शनिवार, 4 अप्रैल 2020

अभिचार का तोड़

             
                बन्धनों का प्रतिकार।

प्रिय साधक एवं सभी भाई बहनों को सादर नमस्कार मित्रो जीवन में कई बार ऐसा समय आ जाता है कि अथक साधना करने के उपरांत जो आपको शक्ति और सामर्थ्य हासिल होता है। वो किसी ना किसी ऐसे असामाजिक तत्व की नजर में वह चुभ रहा होता है। क्योंकि इसके पीछे ईर्ष्या का तत्व कार्य करता है।  तो उस शक्ति को  लोग बांध/बंधवा  देते हैं  क्योंकि अक्सर उल्टा काम करने के लिए बहुत ज्यादा शक्ति की आवश्यकता नहीं होती तामसिक शक्तियों से ये काम कुछ ही देर में होजाता है। तो बंधन में पड़ने के बाद ना तो देवी/देवता/पित्र सही-सही बताता है ना सही-सही सवारी आती है  सवारी आती है जो बोलती है वह होता नही। कई तरीके के बंधन लगाए जाते हैं जिसमें यांत्रिक बंधन, मंत्रिक बंधन, तांत्रिक बंधन, टोटके से बंधन या देवता-पितर से भी बंधन लगाए जाते हैं आपकी गद्दी के ऊपर लोगों के जो काम होते हैं  वह आपके देवता पितर ही करते हैं।  जब वह बंदिश में आ जाते हैं  तो फिर आपकी गद्दी पर लोगों के काम होने बंद हो जाते हैं । फिर बेइज़्ज़ती और मायूसी का सामना करना पड़ता है । फिर आप मजबूर हो जाते हो किसी दूसरे के पास जाने को और बहुत घूमने के बाद भी आदमी को उसका हाल नहीं मिलता उस समस्या का निदान नहीं हो पाता उल्टा मनुष्य अपना समय और पैसा बर्बाद करता है ।

आज आपकी सेवा में लाया हूँ एक ऐसा मन्त्र जिससे आपकी गद्दी के सभी दोष एवं बंधन समाप्त हो जाएंगे।
यह मंत्र एक प्रमाणिक मंत्र है और मेरा प्रयोग मंत्र है और पूरा सक्षम है यदि इसको सही तरीके से किया जाए गुरु से आज्ञा लेकर तो यह मंत्र पूरा सक्षम है और इतना सक्षम है आपके सभी बंधनों को निवृत्त कर दे। यह मन्त्र आपने सुना भी होगा  प्रतिकार के जितने मंत्र हैं उनमें से यह बहुत ही विशेष मंत्र है और बहुत काम भी देता है। है तो यह साबर मंत्र इसको प्रयोग करने वाला कभी भी निराश नहीं होता।  सबसे बड़ी बात यह होती है कि आपकी श्रद्धा मंत्र के प्रति कितनी है अगर आपकी श्रद्धा मंत्र के प्रति होगी तो आपको कोई पछाड़ नहीं सकता।

मन्त्र ये है:-

तेली की खोपडी चाट का मैदान,
उसपर लढ्ढा   महम्मदा सुल्तान।
किसका बेटा   फातमा का बेटा,
क्या खाय ? सूअर खाकर हलाल करे,
मेरे या (अपना नाम लें) पाव पडी बेड़ियों ना काटे।
तो तुझे अपनी माँ का चूसा दूध हराम,
शब्द साँचा पिंड कांचा फुरो मन्त्र ईश्वरोवाचा।

विधि:- 

○इस मंत्र की विधि बड़ी आसान और सरल है लेकिन जरूरत होगी मान की एकाग्रता की।

○किसी एकांत स्थान पर यह प्रयोग करें।

○ सबसे पहले स्थान एकांत स्थान पर पश्चिमाभिमुख होकर अपने सामने सवा हाथ धरती को लीप-पोत कर  साफ करना है ।

○वहां स्थान देवता के निमित्त एक सरसों का दिया आ दूसरा देसी घी का दिया अपने लगाना है। 11 लौंग 11 बतासे,11 सफेद फूल चढ़ाएं और अगरबत्ती जलाएं।

○एक जल का भरा हुआ पात्र आपने अपने सामने रखना है और लकड़ी के कोयले की आग बनाकर लोबान सुलगाना है। जब तक जाप चलता रहेगा तब तक लोबान सुलगता रहे। आपको जाप के उपरांत उस जल को पीना है।

○ फिर कंबल का आसन लेकर और साफ-सुथरे कपड़े पहन कर सिर को ढक कर माला हकीक की आपको चाहिए होगी किसी भी रंग की चलेगी उस माला से 11 माला प्रतिदिन आपको निश्चित समय पर और निश्चित स्थान पर यह जाप लगातार 21 दिन तक करना है।

○इस प्रयोग को जब भी आप शुरू करें सबसे पहले एक साबुत हरा नींबू लेकर उसको अपने सिर से सात बार उल्टा उतारकर काटने दो हिस्सों में और काट दें और उसके बाद उसे घर के मुख्य द्वार जहां से आपके घर में प्रवेश होता है अंदर की तरफ रख दें फिर ही इस साधना पर बैठे।

○ इस प्रयोग को जब भी आपने करना हो तो गोपनीय ढंग से करें  और इसका प्रचार-प्रसार जब तक अनुष्ठान चलता रहे  करने की कोशिश ना करें वरना आपका प्रयास व्यर्थ जाएगा ।जब तक यह प्रयोग चलता रहेगा इस विषय में किसी भी व्यक्ति से कोई भी अनुभव जो साधना के दौरान आपको मिले वह समझा नहीं करना।

○ इस अनुष्ठान में दो बहुत ही महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखने योग्य हैं पहला ब्रह्मचर्य और दूसरा भूमि शयन इनका अवश्य पालन करें।

○इस मंत्र के अनुष्ठान में खुद मोहम्मदा वीर आपके ऊपर पड़े हुए सभी बंधनों से आपको छुटकारा दिलाते हैं।

○अतः पूर्ण विश्वास के साथ इस अनुष्ठान को करें आप इसमें अवश्य ही लाभांवित होंगे और आपके ऊपर किए गए सभी अभिचार नष्ट हो जाएंगे।

○विशेष बात यह है जब भी आप किसी मंत्र का अनुष्ठान करते हैं तो इनमें एक विशेषता होती है इसमें मंत्र जब काम करते हैं तो किसी को दिखते नहीं सिर्फ उन लोगों को अनुभव प्राप्त होते हैं जिनकी दिव्यदृष्टि चल रही होती है।
○साधक को शुरू शुरू में जो भी साधक इसे करेगा हो सकता है उसे अनुभव ना हो तो उसमें घबराने की बात नहीं है क्योंकि अगर आपके ऊपर बंदिश पड़ गई है तो आपकी दिव्य दृष्टि कार्य नहीं करेगी अगर दिव्य दृष्टि कार्य नहीं करेगी तो यह स्पष्ट है कि आपको बहुत ज्यादा अनुभव से प्राप्त नहीं होंगे हां अपितु इस प्रयोग के पूरा होने के उपरांत आपको 100% लाभ प्राप्त होगा क्योंकि सभी प्रयोगों का प्रारूप अलग अलग होता है। किसी में देवता काम करते हैं तो किसी में मसान काम करता है किसी में पीर फकीर काम करते हैं।

○हम जो यह प्रयोग कर रहे हैं वह शुद्ध मात्रिक प्रयोग है तो मात्रिक प्रयोगों में एक आपकी एकाग्रता से ही सारे कार्य होते हैं मंत्र की शक्ति से आप के बंधन टूटते हैं यह पूरा पूरा ध्यान देने वाली बात है क्योंकि जब भी आप धैर्य नहीं रखोगे तो आपका कोई भी कार्य हो पाना संभव नहीं होगा ।

○ जिस व्यक्ति या साधक के अंदर बहुत ज्यादा उतावलापन हो और वो इन शर्तों को पूरा ना कर सकता हो तो यह प्रयोग करने की कोशिश ना करें क्योंकि हड़बड़ाहट में आपके काम खराब होते हैं कुछ भी बनता नहीं अगर जिसने आपका काम बिगाड़ा होगा तो उसने इस तरीके से सोच समझ के काम बिगाड़ा होगा कि दोबारा आप खड़े ना हो पाए अगर आपको वापिस इस कार्य क्षेत्र में आना है क्या वापस आपने अपनी जगह बनानी है तो आपको लड़ना होगा आपको धैर्य और परिश्र्म का सहारा लेना होगा तभी आप कामयाब हो सकते हैं।

○यह मंत्र जागृत है और परीक्षित भी इस मंत्र का प्रयोग करने से पहले कृपया ध्यान दें कि जब भी हम मंत्र का अनुष्ठान करते हैं तो बहुत सारी ऊर्जा या गरम आइस इस से निकलती है तो जब गुर्जर निकलती है तो मनुष्य का सकपका जाना है यह हडबड़ा जाना आम सी बात है तो पूरा धैर्य से काम ले।

○ जो यह प्रयोग खुद नहीं कर सकते या किसी तरह की जानकारी की आवश्यकता है तो हमसे संपर्क किया जा सकता है।

○औज़ार वही होता है चलाने वाला हमेशा अनाड़ी या खिलाड़ी होता है आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप उसे कैसे चलाते हो मंत्र हमेशा सही होता है लेकिन चलाने वाले के ऊपर होता है वह कैसे चला पाता है या नहीं ।तो इस चीज को समझ लेना चाहिए कि आपके अंदर किसी चीज को चलाने की क्षमता होनी चाहिए और आपका अभ्यास भी होना चाहिए।

○((तंत्र अभ्यास और शोध का विषय है तत्परता से इसके ऊपर शोध और अभ्यास दोनों जारी हैं))।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...