। डायन की साधना।
दोस्तों यह डायन की साधना करने के लिए जो मंत्र प्रयोग किया जाता है वह तो सब लोगों के पास सामान्यत मिल जाता है लेकिन उसको करने की सही विधि किसी के पास नहीं मिली क्योंकि कोई भी साधना अगर आप ये सोचो कि ये साधन तत्काल और क्षणिक होगी तो यह संभव नहीं है साधना शब्द की परिभाषा बहुत कठिन है
(किसी कार्य के निमित्त संसार के सभी कार्यों को छोड़ देना साधना कहलाता है )
गुरु की कृपा और मन के इक्कीकरण और स्थिरीकरण के भाव को साधना बोला जाता है जब मन स्थिर हो जाता है तो जो भाव पैदा होते हैं उन्हें सिद्धि बोला जाता है मन की अवस्था को सिद्धा अवस्था बोला जाता है बस आपको सामान्य शब्दों में (टेक्निकल लैंग्वेज) में आपको यह समझा दिया मन का एक भाव में स्थिर होना इतना भी आसान नहीं होता जितना आप लोग सोच लेते हैं कोई भी साधना क्षणिक नहीं होती इसके लिए बहुत समय मन को साधना पड़ता है और बहुत सारे नियमों का पालन करना पड़ता है गुरु की कृपा एक ऐसा साधन है जिसके बिना कोई भी साधना सफल नहीं होता।
प्रत्येक साधक को तन्त्र क्षेत्र में अपना कोई ना कोई गुरु अवश्य धारण करना चाहिए कभी यह ना सोचो कि मेरा भगवान भोलेनाथ गुरु है या मेरी काली माता गुरु है या सीधा सीधा गणेश जी गुरु है या हनुमान जी गुरु है इस बात से मैं सहमत नहीं हूं आपको आवश्यकता तो मनुष्य की पड़ती है ना ? आप के मनोभाव तब तक इतने स्थिर नहीं होते कि आप कह सको की शिव भोलेनाथ आपके गुरु हैं क्योंकि पात्रता का गुरु निर्धारण करता है गुरु को आपने ढूंढना है वह आपने छांटना है किस को गुरु बनाना किसको नहीं।
मित्रों आज साधना आपके लिए मैं लाया हूं वह साधना अपने आप में बहुत शक्तिशाली साधना है और इस साधना को कर लेने के बाद शक्ताचारी हैं देवी उपासक हैं जो उनके लिए साधना बहुत ही उत्तम है। लेकिन कमजोर हृदय वाले साधकों को यह साधना करने की अनुमति हम लोग नहीं दे सकते मंत्र वही होते हैं किरिया बदल जाती है तो परिणाम भी अपने आप बदल जाते हैं।
○आपने पहले भी डायन सिद्धि के बारे में सुना होगा आज मैं आपको बताता हूं कि डायन की साधना सही तरीके से कैसे होती है एक लेखक होने के नाते मेरा यह फर्ज बन जाता है कि आपको सही तत्वों से अवगत करवाउँ
○यह पूर्णतया शामशानिक साधना है और इसको करने के दो विधान हैं
○एक विधान है 21 दिन का है।
○दूसरा विधान है 41 दिन का है ।
○दोनों ही प्रयोग शामशानिक हैं और दोनों ही भयंकर शक्ति से युक्त यह साधना करने से मनुष्य जल्दी से साधक जल्दी से बीमार नहीं पड़ता ऐसी शक्ति का संचार साधक के शरीर में होने लग जाता है
○साधक को होने वाली घटनाओं का पहले से ज्ञान हो जाता है उस साधक का बुरा करने के लिए कोई भी अगर सोचता भी है तो डायन पहले ही उस आदमी को बीमार कर देती है और अपने साधक की रक्षा करती है
○साधक को कभी भी धन की कमी नहीं आने देती।
○इस साधना को करने के लिए पूर्णतया ब्रह्मचर्य का भाव जो है वह आपके मन में स्थिर हो जाना चाहिए तभी आप इस साधना को कर सकते हो ।
○गुरु आज्ञा लेकर के उत्तम मुहूर्त में यह साधना शुरू करनी चाहिए ऐसे श्मशान का पहले चुनाव कर लेना चाहिए जिसमें प्रतिदिन बैठ कर के यह जाप कर सको और आपको पहले से धैर्य रखना होगा और अपने मन को निडरता पूर्वक स्थिर करना होगा इसमें भयानक आवाजें आनी भयानक दृश्य दिखना आम सी बात है।
○मांस मदिरा का भोग इसमें डायन को प्रतिदिन दिया जाता है।
○इस साधना की मदद से आप आपन तीसरा नेत्र खोल सकते हो।
○इस साधना से वाक सिद्धि प्राप्त होती है।
○काले रंग के कंम्बल का आसन लगाकर बैठकर जाप करें।
○ यह साधना साधक को निर्वस्त्र होकर के करनी होती है।
○बकरे से चर्बी से प्राप्त तेल जो होता है 4 मुंह वाला दिया मिट्टी से बना हुआ वह लगाना पड़ता है।
○अपने पास कोई नौकरी लाया धारदार हथियार रखना जरूरी होता है ।
○साधना करने से पहले घेरा लगाना परम आवश्यक है ।
○बकरे की माँस चर्बी और गुग्गुल इसकी धूनी देनी होती है। पीली सरसों का इसमें प्रयोग होता है।
○रुद्राक्ष की माला से जाप होता है। माला साधारण ही होगी इस साधना के मंत्र इतनी जागृत हैं कि आप को संस्कारित माला लेने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
○जाप 11 माला प्रतिदिन होता है।
○जाप श्मशान में होता है।
○इसमें तीन मंत्रों से साधना की जाती है। एक मंत्र जो सामान्यतः मिल जाता वह मैं आपको दे रहा हूं बाकी आपको व्यक्तिगत रूप से मुझसे लेने पड़ेंगे।
○ दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके बैठना है सबसे पहले
रक्षा मंत्र से एक खुला घेरा लगाना है और सारा
सामान उसे घेरे के अंदर रख लेना है। थोड़े कोयले
जला कर के आपने धूनी देनी है जो मैंने सामान
आपको बताया है और दीपक अपने सामने चला लेना
है 4 मुंह वाला जिसमें कि बकरे की चर्बी से प्राप्त
हुआ तेल होगा।
○ फिर आपको गणेश का मानसिक पूजन करना है उसके बाद काली काल भैरव को नमस्कार करके गुरु मंत्र का एक माला जाप करना है।
○ फिर दिए गए मंत्र का लगातार 11 माला जाप करना है।
○ वह जाप करने के बाद आपको पीली सरसों पर उस मंत्र द्वारा फूकना है और सरसों को अपने चारों और बिखेर देना है।
○ फिर दोबारा जाप में लग जाना है आपको बिना गिनती किए हुए फिर आपको जाप करना है चारों ओर से भयंकर आवाजें और आकृतियां एकदम से आनी शुरू हो जाएगी उन सब की तरफ ध्यान न दे करके आपको पुनः जाप करते रहना है और जब तक वह डायन आपसे वचन मांगने के लिए ना कहे तब तक आपने जाप बंद नहीं करना।
○ इसी क्रम में आपको 21 या 41 दिन यही क्रिया लगातार करनी है जमीन पर ही सोना है ब्रह्मचर्य का पालन करना है और एक पव्वा शराब का 7 पीस बकरे के मांस के टुकड़े हर टुकड़े पर कपूर की छोटी सी टिकिया रख कर के आपको उसे जलाना है और डायन का आवाहन करना है।
○शराब की धार उस डायन के नाम से आपको देनी है और मंत्र पढ़ते हुए धार छोड़नी है बाकी बची हुई शराब वही छोड़ देनी है
○ यह सब करने के बाद आपको चुपचाप घर वापस आ जाना है और बिना किसी से बात किए सो जाना है।
○ जब यह पूजन शुरू करें रात्रि में तो सबसे पहले तो माथे पर कुमकुम का तिलक जरूर लगाएं।
○ एक विशेष बात इस साधना पर आपको कहना चाहता हूं कि जिसके घर में बहुत छोटे बच्चे हो एक तो वही है साधना ना करें और दूसरी बात यह है कि बिना गुरु के इस साधना को ना करें तो आपके लिए बहुत अच्छा होगा क्योंकि वहां अच्छे परिणामों के जगह पर गलत परिणाम आपको मिल सकते हैं।
○ इसमें गुरु का धारण करना इसलिए जरूरी है कि जो नकारात्मक ऊर्जा आपकी साधना के दौरान पैदा हो करके आपके साधना को रोकने की रुकावट डालने की कोशिश करेगी उस ऊर्जा को कंट्रोल करने के लिए एक बंदा पीछे से भी चाहिए।
○ इसका एक फायदा यह है इस साधना को करने के बाद आप किसी भी तंत्र मंत्र को जब आप जागृत करोगे तो वह आसानी से हो जाएगा जिनको साधना में सिद्धि मिलने का संदेह रहता है उनके लिए यह साधना बहुत अच्छी है।
○होम का मन्त्र:- बाबा आदम सिर जंत्र ले माई नारसिंह वीर तेरी करूं बढ़ाई सिंह तडापो ऐके डार बड़ी दयाली भाई उजियार जागे होम जागे आग्यार जागे खेड़ापति रखवाला जागे करवा जागे भरवा जागे वीर मसाण जागे बाबा अघोरी जिन विद्या फटकारी जागे मंत्र तंत्र और यंत्र अली अली मौला मुर्तजा अली मुश्किलकुशा अनी अनभली आवे ना पास आवे तो चली जाये मौजे मुज्जफर की गली या खुली अल्लाह फकीरों की गली।
○डायन का मंत्र:- ओम नमो आदेश गुरु को स्यार की खवासिनी समुंदर पार धाईं आव बैठी हो तो बैठी हो आव ठाढ़ी हो तो ठाडी हो आव जल्ती आव उछलती आव ना आवै डाकिनी तो जालंधर नाथ की आन शब्द साँचा पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा।
○रक्षा मन्त्र:- ओम नमो आदेश गुरु का धरती माता धरती पिता धरती धरे ना धीर बाजे सिंगी बाजे तरतरी आया गोरखनाथ मीन का पूत मूँज का छड़ा लोहे का कड़ा यति हनुमंत हमारे पिंड पीछे खड़ा शब्द सांचा पिंड काचा पूर्व मंत्र ईश्वर वाचा।
○ उपरोक्त कथन में और प्रयोग में जो प्रयोग होने वाले तीन मंत्र हैं वह मैंने यहां दिए हैं आशा करता हूं आप सब को लाभ होगा लेकिन कुछ बरीकिया कुछ नुक्ताचीनी वाली बात जो रह जाती है तो वह कहीं ना कहीं सिद्धि होने में अटकल लगाता है आप यह साधना करने से पहले परामर्श जरूर लें।
○ क्योंकि इसमें एक मंत्र की प्रयोग विधि नहीं डाली गई है जो की साधना में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है इसलिए कृपया पहले हमसे एक बार संपर्क कर लें अगर आप अपने आप से साधना करते हो तो आपके फायदे या नुकसान में हमारा कोई लेना-देना नहीं होगा।
○ अपनी तरफ से मैंने यहां पर कोई कमी नहीं छोड़ी कि मैंने बताया ना हो अगर कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा चाहता हूं अपने दृष्टिकोण से मैंने पूरी तरह से यहां दिया है अगर फिर भी कुछ समझ ना आए तो आप मेरे व्हाट्सएप नंबर 8194951381 के ऊपर व्हाट्सएप द्वारा संदेश भेज करके संपर्क स्थापित कर सकते हैं और संदेश भेजने का जो समय है वह है 11:00 से लेकर के दोपहर 1:30 बजे तक का कृपया कॉल वीडियो कॉल व्हाट्सएप कॉल या ऑडियो कॉल ना करें ऐसा होने पर हो सकता है मैं आपके नंबर को ब्लॉक करने पर मजबूर हो जाऊं क्योंकि प्रतिदिन कोई ना कोई काम करना पड़ता है और जब आप काम कर रहे होते हैं तो यह संभव नहीं हो पाता कि हर बंदे का फोन उठा लो इसलिए आपसे करबद्ध निवेदन है कि कृपया एक बार कॉल करें अधिक बार कॉल करने का कष्ट ना करें यदि मैं उपलब्ध रहूंगा तो मैं आपकी कॉल रिसीव कर लूंगा और अगर मेरा फोन एक साइड में पड़ा होगा और मैं कुछ कर रहा होऊंगा तो फिर संभव नहीं है कि आप बार बार भी कॉल करो तो मैं उठा लूं।
रविवार, 13 अक्तूबर 2019
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