मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

सिद्धि ख़्वाजा जिन्दा पीर

                  ।।ख्वाज़ा पीर साधना।।


                   पूरी जानकारी के लिए इस लेख को कृपया पूरा पढ़ें और अपने धैर्य का परिचय दें।

○सुलेमानी साधना में यह साधना सर्वोपरि साधना है और उच्च कोटि की साधना मानी जाती है वैसे तो ख्वाज़ाओं की संख्या बाईस सौ मानी जाती है।

○लेकिन हज़रत ख्वाज़ा मोहियोदीन रह0 को ख्वाज़ा जिंदा पीर या झूले लाल की संघ्या भी दी जाती है।

○ इस साधना के सफल होने के साथ जब साधक को ख्वाजा पीर की सिद्धि प्राप्त होती है उसके साथ-साथ जल मसानी भी उनके साथ साथ प्रसन्न हो जाती है जल मसानी साधक के सारे कार्य करने लगती है।

○जिस साधक ने ख्वाजा पीर की साधना कर ली यह समझ लो कि वह सुलेमानी साधनाओं का बादशाह बन जाता है। उसे कोई भी तांत्रिक किसी भी तंत्र मंत्र से कष्ट नही पहुंचा सकता।

○इस साधना के बाद साधक द्वारा किसी भी याचक की असाध्य बीमारी को ठीक कर सकता है।

○तीनों कालों का ज्ञान हो जाना, बड़े से बड़ा रुका हुआ काम हाजिरी डालते ही बन जाना, आम सी बात है और यह साधना कभी भी खाली नहीं जाती।

○यह साधना प्राय यह साधना कुएं के किनारे की जाती थी दरिया के किनारे या तालाब के किनारे की जाती थी लेकिन ये साधना किसी नहर के किनारे या बारह महीने चलने वाले साफ पानी के किनारे भी की जा सकती है।

○ इस जल के देवता को सर्वोच्च देवता होने अधिकार प्राप्त है क्योंकि आप जो भी पाठ पूजा करें उसकी शुरुआत और अंत पानी से ही होता है और हम कोई भी कार्य करते हैं तो अंत में जल पर ही वह कार्य खत्म होता है।

○ जिसके ऊपर ख्वाजा खुश हो जाए जो अपनी साधना से और भक्ति से उन्हें मना ले दूसरे देवता भी उस पर अपने आप खुश हो जाते हैं अगर वह साधक दूसरे देवता के निमित्त ख्वाजा जी को अर्जी लगा दे तो वह देवता पल में हाजिर हो जाता है।

○ लेकिन यह साधना बहुत ही कड़ी साधना है और यह वही साधक कर सकते हैं जोकि बहुत निष्ठावान और धैर्यवान है जल्दी बाजी वाले साधक इस साधना को नहीं कर सकते।

○ जल्दी बाजी वाले लोग साधना को साधना नहीं एक एग्रीमेंट मानते हैं और सिर्फ टाइम पूरा करने के लिए कोई काम करते हैं असल में ईष्ट के साथ आपके मन का मिल जाना और खुश होकर के इष्ट का आना एक बहुत अच्छा संकेत होता है कि आपके जीवन में बहुत कुछ अच्छा होने वाला है लेकिन जल्दी बाजी वाले लोग सिर्फ समय पूरा करने के साथ अपने आपको अपने गुरु को अपने मंत्र को और अपने इष्ट को कोसते रहते हैं।

○ मैंने एक साल पहले किसी साधक से यह साधना करवाई थी वह थोड़ा जल्दी बाजी वाला साधक था धैर्य की कमी थी ।साधना संपन्न होने ही वाली थी तो उसका धैर्य जवाब दे गया और साधना छोड़ दी लेकिन उस साधना का फल उस साधक को डेढ़ महीने बाद प्राप्त हुआ पहले तो वह साधक मुझसे कुछ नाराज हो चुका था लेकिन जब उनके सपनें में पीर साहब आए तो उसका सारे के सारा गुस्सा धरा रह गया।

○ जबतक साधक की बातिनी आंख नहीं खुली होती और साधक साधना करने में लग जाता है वह साधना तो करता है लेकिन जब ईष्ट का आगमन होता है उससे दिखाई नहीं देता तो इसलिए साधक यह मान बैठता है कि उसकी साधना फेल हो गई सबसे पहले अपने गुरु की सेवा करें ईष्ट की सेवा करें और अपने शरीर में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होने दे।

○अपने गुरु से प्राप्त ज्ञान द्वारा कुंडलिनी साधना शुरू करें जब कुंडलिनी साधना संपन्न हो जाए और मूलाधार से लेकर आज्ञा चक्र खुल जाए तब कोई साधना करें यह मेरी शत-प्रतिशत प्रमाणित बात है की पहली ही बार में देवता आपके समक्ष आ जाए।

○दूसरी बात जो बहुत कीमती है नए साधकों के लिए वह यह बात है कि आप कभी भी जल्दबाजी ना कीजिए आध्यात्मिक मार्ग में किसी को जल्दी फल की प्राप्त होती हैं तो किसी को अधिक समय लगता है एक गुप्त पेच और बताने जा रहा हूं आपको कि जिस आदमी के घर के पित्र बिगड़े हो देवता बिगड़े हो कुलदेवी बिगड़ी हो यहां किसी हवा का साया हो या कोई तंत्र बाधा की गई हो उस साधक को सिद्धि प्राप्ति करने में बहुत कठिनता आती है जब तक वह आदमी इन बाधाओं से मुक्त नहीं होता उसे सिद्धि प्राप्त नहीं होगी।

○ कई बार हम कोई उच्च कोटि की साधना करने लग जाते हैं सामान भी इकट्ठा कर लेते हैं और अनुष्ठान शुरू कर लेते हैं अगर इस विषय मे किसी को बोल देते हैं तो फिर वह साधना फेल हो जाती है।

○ जिस स्तर की यह साधना में आपको दे रहा हूं अगर कोई साधक सही तरीके से इसको कर ले तो मुझे लगता है कि जिज्ञासा के अलावा दूसरा कोई ऐसा कारण नहीं होगा कि वह साधक कोई अन्य साधना करें।

○ इस साधना के समय बहुत सारे डरावने अनुभवों का सामना करना पड़ता है हिंसक पशु वह चाहे वास्तविक रूप से वहां हो या ना हो कोई बीमारी किसी भी रूप में साधना काल में आपकी साधना को खंडित करने हेतु क्षणिक रूप से हो जाती है सिर्फ साधक को परेशान करती है जाप के अगर हिसार या घेरा ना लगाया जाए तो साधक के पागल तक होने की संभावना होती है।

○ इस साधना में शूद्र शक्तियां साधक के पास बहुत जल्दी आकर्षित होकर आ जाती हैं लेकिन गुरु के अलावा यह कोई नहीं बता सकता वह सामने वाली शक्ति शूद्र है या पूरा देवता है यही कुछ दाव पेच हैं जो नए साधकों को उनके गुरुओ द्वारा ही प्राप्त हो सकते हैं।

○ यह साधना पुराने समय में बहुत गुप्त ढंग से जलाशय के किनारे अर्ध रात्रि में स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर के की जाती थी और इसी के बारे बारे में मैं आपको आगे विस्तृत जानकारी दूंगा।

○जो ऐसी गुप्त साधनाएं होती हैं उनमें दलिया से लेकर बकरे तक का भोग लगता है सात्विक रूप से अगर आप इसे करते हो तो आपके घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती अगर इस साधना को आप तामसिक तरीके करते है तो रूहानी ताकत की कमी नहीं रहती।

○पुराने समय में जब यह साधना ही की जाती थी तो ऊंचे स्थान पर बैठकर सामने एक जल पात्र में जल भरकर रख लिया जाता था और जब ख्वाजा जी का आवाहन किया जाता था तो वहां पर उस जल पात्र से हैरानी जनक रूप से कहां से इतना पानी आ जाता था कि सब कुछ बाढ़ की हो जाता था ।

○विडंबना की बात है आज जो भी साधना की जाती हैं वह खाली एक औपचारिकता के लिए साधना की जाती है वास्तविक मूल्य साधनों ने खो दिए हैं जब आप वास्तविक रुप से साधना के सभी नियमों को नहीं मानेंगे तो आपको शक्ति किस प्रकार प्राप्त हो सकती है।

○ मां पितांबरा की साधना की तरह यह साधना भी इतनी शक्तिशाली है कि अगर साधक के ऊपर किसी भी तरह के कानूनी मसले चल रहे हैं तो यह साधना उन कानूनी मसलों को साधक के पक्ष में पूरी तरह पलटा देने में सक्षम है ।

○किसी भी पाप और पुण्य को उदय होने के लिए समय चाहिए होता है उसी तरह साधना के पुण्य को हो उदय होने के लिए भी समय चाहिए होता है जब आपको देवता का प्रत्यक्षीकरण हो जाए और आपको सिद्धि प्राप्त हो जाए तो कोई ऐसा कार्य नहीं है जो आप ना कर सके।

○ साधना काल में साधक को संसार से संपर्क और लगाव तोड़ कर रखना होता है उस में प्रयुक्त होने वाली प्रत्येक सामग्री को पहले से ही सहेज कर रखना होता है ।

○ किसी भी साधना को पक्के रुप से सिद्ध करने के लिए 40 दिन का समय लगता है उससे कम समय में पूरी तरह से सिद्धि प्राप्त हो पाना संभव नहीं है कई बार ऐसा भी देखा गया है कि एक ही देवता के चिल्ले को एक से अधिक बार भी करना पड़ता है तब जाकर साधक को इष्ट की प्राप्ति होती है।

○ क्योंकि इसमें भेद है ख्वाजा जिंदा पीर या झूलेलाल एक देवता है जिन्हें साधारण भाषा में जल देवता बोला जाता है छुद्र शक्तियां कुछ समय में आपके पास आ सकते हैं लेकिन इतनी ही निष्ठा के साथ उनको भी सिद्ध करना होता है।

○ साधक को अपने और ईष्ट में एक रिश्ता कायम करना होता है देवता पहले साधक की पूरी तरह से परीक्षा लेता है फिर ही उसे प्रत्यक्षीकरण का फल प्राप्त होता है।

○ क्योंकि मेरे पास ऐसे बहुत सारे साधक आते हैं जिनमें शूद्र शक्तियां प्राप्त कर लेते हैं और वह शूद्र शक्तियां जितनी जल्दी साधक के पास आते हैं उससे ज्यादा स्पीड में वह साधक से दूर चली जाती हैं।

○ ख्वाजा जी की साधना विलक्षण है सभी जंत्र मंत्र जादू टोना को रोकने में यह पूरी तरह सक्षम है पलटा देने में पूरी तरह सक्षम है भूत प्रेत, दैत्य दानव ,जिन्न ख़बीस मरी मसानी किसी भी तरह की दुष्ट आत्मा को रोकने के लिए इनसे ऊपर कोई पीर नहीं है।

○इसलिए इतना विस्तार पूर्वक समझाता हूं ताकि आपको कहीं भटकने की आवश्यकता ना हो और आपके अंदर एक पूर्ण धारणा का निर्माण हो और वह भी सही धारणा का मुझे पता है मेरे लेखों को बहुत सारे सर्वोच्च कोटि के विद्वान लोग भी पढ़ते हैं तो जब तक मैं पूरी तरह से अपने विचार आपके सामने नहीं रखूंगा तब तक आप लोगों को यह पता नहीं लगेगा किस विषय का आधार क्या है।

○जिस साधक ने कोई व्यवहारिक मार्ग नहीं देखा और छोटी सी सिद्धि प्राप्त हो जाने के बाद वह अपने आप को अलादीन के चिराग का मालिक समझ बैठता है वह चिराग जाने में बहुत अधिक समय नहीं लगता क्योंकि शक्तियां आपके पास आती हैं तो आप की लगन और मेहनत देखकर, चली जाती हैं आपकी मूर्खता और आपकी अपात्रता को देखकर।

○ साधना में कड़ी शर्तों का पालन किया जाता है जैसे की जमीन पर सोना ब्रह्मचर्य का पालन करना ना किसी से मिलना है अपना खाना खुद बनाना है अपने वस्त्र और जूठे बर्तन खुद साफ करने हैं और किसी के घर नहीं जाना अगर मजबूरी में जाना पड़े तो वहां का पानी नहीं पीना और खाना नहीं खाना यह कुछ ऐसे नियम है जिन पर आपकी सिद्धियां चिरस्थाई हो जाती हैं अगर इन नियमों का पालन आप करते हैं।

○ जो भी साधना ही मैं आपको देता हूं वह सभी अनुभूत साधनाएं होते हैं और कभी भी कोई साधक यह कुचेष्टा ना करें कि मैं इस साधना को अजमा लूं ऐसी मंशा से इन साधना को कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कल्याण की जगह हानि करती हैं।

○ जिन साधकों ने यह साधनाएं की थी उनके पास अपार शक्ति थी अपने मन में कभी यह लेकर नहीं आना चाहिए कि शायद कहीं से उठाया और सुना और लिख दिया और हम को दे दिया हर आदमी के जीने का तरीका अलग होता है संस्कार अलग होते हैं ऐसी बड़ी बड़ी साधनाएं सिर्फ उन साधकों के लिए होती हैं जो कि दीन दुनिया से अपने आप को हटाकर साधना पथ पर आगे बढ़ते रहते हैं।

○अब बहुत अधिक बातें ना करता हुआ मैं इस विषय की तरफ बढ़ूँगा और बताऊंगा आपको इस साधना के विषय में।

○ यह साधना करने से पहले आपको अपने गुरु से अनुमति प्राप्त करनी होगी उनसे गुरु मंत्र प्राप्त करना होगा और अपने घर के देवता पित्र नगर खेड़ा इनको मनाना होगा।

○ यह साधना 41 दिन तक लगातार की जाती है और इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता।

○ साधना काल में सफेद वस्त्रों का प्रयोग होता है और कुछ संप्रदायों के हिसाब से काले वस्तुओं का भी प्रयोग होता है अधिकतर प्रयोगों में श्वेत वस्त्र ही प्रयोग किए जाते हैं।

○ प्रति रात्रि 10:30 बजे के बाद यह साधना शुरू की जाती है और इस साधना को मध्यरात्रि के बाद 2:00 से 2:30 तक सुबह तक किया जाता है।

○ कुछ साधनाओं में छाती तक पानी में खड़ा होकर, कुछ साधनाओं में पानी में पांव लटका कर यह साधनाएं की जाती हैं लेकिन इसमें आपको जल के किनारे अल्थी पल्थी मार कर बैठना है।

○ इस साधना को बिना घेरा लगाइए हिसार किए कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें खतरा बहुत होता है इसलिए सबसे पहले आपको अपनी रक्षा का प्रबंध करना होता है।

○ रक्षा मंत्र से एक खुला घेरा बनाना है और सारा सामान जो भी आप साथ लेकर चलोगे उसे उसे खुले घेरे में रख देना है उसके बाद आपको 4 मुंह वाला दीया सरसों के तेल का जलाना है और एक 1 मुंह वाला दीया देसी घी का जलाना है लोबान और अगरबत्ती सुलगती रहनी चाहिए।

○ देसी गुलाब के ताजे फूल पांच पीस जोड़ा सेंट दो बूंदी वाले लड्डू जुड़ा साबुत सुपारी सात पीस लौग सात छोटी इलायची एक जोड़ा खमनी,दो पीस बर्फी,सात बतासे,दो मीठे पान,दो सिगरेट,थोड़े से पके हुए मीठे चावल अपने साथ ले जाने हैं असन कंबल का लग जाए तो बहुत अच्छा होगा।

○ तकरीबन 10:30 बजे रात्रि में साफ चलते हुए पानी के किनारे पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके आपको बैठना है और सबसे पहले सारा सामान उस घेरे में लेकर एक बड़ा सा घेरा लगाना है।

○ घेरा लगाने के बाद आसन बिछाने के बाद आसन का मंत्र पढ़कर फिर आसन पर बैठना है। आर फिर दाएं हाथ में काले रंग के हकीक की माला लेकर के जिसमें 108 दाने हो यह जाप शुरू करना है और शुद्ध एकाग्र मन से आपको 11 माला यह जाप करना है।

○ प्रतिदिन समय और स्थान वही रहेगा ना तो आप समय बदल सकते हो ना स्थान बदल सकते हो यह इस साधना का पहला नियम है।

○ जब भी कोई अनुभूति हो या आसपास किसी के होने का आपको महसूस होना शुरू हो जाए तो समझ लीजिए आपकी साधना सफल जा रही है अपने घर से रात्रि को जाते हुए और वापस घर पर आते हुए ना तो किसी को बुलाना है और ना ही किसी को उसकी प्रश्न का उत्तर देना है चुपचाप जाना है और चुपचाप आ जाना है।

○ इस साधना में एक सेवक को आप साथ में ले जा सकते हैं लेकिन उससे बातचीत नहीं कर सकते तात्पर्य यह होगा कि वह आपके सामान को उठाकर आपके लिए ले जा सकता है लेकिन जाप के समय उसे वापस हटना पड़ेगा और आपके पास नहीं बैठ सकता ना आपको वह बुला सकता है ना आप उसको लेकिन मेरे हिसाब से अकेले जाना सबसे उत्तम होगा।

○ इस साधना में मांस मछली शराब अंडा गोश्त किसी भी तरह की मांसाहारी वस्तु का सेवन पूर्णतया वर्जित है और ब्रह्मचर्य की शर्त शर्त पहली शर्त है।

○ जो मंत्र में आपको देने जा रहा हूं यह मंत्र तक गुप्त था और किसी ने भी इसका प्रकाश नहीं किया था अब कुछ सज्जन पर चले तो मंत्रों पर ही भरोसा करते हैं वह निंदक किसी भी मंत्र पर भरोसा करें मुझे उससे कुछ लेना नहीं लेकिन जो मेरी बात समझने वाले हैं उनको मैं यह मंत्र देने जा रहा हूं क्योंकि मुझे तर्क वितर्क में नहीं पड़ना मुझे जो आप लोगों तक ज्ञान पहुंचाना है वह तो मैं पहुंचा ही दूंगा इसीलिए मेरे लिए थोड़े लंबे हो जाते हैं और लेख की लिखी हुई इन्हीं बातों में उस साधना के सफलता के राज छिपे होते हैं।

○ सबसे पहले गुरु महाराज का मंत्र आपको एक माला करना है फिर गणेश जी का जाप करना है फिर आपको निम्नलिखित प्रयोग करना है।

○ इस मंत्र को आसन पर बैठकर सबसे पहले 108 बार पढ़ना है फिर अपने शरीर पर दम कर लेना है।

○मन्त्र:-ओम नमो आदेश गुरु को।अजरी बांधु बजरी बाँधू बाँधू दसई द्वार। आन पड़ी हनुमान की रक्षा राम की कार।पहली चौकी गज गणपति जी की।दूजी चौकी विकट वीर हनुमान।तीसरी चौकी भूमिया भैरव।चौथी नरसिंह की आन । जो इन्हीं चौकी को लांघे ,तुरंत ही धूल भस्म हो जावे, दुश्मन बैरी जो कोई करें, उल्टा वाही पर उल्टा पडे, मंत्र सांचा पिंड काचा,फुरो मंत्र गोरख वाचा।।

○फिर निम्नलिखित मंत्र से  हकीक की माला लेकर 11 माला जाप करना है निर्विघ्न।

○मन्त्र:- बिस्मिल्लाह रहमान रहीम अल्हमद के या खुले आलमीन औज़बिल्लाहमिनशैतानरज़ीम जल में समाये ख्वाजा सखी सर्वर सुलतान पीर मैं ख्वाज़ा दा बालका ख्वाजा मेरा पीर बंदिया बंध  छुड़ा दे मेरा ख्वाजा जिंदा पीर खाकी चले नूरी चले चले पंज़ो पीर ख्वाजा मेरा काम करे वसीला दस्तगीर बरहक कलमा लाइलाहा मोहम्मद या रसूल अल्लाह।

○जाप के पूरा होने के बाद आपको नमस्कार करना है और ख्वाजा जी को हाजिरी डालनी है जो मीठे चावल आप अपने साथ ले गए हैं उनको आपने पानी में छोड़ देना है।

○ कच्ची और पक्की दोनों तरह की हाजिरी जो मैंने पिछले वीडियो में आपको बता दी है इसमें हाजिरी पक्की डाली जाती है और उसकी कलाम मैंने पहले वीडियो में डाली है लेकिन नीचे भी मैं दे रहा हूं कलाम यह है ।

बिस्मिल्लाह रहमान रहीम ख्वाजा खिज्र जिंदा पीर पिदर मादर दस्तगीर सिद्धनाथां दा सरदार कचियाँ पक्कीयां कढ़ाईयां तेरे नाम।

○ दो-तीन दिन में आपको इस मंत्र के जाप करने से अजीब तरह की अनुभूतियां होने लग जाएगी और बहुत बड़े बड़े काले रंग के शैतान आपको आपकी तरफ आते हुए दिखेंगे कभी भैंसे के रूप में या बेल के रूप में आपकी ओर आते हुए दिखेंगे आर और सांप काले के आपकी तरफ आते हुए देखेंगे बहुत सी ऐसी अनुभूतियां होंगी जिनको देखकर साधक को डरना नहीं चाहिए वह सभी कुछ मन का भ्रम होता है वास्तविक रूप से वह कुछ नहीं होता यह सिर्फ माया होती है।

○ और कुछ समय के बाद यह माया अपने आप ही नष्ट हो जाती है कुछ दिन तक साधक को यह माया भ्रमित करती है कभी सुंदर स्त्रियां साधक को परेशान करती हैं और उसको पथभ्रष्ट करने की कोशिश करते हैं लेकिन सबसे बड़ी दो बातें होती हैं अगर आप घेरा लगाना भूल गए या आप किसी के हाथ से कोई पानी पी लिया या कोई ऐसी चीज खाली  तो भोजन दोष होकर यह साधना खंडित होने का डर रहता है।

○ बाबाजी के दूत जो बड़े बड़े शैतान होते हैं परियां जो भयानक चुड़ैलों सा रूप बनाकर और जल मसानी भी आदमी को भ्रमित करने की कोशिश करते हैं अगर साधक इन के मकड़जाल में नहीं फस्ता तो धीरे-धीरे साधक को सिद्धि प्राप्त होने के योग और भी प्रबल हो जाते हैं।
○ यह तमाशा देवी शक्तियां आदर्श रूप से देखती हैं और जब साधक निडर होकर के साधना करता है तो धीरे-धीरे पीर साहब भी वहां पर चक्कर मारना शुरू कर देते हैं फिर एक रूहानी करिश्मा का ना रुकने वाला सिलसिला शुरू हो जाता है।
○ जो साधक पूरी तरह संयम और अपने नफस के ऊपर कंट्रोल रखता है वही साधक इस साधना को पूरा कर सकता है यह एक कंपलीट साधना में आपको बता रहा हूं इसलिए इसमें लेख लंबा है और वीडियो भी लंबी होने वाली है।
○ साधना के प्रभाव से आपके सभी काम बाईसवे रोज़ से बनने लग जाएंगे और हो सकता है कि दिन दुनिया के चक्कर में आप साधना करना छोड़ दें क्योंकि फिर दुनिया आपके पीछे लग जाएगी अगर आप तब भी इसको नहीं छोड़ोगे और कायदे से करते रहोगे तो आप जीवन में जिसके लिए जो भी मांगोगे वह पूरा हो जाएगा।

○ एक बार की साधना में आप अगर सफल हो जाते हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपके आप से बाहर नहीं होगी किसी भी काम को झट से कर देना आपके बाएं हाथ का खेल हो जाएगा कोट कचहरी के छोटे से लेकर बड़े केस व्यापार में आए हुए बड़े बड़े घाटे बड़ी-बड़ी बंदिशें तोड़ना आपके लिए कोई बहुत भारी बात नहीं होगी लेकिन इस शक्ति को सहेज कर रखा जाए तो ही अच्छा है।
○ इस लेख को पूरा करने के लिए मुझे मैं बहुत मेहनत करनी पड़ी है और मेहनत करके मैंने इसलिए को जानकारी से भरपूर बनाने की कोशिश की है फिर भी यह साधनाएं गुरु परंपरा से ही चले तो अच्छी बात है लेकिन आग्रह वश और साधकों के बहुत ज्यादा गुज़ारिश के बाद मैं यह साधना आपको दे रहा हूं फिर भी अगर कोई कमी रह जाए तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं।

○कृपया मुझसे जब आप संपर्क करें थोड़ा धैर्य के साथ संपर्क करें क्योंकि बहुत सारी अनुष्ठानों के चलते एकदम से जवाब दे पाना मेरे लिए संभव नहीं हो पाता और असमय फोन उठाना तो बिल्कुल ही संभव नहीं हो पाता क्योंकि सुबह शाम साधनाएं चलती हैं तो दोपहर के समय आप 11:00 से 1:00 तक मुझे व्हाट्सएप द्वारा पहले पूर्ण विवरण के साथ अपनी समस्या लिखें और थोड़ा धैर्य से प्रतीक्षा करें ताकि मैं आपसे संपर्क स्थापित कर सकूं।

○और आगे मैं आपके लिए बहुत सारी साधना ही लाने के लिए तत्पर हूं आज तैयारियां कर रहा हूं बहुत सारी और जानकारियों से भरपूर साधनाएं लाने की।

कलवा वशीकरण।

जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते।   यहाँ मैं स्...