गुरुवार, 6 जून 2019

सर्व यन्त्र मन्त्र तंत्रोत्कीलन।

*******।।सर्व यन्त्र मन्त्र तंत्रोत्कीलन।*******
पर्वतीउवाच:
देवेश परमानंद भक्तानांभयप्रद,आगमा निगमसचैव बीजं बीजोदयस्था।।१।।
समुदायेंन बीजानां मंत्रो मंत्रस्य संहिता।
ऋशिछ्दादिकम भेदो वैदिकं यामलादिकम।।२।।
धर्मोअधर्मस्था ज्ञानं विज्ञानं च विकल्पनम।
निर्विकल्प विभागेनं तथा छठकर्म सिद्धये।३।।
भुक्ति मुक्ति प्रकारश्च सर्व प्राप्तं प्रसादत:।
कीलणं सार्वमंत्रनां शंसयद ह्रदये वच :।।४।।
इति श्रुत्वा शिवानाथ: पर्वत्या वचनम शुभम।
उवाच परया प्रीत्या मंत्रोतकील्कन शिवाम।।५।।
शिवोवाच।
वरानने ही सर्वस्य व्यक्ताव्यक्ततस्य वस्तुनः।
साक्षीभूय त्वमेवासि जगतस्तु मनोस्थता।।६।।
त्वया पृष्ठटँ वरारोहे तद्व्यामुत्कीलनम।
उद्दीपनम ही मन्त्रस्य सर्वस्योत्कीलन भवेत।७।।
पूरा तव मया भद्रे स्मकर्षण वश्यजा।
मंत्रणा कीलिता सिद्धि: शर्वे ते सप्तकोटिय:।।८।।
तवानुग्रह प्रीतत्वातसिद्धिस्तेषां फलप्रदा।
येनोपायेन भवति तं स्तोत्रं कथ्यामहम।।९।।
श्रुणु भद्रेअत्र सतत मवाभ्याखिलं जगत।
तस्य सिद्धिभवेतिष्ठ मया येषां प्रभावकम।।१०।।
अन्नं पान्नं हि सौभाग्यं दत्तं तुभ्यं मया शिवे।
संजीवन्नं च मन्त्रनां तथा दत्यूं परनर्ध्रुवं।।११।।
यस्य स्मरण मात्रेण पाठेन जपतोअपि वा।
अकीला अखिला मंत्रा सत्यं सत्यं ना संशय।।१२।।
ॐ अस्य श्री सर्व यन्त्र तन्त्र मन्त्रणामउत्कीलन मंत्र स्तोत्रस्य मूल प्रकृति ऋषियेजगतीछन्द: निरंजनो देवता कलीं बीज,ह्रीं शक्ति , ह्रः लौ कीलकम , सप्तकोटि यंत्र मंत्र तंत्र कीलकानाम संजीवन सिद्धिार्थे जपे विनियोग:।
ॐ मूल प्रकृति ऋषिये नमः सिरषि।
ॐ जगतीचछन्दसे नमः मुखे।
ॐ निरंजन देवतायै नमः हृदि।
ॐ क्लीं बीजाय नमःगुह्ये।
ॐ ह्रीं शक्तिये नमः पादयो:।
ॐ ह्रः लौं कीलकाय नमः सर्वांगये।
करन्यास।*****
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः।
ॐ ह्रीं अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ ह्रूं मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ ह्रैं तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ ह्रो कनास्तिकाभ्यां नमः।
ॐ ह्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
ॐ ह्रां हृदयाय नमः।
ॐ ह्रीं शिरषे स्वाहा।
ॐ ह्रूं शिखायै वौषट।
ॐ ह्रैं कवचाय हूं।
ॐ ह्रो नेत्रत्रयाय फ़ट।
ॐ ब्रह्मा स्वरूपम च  निरंजन तं ज्योति: प्रकाशमनिशं महतो महानन्तम करुणायरूपमतिबोधकरं प्रसन्नाननं दिव्यं स्मरामि सततं मनुजावनाय।।१।। एवं ध्यात्वा स्मरेनित्यं तस्य सिद्धि अस्तु सर्वदा,वांछित फलमाप्नोति मन्त्रसंजीवनं ध्रुवम।।२।।
मन्त्र:-ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं सर्व मन्त्र-यन्त्र-तंत्रादिनाम उत्कीलणं कुरु कुरु स्वाहा।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रां षट पंचक्षरणंउत्कीलय उत्कीलय स्वाहा।।
ॐ जूं सर्व मन्त्र तंत्र यंत्राणां संजीवन्नं कुरु कुरु स्वाहा।।
ॐ ह्रीं जूं अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋ लृ लृ एं ऐं ओं औं अं आ: कं खं गं घं ङ चं छं जं झं ञ टँ ठं डं ढं नं तं थं दं धं नं पं फं बं भं मं यं रं लं वं शं षं हं क्षं मात्राक्षरणां सर्वम उत्कीलणं कुरु स्वाहा।
ॐ सोहं हं सो हं (११ बार), ॐ जूं सों हं हंसः ॐ ॐ(११ बार), ॐ हं जूं हं सं गं (११ बार),सोहं हं सो यं (११ बार),लं(११ बार), ॐ (११ बार),यं (११ बार),ॐ ह्रीं जूं सर्व मन्त्र तन्त्र यंत्रास्तोत्र कवचादिनां सनजीवय संजीवन्नं कुरु कुरु स्वाहा।। ॐ सो हं हं स: जूं संजीवणं स्वाहा।।
ॐ ह्रीं मंत्राक्षराणं उत्कीलय उत्कीलणं कुरू कुरु स्वाहा।
ॐ ॐ प्रणवरूपाय अं आं परमरूपिने।
इं ईं शक्तिस्वरूपाय उं ऊं तेजोमयाय च।१।
ऋ ऋ रंजित दीपताये लृ लृ स्थूल स्वरूपिणे।
एं ऐं वांचा विलासाय ओं औं अं आ: शिवाय च।२।।
कं खं कामलनेत्राये गं घँ गरुड़गामिने ।
ङ चं श्री चंद्र भालाय छं जं जयकराये ते।३।।
झं टँ ठं जय कर्त्रे डं ढं णं तं पराय च।
थं दं धं नं नामस्तसमे पं फं यंत्रमयाय च।।४।।
बं भं मं बलवीर्याये यं रं लं यशसे नमः।
वं शं षं बहुवादाये सं हं लं क्षं स्वरूपिनेे।।५।।
दिशामादित्य रूपाये तेजसे रूप धारिने।
अनन्ताय अनन्ताय नमस्तसमे नमो नमः।।६।।
मातृकाया: प्रकाशाय तुभ्यं तस्मे नमो नमः।
प्राणेशाय क्षीणदाये सं संजीव नमो नमः।।७।।
निरंजनस्य   देवस्य नामकर्म     विधानत:।
त्वया ध्यातँ च शक्तया च तेन संजायते जगत।।८।।
स्तुतःमचिरं ध्यात्वा मयाया ध्वंस हेतवे।
संतुष्ट आ भार्गवाया हैं यशस्वी जायते ही स:।।९।।
ब्राह्मणं चेत्यन्ति विविध सुर नरांस्त्रपयंती प्रमोदाद।
ध्यानेनोद्देपयन्ती निगम जप मनुं षटपदं प्रेरयंती।
सर्वां न देवान जयंती दितिसुतदमनी सापह्नकार मूर्ति-
स्तुभ्यं तस्मै च जाप्यं स्मररचितमनुं मोशय शाप जालात।।१०।।
इदं श्री त्रिपुरास्तोत्रं पठेद भक्त्या तू यो नर:।
सर्वान कामनाप्नोति सर्वशापाद विमुच्येत।।
।।इति श्री सर्व यन्त्र मन्त्र तंत्रोत्कीलनँ सम्पूर्णम।।



बुधवार, 5 जून 2019

अघोरी मन्त्र


अघोरी की आत्मा को प्रसन्न करने एवं उससे सहायता प्राप्त करने हेतु साधना बता रहा हूँ , इस साधना को आप घर पर भी कर सकते है  और आपने उपर आई हुई उग्र मसाण या प्रेत बाधा का निराकरण कर सकते हैं इसके बिना निराकरण संभव नहीं है।

मैंने ऐसे बहुत सारे साधक देखे हैं जो बड़ी-बड़ी साधना ए करने के बाद निराश हो जाते हैं और लंबे चौड़े विधान कर कर के परेशान हो चुके होते हैं जिनके पास पैसा नहीं होता इतना पैसा नहीं होता कि वह देवता को भोग दे सकें और ऐसे साधक भी देखे हैं जिनको पूरी विधि पता ना होने के कारण उनके कई बड़े-बड़े प्रयोग फेल हो जाते हैं ।

मेरे पास ऐसे बहुत सारे लोगों ने संपर्क किया है जो पहले बहुत अमीर होते थे और किसी तंत्र बाधा के कारण किया किसी गलती के कारण वह बिल्कुल दरिद्र हो गए और इतना भी ना रहा कि दो वक्त की रोटी नसीब वैसे साधक भी इस प्रयोग को करने से सुखी हो गये क्योंकि तंत्र शक्तियों में मसान एक ऐसी शक्ति है कि जिस में गर्माइश बहुत अधिक होती है ये आपकी दैविक आभा को बिल्कुल खत्म कर देता है और पीड़ित को बहुत अधित मानसिक वेदना का अनुभव होता है  जिसका प्रयोग यदि किसी के ऊपर एक बार हो जाए तो वह जल्दी-जल्दी हटता नहीं है उसकी काट सिर्फ अघोरी होता है अघोरी के बिना उसकी काट नहीं लगती।

आज तक जिस साधक को भी ये साधना करवाई गई है वो उक्त बाधाओ से मुक्त होकर सुखी जीवन यापन कर रहे हैं।

साबर मंत्र -
" आडू देश से चला अघोरी , हाथ लिये मुर्दे की झोली , खड़ा होए बुलाय लाव , सोता हो जागे लाव ,तुझे अपने गुरु अपनों की दुहाई , बाबा मनसा राम की दुहाई ,मेरी आन मेरे गुरु की आन ईश्वर गौरां महादेव पार्वती की दुहाई दुहाई काली माता की
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"(ये मन्त्र पूरा है लेकिन इसकी पूरी विधि लेने के लिए सम्पर्क करें बिना गुरु के साधना को करने यदि आपको कोई जानी या माली नुकसान पहुुँचता है तो उस में मेरे या मेरे चैंनल लेेख का कोई उत्तरदायित्व नही होगा।)


इसका प्रयोग विधान -

उक्त मंत्र का कृष्ण पक्ष मंगलवार या शनिवार की मध्यरात्रि के समय , लाल या काले आसन पर बैठ कर नित्य ही ११ माला का जप करे ।

अपने सम्मुख अघोरी आत्मा हेतु एक मिट्टी के कुलहड़ में गुड़ का शर्बत , श्वेत फूलो की माला , मिठाई -नमकीन आदि रखे ।

यदि आप इस साधना को तामसिक तरीके से करना चाहते हैं तो आप इसके भोग में परिवर्तन कर सकते हैं तामसिक भोग में मांस मदिरा का प्रयोग होगा और तामसिक साधना शमशान घाट में सम्पन्न होगी।

गूगल की धुप और शुद्ध सरसों के तेल का दीया जाप के दौरान प्रज्वलित रखे ।

जब जप पूर्ण हो जाये तो ये सभी सामग्री किसी चौराहे पर या किसी पीपल के पेड के नीचे चुपचाप से रख आये और हाथ-पैर धोकर सो जाये । 7वें दिन नहीं जाना है ।

तब किसी अघोरी की आत्मा आएगी और सामग्री न देने का कारण अत्यंत उग्र स्वर में पूछेगी ...घबराए नहीं और उत्तर भी नहीं देना और जो पूर्व दिन की बची सामग्री है उसे रख दें ।
न ही किसी भी प्रकार का प्रश्न करें न ही किसी प्रश्न का उत्तर दें ।
अब जप के पश्चात् जो सामग्री वर्तमान दिन ...यानि 8वें दिन की है ...फिर से चौराहे पर या पीपल के पेड के नीचे रख आये ।
यह साधना 11 दिन की है एवं 11वें दिन अघोरी की आत्मा आएगी और सौम्य भाषा -शब्दों में वार्ता करगी ।
उससे अपनी बुद्धि के अनुसार वचन ले लीजिये ,ये आत्मा साधक के अभिष्टों को पूर्ण करेगी ।
जब भी किसी कुल्हड़ में देसी शराब और नमकीन -मिठाई अघोरी के नाम से अर्पित करोगे तो वो सम्मुख आकर साधक की समस्या का निवारण भी करेगी ।
इस साधना के प्रभाव से अघोरी की आत्मा साधक के आस-पास ही रहेगी तथा उसे सुरक्षा भी प्रदान करेगी ।

लखदाता पीर साधना

        *******।लखदाता पीर की कलाम।******


●सभी साधक भाई बहनों के लिए एक कलाम लखदाता पीर की जिनको सखी सरवर सुल्तान बोला जाता है और इनका प्रमुख पूज्य स्थान रोजा शरीफ पाकिस्तान के निगाह नामक स्थान पर है उस की तर्ज पर ही हिमाचल प्रदेश में भी इनका स्थान है और पूरे भारत क्या विदेशों से लोग यहां जियारत करने पहुंचते हैं और ऐसी कोई मुराद नहीं कीजिए जो इनकी साधना और इनकी सेवा सेना प्राप्त हो हर जायज मनोकामना इनके दर से पूरी होती है इसी क्रम में मैं आपके लिए लखदाता पीर लालू बरिसल कार की साधना दे कर आया हूं यह एक उग्र और चमत्कारी साधना है लेकिन कभी भी किसी भी साधना को अधूरे में ना छोड़े।

●ये साधना पूरे 43 दिनों की है।
●इस साधन में मांस मछली शराब इत्यादि पूरी तरह से वर्जित है।
●प्रतिदिन स्नान करने के उपरांत साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके आपको सरसों के पांच दिए अपने सामने जलाने हैं ।
●इस साधना को करते समय आपका मुख पश्चिम की तरफ होगा।
● प्रसाद में आप 5 चूरमे के लड्डू,5 बूंदी वाले लड्डू,7 बतासे,थोड़े से मीठे चावल ,7 लोंग,7 इलाइची सेंट ,2 मीठे पान यह सब रखना है।
●एक चमेली के फूल की माला  या देशी गुलाब के 11 फूल वहां पर जरूर रखें
●इस मंत्र का काले हक़ीक़ की माला से 11 माला जाप करना है।
●इस साधना में प्रतिदिन देसी घी से होम करना है।
●शुद्ध मन से 43 दिनों तक आपने यह जाप करना है।
●ब्रह्मचर्य पालन करते हुए आपको यह जप करना है।
●अपना खाना खुद बनाना है किसी के हाथ के बने हुए भोजन को स्वीकार नहीं करना है।
●अपने झूठे बर्तन और पहने हुए कपड़े खुद ही धोने है।
● सबसे पहले साधना जब आप शुरू करोगे आपको एक अलग कमरे इंतजाम करना और उस कमरे में सिर्फ साधना काल में जाएं ।
● उस कमरे में साधक के इलावा कोई और जाना नहीं चाहिए उसके पहले अंदर बढ़िया से लिपाई पुताई करा कर उसको साफ कर दिया जाए।
●वहां पर कोई भी जैसे स्त्री या पुरुष मलिन अवस्था में प्रवेश ना करे जब आप यह साधना संपन्न कर ले।
●उसके बाद जेष्ठ अषाढ़ के महीने में आपको एक रोट  सवा 5 किलो का लगवाना होगा ।
●गर्मियों में जेठ आषाढ़ के महीने में होते हैं इसमें साधना करने का विशेष महत्व होता है।
● साधना कक्ष में आपको हफ्ते में ही बाबा के आसपास होने के अनुभव होने लग जाएंगे ।
●जब पीर बाबा आपके सामने आये तो उनसे कोई फालतू बात न करें और आपने जाप में लगे रहें जप बाबा आपको बुलाएं तब ही बात करें।
●आपने पास साधना काल में एक जल का पात्र जरूर रखें।

●बिस्मिल्लारेहमानरहीम जल तू जलाल तू कुदरत तू कमाल तू ,हर वेले नाल तू,मुश्किल पई वंगारिया सखियां द सुल्तान तू,मुश्किल पई इंसान ते,मेरे काज संवार तू,चले मन्त्र फुरो बादशाह, देखा बाबा लखदाते तेरे इल्म द तमाशा।।

●अपनी तरफ से मैंने समझाने की पूरी तरह कोशिस की है अगर आपको फिर भी कुछ समझ में नही आया तो हमारे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर व्हाट्सएप संदेश भेज करके संपर्क कर सकते हैं।गुरु के सानिध्य में
● यह साधना करनी चाहिए बिना गुरु के ये साधना नही करनी चाहिए।

पीर हैदर शेख साधना

"बिस्मिल्लाहरहमाननिरहीम,नबीअली दी बंदगी , पंज पीरां दा नूर,अली अली नैरा लाके आजा मेरे हजूर।नियाज़ गुलगुले देवां तेनु देवां भंग पियाला।पीरां विचों पीर देखेया हैदर शेख  निराला।माई मशानी भैरो बाबा ,चलदे पंजे पीर। दर्शन दे बाबा हैदर शेख पीर। चले मन्त्र फुरो ,चल हैदर शेख पीर देखां तेरे इल्म दा तमाशा।दुहाई मौला अली दी,दुहाई तेरे पीर दी।"

41 दिनों की साधना है ये पाक साफ होकर करनी है और लोहबान सुलगाना है 5 दीये सरषों के तेल के जलेन है। इतर चढ़ाना 2 मीठे पान और मीठे चावल एव गुलगुले का माथा टेकना सरसों के तेल की होम बतासे से अग्यार करनी है प्रतिदिन हक़ीक़ की माला से 5 माला रोज़ाना जपना है और ज़मीन पे सोना है सरींह ((शिरीष)) के पेड़ की जड़ में शरदाई चढ़ानी है।जब बाबा जी के दर्शन हो जाएं तो उनकी दरगाह पे जाकर माथा टेकना है और चद्दर और बकरा चढ़ाना है।
ये बहुत पहुंचे हुए पीर है साधक पर खुश हो कर उसे भूत भाविष्य वर्तमान बताते है और सवारी आने पर बहुत बड़े बड़े काम साधक के सिद्ध होते है मुरादें पूरी एव मनोवांछित कार्यों में सफलता मिलती है।

सुलेमानी जिन्न साधना

जिन सुलेमानी साधना को करने लिए संकल्प लेकर पूरी तरह से तैयार हो जाएँ. जिन साधना को नौचंदी शुक्रवार से शुरू करना चाहिए. इस साधना को पुरे 21 दिन तक करना चाहिए. इस साधना को अपने गाँव या शहर से बाहर ही करना चाहिए. इस साधना को शुरू करने से पहले अपनी सुरक्षा कर लेना ज़रूरी है. इसके लिए आप ऊपर इस लेख में दिए गए सुलेमानी रक्षा मंत्र जा जाप करके अपने चारों ओर एक घेरा बना लें. रक्षा मन्त्र को आप 11 बार पढ़ें. आप गोले की बीच पश्चिम की ओर मुख करके खड़े हो जाएँ तथा अपने हाथ में एक करबा करेला लें और उसके भीतर हींग भर दें. अब अपने गुरु का ध्यान करके और आज्ञा लें. अब आप जिन साधना के मन्त्र का जाप एक घंटे तक करें.

ये मन्त्र इस प्रकार है – “ऐन उल हक ये जेतान!”

मंत्र का जप पूरा होने पर हींग भरे हुए करेले को पश्चिम दिशा की तरफ फैक दें और घर आकर हाथ पैर और मुंह धो लें. ये प्रयोग लगातार 21 दिन तक इसी विधि का प्रयोग करते हुए करें. आपकी साधना जप पूर्ण होगी तब जिन आपके सामने प्रकट हो जायेगा. जिन इस तरह प्रकट होकर साधना करने वाले साधक से सवाल पूछता है. इसलिय साधक को सोच विचारकर सही जवाब देना होगा. गलत जवाब देने पर जिन की शक्तियों का लाभ नही लिया जा सकता और वह वापिस चला जाता है. जब आप के जवाब सही होते हैं तो जिन ‘आफरीन आफरीन’ 3 बार कहता है और आपसे वरदान मांगने के लिये कहता है. अब आप जिन से आपकी कोई भी मन की मुराद पूरी करवा सकते हैं.
आप जिन से धन दौलत मांग सकते हैं या फिर आप किसी सुंदरी को भी मांग सकते हैं. जिन आपकी हर कामना की पूर्ति करेगा. जिन को नेक बंदे बहुत पसंद है इसलिए अगर आपको धन दौलत मिलती है तो आप गरीबों में दान करके जिन को प्रसन्न कर सकते हैं. इस साधना को करते समय प्याज लहसुन आदि के सेवन से दूर रहें.

साधनाओं में रक्षा

सुलेमानी साधना में सुलेमानी रक्षा साधना के प्रयोग से साधक को हर तरह की बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है. अगर किसी व्यक्ति के जीवन में ऐसा संकट आ गया हो कि उसे उसका कोई भी समाधान नज़र नही आ रहा है तो उसे सुलेमानी रक्षा साधना का प्रयोग ज़रूर करना चाहिए. कभी-कभी जीवन में ऐसी घड़ी आती है कि इन्सान पूरी तरह से निराश और हताश हो जाता है. ऐसी कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए सुलेमान रक्षा साधना से अद्भुत लाभ प्राप्त होता है. सुलेमानी रक्षा साधना साधक को बीमारियों से भी बचाती है. सुलेमानी रक्षा साधना से साधक के लिए एक कवच निर्मित हो जाता है इसलिए साधक को न तो कोई नकारात्मक शक्ति प्रभावित कर सकती और न ही उसके भीतर की आध्यात्मिक शक्ति कमज़ोर होती है. आप सुलेमानी रक्षा विधि को यहाँ दिए गए निर्देशों के अनुसार कर सकते हैं.
सुलेमानी साधना विधि:
इस सुलेमानी रक्षा विधि को 11 दिन तक करना चाहिए. इसे करने के लिए शाम को किसी कमरे में आसन लगाकर बैठ जाएँ. अब अपने सामने एक दीया या अगबत्ती लगा दें. आप किसी नदी पर दीपदान करके या किसी दरगाह पर दीया रखकर भी इस विधि को शुरू कर सकते हैं. जब ये साधना पूर्ण जाए तब दरगाह पर हरे रंग की चादर चढ़ाएं तथा पीले रंग की कोई मिठाई, लड्डू आदि का प्रसाद बांटें. इस साधना को करते समय आप सुलेमानी रक्षा मंत्र का 108 बार उच्चारण करें. रक्षा मंत्र इस प्रकार है-

“बिस्मिल्लाह आयतुल कुर्सी कक्ष कुरान,आगे पीछे तू    रहमान,धड राखे ख़ुदा सिर राखे सुलेमान!”

ये बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है. इसका जाप करने से साधक को अभेद्य रक्षा का वरदान मिल जाता है और वह हर तरह से संकट से मुक्त हो जाता है. सुलेमानी साधना में जिन साधना करने के भी कई लाभ हैं. कुछ लोग जिन की साधना का नाम सुनकर ही भयभीत हो जाते हैं. लेकिन जिस भी व्यक्ति को जिन साधना करनी है उसे जिन से डरने की कोई ज़रूरत नही है. यह भी ख़ुदा की ताकतों का एक रूप है जिसका विधि के अनुसार साधना करके प्रसन्न किया जा सकता है और अपने कार्यों को सिद्ध किया जा सकता है. जिन की ताकतों का प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति आपने शत्रु को समाप्त कर सकता है और अपने जीवन को हर तरह से सुरक्षित और संपन्न कर सकता है.

साधनाओं में रक्षा


सुलेमानी साधना में सुलेमानी रक्षा साधना के प्रयोग से साधक को हर तरह की बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है. अगर किसी व्यक्ति के जीवन में ऐसा संकट आ गया हो कि उसे उसका कोई भी समाधान नज़र नही आ रहा है तो उसे सुलेमानी रक्षा साधना का प्रयोग ज़रूर करना चाहिए. कभी-कभी जीवन में ऐसी घड़ी आती है कि इन्सान पूरी तरह से निराश और हताश हो जाता है. ऐसी कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए सुलेमान रक्षा साधना से अद्भुत लाभ प्राप्त होता है. सुलेमानी रक्षा साधना साधक को बीमारियों से भी बचाती है. सुलेमानी रक्षा साधना से साधक के लिए एक कवच निर्मित हो जाता है इसलिए साधक को न तो कोई नकारात्मक शक्ति प्रभावित कर सकती और न ही उसके भीतर की आध्यात्मिक शक्ति कमज़ोर होती है. आप सुलेमानी रक्षा विधि को यहाँ दिए गए निर्देशों के अनुसार कर सकते हैं.
सुलेमानी साधना विधि:
इस सुलेमानी रक्षा विधि को 11 दिन तक करना चाहिए. इसे करने के लिए शाम को किसी कमरे में आसन लगाकर बैठ जाएँ. अब अपने सामने एक दीया या अगबत्ती लगा दें. आप किसी नदी पर दीपदान करके या किसी दरगाह पर दीया रखकर भी इस विधि को शुरू कर सकते हैं. जब ये साधना पूर्ण जाए तब दरगाह पर हरे रंग की चादर चढ़ाएं तथा पीले रंग की कोई मिठाई, लड्डू आदि का प्रसाद बांटें. इस साधना को करते समय आप सुलेमानी रक्षा मंत्र का 108 बार उच्चारण करें. रक्षा मंत्र इस प्रकार है-

“बिस्मिल्लाह आयतुल कुर्सी कक्ष कुरान,आगे पीछे तू    रहमान,धड राखे ख़ुदा सिर राखे सुलेमान!”

ये बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है. इसका जाप करने से साधक को अभेद्य रक्षा का वरदान मिल जाता है और वह हर तरह से संकट से मुक्त हो जाता है. सुलेमानी साधना में जिन साधना करने के भी कई लाभ हैं. कुछ लोग जिन की साधना का नाम सुनकर ही भयभीत हो जाते हैं. लेकिन जिस भी व्यक्ति को जिन साधना करनी है उसे जिन से डरने की कोई ज़रूरत नही है. यह भी ख़ुदा की ताकतों का एक रूप है जिसका विधि के अनुसार साधना करके प्रसन्न किया जा सकता है और अपने कार्यों को सिद्ध किया जा सकता है. जिन की ताकतों का प्रयोग करके कोई भी व्यक्ति आपने शत्रु को समाप्त कर सकता है और अपने जीवन को हर तरह से सुरक्षित और संपन्न कर सकता है.

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...