रतिशत प्रमाणित बात है की पहली ही बार में देवता आपके समक्ष आ जाए।

○दूसरी बात जो बहुत कीमती है नए साधकों के लिए वह यह बात है कि आप कभी भी जल्दबाजी ना कीजिए आध्यात्मिक मार्ग में किसी को जल्दी फल की प्राप्त होती हैं तो किसी को अधिक समय लगता है एक गुप्त पेच और बताने जा रहा हूं आपको कि जिस आदमी के घर के पित्र बिगड़े हो देवता बिगड़े हो कुलदेवी बिगड़ी हो यहां किसी हवा का साया हो या कोई तंत्र बाधा की गई हो उस साधक को सिद्धि प्राप्ति करने में बहुत कठिनता आती है जब तक वह आदमी इन बाधाओं से मुक्त नहीं होता उसे सिद्धि प्राप्त नहीं होगी।

○ कई बार हम कोई उच्च कोटि की साधना करने लग जाते हैं सामान भी इकट्ठा कर लेते हैं और अनुष्ठान शुरू कर लेते हैं अगर इस विषय मे किसी को बोल देते हैं तो फिर वह साधना फेल हो जाती है।

○ जिस स्तर की यह साधना में आपको दे रहा हूं अगर कोई साधक सही तरीके से इसको कर ले तो मुझे लगता है कि जिज्ञासा के अलावा दूसरा कोई ऐसा कारण नहीं होगा कि वह साधक कोई अन्य साधना करें।

○ इस साधना के समय बहुत सारे डरावने अनुभवों का सामना करना पड़ता है हिंसक पशु वह चाहे वास्तविक रूप से वहां हो या ना हो कोई बीमारी किसी भी रूप में साधना काल में आपकी साधना को खंडित करने हेतु क्षणिक रूप से हो जाती है सिर्फ साधक को परेशान करती है जाप के अगर हिसार या घेरा ना लगाया जाए तो साधक के पागल तक होने की संभावना होती है।

○ इस साधना में शूद्र शक्तियां साधक के पास बहुत जल्दी आकर्षित होकर आ जाती हैं लेकिन गुरु के अलावा यह कोई नहीं बता सकता वह सामने वाली शक्ति शूद्र है या पूरा देवता है यही कुछ दाव पेच हैं जो नए साधकों को उनके गुरुओ द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं।

○ यह साधना पुराने समय में बहुत गुप्त ढंग से जलाशय के किनारे अर्ध रात्रि में स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर के की जाती थी और इसी के बारे बारे में मैं आपको आगे विस्तृत जानकारी दूंगा।

○जो ऐसी गुप्त साधनाएं होती हैं उनमें दलिया से लेकर बकरे तक का भोग लगता है सात्विक रूप से अगर आप इसे करते हो तो आपके घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती अगर इस साधना को आप तामसिक तरीके करते है तो रूहानी ताकत की कमी नहीं रहती।

○पुराने समय में जब यह साधना ही की जाती थी तो ऊंचे स्थान पर बैठकर सामने एक जल पात्र में जल भरकर रख लिया जाता था और जब ख्वाजा जी का आवाहन किया जाता था तो वहां पर उस जल पात्र से हैरानी जनक रूप से कहां से इतना पानी आ जाता था कि सब कुछ बाढ़ की हो जाता था ।

○विडंबना की बात है आज जो भी साधना की जाती हैं वह खाली एक औपचारिकता के लिए साधना की जाती है वास्तविक मूल्य साधनों ने खो दिए हैं जब आप वास्तविक रुप से साधना के सभी नियमों को नहीं मानेंगे तो आपको शक्ति किस प्रकार प्राप्त हो सकती है।

○ मां पितांबरा की साधना की तरह यह साधना भी इतनी शक्तिशाली है कि अगर साधक के ऊपर किसी भी तरह के कानूनी मसले चल रहे हैं तो यह साधना उन कानूनी मसलों को साधक के पक्ष में पूरी तरह पलटा देने में सक्षम है ।

○किसी भी पाप और पुण्य को उदय होने के लिए समय चाहिए होता है उसी तरह साधना के पुण्य को हो उदय होने के लिए भी समय चाहिए होता है जब आपको देवता का प्रत्यक्षीकरण हो जाए और आपको सिद्धि प्राप्त हो जाए तो कोई ऐसा कार्य नहीं है जो आप ना कर सके।

○ साधना काल में साधक को संसार से संपर्क और लगाव तोड़ कर रखना होता है उस में प्रयुक्त होने वाली प्रत्येक सामग्री को पहले से ही सहेज कर रखना होता है ।

○ किसी भी साधना को पक्के रुप से सिद्ध करने के लिए 40 दिन का समय लगता है उससे कम समय में पूरी तरह से सिद्धि प्राप्त हो पाना संभव नहीं है कई बार ऐसा भी देखा गया है कि एक ही देवता के चिल्ले को एक से अधिक बार भी करना पड़ता है तब जाकर साधक को इष्ट की प्राप्ति होती है।

○ क्योंकि इसमें भेद है ख्वाजा जिंदा पीर या झूलेलाल एक देवता है जिन्हें साधारण भाषा में जल देवता बोला जाता है छुद्र शक्तियां कुछ समय में आपके पास आ सकते हैं लेकिन इतनी ही निष्ठा के साथ उनको भी सिद्ध करना होता है।

○ साधक को अपने और ईष्ट में एक रिश्ता कायम करना होता है देवता पहले साधक की पूरी तरह से परीक्षा लेता है फिर ही उसे प्रत्यक्षीकरण का फल प्राप्त होता है।

○ क्योंकि मेरे पास ऐसे बहुत सारे साधक आते हैं जिनमें शूद्र शक्तियां प्राप्त कर लेते हैं और वह शूद्र शक्तियां जितनी जल्दी साधक के पास आते हैं उससे ज्यादा स्पीड में वह साधक से दूर चली जाती हैं।

○ ख्वाजा जी की साधना विलक्षण है सभी जंत्र मंत्र जादू टोना को रोकने में यह पूरी तरह सक्षम है पलटा देने में पूरी तरह सक्षम है भूत प्रेत, दैत्य दानव ,जिन्न ख़बीस मरी मसानी किसी भी तरह की दुष्ट आत्मा को रोकने के लिए इनसे ऊपर कोई पीर नहीं है।

○इसलिए इतना विस्तार पूर्वक समझाता हूं ताकि आपको कहीं भटकने की आवश्यकता ना हो और आपके अंदर एक पूर्ण धारणा का निर्माण हो और वह भी सही धारणा का मुझे पता है मेरे लेखों को बहुत सारे सर्वोच्च कोटि के विद्वान लोग भी पढ़ते हैं तो जब तक मैं पूरी तरह से अपने विचार आपके सामने नहीं रखूंगा तब तक आप लोगों को यह पता नहीं लगेगा किस विषय का आधार क्या है।

○जिस साधक ने कोई व्यवहारिक मार्ग नहीं देखा और छोटी सी सिद्धि प्राप्त हो जाने के बाद वह अपने आप को अलादीन के चिराग का मालिक समझ बैठता है वह चिराग जाने में बहुत अधिक समय नहीं लगता क्योंकि शक्तियां आपके पास आती हैं तो आप की लगन और मेहनत देखकर, चली जाती हैं आपकी मूर्खता और आपकी अपात्रता को देखकर।

○ साधना में कड़ी शर्तों का पालन किया जाता है जैसे की जमीन पर सोना ब्रह्मचर्य का पालन करना ना किसी से मिलना है अपना खाना खुद बनाना है अपने वस्त्र और जूठे बर्तन खुद साफ करने हैं और किसी के घर नहीं जाना अगर मजबूरी में जाना पड़े तो वहां का पानी नहीं पीना और खाना नहीं खाना यह कुछ ऐसे नियम है जिन पर आपकी सिद्धियां चिरस्थाई हो जाती हैं अगर इन नियमों का पालन आप करते हैं।

○ जो भी साधना ही मैं आपको देता हूं वह सभी अनुभूत साधनाएं होते हैं और कभी भी कोई साधक यह कुचेष्टा ना करें कि मैं इस साधना को अजमा लूं ऐसी मंशा से इन साधना को कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कल्याण की जगह हानि करती हैं।

○ जिन साधकों ने यह साधनाएं की थी उनके पास अपार शक्ति थी अपने मन में कभी यह लेकर नहीं आना चाहिए कि शायद कहीं से उठाया और सुना और लिख दिया और हम को दे दिया हर आदमी के जीने का तरीका अलग होता है संस्कार अलग होते हैं ऐसी बड़ी बड़ी साधनाएं सिर्फ उन साधकों के लिए होती हैं जो कि दीन दुनिया से अपने आप को हटाकर साधना पथ पर आगे बढ़ते रहते हैं।

○अब बहुत अधिक बातें ना करता हुआ मैं इस विषय की तरफ बढ़ूँगा और बताऊंगा आपको इस साधना के विषय में।

○ यह साधना करने से पहले आपको अपने गुरु से अनुमति प्राप्त करनी होगी उनसे गुरु मंत्र प्राप्त करना होगा और अपने घर के देवता पित्र नगर खेड़ा इनको मनाना होगा।

○ यह साधना 41 दिन तक लगातार की जाती है और इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता।

○ साधना काल में सफेद वस्त्रों का प्रयोग होता है और कुछ संप्रदायों के हिसाब से काले वस्तुओं का भी प्रयोग होता है अधिकतर प्रयोगों में श्वेत वस्त्र ही प्रयोग किए जाते हैं।

○ प्रति रात्रि 10:30 बजे के बाद यह साधना शुरू की जाती है और इस साधना को मध्यरात्रि के बाद 2:00 से 2:30 तक सुबह तक किया जाता है।

○ कुछ साधनाओं में छाती तक पानी में खड़ा होकर, कुछ साधनाओं में पानी में पांव लटका कर यह साधनाएं की जाती हैं लेकिन इसमें आपको जल के किनारे अल्थी पल्थी मार कर बैठना है।

○ इस साधना को बिना घेरा लगाइए हिसार किए कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें खतरा बहुत होता है इसलिए सबसे पहले आपको अपनी रक्षा का प्रबंध करना होता है।

○ रक्षा मंत्र से एक खुला घेरा बनाना है और सारा सामान जो भी आप साथ लेकर चलोगे उसे उसे खुले घेरे में रख देना है उसके बाद आपको 4 मुंह वाला दीया सरसों के तेल का जलाना है और एक 1 मुंह वाला दीया देसी घी का जलाना है लोबान और अगरबत्ती सुलगती रहनी चाहिए।

○ देसी गुलाब के ताजे फूल पांच पीस जोड़ा सेंट दो बूंदी वाले लड्डू जुड़ा साबुत सुपारी सात पीस लौग सात छोटी इलायची एक जोड़ा खमनी,दो पीस बर्फी,सात बतासे,दो मीठे पान,दो सिगरेट,थोड़े से पके हुए मीठे चावल अपने साथ ले जाने हैं असन कंबल का लग जाए तो बहुत अच्छा होगा।

○ तकरीबन 10:30 बजे रात्रि में साफ चलते हुए पानी के किनारे पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके आपको बैठना है और सबसे पहले सारा सामान उस घेरे में लेकर एक बड़ा सा घेरा लगाना है।

○ घेरा लगाने के बाद आसन बिछाने के बाद आसन का मंत्र पढ़कर फिर आसन पर बैठना है। आर फिर दाएं हाथ में काले रंग के हकीक की माला लेकर के जिसमें 108 दाने हो यह जाप शुरू करना है और शुद्ध एकाग्र मन से आपको 11 माला यह जाप करना है।

○ प्रतिदिन समय और स्थान वही रहेगा ना तो आप समय बदल सकते हो ना स्थान बदल सकते हो यह इस साधना का पहला नियम है।

○ जब भी कोई अनुभूति हो या आसपास किसी के होने का आपको महसूस होना शुरू हो जाए तो समझ लीजिए आपकी साधना सफल जा रही है अपने घर से रात्रि को जाते हुए और वापस घर पर आते हुए ना तो किसी को बुलाना है और ना ही किसी को उसकी प्रश्न का उत्तर देना है चुपचाप जाना है और चुपचाप आ जाना है।

○ इस साधना में एक सेवक को आप साथ में ले जा सकते हैं लेकिन उससे बातचीत नहीं कर सकते तात्पर्य यह होगा कि वह आपके सामान को उठाकर आपके लिए ले जा सकता है लेकिन जाप के समय उसे वापस हटना पड़ेगा और आपके पास नहीं बैठ सकता ना आपको वह बुला सकता है ना आप उसको लेकिन मेरे हिसाब से अकेले जाना सबसे उत्तम होगा।

○ इस साधना में मांस मछली शराब अंडा गोश्त किसी भी तरह की मांसाहारी वस्तु का सेवन पूर्णतया वर्जित है और ब्रह्मचर्य की शर्त शर्त पहली शर्त है।

○ जो मंत्र में आपको देने जा रहा हूं यह मंत्र तक गुप्त था और किसी ने भी इसका प्रकाश नहीं किया था अब कुछ सज्जन पर चले तो मंत्रों पर ही भरोसा करते हैं वह निंदक किसी भी मंत्र पर भरोसा करें मुझे उससे कुछ लेना नहीं लेकिन जो मेरी बात समझने वाले हैं उनको मैं यह मंत्र देने जा रहा हूं क्योंकि मुझे तर्क वितर्क में नहीं पड़ना मुझे जो आप लोगों तक ज्ञान पहुंचाना है वह तो मैं पहुंचा ही दूंगा इसीलिए मेरे लिए थोड़े लंबे हो जाते हैं और लेख की लिखी हुई इन्हीं बातों में उस साधना के सफलता के राज छिपे होते हैं।

○ सबसे पहले गुरु महाराज का मंत्र आपको एक माला करना है फिर गणेश जी का जाप करना है फिर आपको निम्नलिखित प्रयोग करना है।

○ इस मंत्र को आसन पर बैठकर सबसे पहले 108 बार पढ़ना है फिर अपने शरीर पर दम कर लेना है।

○मन्त्र:-ओम नमो आदेश गुरु को।अजरी बांधु बजरी बाँधू बाँधू दसई द्वार। आन पड़ी हनुमान की रक्षा राम की कार।पहली चौकी गज गणपति जी की।दूजी चौकी विकट वीर हनुमान।तीसरी चौकी भूमिया भैरव।चौथी नरसिंह की आन । जो इन्हीं चौकी को लांघे ,तुरंत ही धूल भस्म हो जावे, दुश्मन बैरी जो कोई करें, उल्टा वाही पर उल्टा पडे, मंत्र सांचा पिंड काचा,फुरो मंत्र गोरख वाचा।।

○फिर निम्नलिखित मंत्र से  हकीक की माला लेकर 11 माला जाप करना है निर्विघ्न।

○मन्त्र:- बिस्मिल्लाह रहमान रहीम अल्हमद के या खुले आलमीन औज़बिल्लाहमिनशैतानरज़ीम जल में समाये ख्वाजा सखी सर्वर सुलतान पीर मैं ख्वाज़ा दा बालका ख्वाजा मेरा पीर बंदिया बंध  छुड़ा दे मेरा ख्वाजा जिंदा पीर खाकी चले नूरी चले चले पंज़ो पीर ख्वाजा मेरा काम करे वसीला दस्तगीर बरहक कलमा लाइलाहा मोहम्मद या रसूल अल्लाह।

○जाप के पूरा होने के बाद आपको नमस्कार करना है और ख्वाजा जी को हाजिरी डालनी है जो मीठे चावल आप अपने साथ ले गए हैं उनको आपने पानी में छोड़ देना है।

○ कच्ची और पक्की दोनों तरह की हाजिरी जो मैंने पिछले वीडियो में आपको बता दी है इसमें हाजिरी पक्की डाली जाती है और उसकी कलाम मैंने पहले वीडियो में डाली है लेकिन नीचे भी मैं दे रहा हूं कलाम यह है ।

बिस्मिल्लाह रहमान रहीम ख्वाजा खिज्र जिंदा पीर पिदर मादर दस्तगीर सिद्धनाथां दा सरदार कचियाँ पक्कीयां कढ़ाईयां तेरे नाम।

○ दो-तीन दिन में आपको इस मंत्र के जाप करने से अजीब तरह की अनुभूतियां होने लग जाएगी और बहुत बड़े बड़े काले रंग के शैतान आपको आपकी तरफ आते हुए दिखेंगे कभी भैंसे के रूप में या बेल के रूप में आपकी ओर आते हुए दिखेंगे आर और सांप काले के आपकी तरफ आते हुए देखेंगे बहुत सी ऐसी अनुभूतियां होंगी जिनको देखकर साधक को डरना नहीं चाहिए वह सभी कुछ मन का भ्रम होता है वास्तविक रूप से वह कुछ नहीं होता यह सिर्फ माया होती है।

○ और कुछ समय के बाद यह माया अपने आप ही नष्ट हो जाती है कुछ दिन तक साधक को यह माया भ्रमित करती है कभी सुंदर स्त्रियां साधक को परेशान करती हैं और उसको पथभ्रष्ट करने की कोशिश करते हैं लेकिन सबसे बड़ी दो बातें होती हैं अगर आप घेरा लगाना भूल गए या आप किसी के हाथ से कोई पानी पी लिया या कोई ऐसी चीज खाली  तो भोजन दोष होकर यह साधना खंडित होने का डर रहता है।

○ बाबाजी के दूत जो बड़े बड़े शैतान होते हैं परियां जो भयानक चुड़ैलों सा रूप बनाकर और जल मसानी भी आदमी को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं अगर साधक इन के मकड़जाल में नहीं फस्ता तो धीरे-धीरे साधक को सिद्धि प्राप्त होने के योग और भी प्रबल हो जाते हैं।
○ यह तमाशा देवी शक्तियां आदर्श रूप से देखती हैं और जब साधक निडर होकर के साधना करता है तो धीरे-धीरे पीर साहब भी वहां पर चक्कर मारना शुरू कर देते हैं फिर एक रूहानी करिश्मा का ना रुकने वाला सिलसिला शुरू हो जाता है।
○ जो साधक पूरी तरह संयम और अपने नफस के ऊपर कंट्रोल रखता है वही साधक इस साधना को पूरा कर सकता है यह एक कंपलीट साधना में आपको बता रहा हूं इसलिए इसमें लेख लंबा है और वीडियो भी लंबी होने वाली है।
○ साधना के प्रभाव से आपके सभी काम बाईसवे रोज़ से बनने लग जाएंगे और हो सकता है कि दिन दुनिया के चक्कर में आप साधना करना छोड़ दें क्योंकि फिर दुनिया आपके पीछे लग जाएगी अगर आप तब भी इसको नहीं छोड़ोगे और कायदे से करते रहोगे तो आप जीवन में जिसके लिए जो भी मांगोगे वह पूरा हो जाएगा।

○ एक बार की साधना में आप अगर सफल हो जाते हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपके आप से बाहर नहीं होगी किसी भी काम को झट से कर देना आपके बाएं हाथ का खेल हो जाएगा कोट कचहरी के छोटे से लेकर बड़े केस व्यापार में आए हुए बड़े बड़े घाटे बड़ी-बड़ी बंदिशें तोड़ना आपके लिए कोई बहुत भारी बात नहीं होगी लेकिन इस शक्ति को सहेज कर रखा जाए तो ही अच्छा है।
○ इस लेख को पूरा करने के लिए मुझे मैं बहुत मेहनत करनी पड़ी है और मेहनत करके मैंने इसलिए को जानकारी से भरपूर बनाने की कोशिश की है फिर भी यह साधनाएं गुरु परंपरा से ही चले तो अच्छी बात है लेकिन आग्रह वश और साधकों के बहुत ज्यादा गुज़ारिश के बाद मैं यह साधना आपको दे रहा हूं फिर भी अगर कोई कमी रह जाए तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं।

○कृपया मुझसे जब आप संपर्क करें थोड़ा धैर्य के साथ संपर्क करें क्योंकि बहुत सारी अनुष्ठानों के चलते एकदम से जवाब दे पाना मेरे लिए संभव नहीं हो पाता और असमय फोन उठाना तो बिल्कुल ही संभव नहीं हो पाता क्योंकि सुबह शाम साधनाएं चलती हैं तो दोपहर के समय आप 11:00 से 1:00 तक मुझे व्हाट्सएप द्वारा पहले पूर्ण विवरण के साथ अपनी समस्या लिखें और थोड़ा धैर्य से प्रतीक्षा करें ताकि मैं आपसे संपर्क स्थापित कर सकूं।

○और आगे मैं आपके लिए बहुत सारी साधना ही लाने के लिए तत्पर हूं आज तैयारियां कर रहा हूं बहुत सारी और जानकारियों से भरपूर साधनाएं लाने की।

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

।।काली मन्त्र द्वारा हाज़िरात सिद्धि

          ।।काली माता के हाज़िरात की सिद्धि।।
दोस्तों इस साधना से आप किसी भी प्रकार की किसी भी वस्तु को, किसी खोए हुए को, भागे हुए को देख सकते हो कि वह जीवित है या नहीं किस अवस्था में है कुछ चोरी हो गया है तो यह भी यह चीजें बता देती है यह बहुत जबरदस्त हजरात है और जब यह हजरत आता है तो बहुत सी चीजों का रहस्य खुल जाता है ऐसी कौन सी गरज है जो हाज़िरात से सिद्ध ना हो दिव्यदृष्टि की क्षणिक हाजिरी को हाज़िरात कहा जाता है और इस हाज़िरत से किसी भी वस्तु को देखने की इच्छा पूरी हो जाती है । हिंदू तंत्र शास्त्र में काली मां के मंत्र द्वारा एवम अन्य देवताओं के मंत्र द्वारा भी किया जाता है यहाँ मैं आपको माँ काली के मंत्र द्वारा हाजरात करना बता रहा हूं जोकि बहुत ही आसान बहुत ही शक्तिशाली है।
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○किसी भी पुस्तक में दी गई साधना झूठी नही होती अपितु वास्तव में वो साधना गुरु मुखसे प्राप्त होने पर ही सफल होती है।कुछ लोग सिर्फ आज़माने या बहुत अधिक चालाकी से ये साधनायें गुरु मुखसे लेने की जगह किताब या इंटरनेट से पढ़कर बिना विचारे ही कर लेते है फिर सफलता कैसी ? उत्तरदायित्व किसका ?

○किसी भी साधना को करने से पहले अपने पितृदेवता कुलदेवता और ग्राम देवता ना भूलें।

○तंत्र क्षेत्र में आने से पहले गुरु धारण करें । फिर उन्ही गुरु जी के सानिध्य में तंत्र साहित्य का अध्ययन करें।फिर व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करें उसके बाद ही कोई साधना करें।

○गुरु की आज्ञानुसार ही साधना करें और उनका उचितानुचित मान सम्मान करें। आज कल ये दौर है कि स्वार्थी लोग मतलब निकलने के बाद अपने गुरु को ही नीचा दिखाना शुरू कर देते है वो अपनी इसी चालाकी में अपनी आगे की पात्रता खो देते है।

○हाज़िरत के इतना जबरदस्त होता है कि हज़ारो किलोमीटर दूर भी सही और सटीक जानकारी दे देता है।और किसी भी खोये हुए व्यक्ति के बारे में बता सकता है।

○ इस हजरत की सिद्धि प्राप्त करने के लिए आपको 21 दिन का अनुष्ठान करना होगा ।

○इस साधना को मन क्रम और वचन से पूरे ब्रह्मचर्य से संयमित रहना होगा।

○ यह पूरे साधना 21 दिन की है इस साधना को बीच में अधुरा नही छोड़ा जा सकता।

○मुस्लिम साधनाओं मैं कलामें और तावीज़ के इलावा जिन्न परी हाज़िरी और हाज़िरत ये चार मुख्य शक्तियां हैं।
○सबसे पहले एक एकांत साफ सुथरे कमरे का प्रबंध करें जिसमे आपके इलावा कोई ना आ सके।

○फिर पूर्वाभिमुख होकर आपको एक आम की लकड़ी के पटरे पर गणेश गुरु के पूजन के बाद माता काली का आवाहन स्थापन एवं सामान्य पूजन करना है।

○फिर नित्य प्रति आपको निम्न मंत्र का 1100 बार रोज़ाना 21 दिनों तक जाप करना है।

○पहले दिन माता को साक्षी मान कर संकल्प लें।

○11 गुलाब के फूल गुलाब का सेंट प्रयोग करें।

○भोग में लड्डु पेड़ा बर्फी पान बतासे लौंग इलायची मिश्री मेवा का भोग लगाना है।

○साधना काल में पूरे समय एक सरसों के तेल का दीया जलता रहेगा और जाप के समय आपको वहाँ देसी घी का दीपक जलाकर और धूफ सुलगाकर बैठना है।

○आप कोई भी अनुष्ठान संपन्न करें लेकिन आत्मरक्षा का प्रबंध जरूर करें।

○साधना विषयक सभी नियमो का बहुत अधिक सावधानी से और बहुत ही ईमानदारी से पालन करें ताकि आपको एक ही चिल्ला करते हुए सफलता मिल जाए।

○जब भी आप किसी भी प्रकार की साधना करें तो उसके बारे में सभ कुछ गुप्त रखें।

○ये हाज़िरत एक बार सिद्ध करने के बाद जीवन भर इस साधना का लाभ लिया जाता है।

○100% ये बात इससे प्रमाणित है कि हाज़िरत सिद्ध हो जाएगा।

○फिर कपूर जलाकर उसका काजल ये मन्त्र पढ़ते हुवे बनाना है।

○फिर जब हाज़िरत करना हो तो दस बारह वर्ष की बालक को स्नान के उपरांत साफ सुथरे आसन पर बिठाकर
○ इस मंत्र से 121 बार गुड़ मंत्र कर उसे खिलाए।

○ फिर उसके दाएं हाथ के अंगूठे पर काजल वाली स्याही लगाकर बच्चे को उस काजल को ध्यान से देखने को कहें जब वह बच्चा उस अंगूठे पर ध्यान एकाग्र चित्त करेगा ।

○तो उसे एक मैदान दिखाई देगा।

○उसमें कुछ आकृतियां दिखाई देगी।

○ तब बच्चे यह कहे झाड़ू लगाने वाला हाजिर हो तो अंगूठे वाले मैदान में झाड़ू लगाने वाला आ जाएगा ।

○ लड़का उसे झाड़ू लगाने को कहे जब वो झाड़ू लगाकर  
       खड़ा हो जाए तो लड़का कहे भंगी साहब आप जाएं
      और पानी छिड़काव करने वालों को भेजें।

○जब पानी छिड़काव करने वाला आकर खड़ा हो जाए तो उसे लड़का पानी छिड़कने वाले को पानी छिड़कने को कहें पानी छिड़काव खड़ा हो जाए लड़का निवेदन करें कि आप जाओ फर्श सजाने वाले को भेजो ।

○फर्श लगाने वाला आकर फर्श लगा दे और सिंहासन स्थापित कर दे तो उसे कहे आप जाएं और मुंशी जी को बुलाएं ।

○जब वह मुंशी जी को साथ लेकर पधारें तो बालक उनसे से निवेदन करें कि मैं कुछ पूछना चाहता हूं क्या आप इसके लिए तैयार हैं ।

○तो मुंशी हां में सिर हिला ए तो लड़का मुंशी जी से कहें कि मां कालिका को आदर सहित सिंहासन पर लाए ।

○जब मां कालिका सिंहासन पर विराजे तो बालक माता को ₹11 फूल मिठाई अगरबत्ती से पूजा करें।

○ जो मुंशी जी से पूछना चाहे पूछे, मुंशी जी मां कालका से उत्तर लेकर बालक को हां या ना में जवाब देंगे।

○इस भाषा में लिख कर दो तो मुंशी सलेट पर लिखकर  प्रश्नों के उत्तर देंगे उत्तर प्राप्त करने के बाद माता जी की सवारी को वापस ले जाने के निवेदन करें ।

○इस प्रयोग से साधक के हर प्रकार के प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सकता है ।

○इस प्रयोग सिद्ध करने वाला साधक कभी भी किसी से रुपया पैसा ना लें तथा गुरु से दीक्षा प्राप्त करके ही ये प्रयोग करे।

○मन्त्र:- ॐ काली माता काली माता ओतो रे।

मैंने अपनी तरफ से किसी भी जानकारी में कोई कमी नहीं छोड़ी है अगर आपके समझ में कुछ नहीं आता तो आप मुझे मेरे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक व्हाट्सएप द्वारा संदेश भेज कर संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...