गुरुवार, 17 नवंबर 2022
बगलामुखी मन्त्र साधना।
शुक्रवार, 4 नवंबर 2022
नगर खेड़े का मंत्र और उसका सिद्धि प्रयोग
नगर खेड़े का मंत्र और उसका सिद्धि प्रयोग
सभी साधक और साधकों को प्रणाम और सभी विद्वान जनों को भी प्रणाम यह प्रयोग नगर खेड़े का प्रयोग है जोकि ग्राम देवता भोमिया और डीह बाबा के नाम से प्रसिद्ध है।
यह देवता एक जागृत और प्राचीन देवता है इसका संबंध भैरव से भी है क्षेत्रपाल भैरव भी इसी की एक संज्ञा है।
इसे सिद्ध कर लेने के पश्चात साधक को भूत प्रेत इत्यादि का किसी तरह का भय नहीं रहता साधक स्वयं सिद्ध पुरुष बन जाता है
और उसकी मनोवांछित इच्छा को बाबा पूरा करते हैं यह स्वयं शिव का रूप है रूद्र का अवतार है रूद्र का गाना है उसी का प्रतिरूप है और वैसे ही शक्ति एवं वैसी ही भोली फितरत के मालिक हैं भगत को मुंह मांगा विश्ड प्रदान करते हैं तथा किसी तरह की कोई कमी नहीं आती नगर खेड़े को उत्तर प्रदेश में डी बोला जाता है और पंजाब में नगर खेड़ा हरियाणा और राजस्थान में भोमिया और दक्षिण भारत में से ग्राम देवता बोला जाता है कुछ क्षेत्रों में इसे ग्रामदेवता बोला जाता है यह एक ऐसी शक्ति है कि जिसकी इजाजत के बिना उस क्षेत्र में कोई भी दूसरी शक्ति प्रवेश नहीं कर सकती चाहे वह कितनी भी बड़ी हो तांत्रिकों की सिद्धियों का शुरुआत यही से होता है और जितनी भी भूत विद्या का संचालन है वह इसी देवता के दिन हुआ करता है अगर कोई तांत्रिक है इनकी सेवा या सिद्धि नहीं करता तो उसे पूर्ण तांत्रिक नहीं माना जाता आज मैं आपको इनका एक अलग मंत्र दे रहा हूं जिससे आसानी से आप इसे सिद्ध कर लेंगे आपको करना क्या है दो नए सफेद रंग के कुर्ते पजामे और पढ़ना से लाना है और लगाना है आपने वह वस्त्र तभी पहने हैं खड़े पर जाना है जाप करने के लिए सुबह आपने 3:04 बजे उठना है उसके उपरांत आप को कच्चा दूध और उसमें ढेर सारा पानी मिला देना उसको आपने ले जाना है नगर खेड़े को स्नान कराना है नमस्कार कर के अंदर घोषणा है स्नान कराने के उपरांत आपने वहां पर धूप दीप जो भी आप कर सकते हो वह करना है उसके बाद आप को नमस्कार करके वापस अपने पूजा स्थल पर घर पर आ जाना है वह कमरा पूर्णतया एकांत का हो और उसमें कोई आता-जाता ना हो पूरा साफ-सुथरा कमरा होना चाहिए आसन पूर्व की तरफ लगा के r11 अगरबत्ती जो सामने लोंग इलाइची पान लड्डू और दिया धूप ऐसा होना चाहिए खिलाड़ी के नाम का आपने एक जल पात्र भी रखना है वहां पर और सिद्धि के लिए संकल्प करके वहां कल स्थापित करें और नगर खेड़ा बाबा से अपनी साधना कर रहे हैं उसके लिए इजाजत ले ले उससे पहले आप अपने घर के देवता को मना ले फिर आपने संडे को स्नान करवाने के बाद जब घर आना है तो बैठकर के डेढ़ से 2 घंटे जाप करना है उनका आपको तीसरे ही दिन रूहानी अनुभव होने शुरू हो जाएंगे एवं चमत्कार भरे आश्चर्य होंगे इस दौरान आपने कोई भी अश्लील साहित्य ना पढ़ना है ना देखना है कुछ ऐसा पूर्णतया ब्रह्मचर्य भूमि से रखना है ना तो बोतल बोलना है आपने और ना ही किसी से झगड़ा लड़ाई झूठ क्लेश करना है आपने सिर्फ नगर खेड़ा भगवान के चरणों में ध्यान रखना अब मैं उनका मंत्र आपको बता रहा हूं यह
मंत्र इस प्रकार है
बिस्मिल्लाह ए रहमान ए रहीम बाईस सौ ख्वाजा तेईस सौ पीर रामचंद्र चलावे तीर हाजिर हो जा मेरे नगर खेड़ा पीर मेरी आन मेरे गुरु की आन ईश्वर गोरा महादेव पार्वती की दहाई गुरु गोरखनाथ की आन चले आदेश आदेश आदेश
यह ग्रामीण भाषा का बहुत अति प्रसन्न करने वाला मंत्र है और मुझे 3 साल तक विनती कर वह करके किसी महापुरुष से यह मैं हासिल कर सका और बहुत ही कठिन परिश्रम से यह मंत्र मेरे को मिला आज भी यह मंत्र मेरे पास पूरी तरह काम करता है जो कोई इसे जमाना चाहे आजमा के देख सकता है हां जब भी आपने यह सेवा शुरू करनी है नगर खेड़े महाराज की तो बीच में नागा नहीं डालना भूमि पर सोना है अपने विचारों को शुद्ध रखना है और शाम को ख्वाजा पीर की हाजिरी सभा मुट्ठी कच्चे चावल शक्कर घी और नो लोंगर 11 लोंग डालकर चलते पानी में जल प्रवाह करने हैं इसमें बहुत राह के सपने आते हैं अगर हम ख्वाजा पीर की हाजिरी नहीं डालते तो रात्रि को सपन दोष होने का डर रहता है किसी भी गर्म वस्तु का प्रयोग ना करें मांस मछली शराब अंडा और नशे इत्यादि सब वर्जित है किसी भी चीज का प्रयोग ना करें वरना अगर स्वपन दोष हो गया तो उसे ठीक नहीं माना जाता हालांकि स्वपनदोष से डर कर कभी भी आदमी को पाठ पूजा नहीं छोड़ना चाहिए और लगातार उसको करना चाहिए तभी जाकर के सादा को सिद्धि मिलती है कोई भाइयों को इनको इसको दो तीन बार करना पड़ता है तब जाकर इसकी सिद्धि मिलती है।
मेरा शुभ आशीर्वाद आपका कल्याण हो 🙌
बंधी हुई दुकान खोलने का मंत्र।
गुरुवार, 3 नवंबर 2022
श्री गणेश सिद्धि।
श्यामा काली सिद्धि
मंगलवार, 1 नवंबर 2022
घर की शांति
शांतिकर्म के कर्म में गृहशांति के प्रयोग दिये गये हैं। यह प्रयोग नवग्रहों वाली शांति से भिन्न है।
इसमें घर के अंदर विभिन्न प्रकार के दैवीय कारणों से उत्पन्न होने वाली आपत्तियों-विपत्तियों के लिए ये प्रयोग दिया गया है।
घर के शांत-सुखद वातावरण को कलुषित और अशांत करने के बहुत से कारण होते हैं।
उनमें से चार कारणों को प्रमुखता से देखा जा सकता है। गृह अशांति के चार प्रमुख कारण भौतिक, दैविक, अभिचारिक और पित-प्रेत दोष हैं।
व्यक्ति के दुराग्रह, स्वभाव की कटुता और हठधर्मिता से उत्पन्न विवादास्पद परिस्थितियों से होने वाली अशांति तथा अनावश्यक रूप से वाद-विवाद के प्रकरण खड़े कर देने में गृह की शांति भंग हो जाती है।
जब व्यक्ति स्वयं को दूसरों की अपेक्षा उच्च, श्रेष्ठ और ज्ञानी मानकर दूसरों को उपेक्षा और लघुता की दृष्टि से देखता है, तब भी जीवन के किसी-न-किसी मोड़ पर किसी व्
इस प्रकार कहा जा सकता है कि गृह अशांति के भौतिक कारण व्यक्ति द्वारा स्वयं ही उत्पन्न किए हुए होते हैं। गृह-शांति को प्रभावित करने में इस जन्म और पूर्व जन्म के पाप-कर्म अधिक प्रभावी होते हैं और इन्हीं को गृह-अशांति के लिए दैविक कारण माना जाता है।
काफी लग्न, श्रम और योग्यता के बाद भी किसी व्यक्ति को उसके क्षेत्र में निरंतर असफलता मिलते जाने को दैविक कारण के अलावा और भला कहा भी क्या जा सकता है।
दुरैव की दिशा में कभी-कभी आनुष्ठानिक व्यवस्थाएं भी निष्फल ही सिद्ध होती हैं किंतु ऐसी विषम परिस्थिति में शाबर मन्त्र साधना बड़ी प्रभावी होती है।
अभिचारिक कर्मों द्वारा जब किसी के गृह की शांति को अशांति में बदल दिया जाता है तो उस व्यक्ति और उसके परिवार की स्थिति विक्षिप्तों के समान हो जाता है। यह स्थिति तब तक बनी रहती है. जब तक कि अभिचार कमों के प्रतिकार स्वरूप कुछ उपाय न किए जाएं। ऐसे उपायों का शाबर मंत्रों में महत्वपूर्ण स्थान है।
पित्रात्माएं सभसे अधिक अपना प्रभाव संतति और व्यवसाय पर कुप्रभाव डालती है। पितृत्माओं के रुष्ट हो जाने पर बिना कोई कारण सामने आए आय के स्रोत अवरुद्ध होते प्रति हीने लगते हैं। और बने बनाए काम भी बिगड़ते दिखाई देते हैं। व्यक्ति करना और कहना ती कुछ चाहता है, जबकि स्वतः होता कुछ और कहा कुछ और। ऐसे व्यक्ति को रात की नींद और दिन का चैन उड़ जाता है।
पितत्माओं के समान ही प्रेत भी वायवीय प्राणी होते हैं। उनके पास भौतिक देह नहीं होती। यही कारण है कि वे किसा भी प्रकार की कामना और वासना आदि से वंचित होते हैं।
जब उन्हें अपनी अतृप्त कामना या वासना की पूर्ति करनी होती है तो ये किसी माध्यम (स्त्री-पुरुष, बालक आदि) के द्वारा ही ऐसा करते हैं।
प्रेतों में परकाया प्रवेश की सामर्थ्य होती है। वे प्रायः इस प्रकार के लोगों की अपना माध्यम बनाते हैं, जो दुराचारी, अपवित्र, अभक्षी और दुष्ट प्रकृति के जोकि इस प्रकार के स्त्री-पुरुषों को भी अपना शिकार बना लेते हैं, जिनसे कभी उनकी शत्रुता रही हो अथवा जिनके कारण उन्हें मृत्यु का ग्रास बनना पड़ा हो।
किसी भी व्यक्ति को प्रेतग्रस्त स्थिति दो प्रकार की होती है। पहली स्थिति में प्रेतग्रस्त होने पर व्यक्ति प्रेत के आवेश से कांपने लगता है और उसका स्वर-भंग होकर बदल जाता है। उस व्यक्ति की आँख लाल होने लगती हैं और वह अपने सामान्य बन सामय की अपेक्षा कई गुना अधिक शक्तिशाली प्रतीत होने लगता है। प्रेत आवेशित व्यक्ति यदि कुछ खाने पीने की वस्तुओं को ग्रहण करता है तो वह वास्तव में उस व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि उस प्रेत द्वारा ग्रहण की जाती है। दूसरी स्थिति में प्रेतग्रस्त होने पर व्यक्ति के ऊपर प्रेत का आवेश स्पष्ट रूप दृष्टिगोचर नहीं होता, बल्कि ऐसा व्यक्ति कुछ विचित्र प्रकार के कार्य करने लगता है। कभी-कभी प्रेत-पीड़ा में व्यक्ति पर न तो किसी प्रकार का आवेश ही दृष्टिगत होता है और न ही उसके कार्यों में किसी प्रकार की विचित्रता प्रकट होता है। प्रेतग्रस्त दशा को इस स्थिति का आभास एकाएक ही उस व्यक्ति अथवा उसके परिवार पर आने वाले अकल्पित संकटों और परिस्थितियों से होता है।
प्राय: प्रेतात्माएं चार प्रमुख कारणों से व्यक्ति की ओर आकृष्ट होती है। इन कारणों में पहला कारण तो यह है कि स्वयं प्रेत अपनी वासनापूर्ति के कारण स्त्री पुरुष की ओर आकर्षित होती है।
दूसरा कारण किसी व्यक्ति द्वारा प्रेत के जीवनकाल से जुड़े प्रतिशोध को माना जाता है।
तीसरा कारण व्यक्ति का अपवित्र वातावरण में रहना अथवा अपवित्रता को ग्रहण करना है। प्राय: प्रेतात्माए अपवित्रता को पसंद करती हैं;
अतः वे स्वभावतः इस प्रकार के व्यक्ति को अपना शिकार बना लेती हैं।
ओझा-तांत्रिक के द्वारा प्रेतात्मा को आहूत करके किसी व्यक्ति विशेष को शिकार बनाने के लिए प्रेरित करना होता है।
इस लेख में विभिन्न प्रकार के शांति-पष्टि कर्म हेतु एक विशेष शाबर में को प्रस्तुत किया गया है।
इस मंत्र की नियमानुसार सिंद्धि कर लने पर ये अपना यथोचित प्रभाव प्रकट करने लगते हैं।
ग्रहशांति हेतु विशिष्ट शाबर मंत्र
ॐ नमो आदेश गुरु को!
घर बांधू घर-कोने बांधू और बांधू सब द्वारा,
जगह-जमीन को संकट बांधू बांधू मैं चौबारा।
फिर बांधू मैली मुसाण को और कीलं पिछवाड़ा,
आगे-पीछे डाकन कीलू आंगन और पनाड़ा।
कोप करत कुलदेवी कीलू पितरों का पतराड़ा।
कीलू भूत भवन की भंगन,
कीलूं कील कील नरसिंग।
जय बोलो ओम नमो नरसिंह भगवान करो सहाई,
या घर को रोग-शोक,
दुःख-दलिहर, भूत-परेत,
शाकिनी-डाकिनी,
मैली मशाण नजर-टोना,
न भगाओ-तो लाख-लाख आन खाओ।
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र सांचा,
ईश्वरोवाचा ॐ नमो गुरु को।
यह विशिष्ट शाबर मंत्र किसी पर्व सूर्य चन्द्र ग्रहण दीपावली व होलिका दहन की रात्रि में भी सिद्ध किया जाता है।
इस रात्रि में एक एकांत कमरे में गो-घृत का दीप प्रज्वलित करके एक चौकी पर रखा जाए। उस चौकी पर नया लाल अथवा गुलाबी रंग का रेशमी कपडा बिछा दिया जाए। चौकी के बीचों-बीच पुओं का ढेर स्थापित करके उसमें ईश्वरीय रूप-भाव की आस्था करें। फिर उसका हल्दी, गुड़ और धूपादि से पूजन करें। तत्पश्चात् उपरोक्त मंत्र की एक माला का जप करके मंत्र को सिद्ध कर लें। और पुओं के ढेर को किसी तालाव अथवा नदी में विसर्जित कर दें।
जब गृह शांति के लिए इस मंत्र की आवश्यकता हो तो रात्रिकाल में नागफनी का कील लें। बाधा-पीडित ग्रह के किसी साफ-स्वच्छ कमरे में एक नए गुलाबी के कपड़े को काष्ठ की एक चौकी पर बिछा दें। चौकी पर सात अन्न की ढेरिया और चौकी के चारों कोनों पर सात-सात पूडी रख दें। प्रत्येक पूड़ी के ढेर पर हलवे कुछ मात्रा रखें।
चौकी पर पंचमेवा, फल और प्रसाद भी रखें। चौकी के नीचे या चावल के छोटे-से ढेर पर एक दीपक जलाकर रखें। धूप-आरबत्ती से वातावरण को सुगंधित बनाते हुए नौ कीलें तथा नौ नींबुओं पर इक्यावन बार सिद्ध कीए गए मंत्र का जप करें तत्पश्चात् नौ कोलों को नौ नौबुओं में गाड़ दें।
इन कीलित नींबुओं में से चार नींबुओं को गृह के चारों कोनों में गाड़ दें।
एक कोलित नींबू गृह के प्रवेश द्वार पर,
एक जल रखने के स्थान पर,
एक गृह के आगे,
एक पीछे और
एक नींबू पतनाले के नीचे गाड़ देना चाहिए।
इन कीलित नींबुओं को गाढ़ते समय बराबर मंत्र जाप करते रहना चाहिए।
यह सम्पूर्ण उपाय करने के उपरांत चौकी तथा चौकी के नीचे रखे सभी उन पदार्थों को, जो इस उपाय में प्रयुक्त किए गए थे, उन्हें किसी एकांत स्थान पर रख आएं। उपरोक्त प्रक्रिया करने से गृह बाधा से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
यह प्रयोग शुक्ल पक्ष की अष्टमी अथवा चतुर्दशी को करने पर विशेष लाभ मिलता है। इस प्रयोग के अगले दिन गृह स्वामी प्रातः यथाशक्ति ब्राह्मण को भोजन, गाय को चारा-पानी तथा दान-पुण्य करें।
माता मैदानन को खुद शांत करें।
माता मैदानन जोकि जो कि पूरे उत्तर भारत में पूजी जाती हैं ये देवी हर एक घर में पूजी जाती है और सभी की मनोकामना पूरी होती हैं। एक समय की बात है जब सबल सिंह बावरी पीर जंग में मुगलों के साथ लड़ रहे थे तो माता शाम कोर को उन्होंने मुगलों से बचाया और अपने साथ ले आए ।और उसके बाद वह और जंगल में शिकार करने चले गए जब माता मैदानन ने माता शाम कोर को अपनी चुनरी उड़ा दी उतने में बाबा सबल सिंह बावरी वापस लौटे तो क्या देखते हैं माता मैदानन अपनी खटिया पर बैठी हुई है जब माता मैदानन को उन्होंने तीन बार बहन संबोधन किया लेकिन जब देखा तो वह माता श्याम कौर थी तब सबल सिंह बावरी ने यह वचन दिया कि आज के बाद आप मेरी बहन हो और मैं आपकी हर तरह से रक्षा करूंगा। कुछ देर बार बाबा बावड़ी को कुछ दिनों बाद बाहर शिकार पर जाना पड़ा और उतने में मुगल श्याम कौर को ढूंढते ढूंढते वहां पर आ पहुंचे।और माता श्याम कौर को उठाकर के अपहरण करके ले जाने लगे इतने में मैदानन ने अपना इलम चलाया और इल्म से माता श्याम कौरके शीश को धड़ से अलग कर दिया देख कर के मुगल हक़के-बक्के रह गए और कुछ बनता ना देख कर के मुगल भागने लगे उनके धड़ को लेकर के लेकिन शीश उनसे छूट गया जब आगे जाकर कि उन्होंने देखा कि शाम कौर का शीश हमसे छूट गया है तो उन्होंने उनका संस्कार करना उचित समझा उतने से बाबा बावड़ी शिकार करके जब लौटते हैं तो माता मदानन उनको सभी वृतांत बताती है तो बाबा एक श्मशान में काम चांडाल का वेश धारण करके मुगलों के पहले शमशान में जाकर बैठ जाते हैं और इतने में मुगल आते हैं और उन्हें श्मशान में शाम कोर का संस्कार करने को कहते हैं बाबा बावड़ी इतने में बोलते हैं कि रात्रि में शव का अंतिम संस्कार इस धर्म में नहीं किया जाता यह सुनकर के सभी मुगल हक्के बक्के रह गए और धन देकर के बाबा को मनाने की कोशिश करने लगे काम बनता ना देख लो और सोना देने का प्रस्ताव रखा और बावरी पीर ने बोल दिया कि मैं सबका संस्कार कर दूंगा मुगलों के जाने के बाद बाबा बावरी ने मैदानन को बुलाया और माता मदानण ने अपने ईल्म से श्याम कौर का शीश छोड़ दिया । बाबा सबल सिंह बावरी माता मदानण से बहुत खुश हुए और बोले आज के बाद दोनों बहने थी रहोगी बाबा सबल सिंह बावरी ने माता मदानण को माता श्याम कौर की रक्षा करने के लिए भविष्य में रक्षा करने के लिए कहा और समय निकल जाने के बाद जब माता मैदानन की आयु पूरी हुई तो उनका देहांत हो गया अब वहां से नागा गुरु निकल रहे थे तो उन्होंने देखा कि प्रसिद्ध सबल सिंह की बहन का संस्कार हो रहा है जो कि श्मशान क्रिया उनका नित्य प्रति का कार्य था माता मदानण संस्कार हो रहा था तो उन्होंने उनकी चिता जगा ली जब उनको चिता को जगाया गया तो बाबा ने सवाल पूछे तो माता मदान वाली ने उत्तर में जवाब दिया कि मैं कच्चे में पक्के में छिले में मरगत में सूतक में पातक में छोटे के बड़े के नीच का भेद किए बिना सभी कार्य आपके करूंगी लेकिन हे गुरु जो आप देख लेते हो वही भेंट लूंगी तो दोस्तों वह भी बची की होती है।
***********।शांत करने के तरीके ।*****1.कच्चे दूध में गंगा जल साधारण जल और थोड़े से बतासे और कुछ कच्चे चावल मिला करके माता को सींचने से माता शांत होती हैं ।
2. माता के थानों पर प्रतिदिन झाड़ू लगाने से माता की प्रकोप भी शांत हो जाती है।
3.गुरु गोरखनाथ की पूजा करने से माता का क्रोध शांत हो जाता है ।
4.नगर खेड़ा महाराज की सेवा करने से माता की ग्रुप शांत हो जाती है ।
5.प्रतिदिन कच्ची कड़ाही देने से माता की कॉपी शांत हो जाती है ।
6.घर में प्रातः काल सुबह उठकर के कच्ची लस्सी का छीटा मारने से माता शांत हो जाती है ।
7. 5 या 11 ईंटे लेकरके उनका (वादा गेहना)उठाने से माता शांत हो जाती है।
8.शीतला माता को सींचने से माता मदानण की कृति शांत हो जाती है ।
9.दुर्गा सप्तशती का पाठ करवाने से माता शांत हो जाती है । 10.देवी भागवत करने से या पढ़ने से घर में माता शांत हो जाती है।
11.दहलीज साफ रखने से माता की कृति शांत हो जाती है 12.उतारा करने से माता शांत हो जाती है ।
*****शीतला माता मैदानन मशानी माता का शांति मन्त्र*****
(माई शीतला गधे सवारी नाल मदानण रानी।,
शीतल हो जा थाना वाली रोज़ चढ़ावां पानी।,
बाबा फरीद दीआन इस्माइल जोगी दी आन।,
आन तेनु तेरे गुरु गोरखनाथ दी।)
अधिक जानकारी के लिए व्हाट्सएप 8194951381 पर संदेश भेज सम्पर्क करें। आपकी पात्रता आपकी सोच पर आधारित होगी।
कलवा वशीकरण।
जीवन में कभी कभी ऐसा समय आ जाता है कि जब न चाहते हुए भी आपको कुछ ऐसे काम करने पड़ जाते है जो आप कभी करना नही चाहते। यहाँ मैं स्...
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।। माता मदानण का चालीसा ।। ।। दोहा।। चालीसा मैं शुरू करूं करूँ ज्ञान की बात ।...
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*******।लखदाता पीर की कलाम।****** ●सभी साधक भाई बहनों के लिए एक कलाम लखदाता पीर की जिनको सखी सरवर सुल्तान बोला जाता है ...
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श्री वार्ताली देवी साधना। एक अद्भुत अनुपम साधना जोकि बहुत तीव्र शक्ति युक्त होती है स्वप्नेश्वरी कर्ण मा...