सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

तंत्र सूत्र भाग 01

                   ***।।तन्त्र सूत्र।।***
आप में से जो भी कोई साधक साधना करके कामयाब होना चाहता है तो उसके लिए यह सूत्र में दे रहा हूँ।
साधक के लिए इन नियमों को पालन करते रहना बहुत ज्यादा जरूरी होता है जो साधक इन नियमों का पालन नहीं करता उसकी साधना कभी भी सफल नहीं होती ।
यह साधना क्षेत्र के ऐसे नियम है कि जो नए और पुराने छोटे और बड़े कोई भी साधक हो उन्हें यह मानने ही पढ़ते हैं आशा करता हूं यह नियम आप पर आपके बहुत काम आएंगेयह  नियम आपकी शक्ति के चिरस्थाई आपके साथ रहने के लिए आपको बताए जा रहे हैं ।
क्योंकि कई बार हम सौभाग्य से किसी शक्ति को प्राप्त तो कर लेते हैं लेकिन वह शक्ति कुछ दिन तक ही हमारे साथ रहती है उसके बाद वह शक्ति हमारा साथ छोड़ देती है तो क्या कारण होते हैं अगर इन नियमों का कोई पालन नहीं करता तो उसकी कोई भी शक्ति बहुत अधिक समय तक नहीं टिक पाती ।
सौभाग्य बस जो एक बार आपको शक्ति प्राप्त हुई है कोई जरूरी नहीं कि वह शक्ति आपको दोबारा हासिल हो । मैंने ऐसे बहुत सारे साधकों को देखा है कि सौभाग्य से कोई सिद्धि उनको प्राप्त हो गई लेकिन दोबारा पूरे जीवन में वह लोग अपने माथे को घिसते रह गए लेकिन उनको वह दोबारा शक्ति प्राप्त नहीं हुई अतः कई भक्तों को तो इस चक्कर में मैंने मरता भी देखा है।
क्योंकि जरूरी नहीं कि कोई दूसरा आदमी आपको मारे साधना का क्षेत्र इतना विशाल है कि इसमें एक से एक बड़ा आदमी भरा पड़ा है जिनके पास आध्यात्मिक और तांत्रिक शक्तियां हैं लेकिन अक्सर जो लोग नियमों को तोड़ देते हैं वह चाहे कितने भी सिद्ध तांत्रिक क्यों ना हो उनकी शक्ति नष्ट हो जाती है ।
कुछ साधक मेरे साथ जुड़े हुए हैं और जिनकी शक्तियां कमजोर पड़ गई या बांध दी गई या अवरोधित कर दी गई है उनको इस बात का विश्लेषण करना चाहिए कि कोई साधना का नियम उनसे टूटा तो नहीं बस यही ध्यान देने वाली बात है ।

○ जैसा कि शास्त्रों में बोला गया है गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा , इसका तात्पर्य यह है आप जिस भी शास्त्र में दीक्षा लो बिना गुरु के आपका प्रकाश आपकी विद्या का प्रकाटय संभव नहीं है इसलिए तंत्र क्षेत्र में या किसी भी कर्मकांड में गुरु और गणेश यह पहले पूजा के अधिकारी होते हैं।
○ सबसे पहले जैसे पिता से पुत्र पैदा होता है वैसे ही गुरु के बिना शिष्य नहीं हो सकता पहला नियम यह है आप गुरु जरूर बनाएं उनसे ज्ञान प्राप्त करें उनसे शक्ति दीक्षा अवश्य प्राप्त करें। उनको गुरु दक्षिणा अवश्य प्रदान करें।
○ जिस ईष्ट की आप साधना करना चाहते हो उसके बारे में पूरी जानकारी आपको पहले ही ले लेनी चाहिए।
○ गुरु आपको जो भी मंत्र बताएं उसके अक्षरों को तोड़ मरोड़ कर कभी भी अपनी बुद्धि लगाने की कोशिश ना करें जैसा शब्द आपको मिला है आपको वैसे ही शब्द की साधना करनी है तभी आपकी साधना सफल होगी।
○ जिस घर में छोटे बच्चे हैं उस घर में कभी भी कोई तामसिक क्रिया नहीं करनी चाहिए और कोशिश करना चाहिए जितने भी तामसिक पर योग्य क्रियाएं हैं वह आपको श्मशान इत्यादि में ही करनी चाहिए और घर में प्रवेश करने से पहले जल को सप्रश कर लेना चाहिए।
○अपनी महत्वाकांक्षाओं को आगे रखते हुए साधक को विशेष साधना प्राप्त करने के लिए गुरु से कभी भी जिद नहीं करनी चाहिए अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास रखें और याद रखें कि जब आपके गुरुदेव कृपा करने पर आएंगे तो आप को सबसिद्धियां आसन पर बैठे ही प्राप्त हो जाएगी।
○ इस चीज का विशेष ध्यान आपको साधना काल में रखना होगा कि चमड़े की वस्तुएं चाहे वह परस हो या बेल्ट हो या जैकेट हो कुछ भी हो उसका प्रयोग वर्जित होता है साधना काल में उन सब का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
○ साधना काल में साधक को खटिया जो बाण से बुनी गई हो उसका प्रयोग वर्जित होता है आप तख्ते का प्रयोग कर सकते हो या फिर पूरे साधना काल के दौरान आपको भूमि पर शयन करना होगा।
○ जितना समय तक आपकी साधना चले उतना समय तक अपने आश्रम के अनुकूल संयम और सदाचार ब्रह्मचर्य का पालन करें।
○ मंत्र इष्ट देव और गुरुदेव तीनों पर पूरा भरोसा रखें और पूरे श्रद्धा से किसी भी अनुष्ठान को करें आप के भाव
       के ऊपर आपकी साधना की सफलता निर्भर करती है।
○ सप्ताह में या महीने में एक बार अपने इष्ट के प्रति निराहार व्रत का पालन अवश्य करें शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से आपके इष्ट का निवास व्रत काल में आपकी देह में होता है उससे आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ेगी और आप शक्तियों की कृपा के पात्र बन जाएंगे।
○ साधना काल में मांस मदिरा का सेवन वर्जित होता है आप कोई भी साधना करो सामान्य तौर पर मांस और मदिरा वर्जित ही होती है कुछ विशेष साधना ओं में ही मास और मदिरा भोग के रूप में देवता को दिया जाता है फिर भी उसका सेवन खुद नहीं किया जाता।
○ अपने गुरुदेव के इलावा किसी और व्यक्ति से साधना से संबंधित कोई भी बात करना वर्जित होती है अगर आप किसी व्यक्ति से अपनी साधना के विषय में कुछ बताते हैं कुछ अनुभव ऐसे होते हैं जो हम लोग भावना बस हो करके बता देते हैं तो वह साधना खंडित मानी जाती है।
○ आप कोई भी अनुष्ठान करें लेकिन बिना गुरु के कोई भी अनुष्ठान कभी नहीं करें यह आपकी सफलता का सूत्र बनेगा।
○ साधना के लिए एकांत स्थान की खोज करें घर में ऐसी जगह पर साधना करें जहां पर बहुत अधिक ध्वनि आपके कानों तक ना पहुंचे वह स्थान शुद्ध होना चाहिए।
○ साधना काल में साधक को अपना भोजन खुद ही तैयार करना चाहिए और किसी के घर का पानी भी साधक यदि प्रयोग करता है तो उसको भोजन दोष लगने की संभावना होती है और उसकी साधना खंडित होने का भय होता है।
○ विशेष बात यह है कि साधना काल में नाखून या बाल कटवाना सेव करवाना क्रीम पाउडर इत्र साबुन सुगंधित तेल इनका प्रयोग वर्जित है।
○ आप कोई भी साधना किसी भी पद्धति से करो किसी भी देवता की करो एक जल का पात्र आपके पास होना परम आवश्यक है।
○ यह बात विशेष तौर पर ध्यान दें आप जितने समय के लिए साधना कर रहे हैं एक दीपक पूरी साधना काल में अखंड ज्योति के रूप में चलेगा और साधना संपन्न होने  तक उसे बुझने नहीं देना।
○ कोई भी साधना करनी हो अगर आपने 40 दिन की साधना करनी है या आपने 21 दिन की साधना करनी है तो पहले दिन जो समय रखा जाएगा उसी समय पर प्रतिदिन आपको 1 मिनट कम करते हुए उस समय पर ही बैठना होगा समय आगे पीछे नहीं होगा।
○ साधना काल में दिशा सामान्यतः पूर्व रहती है बाकी सब उस कर्म के ऊपर निर्भर करता है कि आप कैसी साधना कर रहे हो स्थान समय और दिशा यह तीनों पूरी साधना काल में एक ही रहता है।
○ आप कोई भी साधना करो सबसे पहले आपको अपने घर के देवता और पितरों को मनाना होगा उसके बाद आपको नगर देवता की पूजा देनी होगी फिर आप विशेष देवता की पूजा कर सकते हैं तब जाकर ही आपका अनुष्ठान पूरा होगा।
○ साधक को साधना करने से पहले संकल्प लेना होता
       है किसी भी अनुष्ठान को अधूरा कभी मत छोड़ो या    
       शुरू ही मत करो।
○ अगर किसी साधना में साधक कभी नागा कर देता है तो साधना खंडित मानी जाएगी और दोबारा करनी पड़ेगी।
○ जिस अनुष्ठान को आपने करना है उसके मंत्र को सबसे पहले आपको कंठ करना चाहिए बिना कंठ किए किसी साधना पर बैठ जाना आपके लिए साधना के समय बहुत कष्टकारी हो सकता है।
○ अनुष्ठान के सभी जब जाप करोगे जो जल का पात्र आप वहां रखोगे उसे 24 घंटे में बदल देना है उस जल को किसी पेड़ की जड़ में आप डाल सकते हैं।
○ साधना काल में क्रोध हिंसा गाली गलौज लड़ाई चिंता इत्यादि से आपको बचना होगा क्योंकि जब समुद्र मंथन किया गया था तब केवल अमृत वहां से नहीं निकला था उसके साथ विश भी निकला था उसी प्रकार जब हम आत्ममंथन करके किसी मंत्र की साधना करते हैं तो जरूरी नहीं कि हमें दिव्य शक्ति की प्राप्ति हो वहां से कुछ नकारात्मक शक्तियां शुरुआत में जरूर आती हैं  और ऐसा देखा गया है कि जब आपकी साधना संपन्नता की तरफ जाती है तो बिना बात के गुस्सा आना आम सी बात हो जाती है ऐसे में इसका एक ही इलाज है वह है मौन रहना।
○ साधना में साधक को किसी भी जीव को नहीं मारना चाहिए।
○ जिस देवता की आप साधना करो उसका चित्र या विग्रह कोई मूर्ति या प्रतिमा एक आम की पटिया पर सा कपड़ा बिछाकर उसे फूलों से सुसज्जित करके अवश्य वहां रखना चाहिए।
○ साधना शुरू करने से पहले वास्तु शांति नवग्रह शांति कलश स्थापन और भूत शुद्धि इत्यादि या तो खुद कर ले या किसी विद्वान ब्राह्मण को बुला करके उनसे करवा ले इससे आपकी साधना में सफलता के अवसर बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं।
○ जितने दिन की साधना हो इतने दिन आपको अपने इष्ट के प्रति फल फूल पान मिठाई जल इत्यादि जो भी आपने सामान चढ़ाना है वह सामान ताजा होना चाहिए और 24 घंटे बाद नित्य प्रति उसको बदल देना है जो सामान वहां से चढ़ाया हुआ आप इकट्ठा करोगे उसे जल में प्रवाहित कर देना है।
○ साधना काल में अपने वस्त्र और जूठे बर्तन इत्यादि जितने काम होते हैं वह आपको खुद करने चाहिए।
○ साधना में जब आपको कुछ अनुभव हो तो कभी भी डरना नहीं चाहिए साधक को यही याद रखना चाहिए कि यह  मुझे द्वारा पैदा की गई उर्जा है और इसको मैं ही नियंत्रित कर सकता हूं जैसे भगवान नरसिंह को केवल प्रह्लाद भगत ही वश कर पाए। उन अनुभवों को जाने अनजाने कभी दूसरे आदमी को ना बताएं वरना आपकी साधना वही खंडित हो जाएगी।
○ अपनी किसी भी विशेष क्षमता के ऊपर कभी भी घमंड ना करें क्योंकि ईश्वर अहंकार का नाश खुद करते हैं।
○ हमेशा सज्जन और विद्वान लोगों की संगति करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं प्रतिदिन धार्मिक पुस्तकें और ग्रंथों का अध्ययन करें अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं।
○ जैसा गुरु कहे शमशान की साधना श्मशान में होती है कब्रिस्तान की साधना कब्रिस्तान में होती है घर पर की जाने वाली साधना सौम्य होनी चाहिए उग्र साधना कभी घर पर नहीं करनी चाहिए वरना लक्ष्मी जी रूठ जाती हैं।
○ अपने देवता के प्रति होम अज्ञार नित्य प्रति अवश्य करें। एक समय में केवल एक मंत्र या ईष्ट की ही साधना करें।
○ अपनी दिनचर्या का ज्यादा समय जिस ईष्ट कि आप साधना कर रहे होते हैं उसके मनन में गुजारे।
साधक भाई बहनों अपने अनुभव के आधार पर मैंने यह सब बातें और सूत्र आपको बताएं जो साधना की सफलता के लिए परम आवश्यक हैं इसलिए कृपया एक बार इनका विश्लेषण अवश्य करें ताकि आपकी कोई भी की गई साधना निष्फल ना जाए। जल्दी ही इस वीडियो का में दूसरा हिस्सा आपके लिए बनाऊंगा जिसमें प्रारंभिक मंत्र जो साधना में इस्तेमाल किए जाते हैं जो होम को जगाने के लिए देवता को जगाने के लिए ईष्ट को मनाने के लिए प्रयोग आते हैं वह भी आप सब से साझा करूंगा आशा करता हूं यह वीडियो आपके काम आएगी और आप इससे लाभ उठाएंगे जिसको ज्ञान नहीं है वह नए साधक इससे लाभ उठाएंगे अधिक जानकारी के लिए आप हमारे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर संदेश भेज कर संपर्क कर सकते हैं।

रविवार, 13 अक्तूबर 2019

। डायन की साधना।

। डायन की साधना।
दोस्तों यह डायन की साधना करने के लिए जो मंत्र प्रयोग किया जाता है वह तो सब लोगों के पास सामान्यत मिल जाता है लेकिन उसको करने की सही विधि किसी के पास नहीं मिली क्योंकि कोई भी साधना अगर आप ये सोचो कि ये साधन तत्काल और  क्षणिक होगी तो यह संभव नहीं है साधना शब्द की परिभाषा बहुत कठिन है
(किसी कार्य के निमित्त संसार के सभी कार्यों को छोड़ देना साधना कहलाता है )
गुरु की कृपा और मन के इक्कीकरण और स्थिरीकरण के भाव को साधना बोला जाता है जब मन स्थिर हो जाता है तो जो भाव पैदा होते हैं उन्हें सिद्धि बोला जाता है मन की अवस्था को सिद्धा अवस्था बोला जाता है बस आपको सामान्य शब्दों में (टेक्निकल लैंग्वेज) में आपको यह समझा दिया मन का एक भाव में स्थिर होना इतना भी आसान नहीं होता जितना आप लोग सोच लेते हैं कोई भी साधना क्षणिक नहीं होती इसके लिए बहुत समय मन को साधना पड़ता है और बहुत सारे नियमों का पालन करना पड़ता है गुरु की कृपा एक ऐसा साधन है जिसके बिना कोई भी साधना सफल नहीं होता।
प्रत्येक साधक को तन्त्र क्षेत्र में अपना कोई ना कोई गुरु अवश्य धारण करना चाहिए कभी यह ना सोचो कि मेरा भगवान भोलेनाथ गुरु है या मेरी काली माता गुरु है या सीधा सीधा गणेश जी गुरु है या हनुमान जी गुरु है इस बात से मैं सहमत नहीं हूं आपको आवश्यकता तो मनुष्य की पड़ती है ना ? आप के मनोभाव तब तक इतने स्थिर नहीं होते कि आप कह सको की शिव भोलेनाथ आपके गुरु हैं क्योंकि पात्रता का गुरु निर्धारण करता है गुरु को आपने ढूंढना है वह आपने छांटना है किस को गुरु बनाना किसको नहीं।
मित्रों आज साधना आपके लिए मैं लाया हूं वह साधना अपने आप में बहुत शक्तिशाली साधना है और इस साधना को कर लेने के बाद शक्ताचारी हैं देवी उपासक हैं जो उनके लिए साधना बहुत ही उत्तम है। लेकिन कमजोर हृदय वाले साधकों को यह साधना करने की अनुमति हम लोग नहीं दे सकते मंत्र वही होते हैं किरिया बदल जाती है तो परिणाम भी अपने आप बदल जाते हैं।
○आपने पहले भी डायन सिद्धि के बारे में सुना होगा आज मैं आपको बताता हूं कि डायन की साधना सही तरीके से कैसे होती है एक लेखक होने के नाते मेरा यह फर्ज बन जाता है कि आपको सही तत्वों से अवगत करवाउँ
○यह  पूर्णतया शामशानिक साधना है और इसको करने के दो विधान हैं
○एक विधान है 21 दिन का है।
○दूसरा विधान है 41 दिन का है ।
○दोनों ही प्रयोग शामशानिक हैं और दोनों ही भयंकर शक्ति से युक्त यह साधना करने से मनुष्य जल्दी से साधक जल्दी से बीमार नहीं पड़ता ऐसी शक्ति का संचार साधक के शरीर में होने लग जाता है
○साधक को होने वाली घटनाओं का पहले से ज्ञान हो जाता है उस साधक का बुरा करने के लिए कोई भी अगर सोचता भी है तो डायन पहले ही उस आदमी को बीमार कर देती है और अपने साधक की रक्षा करती है
○साधक को कभी भी धन की कमी नहीं आने देती।
○इस साधना को करने के लिए पूर्णतया ब्रह्मचर्य का भाव जो है वह आपके मन में स्थिर हो जाना चाहिए तभी आप इस साधना को कर सकते हो ।
○गुरु आज्ञा लेकर के उत्तम मुहूर्त में यह साधना शुरू करनी चाहिए ऐसे श्मशान का पहले चुनाव कर लेना चाहिए जिसमें प्रतिदिन बैठ कर के यह जाप कर सको और आपको पहले से धैर्य रखना होगा और अपने मन को निडरता पूर्वक स्थिर करना होगा इसमें भयानक आवाजें आनी भयानक दृश्य दिखना आम सी बात है।
○मांस मदिरा का भोग इसमें डायन को प्रतिदिन दिया जाता है।
○इस साधना की मदद से आप आपन तीसरा नेत्र खोल सकते हो।
○इस साधना से वाक सिद्धि प्राप्त होती है।
○काले रंग के कंम्बल का आसन लगाकर बैठकर जाप करें।
○ यह साधना साधक को निर्वस्त्र होकर के करनी होती है।
○बकरे से चर्बी से प्राप्त तेल जो होता है 4 मुंह वाला दिया  मिट्टी से बना हुआ वह लगाना पड़ता है।
○अपने पास कोई नौकरी लाया धारदार हथियार रखना जरूरी होता है ।
○साधना करने से पहले घेरा लगाना परम आवश्यक है ।
○बकरे की माँस चर्बी और गुग्गुल इसकी धूनी देनी होती है। पीली सरसों का इसमें प्रयोग होता है।
○रुद्राक्ष की माला से जाप होता है। माला साधारण ही होगी इस साधना के मंत्र इतनी जागृत हैं कि आप को संस्कारित माला लेने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
○जाप 11 माला प्रतिदिन होता है।
○जाप श्मशान में होता है।
○इसमें तीन मंत्रों से साधना की जाती है। एक मंत्र जो सामान्यतः मिल जाता वह मैं आपको दे रहा हूं बाकी आपको व्यक्तिगत रूप से मुझसे लेने पड़ेंगे।
○ दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठना है सबसे पहले
       रक्षा मंत्र से एक खुला घेरा लगाना है और सारा    
       सामान उसे घेरे के अंदर रख लेना है। थोड़े कोयले   
       जला कर के आपने धूनी देनी है जो मैंने सामान
       आपको बताया है और दीपक अपने सामने चला लेना
       है 4 मुंह वाला जिसमें कि बकरे की चर्बी से प्राप्त
       हुआ तेल होगा।
○ फिर आपको गणेश का मानसिक पूजन करना है उसके बाद काली काल भैरव को नमस्कार करके गुरु मंत्र का एक माला जाप करना है।
○ फिर दिए गए मंत्र का लगातार 11 माला जाप करना है।
○ वह जाप करने के बाद आपको पीली सरसों पर उस मंत्र द्वारा फूकना है और सरसों को अपने चारों और बिखेर देना है।
○ फिर दोबारा जाप में लग जाना है आपको बिना गिनती किए हुए फिर आपको जाप करना है चारों ओर से भयंकर आवाजें और आकृतियां एकदम से आनी शुरू हो जाएगी उन सब की तरफ ध्यान न दे करके आपको पुनः जाप करते रहना है और जब तक वह डायन आपसे वचन मांगने के लिए ना कहे तब तक आपने जाप बंद नहीं करना।
○ इसी क्रम में आपको 21 या 41 दिन यही क्रिया लगातार करनी है जमीन पर ही सोना है ब्रह्मचर्य का पालन करना है और एक पव्वा शराब का 7 पीस बकरे के मांस के टुकड़े हर टुकड़े पर कपूर की छोटी सी टिकिया रख कर के आपको उसे जलाना है और डायन का आवाहन करना है।
○शराब की धार उस डायन के नाम से आपको देनी है और मंत्र पढ़ते हुए धार छोड़नी है बाकी बची हुई शराब वही छोड़ देनी है
○ यह सब करने के बाद आपको चुपचाप घर वापस आ जाना है और बिना किसी से बात किए सो जाना है।
○ जब यह पूजन शुरू करें रात्रि में तो सबसे पहले तो माथे पर कुमकुम का तिलक जरूर लगाएं।
○ एक विशेष बात इस साधना पर आपको कहना चाहता हूं कि जिसके घर में बहुत छोटे बच्चे हो एक तो वही है साधना ना करें और दूसरी बात यह है कि बिना गुरु के इस साधना को ना करें तो आपके लिए बहुत अच्छा होगा क्योंकि वहां अच्छे परिणामों के जगह पर गलत परिणाम आपको मिल सकते हैं।
○ इसमें गुरु का धारण करना इसलिए जरूरी है कि जो नकारात्मक ऊर्जा आपकी साधना के दौरान पैदा हो करके आपके साधना को रोकने की रुकावट डालने की कोशिश करेगी उस ऊर्जा को कंट्रोल करने के लिए एक बंदा पीछे से भी चाहिए।
○ इसका एक फायदा यह है इस साधना को करने के बाद आप किसी भी तंत्र मंत्र को जब आप जागृत करोगे तो वह आसानी से हो जाएगा जिनको साधना में सिद्धि मिलने का संदेह रहता है उनके लिए यह साधना बहुत अच्छी है।
○होम का मन्त्र:- बाबा आदम सिर जंत्र ले माई नारसिंह वीर तेरी करूं बढ़ाई सिंह तडापो ऐके डार बड़ी दयाली भाई उजियार जागे होम जागे आग्यार जागे खेड़ापति रखवाला जागे करवा जागे भरवा जागे वीर मसाण जागे बाबा अघोरी जिन विद्या फटकारी जागे मंत्र तंत्र और यंत्र अली अली मौला मुर्तजा अली मुश्किलकुशा अनी अनभली आवे ना पास आवे तो चली जाये मौजे मुज्जफर की गली या खुली अल्लाह फकीरों की गली।
○डायन का मंत्र:- ओम नमो आदेश गुरु को स्यार की खवासिनी    समुंदर पार धाईं आव बैठी हो तो बैठी हो आव ठाढ़ी हो तो ठाडी हो आव जल्ती आव उछलती आव ना आवै डाकिनी तो जालंधर नाथ की आन शब्द साँचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा।
○रक्षा मन्त्र:- ओम नमो आदेश गुरु का धरती माता धरती पिता धरती धरे ना धीर बाजे सिंगी बाजे तरतरी आया गोरखनाथ मीन का पूत मूँज का छड़ा लोहे का कड़ा यति हनुमंत हमारे पिंड पीछे खड़ा शब्द सांचा पिंड काचा पूर्व मंत्र ईश्वर वाचा।
○ उपरोक्त कथन में और प्रयोग में जो प्रयोग होने वाले तीन मंत्र हैं वह मैंने यहां दिए हैं आशा करता हूं आप सब को लाभ होगा लेकिन कुछ बरीकिया कुछ नुक्ताचीनी वाली बात जो रह जाती है तो वह कहीं ना कहीं सिद्धि होने में अटकल लगाता है आप यह साधना करने से पहले परामर्श जरूर लें।
○ क्योंकि इसमें एक मंत्र की प्रयोग विधि नहीं डाली गई है जो की साधना में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है इसलिए कृपया पहले हमसे एक बार संपर्क कर लें अगर आप अपने आप से साधना करते हो तो आपके फायदे या नुकसान में हमारा कोई लेना-देना नहीं होगा।
○ अपनी तरफ से मैंने यहां पर कोई कमी नहीं छोड़ी कि मैंने बताया ना हो अगर कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा चाहता हूं अपने दृष्टिकोण से मैंने पूरी तरह से यहां दिया है अगर फिर भी कुछ समझ ना आए तो आप मेरे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर व्हाट्सएप द्वारा संदेश भेज करके संपर्क स्थापित कर सकते हैं और संदेश भेजने का जो समय है वह है 11:00 से लेकर के दोपहर 1:30 बजे तक का कृपया कॉल वीडियो कॉल व्हाट्सएप कॉल या ऑडियो कॉल ना करें ऐसा होने पर हो सकता है मैं आपके नंबर को ब्लॉक करने पर मजबूर हो जाऊं क्योंकि प्रतिदिन कोई ना कोई काम करना पड़ता है और जब आप काम कर रहे होते हैं तो यह संभव नहीं हो पाता कि हर बंदे का फोन उठा लो इसलिए आपसे करबद्ध निवेदन है कि कृपया एक बार कॉल करें अधिक बार कॉल करने का कष्ट ना करें यदि मैं उपलब्ध रहूंगा तो मैं आपकी कॉल रिसीव कर लूंगा और अगर मेरा फोन एक साइड में पड़ा होगा और मैं कुछ कर रहा होऊंगा तो फिर संभव नहीं है कि आप बार बार भी कॉल करो तो मैं उठा लूं।

***।।सातो डारी शीतला मन्त्र ।।***

           ***।।सातो डारी शीतला मन्त्र ।।***
यह मंत्र सातों डाली शीतला का है और कौन है कौन सी देवियों को सातो डाली शीतला का नाम दिया जाता है वो सात नाम है कौन से सात रूप है  सातो डाली शीतला के इसमें वस्तुतः यही सात देवियां और उनकी ही विद्या और शक्ति चलती है इनको बहुत जबरदस्त माना जाता है इस साधना में माता शीतला का दर्शन प्राप्त होता है। चेचक रोग को दूर करने के लिए और जिनके माता जी निकल आती हैं उनको हटाने के लिए यह मंत्र झाड़ने के रूप में प्रयोग किया जाता है और ध्यान देने वाली बात यह है  कि कुछ बुद्धिमान लालची लोगों के कारण यह विद्या गुप्त और लुप्त हो रही हैं दुख की बात यह है कि यह विद्या लुप्त हो रही है इसलिए इनके प्रचार के लिए प्रसार के लिए मैं आपको दे रहा हूं ।
ताकि यह विद्या उन लोगों तक पहुचे जिन्हें इसकी जरूरत है   आप इस मंत्र को सिद्ध करें इसका प्रयोग करें खुद भी लाभ उठाएं और दूसरे लोगों का भी कल्याण करें ऐसी मेरी अभिलाषा है आप लोगों से अब दूसरी बात यह है कि हम लोग सातो डाली शीतला का नाम तो ले लेते हैं लेकिन हमें यही पता नहीं होता ही कि सातो डाली शीतला कौन है इन देवियों का नाम क्या है तो मैं आपको यह बता देता हूं कि पहली देवी बुढ़िया माता दूसरी मटारा माता तीसरी लोहाझार माता चौथी कथरिया माता पांचवी सिंधुरिया माता छटी कौड़िया माता सातवी आलसिया माता ये सात नाम है हो सकता है कि क्षेत्र इत्यादि के भेद से भक्तों ने सातों डाली शीतला को  किन्ही और नामों की संज्ञा दे रखी हो  लेकिन  जो मेरे पास ज्ञान है  वह मैं आप लोगों से बांट रहा हूं  जितना कुछ है जैसा भी है  आप लोगों के साथ सांझा कर रहा हूं  यह मंत्र सातों डाली शीतला का मंत्र है बहुत काम का मंत्र है
○इस मंत्र की पहले उपासना की जाती है 21 दिन तक
○पूरा वैष्णव तरीके से रहते हुए
○खानपान का परहेज करते हुए
○रहन सहन का परहेज करते हुए बिल्कुल शुद्धि से  ब्रह्मचर्य युक्त होकर के इस अनुष्ठान को संपन्न करें
○भूमि पर शयन करते हुए
○ इस मंत्र का अनुष्ठान जब तक आप करोगे तो आपको हल्दी वाला भोजन तड़के वाला भोजन इत्यादि सब यह चीजें नहीं खानी है।
○ साबुन क्रीम पाउडर खुशबूदार तेल इत्र इत्यादि आपको प्रयोग नहीं करना है।
○ जब तक इस मंत्र का जाप पूरा नहीं कर लेते 21 दिन तक किसी दूसरे व्यक्ति के घर से आपने खाना नहीं खाना पानी भी नहीं पीना पूरी परहेजगारी रखनी है।
○ साधक चाहे नए हो या पुराने हो उनको पूरे नियम पूरे करने के उपरांत इस अनुष्ठान को पूरे तरीके से करना पड़ेगा और सारे नियमों का पालन करना पड़ेगा तभी यह साधना उनकी सफल होगी।
○ साधना काल में चमड़े की वस्तुएं वर्जित है बेल्ट इत्यादि का प्रयोग ना करें।
○ एक दीपक लगातार 21 दिन तक अखंड दीपक साधना संपन्न होने तक जलता रहेगा।
○ जब भी आप जाप के लिए बैठे तो स्नान करके ही जाप करें।
○इस मंत्र की 11 माला प्रतिदिन जाप करनी होती है
○इस मंत्र का काम  है ताप तिजारी माता के दाने फोड़ा फुंसी कुछ भी अगर आपके ऊपर दिक्कत है या बुखार रहता है तो मोर पंख से या नीम की हरी टहनी से लगा तार झाड़ा डालने से बुखार टूट जाता है ।
○माता जी निकल आती है तो उसको झाड़ने के लिए मंत्र बहुत उत्तम है ।
○जब आप इसे सिद्ध करेंगे तो इसका लाभ उठा सकेंगे
○21 दिन तक आपको पीले कपड़े धारण करके पीले।
○ किसी मंदिर में यहां घर के एकांत कमरे में जिसकी पहले से ही साफ-सफाई कर दी गई हो ।
○ कोई सामान जिसमें ना रखा हो ।
○उस कमरे में पूर्व अभिमुख हो करके अपने सामने आम की पटिया पर सवा मीटर पीला वस्त्र बिछा देना है फिर कलश स्थापित करने के बाद एक दीपक देसी घी का और एक दीपक सरसों के तेल का जलाना है धूप इत्यादि का प्रबंध करना है
○निम्नलिखित जो सामान दिया गया है उसको चौकी पर रखना है फिर गुरु और गणेश की अनुमति लेकर के माता शीतला की अनुमति लेकर के जाप शुरू कर दी है
○आसन पर माता जी को भी पीला ही परिधान चढ़ाना है
○लपसी पूरी पुये गुलगुले लौंग कपूर नींबू अड़हुल के
      फूल का हार और 21 दिनों तक नित्य शीतला जी के
      नाम से पक्की धार देनी है।
      यह चीजें भेट करने से माता शीतल बहुत जल्दी ही     
      बहुत अधिक प्रसन्न होती है
○ अंतिम दिन आम की सूखी लकड़ी जलाकर  जो तिल देसी घी हवन सामग्री से आपको 508 बार हवन करना है।
○ हवन के अंत में पूर्णाहुति के रूप में एक सूखा नारियल जिसे सामान्य भाषा में हवन गोला भी बोला जाता है उसके ऊपर कलावा लपेटकर वह भी से लिपत करके हवन में डालना है और मां भगवती से अपने अनुष्ठान की पूर्णता के लिए संपन्नता के लिए निवेदन करना है।
○ सामान्य तौर पर तीसरे दिन या चौथे दिन भागवती चना मटर गेहूं बाजरा मकई या ऐसे अन्न के रूप में दर्शन देती हैं या कन्या रूप में भी दर्शन दे सकती हैं तो इस इशारे से आप को समझना होगा कि भगवती आपके पास आ चुकी हैं।
○ साधना करने वाले के ऊपर भगवती का आशीर्वाद आ जाता है उसे आशीर्वाद प्राप्त होता लेकिन इसमें एक चीज बहुत ध्यान देने वाली है कि एक बार भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होने के बाद आप जिस की  झाड़-फूंक करोगे मां शीतला के आशीर्वाद से वह ठीक हो जाएगा ₹11 के बताशे नमक की थैली झाड़ू सवा किलो आटा गुड़ और जो भी आपकी स्थानीय मर्यादा से भगवती को जो कुछ भी सामान चढ़ता है वह आपको दिलवाना पड़ेगा वरना जिसका आपने झाड़-फूंक किया होगा उसकी सारी नेगेटिव एनर्जी आपके ऊपर आकर गिरेगी और आप अकारण ही कष्ट में आ जाएंगे और दूसरी और मुख्य बात यह है कि साधक को मांस मदिरा का परित्याग करना पड़ता है और शुद्ध भाव से माता जी का ही सेवक होकर के रहना पड़ता है ऐसा करना करने पर भगवती रुष्ट होकर के ऐसे साधक का नाश कर देती हैं।
○ यह साधना अगर आपने करनी हो तो मुझसे एक बार परामर्श अवश्य करें शुरू करने से पहले इसमें सुबह उठकर के साधना कर लोगे तो बहुत उत्तम होगा।
○जब भी कोई शीतला माता का मरीज़ आये तो 21 बार मन्त्र पढ़ कर मोरपंख या नीम की हरी टहनी से झाड़ दें लगातार 3 दिन या सात दिन झाडने से पूरा आराम होगा जब मरीज ठीक हो जाए तो आपको मरीज के हाथों ₹11 के बताशे बटवा देने हैं शीतला माता के नाम से।
○अगर आपके घर में शीतला जी का दोष है या कोई ऐसा संकट शीतला जी के क्रोध के कारण आया है।
○ कुलदेवी या ईष्ट देवी माता शीतला हैं तो आपको यह मंत्र बहुत लाभप्रद होगा । कई लोग कई लोग ऐसे होते हैं जिनके किसी पारिवारिक सदस्य के सिर के ऊपर मां शीतला का वास अवश्य होता है सवारी भी आती है लेकिन मंत्रणा होने के कारण वह ठीक से किसी का भला नहीं कर पाते तो उनके लिए भी यह मंत्र लाभप्रद होगा और आप इस साधना को करें मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं ।

                     ***।। मन्त्र ।।***
सात भवानी शीतला माई,नीमिया की डार बिराजे सातो,ज्वर काटे जंजार काटे, काटे बन्धन सारे।देह मस्तक सन्ताप को काटे,सब बन्धन को काटे।मूरी जूरी सभी को काटे लौंग सुपारी की भेंट तुम्हारी। तेरे द्वारे माली बैठा गावे पूजा पचरा भेंट।दुहाई बूढ़ी माई की।दुहाई मटारा माईं की।दुहाई लोहाझार माईं की। दुहाई कथरिया माईं की। दुहाई सिंदुरिया माईं की। दुहाई कोडइया माई की।दुहाई आलसिया माई की।

लेकिन इस साधना को कभी भी बिना परामर्श के ना करें।
अधिक जानकारी के लिए आप मेरे व्हाट्सएप नंबर 81949 51381 के ऊपर संदेश भेज कर संपर्क स्थापित कर सकते हैं मैसेज भेजने का समय दोपहर 11 से दोपहर 1 बजे तक ।कृपया बिना आज्ञा वीडियो वॉइस या व्हाट्सएप कॉल ना करें उस परिस्थिति में आपके नंबर को ब्लॉक कर दिया जाएगा।

श्री झूलेलाल चालीसा।

                   "झूलेलाल चालीसा"  मन्त्र :-ॐ श्री वरुण देवाय नमः ॥   श्री झूलेलाल चालीसा  दोहा :-जय जय जय जल देवता,...